जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi

जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi

आप इस पोस्ट में जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi पढेंगे। साथ ही पानी बचाने के आवश्यकताओं और उपायों के बारे में भी हमने विस्तार से बताया है। यह लेख हमें जल के महत्व को समझाता है। इसको हमने स्कूल और कॉलेज के बच्चों के लिए 1500+ शब्दों मे लिखा है।

आईये शुरू करते हैं – जल संरक्षण पर निबंध हिन्दी में

Table of Contents

प्रस्तावना Introduction

ईश्वर ने हमें पांच महत्वपूर्ण तत्व दिए हैं जल, वायु, अग्नि, आकाश, और पृथ्वी। कभी कल्पना की है कि इन पांच तत्वों में से एक तत्व ना रहे तो क्या होगा? जी हाँ ! हर एक तत्व का एक अलग महत्व है जिसमे से जल का एक बहुत ही अनमोल महत्व है। आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी ‘जल ही जीवन है’।

जल संरक्षण क्या है? What is Conservation of Water in Hindi?

स्वच्छ और पेयजल का व्यर्थ बहाव ना करते हुए उसको सही तरीके से उपयोग में लाकर जल के बचाव की ओर किए गए कार्य को जल संरक्षण कहते हैं। जल के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। 

पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत भाग पानी है जिसका 96.5 प्रतिशत नमकीन या समुद्री पानी है और मात्र 3.5 प्रतिशत ही पीने लायक पानी है। इससे यह साफ़ पता चलता है कि आने वाले वक्त में मनुष्य के लिए जल का कितना बड़ा अभाव होने वाला हो। इसलिए हमें आज से ही जल संरक्षण का कार्य शुरू करना होगा।

जल संरक्षण का काम किसी नेता या सरकारी संस्थान का काम नहीं है। इसे हमें घर-घर से शुरू करना होगा। अगर हम शुरू करेंगे तो धीरे-धीरे हमें देख कर हमारे आसपास के लोग और आने वाली पीढ़ी भी सीखेंगे।

जल संरक्षण का महत्व Importance of Water Conservation in Hindi

हम सभी को जल के महत्त्व को और भविष्य में जल की कमी से संबंधित समस्याओं को समझने चाहिए। धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी होता है, क्योंकि बिना जल के जीवन संभव नहीं है। पृथ्वी पूरे ब्रह्मांड में मात्र एक ऐसा ग्रह है जहां पानी और जीवन आज की तारीख तक मौजूद है।

पृथ्वी पर हर चीजों को पानी की जरूरत होती है जैसे पेड़- पौधे, जीव- जंतु, कीड़े, इंसान और अन्य जीवित चीजें। हमें पीने, खाना पकाने, नहाने, कपड़े धोने, कृषि आदि जैसी हर गतिविधियों में पानी की आवश्यकता होती है। इसीलिए पानी बचाने के लिए केवल हम ही जिम्मेदार हैं।

आईये एक-एक करके जानते हैं हमें जल संरक्षण की ज़रुरत क्यों है?

जल संरक्षण की आवश्यकता क्यों है? Why to Conserve Water in Hindi?

  • मनुष्य जल के बिना जीवित नहीं रह सकता है। यह पानी बचाने का सबसे बड़ा कारण है।
  • शहरी क्षेत्रों में लोगों को पानी की बहुत किल्लत होती है। इसका सबसे बड़ा कारण प्रदूषण है और बढती जनसंख्या है। परन्तु जिस प्रकार आज सरकार ने पानी का बिल लेना शुरू कर दिया है और बाजारों में पीने का पानी तेज़ी से बिक रहा है यह साफ़ पता चलता है की पेयजल में तेज़ी से कमी आ रही है।
  • पीने का पानी कम होने के कारण लोग अशुद्ध पानी का सेवन कर रहे हैं जिसके कारण मनुष्य को बड़ी-बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • बड़े-बड़े किसान अधिक लोभ के कारण ज्यादा-ज्यादा से बोरेवेल खुदवा रहे हैं जिससे वे भू-जल का ज्यादा भाग गर्मियों के महीने में कृषि के लिए उपयोग कर रहे हैं। इसका सीधा असर पृथ्वी के जल स्तर पर पड़ रहा है और कुछ वर्षों की अच्छी खेती के बाद उनकी धरती बंजर होते जा रही है।
  • मनुष्य को पानी की आवश्यकता हर क्षेत्र में है जैसे पीने, भोजन बनाने, स्नान करने, कपड़े धोने, फसल उगाने, आदि के कार्य में।
  • जल की कमी से प्रकृति का संतुलन बुरी तरह से बिगड़ते जा रहा है जो पृथ्वी के हर जीव को संकट की और लेते जा रहा है।

जल संकट के कारण Reasons of Water Crisis in Hindi

  • हमारे देश में औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और खनिज संपदा का बड़ी मात्राओं में विद्रोहन तथा कल कारखानों के विषैले रासायनिक अवशिष्टओ का उत्सर्जन होने से जल संकट निरंतर बढ़ रहा है इससे ना तो खेती-बाड़ी के लिए पर्याप्त पानी मिल पा रहा है और ना ही पेयजल की आपूर्ति हो पा रही है।

जल संकट के प्रभाव Effects of Water Crisis in Hindi

जल संकट के कारण तालाब सरोवर एवं कुएं सूख रहे हैं, नदियों का जलस्तर घट रहा है और जमीन का जलस्तर भी लगातार कम होते जा रही है, जिसके कारण अनेक प्रकार के जीव जंतु एवं पादपों का अस्तित्व मिट गया है, खेतों की उपज घट गई है और वन भूमि सूख रही है तथा धरती का तापमान लगातार बढ़ते जा रहा है। इस तरह से जल संकट का दुष्परिणाम देखने को मिल रहा है।

जल संरक्षण के उपाय How to Conserve Water in Hindi?

  • फ़ैक्टरी व कारख़ानों से निकलने वाले गंदे पानी को एक सुनिश्चित जगह पर निर्धारित किया जाना चाहिए जिससे वह अशुद्ध पानी, शुद्ध पानी के जल स्रोतों से ना मिल जाये।
  • समरसेबल पंप से निकलने वाले पानी को हम सब जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जो कि गलत है। हमें उतना ही इस्तेमाल करना चाहिए जितना की हमें जरूरत है।
  • सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए पानी की टंकियों को ऑटोमेटिक करना चाहिए जिससे शुद्ध जल की बर्बादी ना हो सके।
  • हम सभी को जागरूक नागरिक की तरह जल संरक्षण का अभियान चलाते हुए बच्चों और महिलाओं में जागरूकता लानी होगी। स्नान करते समय हमें शावर टब का प्रयोग ना करके बाल्टी में पानी लेकर नहाना चाहिए जिससे हम बहुत जल बता सकते हैं।
  • रसोई में जल की बाल्टी या टब में बर्तन साफ करें तो पानी बहुत बचाया जा सकता है।
  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल संचयन के प्रोजेक्ट शुरू किये जाने जाने चाहिए।
  • गांव कस्बों और नगरों में छोटे बड़े तालाब बनाकर वर्षा जल का संरक्षण किया जाए।
  • नगरों और महानगरों में घरों कि नालियों में पानी को गड्ढा बनाकर एकत्रित किया जाए और पेड़ पौधे की सिंचाई के काम में लाया जाए तो साफ पानी की बचत की जा सकती है।
  • यदि प्रत्येक घर के छत पर वर्षा जल का भंडार करने के लिए एक या दो टंकी बनाया जाए और उन्हें मजबूत जालिया फिल्टर कपड़े से ढक दिया जाए तोहर नगर में जल संरक्षण किया जा सकेगा।
  • घरों मुहल्लों और सार्वजनिक पार्कों स्कूलों अस्पतालों दुकानों मंदिरों आदि में नली की टोटियां खुली या  टूटी रहती है, तो अनजाने ही प्रतिदिन हजारों लीटर जल बेकार हो जाता है। इस बर्बादी को रोकने के लिए नगर पालिका एक्ट में टोंटियों की चोरी को दंडात्मक अपराध बनाकर, जागरूकता भी बढ़ानी होगी।
  • विज्ञान की मदद से आज समुद्र के खारे जल को पीने लायक बनाया जा रहा है। गुजरात के आदि नगरों और प्रत्येक घर में पीने के जल के साथ-साथ घरेलू कार्यों के लिए खारे जल का प्रयोग करके शुद्ध जल का संरक्षण किया जा रहा है। इसे बढ़ावा देना चाहिए।
  • गंगा तथा यमुना जैसी बड़ी नदी की सफाई करना बहुत जरूरी है। बड़ी नदियों के जल का शोधन करके पेयजल के रूप में प्रयोग किया जा सके। शासन प्रशासन को लगातार सक्रिय रहना होगा।
  • जंगलों को काटने से हमें दोहरा नुकसान हो रहा है। पहला यह कि वाष्पीकरण ना होने से वर्षा नहीं हो पाती है तथा भूमिगत जल सूख जाता है। बढ़ती हुई जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के कारण जंगल और वृक्षों के अंधाधुन काटने से भूमि की नामी लगातार कम होते जा रही है, इसीलिए वृक्षारोपण लगातार किया जाना चाहिए।
  • पानी का दुरुपयोग हर स्तर पर कानून के द्वारा प्रचार माध्यमों से प्रचार करके तथा विद्यालयों में पर्यावरण प्रदूषण की तरह जल संरक्षण विषय को अनिवार्य रूप से पढ़ाकर रोका जाना जरूरी है। अब समय आ गया है कि केंद्रीय और राज्यों की सरकारों जल संरक्षण को नए विषय बनाकर प्राथमिक से उच्च स्तर तक नई पीढ़ी को बताने का कानून बनाएं।

जल संरक्षण पर 10 लाइन 10 lines on Conservation of Water in Hindi

  • स्वच्छ  और पेयजल का व्यर्थ बहाव न करते हुए उसको सुनिश्चित तरीके से उपयोग मे लाकर जल के बचाव की ओर किए गए कार्य को जल संरक्षण कहते हैं।
  • हम सभी को जल के महत्त्व को और भविष्य में जल की कमी से संबंधित समस्याओं को समझने चाहिए।
  • धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी होता है, क्योंकि बिना जल के जीवन संभव नहीं है।
  • पृथ्वी पर हर चीजों को पानी की जरूरत होती है जैसे पेड़ पौधे, जीव जंतु, कीड़े, इंसान और अन्य जीवित चीजें।
  • हमें पीने, खाना पकाने, नहाने, कपड़े धोने, कृषि आदि जैसी हर गतिविधियों में पानी की आवश्यकता होती है। इसीलिए पानी बचाने के लिए केवल हम ही जिम्मेदार हैं।
  • पेयजल की कमी होने से लोग इसका उपयोग कम से कम करें। शुद्ध जल कम होने के कारण लोगों को बड़ी बड़ी बीमारियां शुरू हो जाएगी।
  • धरती के अंदर जल का स्तर कम होने से धरती बंजर होने लगेगी और धीरे-धीरे करके चटकना शुरू कर देगी जो भूकंप जैसे हालातों को बढ़ावा देती है।
  • फैक्ट्री व कारखाने से निकलने वाले गंदे पानी को एक सुनिश्चित जगह पर निर्धारित कर दिया जाना चाहिए, जिससे साफ पानी गंदा ना हो।
  • समरसेबल पंपों से निकलने वाले पानी को हम सब जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जो कि गलत है, हमें उतना ही इस्तेमाल करना चाहिए जितना हमें जरूरत है।

निष्कर्ष Conclusion

अंत में बस में कहूँगी –

जल है तो जीवन है और जीवन है तो पर्यावरण है पर्यावरण से धरती है और धरती से हम सब हैं

जल को जीवन का आधार मानकर समाज में नई जागृति लाने का प्रयास किया जाए। अमृत जल जैसा जनजागरण किये जाए। जल चेतना की जागृति लाने से जल संचय एवं जल संरक्षण की भावना का प्रयास होगा तथा इससे धरती का जिवन सुरक्षित रहेगा।

जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi) आपको कैसा लगा कमेंट के माध्यम से बताइये और हमारे साथ जुड़े रहें।

2 thoughts on “जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi”

Fantastic and very nice

Very very fantastic essay on conservation of water

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  • Essays in Hindi /

Water Conservation Essay in Hindi : ऐसे लिखें जल संरक्षण पर निबंध

essay on water scarcity in hindi

  • Updated on  
  • जून 25, 2024

जल संरक्षण पर निबंध

जल संरक्षण के महत्व को समझने से छात्रों में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित करने में मदद मिलती है। वे जल संसाधनों की सीमित प्रकृति और जल की गुणवत्ता और उपलब्धता पर मानवीय गतिविधियों के प्रभाव के बारे में सीखते हैं। छात्रों को जल संरक्षण के बारे में पढ़ाने से उन्हें शुरू से ही स्थायी आदतें अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। वे पानी का कुशलतापूर्वक और जिम्मेदारी से उपयोग करना सीखते हैं, जो पानी की बर्बादी को कम करने और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने में योगदान देता है। इसलिए इस ब्लाॅग में हम स्टूडेंट्स के लिए जल संरक्षण पर निबंध (Water Conservation Essay in Hindi) दे रहे हैं जिससे आपको जल संरक्षण का महत्व समझ आएगा।

This Blog Includes:

जल संरक्षण पर 100 शब्दों में निबंध, जल संरक्षण पर 200 शब्दों में निबंध, वर्तमान में पानी की कमी- एक गंभीर मुद्दा, जल संरक्षण का क्या महत्व है, जल संरक्षण पर 10 लाइन्स .

