शिक्षा पर निबंध (Education Essay in Hindi)
किसी भी व्यक्ति की प्रथम पाठशाला उसका परिवार होता है, और मां को पहली गुरु कहा गया है। शिक्षा वो अस्त्र है, जिसकी सहायता से बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना कर सकते है। वह शिक्षा ही होती है जिससे हमें सही-गलत का भेद पता चलता है। शिक्षा पर अनेकों निबंध लिखे गयें हैं, आगे भी लिखे जायेंगे। इसकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, एक वक़्त की रोटी ना मिले, चलेगा। किंतु शिक्षा जरुर मिलनी चाहिए। शिक्षा पाना प्रत्येक प्राणी का अधिकार है।
शिक्षा पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Education in Hindi, Shiksha par Nibandh Hindi mein)
शिक्षा पर निबंध – निबंध 1 (250 – 300 शब्द).
शिक्षा शब्द संस्कृत के ‘शिक्ष’ धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, सिखना या सिखाना। शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो हर किसी के जीवन में बहुत उपयोगी है। प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना हर व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है।
शिक्षा की परिभाषाएं
गीता से अनुसार, “सा विद्या विमुक्ते”। अर्थात शिक्षा या विद्या वही है जो हमें बंधनों से मुक्त करे और हमारा हर पहलु पर विस्तार करे।
महात्मा गांधी के अनुसार, “सच्ची शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक पहलुओं को उभारती है और प्रेरित करती है। इस तरीके से हम सार के रूप में कह सकते हैं कि उनके मुताबिक़ शिक्षा का अर्थ सर्वांगीण विकास था।”
स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, “शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।”
शिक्षा का उद्देश्य
शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं है अपितु मानव का सर्वांगीण विकास है। शिक्षा एकमात्र ऐसा धन है जिसे एकबार अर्जित करने पर वह कभी खर्च नहीं होती बल्कि बढ़ती ही रहती है। शिक्षा हमें आदम से मनुष्य बनाती है, यह हमें अन्य जीवों से श्रेष्ठ बनाती है।
शिक्षा मनुष्यों को सशक्त बनाती है और उन्हें जीवन की चुनौतियों का कुशलता से सामना करने के लिए तैयार करती है। शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए देश में शैक्षिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है। सरकार को नई शिक्षा नीति को जल्द से जल्द सभी शिक्षण संस्थानों में लागू करने की आवश्यकता है।
इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Education in Hindi
शिक्षा का अधिकार – निबंध 2 (400 शब्द)
शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने सपने पूरे कर सकते हैं। जीवन को नयी दशा और दिशा दे सकते हैं। बिना शिक्षा के हम कुछ भी मुकाम हासिल नहीं कर सकते। आजकल जीविकोपार्जन करना हर किसी की जरुरत है, जिसके लिए आपका शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। आज की पीढ़ी का बिना पढ़े-लिखे भला नहीं हो सकता।
शिक्षा से ही रोजगार के अवसरों का सृजन होता है। आज वही देश सबसे ताकतवरों की श्रेणी में आता है, जिसके पास ज्ञान की शक्ति है। अब वो दिन गये, जब तलवार और बंदूकों से लड़ाईयां लड़ी जाती थी, अब तो केवल दिमाग से खून-खराबा किए बिना ही बड़ी-बड़ी लड़ाईयां जीत ली जाती हैं।
शिक्षा का अधिकार
वैसे शिक्षा पाना हर किसी का अधिकार है। लेकिन अब इस पर कानून बन गया है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि अब हर किसी को अपने बच्चों को पढ़ाना अनिवार्य है। ‘निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम’ के नाम से यह कानून 2009 में लाया गया। शिक्षा का अधिकार’ हमारे देश के संविधान में वर्णित मूल अधिकारों में से एक है।
