भारत का झंडा तिरंगा पर निबंध Essay on Indian National Flag Tiranga in Hindi

भारत का झंडा तिरंगा पर निबंध / भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay on Indian National Flag Tiranga in Hindi

आम तौर पर कॉमनवेल्थ, ऐशियन, ओलम्पिक, क्रिकेट वर्ड कप, फ़ुटबाल वर्ड कप जैसे खेलो में सभी देशो के झंडे को लगाया जाता है। जब 2 देशो के खिलाड़ी खेलते है तो उनका स्कोर दिखाने के लिए भी झंडे का इलेक्ट्रनिक लोगो दिखाया जाता है।

विश्व के सभी देशो का अपनी अलग आकृति और रंगो वाला झंडा है। हमारे तिरंगे में 3 समानांतर रंगो वाली केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग की पट्टियाँ हैं। इसकी लम्बाई चौड़ाई का प्रतीक 3:2 है। बीच वाली सफ़ेद पट्टी में नीले रंग का एक चक्र भी होता है जिसमे 24 तीलियाँ होती है। यह खादी कपड़े का बना होता है।

यह भी पढ़ें :  भारत के झंडे तिरंगा के विषय में तथ्य

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भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास  HISTORY OF INDIAN NATIONAL FLAG

पहले राष्ट्रीय ध्वज को स्वामी विवेकानंद की शिष्य भगिनी निवेदिता ने 1904 में डिजायन किया था। दूसरे ध्वज को मैडम कामा और उनके साथी क्रांतिकारियों ने 1907 में बनाया था। तीसरे राष्ट्रीय ध्वज को डॉ ऐनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने 1917 में बनाया था। चौथे राष्ट्रीय ध्वज को आंद्रप्रदेश के युवक पिंगली वेंकैया नामक युवक ने बनाया था।

बाद में इस झंडे को परिवर्तित कर दिया गया और बीच में एक सफ़ेद पट्टी जोड़ दी गयी जो अन्य धर्मों को प्रदर्शित करती थी। 1947 से कुछ दिन पहले इसी झंडे के चक्र को बदलकर अशोक का चक्र लगा दिया गया। वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने देश के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था।

“हुबली” मात्र एक ऐसा संस्थान है जिसके पास झंडा बनाने का लाइसेंस है। यही संस्था पूरे देश की दुकानों पर झंडा की सप्लाई करती है। तिरंगे की कल्पना पिंगली वेंकैया नामक व्यक्ति ने की थी। इसे 22 जुलाई 1947 के दिन अपनाया गया था।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का महत्व  IMPORTANCE OF INDIAN NATONAL FLAG

अन्य धर्मों के लिए सफ़ेद रंग है। पहले इसमें सफ़ेद धारी में चरखा होता था पर बाद में इसे बदलकर अशोक चक्र कर दिया गया। यह धर्म चक्र है जो सम्राट अशोक द्वारा बनाये गये सारनाथ की लाट से लिया गया है। चक्र में 24 तीलियाँ समय के 24 घंटो को दर्शाती हैं।

राष्ट्रीय झंडे को फहराने के नियम  RULES TO HOST INDIAN NATIONAL FLAG

निष्कर्ष conclusion.

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राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध Essay on Tiranga Jhanda in Hindi

इस लेख में हमने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध (Essay on Tiranga Jhanda in Hindi) बेहद सरल रूप में लिखा है। राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध कक्षा 5 से कक्षा 12 तक परीक्षाओं में विभिन्न रूपों से पूछा जाता है।

इस निबंध में तिरंगे का इतिहास तथा महत्व और विशेषताओं को बेहद आकर्षक रूप से लिखा गया है और लेख के अंत में राष्ट्रीय ध्वज पर दस पंक्तियाँ इसलिए को और भी बेहतरीन बनाते हैं।

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प्रस्तावना (राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध Essay on Tiranga Jhanda in Hindi)

किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज उस देश के लिए सम्मान तथा गर्व की बात होती है। हर आजाद देश का एक राष्ट्रीय ध्वज होता है, जो उसके स्वतंत्रता तथा सर्वसम्मति का प्रतीक होता है।

अंग्रेजी हुकूमत के समय भारत में ब्रिटेन का ध्वज ही चला करता था लेकिन स्वाधीनता संग्राम में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का जन्म हुआ। आजादी के बाद उसमें थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए।

भारतवासियों के लिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बेहद गर्व की बात है। एक सच्चा राष्ट्रवादी कभी भी तिरंगे का अपमान सहन नहीं कर सकता।

भारतीय संविधान के अनुसार तिरंगा यह देश की शान, प्रतिष्ठा तथा वैभव का प्रतीक है। इसका गौरव सदा ही बना रहे इसलिए हर किसी के लिए तिरंगे तथा देश का सम्मान करना अनिवार्य है।

संविधान के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का स्पर्श कभी भी पानी और जमीन पर नहीं किया जाना चाहिए या किसी भी चीज को ढकने के लिए इसका प्रयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाना चाहिए।

2005 से पहले तिरंगे वाला वस्त्र पहनने पर कठोर कार्यवाही होती थी लेकिन संशोधन के बाद तिरंगे की प्रति को वस्त्र के रूप में धारण करने की छूट दी गई।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को पूर्ण रूप से जारी करने में उस वक्त की कांग्रेस पार्टी में बहुत ही मतभेद थे। इसलिए लगभग 6 बार संशोधन के बाद तिरंगे को पूर्ण रूप से मान्यता दी गई।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का इतिहास History of Indian National Flag in Hindi

प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत तक हर काल में एक ध्वज हुआ करता था। प्राचीन भारत में जब हिंदू शासकों की बहुलता थी तब ध्वज के रूप में भगवे को पूजा जाता था।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को बनाने में राजनीतिक दलों में आपसी मतभेद बहुत ही ज्यादा थे। कोई चाहता था कि राष्ट्रीय ध्वज पूरी तरह से हरा हो तथा चांद तारे लगे हो। वहीं कुछ लोग चाहते थे कि भारतीय ध्वज पहले की तरह भगवा रंग का हो।

लेकिन कुछ बुद्धिमान व्यक्तियों के कारण ध्वज को तीन मुख्य भागों में बांट दिया गया जिसे भारत देश के शांतिप्रियता, विकास और कृषि का सूचक माना जाने लगा।

भारतीय इतिहास का सबसे पहला झंडा भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था। जिसे 1986 कांग्रेस अधिवेशन में कोलकाता में फहराया गया। इस झंडे को लाल पीली और हरी पट्टी से क्षैतिज पट्टी से बनाया गया था।

पहली पट्टी हरे रंग की थी जिस पर 8 कमल के फूल बने हुए थे। बीच वाली पट्टी पीली रंग की थी जिस पर वंदे मातरम लिखा हुआ था और आखिरी पट्टी हरे रंग की थी जिस पर चांद और सूरज बने हुए थे।

लेकिन बहुत ही जल्द इसे बदल कर ऊपरी पट्टी पर केसरिया रंग कर दिया गया और उस पर तारों के समूह को अंकित भी किया गया। जिसे सन 1907 में मैडम कामा और कुछ क्रांतिकारियों के द्वारा पेरिस में फहराया गया।

लगभग दस साल चलने के बाद इस ध्वज पर उस वक्त के कांग्रेस के कुछ नेताओं को आपत्ति होने लगी इसलिए उन्होंने इसके संशोधन की मांग की। इसलिए चौथी बार भारतीय ध्वज में संशोधन 1917 में हुआ।

इस बार के ध्वज पर 4 हरी पत्तियों को जोड़ा गया और ध्वज के कोने पर आधे चांद को छापा गया। जब भारत अंग्रेजों से संघर्ष कर रहा था तब डॉक्टर एनी बेसेंट और श्री लोकमान्य तिलक के द्वारा यह फहराया गया।

सन 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान “पिंगली वेंकैया” नामक एक युवक महात्मा गांधी से मिला। उस युवक ने एक लाल और एक हरी पट्टी वाले ध्वज को गांधी जी को दिखाया। तो गांधी जी ने उसे सुझाव दिया की इसके बीच में सफेद रंग और चरखे को शामिल किया जाए।

गांधीजी का मानना था कि ध्वज में रहे लाल रंग को हिंदू आस्थाओं का प्रतीक और हरे रंग को मुस्लिम आस्थाओं के प्रतीक के रूप में शामिल किया जाए और बीच में रहे सफेद रंग दोनों को शांति व भाईचारे की सीख देते हैं।

राष्ट्रध्वज में पांचवा संशोधन सन् 1931 में हुआ। इस साल ही ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज कह कर सम्मानित किया गया। जिसमें लाल रंग की जगह पर केसरिया सफेद और हरे रंग को महत्व दिया गया है। जिसके बीच में एक चरखा शामिल किया गया था। 

छठी बार तिरंगे का संशोधन सन 1947 में हुआ। जब कांग्रेस पार्टी ने अपने पार्टी सिंबल के रूप में तिरंगे पर के चरखे को हटाकर अशोक चक्र को शामिल किया। इस तरह उस ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में जाहिर किया।

  • महात्मा गांधी जी चरखे को हटाकर अशोक चक्र को शामिल करने से बेहद ही नाराज हुए। उन्होंने कहा कि मैं इस झंडे को कभी भी सलामी नहीं दूंगा।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा किसने बनाया था? Who Made Tiranga Jhanda?

भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के निर्माण के लिए अनेक लोगों ने योगदान दिया था। भगिनी निवेदिता से लेकर मैडम एनी बेसेंट तक सभी ने एक बेहतर ध्वज देने की कोशिश की थी।

जब आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक कांग्रेस सम्मेलन हो रहा था तब पिंगली वेंकैया नामक व्यक्ति ने महात्मा गांधी को वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में जानकारी दी थी।

महात्मा गांधी के आदेश पर पिंगली वेंकैया ने पहली पट्टी में लाल रंग को, बीच में सफेद रंग व एक चरखे को और आखिरी पंक्ति में हरे रंग को गढ़कर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का निर्माण किया था।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के तीन रंग का महत्व The Importance of Tiranga Jhanda in Hindi

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में तीन रंगों का प्रयोग किया गया है। तीनों के ही अपनी विशेषता तथा महत्व है। ऊपर की सबसे पहली पट्टी में केसरी रंग को शामिल किया गया है।

सनातन संस्कृति में केसरी रंग को प्रकृति का सूचक माना गया है। सनातन ग्रंथ कहते हैं कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक आकाश का रंग केसरी होता है। छोटी से लेकर बड़ी सभी प्रकार की अग्नि का वास्तविक रंग केसरी ही होता है।

केसरी रंग को शौर्य तथा सात्विकता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सनातन संस्कृति में वस्त्र से लेकर वास्तु शास्त्र तक केसरी रंग को विशेष महत्व दिया गया है।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के मध्य में सफेद रंग तथा अशोक चक्र को शामिल किया गया है। सफेद रंग को हर रंगों की उत्पत्ति का केंद्र माना जाता है। दूसरी और सफेद रंग को शांति तथा सहयोग का प्रतीक भी माना जाता है। बीच में रहे अशोक चक्र को विकास तथा एकता का प्रतीक माना जाता है।

ध्वज के आखिर में प्रयोग हुए हरे रंग को कृषि तथा प्रकृति प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का महत्व बेहद ही अधिक है। 

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में अशोक चक्र का महत्व और विशेषताएं Importance of Ashok Chakra in National Flag of India in Hindi

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में अशोक चक्र के महत्व तथा विशेषताएं बेहद ही अधिक है। सम्राट अशोक धर्म तथा न्याय की मूर्ति माने जाते थे। उनके शौर्य की गाथाएं दूर-दूर तक फैले हुए थे।

तिरंगा झंडा में अशोक चक्र को धर्म चक्र के रूप में भी शामिल किया जाता है। सम्राट अशोक भगवान बुद्ध के ज्ञान से बेहद प्रभावित थे इसलिए उन्होंने इस धर्म चक्र को अपने ध्वज में शामिल किया था।

अशोक चक्र के अपने दार्शनिक तथा आध्यात्मिक मायने हैं। लेकिन चरखे को आत्मनिर्भरता का प्रतीक माना जाता था। महात्मा गांधी चाहते थे कि इसके माध्यम से जन समुदाय को आत्मनिर्भर होने की सीख मिले।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जब बौद्ध धर्म को अपनाया तब उनके साथ बहुत से लोगों ने बौद्ध धर्म का अनुसरण किया। उस वक्त कि कांग्रेस पार्टी ने वोट के रूप में उन सभी लोगों को अपने साथ लेने के लिए अवसर का फायदा उठाया और चरखे को बदलकर अशोक चक्र को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में शामिल कर लिया।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर 10 लाइन 10 Lines on Tiranga Jhanda in Hindi

  • अंग्रेजी हुकूमत के समय भारत में ब्रिटेन का ध्वज ही चला करता था लेकिन स्वाधीनता संग्राम में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का जन्म हुआ।
  • संविधान के अनुसार तिरंगे का स्पर्श कभी भी पानी और जमीन पर नहीं किया जाना चाहिए।
  • 2005 से पहले तिरंगे वाला वस्त्र पहनने पर कठोर कार्यवाही होती थी।
  • भारतीय इतिहास का सबसे पहला झंडा भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था।
  • दूसरा झंडा सन 1907 में मैडम कामा और कुछ क्रांतिकारियों के द्वारा पेरिस में फहराया गया।
  • सन 1917 में डॉक्टर एनी बेसेंट और श्री लोकमान्य तिलक के द्वारा तीसरी बार संशोधित ध्वज फहराया गया।
  • सन 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान “पिंगली वेंकैया” नामक एक युवक ने तिरंगे का विचार महात्मा गांधी को बताया।
  • राष्ट्रध्वज में पांचवा संशोधन सन 1931 में हुआ। इस साल ही ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज कह कर सम्मानित किया गया।
  • राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में अशोक चक्र को धर्म चक्र के रूप में भी शामिल किया जाता है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध हिंदी में (Essay on Tiranga Jhanda in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपके लिए सरल तथा मददगार साबित हुआ हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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तिरंगा पर कविता, Poem on Tiranga in Hindi

Poem on Tiranga in Hindi – यहाँ पर हमारे देश की आन, बान और शान तिरंगा पर कविता के कुछ बेहतरीन संग्रह दिए गए हैं. इन सभी कविताओं को हमारे हिंदी के लोकप्रिय कवियों के द्वारा लिखा गया हैं.