100 शब्दों में Water Conservation Essay in Hindi नीचे दिया गया है:

हर चीज़ के लिए पानी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम इसका उपयोग घर में खाना पकाने, नहाने, पीने और सफाई जैसे कई कामों के लिए करते हैं। पानी हमारे जीवन का सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण घटक है। जब हमें प्यास लगती है, तो हम पानी पीते हैं, कपड़े धोते हैं, नहाते हैं और पानी से खाना बनाते हैं। भले ही हम कई कामों के लिए पानी पर बहुत ज़्यादा निर्भर हैं, लेकिन हममें से ज़्यादातर लोगों को इसे पाने में कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता। समाज के कुछ तबके पानी की कमी का सामना करते हैं और वे पानी के बिना अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पाते। जल संरक्षण और इसके महत्व को समझने के लिए हम हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाते हैं।

200 शब्दों में Water Conservation Essay in Hindi इस प्रकार है:

पानी पृथ्वी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सभी के लिए पर्याप्त नहीं है। 2022 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 2 अरब लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता है। इससे उनके बीमार पड़ने की संभावना अधिक हो जाती है। जलवायु परिवर्तन बार-बार बाढ़ और सूखे का कारण बनकर हालात को बदतर बना रहा है, इसलिए हमें वास्तव में पानी बचाने की जरूरत है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी के लिए पर्याप्त पानी हो, पानी बचाना महत्वपूर्ण है।

हम खेती, कारखानों और घरों के लिए बहुत सारा पानी उपयोग करते हैं। पानी बचाकर, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि चारों ओर घूमने के लिए बहुत कुछ है और इसके लिए झगड़ों से बचा जा सकता है। पानी बचाने से प्रकृति को संतुलित रहने में भी मदद मिलती है क्योंकि हर चीज़ को जीने के लिए पानी की ज़रूरत होती है। कम पानी का उपयोग करने का मतलब इसे हम तक पहुंचाने के लिए कम ऊर्जा का उपयोग करना भी है।

ऐसे कई तरीके हैं जिनसे हम पानी बचा सकते हैं, जैसे वर्षा जल एकत्र करना, पानी बचाने वाले उपकरणों का उपयोग करना और पानी बर्बाद न करना। यदि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अभी और भविष्य में सभी के लिए पर्याप्त पानी हो, तो हमें आज से ही पानी बचाना शुरू करना होगा।

Water Conservation Essay in Hindi (1)

जल संरक्षण पर 500 शब्दों में निबंध

500 शब्दों में Water Conservation Essay in Hindi इस प्रकार है:

जल संरक्षण आज की दुनिया में पर्यावरण प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। हमारा ग्रह पानी की कमी और प्रदूषण से संबंधित बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए व्यक्तियों, समुदायों और राष्ट्रों के लिए इस बहुमूल्य संसाधन के संरक्षण को प्राथमिकता देना अनिवार्य हो गया है। घरों से लेकर औद्योगिक संचालन तक, वर्तमान और भावी पीढ़ियों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए पानी का सतत उपयोग आवश्यक है।

दुनिया भर में पानी की कमी एक बड़ी समस्या है, जब हर किसी के लिए पर्याप्त ताज़ा पानी उपलब्ध नहीं होता है। ऐसा तब होता है जब पानी की मांग उपलब्ध मात्रा से अधिक होती है। यह अलग-अलग तरीकों से दिखाई देता है, जैसे पीने के लिए साफ पानी न होना, खेती या कारखानों के लिए पर्याप्त पानी न होना और नदियों और झीलों का सूखना।

पानी की कमी होने के कई कारण हैं:

  • ग्लोबल वार्मिंग: यह चीजों को गर्म बना रहा है और पानी को बिगाड़ रहा है।
  • खराब जल प्रबंधन: कभी-कभी, लोग पानी का बुद्धिमानी से उपयोग नहीं करते हैं या बाद के लिए पर्याप्त बचत नहीं करते हैं।
  • जल प्रदूषण: गंदा पानी पीने या अन्य चीजों के लिए उपयोग करने के लिए सुरक्षित नहीं है।
  • बहुत अधिक मांग: हम अपने हर काम में अधिक पानी का उपयोग कर रहे हैं।
  • बाढ़: बहुत अधिक पानी भी एक समस्या हो सकता है, खासकर अगर यह फसलों या इमारतों को बहा ले जाए।
  • सूखा: पर्याप्त बारिश नहीं होने का मतलब पौधों, जानवरों और लोगों के लिए पर्याप्त पानी नहीं है।
  • खराब कृषि तकनीकें: कभी-कभी, किसान बहुत अधिक पानी का उपयोग करते हैं या इसका सही तरीके से उपयोग नहीं करते हैं।
  • पानी की बर्बादी: कभी-कभी, हम अपनी ज़रूरत से ज़्यादा पानी का उपयोग कर लेते हैं।

ये सभी चीजें मिलकर हर किसी के लिए पर्याप्त पानी प्राप्त करना वास्तव में कठिन बना सकती हैं, इसलिए यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि पानी का बेहतर उपयोग कैसे किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी के लिए पर्याप्त पानी हो।

पानी की कमी से निपटने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि अभी और भविष्य में सभी के लिए पर्याप्त पानी हो, पानी बचाना बेहद महत्वपूर्ण है। यहां तक कि आपके द्वारा किए जाने वाले छोटे-छोटे काम भी मदद कर सकते हैं, जैसे जब आप नल का उपयोग नहीं कर रहे हों तो उसे बंद कर देना। यहां कुछ अन्य तरीके दिए गए हैं जिनसे हम पानी बचा सकते हैं:

  • ड्रिप सिंचाई: यह तकनीक पानी को सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाने में मदद करती है, जिससे बर्बादी कम होती है।
  • मृदा प्रबंधन: अच्छी मृदा पद्धतियाँ पानी को बनाए रखने और इसे पौधों के उपयोग के लिए उपलब्ध रखने में मदद करती हैं।
  • सूखा-सहिष्णु फसलें: कम पानी में जीवित रहने वाली फसलें लगाने से कृषि में पानी बचाने में मदद मिलती है।
  • मल्चिंग: मिट्टी में गीली घास की एक परत डालने से नमी बनाए रखने और वाष्पीकरण को कम करने में मदद मिलती है।
  • पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग: बगीचों में पानी देने या शौचालय में फ्लश करने जैसी चीजों के लिए उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने से ताजे पानी को बचाने में मदद मिलती है।
  • वर्षा जल संचयन: छतों से वर्षा जल एकत्र करना और बाद में उपयोग के लिए इसे संग्रहीत करना पानी बचाने का एक शानदार तरीका है।
  • अलवणीकरण: समुद्री जल को मीठे पानी में बदलने से तटीय क्षेत्रों में जल आपूर्ति को पूरा करने में मदद मिल सकती है।
  • जागरूकता फैलाना: पानी बचाना क्यों महत्वपूर्ण है, इस बारे में दूसरों से बात करना अधिक लोगों को अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
  • जल सफाई अभियानों का समर्थन करना: प्रदूषित जल स्रोतों को साफ करने के अभियानों में दान देना या उनमें भाग लेना यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि हमारे पास उपयोग करने के लिए साफ पानी है।
  • उचित जल प्रबंधन: कृषि से लेकर उद्योग और घरों तक जीवन के सभी पहलुओं में पानी का बुद्धिमानी और कुशलता से उपयोग करने से इस बहुमूल्य संसाधन के संरक्षण में मदद मिलती है।

ये कदम उठाकर और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करके, हम सभी पानी के संरक्षण और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी जल आपूर्ति सुनिश्चित करने में भूमिका निभा सकते हैं।

जल संरक्षण केवल एक जिम्मेदारी नहीं है बल्कि हमारे ग्रह और इसके निवासियों की भलाई के लिए एक आवश्यकता है। अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलावों को लागू करके और बड़ी पहलों का समर्थन करके, हम सामूहिक रूप से अपने जल संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। जिम्मेदार लोगों के रूप में, हमें जल की कमी के मुद्दे के बारे में जागरूक होना चाहिए और अपने बच्चों को पाइपों और नलों में लीक को ठीक करके, उपयोग न होने पर नल को बंद करके और कम समय तक स्नान करके जल संरक्षण करना सिखाना चाहिए।

Water Conservation Essay in Hindi पर 10 लाइन्स इस प्रकार हैंः

  • वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए मीठे पानी की स्थायी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जल संरक्षण आवश्यक है।
  • जल संरक्षण से जल की कमी को कम करने में मदद मिलती है, जो लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली एक गंभीर वैश्विक समस्या है।
  • घर पर जल-बचत अभियान को लागू करना, जैसे जल-कुशल उपकरणों का उपयोग करना, पानी की बर्बादी को काफी कम कर सकता है।
  • कृषि, उद्योग और घर सभी जिम्मेदार जल उपयोग और प्रबंधन के माध्यम से जल संरक्षण में भूमिका निभाते हैं।
  • वर्षा जल संचयन, बाद में उपयोग के लिए वर्षा जल को एकत्रित और संग्रहीत करके जल संरक्षण का एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका है।
  • कृषि में ड्रिप सिंचाई तकनीक सीधे पौधों की जड़ों तक पानी पहुंचाकर पानी की बर्बादी को कम करती है।
  • जल संरक्षण के महत्व के बारे में जन जागरूकता अभियान व्यक्तियों को जल-बचत की आदतें अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
  • बागवानी या सफाई जैसे गैर-पीने योग्य उद्देश्यों के लिए पानी का पुन: उपयोग करने से पानी की खपत कम हो सकती है।
  • उद्योगों में जल-कुशल प्रौद्योगिकियों और बुनियादी ढांचे को लागू करने से पानी के उपयोग को कम करने और दक्षता को अधिकतम करने में मदद मिल सकती है।
  • इस बहुमूल्य संसाधन की सुरक्षा के लिए प्रभावी जल संरक्षण रणनीतियों को विकसित करने और लागू करने में सरकारों, समुदायों और व्यवसायों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है।

संबंधित ब्लाॅग्स 

जल संरक्षण से तात्पर्य अपशिष्ट को कम करने और वर्तमान और भविष्य की जरूरतों के लिए मीठे पानी की स्थायी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पानी का बुद्धिमानीपूर्वक और कुशलता से उपयोग करने के अभ्यास से है।

जल संरक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पानी की कमी को कम करने, प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने और सभी के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल तक पहुंच सुनिश्चित करने में मदद करता है। यह जल उपचार और वितरण से जुड़ी ऊर्जा खपत को भी कम करता है।

आप लीकेज को ठीक करके, छोटे शॉवर लेकर, उपयोग में न होने पर नल बंद करके, जल-कुशल उपकरणों का उपयोग करके, बाहरी उपयोग के लिए वर्षा जल एकत्र करके, और पौधों को पानी देने या शौचालयों को फ्लश करने जैसे गैर-पीने योग्य उद्देश्यों के लिए गंदे पानी का पुन: उपयोग करके घर पर पानी का संरक्षण कर सकते हैं।

उम्मीद है कि आपको Water Conservation Essay in Hindi के संदर्भ में हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। निबंध लेखन के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Team Leverage Edu

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भारत में जल संकट और उसके निदान को समझने के लिए इन तीन जल संबंधी समस्याओं पर करनी होगी बात

बीते 50 साल में देश में जिस तरह से पानी की मांग बढ़ी है उसके सापेक्ष जल प्रबंधन की प्रक्रिया में तेजी नहीं देखी गई है। इसी से आपूर्ति और मांग में अंतर बढ़ा। सभी जल जरूरतों की पूर्ति के लिए वृहद स्तर पर काम करने की जरूरत है।

भारत में जल संकट और उसके निदान को समझने के लिए इन तीन जल संबंधी समस्याओं पर करनी होगी बात

Koo App आप सभी को ’विश्व जल दिवस’ की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं! आइए, इस अवसर पर जल संरक्षण-संवर्धन व पौधरोपण हेतु संकल्पित हों और इसके प्रति लोगों को जागरूक करें। जल की हर बूंद जीवनदान है। View attached media content - Yogi Adityanath (@myogiadityanath) 22 Mar 2022

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Koo App On this #WorldWaterDay let’s pledge to conserve ‘water’ and make a difference for those who suffer from water-related issues. Save water, save lives. #MoRD @sadhviniranjan @PIBHindi @AmritMahotsav @mygovindia @airnewsalerts @DDNational @girirajsingh @faggansinghkulaste View attached media content - Ministry of Rural Development, Government of India (@MoRD_GoI) 22 Mar 2022

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Koo App The theme for World Water Day 2022 is Groundwater:Making Invisible Visible. Groundwater is a vital resource that supplies nearly half of the world’s drinking water. #WorldWaterDay will shine a light on this intangible resource, improve knowledge exchange and & raise awareness. View attached media content - RCP Singh (@RCP_Singh) 22 Mar 2022

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दा इंडियन वायर

जल संकट पर निबंध

essay on water scarcity in hindi

By विकास सिंह

water crisis essay in hindi

विषय-सूचि

जल संकट पर निबंध, water crisis essay in hindi (500 शब्द)

भारत में कई सामाजिक समस्याएं हैं और कई राज्यों में जल संकट उनमें से एक है। लोगों के आरामदायक जीवन के लिए भोजन और पीने का पानी काफी आवश्यक है। जब ये दोनों दुर्लभ होते हैं तो कभी-कभी लोगों को अनकही पीड़ाएं झेलनी पड़ती हैं।

इस तथ्य के बावजूद कि कई बड़ी नदियाँ, उनमें से कुछ बारहमासी नदियाँ भारत के कुछ हिस्सों से होकर बहती हैं, भारत खेती और पीने के लिए पानी की कमी से ग्रस्त है। दक्षिण में कृष्णा, गोदावरी, कावेरी, ताम्रपर्णी, पेरिल्या और अन्य नदियाँ हैं। उत्तर में शक्तिशाली गंगा , ब्रह्मपुत्र, सिंधु, महानदी और अन्य नदियाँ हैं।

बहुत सारा पानी अप्रयुक्त समुद्र में चला जाता है। हालांकि हमारे पास बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन हैं जैसे कि पानी, खनिज, बहुतायत से उगने वाली फसलें और इतने पर, हम अभी भी पीड़ित हैं, क्योंकि इन प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम लाभ के लिए उपयोग करने का हमारा ज्ञान अपर्याप्त है।

कभी-कभी पानी की कमी से जूझने वाले दो राज्य तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश हैं। कई शहरों और शहरों में पानी के जलाशय एक छोटी आबादी के लिए थे। यहां तक ​​कि सीवेज पानी ले जाने के लिए नालियों की योजना बनाई गई थी और एक छोटी आबादी के लिए बनाई गई थी। बढ़ती आबादी के साथ उपलब्ध पानी लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। जांच की जानी चाहिए कि लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति बढ़ाने के लिए अधिक जलाशय बनाए जा सकते हैं या नहीं।