46वें संविधान संशोधन, 2002 में मौलिक अधिकार के रुप में चौदह साल तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का नियम है। शिक्षा का अधिकार (आरटीआई एक्ट) संविधान के 21अ में जोड़ा गया है। यह 1 अप्रैल, 2010 से प्रभावी है। आरटीआई एक्ट में निम्न बातें बतायी गयीं हैं।
- इस विधान के अनुसार अब किसी भी सरकारी विद्यालयों में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है।
- शिक्षा का अधिकार कानून विद्यार्थी-शिक्षक-अनुपात (प्रति शिक्षक बच्चों की संख्या), कक्षाओं, लड़कियों और लड़कों के लिए अलग शौचालय, पीने के पानी की सुविधा, स्कूल-कार्य दिवसों की संख्या, शिक्षकों के काम के घंटे से संबंधित मानदंड और मानक देता है।
- भारत में प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय (प्राथमिक विद्यालय + मध्य विद्यालय) को शिक्षा के अधिकार अधिनियम द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानक बनाए रखने के लिए इन मानदंडों का पालन करना है।
- जो बच्चे किसी कारणवश उचित समय पर विद्यालय नहीं जा पाते, उन्हें भी उचित कक्षा में प्रवेश देने का नियम है।
- साथ ही यह प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति भी करता है।
यह संविधान में उल्लेख किए गये मूल्यों के हिसाब से पाठ्यक्रम के विकास के लिए प्रावधान करता है। और बच्चे के समग्र विकास, बच्चे के ज्ञान, सम्भावना और प्रतिभा निखारने तथा बच्चे की मित्रवत प्रणाली एवं बच्चा केन्द्रित ज्ञान प्रणाली के द्वारा बच्चे को डर, चोट और चिंता से मुक्त करने को संकल्पबध्द है।
शिक्षा पर आधुनिकीकरण का प्रभाव – निबंध 3 (500 शब्द)
हमारा देश प्राचीनकाल से ही शिक्षा का केंद्र रहा है। भारत में शिक्षा का समृद्ध और दिलचस्प इतिहास रहा है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन दिनों में, शिक्षा को संतों और विद्वानों द्वारा मौखिक रूप से दिया जाता था और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जानकारी को प्रेषित किया जाता था।
पत्रों के विकास के बाद, यह ताड़ के पत्तों और पेड़ों की छाल का उपयोग करके लेखन का रूप ले लिया। इससे लिखित साहित्य के प्रसार में भी मदद मिली। मंदिरों और सामुदायिक केंद्रों ने स्कूलों की भूमिका बनाई। बाद में, शिक्षा की गुरुकुल प्रणाली अस्तित्व में आई।
शिक्षा पर आधुनिकीकरण का प्रभाव
शिक्षा समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा ही हमारे ज्ञान का सृजन करती है, इसे छात्रों को हस्तांतरित करती है और नवीन ज्ञान को बढ़ावा देती है। आधुनिकीकरण सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन की एक प्रक्रिया है। यह मूल्यों, मानदंडों, संस्थानों और संरचनाओं को शामिल करने वाली परिवर्तन की श्रृंखला है। समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के अनुसार, शिक्षा व्यक्ति की व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से नहीं होती है, बल्कि यह उस समाज की जरूरतों से उत्पन्न होती है, जिसमें व्यक्ति सदस्य होता है।
एक स्थिर समाज में, शैक्षिक प्रणाली का मुख्य कार्य सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ियों तक पहुंचाना है। लेकिन एक बदलते समाज में, इसका स्वरुप पीढ़ी-दर-पीढ़ी बदलते रहता हैं और ऐसे समाज में शैक्षणिक व्यवस्था को न केवल सांस्कृतिक विरासत के रुप में लेना चाहिए, बल्कि युवा को उनमें बदलाव के समायोजन के लिए तैयार करने में भी मदद करनी चाहिए। और यही भविष्य में होने वाली संभावनाओं की आधारशिला रखता है।
आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों में कुशल लोग तैयार होते हैं, जिनके वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान से देश का औद्योगिक विकास होता है। व्यक्तिवाद और सार्वभौमिकतावादी नैतिकता आदि जैसे अन्य मूल्यों को भी शिक्षा के माध्यम से विकसित किया जा सकता है। इस प्रकार शिक्षा आधुनिकीकरण का एक महत्वपूर्ण अस्त्र हो सकता है। शिक्षा के महत्व को इस तथ्य से महसूस किया जा सकता है कि सभी आधुनिक समाज शिक्षा के सार्वभौमिकरण पर जोर देते हैं और प्राचीन दिनों में, शिक्षा एक विशेष समूह के लिए केंद्रित थी। लेकिन शिक्षा के आधुनिकीकरण के साथ, अब हर किसी के पास अपनी जाति, धर्म, संस्कृति और आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा है।