तिरंगा झंडा जो भारत का राष्ट्रीय ध्वज हैं. यह झंडा सभी भारतियों के आन, बान और शान का प्रतीक हैं. तिरंगा झंडा की अभिकल्पना पिंगली वेकैया ने की थी. इस झंडे को 15 अगस्त और 26 जनवरी को पुरे भारत में बहुत ही सम्मान के साथ फहराया जाता हैं. तिरंगे झंडे में तिन रंग होते हैं. उपर से केसरिया, सफेद और हरा. झंडे की लम्बाई और चौराई 3:2 अनुपात में होती हैं. इस झंडे के बीच में सफेद पट्टी पर एक नीले रंग का चक्र होता हैं जिसमे 24 तीलियाँ होती हैं.

अब आइए Poem on Tiranga in Hindi को पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं, की यह सभी Poem on Tiranga Jhanda in Hindi आपको पसंद आएगी. इस तिरंगा पर कविता को अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.

Poem on Tiranga in Hindi

1. Poem on Tiranga in Hindi – विज़यी विश्व तिरंगा प्या़रा

विज़यी विश्व तिरंगा प्या़रा, झंडा ऊँचा़ रहे ह़मारा।

स़दा शक्ति ब़रसाने वाला, प्रेम सु़धा स़रसाने वाला वीरो को ह़र्षाने वाला मातृभूमि का तऩ-मन सारा, झंडा ऊँचा रहे ह़मारा।

स्वतंत्रता के भीषण ऱण में, लख़क़र जोश ब़ढ़े क्षण-क्षण़ मे, का़पे शत्रु देख़क़र मन मे, मिट जाये भय संक़ट सारा, झंडा ऊँचा रहे ह़मारा।

इ़स झंडे के नीचे निर्भय, हो स्वराज़ ज़नता का निश्चय़, ब़ोलो भारत माता की ज़य, स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा, झंडा ऊँचा रहे ह़मारा।

आ़ओ प्यारे वीरो आ़ओ, दे़श-जाति़ पऱ बलि़-ब़लि जाओ, एक़ साथ़ सब़ मिलक़र ग़ाओ, प्यारा भारत देश हमारा, झंडा़ ऊँचा रहे ह़मारा।

इसकी शान न ज़ाने पावे, चाहे ज़ान भले ही ज़ावे, विश्व-विज़य क़रके दिख़लावे, तब़ होवे प्रण-पूर्ण ह़मारा, झंडा ऊ़चा रहे ह़मारा।

श्यामलाल गुप्त पार्षद

2. तिरंगा पर कविता – आज तिरंगा फहराया है

आज तिरंगा फहराया है अपनी पूरी शान से हमें मिली आजादी वीर शहीदों के बलिदान से

आजादी के लिए हमारी लम्बी लड़ाई चली थी लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी

व्यापारी बनकर आये और छल से हम पर राज किया हमको आपस में लडवाने की नीति अपनाई थी

हमने अपना गौरव पाया अपने स्वाभिमान से हमे मिली आजादी वीर शहीदों के बलिदान से

गाँधी तिलक सुभाष जवाहर का यह प्यारा देश है जियो और जीने दो सबको देता ये संदेश हैं

प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर हिन्द महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष हैं

लगी गूंजने दसो दिशाएं वीरों के यशगान से हमें मिली आजादी वीर शहीदों के बलिदान से

हमें अपनी मातृभूमि इतना मिला दुलार है इसके आंचल की छैया से ये छोटा संसार है

हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएगे सच पूछो तो पूरा विश्व ही हमारा परिवार है

विश्व शांति की चली हवाएं अपने हिंदुस्तान से हमें मिली आजादी वीर शहीदों के बलिदान से हमें मिली आजादी वीर शहीदों के बलिदान से

SACHI AGNIHOTRI

Tiranga Jhanda Poem in Hindi

3. Short Poem on Tiranga in Hindi – ये तिरंगा ये तिरंगा ये हमारी शान है

ये तिरंगा ये तिरंगा ये हमारी शान है विश्वभर में भारती की अमिट पहचान है ये तिरंगा हाथ में ले पग निरंतर ही बढ़े ये तिरंगा हाथ में ले दुश्मनों से हम लड़े ये तिरंगा विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र है ये तिरंगा वीरता का गूंजता इक मंत्र है ये तिरंगा वन्दना है भारती का मान है ये तिरंगा विश्व जन को सत्य का संदेश है

ये तिरंगा कह रहा है अमर भारत देश है ये तिरंगा इस धरा पर शान्ति का संधान है इसके रंगो में बुना बलिदानियों का नाम हैं ये बनारस की सुबह है ये अवध की शाम है ये कभी मन्दिर कभी ये गुरुओं का द्वार लगे चर्च का गुम्बंद कभी मस्जिद की मीनार लगे

ये तिरंगा धर्म की हर राह का सम्मान है ये तिरंगा बाइबिल है भागवत का श्लोक है ये तिरंगा आयत ए कुरआन का आलोक है ये तिरंगा वेद की पावन ऋचा का ज्ञान है ये तिरंगा स्वर्ग से सुंदर धरा कश्मीर है

ये तिरंगा झूमता कन्याकुमारी नीर है ये तिरंगा माँ के होठों की मधुर मुस्कान है ये तिरंगा देव नदियों का त्रिवेणी रूप है ये तिरंगा सूर्य की पहली किरण की धुप है ये तिरंगा भव्य हिमगिरी का अमर वरदान है शीत की ठंडी हवा ये ग्रीष्म का अंगार है सावनी मौसम में मेघों का छलकता प्यार है झंझावतों में लहराए गुणों की खान है

ये तिरंगा लता की इक कुठुकती आवाज है ये रविशंकर के हाथों में थिरकता ताज है टैगोर के जनगीत जन गण मन का ये गुणगान है

ये तिरंगा गांधी जी की शान्ति वाली खोज है ये तिरंगा नेताजी के दिल से निकला ओज है ये विवेकानंद जी का जगजयी अभियान है रंग होली के है इसमें ईद जैसा प्यार है

चमक क्रिसमस की लिए यह दीप सा त्यौहार है ये तिरंगा कह रहा ये संस्कृति महान है ये तिरंगा अंडमानी काला पानी जेल है ये तिरंगा शांति और क्रांति का अनुपम मेल है वीर सावरकर का ये इक साधना संगान है

शिवांगी सिंह

4. Tiranga Jhanda Poem in Hindi – रंग़ केसरिया मस्तक़ सज़ा

रंग़ केसरिया मस्तक़ सज़ा, श्वेत ह्रदय क़े मध्य, अशोक़ चक्र विराज़े,

हरित रंग़ आँचल में सोहत, शोंभा ब़रन न जावे।

केसरी़ रंग़ वीरता का प्रतीक़, श्वेंत रंग़ विश्व शाति क़ा,

अशोक़ चक्र संपन्नता क़ा, हरा रंग़ देता हरियाली़ सीख़।

भारत-वर्ष का निज़ गौंरव ये, राष्ट्र ध्वज क़ा मिला ऩाम,

नतमस्तक़ होते सब़ इसपें, देतें इसक़ो सब़ सम्मान।

जांति-पातिं के बंधन से मुक्त, तिरंगा सब़कों देता मान,

जो रख़ता तिरंगे कीं आन, क़हलाते वो मानव महान।

Nidhi Agarwal

5. Poem on Tiranga Jhanda in Hindi – हमारा तिरंगा

हमारा तिरंगा

देश का प्रतीक है यह, हर हिंदुस्तानी के नज़दीक है यह। हर डर भुला देता है, एक जोश जगा देता है।

सूरज सा ‘नारंगी’ तेज है इसमें, शांति का ‘सफेद’ संदेश है इसमें। इसमे खुशिओं की ‘हरियाली’ है, यह चक्रवर्ती ‘चक्रधारी’ है।

वो फसलों सा लहराता है, वो हर ऊंचाई से ऊपर जाता है। एक बच्चे सा भोला है यह, वक़्त पड़ने पर दहकता शोला है यह।

मित्रों का मीत है यह, हर बुराई पर जीत है यह। जीने का अंदाज़ है यह, अपनी माटी का एहसास है यह।

इसकी अलग ही शान है, यह हमारा तिरंगा महान है।।

6. Poem on Tiranga in Hindi – तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो

तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो जिसने आजादी को अपनी जिन्दगी बनाया अपना आजादी के लिए हर एक सपना सच कर दिखाया खून की नदियाँ बहाकर उन्होंने तिरंगे को सीने से लगाया

तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो जो गोलियों की बौछार को एक दहाड़ से डराते हैं फौजी है वो इस देश के तिरंगे से इश्क की अलग दासता सुनाते है मर मिटेगे इस देश के लिए इस मिट्टी के कर्जदार है एक दिन तिरंगा ओढ़ कर इस मिट्टी में साँसे आखिरी बार है

तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो जो जान की बाजी लगा कर चाँद पर तिरंगा फहराते है जो मिट्टी का आशीर्वाद लेकर एवरेस्ट पर चढ़ जाते है आँखों में बस तिरंगे को अव्वल देखने की आस अब तो जय हिन्द बोलते है लोग और रुक जाती है दुश्मनों की सांस

तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो जो धुप या बारिश हो कभी थकते नहीं अन्नदाता है वो हमारे, हम उनके बिना जी सकते नहीं

इस रंगीले देश का तिरंगा है तीन रंगो का तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो जो करोड़ो की आबादी हो कर भी अमन के रंग को भूले नहीं लहू के रंग को भूले नहीं इस मिट्टी के रंग को भूले नहीं सलाम है हर उस हिन्दुस्तानी को जो तिरंगे से ढके हुए घर में जिन्दा रख रहा इंसानियत को तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो

श्रावणी विभूते

7. तिरंगा पर कविता – लिपट कर आज कई बदन तिरंगे में

लिपट कर आज कई बदन तिरंगे में घर वापस आए हैं लगता है फिर कई शूरवीरों ने अपने प्राण लुटाएं है

देख कर उनके चेहरों की चमकऔर शौर्य गाथाएं हमें आज फिर एक बार भगत सुखदेव राजगुरु याद आए है

आजादी हमको याद रहती लहू किनका बहा हम भूल जाते क्यों आजादी के सारे किस्से हमे आजादी के दिन ही याद आते

कह गये अलविदा वतन को वो भारत माँ के रखवाले छोड़ गये वह देश अपना अब तो तेरे हवाले बेशक आजादी तुझको याद रही पर भूल गया तू वो सीने पर गोली खाने वाले

कभी वक्त मिले तो जरा सोचना मिट्टी माथे पर लगाना और तिरंगे को चूमना सोचना कि आजादी हम तुमसे आई थी या जो लड़ते लड़ते दफन हो गये इस मिट्टी में उन्होंने हमें दिलाई थी

8. Short Poem on Tiranga in Hindi – देश की शान है तिरंगा

देश की शान है तिरंगा, हर हिंदुस्तानी के दिल की धड़कन है तिरंगा, इसकी शान-ओ-शौकत से ही, गुलशन है भारत माँ का दामन।