जब गर्मी काफी गंभीर होती है तो कभी-कभी पानी का एक बड़ा भंडार एक कुंड में सिकुड़ जाता है। इंसान और जानवर दोनों पानी के लिए तड़पते हैं। अगर बारिश होती है तो इतनी बारिश होती है की बाढ़ आती है। थैच से बने घर पानी में डूब जाते हैं। जब फसलों की अपर्याप्त उपज होती है तो अकाल पड़ता है। चावल, गेहूं, राग और गन्ना दुर्लभ हैं। वास्तव में हर प्रकार के अनाज में कमी है।

भारत में दो चरम सीमाएं हैं। राष्ट्र में पानी ख़त्म हो जाता है या भारी वर्षा होती है जिससे बाढ़ आती है। जबकि उत्तर कभी बाढ़ से ग्रस्त है, कभी-कभी दक्षिण अपर्याप्त जल आपूर्ति से ग्रस्त है। खेती किए गए खेतों में पर्याप्त पानी नहीं है और फसलों की उपज अपर्याप्त है। पर्याप्त पेयजल के बिना लोग पीड़ित हैं।

यदि उत्तरी और दक्षिणी नदियों को जोड़ा जा सकता है तो सभी राज्यों को बारहमासी पानी की आपूर्ति होगी। पहले दक्षिण की नदियों को जोड़ना होगा और फिर उत्तर की नदियों को जोड़ना होगा। फिर दक्षिणी और उत्तरी दोनों नदियों को जोड़ना होगा। यह एक विशाल परियोजना है। इस परियोजना में अरबों रुपये का खर्चा शामिल है।

भले ही नदियों को जोड़ने की परियोजना को इस साल पूरा कर लिया जाए, लेकिन इस परियोजना को पूरा होने में कई साल लग जाएंगे। परियोजना को एक बड़े वित्तीय परिव्यय की आवश्यकता हो सकती है। नदियों को जोड़ने में इंजीनियरिंग की समस्याएं हो सकती हैं क्योंकि एक नदी और दूसरे के बीच विशाल स्तर की भिन्नताएं हो सकती हैं। यदि भारत की नदियाँ आपस में जुड़ी हुई हैं तो यह एक बेहतरीन इंजीनियरिंग उपलब्धि होगी।

water crisis

जल संकट पर निबंध, water crisis essay in hindi (800 शब्द)

पानी हमारे जीवन का केंद्र है, लेकिन हमारी योजना में केंद्र बिंदु नहीं रहा है जबकि हम तेजी से शहरी समाज में विकसित हुए हैं।

समय के माध्यम से, प्रारंभिक समाजों ने पानी के महत्व और आवश्यकता को समझा और इसके चारों ओर अपने जीवन की योजना बनाई। सभ्यताएँ पानी के कारण पैदा हुईं और खो गईं। आज, हमारे पास इस ज्ञान का लाभ है और हम अभी भी इसे महत्व देने और इसके आसपास के समाजों की योजना बनाने में विफल हैं।

भारत पर ध्यान दें। दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता सिंधु और गंगा के आसपास विकसित हुई और अभी भी संपन्न है। लेकिन बहुत लम्बे समय के लिए नहीं। स्वतंत्रता के बाद, बड़े बांधों के माध्यम से पानी के नियंत्रण और भंडारण के माध्यम से पानी की शक्ति का दोहन करने के लिए उचित महत्व दिया गया था।

वह तो क्षण की माँग थी। हालाँकि, हमारे शहरों और कस्बों में बाद में पानी की जरूरत बनाम पानी की उपलब्धता की योजना के बिना विकास हुआ है। 1951 में, प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता लगभग 5177 घन मीटर थी। यह अब 2011 में घटकर लगभग 1545 हो गया है (स्रोत: जल संसाधन प्रभाग, TERI)

भारत में पानी की कमी के कारण

अधिक जनसंख्या वृद्धि और जल संसाधनों के कुप्रबंधन के कारण पानी की कमी ज्यादातर लोगों को होती है। पानी की कमी के कुछ प्रमुख कारण हैं:

  • कृषि के लिए पानी का अकुशल उपयोग। भारत दुनिया में कृषि उपज के शीर्ष उत्पादकों में शामिल है और इसलिए सिंचाई के लिए पानी की खपत सबसे अधिक है। सिंचाई की पारंपरिक तकनीकों में वाष्पीकरण, जल निकासी, छिद्र, पानी के प्रवाह और भूजल के अधिक उपयोग के कारण अधिकतम पानी की हानि होती है।
  • जैसे-जैसे अधिक क्षेत्र पारंपरिक सिंचाई तकनीकों के तहत आते हैं, अन्य उद्देश्यों के लिए उपलब्ध पानी के लिए तनाव जारी रहेगा। समाधान सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई के व्यापक उपयोग में है। पारंपरिक जल रिचार्जिंग क्षेत्रों में कमी।
  • तेजी से निर्माण पारंपरिक जल निकायों की अनदेखी कर रहा है जिन्होंने भूजल रिचार्जिंग तंत्र के रूप में भी काम किया है। हमें नए लोगों को लागू करते समय पारंपरिक जलवाही स्तर को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। पारंपरिक जल निकायों में जल निकासी और अपशिष्ट जल निकासी।
  • इस समस्या से निपटने के लिए स्रोत पर सरकारी हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता है। नदियों, नालों और तालाबों में रसायनों और अपशिष्टों को छोड़ना। सरकार, गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा कानूनों की सख्त निगरानी और कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
  • मॉनसून के दौरान पानी के भंडारण की क्षमता को बढ़ाने वाले बड़े जल निकायों में समय पर डी-सिल्टिंग संचालन में कमी। यह आश्चर्य की बात है कि राज्य स्तर पर सरकारों ने इसे वार्षिक अभ्यास के रूप में प्राथमिकता पर नहीं लिया है। यह कार्य अकेले पानी के भंडारण के स्तर को जोड़ सकता है।
  • कुशल जल प्रबंधन और शहरी उपभोक्ताओं, कृषि क्षेत्र और उद्योग के बीच पानी के वितरण में कमी। सरकार को प्रौद्योगिकी में अपने निवेश को बढ़ाने और मौजूदा संसाधनों के अनुकूलन को सुनिश्चित करने के लिए योजना स्तर पर सभी हितधारकों को शामिल करने की आवश्यकता है।

शहरी विकास के कारण समस्या बढ़ गई है, जिसके कारण भूजल संसाधन प्रभावित हुए हैं। पानी को न तो रीचार्ज किया जा रहा है और न ही उन तरीकों से संग्रहित किया जा रहा है जो पानी के प्राकृतिक अवयवों को बनाए रखते हुए इसके उपयोग का अनुकूलन करते हैं।

इसके अलावा, जल निकायों में सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट का प्रवेश पीने योग्य पानी की उपलब्धता को गंभीर रूप से सिकोड़ रहा है। समुद्री जीवन ज्यादातर इन क्षेत्रों में पहले से ही खो गया है। यह एक बहुत गंभीर उभरते हुए संकट की उत्पत्ति है। यदि हम समस्या के स्रोत को नहीं समझते हैं तो हम कभी भी स्थायी समाधान नहीं खोज पाएंगे।

एक उदाहरण के रूप में, हैदराबाद को लें। निज़ामों के इस शहर में समय के माध्यम से कई जल एक्वीफ़र्स और जल निकाय थे। उस्मानसागर और हिमायतसागर झीलें बनाई गईं और सौ वर्षों से शहर को पीने का पानी मुहैया करा रही हैं। सभी दिशाओं में अनियोजित निर्माण के साथ शहर में आबादी के अत्यधिक प्रवास ने पारंपरिक जलभृत पैदा किया, जो शहर के आसपास और आसपास मौजूद था।

राज्य के स्वामित्व वाले HMWS & SB द्वारा संचालित 50,000 से अधिक बोरवेल हैं और भूजल खींचने वाले निजी मालिक हैं। स्तर अब काफी गिर गए हैं। यदि भूजल पुनर्भरण नहीं कर सकता है, तो आपूर्ति ख़त्म हो जाएगी। संग्रह, भंडारण, उत्थान और वितरण के दौरान पानी की मांग लगातार बढ़ रही है।

पानी की कमी की समस्याओं को दूर करने के उपाय:

हमारे घरों में वाटर फ्री ‘पुरुष मूत्रालय का एक साधारण जोड़ प्रति वर्ष प्रति घर 25,000 लीटर पानी से अच्छी तरह से बचा सकता है। पारंपरिक फ्लश लगभग छह लीटर पानी बहाता है। अगर घर के लड़कों सहित सभी पुरुष सदस्य पारंपरिक फ्लश खींचने के बजाय वाटर फ्री यूरिनल ’का उपयोग करते हैं, तो पानी की मांग पर सामूहिक प्रभाव काफी कम हो जाएगा। इसे कानून द्वारा अनिवार्य किया जाना चाहिए और इसके बाद शिक्षा और जागरूकता दोनों घर और स्कूल में होनी चाहिए।

घर पर पकवान धोने के दौरान बर्बाद होने वाले पानी की मात्रा महत्वपूर्ण है। हमें अपने डिश धोने के तरीकों को बदलने और पानी को चालू रखने की आदत को कम करने की आवश्यकता है। यहां एक छोटा कदम पानी की खपत में महत्वपूर्ण बचत कर सकता है।

प्रत्येक स्वतंत्र घर / फ्लैट और समूह हाउसिंग कॉलोनी में वर्षा जल संचयन की सुविधा होनी चाहिए। यदि कुशलता से डिजाइन और ठीक से प्रबंधित किया जाता है, तो यह अकेले पानी की मांग को काफी कम कर सकता है।

गैर-पीने के प्रयोजनों के लिए अपशिष्ट जल उपचार और रीसाइक्लिंग। कई कम लागत वाली प्रौद्योगिकियां उपलब्ध हैं जिन्हें समूह आवास क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है।

बहुत बार, हम अपने घरों में, सार्वजनिक क्षेत्रों और कॉलोनियों में पानी लीक करते हुए देखते हैं। एक छोटे से स्थिर पानी के रिसाव से प्रति वर्ष 226,800 लीटर पानी का नुकसान हो सकता है! जब तक हम पानी की बर्बादी के बारे में जागरूक और सचेत नहीं होंगे, तब तक हम अपने सामान्य जीवन के साथ पानी की बुनियादी मात्रा का लाभ नहीं उठा पाएंगे।

water crisis in hindi

गहराता जल संकट पर निबंध, water crisis in india essay in hindi (1000 शब्द)

जबकि पानी एक अक्षय संसाधन है, यह एक सीमित संसाधन है। ग्लोब पर उपलब्ध पानी की कुल मात्रा वही है जो दो हजार साल पहले थी।

पानी की कमी:

इस तथ्य की सराहना करना महत्वपूर्ण है कि दुनिया का केवल 3 प्रतिशत पानी ताजा है और लगभग एक-तिहाई यह दुर्गम है। बाकी बहुत असमान रूप से वितरित किया गया है और उपलब्ध आपूर्ति उद्योग, कृषि और घरों से अपशिष्ट और प्रदूषण से दूषित हो रही है।

इन वर्षों में, बढ़ती आबादी, बढ़ते औद्योगीकरण, कृषि का विस्तार और जीवन के बढ़ते मानकों ने पानी की मांग को बढ़ा दिया है। बांध और जलाशयों का निर्माण और कुओं जैसे भूजल संरचनाओं का निर्माण करके पानी एकत्र करने का प्रयास किया गया है। पुनर्चक्रण और पानी का विलवणीकरण अन्य विकल्प हैं लेकिन इसमें शामिल लागत बहुत अधिक है।

हालाँकि, इस बात का एहसास बढ़ रहा है कि ‘और अधिक पानी खोजने’ की सीमाएँ हैं और लंबे समय में, हमें उस पानी की मात्रा को जानना होगा जिससे हम उचित रूप से टैप करने की उम्मीद कर सकते हैं और इसे और अधिक कुशलता से उपयोग करना सीख सकते हैं।

यह मानव स्वभाव है कि हम चीजों को तभी महत्व देते हैं जब वे दुर्लभ हों या कम आपूर्ति में हों। जैसे कि हम नदियों, जलाशयों, तालाबों, कुओं आदि के सूख जाने पर पानी के मूल्य की सराहना करते हैं। हमारे जल संसाधन अब बिखराव के युग में प्रवेश कर चुके हैं। यह अनुमान है कि अब से तीस साल बाद, हमारी आबादी का लगभग एक-तिहाई हिस्सा पानी की कमी से पीड़ित होगा।

हमारी बढ़ती आबादी और प्रदूषण के कारण मौजूदा जल संसाधनों की घटती गुणवत्ता के कारण ताजे जल संसाधनों की बढ़ती माँगों और औद्योगिक और कृषि विकास को बढ़ावा देने की अतिरिक्त आवश्यकताओं के कारण ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहाँ पानी की खपत तेजी से बढ़ रही है और आपूर्ति बढ़ रही है ताजा पानी कम या ज्यादा स्थिर रहता है।

यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि हमारे पास उपलब्ध पानी वैसा ही है जैसा पहले था, लेकिन जनसंख्या और परिणामस्वरूप पानी की मांग कई गुना बढ़ गई है। शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में कमी के परिणाम अधिक कठोर होंगे। पानी की कमी तेजी से बढ़ते तटीय क्षेत्रों और बड़े शहरों में भी महसूस की जाएगी। कई शहर पहले से ही हैं, या होंगे, अपने निवासियों को सुरक्षित पानी और स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करने की मांग का सामना करने में असमर्थ हैं।

पानी के तनाव और कमी के संकेतक आम तौर पर किसी देश या क्षेत्र में पानी की उपलब्धता को प्रतिबिंबित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जब किसी देश या क्षेत्र में नवीकरणीय ताजे पानी की वार्षिक प्रति व्यक्ति 1,700 क्यूबिक मीटर से कम हो जाती है, तो इसे पानी के तनाव की स्थिति में रखा जाता है। यदि उपलब्धता 1,000 क्यूबिक मीटर से कम है, तो स्थिति को पानी की कमी के रूप में चिह्नित किया जाता है।

essay on water scarcity in hindi

और जब प्रति व्यक्ति उपलब्धता 500 क्यूबिक मीटर से कम हो जाती है, तो यह पूर्ण कमी (एंगेलमैन और रॉय, 1993) की स्थिति कहा जाता है। ये टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) द्वारा किए गए एक अध्ययन की निधि भी हैं। इस अवधारणा को मालिन फ़ॉकेंमार्क द्वारा इस आधार पर प्रतिपादित किया गया है कि 100 लीटर एक दिन (36.5 क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष) बुनियादी घरेलू आवश्यकताओं के लिए लगभग प्रति व्यक्ति न्यूनतम आवश्यकता है और अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए, लगभग 5 से 20 गुना राशि की आवश्यकता होती है।