आधुनिकीकरण का असर विद्यालयों में भी देखा जा सकता है। आधुनिक दिन के विद्यालय पूरी तरह से तकनीकी रूप से ध्वनि उपकरणों से लैस हैं जो बच्चों को अधिक स्पष्ट तरीके से अपनी विशेषज्ञता विकसित करने में मदद करते हैं। प्रभावी सुविधाएं विकलांग व्यक्तियों के लिए बाधा मुक्त साधन प्रदान करती हैं, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों से मुक्त होती हैं, छात्रों और शिक्षकों के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करती हैं, और कक्षा और निर्देशात्मक उपयोग के लिए उपयुक्त तकनीक से लैस होती हैं।
वर्तमान शिक्षण प्रणाली को एक कक्षा प्रणाली की तुलना में कक्षा के स्थानों में अधिक लचीलेपन की जरुरत होती है। उदाहरण के लिए, छोटे समूहों में एक साथ काम करने वाले छात्र, जिले के कुछ नए प्राथमिक विद्यालयों में कक्षाओं के बीच साझा स्थानों का उपयोग कर सकते हैं।
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शिक्षा का महत्व पर हिंदी में निबंध (Essay on Importance of Education in Hindi): 100 से 500 शब्दों में देखें
Updated On: October 23, 2024 04:25 PM
- 100 शब्दों में शिक्षा का महत्व पर निबंध (Essay on …
- 250 शब्दों में शिक्षा का महत्व पर लेख (Essay on …
- 500 शब्दों में शिक्षा का महत्व पर निबंध (Essay on …
- 1500 शब्दों में शिक्षा का महत्व पर लेख (Essay on …
- शिक्षा के महत्व पर महापुरुषों के कोट्स (Quotes from great …
100 शब्दों में शिक्षा का महत्व पर निबंध (Essay on Importance of Education in Hindi)
250 शब्दों में शिक्षा का महत्व पर लेख (essay on importance of education in hindi).
शिक्षा का महत्व पर लेख (Essay on Importance of Education): शिक्षा किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और अनिवार्य हिस्सा है, जो उसके व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा न केवल ज्ञान प्राप्ति का माध्यम है, बल्कि यह व्यक्ति के सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता को भी विकसित करती है। इसके द्वारा व्यक्ति अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने के योग्य बनता है और आत्मनिर्भरता हासिल करता है।
शिक्षा का महत्व इस बात में भी है कि यह व्यक्ति को नैतिक मूल्यों, समाजिक जिम्मेदारियों और अधिकारों के प्रति जागरूक बनाती है। एक शिक्षित व्यक्ति अपने अधिकारों और कर्तव्यों को अच्छी तरह समझता है, जिससे वह समाज में एक आदर्श नागरिक के रूप में अपनी भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा, शिक्षा समाज में फैले अंधविश्वास, भेदभाव और अन्य सामाजिक बुराइयों को खत्म करने में भी मदद करती है।
राष्ट्र के विकास के संदर्भ में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक शिक्षित समाज ही नए विचारों, नवाचारों और तकनीकी विकास को प्रोत्साहन देता है, जो किसी भी देश की प्रगति के लिए आवश्यक है। यही कारण है कि हर देश में शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है और इसे सभी के लिए सुलभ बनाने के प्रयास किए जाते हैं।
अतः शिक्षा केवल व्यक्तिगत उन्नति का साधन नहीं, बल्कि यह समाज और देश की प्रगति का भी आधार है। इसलिए, हर व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए ताकि वह अपने और समाज के भविष्य को बेहतर बना सके।
500 शब्दों में शिक्षा का महत्व पर निबंध (Essay on Importance of Education in Hindi)
शिक्षा का महत्व (importance of education).