ये तिरंगा नही केवल, ये चैन-ओ-अमन है, शरहद पर कुर्बान होने वाले, हर शहीदों का कफ़न है।

इसके परवाज़ से ही, झूमता ये अनंत गगन है, रग-रग में बसता, सारा जग जैसे रौशन ही रौशन है।

भारत माँ के दामन पर लहराते, इस तिरंगे को नमन है, रक्षा कर इसकी देंगे प्राण न्यौछावर, हर एक भारत वासी का ये प्रण है।

निधि अग्रवाल

9. Tiranga Jhanda Poem in Hindi – तीन रंगों में रंगा हुआ

तीन रंगों में रंगा हुआ सारे जग से न्यारा है, सुनो तिरंगा हमें हमारा प्राणों से भी प्यारा है।

बतलाता है रंग केसरी वीरों ने बलिदान दिया अंग्रेजों को मार भगाया स्वतंत्र हिंदुस्तान किया, इनकी भुजाओं के बल से दुश्मन हमसे हारा है सुनो तिरंगा हमें हमारा प्राणों से भी प्यारा है।

श्वेत रंग संदेशा देता अमन चैन फ़ैलाने का प्रेम भावना बसे हृदय में ऐसा वतन बनाने का सुख-दुःख में एक दूजे का बनना हमे सहारा है सुनो तिरंगा हमें हमारा प्राणों से भी प्यारा है।

हरा रंग हरियाली का जो उन्नति पथ दिखलाता है चीर धरा का सीना हलधर सारी फसल उगाता है, सारे जगत को देता अन्न पशुओं को देता चारा है सुनो तिरंगा हमें हमारा प्राणों से भी प्यारा है।

बढ़ते रहें कहीं रुके नहीं चक्र ज्ञान यह देता है साथ समय के चले निरंतर बनता वही प्रणेता है बिना परिश्रम कहाँ किसीका चमका कभी सितारा है सुनो तिरंगा हमें हमारा प्राणों से भी प्यारा है।

10. Poem on Tiranga Jhanda in Hindi – नागाधिराज श्रृंग पर खड़ी हुई

नागाधिराज श्रृंग पर खड़ी हुई, समुद्र की तरंग पर अडी हुई, स्वदेश में जगह-जगह गडी हुई, अटल ध्वजा हरी, सफेद केसरी!

न साम-दाम के समक्ष यह रुकी, न द्वन्द-भेद के समक्ष यह झुकी, सगर्व आस शत्रु-शीश पर ठुकी, निडर ध्वजा हरी, सफेद कैसरी!

चलो उसे सलाम आज सब करें, चलो उसे प्रणाम आज सब करें, अ जर सदा इसे लिये हुये जियें, अमर सदा इसे लिये हुये मरें, अजय ध्वजा हरी, सफेद कैसरी!

11. कह दो हवाओं से मुझे हवाओं में उडाएं

कह दो हवाओं से मुझे हवाओं में उडाएं धरती की धूल हूँ मुझे तिरंगे से मिलाए

मेरी तो किस्मत में है लातों में आना सडकों पर छाना पानी में जाते ही मिट्टी कहलाना

उस मिट्टी से कोई तो कब्र बनाए शहीद के सीने से मुझे लगाए

चाहत नहीं मुझे मन्दिर की ना मस्जिद की ना गिरजे की

अ तो कोई बस सीमा पर ले जाए सैनिक के चेहरे पर मुझे सजाए कह दो हवाओं से मुझे हवाओं में उडाएं धरती की धूल हूँ मुझे तिरंगे से मिलाए

आंगन में खेले बच्चे मुट्ठी भर मुझे उडाएं रोग दोष के डर से माँ उन्हें डाट लगाए पर मेरे मन की पीड़ा किसे बताए फैके कोई हवा में और हवा में मिलाए फिर कह दो हवाओं से मुझे हवाओं में उडाए धरती की धूल हूँ मुझे तिरंगे से मिलाए

छोड़ आए जो हवाएं तिरंगे पर मुझे तब ना कोई सताए जिन्दा भी शीश झुकाए शहीद भी कफन बनाए

बख्श दे खुदा ऐसी जिन्दगी मुझे कोई फैके हवा में और हवा में मिलाए फिर कह दो हवाओं से मुझे हवाओं में उडाए धरती की धूल हूँ मुझे तिरंगे से मिलाएं – एकांश सोनी

12. जो कहलाए सोने की चिड़ियाँ

जो कहलाए सोने की चिड़ियाँ मैं इस देश की वासी हूँ] जो चले निडर कर्तव्य पथ पर वो अचल अडिग अनिवासी हूँ केसरिया, सफेद हरा पहचान है मेरे देश की ये नहीं है कोई मामुली रंग बल शांति और हरियाली का प्रतीक हैं इस जहाँ में अमन द्रश्यों का यह मीत है कोई हिन्दू में फूट डाल रहा सुलगा रहा कोई मुसलमानों को यह तिरंगा ही है जो जोड़ रहा इंसानियत से इन्सान को यह तो मेरे इस देश की एकता का राज है जिसका हिमालय भी सरताज है ए देशवासियों तुम सुनो इन रंगो की पुकार को कह रही है तुम सहेज लो यहाँ की संस्कृति परम्परा और संस्कार को श्रीराम की वंशज हूँ मैं गीता ही मेरी गाथा है छाती ठोक कर कहती हूँ भारत ही मेरी माता है – रजनी कुमारी

13. भारत देश महान है ईश्वर का वरदान है

भारत देश महान है ईश्वर का वरदान है विश्व गुरु की ओर अग्रसर अपना हिंदुस्तान है

गाँधी नेहरू का परित्याग साहस के पर्याय आजाद रानी झाँसी की तलवार भगत सुभाष की ललकार

आजादी की नींव बनाई लाल बाल और पाल ने पांचजन्य का पाठ पढाया पंडित दीनदयाल ने

सीमा के सैनिक बलिदानी शौर्य हो गई उनकी दीवानी मत भूलों इनकी कुर्बानी भूल गये ये अपनी जवानी

फहराए तिरंगा शान से गर्व और अभिमान से शव पर लिपटे शोभा बढ़े शहीद के सम्मान से

केसरिया साहस दर्शाता श्वेत शांति का मार्ग बताता हरा रंग खुशहाल बनाता चक्र जीवन की राह दिखाता – सुधीर सिंह

14. पूछा है कभी सरहद पे लहू बहाने वाले से

पूछा है कभी सरहद पे लहू बहाने वाले से तुम्हारे खून का रंग क्या है श्वेत है कि केसरिया है या स्याह है खून का रंग सबका लाल होता है मित्रों और यही जीवन का यथार्थ है कितने मुर्ख है हम और आप जो इसमें भी भेद ढूढ़ते है चंद लोगों की बातों में आकर आपस में लड़ते है

यूँ तो हम अपने आप को इक्कीसवीं सदी का कहते है चंद सिक्के की खातिर पूरी इंसानियत के कौम को बदनाम करते है और गैर लोग हम पर आँख तरेरते है किसकी जुर्रत है जो लड़ा सके भाई भाई को किसकी मजाल है जो छेड़े दिलेर को गर्दिश में घेर लेते है गीदड़ भी शेर को

समय का तकाजा है और वक्त की नजाकत है महजबी जज्बातों से खुद को बचाना होगा और हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब एक ही है ये दुनिया को दिखाना होगा ये आजादी जो मिली हमें जाने कितनों की कुर्बानी से हर्गिज न मिटने देगे इसे चंद लोगों की मनमानी से प्राणों की आहुति दे कर भी देश की रक्षा करेगे तिरंगे की कसम अब तिरंगे को अपने में भी झुकने ना देगे.

15. ऊँचा रहे तिरंगा भैया

ऊँचा रहे तिरंगा भैया, ऊँचा रहे तिरंगा

रहे न कोई भूखा नंगा बच्चा बच्चा देश का चंगा कहीं न होवे झगड़ा दंगा ऊँचा रहे तिरंगा

हर बच्चे को मुफ्त दिलावें कॉपी पेन्सिल और किताबें अनपढ़ता का मिट जाए टंटा ऊंचा रहे तिरंगा

सभी कहावे हिंदुस्तानी सब ही बोलें प्यार की बानी भेदभाव का कट जाए फंदा ऊंचा रहे तिरंगा ऊंचा रहे तिरंगा भैया ऊँचा रहे तिरंगा

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मातृभूमि पर कविता अनुशासन पर कविता ब्रोकेन हार्ट कविता योग पर कुछ कविताएँ.

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राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध (National Flag Essay in Hindi)

राष्ट्रीय ध्वज़

किसी राष्ट्र का “राष्ट्रीय ध्वज” उस राष्ट्र के स्वतंत्रता का प्रतीक है। प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का एक अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है। इसी प्रकार से हमारे देश का भी राष्ट्र ध्वज है, जिसे तिरंगा कहते हैं। भारत का राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा भारत का गौरव है और यह प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत महत्व रखता है। यह ज्यादातर राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर तथा भारत के लिए गर्व के क्षणों में लहराया जाता है।

राष्ट्रीय ध्वज का महत्व पर 10 वाक्य || भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर 10 वाक्य

राष्ट्रीय ध्वज पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on National Flag in Hindi, Rashtriya Dhwaj par Nibandh Hindi mein)

राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

राष्ट्रीय ध्वज देश की स्वतंत्रता का प्रतीक होता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में, तीन रंग विद्यमान हैं, इसके वजह से इसका नाम तिरंगा रखा गया है। पहले के राष्ट्रध्वज संहिता के अनुसार केवल सरकार तथा उनके संगठन के माध्यम से ही राष्ट्र पर्व के अवसर पर ध्वज फहराने का प्रावधान था। परन्तु उद्योगपति जिन्दल के न्यायपालिका में अर्जी देने के बाद ध्वज संहिता में संशोधन लाया गया। कुछ निर्देशों के साथ निजी क्षेत्र, स्कूल, कार्यालयों आदि में ध्वज लहराने की अनुमति दी गई।

राष्ट्रध्वज की बनावट

इसकी प्रत्येक पट्टियां क्षैतिज आकार की होती हैं। सफेद पट्टी पर गहरे नीले रंग का अशोक चक्र अपनी 24 तीलियां के साथ तिरंगा की शोभा बढ़ा रहा है। जिसमें 12 तीलियां मनुष्य के अविद्या से दुःख तक तथा अन्य 12 अविद्या से निर्वाण (जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति) का प्रतीक है। ध्वज की लम्बाई तथा चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार राष्ट्रध्वज हस्त निर्मित खादी कपड़े से ही बनाया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय ध्वज में रंगों के मायने तथा महत्व

राष्ट्र ध्वज में तीन रंग सुशोभित हैं, इसकी अभिकल्पना स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व पिंगली वैंकैया ने किया था। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग का उपयोग किया गया है। इनके दार्शनिक तथा अध्यात्मिक दोनों ही मायने हैं।

केसरिया – भगवाँ मतलब वैराग्य, केसरिया रंग बलिदान तथा त्याग का प्रतीक है, साथ ही अध्यात्मिक दृष्टी से यह हिन्दु, बौद्ध तथा जैन जैसे अन्य धर्मों के लिए अस्था का प्रतीक है।

सफेद – शान्ति का प्रतीक है तथा दर्शन शास्त्र के अनुसार सफेद रंग स्वच्छता तथा ईमानदारी का प्रतीक है।

हरा – हरा रंग खुशहाली और प्रगति का प्रतीक है तथा हरा रंग बिमारीयों को दूर रखता है आखों को सुकून देता है व बेरेलियम तांबा और निकील जैसे कई तत्व इसमें पाए जाते हैं।

भारत का राष्ट्रध्वज देश का शान, गौरव तथा अभिमान होता है। इसकी अभिकल्पना महान पुरूषों द्वारा बहुत सोच समझ कर की गई है। जिसमें प्रत्येक रंग तथा चक्र देश की एकता, अखण्डता, विकास तथा खुशहाली को दर्शाता हैं।

Rashtriya Dhwaj par Nibandh – निबंध (400 शब्द)

“तिरंगा” नाम से ही जान पड़ता है, तीन रंगों वाला। हमारे राष्ट्रध्वज में तीन महत्वपूर्ण रंगों के साथ अशोक चक्र (धर्म चक्र) के रूप में तिरंगे की शोभा बनाए हुए हैं। इन सब के अपने- अपने अध्यात्मिक तथा दार्शनिक मायने है पर स्पष्ट रूप से बताया गया है की इसका कोई साम्प्रदायिक महत्व नहीं है। इस तिरंगे की शान में अनेक जान न्यौछावर हुए हैं। राष्ट्रध्वज के महत्व व उसकी गरिमा सदैव बनी रहे इस बात को मद्दे नज़र रखते हुए, तिरंगे के प्रदर्शन तथा प्रयोग पर विषेश नियंत्रण है।

भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता

26 जनवरी 2002 को, स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्षों पश्चात् राष्ट्रध्वज संहिता में संशोधन किया गया। राष्ट्रध्वज संहिता से आशय भारतीय ध्वज फहराने तथा प्रयोग को लेकर बताए गए निर्देश से है। इस संशोधन में आम जनता को अपने घरों तथा कार्यालयों में साल के किसी दिन भी ध्वज को फहराने की अनुमति दी गई पर साथ में, ध्वज के सम्मान में कोई कमी न आये इस बात का भी ख़ास खयाल रखने का निर्देश दिया गया।

सुविधा की दृष्टी से भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता को तीन भागों में बांटा गया है

पहले में, ध्वज के सम्मान की बात रखी गई। दुसरे भाग में, जनता निजी संस्थान तथा शैक्षिक संस्थान आदि द्वारा राष्ट्रध्वज के प्रदर्शन का विवरण दिया गया। तीसरे भाग में, केन्द्रीय तथा राज्य सरकार तथा उनके संगठनों को राष्ट्रध्वज के प्रयोग के विषय में जानकारी दी गई है।

राष्ट्रध्वज के सम्मान में

राष्ट्रध्वज की शान, प्रतिष्ठा, मान तथा गौरव सदा बनी रहे, इसलिए भारतीय कानून के अनुसार ध्वज को सदैव सम्मान के नज़र से देखना चाहिए, तथा झण्डे का स्पर्श कभी भी पानी और ज़मीन से नहीं होना चाहिए। मेज़पोश के रूप में, मंच, किसी आधारशिला या किसी मुर्ति को ढकने के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।

2005 से पूर्व तक इसका उपयोग किसी पोशाक तथा वर्दी के रूप में नहीं किया जा सकता था, पर 5 जुलाई 2005 के संशोधन के पश्चात से इसकी अनुमति दी गई। इसमें भी कमर के नीचे के कपड़े व रूमाल तथा तकिये के रूप में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। झण्डा डुबाया नहीं जा सकता है, तथा जान-बूझकर उल्टा नहीं रखा जा सकता है। राष्ट्रध्वज को फहराना एक पूर्ण अधिकार है, पर इसका पालन संविधान के अनुच्छेद 51ए के अनुसार करना होगा।

उद्योगपति सांसद नवीन जिन्दल द्वारा कोर्ट में याचिका रखा गया। जिसमें आम नागरिक द्वारा झण्डे के फहराने की मांग कि गई। तथा 2005 में ध्वज संहिता में संशोधन कर निजी क्षेत्र, शैक्षिक संस्थान, कार्यालयों में झण्डे को फहराने की अनुमति दी गई। पर इसके साथ निर्देश द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया की झण्डे का पूर्ण रूप से सम्मान किया जाए।

निबंध – 3 (500 शब्द)

सबसे पहले महात्मा गांधी ने 1921 में कांग्रेस के सम्मुख राष्ट्रीय ध्वज की बात रखी। पिंगली वैंकैया द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व ध्वज की अभिकल्पना की गई। 22 जुलाई 1947 के संविधान सभा बैठक में इसे अपनाया गया। राष्ट्रध्वज में तीन रंग सुशोभित है तथा मध्य में गहरे नीले रंग का चक्र 24 आरों के साथ विद्यमान हैं। इन सब का अपना- अपना विशेष मायने तथा महत्व है।

राष्ट्रध्वज का इतिहास

  • सबसे पहला झंडा 1906 में कांग्रेस के अधिवेशन में, पारसी बगान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकत्ता में, फहराया गया। यह भगिनी निवेदिता द्वारा 1904 में बनाया गया था। इस ध्वज को लाल, पीला और हरा क्षैतिज पट्टी से बनाया गया, सबसे ऊपर हरी पट्टी पर आठ कमल के पुष्प थे, मध्य की पीली पट्टी पर वन्दे मातरम् लिखा था तथा सबसे आखरी के हरे पट्टी पर चाँद तथा सूरज सुशोभित थे।
  • दूसरा झण्डा 1907 पेरिस में, मैडम कामा तथा कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया। यह पूर्व ध्वज के समान था। बस इसमें सबसे ऊपर लाल के स्थान पर केसरिया रंग रखा गया। उस केसरिया रंग पर सात तारों के रूप में सप्तऋषि अंकित किया गया।
  • तीसरा झण्डा 1917 में , जब भारत का राजनैतिक संघर्ष नये पढ़ाव से गुज़र रहा था। घरेलु शासन आन्दोलन के समय पर डॉ एनी बेसेन्ट तथा लोकमान्य तिलक द्वारा यह फहराया गया। यह पाँच लाल तथा चार हरी क्षैतिज पट्टी के साथ बना हुआ था। जिसमें एक लाल पट्टी तथा फिर एक हरी पट्टी करके समस्त पट्टीयों को जुड़ा गया था। बाये से ऊपर की ओर एक छोर पर यूनियन जैक था, तथा उससे लग कर तिरछे में बायें से नीचे की ओर साप्तऋषि बनाया गया व एक कोने पर अर्ध चन्द्र था।
  • चौथा झण्डा तथा गाँधी का सुझाव 1921 में, अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में, अन्द्रप्रदेश के एक युवक “पिंगली वैंकैया” ने लाल तथा हरे रंग की क्षैतिज पट्टी को झण्डे का रूप दिया। जिसमें लाल हिन्दु के आस्था का प्रतीक था और हरा मुस्लमानों का। महात्मा गाँधी ने सुझाव दिया इसमें अन्य धर्मों की भावनावों की कद्र करते हुए एक और रंग जोड़ा जाए तथा मध्य में चलता चरखा होना चाहिए।
  • पांचवा झंडा, स्वराज ध्वज 1931 झण्डे के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष रहा। इस वर्ष में राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने का प्रस्ताव रखा गया तथा राष्ट्रध्वज को मान्यता मिला। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग को महत्व दिया गया जो की वर्तमान ध्वज का स्वरूप है, तथा मध्य में चरखा बनाया गया।
  • छठवां झंडा, तिरंगा को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता 22 जुलाई 1947 को अन्ततः कांग्रेस पार्टी के झण्डे (तिरंगा) को राष्ट्र ध्वज के रूप में (वर्तमान ध्वज) को स्वीकार किया गया । केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया।

तिरंगे का इतिहास स्वतंत्रता प्राप्ति से बहुत समय पूर्व प्रारम्भ हो गया था। जिसमें समय-समय पर सोच विचार कर संशोधन किए गए। यह सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के ध्वज के रूप में था, पर 1947 में तिरंगे को राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया गया और यह प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण था।

राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध 4 (600 शब्द)

झण्डे के अनेक संशोधन के पश्चात, 1947 में संविधान सभा के बैठक में, वर्तमान ध्वज को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता दिया गया। इसे पिंगली वैंकैया ने डिज़ाइन किया था। प्रत्येक स्वतंत्र देश का एक अपना राष्ट्रध्वज होता है, जो उस देश का प्रतीक होता है।

माहात्मा गाँधी ने राष्ट्रध्वज के निर्माण में विषेश भूमिका निभाया, अतः उनके शब्दों में :

“ सभी राष्ट्र के लिए एक राष्ट्रध्वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी जान न्यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्ट करना पाप होगा। ध्वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिक के ध्वज पर बने सितारे और पट्टीयों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्लाम धर्म में सितारे और अर्ध चन्द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आवाहन करता है।”- महात्मा गाँधी

तिरंगे के उपलक्ष्य में

एक कहानी यह है की, महात्मा गाँधी ने झंडे पर चलते हुए चरखे का सुझाव दिया था। जो की सत्य है, पर चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को चुना गया। जिससे गाँधी के मन को ठेस पहुंचा तथा उन्होंने कहा मैं इस झंडे को सलामी नहीं दुंगा।

“ध्वाजारोहड़” प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण

करीब 200 साल की गुलामी और अनेकों नौजवान द्वारा अपने प्राणों की आहुति देने के पश्चात 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुआ। 15 अगस्त 1947 में लाल किले के प्राची से भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा ध्वज फहराया गया। ध्वज की शान प्रतिष्ठा तथा सम्मान को बनाए रखना हर भारतीय का कर्तव्य है।

  • विंग कमांडर राकेश शर्मा ने 1984 में, राष्ट्रध्वज को चांद पर लहराया।
  • राष्ट्रध्वज को लहराने का समय दिन में, सूर्योदय के बाद तथा सूर्यास्थ से पहले का है।
  • राष्ट्रध्वज निर्माण के लिए विषेश प्रकार से हाथ से काते गए खादी के वस्त्र का प्रयोग किया जाता है।
  • किसी राष्ट्रविभुति के निधन पर राष्ट्र शोक में कुछ समय के लिए तिरंगे को झुका दिया जाता है।
  • देश का संसद भवन एक मात्र ऐसा स्थान है जहां एक साथ तीन तिरंगे लहराये जाते है।
  • देश के लिए जान देने वाले महान पुरूषों के शव को तिरंगे में लपेटा जाता है जिसमें केसरिया सिर के ओर तथा हरा पैर के ओर रखा जाता है।
  • देश का सबसे ऊँचा झण्डा भारत पाकिस्तान के अटारी बोर्डर पर 360 फीट की ऊचाई पर लहराया गया है।
  • 21 फीट गुणा 14 फीट के झण्डे पूरे देश के केवल तीन किले पर फ़हराये जाते है, कार्नाटक का नारगुंड किला, मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित किला तथा महाराष्ट्र का पनहाल किला।
  • “फ्लैग कोड ऑफ इंडिया” भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता में ध्वज से संबंधित कानून का विवरण किया गया है।
  • झंडे पर किसी भी प्रकार की आकृति का बनाना या लिखना दंडनीय अपराध है।
  • राष्ट्रपति भवन के संग्रालय में एक लघु तिरंगा रखा गया है, जिसका स्तम्भ सोने से निर्मित है तथा अन्य स्थान पर हीरे जवाहरात लगे हैं।
  • राष्ट्रध्वज के समीप किसी अन्य ध्वज को राष्ट्रध्वज के बराबरी में या उससे ऊँचा नहीं फहराया जा सकता।
  • वीरों की शव पर लपेटे गए तिरंगे को पुनः लहराया नहीं जा सकता, उसे जला दिया जाता है या पत्थर से बांध कर जल में डाल दिया जाता है आदि।

अनेक पढ़ाव को पार कर राष्ट्रध्वज तिरंगा आज भारत की शान है। राष्ट्रध्वज का अपमान देश का अपमान है अतः इसका दोषी दंड का पात्र है। ध्वज के अपमान किए जाने पर दंड स्वरूप तीन वर्ष की कैद तथा जुर्माने का प्रावधान है। राष्ट्रध्वज से संबंधित अनेक रोचक तथ्य तथा निर्देश है जैसे झंडे का प्रयोग कैसे करें, कैसे न करें, कब झंडे को झुकाया जाता है आदि, इन सभी उपदेशों का हम सबको गंभीरता से पालन करना चाहिए।

Essay on National Flag in Hindi

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Hindi Essay on “Hamara Tiranga Jhanda”, “हमारा तिरंगा झंडा” Hindi Paragraph, Speech, Nibandh for Class 6, 7, 8, 9, 10 Students.

हमारा तिरंगा झंडा, hamara tiranga jhanda.

हर स्वतंत्र देश का अपना झंडा होता है। तिरंगा भारत का राष्टीय झंडा है। तिरंगे को लहराता देखकर हमारा हृदय खुशी से नाच उठता है।

तिरंगे में तीन रंग होते हैं : सबसे ऊपर केसरी, बीच में सफेद और नीचे हरा। बीच के सफेद भाग में अशोकचक्र होता है। केसरी रंग त्याग और बलिदान का सूचक है। सफेद रंग शांति का संदेश देता है। हरा रंग देश की सुख-समृद्धि का प्रतीक है। अशोकचक्र सब धर्मों के प्रति हमारे समभाव को दर्शाता है।

राष्ट्रीय त्योहारों के दिन सरकारी इमारतों पर राष्ट्रध्वज फहराया जाता है। 15 अगस्त और 26 जनवरी को दिल्ली में हमारे प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं।

हमारा राष्ट्रध्वज हमारे गौरव का प्रतीक है। इसे हम कभी झुकने नहीं देंगे। इसके लिए हम अपना सब कुछ न्यौछावर कर देंगे।

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा।

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जानिए तिरंगे का इतिहास, क्यों यही बना राष्ट्रीय ध्वज, क्या हैं फहराने के नियम

aajtak.in

  • नई द‍िल्ली ,
  • 12 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 3:08 PM IST

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्‍वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी. इसे 15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया गया.  