स्वतंत्रता के समय, यानी, 1,947 में, भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 6,008 क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष थी। यह 1951 में एक साल में घटकर 5,177 क्यूबिक मीटर और 2001 में एक साल में 1,820 क्यूबिक मीटर पर आ गया। 10 वीं योजना के मध्यावधि मूल्यांकन (एमटीए) के अनुसार, 2025 में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1,340 क्यूबिक मीटर तक गिरने की संभावना है।

2001 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत की 77.9 प्रतिशत आबादी के पास सुरक्षित पेयजल है। 90.0 प्रतिशत पर, शहरी आबादी 73.2 प्रतिशत ग्रामीण आबादी से बेहतर थी। हालाँकि, ये आंकड़े भ्रामक हो सकते हैं और वास्तविक तस्वीर तभी सामने आती है जब हम अलग-अलग शहरों को देखते हैं।

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, कानपुर और मदुरै में 50 लाख घरों में पानी की कमी देखी गई है (तालिका 16.5 देखें)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) निर्दिष्ट करता है कि पानी की न्यूनतम आवश्यकता प्रति दिन 100-200 लीटर होनी चाहिए। यह औसत शहरी आंकड़ा, 90 लीटर से ऊपर का है।

तालिका 16.6 से पता चलता है कि कई शहरों विशेषकर दक्षिणी शहरों में पानी की सबसे अधिक कमी है। चेन्नई और बैंगलोर क्रमशः 53.8 और 39.5 प्रतिशत की कमी से पीड़ित हैं। आंध्र प्रदेश में भी चरम सीमा है: हैदराबाद में कमी 24.2 प्रतिशत, वैजाग में 91.8 प्रतिशत है। उत्तर में, दिल्ली में पानी की कमी 29.8 और लखनऊ में 27.3 प्रतिशत दर्ज की गई है।

मध्य भारत व्यापक क्षेत्रीय विविधताओं के साथ उत्तर की तुलना में अधिक पानी की कमी वाला है। उदाहरण के लिए, भोपाल में 26.4 प्रतिशत पानी की कमी है जबकि इंदौर और जबलपुर में क्रमशः 72.8 और 65.4 प्रतिशत की रिकॉर्ड दर है। पश्चिम में मुंबई, 43.3 प्रतिशत की कमी दर के साथ, इसी तरह कोलकाता में स्थित है, जो 44 प्रतिशत पर है।

शहरी भारत में लगभग 40 प्रतिशत पानी की माँग भूजल से पूरी होती है। इसलिए अधिकांश शहरों में भूजल तालिकाएं प्रति वर्ष 2-3 मीटर की खतरनाक दर से गिर रही हैं। एक अन्य कारक पानी का रिसाव है। दिल्ली अपने 83.0 किलोमीटर लंबे पाइपलाइन नेटवर्क में रिसाव के कारण कम से कम 30 प्रतिशत पानी खो देता है। मुंबई रिसाव के कारण अपना लगभग 20 प्रतिशत पानी खो देता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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जल पर निबंध 10 Lines (Essay On Water in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

essay on water scarcity in hindi

जल निबंध पर (Essay On Water in Hindi) – पानी, पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के अस्तित्व का कारण, ग्रह का 70% से अधिक हिस्सा है। जल वह जादुई तरल है, जो जानवरों, पौधों, पेड़ों, जीवाणुओं और विषाणुओं को जीवन प्रदान करता है। जल ही वह कारण है जिसके कारण पृथ्वी जीवन का समर्थन कर सकती है और अन्य ग्रह नहीं कर सकते।

मानव शरीर का 60% तक पानी से बना है। जबकि ग्रह पर पानी की बहुतायत है, मनुष्य और जानवरों द्वारा हर चीज का सेवन नहीं किया जा सकता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पृथ्वी पर केवल 3% पानी ही मीठा पानी है, जो पोर्टेबल और उपभोग करने के लिए सुरक्षित है।

जल निबंध पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on Water Essay in Hindi)

  • जल ही वह कारण है जिसके कारण जीवन अस्तित्व में है और पृथ्वी पर फलता-फूलता है
  • पृथ्वी की सतह का 70% हिस्सा पानी से बना है जिसमें से केवल 3% मीठा पानी मानव उपभोग के लिए है
  • पानी ग्रह पर जीवन के सभी रूपों का समर्थन करता है
  • मनुष्य पानी का उपयोग पीने, नहाने, कपड़े धोने, कृषि, उद्योगों और कारखानों में करता है
  • मानव शरीर का 60% से अधिक भाग पानी से बना है
  • जानवर पीने और नहाने के लिए पानी का उपयोग करते हैं
  • पौधे, पेड़ और अन्य विभिन्न जीव अपनी वृद्धि और अस्तित्व के लिए पानी का उपयोग करते हैं
  • यह भविष्यवाणी की जाती है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा यदि मनुष्य ने इसका विवेकपूर्ण उपयोग करना नहीं सीखा
  • मनुष्य को जिम्मेदारी से पानी का उपयोग करना सीखना होगा क्योंकि यह एक गैर-नवीकरणीय संसाधन है
  • सभी देशों की सरकारों को मिलकर नीतियां और कानून बनाने चाहिए जो लोगों को अनावश्यक रूप से पानी बर्बाद करने से रोकें

जल पर निबंध 100 शब्द (Essay on Water 100 words in Hindi)

पानी पृथ्वी पर हर जीवन रूप की मूलभूत आवश्यकता है। यह पानी ही है जो हमें इस ग्रह पर आरामदायक जीवन जीने में मदद करता है। हमारा शरीर 70% पानी से बना है, इसलिए पानी हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण यौगिक है। जल का उपयोग हम अनेक कार्यों में करते हैं। हमें पीने, खाना पकाने, नहाने और साफ-सफाई के लिए पानी की जरूरत होती है। जल के बिना, ग्रह पर जीवन असंभव होगा। जल पृथ्वी पर नदियों, महासागरों, समुद्रों, तालाबों, झीलों, नदियों और हिमनदों के रूप में पाया जाता है। जल की संरचना पूरी पृथ्वी पर एक समान रहती है।

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जल पर निबंध 150 शब्द (Essay on Water 150 words in Hindi)

जल निबंध पर (Essay On Water in Hindi) – पानी सभी जीवित रूपों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरल है। यह न केवल हमारी जीवन प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है बल्कि हमारे ग्रह के कामकाज के लिए भी आवश्यक है। पृथ्वी पर जल तीन अवस्थाओं में उपलब्ध है- ठोस, द्रव और गैसीय। सॉलिड-स्टेट में ग्लेशियर, स्नो कैप, आइस शीट और पोलर आइस रिजर्व शामिल हैं। तरल अवस्था में नदियाँ, समुद्र, झीलें, तालाब, नदियाँ, महासागर और गीज़र शामिल हैं। 

गैसीय अवस्था में वायुमंडल में पाए जाने वाले जलवाष्प शामिल हैं। जल चाहे किसी भी अवस्था में क्यों न हो, जल का संघटन सदैव एक समान रहता है। यह एक शक्तिशाली यौगिक है जो पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवन का पोषण करता है। पौधों को प्रकाश संश्लेषण और श्वसन के लिए पानी की आवश्यकता होती है। मनुष्यों को परिसंचरण, पाचन, श्वसन और उत्सर्जन जैसी कई अलग-अलग जीवन प्रक्रियाओं के लिए पानी की आवश्यकता होती है, पानी के बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव होगा। चूँकि यह इतना महत्वपूर्ण यौगिक है, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम इसे संरक्षित करें ताकि यह जल्द समाप्त न हो।

जल पर निबंध 200 शब्द (Essay on Water 200 words in Hindi)

पानी किसी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल हमारे अपने अस्तित्व के लिए बल्कि हमारे ग्रह के समुचित कार्य के लिए भी आवश्यक है। सभी फलों और सब्जियों में प्रचुर मात्रा में पानी होता है। स्वस्थ रहने के लिए भरपूर मात्रा में पानी की जरूरत होती है, यानी लगभग 3-4 लीटर पानी प्रतिदिन। मानव शरीर को पानी की आवश्यकता होती है, और इसकी कमी से बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अपर्याप्त पानी की खपत के कारण गुर्दे की पथरी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। पानी में चंगा करने की क्षमता है और जीवन के अस्तित्व के लिए जरूरी है। हमारा ग्रह ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां जीवन की कल्पना की जा सकती है क्योंकि पानी और जीवन के लिए अन्य सभी आवश्यक तत्व मौजूद हैं। मंगल, बुध और शुक्र जैसे ग्रह निर्जन हैं। पानी न होने के कारण वे एक उजाड़ रेगिस्तान के समान हैं। जल जीवन के लिए आवश्यक है, और यह पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी मदद करता है।

जल पर निबंध 250 शब्द (Essay on Water 250 words in Hindi)

जल निबंध पर (Essay On Water in Hindi) – पानी एक अनमोल संसाधन है। पानी की कमी मध्य पूर्व और यहां तक ​​कि भारत के कुछ हिस्सों में सबसे गंभीर मुद्दों में से एक है। पीने के पानी की किल्लत है। जल प्रदूषण ने पृथ्वी की सतह पर सुलभ पीने के पानी की मात्रा को कम कर दिया है, साथ ही पानी की गुणवत्ता को भी नुकसान पहुँचाया है। यह न केवल इंसानों बल्कि जानवरों, पक्षियों और पौधों को भी प्रभावित करता है।

जल की प्रासंगिकता को वर्तमान जल संकट के संदर्भ में देखा जा सकता है। सूखा उन दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियों में से एक है जो किसी स्थान पर हो सकती है। क्षेत्र की आर्थिक और वित्तीय स्थिति बुरी तरह प्रभावित होगी। दूसरी ओर, अत्यधिक बारिश लोगों, जानवरों और यहां तक ​​कि किसानों और निर्माताओं के लिए भी चिंता का विषय है। जल को वरदान माना जाता है, लेकिन यह अभिशाप भी हो सकता है।

इसलिए जल के महत्व को समझना जरूरी है। बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, जनसंख्या और वनों की कटाई के साथ, ताजा पानी प्रदूषित हो रहा है, और हमारे लिए उपलब्ध मात्रा कम हो रही है। अधिक जनसंख्या के कारण पानी का दुरूपयोग हो रहा है। पानी कई रूपों में दुनिया के प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाता है। पानी प्रकृति की सुंदरता को भी बिखेरता है।

जल पर निबंध 300 शब्द (Essay on Water 300 words in Hindi)

जल जीवन की सबसे मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है और इसके बिना जीवित रहना असंभव है। पृथ्वी पर मौजूद प्रत्येक जीव को अपने शरीर के समुचित कार्य के लिए पानी की आवश्यकता होती है। यह न केवल हमें जीवित रहने में मदद करता है बल्कि हमारे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पृथ्वी स्वयं 70% जल से बनी है, तथापि, सारा जल उपभोग के लिए सुरक्षित नहीं है। इसलिए, हमें इसके महत्व को समझने और इसका बुद्धिमानी से उपयोग करने की आवश्यकता है। जैसा कि हम दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पानी की कमी को देख सकते हैं, इसलिए समय आ गया है कि हम पानी का संरक्षण करना शुरू कर दें।

पानी के कई उपयोग हैं और यह कृषि में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है क्योंकि यह भारत का मुख्य व्यवसाय है। सिंचाई और मवेशियों को पालने की प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए, किसान पानी का अधिक उपयोग करते हैं और काफी हद तक इस पर निर्भर रहते हैं।

दूसरी ओर, उद्योगों को विभिन्न उद्देश्यों जैसे कुछ वस्तुओं को संसाधित करने, ठंडा करने और निर्माण के लिए पानी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, थर्मल पावर प्लांट बड़े पैमाने पर पानी का उपयोग करते हैं। इन सबके अतिरिक्त जल का उपयोग घरेलू कार्यों जैसे पीने, कपड़े धोने, साफ-सफाई, बागवानी आदि में भी किया जाता है। इस प्रकार हमें जीवन के कुछ मूलभूत कार्यों को चलाने के लिए जल की आवश्यकता होती है।

पौधों और जानवरों को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। पानी जीवन का एक अनिवार्य घटक है जो किसी को जीवित रहने और ठीक से काम करने में मदद करता है। हालाँकि, लोग पानी की कमी से अनभिज्ञ हैं और इस प्रकार इसके परिणामों के बारे में सोचे बिना इस प्राकृतिक संसाधन का दोहन करते रहते हैं।

इसलिए सरकार के साथ एकजुट होने और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी के संरक्षण के लिए उपचारात्मक उपाय करने और बहुत देर होने से पहले इसका बुद्धिमानी से उपयोग करने के लिए एक घंटे की आवश्यकता है। पानी बचाने के लिए सरकार द्वारा प्रदान किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए और जिनमें से एक वर्षा जल संचयन है- पानी बचाने और विभिन्न उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करने का एक शानदार तरीका।

जल पर निबंध 500 शब्द (Essay on Water 500 words in Hindi)

जल (रासायनिक सूत्र H2O) एक पारदर्शी रासायनिक पदार्थ है। यह हर जीवित प्राणी के लिए मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है चाहे वह पौधे हों या जानवर। जिस प्रकार पृथ्वी पर जीवन के समुचित विकास और विकास के लिए हवा, सूर्य का प्रकाश और भोजन, पानी की आवश्यकता होती है। हमारी प्यास बुझाने के अलावा, पानी का उपयोग कई अन्य गतिविधियों जैसे सफाई, कपड़े धोने और खाना पकाने के लिए किया जाता है।

पानी मुख्य रूप से अपने पांच गुणों के लिए जाना जाता है। यहाँ इन संपत्तियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है:

  • सामंजस्य और आसंजन

संसंजन, जिसे अन्य जल अणुओं के लिए जल के आकर्षण के रूप में भी जाना जाता है, जल के मुख्य गुणों में से एक है। यह पानी की ध्रुवता है जिसके कारण यह पानी के अन्य अणुओं की ओर आकर्षित होता है। पानी में मौजूद हाइड्रोजन बांड पानी के अणुओं को एक साथ बांधे रखते हैं।

आसंजन मूल रूप से विभिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच पानी का आकर्षण है। यह पदार्थ किसी भी अणु के साथ बंध जाता है जिसके साथ यह हाइड्रोजन बांड बना सकता है।

  • बर्फ का कम घनत्व

पानी के हाइड्रोजन बंध ठंडे होने पर बर्फ में बदल जाते हैं। हाइड्रोजन बांड स्थिर होते हैं और अपने क्रिस्टल जैसे आकार को बनाए रखते हैं। पानी का ठोस रूप जो बर्फ है तुलनात्मक रूप से कम घना होता है क्योंकि इसके हाइड्रोजन बांड बाहर की ओर होते हैं।

  • पानी की उच्च ध्रुवीयता

पानी में उच्च स्तर की ध्रुवीयता होती है। यह एक ध्रुवीय अणु के रूप में जाना जाता है। यह अन्य ध्रुवीय अणुओं और आयनों की ओर आकर्षित होता है। यह हाइड्रोजन बंध बना सकता है और इस प्रकार एक शक्तिशाली विलायक है।

  • जल की उच्च विशिष्ट ऊष्मा

पानी अपनी उच्च विशिष्ट ऊष्मा के कारण तापमान को मध्यम कर सकता है। जब गर्म होने की बात आती है तो इसमें काफी समय लगता है। गर्मी लागू नहीं होने पर यह लंबे समय तक अपना तापमान बनाए रखता है।

  • पानी की वाष्पीकरण की उच्च ऊष्मा

यह पानी का एक और गुण है जो इसे तापमान को सामान्य करने की क्षमता प्रदान करता है। जैसे ही पानी एक सतह से वाष्पित होता है, यह उसी पर शीतलन प्रभाव छोड़ता है।

पानी की बर्बादी से बचें

हमारे दैनिक जीवन में जिन गतिविधियों में हम शामिल होते हैं उनमें से अधिकांश के लिए पानी की आवश्यकता होती है। हमें इसका संरक्षण करना आवश्यक है अन्यथा आने वाले वर्षों में हमारा ग्रह ताजे पानी से रहित हो जाएगा। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे पानी को संरक्षित किया जा सकता है:

  • पानी की बर्बादी रोकने के लिए टपकते नलों को तुरंत ठीक करें।
  • नहाते समय शावर के प्रयोग से बचें।
  • अपने दांतों को ब्रश करते समय अपना नल बंद रखें। जरूरत पड़ने पर ही इसे चालू करें।
  • आधे कपड़े धोने के बजाय पूरे कपड़े धोएं। इससे न केवल पानी की बचत होगी बल्कि बिजली की भी काफी बचत होगी।
  • बर्तन धोते समय पानी को बहता हुआ न छोड़ें।
  • वर्षा जल संचयन प्रणाली का प्रयोग करें।
  • गटर की सफाई के लिए पानी की नली का उपयोग करने से बचें। आप इसके बजाय झाडू या अन्य तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं।
  • खाना बनाते और खाते समय सही आकार के बर्तनों और अन्य बर्तनों का उपयोग करें। अपनी आवश्यकता से बड़े का उपयोग करने से बचें।
  • स्प्रिंकलर के बजाय अपने पौधों को हाथ से पानी देने की कोशिश करें।
  • तालों को ढक दें ताकि वाष्पीकरण के कारण पानी की कमी से बचा जा सके।

हमें पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए और इसके संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए। हमें उन गतिविधियों और योजनाओं का अभ्यास और प्रचार करना चाहिए जो जीवित प्राणियों की वर्तमान और भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए जल संरक्षण और इसके स्रोतों की रक्षा करने में मदद करती हैं।

जल पर निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पृथ्वी की सतह का कितना भाग जल से बना है .

पृथ्वी की सतह का 70% से अधिक भाग पानी से बना है जिसमें से केवल 3% पीने योग्य मीठा पानी है

क्या पानी बनाया जा सकता है?

अभी तक, यह संभव नहीं है, लेकिन उचित रासायनिक उपचार के बाद पानी को रिसाइकल और पुन: उपयोग किया जा सकता है

जल के स्रोत क्या हैं?

नदियाँ, झीलें, ग्लेशियर और भूजल तालिका पृथ्वी पर पानी के कुछ स्रोत हैं

विश्व का सबसे बड़ा जल निकाय कौन सा है?

प्रशांत महासागर विश्व का सबसे बड़ा जल निकाय है। साथ ही, नील नदी दुनिया में ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत है।

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जल ही जीवन है ~ जल संकट का भावी भारत | Water Scarcity Issue In India - Essay In Hindi

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जल ही जीवन है ~ जल संकट का भावी भारत | Water Scarcity Issue In India - Essay In Hindi

जल संकट पर महापुरषों के अनमोल विचार

जल व उसका संरक्षण, जल की उपस्थिति, जल संकट की संभानाएं, जल संरक्षण के उपाय, categories:.

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अंकेश जी बहुत बढिया निबंध लिखा है आपने जल ही जीवन है

essay on water scarcity in hindi

श्री मान, प्रिय पाठक महोदय, आप की प्रतिक्रिया ने हमारे, हौसलों को एक नया आयाम देने की, सराहनीय कोशिश की, अधिक संबंधित जानकारी ग्रहण के लिए अपना प्यार सदा ऐसे ही लुटाते रहेगा, हम आप के सदा, आभारी रहेंगे। धन्यवाद सहित अंकेश धीमान

आपने बहुत अच्छा निबंध लिखा है, जिसको हर स्टूडेंट को पढना चाहिए और हमारे लोगो इस विषय में बात करनी चाहिए.

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राजस्थान में जल संकट पर निबंध | Essay On Water Crisis In Rajasthan In Hindi

Essay On Water Crisis In Rajasthan In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आज हम  राजस्थान में जल संकट पर निबंध आपके साथ साझा कर रहे हैं. आज राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर में जल संकट की खतरनाक स्थिति पैदा हुई हैं.

यहाँ हम 5,10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में  एस्से आपके साथ साझा कर रहे है जिन्हें कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए यह निबंध उपयोगी हैं.

राजस्थान में जल संकट पर निबंध | Essay On Water Crisis In Rajasthan In Hindi

Hello Friends We Welcome You In Short & Big Leanth Essay On Water Crisis In Rajasthan In Hindi For School Students And Kids Let’s Read This Essay.

प्रस्तावना – पंचभौतिक पदार्थो में पृथ्वी के बाद जल तत्व का महत्व सर्वाधिक माना गया है. मंगल आदि अन्य ग्रहों पर जल के अभाव से ही जीवन एवं वनस्पति का विकास नही हो पाया है.

ऐसा नवीनतम खोजों से स्पष्ट हो गया है. कि धरती पर ऐसे कई भू-भाग है, जहाँ जलाभाव से रेगिस्तान का प्रसार हो रहा है. तथा प्राणियों को कष्टमय जीवन यापन करना पड़ रहा है.

राजस्थान प्रदेश का अधिकतर भू भाग सदा से जल ग्रस्त रहता है. समय पर उचित अनुपात में वर्षा न होने से यह संकट और बढ़ जाता है.

जल संकट की स्थति – राजस्थान में प्राचीन काल से सरस्वती नदी प्रवाहित होती थी. जो अब धरती के गर्भ में विलुप्त हो चुकी है. यहाँ अन्य ऐसी कोई नदी नही बहती है जिससे जल संकट का निवारण हो सके. चम्बल एवं माही आदि नदियाँ राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी कुछ ही भाग को हरा-भरा रखती है.

इसकी पश्चिमोउत्तर भूमि एकदम से निर्जल है. इसी कारण यहाँ पर रेगिस्तान का उतरोतर विकास हो रहा है. भूगर्भ में जो जल है, वह काफी नीचे है, खारा एवं दूषित है.

पंजाब से श्रीगंगानगर जिले से होते हुए इंदिरा गांधी नहर से जो जल राजस्थान के पश्चिमोतर भाग में पहुचाया जा रहा है उसकी स्थति भी सन्तोषप्रद नही है.

पूर्वोत्तर राजस्थान में हरियाणा से जो जल मिलता है, वह भी जलापूर्ति नही कर पाता है. इस कारण राजस्थान में जल संकट की स्थति सदा ही बनी रहती है.

राजस्थान में जल संकट के कारण (The water crisis in Rajasthan)

पहले से ही राजस्थान में मरुस्थलीय भूभाग होने से जल का संकट है. फिर लगातार प्रदेश की आबादी बढ़ रही है और औद्योगिक विकास भी तीव्र गति से हो रहा है.

यहाँ के शहरों में बड़ी बड़ी औद्योगिक इकाईयों में भूगर्भीय जल का दोहन बड़ी मात्रा में हो रहा है. खनिज संपदा तथा संगमरमर, ग्रेनाईट, इमारती पत्थर, चूना पत्थर आदि के विदोहन से धरती का जल स्तर गिरता जा रहा है.

दूसरी ओर वर्षाकाल में सारा पानी बाढ़ के रूप में बह जाता है शहरों में कंक्रीट डामर आदि के निर्माण कार्यो से वर्षा का जल जमीन के अंदर नही जा पाता है. इस कारण पातालतोड़ कुँए भी सूख गये है. यहाँ भूगर्भीय जल के विदोहन की यही स्थति अनियंत्रित है.

पुराने कुँए बावड़ी आदि की अनदेखी करने से भी जल स्त्रोत सूख गये है. पिछले कुछ वर्षो से राजस्थान में वर्षा भी अत्यल्प मात्रा में हो रही है. इस कारण बाँधो, झीलों, तालाबों-पोखरों और छोटी कुइयों में भी पानी समाप्त हो गया है. इन सब कारणों से यहाँ पर जल संकट गहराता जा रहा है.

जल संकट के समाधान हेतु सुझाव (water crisis and its solution)

राजस्थान में बढ़ते हुए जल संकट के लिए निम्न उपाय किये जा सकते है-

  • भूगर्भ के जल का असीमित विदोहन रोका जावे.
  • खनिज सम्पदा के विदोहन को नियंत्रित किया जावे.
  • शहरों में वर्षा जल के जल को जमीन में डालने की व्यवस्था की जाए.
  • बाँधो एवं एनिकटों का निर्माण, कुओं एवं बावड़ियो को अधिक गहरा एवं कच्चे तालाबों पोखरों को अधिक गहरा और चौड़ा बनाया जाए.
  • पंजाब हरियाणा और गुजरात में बहने वाली नदियों का जल राजस्थान में लाने का प्रयास किया जावे/

ऐसे उपाय करने से निश्चित ही राजस्थान में जल संकट का निवारण हो सकता है.

‘रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून’ अर्थात पानी के बिना जन जीवन अनेक आशंकाओं से घिरा रहता है. सरकार को तथा समाज सेवी संस्थाओं को विविध स्रोतों से सहायता लेकर राजस्थान में जल संकट के निवारणार्थ प्रयास करने चाहिए. ऐसा करने से ही यहाँ की धरा मंगलमयी बन सकती है.

प्रस्तावना- रहीम कहते है

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून पानी गये न उबरे, मोती मानुस चुन

अर्थात पानी मनुष्य के जीवन का स्रोत है. इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं हो सकती हैं. सभी प्राकृतिक वस्तुओं में जल महत्वपूर्ण हैं.

राजस्थान का अधिकांश भाग मरुस्थल है. जहाँ जल नाम मात्र को भी नहीं हैं. इस कारण यहाँ के निवासियों का कष्टप्रद जीवन यापन करना पड़ता हैं.

वर्षा के न होने पर यहाँ भीषण अकाल पड़ता है. और जीवन लगभग दूभर हो जाता है. वर्षा को आकर्षित करने वाली वृक्षावली का अभाव हैं. जो थोड़ी बहुत उपलब्ध हैं. उसकी अंधाधुंध कटाई हो रही है. अतः राजस्थान का जल संकट दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा हैं.

जल संकट के कारण- राजस्थान के पूर्वी भाग में चम्बल, दक्षिणी भाग में माही के अतिरिक्त कोई विशेष जल स्रोत नहीं हैं. जो जल सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा कर सके.

पश्चिमी भाग तो पूरा रेतीले टीलों से भरा हुआ निर्जल प्रदेश है, जहाँ केवल एकमात्र इंदिरा गांधी नहर ही आश्रय हैं. राजस्थान में जल संकट के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं.

  • भूगर्भ के जल का तीव्र गति से दोहन हो रहा हैं.
  • पेयजल के स्रोतो का सिंचाई में प्रयोग होने से जल संकट गहरा रहा हैं.
  • उद्योगों में जलापूर्ति भी आम लोगों को संकट में डाल रही हैं.
  • पंजाब, हरियाणा आदि पड़ौसी राज्यों का असहयोगात्मक रवैया भी जल संकट का एक प्रमुख कारण हैं.
  • राजस्थान की प्राकृतिक संरचना ऐसी है कि वर्षा की कमी ही रहती हैं.

निवारण हेतु उपाय – राजस्थान में जल संकट के निवारण हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास होने चाहिए अन्यथा यहाँ घोर संकट उपस्थित हो सकता हैं. कुछ प्रमुख सुझाव इस प्रकार हैं.

  • भूगर्भ के जल का असीमित दोहन रोका जाए.
  • पेयजल के जो स्रोत है उनका सिंचाई हेतु उपयोग न किया जाए.
  • वर्षा के जल को रोकने के लिए छोटे बांधों का उपयोग किया जावे.
  • पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश की सरकारों से मित्रतापूर्वक व्यवहार रखकर आवश्यक मात्रा में जल प्राप्त किया जाए.
  • गाँवों में तालाब पोखर, कुआँ आदि को विकसित कर बढ़ावा दिया जाए.
  • मरुस्थल में वृक्षारोपण पर विशेष ध्यान दिया जाए.
  • खनन कार्य के कारण भी जल स्तर गिर रहा हैं अतः इस ओर भी ध्यान अपेक्षित हैं.
  • पहाड़ों पर वृक्ष उगाकर तथा स्थान स्थान पर एनिकट बनाकर वर्षा जल को रोकने के प्रयास करने चाहिए.
  • हर खेत में गड्डे बनाकर भूगर्भ का जलभरण किया जाना चाहिए ताकि भू गर्भ जल का पेयजल और सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सके.