शिक्षा का महत्व पर लेख (Essay on Importance of Education in Hindi): शिक्षा किसी भी समाज और देश के विकास की नींव होती है। यह एक ऐसा साधन है जो व्यक्ति को न केवल ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि उसे नैतिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से भी सक्षम बनाती है। शिक्षा से व्यक्ति अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझता है, अपने जीवन के प्रति जागरूक होता है, और समाज में एक सक्रिय नागरिक के रूप में अपनी भूमिका निभाता है। शिक्षा न केवल व्यक्ति को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाती है, बल्कि समाज और राष्ट्र की उन्नति में भी अहम योगदान करती है।
व्यक्तिगत विकास में शिक्षा का महत्व (Importance of education in personal development)
व्यक्तिगत विकास के लिए शिक्षा का महत्व अपार है। यह व्यक्ति के भीतर ज्ञान और समझ को विकसित करती है, जिससे वह जीवन के विभिन्न पहलुओं में सही निर्णय लेने में सक्षम होता है। शिक्षित व्यक्ति अधिक आत्मविश्वासी होता है, जिसके कारण वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होता है। शिक्षा व्यक्ति को मानसिक रूप से सशक्त बनाती है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकता है। इसके साथ ही, शिक्षा व्यक्ति के भीतर अनुशासन, नैतिकता और समय प्रबंधन जैसे गुणों का विकास करती है, जो उसके जीवन को सही दिशा में ले जाते हैं।
सामाजिक विकास में शिक्षा का महत्व (Importance of education in social development)
शिक्षा समाज को बेहतर बनाने का सबसे प्रभावी साधन है। यह व्यक्ति को समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक बनाती है। एक शिक्षित समाज अंधविश्वास, रूढ़िवादी सोच और भेदभाव से मुक्त होता है। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति अपने अधिकारों को जानता है और समाज में समानता, न्याय और बंधुत्व का पालन करता है। इसके अलावा, शिक्षित व्यक्ति समाज के विकास के लिए नवाचार, वैज्ञानिक सोच और तर्कसंगत विचारधारा को प्रोत्साहन देते हैं, जिससे समाज में प्रगति और सुधार होते हैं। शिक्षा की कमी से समाज में असमानता, गरीबी और अपराध जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जबकि शिक्षित समाज इन समस्याओं को समाप्त करने में सक्षम होता है।
राष्ट्रीय विकास में शिक्षा का महत्व (Importance of education in national development)
राष्ट्र के विकास में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। किसी भी देश की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति उसके नागरिकों की शिक्षा के स्तर पर निर्भर करती है। शिक्षा के माध्यम से देश को कुशल मानव संसाधन मिलता है, जो विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देता है। शिक्षा के बिना कोई भी देश तकनीकी, वैज्ञानिक या आर्थिक दृष्टिकोण से उन्नति नहीं कर सकता। इसके अलावा, शिक्षित नागरिक अपनी सरकार और नीतियों को बेहतर ढंग से समझते हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। यही कारण है कि सरकारें शिक्षा को प्राथमिकता देती हैं और इसे सभी के लिए सुलभ बनाने के प्रयास करती हैं।
शिक्षा की व्यापकता (comprehensiveness of education)
शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह व्यक्ति के चारित्रिक, नैतिक और सामाजिक विकास में भी अहम भूमिका निभाती है। शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को संपूर्ण रूप से विकसित करना है, जिससे वह एक अच्छा नागरिक, अच्छा इंसान और एक सफल व्यक्ति बन सके। शिक्षा के माध्यम से ही व्यक्ति में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तार्किक सोच और समस्याओं को हल करने की क्षमता विकसित होती है।
निष्कर्ष (conclusion)
शिक्षा जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, जो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के विकास के लिए अनिवार्य है। यह न केवल ज्ञान का स्रोत है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन को दिशा देती है। शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने समाज को उन्नत बना सकते हैं और एक सशक्त राष्ट्र की नींव रख सकते हैं। इसलिए, हर व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए ताकि वह अपने और समाज के भविष्य को बेहतर बना सके।
1500 शब्दों में शिक्षा का महत्व पर लेख (Essay on Importance of Education in Hindi)
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- “शिक्षा का उद्देश्य खाली दिमाग को खुले दिमाग से बदलना है।” - मैल्कम फोर्ब्स