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

हमारे लिए तिरंगा बेहद महत्वपूर्ण और गौरव का विषय है. इस नाम के पीछे की वजह इसमें इस्तेमाल होने वाले तीन रंग हैं, केसरिया, सफेद और हरा. इसके मौजूदा स्वरूप का विकास भी कई पड़ावों में हुआ है. अभी जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था. तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था. वहीं क्या आप जानते हैं कि तिरंगे को फहराने के कुछ नियम भी हैं.

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

जानें तिरंगे से जुड़े तथ्य:- 

किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए. बताया जाता है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे. रांची का पहाड़ी मंदिर भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहां तिरंगा फहराया जाता हैं. 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी रांची में ही फहराया गया है.

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देश में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है. तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए. प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है. तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा, जिसका अनुपात 3:2 तय है. वहीं जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं.

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सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है. किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता. और न ही इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने किया जा सकता है.

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किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए. यह इसका अपमान होता है. तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता. भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित हुबली एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान हैं जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता है. किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते हैं.

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29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था. इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी. आम नागरिकों को अपने घरों या ऑफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली. तिरंगे को रात में फहराने की अनुमति साल 2009 में दी गई.

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पूरे भारत में 21 × 14 फीट के झंडे केवल तीन जगह पर ही फहराए जाते हैं: कर्नाटक का नारगुंड किला, महाराष्ट्र का पनहाला किला और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला. राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा हैं, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया है. भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होने और राष्ट्रीय शोक घोषित होने पर कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता है. लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुकाया जाता है जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा है. जैसे ही पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाला जाता है, वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता है.

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता है. इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए. शव को जलाने या दफनाने के बाद उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं. कटे-फटे या रंग उड़े हुए तिरंगे को भी सम्मान के साथ जला दिया जाता है या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती है.

हर घर तिरंगा पर निबंध

Har Ghar Tiranga Essay in Hindi: हर घर तिरंगा अभियान देश की आजादी के 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में चलाया जा रहा है, जिसमें सभी देशवासी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

इस अभियान के तहत देश के कोने-कोने से सभी जाति, धर्म, संप्रदाय एवं समूह के लोग जुट रहे हैं। तिरंगा हमारा राष्ट्रीय ध्वज है, हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज है, जिसे स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में फहराया जाता है।

har ghar tiranga par nibandh essay

हर घर तिरंगा अभियान का अर्थ प्रत्येक घर पर तिरंगा झंडा लहराना है। इस अभियान के तहत लोग अपने घरों पर तिरंगा झंडा लहरा रहे हैं।

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हर घर तिरंगा पर निबंध (Har Ghar Tiranga Essay in Hindi)

हर घर तिरंगा अभियान को आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत चलाया जा रहा है। इस वर्ष 15 अगस्त को हमारा देश अंग्रेजों से आजाद हुए 75 वर्ष गये है। वर्ष 1947 में 15 अगस्त के दिन हमारा देश अंग्रेजों से आजाद हुआ था।

जिसके बाद हर वर्ष 15 अगस्त के दिन भारत में हर्षोल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, जिसके अंतर्गत ध्वजारोहण, परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा वीर जवानों को याद किया जाता है, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दे दिया था।

यहां पर अलग-अलग शब्द सीमा में हर घर तिरंगा निबंध (Har Ghar Tiranga Par Nibandh) उपलब्ध किया है। यह निबन्ध हर कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

हर घर तिरंगा पर निबंध (150 शब्द)

हर घर तिरंगा अभियान को भारत सरकार ने आगामी 15 अगस्त तक आजादी के अमृत महोत्सव के तहत शुरू किया है। इस अभियान के अंतर्गत लोगों को अपने घरों पर झंडा फहराने की पेशकश भारत सरकार द्वारा की गई है।

15 अगस्त को हमारा देश ने आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाई। इस उपलक्ष में भारत सरकार की तरफ से आजादी का अमृत महोत्सव अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें सभी देशवासी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

अंग्रेजों से मिली आजादी का महत्व उस समय के लोग भली-भांति जानते हैं, लेकिन जिन लोगों ने ब्रिटिश कालीन भारत या गुलामी नहीं देखी है, उन्हें आजादी का महत्व पता होना चाहिए।

इसी उपलक्ष में हर वर्ष 15 अगस्त मनाई जाती है। लेकिन भारत सरकार ने इस आगामी 15 अगस्त को देश के प्रत्येक घरों पर तिरंगा झंडा लहराने के लिए देशवासियों से पेशकश की है।

भारत सरकार ने आगामी 15 अगस्त को भारत में 75 वें स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ के उपलक्ष में आजादी का अमृत महोत्सव अभियान चलाया है, जिससे सभी देशवासियों को “हर घर तिरंगा” मुहिम के जरिए आजादी की महत्वता पता चल सके।

Har Ghar Tiranga Essay in Hindi

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हर घर तिरंगा पर निबंध (250 शब्द)

इस वर्ष 15 अगस्त 2022 को भारत को अंग्रेजों से आजादी मिले हुए पूरे 75 वर्ष हुए, इसलिए हमारे देश के प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी ने भारत की आजादी के 75वी वर्षगांठ के उपलक्ष में एक बहुत बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता मुहिम को आयोजित किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान समय में संपूर्ण देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के दिन भारत को 75 वर्ष स्वतंत्रता की दृष्टि से पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव अभियान चलाया जा रहा है।

हर घर तिरंगा मुहिम को आजादी के अमृत महोत्सव यानी भारतीय स्वतंत्रता के 75वी वर्षगांठ पूर्ण होने के उपलक्ष्य में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देश अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुरू की है।

इस मुहिम का उद्देश्य भारत के लोगों को आजादी का मूल अर्थ तथा स्वतंत्रता का महत्व समझाना है। इस मुहिम के अंतर्गत लोगों को पता चलेगा कि भारत ने किस कठिनाई परिस्थिति और हालातों के आधार पर अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त की तथा अंग्रेजों की गुलामी के अंतर्गत उन्होंने कौन-कौन से दिन देखे थे?

वर्तमान समय में पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए उत्साहित हैं। क्योंकि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं देशवासियों को इस अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है।

इस अभियान के जरिए भारत सरकार ने हर घर तिरंगा मुहिम छेड़ी है। इस मुहिम के जरिए देश के सभी नागरिकों को अपने घर की छत पर तिरंगा झंडा लहराना है, जिससे आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत के आजादी की 75वीं वर्षगांठ के दिवस पर देश का एक अद्भुत नजारा देखने को मिले।

हर घर तिरंगा पर निबंध (500 शब्द)

राष्ट्रीय ध्वज से उस देश की पहचान की जाती है। क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज ही उस देश का प्रतीक होता है, जिसे यह पता लगाया जाता है कि उस देश का अतीत क्या है, उस देश का वर्तमान क्या है और देश का भविष्य क्या है।

किसी भी देश को उसके राष्ट्रीय ध्वज से ही पहचाना जाता है। इसीलिए भारत सरकार ने आगामी 15 अगस्त के लिए आजादी का अमृत महोत्सव अभियान के अंतर्गत हर घर तिरंगा मुहिम को शुरू किया है, जिसके अंतर्गत सभी भारत वासियों को अपने घर की छत पर तिरंगा झंडा लगाना है।

इससे हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को भी सम्मान मिलेगा और दुनिया में हमारे राष्ट्रीय ध्वज की एक अलग पहचान बन जाएगी।

हर घर तिरंगा

बड़े पैमाने पर हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज लहराता हुआ देख हम सबको गौरवान्वित महसूस होगा। इसी के उपलक्ष में  भारत के संपूर्ण नागरिक को आजादी का अर्थ एवं भारतीय झंडे की महत्वता का मूल उद्देश्य जानने के लिए बड़े पैमाने पर सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान जारी किया है।

इस अभियान के अंतर्गत सरकार ने कई तरह के कार्यक्रम तय किए हैं, जो आगामी 15 अगस्त के दिन होने वाले हैं।

15 अगस्त से पहले देश के कोने कोने में बड़े पैमाने पर आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत कार्यक्रम होंगे, जिसमें देश के बड़े-बड़े नेता भाग लेंगे। क्योंकि आगामी 15 अगस्त को हमारा देश अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त किए हुए 75वीं वर्षगांठ मनाने को तैयार हैं।

भारत सरकार की इस अभियान को बड़े पैमाने पर आयोजित करवा रही है, जिसे देश के सभी जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय, समूह, महिलाएं, पुरुष, बच्चे‌ एवं बुजुर्ग इत्यादि सभी का भरपूर सहयोग मिल रहा है।

वर्तमान समय में संपूर्ण देश में हर जगह प्रत्येक व्यक्ति के जुबां पर “आजादी का अमृत महोत्सव तथा हर घर तिरंगा” नाम सुनने को मिलता है।

हर घर तिरंगा अभियान

भारत सरकार ने सभी देशवासियों से आग्रह किया है कि वे अपने घर पर तिरंगा झंडा लगाएं। 15 अगस्त तक सभी लोग अपने घर की छतों पर तिरंगा झंडा लहरा कर रखें।

हम सोच सकते हैं कि जब भारत के लगभग 150 करोड़ लोगों के घरों पर तिरंगा झंडा लहराता होगा, तो उस समय कैसा दृश्य नजर आता होगा। इसी दृश्य को देखने के लिए भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत हर घर तिरंगा मुहिम छेड़ी है।

इस अभियान का हिस्सा बनकर आप भी अपने घरों पर तिरंगा झंडा लहराए। भारत सरकार इस अभियान को बढ़-चढ़कर प्रमोट कर रही है क्योंकि इससे लोगों को भारत के राष्ट्रीय ध्वज की महत्वता का पता चलेगा।

इस वर्ष 15 अगस्त 2022 को हमारा देश धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। उस दिन भारत की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण हुए।

इसी उपलक्ष में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने इस आजादी के उत्सव को बड़े पैमाने पर आयोजित करवाने के लिए इसे महोत्सव के आधार पर आजादी का अमृत महोत्सव अभियान शुरू किया है।

इस अभियान के अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के गृहमंत्री श्रीमान अमित शाह ने हर घर तिरंगा अभियान को शुरू किया है। लोगों को अपने घर की छतों पर तिरंगा झंडा लहराना है, हमारे देश की ताकत और झंडे का सम्मान बढ़ाना है।

हर घर तिरंगा पर निबंध (850 शब्द)

तिरंगा झंडा भारत का राष्ट्रीय ध्वज है, जिसे भारत की शान माना जाता है। राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश के लिए बड़े सम्मान की बात होती है।

क्योंकि देश के सैनिक शहीद होने पर तथा देश के बड़े-बड़े नेता शहीद होने पर राष्ट्रीय ध्वज को झुकाया जाता है और उस ध्वज के अंदर ही देश के लिए समर्पित लोगों को लपेट कर अंतिम संस्कार के जाता है।‌ इस बात से आप किसी भी देश का राष्ट्रीय दिवस का महत्व जान सकते हैं।

इसी महत्व को बरकरार रखने के लिए तथा देश के प्रत्येक व्यक्ति को हमारे भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे झंडे का महत्त्व जानने के लिए भारत सरकार ने एक अभियान और एक मुहिम छेड़ी है, जिसकी वर्तमान समय में पूरे देश में काफी चर्चा देखने को मिलती है। भारत सरकार ने “हर घर तिरंगा” मुहिम को बड़े पैमाने पर शुरू किया है।

हर घर तिरंगा यानी प्रत्येक घर पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराना। इस मुहिम को बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है। इसीलिए इसे हर घर तिरंगा अभियान कहा जाता है।

आसान भाषा में कहें तो भारत सरकार ने देश के प्रत्येक घर पर लोगों को तिरंगा झंडा लगाने के लिए कहा है। भारत सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान नाम से एक अभियान जारी किया है, जिसके अंतर्गत लोगों को तिरंगे झंडे का महत्व बताना है।

भारत सरकार आगामी 15 अगस्त को भारत का एक बेहतरीन दृश्य देखना चाहती है तथा संपूर्ण भारत वासियों को आने वाली 15 अगस्त के दिन देश का एक अद्भुत और मन भावना दृश्य दिखाना चाहती है।

इस मुहिम का हिस्सा बनने वाले लोग अपने नाम का “हर घर तिरंगा सर्टिफिकेट” सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं।

तिरंगे झंडे का महत्व

हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे झंडे में तीन रंग है। पहला केसरिया रंग, दूसरा सफेद रंग और तीसरा हरा रग। इन तीनों ही रंग का अलग अलग महत्व है।