उपसंहार- अपनी प्राकृतिक संरचना के कारण राजस्थान सदैव ही जलाभाव से पीड़ित रहा हैं. किन्तु मानवीय प्रमाद ने इस संकट को और अधिक भयावह बना दिया हैं.

पिछले दिनों राजस्थान में आई अभूतपूर्व बाढ़ ने जल प्रबन्धन विशेषयज्ञों को असमंजस में डाल दिया हैं. यदि वह बाढ़ केवल एक अपवाद बनकर रह जाती है तो ठीक है लेकिन इसकी पुनरावृत्ति होती है तो जल प्रबंधन पर नयें सिरे से विचार करना होगा.

प्रस्तावना – इस दृष्टि में पृथ्वी के बाद जल तत्व का महत्व सर्वाधिक माना जाता हैं. मंगल आदि अन्य ग्रहों में जल के अभाव से ही जीवन एवं वनस्पतियों का विकास नहीं हो पाया हैं. ऐसा नवीनतम खोजों से स्पष्ट हो गया हैं.

धरती पर ऐसे कई भूभाग हैं जहाँ जलाभाव से रेगिस्तान का प्रसार हो रहा हैं. तथा प्राणियों को कष्टमय जीवन यापन करना पड़ता हैं. राजस्थान प्रदेश का अधिकतर भूभाग जल संकट से सदा ग्रस्त रहा हैं. मौसमी वर्षा न होने पर यह संकट और भी बढ़ रहा हैं.

जल संकट की स्थिति – राजस्थान में प्राचीनकाल में सरस्वती नदी प्रवाहित होती थी, जो अब धरती के गर्भ में विलुप्त हो गई. यहाँ पर अन्य कोई ऐसी नदी नहीं बहती हैं, जिससे जल संकट का निवारण हो सके. चम्बल एवं माही आदि नदियाँ राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी भूभाग को ही हरा भरा रखती हैं.

इसकी पश्चिमोत्तर भूमि तो एकदम निर्जल है. इसी कारण यहाँ पर रेगिस्तान का उत्तरोतर विस्तार हो रहा हैं. भूगर्भ में जो जल हैं वो काफी नीचे हैं.

पंजाब से श्रीगंगानगर जिले में से होकर इंदिरा गांधी नहर द्वारा जो जल राजस्थान के पश्चिमोत्तर भाग में पहुचाया जा रहा हैं. उसकी स्थिति भी संतोषप्रद नहीं हैं. इस कारण यहाँ जल संकट की स्थिति सदा ही बनी रहती हैं.

जल संकट के कारण- राजस्थान में पहले ही शुष्क मरुस्थलीय भू भाग होने से जलाभाव हैं. फिर उत्तरोतर आबादी बढ़ रही हैं. और औद्योगिक गति भी बढ़ रही हैं. यहाँ शहरों एवं औद्योगिक इकाइयों में भूगर्भीय जल का दोहन बड़ी मात्रा में हो रहा हैं.

टर्टल‘ फिल्म में राजस्थान का जल संकट

अशोक चौधरी द्वारा राजस्थानी भाषा में बनाई गई टर्टल फिल्म को नेशनल अवार्ड मिला हैं. राजस्थान के जल संकट की वास्तविक स्थिति का इसमें काल्पनिक रूपांतरण किया गया हैं.

फिल्म में जल की समस्या को विस्तृत रूप से दृशाया गया है फिल्म जल संकट के चलते तीसरे विश्व युद्ध की ओर ईशारा कर रही हैं.

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जल का महत्व पर निबंध (Importance of Water Essay in Hindi)

हमारे शरीर का संघटन सत्तर प्रतिशत जल से बना है। केवल हमारा शरीर ही नहीं, अपितु हमारी पृथ्वी भी दो-तिहाई जल से आच्छादित है। जल, वायु और भोजन हमारे जीवन रुपी इंजन के इंधन है। एक के भी न रहने पर जीवन संकट में पड़ सकता है। “जल ही जीवन है” यूं ही नहीं कहा जाता है।

जल के महत्व पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Importance of Water in Hindi, Jal ka Mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द) – पानी का महत्व.

जल से ही जीवन का आरम्भ हुआ। जल ही जीवन का आधार है। मानव शरीर का 70% भाग जल से निर्मित है। पीने के अलावा, कई उद्देश्यों के लिए दैनिक जीवन में जलका उपयोग किया जाता है। दुनिया में सभीजीवों लिएजल की आवश्यकता होती है।

जल का उपयोग

दुनिया के हर जीव को जीने के लिए जल की आवश्यकता होती है। छोटे कीड़े से लेकर ब्लू व्हेल तक, पृथ्वी पर हर जीवन पानी की उपस्थिति के कारण मौजूद है। पौधे को बढ़ने और ताजा रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। छोटी मछली से लेकर व्हेलमछली तक को पानी की आवश्यकता होती है, क्योंकि उसी से उनका अस्तित्व रहता है।

जल की शुद्धता और गुणवत्ता

वर्तमान समय में जल की गुणवत्ता को लेकर लोग सजग हो रहे है।  लोग सरकार द्वारा प्रमाणित कंपनियों से ही पैक्ड वाटर खरीदते है।कई कंपनियां जल में मैग्नीशियम, मिनरल्स, आदि उपयोगी तत्वों को मिलाने का दावा करती है।सरकार के साथ ही साथ हमें भी जल की शुद्धता को लेकर सजग रहने की आवश्यकता है।

जल का संरक्षण

हमें जल को व्यर्थ नहीं करना चाहिए। अगर आवश्यकता न हो तो जल का प्रयोग न करे।  हम कई बार स्नान करने के लिए  जल का अतिरिक्त उपयोग करते है , कई बार हम नल का टैप खुला छोड़ देते है। अगर हम ऐसे ही जल का दुरुप्रयोग करते रहेंगे , तो एक दिन हम अपने अस्तित्व को ही खतरे में डाल देंगे।

जल से ही समस्त संसार का जीवन है।हमें अपने स्वार्थ के लिए जल का प्रयोग न करके , भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए। हमें पानी बचाने के लिए संरक्षण कार्यक्रम करने की आवश्यकता है।

निबंध 2 (300 शब्द) – जल का संघटन

पानी सबसे महत्वपूर्ण पदार्थों में से एक है जो पौधों और जानवरों के लिए आवश्यक हैं। हम पानी के बिना अपने दैनिक जीवन का नेतृत्व नहीं कर सकते। पानी हमारे शरीर के आधे से अधिक वजन को बनाता है। पानी के बिना, दुनिया के सभी जीव मर सकते हैं। पानी केवल पीने के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन के उद्देश्यों जैसे स्नान, खाना पकाने, सफाई और कपड़े धोने आदि के लिए भी आवश्यक है।

जल का संघटन

जल हाइड्रोजन के दो और ऑक्सीजन के एक परमाणु से मिल कर बनता है। इसका रासायनिक सूत्र H 2 O होता है। जल की तीन अवस्थाएं होती है- ठोस, द्रव और गैस। पृथ्वी के लगभग 70 प्रतिशत भाग पर जल विद्यमान है। परंतु इसका 97 प्रतिशत हिस्सा खारा है, जिसे किसी भी प्रयोग में नहीं लाया जा सकता। यह महासागरों, सागरों के रुप में वितरित है।

जल एक रासायनिक पदार्थ होता है। यह रंगहीन, गंधहीन होता है। इसका अपना कोई रंग नहीं होता, जिसमें घोला जाय, उसी का रंग ले लेता है।

जल का क्वथनांक (Boiling point) 100 0 C होता है। जल का पृष्ठ तनाव (Surface Tension) उच्च होता है, क्योंकि उनके अणुओं के बीच होने वाली अंतःक्रिया कमजोर होती है।

जल की प्रकृति ध्रुवीय होती है, इस कारण इसमें ऊंचा आसंजक गुण होता है।

जल बहुत अच्छा विलायक (Solvent) होता है, जो पदार्थ अच्छी तरह से पानी में घुल जाते हैं, उनको हाइड्रोफिलिक की संज्ञा दी जाती है। जैसे नमक, चीनी, अम्ल, क्षार आदि। कुछ पदार्थ पानी में घुलनशील नहीं होते, जैसे तेल और वसा।

हम पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। पीने और घरेलू उद्देश्यों के अलावा, पानी हमारी दुनिया के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। हमारी अच्छाई और आने वाले भविष्य के लिए जल का संरक्षण महत्वपूर्ण है। हमें पानी बचाने के लिए पहल करने की जरूरत है चाहे कमी हो या न हो।

निबंध 3 (500 शब्द) – जल ही जीवन है

पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवन रूपों के कामकाज के लिए पानी बुनियादी आवश्यकता है। यह कहना सुरक्षित है कि जीवन का समर्थन करने के लिए पानी पृथ्वी का एकमात्र ग्रह है। यह सार्वभौमिक जीवन तत्व इस ग्रह पर हमारे पास मौजूद प्रमुख संसाधनों में से एक है। पानी के बिना जीवन चलाना असंभव है। आखिरकार, यह पृथ्वी का लगभग 70% हिस्सा बनाता है।

Essay on Importance of Water in Hindi

‘जल ही जीवन है’

यदि हम अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बात करते हैं, तो पानी हमारे अस्तित्व की नींव है। मानव शरीर को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। हम पूरे एक सप्ताह तक बिना किसी भोजन के जीवित रह सकते हैं, लेकिन पानी के बिना, हम 3 दिनों तक भी जीवित नहीं रह सकते हैं। इसके अलावा, हमारे शरीर में ही 70% पानी शामिल है। बदले में यह हमारे शरीर को सामान्य रूप से कार्य करने में मदद करता है।

इस प्रकार, पर्याप्त पानी की कमी या दूषित पानी की खपत मनुष्यों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है। इसलिए, पानी की मात्रा और गुणवत्ता जो हम उपभोग करते हैं वह हमारे शारीरिक स्वास्थ्य और तंदरुस्ती के लिए आवश्यक है।

इसके अलावा, हमारी दैनिक गतिविधियाँ पानी के बिना अधूरी हैं। चाहे हम सुबह उठकर ब्रश करने ,नहाने या अपने भोजन को पकाने की बात करें, यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है। पानी का यह घरेलू उपयोग हमें इस पारदर्शी रसायन पर बहुत निर्भर करता है।

इसके अलावा, बड़े पैमाने पर, उद्योग बहुत सारे पानी का उपभोग करते हैं। उन्हें अपनी प्रक्रिया के लगभग हर चरण के लिए पानी की आवश्यकता होती है। यह हमारे द्वारा प्रतिदिन उपयोग किए जाने वाले सामानों के उत्पादन के लिए भी आवश्यक है।

यदि हम मानव उपयोग से परे देखते हैं, तो हम महसूस करेंगे कि पानी हर जीवित प्राणी के जीवन में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। यह जलीय जंतुओं का घर है। एक छोटे कीड़े से एक विशाल व्हेल तक, प्रत्येक जीव को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है।

इसलिए, हम देखते हैं कि न केवल इंसानों को बल्कि पौधों और जानवरों को भी पानी की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा, जलीय जानवरों का घर उनसे छीन लिया जाएगा। इसका मतलब है कि हमें देखने के लिए कोई मछलियां और व्हेल नहीं होंगी। सबसे महत्वपूर्ण बात, अगर हम अभी पानी का संरक्षण नहीं करेंगे तो जीवों के सभी रूप विलुप्त हो जाएंगे।

हालांकि, इसकी विशाल बहुतायत के बावजूद, पानी बहुत सीमित है। यह एक गैर-नवीकरणीय संसाधन है। इसके अलावा, हमें इस तथ्य को महसूस करने की जरुरत है कि पानी की बहुतायत है, लेकिन यह सभी उपभोग करने के लिए सुरक्षित नहीं है। हम दैनिक आधार पर पानी से बहुत कुछ कार्य करते हैं। संक्षेप में, पानी के अनावश्यक उपयोग को एक बार में रोक दिया जाना चाहिए। हर एक व्यक्ति को पानी के संरक्षण और संतुलन को बहाल करने के लिए काम करना चाहिए। यदि नहीं, तो हम सभी जानते हैं कि परिणाम क्या हो सकते हैं।

FAQs: Frequently Asked Questions on Importance of Water (जल का महत्व पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- सात दिनो तक

उत्तर- कंगारू

उत्तर- मात्र 3% पानी ही पीने योग्य है।

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राजस्थान में जल संकट पर निबंध – Water Scarcity In Rajasthan Essay In Hindi

Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान में रखते हुए hindilearning.in में आपको विस्तार से राजस्थान में जल संकट पर निबंध को बताया गया है |

Table of Contents

राजस्थान में जल संकट पर निबंध – Essay On Water Scarcity In Rajasthan In Hindi

  • प्रस्तावना,
  • जल–संकट के कारण,
  • निवारण हेतु उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

राजस्थान में जल संकट पर निबंध – Rajasthan Mein Jal Sankat Par Nibandh

प्रस्तावना– रहीम ने कहा है–

‘रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरै, मोती, मानुस, चून।।

अर्थात् पानी मनुष्य के जीवन का स्रोत है। इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं हो सकती। सभी प्राकृतिक वस्तुओं में जल महत्वपूर्ण है। राजस्थान का अधिकांश भाग मरुस्थल है, जहाँ जल नाम–मात्र को भी नहीं है। इस कारण यहाँ के निवासियों को कष्टप्रद जीवन–यापन करना पड़ता है। वर्षा के न होने पर तो यहाँ भीषण अकाल पड़ता है और जीवन लगभग दूभर हो जाता है। वर्षा को आकर्षित करने वाली वृक्षावली का अभाव है। जो थोड़ी–बहुत उपलब्ध है उसकी अन्धाधुन्ध कटाई हो रही है। अतः राजस्थान का जल–संकट दिन–प्रतिदिन गहराता जा रहा है।