- "शिक्षा का मतलब सिर्फ जानकारी इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि मनुष्य के भीतर की पूर्णता को बाहर लाना है।"- स्वामी विवेकानंद
- "शिक्षा का उद्देश्य चरित्र का निर्माण, मन की शक्ति का विकास और बुद्धिमत्ता का विस्तार करना है।" - महात्मा गांधी
- "शिक्षा का असली उद्देश्य सोचने का ढंग बदलना है।" - डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
- "शिक्षा की जड़ें कड़वी होती हैं, लेकिन फल मीठा होता है।" - अरस्तू
- "शिक्षा वह सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।" - नेल्सन मंडेला
- "शिक्षा वही है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती, बल्कि हमें सजीव बनाती है।" रवीन्द्रनाथ ठाकुर
- "शिक्षा एक ऐसा शस्त्र है जिससे आप कुछ भी जीत सकते हैं।" - डॉ. भीमराव अंबेडकर
- "शिक्षा वह है जो स्कूल में सीखी हुई बातों को भूल जाने के बाद भी हमारे भीतर बची रहती है।" - अल्बर्ट आइंस्टीन
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शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है "ज्ञान का प्रसार"। यह वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति न केवल अपने विषय में जानकारी प्राप्त करता है, बल्कि उसे समझकर समाज के विकास में योगदान देने के योग्य बनता है।
सामान्य ज्ञान प्रदान करने या प्राप्त करने, तर्क और निर्णय की शक्तियों को विकसित करने और आम तौर पर खुद को या दूसरों को परिपक्व जीवन के लिए बौद्धिक रूप से तैयार करने की क्रिया या प्रक्रिया है।
शिक्षा का एक अन्य प्रसिद्ध नाम "अध्यापन" है। अध्यापन शब्द बहुत संगठित और प्रचलित समझा जाता है जो विद्यार्थियों को ज्ञान, कौशल और संघर्ष से परिपूर्ण करके उनके विकास को सरकार में समायोजित करने में मदद करता है। इसलिए, शिक्षा को हिंदी में अध्यापन और शिक्षा का मतलब भी समर्पित किया जा सकता है।
शिक्षा से तात्पर्य उस अनुशासन से है जो स्कूलों या स्कूल जैसे वातावरण में शिक्षण और सीखने के तरीकों से संबंधित है, जो समाजीकरण के विभिन्न अनौपचारिक और अनौपचारिक साधनों के विपरीत है।
शैक्षिक उद्देश्य, या सीखने के परिणाम, ऐसे कथन हैं जो स्पष्ट रूप से वर्णन करते हैं कि शिक्षार्थी किसी शैक्षिक कार्यक्रम या गतिविधि में भाग लेने के परिणामस्वरूप क्या जान पाएगा या क्या करने में सक्षम होगा। शैक्षिक उद्देश्य अवलोकनीय और मापनीय होने चाहिए।
व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं पर विजय पाने का अंतिम तरीका शिक्षा है । हमारे मन और व्यक्तित्व को बदलकर और हमारे आत्मविश्वास के स्तर में सुधार करके, यह हमें बाहर के साथ-साथ अंदर से भी पूरी तरह से बदल देता है।
शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति का मार्ग है। शिक्षा समाज की रीढ़ है। सरकार को देश के हर व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए। इससे लोगों में समानता आएगी और जब लोग अपने जीवन जीने के तरीके में सुधार करेंगे तो वे समाज के प्रति अधिक जिम्मेदार बनेंगे।
समाज में शिक्षा का महत्व निर्विवाद है। यह एक ऐसी आवश्यकता है जो हमें व्यक्तियों के रूप में विकसित होने और बेहतर नागरिक बनने में मदद करती है। यह एक महत्वपूर्ण उपकरण भी है जो हमें नए कौशल और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है। शिक्षा जीवन में सफलता की कुंजी है।
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शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education essay in hindi) - 100, 200 व 500 शब्दों में यहाँ पढ़ें
शिक्षा का महत्व पर निबंध: शिक्षा का मानव जीवन में भोजन, हवा, पानी और पहनावे से अधिक महत्व है। शिक्षा से मनुष्य में ज्ञान का प्रसार होता है। शिक्षा मनुष्य को बेहतर तरीके से जीवन जीने का मार्ग दिखाती है। इंसान की बुद्धि का विकास शिक्षा अर्जित करने से ही होता है जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा किसी भी देश की सामाजिक संरचना को सभ्यता के आधार पर मापने का आम पैमाना है। एक तरह से यह भी कहा जा सकता है कि जितना ज्यादा शिक्षित देश, उतना जागरूक समाज। योग पर निबंध पढ़ें
शिक्षा का महत्व पर निबंध हिंदी में (Essay on The Importance of Education in hindi)
हिंदी में शिक्षा का महत्व पर 100 शब्दों में निबंध (100 words essay on the importance of education), हिंदी में शिक्षा का महत्व पर 200 शब्दों में निबंध (200 words essay on the importance of education), हिंदी में शिक्षा का महत्व पर 500 शब्दों में निबंध (500 words essay on the importance of education).