हमारे तिरंगे झंडे में सबसे पहला केसरिया रंग हमें बलिदान का अनुभव करवाता है क्योंकि केसरिया रंग बलिदान का प्रतीक है। जबकि तिरंगे झंडे में दूसरा सफेद रंग शांति का प्रतीक है। जबकि तीसरा हरा रंग हरियाली का प्रतीक है।

हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है, इसीलिए हरे रंग को विशेष महत्वता दी जाती है। आसान भाषा में कहें तो हमारा देश खेती-बाड़ी से ही चलता है। हमारे देश में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है, जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था चलती है।

इसीलिए तिरंगे झंडे में इन तीन विशेष रंगों को शामिल किया गया है, जो हमें हर समय बलिदान शांति और हरियाली का महत्व समझाता है।

आजादी का अमृत महोत्सव

15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों से 200 वर्षो की गुलामी के बाद आजाद हुआ था, जिसके बाद हर वर्ष 15 अगस्त के दिन आजादी का उत्सव संपूर्ण देश में धूमधाम तथा हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

इसी कड़ी में इस वर्ष 15 अगस्त 2022 को हमें अंग्रेजों से आजाद हुए पूरे 75 वर्ष हुए। इसी के उपलक्ष में आजादी की 75वी वर्षगांठ के मध्य नजर भारत सरकार इस बार आजादी के उत्सव को बड़े पैमाने पर महोत्सव के रूप में मनाना चाहती है।

इसीलिए भारत सरकार ने आगामी 15 अगस्त को होने वाले आजादी के महोत्सव की तैयारियां और इसके अंतर्गत होने वाले कार्यक्रम को “आजादी का अमृत महोत्सव” नाम दिया है।

आजादी का अमृत महोत्सव बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा है, जिसे लगभग 15 अगस्त से 1 महीने पहले ही शुरू कर दिया गया।

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी ने देश की आजादी के 75 वर्ष गांठ को यादगार बनाने के लिए तथा देश के लोगों को आजादी का असली अर्थ बताने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव नाम का यह अभियान शुरू किया है।

इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “हर घर तिरंगा अभियान” की शुरुआत की है। हर घर तिरंगा अभियान यानी कि प्रत्येक घर पर तिरंगा झंडा लहराना। इस मुहिम को बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है। इसीलिए हर घर तिरंगा की मुहिम अभियान बन चुका है।

हर घर तिरंगा अभियान का उद्देश्य

भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत लोगों का उत्साह चरम पर है। लोग इस अभियान के अंतर्गत अपने घरों पर तिरंगा झंडा लहरा रहे हैं।

सोशल मीडिया पर भी इस अभियान के तहत लोग अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत हर घर तिरंगा अभियान को जारी किया है।

यह अभियान भारत में बड़े पैमाने पर चल रहा है, जो आगामी 15 अगस्त को आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के बाद समाप्त हो जाएगा। इसका उद्देश्य लोगों को आजादी का अर्थ पता करना तथा तिरंगे झंडे का महत्व जानना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए सभी देशवासियों से अपील की है, कि वे अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट पर तिरंगा झंडा की फोटो लगा दें। यानी कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने अकाउंट की डीपी चेंज करके तिरंगा झंडा लगाएं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट जैसे– इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, इत्यादि पर अपने अकाउंट की प्रोफाइल फोटो को चेंज करके भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा लगा दिया है।

देखते ही देखते लोगों ने प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन पर चलकर सोशल मीडिया पर अपने सभी अकाउंट की प्रोफाइल फोटो को तिरंगे में बदल दिया है।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज की असली ताकत जानने के लिए तथा जिन लोगों ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान और योगदान दिया था।

उनके योगदान को समझने के लिए उनके बलिदान को जानने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के दिन भारत की स्वतंत्रता के 75 की वर्षगांठ के अवसर पर हर घर तिरंगा अभियान को आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत जारी किया है।

भारत सरकार के इस अभियान को संपूर्ण देश वासियों में काफी उत्साह देखने को मिलता है और इस अभियान को देशवासियों ने काफी सपोर्ट किया है।

आजादी के अमृत महोत्सव या हर घर तिरंगे के विषय पर आप 15 अगस्त के दिन अपने स्कूल या शिक्षण संस्थान पर भाषण दे सकते हैं या निबंध लिख सकते हैं।

इस आर्टिकल में हमने आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से अलग-अलग शब्द सीमा में हर घर तिरंगा पर निबंध (Har Ghar Tiranga Nibandh) लिखकर बताया है।

उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरुर करें आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

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राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - राष्ट्रीय ध्वज में कितने रंग होते हैं - राष्ट्रध्वज का इतिहास - राष्ट्रीय ध्वज का महत्व - उपसंहार।

प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक चिन्ह या प्रतीक होता है। जिससे उसकी पहचान बनती है। राष्ट्रीय ध्वज हर राष्ट्र के गौरव का प्रतीक होता है। ‘तिरंगा’ हमारा राष्ट्रीय ध्वज है। हमारा देश भारत विविध जातियों, धर्मों और संस्कृतियों को देश है। इसी प्रकार हमारा ध्वज भी भाव प्रधान है। हमारे राष्ट्र के झंडे में तीन रंग हैं इसीलिये इसे तिरंगा कहते हैं। झंडे में तीन रंगों की पट्टियाँ हैं। जिनका आकार समान है। झंडे के सबसे ऊपर केसरिया रंग है जो वीरता और शौर्य को प्रकट करता है। बीच का हिस्सा सफेद रंग हा है जो पवित्रता, त्याग भावना एवं सादगी का प्रतीक है। नीचे के भाग का हरा रंग हमारे देश की हरी भरी धरती और सम्पन्नता को दर्शाता है। ध्वज की मध्य सफेद पट्टी पर अशोक चक्र बना है। नीले रंग के अशोक चक्र में 24 लाइनें हैं। अशोक चक्र धर्म, विजय एवं प्रगति का द्योतक है।

राष्ट्र ध्वज में तीन रंग सुशोभित हैं, इसकी अभिकल्पना स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व पिंगली वैंकैया ने किया था। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग का उपयोग किया गया है। इनके दार्शनिक तथा अध्यात्मिक दोनों ही मायने हैं।

  • केसरिया- भगवाँ मतलब वैराग्य, केसरिया रंग बलिदान तथा त्याग का प्रतीक है, साथ ही अध्यात्मिक दृष्टी से यह हिन्दु, बौद्ध तथा जैन जैसे अन्य धर्मों के लिए अस्था का प्रतीक है।
  • सफेद- शान्ति का प्रतीक है तथा दर्शन शास्त्र के अनुसार सफेद रंग स्वच्छता तथा ईमानदारी का प्रतीक है।
  • हरा- खुशहाली और प्रगति का प्रतीक है तथा हरा रंग बिमारीयों को दूर रखता है आखों को सुकून देता है व बेरेलियम तांबा और निकील जैसे कई तत्व इसमें पाए जाते हैं।

इसकी प्रत्येक पट्टियां क्षैतिज आकार की हैं। सफेद पट्टी पर गहरे नीले रंग का अशोक चक्र अपनी 24 आरों के साथ तिरंगा की शोभा बढ़ा रहा है। जिसमें 12 आरे मनुष्य के अविद्या से दुःख तक तथा अन्य 12 अविद्या से निर्वाण (जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति) का प्रतीक है। ध्वज की लम्बाई तथा चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार राष्ट्रध्वज हस्त निर्मित खादी कपड़े से ही बनाया जाना चाहिए।

सबसे पहला झंडा 1906 में कांग्रेस के अधिवेशन में, पारसी बगान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकत्ता में, फहराया गया। यह भगिनी निवेदिता द्वारा 1904 में बनाया गया था। इस ध्वज को लाल, पीला और हरा क्षैतिज पट्टी से बनाया गया, सबसे ऊपर हरी पट्टी पर आठ कमल के पुष्प थे, मध्य की पीली पट्टी पर वन्दे मातरम् लिखा था तथा सबसे आखरी के हरे पट्टी पर चाँद तथा सूरज सुशोभित थे।

दूसरा झण्डा 1907 पेरिस में, मैडम कामा तथा कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया। यह पूर्व ध्वज के समान था। बस इसमें सबसे ऊपर लाल के स्थान पर केसरिया रंग रखा गया। उस केसरिया रंग पर सात तारों के रूप में सप्तऋषि अंकित किया गया।

तीसरा झण्डा 1917 में, जब भारत का राजनैतिक संघर्ष नये पढ़ाव से गुज़र रहा था। घरेलु शासन आन्दोलन के समय पर डॉ एनी बेसेन्ट तथा लोकमान्य तिलक द्वारा यह फहराया गया। यह पाँच लाल तथा चार हरी क्षैतिज पट्टी के साथ बना हुआ था। जिसमें एक लाल पट्टी तथा फिर एक हरी पट्टी करके समस्त पट्टीयों को जुड़ा गया था। बाये से ऊपर की ओर एक छोर पर यूनियन जैक था, तथा उससे लग कर तिरछे में बायें से नीचे की ओर साप्तऋषि बनाया गया व एक कोने पर अर्ध चन्द्र था।

चौथा झण्डा तथा गाँधी का सुझाव 1921 में, अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में, अन्द्रप्रदेश के एक युवक “पिंगली वैंकैया” ने लाल तथा हरे रंग की क्षैतिज पट्टी को झण्डे का रूप दिया। जिसमें लाल हिन्दु के आस्था का प्रतीक था और हरा मुस्लमानों का। महात्मा गाँधी ने सुझाव दिया इसमें अन्य धर्मों की भावनावों की कद्र करते हुए एक और रंग जोड़ा जाए तथा मध्य में चलता चरखा होना चाहिए।

पांचवा झंडा , स्वराज ध्वज 1931 झण्डे के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष रहा। इस वर्ष में राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने का प्रस्ताव रखा गया तथा राष्ट्रध्वज को मान्यता मिला। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग को महत्व दिया गया जो की वर्तमान ध्वज का स्वरूप है, तथा मध्य में चरखा बनाया गया।

छठवां झंडा , तिरंगा को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता 22 जुलाई 1947 को अन्ततः कांग्रेस पार्टी के झण्डे (तिरंगा) को राष्ट्र ध्वज के रूप में (वर्तमान ध्वज) को स्वीकार किया गया । केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया।

राष्ट्रध्वज की शान, प्रतिष्ठा, मान तथा गौरव सदा बनी रहे, इसलिए भारतीय कानून के अनुसार ध्वज को सदैव सम्मान के नज़र से देखना चाहिए, तथा झण्डे का स्पर्श कभी भी पानी और ज़मीन से नहीं होना चाहिए। मेज़पोश के रूप में, मंच, किसी आधारशिला या किसी मुर्ति को ढकने के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता। किसी राष्ट्र का “राष्ट्रीय ध्वज” उस राष्ट्र के स्वतंत्रता का प्रतीक है। प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का एक अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है। इसी प्रकार से हमारे देश का भी राष्ट्र ध्वज है, जिसे तिरंगा कहते हैं। भारत का राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा भारत का गौरव है और यह प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत महत्व रखता है। यह ज्यादातर राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर तथा भारत के लिए गर्व के क्षणों में लहराया जाता है।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा कहते हैं, राष्ट्रीय ध्वज देश की स्वतंत्रता का प्रतीक होता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में, तीन रंग विद्यमान हैं, इसके वजह से इसका नाम तिरंगा रखा गया है। पहले के राष्ट्रध्वज संहिता के अनुसार केवल सरकार तथा उनके संगठन के माध्यम से ही राष्ट्र पर्व के अवसर पर ध्वज फहराने का प्रावधान था। परन्तु उद्योगपति जिन्दल के न्यायपालिका में अर्जी देने के बाद ध्वज संहिता में संशोधन लाया गया। कुछ निर्देशों के साथ निजी क्षेत्र, स्कूल, कार्यालयों आदि में ध्वज लहराने की अनुमति दी गई।

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हर घर तिरंगा अभियानः सब कुछ जानें औऱ तुरंत फहराएं घर पर राष्ट्रीय ध्वज

घर पर तिरंगा फहराने की कड़ी में लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वह फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के नियम-कायदों का ध्यान रखेंगे. मसलन फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2022 के तहत राष्ट्रीय ध्वज को उल्टा या जमीन से छूते हुए और सिंगल फ्लैग पोल से नहीं फहरा सकते..