जल–संकट के कारण–राजस्थान के पूर्वी भाग में चम्बल, दक्षिणी भाग में माही के अतिरिक्त कोई विशेष जल स्रोत नहीं हैं, जो आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। पश्चिमी भाग तो पूरा रेतीले टीलों से भरा हुआ निर्जल प्रदेश है, जहाँ केवल इन्दिरा गांधी नहर ही एकमात्र आश्रय है। राजस्थान में जल संकट के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-

  • भूगर्भ के जल का तीव्र गति से दोहन हो रहा है।
  • पेयजल के स्रोतों का सिंचाई में प्रयोग होने से संकट गहरा रहा है।
  • उद्योगों में जलापूर्ति भी आम लोगों को संकट में डाल रही है।
  • पंजाब, हरियाणा आदि पड़ोसी राज्यों का असहयोगात्मक रवैया भी जल–संकट का प्रमुख कारण है।
  • राजस्थान की प्राकृतिक संरचना ही ऐसी है कि वर्षा की कमी रहती है।

निवारण हेतु उपाय– राजस्थान में जल–संकट के निवारण हेतु युद्ध–स्तर पर प्रयास होने चाहिए अन्यथा यहाँ घोर संकट उपस्थित हो सकता है। कुछ प्रमुख सुझाव इस प्रकार हैं

  • भू–गर्भ के जल का असीमित दोहन रोका जाना चाहिए।
  • पेयजल के जो स्रोत हैं, उनका सिंचाई हेतु उपयोग न किया जाये।
  • वर्षा के जल को रोकने हेतु छोटे बाँधों का निर्माण किया जाये।
  • पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश की सरकारों से मित्रतापूर्वक व्यवहार रखकर आवश्यक मात्रा में जल प्राप्त किया जाये।
  • गाँवों में तालाब, पोखर, कुआँ आदि को विकसित कर बढ़ावा दिया जाये।
  • मरुस्थल में वृक्षारोपण पर विशेष ध्यान दिया जाये।
  • खनन–कार्य के कारण भी जल–स्तर गिर रहा है, अतः इस ओर भी ध्यान अपेक्षित है।
  • पहाड़ों पर वृक्ष उगाकर तथा स्थान–स्थान पर एनीकट बनाकर वर्षा–जल को रोकने के उपाय करने चाहिए।
  • हर खेत पर गड्ढे बनाकर भू–गर्भ जल का पुनर्भरण किया जाना चाहिए ताकि भू–गर्भ जल का पेयजल और सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सके।

उपसंहार– अपनी प्राकृतिक संरचना के कारण राजस्थान सदैव ही जलाभाव से पीड़ित रहा है। किन्तु मानवीय प्रमाद ने इस संकट को और अधिक भयावह बना दिया है। पिछले वर्षों में राजस्थान में आई अभूतपूर्व बाढ़ ने जल–प्रबन्धन के विशेषज्ञों को असमंजस में डाल दिया है। यदि वह बाढ़ केवल एक अपवाद बनकर रह जाती है तो ठीक है; लेकिन यदि इसकी पुनरावृत्ति होती है तो जल–प्रबन्धन पर नये सिरे से विचार करना होगा।

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Water Scarcity Essay for Students and Children

500+ words essay on water scarcity essay.

Water is the basic necessity of every human being. But, water scarcity is a major issue that is rising very rapidly in modern-day India. The problem has become so severe that in many states the groundwater has almost dried up and people have to depend on water supply from other sources. In addition, water is one of the most misused commodities that we still waste. It is the central point of our lives but not the central point of our focus.

Water Scarcity Essay

In the past, people understand the value of water and plan their lives around it. Moreover, many civilizations bloom and lost on account of water. But, today we have knowledge but we still fail to understand the value of water.

Reason for Water Scarcity in India

Water scarcity is the cause of mismanagement and excess population growth of the water resources. Also, it is a man-made issue that continues to rise. Besides, some of the reasons for water scarcity are:

Wasteful use of water for Agriculture- India is one of the major food growers in the world. That produces tons of quantity of food to feed its population and export the surplus that is left.

In addition, producing this much food requires a lot of water too. The traditional method of irrigation wastes a lot of water due to evaporation, water conveyance, drainage, percolation, and the overuse of groundwater. Besides, most of the areas in India use traditional irrigation techniques that stress the availability of water.

But, the solution to this problem lies in the extensive irrigation techniques such as micro-irrigation in which we provide water to plants and crops using a sprinkler or drip irrigation.

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Reduction in water recharge systems- Due to rapid construction that uses concrete and marbles do not let the rainwater to get absorbed in the soil. But, if we install some mechanism in our houses that can hold the rainwater then we can recharge the groundwater .

Lack of water management and distribution- There is a need for an efficient system that can manage and distribute the water in urban areas. Also, the government needs to enhance its technology and investment in water treatment. Besides, we should ensure optimization at the planning level.

Solutions to Overcome this Problem

Water-free urinal- Urinal waste around 6 liters of water per flush that add up to 25 thousand liters per year. If a male member of the house stops using the flush then they can save lots of water.

Close the running tap- During dishwashing and hand washing people often let the tap running. These running taps waste thousands of liters of water per year. Besides, closing the tap will reduce this problem.

Replace dripping taps- In India it is commonly seen that most of the houses have one or two taps that drop water even when they are close. This running tap wastes up to 30,000 liters of water that nobody bothers to change. So, we should replace these taps immediately.

To conclude, water scarcity has become a more dangerous problem day by day. Also, due to our leniency that we haven’t taken the problem water scarcity seriously. But, now the authorities and people are working to resolve this problem so that our future generations do not have to buy this necessity.

FAQs about Water Scarcity Essay

Q.1 What is the effect of water scarcity? A.1 In a broad way, the problem of water scarcity can be categorized into four areas- health, education, hunger, and poverty.

Q.2 Name three major causes of water scarcity? A.2 The three major causes of water scarcity are Increase in demand, government interference, and a decrease in supply.

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  • Water Scarcity Essay

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Essay on Water Scarcity

Water is the basic necessity of every human being, but water scarcity is a major issue that is rising very rapidly in India nowadays. The problem has become so severe that in many states the groundwater has almost dried up and people have to depend on water supply from other sources. In addition, water is one of the most misused natural resources that we still waste. It is the central point of our lives but unfortunately, not our priority concern. 

Earlier, people understood the value of water and planned their lives around it. Moreover, many civilizations were born and lost around water, but today, in spite of having knowledge, we still fail to understand the value of water in our lives. 

Reasons for Water Scarcity

Mismanagement of water and the growing population in our country are the two main reasons for water scarcity. There are also a number of other man made disturbances that continue to rise. Besides this, some of the reasons for water scarcity are:  

Wasteful Use of Water for Agriculture  

India, an agricultural country, produces a huge quantity of food to feed its population. The surplus that is left, gets exported outside. 

It is not unknown that producing this much food requires a lot of water too. The traditional method of irrigation wastes a lot of water due to evaporation, water conveyance, drainage, percolation, and the overuse of groundwater. Besides, most of the areas in India use traditional irrigation techniques that stress the availability of water.

However, the technique of irrigation has changed during modern times and we provide water to plants using a sprinkler or drip irrigation.

Reduction in Water Recharges Systems  

Rapid construction that uses concrete and marbles may not let the rainwater get absorbed in the soil, but still, we install some mechanism in our houses so that we can hold the rainwater. Then we can recharge the groundwater.

Lack of Water Management and Distribution

There is a need for an efficient system to manage and distribute the water in urban areas. The Indian government also needs to enhance its technology and investment in water treatment. Besides, we should ensure optimization at the planning level.

Solutions to Overcome this Problem

Close the running tap.

 During dishwashing and hand washing people often let the tap run. These running taps waste thousands of liters of water per year. Therefore, closing the tap will reduce this problem.

Replace Dripping Taps  

In India, it is commonly seen that most of the houses have taps or faucets that go on dripping water even when they are closed. This running tap wastes up to 30,000 liters of water that nobody bothers to change. So, we should replace these taps immediately.

Brief on Water Scarcity  

Water is a basic necessity for every living being.  Life without water is impossible, not just for us humans, but for all plants and animals too. Water scarcity is an issue of grave concern these days as water scarcity has become very common. Water is one of the most wasted natural resources and corrective measures should be taken before the water scarcity situation becomes worse. In spite of being aware of the implications, not much is being done today. 

In India, and across the world, it has been recorded that about half a billion people face a shortage of water for about six months annually. Many well-known cities around the world are facing acute scarcity of water. Many facts and figures are available to know about the water scarcity problem, but what are the reasons for this scarcity? 

With the growing population, the use of water has increased manifold. The lack of more freshwater sources and the increase in population is a major reason for this scarcity. The lack of proper Water management systems and proper drainage systems in India, especially in the urban areas is a major cause too. Kitchen wastewater should be able to be recycled but due to a poor drainage system, this is not possible. An efficient water management system is required in order to distribute water in urban areas.

Another major issue is Deforestation. Areas with more greenery and plants are known to have good rainfall.  Industrialisation and urbanization are two major factors here. Due to Deforestation, and cutting down of trees, rainfall has become an issue too.

Rivers are a major source of fresh water in India. Today we see a lot of industries that have come up and all of them are mostly near the rivers and these rivers become highly polluted as a result of all the industrial waste.

Effect of Global Warming and Climate Change

Global Warming and Climate Change are also responsible for the scarcity of water. The melting of icebergs into the sea due to the rise in temperatures is a reason as to how salty water is increasing day by day instead of freshwater. The percentage of rainfall has decreased drastically these days. Climate change along with the decrease in rainfall percentage has greatly affected freshwater bodies. 

Water scarcity has become a major problem and an alarming issue these days, and we must consciously strive to work together to find some solution to this issue of water scarcity. The Indian government today has formulated and come up with many plans on how to tackle and solve this problem.

To conclude, water scarcity has become an alarming issue day by day. If we do not take the problem of water scarcity seriously now, our future generations are going to suffer severely and may even have to buy this necessity at a high cost.

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FAQs on Water Scarcity Essay

1.  What are the reasons for Water Scarcity?

The lack of proper Water Management and proper Drainage system plays a major role. Many other factors and reasons can be held responsible for the scarcity of water. Some of the major reasons are Global Warming and Climate Change; Pollution of the rivers due to industrialization; Deforestation and the cutting down of trees is another reason; Reduced percentage of rainfall due to the climate change pattern; Increase in the population which leads to increase in the use of water.  Learn more about water scarcity on Vedantu website helpful for long-term.

2. What is meant by the scarcity of water?

The scarcity of water means a shortage of water and not being able to manage the demand and supply of water. Water scarcity refers to the lack of freshwater bodies to meet the standard quantity and demand of water. Unequal distribution of water due to factors like Climate Change and Global Warming. Water Scarcity is also due to pollution and lack of rainfall. Water scarcity means a scarcity due to some physical scarcity or scarcity due to the lack of regular supply.

3. What are the two types of water scarcity?

Physical water scarcity is the result of regions' demand outpacing the limited water resources found in that location. According to the Food and Agricultural Organization (FAO) of the United Nations, about 1.2 billion people live in areas of physical scarcity and many of these people live in arid or semi-arid regions. People who are affected by this Physical kind of water scarcity are expected to grow as the population increases and as the weather patterns keep changing as a result of climate change.

Economic water scarcity is due to the lack of proper water infrastructure and a proper water management system or also because of poor management of water resources. The FAO estimates that more than 1.6 billion people face economic water shortages today. Economic water scarcity can also take place because of the unregulated use of water for agriculture and industry.

4.  How can we solve the problem?

Conscious awareness is required to deal with and understand the problem of water scarcity. We can start off by consciously saving water in our homes and surroundings.  Small easy steps like taking care when washing hands, or when working in the kitchen, have to be taken. The running water taps are a major reason for losing hundreds of liters of water on a daily basis. And we should be careful not to waste this water. Conscious decision to save and the need to understand the problem of water scarcity is of utmost importance.

5. How do we waste water?

Water is wasted in ways we do not even realize, in our homes and in our workplaces. When we brush our teeth, when we shave or when we wash the dishes, one of the most common things we do is to keep the water running, especially when running water is available. As soon as we begin cleaning or washing, we do not think of the water that is being wasted. While washing hands, we leave the water tap on, which results in wasting water too. Small things like these should be kept in mind and this could be our small step towards preserving water.