इन्हीं विचारों की वजह से शिक्षा का महत्व पर निबंध (importance of education essay in hindi) काफी पढ़ा व लिखा जाता रहा है। यहां तक कि छोटी कक्षा के छात्रों को भी परीक्षा में अच्छे अंकों के लिए हिन्दी में शिक्षा का महत्व पर निबंध (importance of education essay hindi) लिखने के लिए पूछ लिया जाता है।
ये भी देखें :
- दिवाली पर निबंध
- गणतंत्र दिवस पर भाषण
- होली का निबंध
- मेरा प्रिय नेता: एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध
वहीं कई प्रतियोगी निबंध प्रतियोगिता में हिंदी में शिक्षा का महत्व पर निबंध (importance of education essay hindi) लिखने का विषय चुनते हैं, ताकि वे बेहतर प्रदर्शन कर सकें क्योंकि शिक्षा पर लिखने व कहने को हरेक व्यक्ति के पास काफी कुछ है। ऐसे में निबंध प्रतियोगिता में शिक्षा का महत्व पर निबंध (importance of education essay hindi) लिखना प्रतियोगियों के लिए तुरुप का इक्का भी सिद्ध हो सकता है। हालांकि, उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि शिक्षा एक आम विषय है, ऐसे में ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगी इस विषय पर निबंध लिख सकते हैं जिसकी वजह से निबंध में लिखे गए विचारों के मेल खाने एवं निबंध का अनूठापन खत्म हो जाने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में प्रतियोगियों को हिंदी में शिक्षा का महत्व पर निबंध (importance of education essay hindi) लिखते हुए यह ध्यान रखना होता है कि उनका लिखा गया निबंध न सिर्फ अलग व रोचक हो, बल्कि उसका प्रारूप भी सही हो।
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इसके अलावा कई ऐसे छात्र होते हैं जिनकी हिंदी विषय/भाषा पर पकड़ बेहद कमजोर होती है जिसकी वजह से शिक्षा का महत्व पर निबंध हिंदी में (importance of education essay hindi) लिखने में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे छात्र अक्सर ऑनलाइन यह ढूंढते हैं कि शिक्षा का महत्व पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें?
यदि आप भी उपर्युक्त किसी वजह से ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा का महत्व पर हिंदी में निबंध (importance of education essay hindi) ढूंढ रहे हैं, तो ऐसा समझिए कि आपकी यह तलाश अब पूरी हो चुकी है क्योंकि शिक्षा का महत्व पर निबंध हिंदी में (importance of education essay hindi) विशेष Careers360 के इस लेख के माध्यम से न सिर्फ आपको शिक्षा का महत्व पर निबंध हिंदी में (importance of education essay in hindi) प्राप्त होगा, बल्कि इस लेख के माध्यम से आपको शिक्षा का महत्व निबंध 100 शब्दों में, शिक्षा का महत्व निबंध 200 शब्दों में व शिक्षा का महत्व निबंध 500 शब्दों में भी अलग-अलग मिल जाएगा, जिसका आप अपनी सुविधा के अनुसार उपयोग कर सकते हैं।
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भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि शिक्षा से ही एक इंसान महान नागरिक बनता है, और शिक्षा में विभिन्न विषयों की बेहतर समझ रखने के लिए नए कौशल सीखना और ज्ञान प्राप्त करना शामिल है। इस लेख में नीचे शिक्षा के महत्व पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं जिनमें शिक्षा का महत्व पर 100 शब्दों में निबंध (100 Words Essay on The Importance of Education in hindi), शिक्षा का महत्व पर 200 शब्दों में निबंध (200 Words Essay on The Importance of Education in hindi) और शिक्षा का महत्व पर 500 शब्दों में निबंध (500 Words Essay on The Importance of Education in hindi) शामिल हैं। छात्र अपनी जरूरत के अनुसार इन निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।