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2 अगस्त से शुरू हो चुका है हर घर तिरंगा अभियान.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

भारत (India) 2022 में आजादी की 75वीं सालगिरह मनाने की तैयारियों में युद्धस्तर पर जुटा हुआ है. इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सभी लोगों से हर घर तिरंगा अभियान (Har Ghar Tiranga Campaign) में भाग लेने का आह्वान किया है. यह राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जा रहे आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) की ही एक कड़ी है. यद्यपि आजादी के अमृत महोत्सव का वास्तविक उत्सव 13 से 15 अगस्त के बीच मनाया जाएगा, लेकिन हर घर तिरंगा अभियान से जुड़े कार्यक्रम 2 अगस्त से शुरू हो चुके हैं. इस अभियान का मकसद लोगों को अपने घर पर तिरंगा (Tricolour) फहराने के लिए प्रेरित करना है. इससे लोगों में देशभक्ति की भावना जागेगी और तिरंगे को लेकर उनमें और समझ आएगी. 

इस तरह भाग लें अभियान में हर घर तिरंगा अभियान के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अगस्त को लोगों से अपनी-अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल की फोटो को तिरंगे से बदलने का आह्वान किया. इसके अतिरिक्त शैक्षणिक संस्थान हर घर तिरंगा से जुड़ी चित्रकला प्रतियोगिताएं, क्विज और अन्य प्रतिस्पर्धाएं आयोजित कर रहे हैं. उनका मकसद इस तरह भारतीयों में देशभक्ति की भावना का संचार करना है. हालांकि घर पर तिरंगा फहराने की कड़ी में लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वह झंडा नीति यानी फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के नियम-कायदों का ध्यान रखेंगे. मसलन फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2022 के तहत राष्ट्रीय ध्वज को उल्टा या जमीन से छूते हुए और सिंगल फ्लैग पोल से नहीं फहरा सकते हैं. इस कड़ी में यह भी ध्यान रखना है कि तिरंगे की सुरक्षा में ऐसे कदम भी नहीं उठाए जाएं जो उसे क्षतिग्रस्त कर दें. इसके अलावा तिरंगे को शरीर पर लपेटा नहीं जा सकता है. उसे बतौर रूमाल इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं यानी रूमाल पर तिरंगे को नहीं छाप सकते है और ना ही किसी अन्य पोशाक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. 

यह भी पढ़ेंः  ग्रिनर को 9 साल की सजा सुना रूस ने चला अमेरिका के खिलाफ बड़ा दांव

अभियान में इस तरह कराएं पंजीकरण इस अभियान का हिस्सा बनने की इच्छा रखने वाले लोग harghartiranga.com पर अपनी फोटो अपलोड कर सकते हैं. इसी वेबसाइट से हर घर तिरंगा अभियान में भाग लेने का सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं. जानकारी के मुताबिक 1 अगस्त को ही 50 लाख लोगों ने घरों पर फहराए गए तिरंगे की फोटो वेबसाइट पर अपलोड की, तो 7 लाख से अधिक तिरंगे के साथ सेल्फीज भी अपलोड की गईं. हर घर तिरंगे अभियान का सर्टिफेकिट इस तरह वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है...

  • harghartiranga.com की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं.
  • अपनी प्रोफाइल फोटो का चयन करें.
  • अपना नाम और संपर्क करने से जुड़ी जानकारी भरें. यह काम आप अपने गूगल अकाउंट से भी कर सकते हैं.
  • वेबसाइट को अपने घर की लोकेशन जानने दें.
  • फिर वेबसाइट पर तिरंगा अटैच कर दें.
  • अपनी लोकेशन की जानकारी पूरी तरह से अपलोड हो जाने के बाद सर्टिफिकेट को डाउनलोड कर लें. 

यह भी पढ़ेंः तिरंगे का कितना होता है आकार, जानें राष्ट्रध्वज को बनाने और लगाने के नियम 

राज्य सरकार अभियान के प्रचार-प्रसार में क्या कर रहीं कुछ राज्यों ने हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए अपनी तरफ से भी व्यावहारिक और ठोस कदम उठाए हैं. महाराष्ट्र सरकार ने कॉपरेटिव संस्थाओं समेत राज्य सरकारों की अन्य विभागों को सुनिश्चित करने को कहा है कि प्रत्येक हाउसिंग सोसाइटी में तिरंगा फहराया जाए. इसके अलावा सरकारी और अर्ध-सरकारी इमारतों के लिए भी यही नियम लागू किया है. स्वतंत्रता दिवस पर आगरा के स्थानीय प्रशासन से जुड़े अधिकारियों ने दावा किया है कि 20 करोड़ घरों पर तिरंगा फहराया जाएगा. बोंगाईगांव के एक टेक्सटाइल कारखाने को तिरंगा बनाने का जिम्मा सौंपा गया है और वह दिन-रात काम कर इस अभियान के तहत दिए गए लक्ष्य को पूरा करने के प्रयास में युद्धस्तर पर लगी हुई है. 

  • 2 अगस्त से शुरू हो चुका है हर घर तिरंगा अभियान
  • आजादी का अमृत महोत्सव 13 से 15 अगस्त के बीच
  • झंडा नीति का पालन कर घर-घर फहराएं तिरंगा 

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Tiranga in Hindi राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में रोचक तथ्‍य

Indian flag tiranga facts in hindi.

Tiranga-Flag-in-Hindi

5. और हरा रंग आस्था और समृद्धि है

6. पिंगली वेंकैया ने तिरंगा ध्वज डिजाइन किया था जो खुद एक स्वतंत्रता सेनानी थे 7. तिरंगा केवल खादी से बनाया जाना चाहिए, प्लास्टिक का ध्वज मान्य नहीं है

8. कोई भी झंडा तिरंगे से ऊँचा नहीं फहराया जा सकता और ना ही उसके बराबर

9. फटा झंडा कभी नहीं फहराना चाहिए

10. किसी महापुरुष की मृत्यु पर उसके सम्मान में तिरंगा झुका दिया जाता है

11. अन्य किसी भी सूरत में तिरंगा झुका हुआ नहीं होना चाहिए

12. झंडे पर कभी कुछ लिखना नहीं चाहिए

13. झंडा फट जाने या पुराना हो जाने की स्थिति में उसे एकांत में नष्ट किया जाता है

14. साल 2002 से पहले कभी भी और कहीं भी झंडा फहराने की अनुमति किसी भारतीय को नहीं थी

15. शहीदों के शरीर पर डाला गया तिरंगा दोबारा नहीं फहराया जाता उसे उनके साथ ही जला दिया जाता है

16. राष्ट्रपति भवन में हीरे जवाहरातों से जड़ा तिरंगा रखा रहता है

17. कोई भी व्यक्ति तिरंगे को वेशभूषा या सजावट में प्रयोग नहीं कर सकता

18. किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन से टच नहीं होना चाहिए

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हर घर तिरंगा 2023

हर घर तिरंगा 2023

‘हर घर तिरंगा’ भारत की आज़ादी के 76वें वर्ष के उपलक्ष्‍य में लोगों को अपने घर पर तिरंगा झंडा फहराने के लिए प्रोत्‍साहित करने हेतु ‘आज़ादी के अमृत’ महोत्‍सव के तत्‍वावधान में चलाया जा रहा एक अभियान है। झंडे के साथ हमारा संबंध सदैव व्‍यक्तिगत की बजाए औपचारिक और संस्‍थागत रूप में अधिक रहा है। आज़ादी के 76वें वर्ष के दौरान एक राष्‍ट्र के रूप में झंडे को सामूहिक रूप से घर पर लाना न केवल तिरंगे के साथ हमारे व्‍यक्तिगत संबंध का प्रतीक है बल्कि यह राष्‍ट्र निर्माण में हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। यह पहल लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जागृत करने और भारत के राष्‍ट्रीय झंडे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई है।

In continuation to last year’s resounding celebrations, you are encouraged to hoist the flag in your homes for a second edition of Har Ghar Tiranga from 13 th to 15 th August 2023 .

Click here to upload your selfie with the Tiranga https://harghartiranga.com

In continuation to last year’s resounding celebrations, you are encouraged to hoist the flag in your homes for a second edition of Har Ghar Tiranga from 13 th to 15 th August 2023.

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज के बारे में बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्‍न (एफएक्‍यू)

प्र.1 क्या राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग, प्रदर्शन और फहराने के निर्देश किसी भी व्यापक विधि द्वारा निर्देशित है?

हाँ - ‘भारतीय ध्वज संहिता 2002’ और राष्ट्रीय गौरव के अपमान की रोकथामअधिनियम, 1971।

प्र.2 भारतीय ध्वज संहिता क्या है?

भारतीय ध्वज संहिता राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन से संबधित सभी कानून, परंपराएँ, प्रथाएँ और निर्देशों के बारे में है। यह निजी, सार्वजनिक और सरकारी संस्थानों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन को नियंत्रित करती है। भारतीय ध्वज संहिता 26 जनवरी 2002 को प्रभाव में आई थी।

प्र.3 राष्ट्रीय ध्वज को बनाने के लिए किस सामग्री का उपयोग किया जा सकता है?

भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को 30 दिसंबर 2021 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया था जिसके अनुसार पॉलिएस्टर या मशीन से बने राष्ट्रीय ध्वज को अनुमति दी गई है। अब, राष्ट्रध्वज हाथ से बुने और हाथ से सिले या मशीन से बने, कॉटन/पॉलीस्टर/ऊन/रेशम/खादी बंटिंग से बनाए जा सकत हैं।

प्र.4 राष्ट्रीय ध्वज का उपयुक्त आकार और अनुपात क्या है?

भारतीय ध्वज संहिता के पैराग्राफ 1.3 और 1.4 के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज आकार में आयताकार होना चाहिए। झंडा किसी भी आकार का हो सकता है लेकिन राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और ऊँचाई (चैड़ाई) का अनुपात 3:2 होगा।

प्र.5 क्या मैं अपने घर में राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर सकता हूँ?

भारतीय ध्वज संहिता के पैराग्राफ 2.2 के अनुसार, एक सार्वजनिक, एक निजी संगठन या एक शैक्षणिक संस्थान का सदस्य राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुसार सभी दिनों या अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा/प्रदर्शित कर सकता है।

प्र.6 खुले में/घर में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का समय क्या है?

भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को दिनांक 20 जुलाई, 2002 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया था और भारत की ध्वज संहिता के भाग-।। के पैराग्राफ 2.2 के खंड (गप) को निम्नलिखित खंड द्वारा बदला गया था -

“जहां झंडा खुले में प्रदर्शित किया जाता है या जनता के किसी सदस्य के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, इसे दिन-रात फहराया जा सकता है”

प्र.7 अपने घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय मुझे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

जब भी राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शन पर होता है, तो उसे सम्मान की स्थिति में होना चाहिए और स्पष्ट रूप से रखा जाना चाहिए। क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए।

प्रश्न 8. राष्ट्रीय ध्वज के ग़लत प्रदर्शन से बचने के लिए मुझे क्या ध्यान रखना चाहिए?

  • राष्ट्रीय ध्वज को उल्टे तरीके से प्रदर्शित नहीं किया जाएगा; यथा केसरिया हिस्सा नीचे नहीं होना चाहिए।
  • एक क्षतिग्रस्त या अव्यवस्थित राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित नहीं किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय ध्वज किसी भी व्यक्ति या चीज की सलामी में नहीं झुकाया जाएगा।
  • राष्ट्रीय ध्वज के साथ कोई अन्य ध्वज या ध्वजपट उससे ऊपर या उससे ऊँचा या उसके बराबर नहीं लगाया जाएगा; न ही ध्वजारोहण के दौरान कोई फूल या माला या प्रतीक सहित कोई वस्तु, जिससे राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, ऊपर रखी जाएगी।
  • राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग तोरण, फुंदने, ध्वजपट या अन्य किसी तरह की सजावट के लिए नहीं किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय ध्वज को ज़मीन या फर्श या पानी में स्पर्श की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में इसे प्रदर्शित या लगाया नहीं जाएगा।
  • राष्ट्रीय ध्वज को किसी अन्य ध्वज याझंडे के साथ मस्तूल शिखर (झंडे के स्तंभ के शीर्ष भाग) पर नहीं फहराया जाना चाहिए।
  • राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग वक्ता को मेज को ढकने के लिए नहीं किया जाएगा, न ही वक्ता के मंच को इससे लपेटा जाएगा।
  • राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी पोशाक या वर्दी या किसी पहनावे के हिस्से में चित्रित नहीं किया जाएगा, जो किसी भी व्यक्ति के कमर के नीचे पहना जाता है और न ही कुशन, रूमाल, नैपकिन, अंतःवस्त्र या किसी कपड़े में कढ़ाई या मुद्रित रूप में किया जाएगा।

प्र.9. भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के अपमान को रोकने के लिए क्या कोई नियम है?