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घटता पानी बढ़ता संकट

essay on water scarcity in hindi

अथाह और अपार जलनिधि के स्वामी सागर के तट पर बसा चेन्नई शहर आज बूंद-बूंद पानी को तरस रहा है। 90,00,000 की आबादी वाले, देश के पाँच विशालतम महानगरों में से एक चेन्नई में भूजल तथा झीलों के सभी स्रोत सूख चुके हैं। विगत 30 वर्ष में सर्वाधिक भयानक जल संकट से जूझ रहे इस शहर के बच्चों के स्कूल बैग में किताबों से ज्यादा पानी की बोतलों का बोझ बढ़ गया है। अधिक पानी का उपयोग करने वाले व्यवसाय बंद होने के कगार पर हैं। सरकारी और निजी संस्थानों के कर्मचारियों से अपना पीने का पानी अपने साथ लाने को कहा जा रहा है। घरेलू पानी आपूर्ति के साधन नलों में आपूर्ति 10 प्रतिशत से कम है तथा जिन 4 जलाशयों से शहर को पानी की आपूर्ति होती थी, उनमें बमुश्किल एक प्रतिशत पानी ही बचा है। एक जगह पानी के झगड़े के कारण एक महिला को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

नीति आयोग की 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत विश्व में सर्वाधिक भूजल उपयोग करने वाला देश है, जबकि चीन और अमरीका तक में भारत से कम भूजल का उपयोग किया जाता है। भारत अनुमानतः भूजल का 89 प्रतिशत कृषि में, 9 प्रतिशत घरेलू तथा 2 प्रतिशत उद्योगों में व्यय करता है। शहरी आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत से अधिक भूजल स्रोतों से खींचा जाता है। केन्द्रीय भूजल बोर्ड की पिछली रिपोर्ट के अनुसार इस भयंकर भूजल दोहन के कारण 2007-2017 के बीच, देश के भूजल स्तर में 61 प्रतिशत तक की कमी आई है।

चेन्नई के पड़ोसी जिलों तिरुवल्लूर और कांचीपुरम, जिन्हें झीलों के जिले के नाम से जाना जाता था, की 6,000 झीलों में भी पानी लगभग सूख चुका है। सरकार ने चेन्नई से 200 किमी दूर जोलारपेट से रेलगाड़ियों द्वारा पानी लाने का फैसला किया है। ऐसे में अन्तिम आस बची है 235 किमी. दूर चोल साम्राज्य द्वारा 1,100 वर्ष पूर्व निर्मित जलाशय, जहाँ से सैकड़ों टैंकर रोजाना पानी ढुलाई में लगें हैं। 9000 लीटर के पानी टैंकर, जिसके सरकार 700 रुपये वसूलती थी, को अब निजी पानी व्यवसायियों द्वारा 4000-5000 रुपये में बेचा जा रहा है। एक निवासी के अनुसार, यदि कुछ दिन और यही स्थिति बनी रही, तो चेन्नई से लोगों का पलायन प्रारम्भ हो जाएगा। लोग भूले नहीं होंगे कि 2017 तथा 2018 में मूसलाधार बारिश के कारण यह महानगर पानी में लगभग डूब गया था। 2017 में शहर की 109 बस्तियाँ तथा 2018 में 89 बस्तियाँ पानी में डूब गई थीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे अनेक संगठनों के कार्यकर्ताओं तथा आपात राहत प्रबन्धन दल के लोगों और सेना ने इन डूबे हुए इलाकों के निवासियों को भारी जोखिम उठाकर न केवल सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया था, बल्कि उनके भोजन, कपड़ों और अस्थाई आवासों की व्यवस्था भी की थी। गत 30 वर्ष से अल्पवृष्टि एवं सूखे की मार झेल रहे तमिलनाडु ने न तब इस अतिरिक्त जल को रोकने की कोशिश की और न ही सूखा पड़ने के पूर्व उससे निबटने की तैयारी।

नीति आयोग की 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत विश्व में सर्वाधिक भूजल उपयोग करने वाला देश है, जबकि चीन और अमरीका तक में भारत से कम भूजल का उपयोग किया जाता है। भारत अनुमानतः भूजल का 89 प्रतिशत कृषि में, 9 प्रतिशत घरेलू तथा 2 प्रतिशत उद्योगों में व्यय करता है। शहरी आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत से अधिक भूजल स्रोतों से खींचा जाता है। केन्द्रीय भूजल बोर्ड की पिछली रिपोर्ट के अनुसार इस भयंकर भूजल दोहन के कारण 2007-2017 के बीच, देश के भूजल स्तर में 61 प्रतिशत तक की कमी आई है। आईआईटी खड़गपुर तथा कनाडा के एथाबास्का विश्वविद्यालय के संयुक्त अध्ययन से यह तथ्य सामने आया है कि भारत को प्रतिवर्ष केवल 3,000 घनमीटर वर्षा जल की आवश्यकता होती है और उसे प्रतिवर्ष लगभग 4,000 घनमीटर वर्षा जल प्राप्त होता है। यानी आवश्यकता से अधिक, लेकिन हम इस वर्षा जल का केवल 8 प्रतिशत संचित कर रहे हैं। जलशोधन एवं पुनः उपयोग हेतु बनाने की अक्षमता के कारण विश्व में यह जल संचयन, विश्व में सबसे कम है। जबकि समुद्र किनारे बसा इजराइल जैसा मरुस्थलीय देश, उपयोग किए गए पानी का 100 प्रतिशत शोधन कर, उसका लगभग 94 प्रतिशत वापस घरों में उपयोग हेतु भेज देता है। इजराइल समुद्री पानी के खारेपन को शोधित पेयजल में भी परिवर्तित करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इजराइल यात्रा पर वहाँ के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इसका जीवंत प्रदर्शन भी किया था।

चेन्नई में पानी के लिए लगती भीड़।

नीति आयोग ने अपनी पिछली रिपोर्ट में इस भयावह स्थिति को लेकर चेताया था। पर लगभग किसी राज्य ने इस पर ध्यान नहीं दिया। मूलतः बढ़ती हुई जनसंख्या, द्रुतगति से शहरीकरण तथा भारी उद्योगीकरण इस समस्या का कारण है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो अगले वर्ष तक देश के 21 बड़े महानगर शून्य जल दिवस (जीरो वाटर डे) की स्थिति में पहुँच सकते हैं। यूरोपीय संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार अंधाधुन्ध शहरीकरण के कारण आध्रंप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली जैसे प्रदेश इस समय पानी की सर्वाधिक कमी की स्थिति में हैं। चेन्नई के वर्षा जल केन्द्र निदेशक शेखर राघवन के अनुसार, शहरों के विस्तार एवं अनियंत्रित और अनियमित भवन निर्माण गतिविधियों के कारण प्राकृतिक जल भराव क्षेत्रों को पाटा जा रहा है। पर्यावरण फाउंडेशन के संस्थापक अरुण कृष्णमूर्ति का कहना है, अनियंत्रित बोरिंग वेल के उपयोग से पानी की समस्या उठ खड़ी हुई है। हमें बोरिंग गतिविधियों पर पूर्ण नियंत्रण करना होगा। एक समाचार के अनुसार कर्नाटक सरकार अगले पाँच वर्ष के लिए बहुमंजिले भवन निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने पर गम्भीरता से विचार कर रही है। बढ़ता हुआ वैश्विक तापमान भी न केवल भारत, अपितु भूमध्य रेखा के आस-पास के कई देशों में भूगर्भीय जल के स्तर को सुखाता जा रहा है। भीषण तपिश में भूमिगत जल की आर्द्रता भाप बनकर उड़ती जाती है और छोड़ जाती है पृथ्वी की छलनी-छलनी सूखी परतें। और हम सूखी धरती को और गहरे छेदते चले जा रहें हैं। हम भूमि की उस परत तक धरती को छेदने की स्थिति में पहुँच जाएँ कि जहाँ से पानी के स्थान पर भाप और आग की लपटें ऊपर आ जाएँ। देश के कई क्षेत्रों से धरती दरकने, सूखने, धुआं निकलने और कोयला खनन क्षेत्र में गहरी होती खदानों से आग निकलने की खबरें यदा-कदा आती रहती हैं।   संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन की भयावहता के कारण, विश्व क्रमशः ऐसी अवस्था में पहुँच रहा है जब अमीर लोगों के पास बढ़ते हुए तापमान, भूखे से संघर्ष से बचने के साधन होंगे, परन्तु विश्व की 80 प्रतिशत से अधिक गरीब जनता को दुष्परिणाम भोगने होंगे। राज्यसभा में जलसंकट पर हुई चर्चा में केन्द्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री माधवन ने कहा कि सूखा और जल अभाव के कारण ग्रामीण जनसंख्या पहले से ही अति-जनसंख्या वाले शहरों की ओर भागेगी और इस कारण गरीबों का भोजन, पानी, आवास और महंगा होता जाएगा।   सन 2030 तक देश की 40 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या को पेयजल उपलब्ध नहीं हो सकेगा। अगले पाँच वर्ष में यदि इस समस्या का सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों, एवं स्वयं जनता द्वारा कोई उपाय नहीं किया गया तो भारत को जल संकट की भंयकरतम स्थिति से जूझना होगा। अभी हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में स्वच्छता आंदोलन की तरह ही जन-मन की सक्रिय सहभागिता के साथ जल संरक्षण आंदोलन चलाने का आह्वान किया है। इस संकट से उबरना अकेले सरकार के वश में नहीं है। प्राप्त पेयजल का घरों में विभिन्न उपयोगों में सावधानीपूर्वक उपभोग करना, वर्षा जल का संचयन करना तथा उपयोग किए गए जल को पुनः उपयोग योग्य बनाने (वाटर रिसाइकलिंग) के क्षेत्र में, आवासीय इकाई स्तर से नगर निगम, महानगर तथा प्रान्तीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर युद्ध स्तर से कार्य करना होगा। हमें शून्य जल की स्थिति में नहीं पहुँचने के लिए कटिबद्ध होना होगा। सरकार को छोटे घरेलू वाटर रिसाइकलिंग प्लांट बनवाकर बहुमंजिली इमारतों तथा महानगरों की कालोनियों में लगाना अनिवार्य करना होगा, क्योंकि पानी की सर्वाधिक बर्बादी इन्ही इलाकों में होती है जहाँ से, निजीकरण ताल और पेयजल से कार धोने के समाचार मिलते रहते हैं। इन पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए। सर्वाधिक आवश्यकता है जनता के स्वयं चेतने की, कहा भी गया है कि रहिमन पानी राखिए, बिना पानी सब सून।

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A swimmer leans against a lane marker in a pool as water splashes around him.

10 Moments of Beauty at the Paris Olympics

The Summer Games are known for athletic excellence, but they provide plenty of aesthetic excellence along the way.

Léon Marchand and the rest of the Olympians at the Paris Games have put on a show — in more ways than one. Credit... James Hill for The New York Times

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Sadiba Hasan

By Sadiba Hasan

  • Published Aug. 9, 2024 Updated Aug. 12, 2024

Some people watch the Olympics for the events. Others watch for the hot athletes.

This is nothing new. Going all the way back to the first century, the orator Dio Chrysostom praised the “beauty” of the boxer Melankomas, who competed in the ancient Greek athletic games .

That same feeling resonates in 2024. A number of participants in the Paris Summer Olympics have distinguished themselves for things beyond their athletic talent. In an extreme case, a pole-vaulter gained a great deal of attention — some might say notoriety — for failing in a unique way. Others caught the public’s attention through moments of love or kindness — a different but equally palpable form of beauty.

There are numerous options to choose from, but here are 10 moments of beauty at the games.

Swimmers and Their Abs

A man in a black warm-up suit that says “Italia” holds both arms in the air as others stand around him.

After Italy won bronze in the 4 × 100-meter freestyle relay on July 27, the Italian swimmer Thomas Ceccon, 23, raised his arms in celebration. In doing so, he unintentionally bared his well-cut abs , which had many thirsting on the internet .

(Ceccon, who won gold in the 100-meter backstroke, was later found sleeping on the ground next to a bench in Olympic Village after he had complained about the conditions at the village.)

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  9. Water Conservation Essay in Hindi

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  10. पानी की समस्या (Water Problem in Hindi)| IWP

    पानी की समस्या (Water Problem in Hindi) 1. बहती नदियाँ तथा 2. भौम जल जो कुओं, ट्यूबवेलों आदि के माध्यम से निकाला जाता है।. उपरोक्त मांग वर्ष की न्यूनतम ...

  11. भारत में जल संकट और उसके निदान को समझने के लिए इन तीन जल संबंधी

    The theme for World Water Day 2022 is Groundwater:Making Invisible Visible. Groundwater is a vital resource that supplies nearly half of the world's drinking water. #WorldWaterDay will shine a light on this intangible resource, improve knowledge exchange and & raise awareness.

  12. जल संरक्षण

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  13. जल संकट पर निबंध, भारत में जल संकट पर निबंध: water crisis essay in

    जल संकट पर निबंध, water crisis essay in hindi (800 शब्द) पानी हमारे जीवन का केंद्र है, लेकिन हमारी योजना में केंद्र बिंदु नहीं रहा है जबकि हम तेजी से शहरी समाज में विकसित हुए ...

  14. जल पर निबंध 10 Lines (Essay On Water in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300

    जल निबंध पर (Essay On Water in Hindi) - पानी, पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के अस्तित्व का कारण, ग्रह का 70% से अधिक हिस्सा है। जल वह जादुई तरल है, जो जानवरों,

  15. जल ही जीवन है ~ जल संकट का भावी भारत

    जल ही जीवन है ~ जल संकट का भावी भारत | Water Scarcity Issue In India - Essay In Hindi,Water Scarcity Quotes in Hindi, Best Quotes on Water Scarcity in hindi

  16. राजस्थान में जल संकट पर निबंध

    Hello Friends We Welcome You In Short & Big Leanth Essay On Water Crisis In Rajasthan In Hindi For School Students And Kids Let's Read This Essay. निबंध 1 प्रस्तावना - पंचभौतिक पदार्थो में पृथ्वी के बाद जल तत्व का महत्व ...

  17. जल का महत्व पर निबंध (Importance of Water Essay in Hindi)

    जल का महत्व पर निबंध (Importance of Water Essay in Hindi) By मीनू पाण्डेय / June 15, 2023. हमारे शरीर का संघटन सत्तर प्रतिशत जल से बना है। केवल हमारा शरीर ही नहीं ...

  18. राजस्थान में जल संकट पर निबंध

    राजस्थान में जल संकट पर निबंध - Essay On Water Scarcity In Rajasthan In Hindi. रूपरेखा- प्रस्तावना, जल-संकट के कारण, निवारण हेतु उपाय, उपसंहार

  19. essay on water scarcity in Hindi।। पानी की ...

    essay on water scarcity in Hindi।। पानी की समस्या पर हिंदी में निबंध 250 शब्दों मेंAbout this video:-This video is about ...

  20. Water Scarcity Essay for Students and Children

    500+ Words Essay on Water Scarcity Essay. Water is the basic necessity of every human being. But, water scarcity is a major issue that is rising very rapidly in modern-day India. The problem has become so severe that in many states the groundwater has almost dried up and people have to depend on water supply from other sources. In addition ...

  21. जल संरक्षण एक दृष्टि में| Iwp

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  22. Water Scarcity Essay for Students in English

    Physical water scarcity is the result of regions' demand outpacing the limited water resources found in that location. According to the Food and Agricultural Organization (FAO) of the United Nations, about 1.2 billion people live in areas of physical scarcity and many of these people live in arid or semi-arid regions.

  23. घटता पानी बढ़ता संकट| Iwp

    घटता पानी बढ़ता संकट. 10 अग॰ 2019. •. 10 mins read. घटता पानी बढ़ता संकट।. अथाह और अपार जलनिधि के स्वामी सागर के तट पर बसा चेन्नई शहर आज बूंद-बूंद पानी ...

  24. 10 Beautiful Moments at the Paris Olympics

    The Summer Games are known for athletic excellence, but they provide plenty of aesthetic excellence along the way. Léon Marchand and the rest of the Olympians at the Paris Games have put on a ...