किसी भी व्यक्ति के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने में शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वहीं माता-पिता, स्कूल और विश्वविद्यालय एक व्यक्ति को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। शिक्षा व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास, आत्म-स्वीकृति और आत्म-मूल्य को जागृत करती है और उसे अपने परिवेश और देश-दुनिया में चल रहे सामाजिक मुद्दों से अवगत और उनके बारे में जागरूक करती है। इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में व्यक्ति का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। अशिक्षित व्यक्ति की अपेक्षा शिक्षित व्यक्ति में आत्मविश्वास अधिक पाया जाता है। शिक्षा लोगों को अपने कौशल में सुधार करने और जीविकोपार्जन के बेहतर अवसरों पर काम करने में मदद करती है। शिक्षित व्यक्ति राष्ट्र के लिए एक संपत्ति हैं क्योंकि वे अपनी शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र के विकास में अहम योगदान देते हैं।
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यह सर्वमान्य है कि शिक्षा वह क्रान्ति है जो समाज में परिवर्तन लाने में सक्षम है। यह एक व्यक्ति को अपने परिवार, समाज, राष्ट्र के साथ-साथ सम्पूर्ण दुनिया के प्रति भी अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने व उनका उपयोग करने की समझ प्रदान करती है। शिक्षा एक व्यक्ति को किसी भी स्थिति में खुद को सक्षम बनाने के लिए एक अलग दृष्टिकोण प्रदान करती है। शिक्षित व्यक्ति के अंदर स्वतः ही हिंसा, अन्याय, भ्रष्टाचार और अन्य विभिन्न सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ने की एक जिजीविषा पैदा होती है, जिसकी वजह से वे समाज में सुधार हेतु अपना योगदान देते हैं। शिक्षा व्यक्ति को शांतचित्त, गंभीर और बुद्धिमान बनाता है। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति अपनी विशेषज्ञता और डिग्री की सहायता से नौकरी या व्यवसाय के आपार अवसरों को न सिर्फ खोल सकता है, बल्कि उसमें नित नई ऊंचाइयों को छू सकता है।
शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है। यह समाज में एकरूपता लाती है। यदि समाज का हर इंसान शिक्षित हो जाता है, तो समाज में इन्सानों के बीच मौजूद कई तरह की असमानताएँ स्वतः ही दूर हो जाएंगी। शिक्षा किसी भी व्यक्ति को सामाजिक आधार पर उपयोगी बनाती है और समाज में रहकर उसे बेहतर बनाने के लिए कुशलतापूर्वक योगदान करने में उनकी मदद करती है। एक शिक्षित व्यक्ति समाज के साथ-साथ राष्ट्र के लिए भी एक संपत्ति है। इसे इस तरह से भी कहा जा सकता है कि शिक्षा व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की उपलब्धि और विकास की सीढ़ी है। वर्तमान पीढ़ी की शिक्षा पर ही एक राष्ट्र का भविष्य निर्भर करता है। यह हमारे व्यक्तित्व को बनाने और उसे विकसित करने में महत्वपूर्ण किरदार निभाती है, जिससे हम जीवन और उसके उद्देश्यों के बारे में अधिक आशावादी बनते हैं। इस सत्य को झुठलाया नहीं जा सकता है कि एक शिक्षित व्यक्ति एक अशिक्षित व्यक्ति की तुलना में अधिक सार्थक और उद्देश्यपूर्ण जीवन व्यतीत करता है।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था, "समस्त ज्ञान चाहे वो लौकिक हो या आध्यात्मिक, मनुष्य के मन में है, परंतु प्रकाशित न होकर वह ढका रहता है। अध्ययन से वह धीरे धीरे उजागर होता है।" शिक्षा सभी के लिए आवश्यक है। इसे प्राप्त करना प्रत्येक का मौलिक अधिकार है। इससे मनुष्य के सोचने की क्षमता में सुधार होता है और यह उसके विश्वास, कौशल, ज्ञान, मूल्य और नैतिक आदतों को भी विकसित करती है। शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को बेहतर और अधिक शांतिपूर्ण बनाती है। इसका पहला चरण किसी व्यक्ति को लिखना और पढ़ना सिखाना है। शिक्षा लोगों को जागरूक और साक्षर बनाती है। यह रोजगार के द्वार खोलती है और निश्चित रूप से लोगों को बेहतर जीवन जीने में मदद करती है। यह किसी व्यक्ति के संचार कौशल में सुधार और निखार लेकर आती है। निश्चित रूप से एक पढे-लिखे व्यक्ति के संवाद का तरीका एक आम अशिक्षित व्यक्ति के मुक़ाबले बेहतर होता है। शिक्षा किसी भी व्यक्ति को व्यावहारिक रूप से उनके लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने के लिए शिक्षित करती है। समाज में ज्ञान का प्रसार शिक्षा के उल्लेखनीय पहलुओं में से एक है। जब व्यक्ति शिक्षित होता है, तो वह उस ज्ञान को स्वयं तक सीमित नहीं रखता है, बल्कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित करता है जिसकी वजह से हम अपनी आने वाली पीढ़ी को हमारे द्वारा प्राप्त ज्ञान दे पाते हैं, जिसे वे अपने ढंग से निखारते हैं। सदियों से चली आ रही शिक्षा के हस्तांतरण की यह परंपरा समाज को बेहतर से और भी बेहतर की ओर अग्रसर करती चली आ रही है। समाज का जब एक व्यक्ति शिक्षित होता है तो उसके माध्यम से कई व्यक्ति शिक्षित होते हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि शिक्षा आम जीवन को आशावान और बेहतर बनाने वाली प्रकाश की वह किरण है, जिसके माध्यम से मानव जीवन प्रकाशमय हो उठता है।
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व्यक्तित्व का विकास
शिक्षा व्यक्ति को सामाजिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से मजबूत बनाती है क्योंकि यह मनुष्य के ज्ञान के स्तर को बढ़ाती है और उसके तकनीकी कौशल को भी निखारती है। यह उन्हें कॉर्पोरेट और शैक्षिक क्षेत्रों में बेहतर पद हासिल करने में मदद करती है। यह एक ऐसा साधन है जो कभी व्यर्थ नहीं जाता और आम इंसान के लिए जीवन भर उपयोगी सिद्ध होता है। आज की आधुनिक तकनीकी दुनिया में शिक्षा और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा अब उन पुराने दिनों की तरह कठिन और महंगी नहीं रह गई जब केवल समाज के संपन्न लोग ही अपने बच्चों को शिक्षित कर पाते थे। वर्तमान समय में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के कई माध्यम उपलब्ध हैं। आधुनिक युग में शिक्षित होने के सारे मापदंड बदल चुके हैं।
शिक्षा पर अब उम्र की भी पाबंदी नहीं है और यह अब किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति के लिए सुलभ है। एक कहावत है कि सुबह का भूला यदि शाम को घर वापस आ जाए, तो उसे भूला नहीं कहते। ठीक इसी तरह यदि व्यक्ति का मन सीमित सीमाओं के परे है, तो आयु सीमा उसके लिए शिक्षा प्राप्त करने में कभी भी बाधा नहीं बन सकती। आज के दौर में कई ऐसे विद्यालयी पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति घर बैठे शिक्षा प्राप्त कर सकता है। दुनिया भर के विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिसके माध्यम से व्यक्ति शिक्षण संस्थान से दूर होते हुए भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकता है। इन सुविधाओं के माध्यम से हाई स्कूल के बाद नौकरी करते हुए भी कोई व्यक्ति दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से अध्ययन कर अपने जीवन को बेहतर बना सकता है। इन सब के अलावा प्रत्येक व्यक्ति के लिए पाठ्यक्रमों को सुलभ बनाने के लिए शैक्षणिक शुल्क को भी पहले के मुक़ाबले काफी कम किया गया है। वहीं सरकारी योजनाओं के माध्यम से तमाम तरह की ऐसी छात्रवृत्ती सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जिनके माध्यम से व्यक्ति महंगे पाठ्यक्रम की शिक्षा भी प्राप्त कर सकता है।
कई गैर-सरकारी और सरकारी संगठनों के द्वारा ऐसी मुहिम भी चलाई जाती है, जिसमें वे स्वयं अशिक्षित क्षेत्रों में जाकर आम लोगों को शिक्षित करते हैं। शिक्षा मनुष्य को सही और गलत के बीच का भेद तो बताती ही है, इसके साथ-साथ मनुष्य को सही और ज्यादा सही के बीच के बारीक फर्क की भी समझने में सहायता करती है। न सिर्फ एक व्यक्ति के व्यक्तिगत विकास, बल्कि शिक्षा के माध्यम से मनुष्य के परिवार का सामाजिक स्तर व जीवनशैली में भी सुधार आता है। शिक्षा में इतनी शक्ति है कि इसके माध्यम से एक मनुष्य आम से लेकर महान होने तक का सफर तय कर सकता है।
शिक्षित व्यक्ति किसी भी राष्ट्र की धरोहर होते हैं। उनके माध्यम से, एक राष्ट्र आगे बढ़ता है क्योंकि शिक्षा मनुष्य की मानसिकता की बाधाओं को दूर करती है, ज्ञान तथा जानकारी प्रदान करती है, और एक व्यक्ति को एक अच्छे श्रोता के साथ-साथ सभ्य भी बनाती है। यह एक व्यक्ति को जीवन में एक अद्वितीय स्तर प्रदान करता है और उन्हें किसी भी पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की समस्याओं को हल करने की क्षमता प्रदान करती है। शिक्षा वित्तीय व मानसिक स्थिरता के साथ-साथ आत्म-निर्भरता में भी मदद करती है। यह एक व्यक्ति में आत्मविश्वास पैदा करती है जो सफलता के बेहद जरूरी पहलुओं में से एक है। यकीनन शिक्षा वह हथियार है, जिसके सही इस्तेमाल से मनुष्य किसी भी कल्पना को वास्तविकता में बदलने की ताकत रखता है।
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