हाँ। राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 की धारा 2 के स्पष्टीकरण 4 के अनुसार निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाना चाहिए:

  • राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग निजी अंत्येष्टि को लपेटने के साथ ही किसी भी तरह की चीजों को लपेटने के लिए नहीं किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी पोशाक या वर्दी या पहनावे के हिस्से में चित्रित नहीं किया जाएगा जो किसी भी व्यक्ति के कमर के नीचे पहना जाता है और न ही कुशन, रूमाल, नैपकिन, अंतःवस्त्र या किसी कपड़े में कढ़ाई या मुद्रित रूप में किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग लेखन प्रक्रिया में नहीं किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग वस्तुओं को लपटने, प्राप्त करने और वितरित करने के लिए नहीं किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी वाहन के किनारों, पृष्ठ भाग या शीर्ष भाग को ढकने के लिए नहीं किया जाएगा।

प्र.10. राष्ट्रीय ध्वज को खुले में/सार्वजनिक भवनों में लगाने का सही तरीका क्या है?

  • जब राष्ट्रीय ध्वज को समतल या क्षैतिज पटल पर प्रदर्शित किया जाता है, केसरिया पट्टी सबसे ऊपर होगा और लंबवत् प्रदर्शित की जाएगी, राष्ट्रीय ध्वज के संदर्भ में केसरिया पट्टी दाईं ओर अर्थात्, यह सामने वाले व्यक्ति के बाईं ओर होनी चाहिए।
  • जब राष्ट्रीय ध्वज को किसी स्तंभ पर क्षैतिज रूप से या सिल के एक कोण से, बालकनी या इमारत के सामने लगाया जाएगा, केसरिया पट्टी के सबसे दूरस्थ छोर पर होगा।

प्र.11. राष्ट्रीय ध्वज को क्या आधा झुका होना चाहिए?

भारत सरकार द्वारा निर्देशित अवसरों को छोड़कर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका हुआ नहीं फहराया जाएगा। जब आधे मस्तूल पर फहराया जाएगा तो राष्ट्रीय ध्वज को पहले स्तंभ को शिखर/शीर्ष पर फहराया जाएगा, फिर आधे झुके हुए ही उतारना होगा। एक दिन के लिए राष्ट्रीय ध्वज को नीचे करने से पहले इसे फिर से शीर्ष पर उठाना चाहिए।

प्र.12. क्या मैं अपनी गाड़ी में राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर सकता हूँ?

मोटर कार पर राष्ट्रीय ध्वज के फहराने का विशेषाधिकार भारतीय ध्वज संहित 2002 के अनुच्छेद 3.44 के अनुसार केवल निम्नलिखित व्यक्तियों तक सीमित है:

  • उपराष्ट्रपति
  • राज्यपाल और उपराज्यपाल
  • भारतीय मिशन के प्रमुख/
  • प्रधानमंत्री
  • कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और संघ के उपमंत्री
  • मुख्यमंत्री और राज्य या केंद्रशासित कैबिनेट मंत्री
  • लोकसभा के अध्यक्ष, राज्य सभा के उपाध्यक्ष, लोकसभा के उपाध्यक्ष, राज्यों की विधान परिषदों के अध्यक्ष, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधान सभाओं के अध्यक्ष, राज्यों की विधान परिषद् के उपाध्यक्ष, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की
  • विधान सभाओं के उपाध्यक्ष
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश
  • सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीश
  • उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश
  • उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश

प्र.13. हम अन्य देशों के झंडों के साथ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज कैसे प्रदर्शित कर सकते हैं?

  • भारतीय ध्वज संहिता के पैरा 3-32 के अनुसार, जब राष्ट्रीय ध्वज को अन्य देशों के ध्वजों के साथ एक सीधी रेखा में प्रदर्शित किया जाता है, तो राष्ट्रीय ध्वज बिलकुल दाईं ओर होगा। अन्य राष्ट्रों के ध्वज राष्ट्रों के नामों के अंग्रेजी वर्णमाला क्रम के अनुसार लगाए जाएँगे।
  • यदिध्वज को गोलनुमा गठन में फहराया जाता है, तो राष्ट्रीय ध्वज को पहले फहराया जाता है और उसके बाद अन्य राष्ट्रध्वजों को गोलाकार रूप में लगाया जाता है।
  • जब ध्वज को किसी अन्य ध्वज के साथ दीवार के साथ प्रदर्शित किया जाता है, तो राष्ट्रीय ध्वज को दाईं ओर प्रदर्शित करना होगा तथा उसके कर्मचारी दूसरे ध्वज के कर्मचारियों के सामने होंगे।

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प्र.14. राष्ट्रीय ध्वज का निपटान किस प्रकार किया जाना चाहिए?

  • भारतीय ध्वज संहिता के पैरा 2-2 के अनुसार, यदि राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को ध्यान में रखते हुए उसे जलाकर अथवा उसे किसी अन्य विधि द्वारा पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाएगा।

www.mha.gov.in/sites/default/files/flagcodeofindia_070214.pdf www.mha.gov.in/sites/default/files/Prevention_Insults_National_Honour_Act1971_1.pdf

भारत की ध्‍वज संहिता – 2002 की मुख्‍य विशेषताएं

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है तथा राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सार्वभौमिक स्नेह, सम्मान तथा निष्ठा है। यह भारत के लोगों की भावनाओं और मानस में एक अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का फहराना/उपयोग/प्रदर्शन राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा शासित होता है। भारतीय ध्वज संहिता, 2002 की कुछ प्रमुख विशेषताएँ जनता की जानकारी के लिए नीचे सूचीबद्ध हैं:-

  • भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को 30 दिसंबर 2021 के आदेश के अंतर्गत संशोधित किया गया था और पॉलिएस्टर या मशीन निर्मित ध्वज से बने राष्ट्रीय ध्वज को अनुमति दी गई है। अब हाथ से काते, हाथ से बुने अथवा मशीन से बने हुए राष्ट्रीय ध्वज कपास/पॉलिस्टर/ऊन/रेशम/खादी के होंगे।
  • कोई भी सार्वजनिक/निजी संस्था अथवा शैक्षिक संस्थान का सदस्य सभी दिनों, अवसरों, औपचारिक अथवा अन्य अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुरूप उसे फहरा सकता है।
  • भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को दिनांक 19 जुलाई 2022 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया था तथा भारतीय ध्वज संहिता के भाग-प्प्के पैरा 2-2 के खंड (गप) को निम्नलिखित खंड द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था:- (xi) जहाँ ध्वज खुले में प्रदर्शित किया जाता है या जनता के किसी सदस्य के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, उसे दिन-रात फहराया जा सकता हैß
  • राष्ट्रीय ध्वज आकार में आयताकार होगा। ध्वज किसी भी आकार का हो सकता है लेकिन ध्वज की लंबाई और ऊँचाई (चैड़ाई) का अनुपात 3%2 होगा।
  • जब भी राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित किया जाए, तो उसे पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए और उसे प्रत्यक्ष रूप से यथोचित स्थान पर रखा जाना चाहिए।
  • क्षतिग्रस्त या मैला-कुचैला ध्वज प्रदर्शित नहीं किया जाएगा।
  • ध्वज को किसी भी अन्य ध्वज याध्वजों के साथ एक साथ एक ही स्तंभ पर नहीं फहराया जाना चाहिए।
  • ध्वज संहिता के भाग-प्प्प्की धारा प्ग् में उल्लिखित गणमान्य व्यक्तियों जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, राज्यपालों आदि को छोड़कर किसी भी वाहन पर ध्वज नहीं फहराया जाना चाहिए।
  • कोई अन्य ध्वज या बंटिंग राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर या साथ-साथ नहीं रखा जाना चाहिए।

नोट:- अधिक जानकारी के लिए, राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 गृह मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.gov.in पर उपलब्ध हैं।

  • झण्‍डे के लिए शहीद होने वाले गुमनाम नायक अधिक जानिए
  • हर घर तिरंगा सामाजिक मीडिया फ़िल्टर और प्रोफ़ाइल चित्र अधिक जानिए
  • तिरंगा का सामान्‍य ज्ञान अधिक जानिए
  • हर घर तिरंगा डाउनलोड अधिक जानिए

Glimpses from 2023

Andaman and nicobar islands.

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Andhra Pradesh

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Arunachal Pradesh

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Chhatisgarh

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Dadra and Nagar Haveli and Daman & Diu

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Himachal Pradesh

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Jammu and Kashmir

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Lakshadweep

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Madhya Pradesh

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Maharashtra

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Uttar Pradesh

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West Bengal

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Monuments lit up in the colours of the Tiranga

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Glimpses of Last Year’s Celebrations of Har Ghar Tiranga

In its first edition, ‘Har Ghar Tiranga’ campaign became a people’s movement wherein everyone came together in unity and displayed the National Flag. From villages to cities, people from all across the country hoisted the Tiranga and expressed their gratitude towards the freedom fighters who fought bravely for our country. The campaign especially impacted the youth and children and encouraged them to preserve the memories of India’s freedom struggle. It also created a global splash! This campaign truly amplified the spirit of India’s unity in diversity.

Here are glimpses of the ‘Har Ghar Tiranga’ campaign held during 13th-15th August 2022.

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

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आंध्र प्रदेश

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अरुणाचल प्रदेश

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दादर और नगर हवेली और दमन और दीव

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हिमाचल प्रदेश

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जम्मू-कश्मीर

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मध्य प्रदेश

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उत्तर प्रदेश

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पश्चिम बंगाल

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तिरंगे के रंगों से जगमगाते स्मारक

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हर घर तिरंगा का अंतरराष्ट्रीय महोत्सव

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  • क्वेश्चन पेपर
  • सामान्य ज्ञान
  • यूपीएससी नोट्स

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Independence Day 2022: हर घर तिरंगा अभियान पर भाषण निबंध की तैयारी यहां से करें

Speech on har ghar tiranga essay independence day 15 august भारत में 15 अगस्त 2022 की तैयारियां जोरों पर चल रही है। भारत ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारत सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उ.

Speech On Har Ghar Tiranga Essay Independence Day 15 August भारत में 15 अगस्त 2022 की तैयारियां जोरों पर चल रही है। भारत ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारत सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 'आजादी का अमृत महोत्सव' और 'हर घर तिरंगा अभियान' शुरू किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से 'हर घर तिरंगा' अभियान को सफल बनाने का आग्रह किया है। 'हर घर तिरंगा' अभियान 13 अगस्त से 15 अगस्त 2022 तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें लोगों को अपने घरों पर तिरंगा फहराना है।

Independence Day 2022: हर घर तिरंगा अभियान पर भाषण निबंध

देश स्वतंत्रता दिवस की 76वीं सालगिरह माना रहा है। देश के एकमात्र भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से मान्यता प्राप्त कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ लाल किले के ऊपर फहराए जाने वाले तिरंगे की आपूर्ति करती है। हर साल, जुलाई के अंत तक, संयुक्त संघ ने 2.5 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय झंडे भेजता है। लेकिन राष्ट्रीय ध्वज संहिता में केंद्र के संशोधन के कारण पॉलिएस्टर कपड़े से बने झंडों को अनुमति देने के लिए संघ को सामान्य आदेश का आधा भी नहीं मिला है। अभी तक उसके पास करीब 1.2 करोड़ रुपये के झंडों के ऑर्डर हैं, लेकिन संघ के पास 5 करोड़ रुपये के झंडों की आपूर्ति के लिए कच्चा माल है। संयुक्त संघ ने इस वर्ष एक जीवंत 'अमृत महोत्सव' उत्सव की प्रत्याशा में अपना लक्ष्य ऊंचा रखा था और अधिक कच्चे माल की खरीद की थी। पॉलिएस्टर झंडे की अनुमति देने वाले फ्लैग कोड में संशोधन न केवल संयुक्त संघ के लिए बल्कि खादी और ग्रामोद्योग से जुड़े सभी लोगों के लिए काफी चौंकाने वाला फैसला है।

सरकार ने 'हर घर तिरंगा' अभियान ऐसे समय में शुरू किया है, जब देश में निर्मित खादी झंडों की कोई मांग नहीं है। इसका एक कारण यह है कि अभियान के तहत निर्दिष्ट आकार (20X30 इंच और 16x27 इंच) राष्ट्रीय ध्वज के लिए BIS के मानकों के तहत अनुमत नहीं है। हुबली में इकाई 2004 में बीआईएस द्वारा मान्यता प्राप्त ध्वज संहिता का सावधानीपूर्वक पालन करती है और ध्वज के केवल नौ निर्दिष्ट आकारों का निर्माण करती है। मानकों और गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए बीआईएस अधिकारी त्रिमासिक दौरे करते हैं। दूसरा और शायद अधिक महत्वपूर्ण कारण यह है कि खादी के झंडे की तुलना में पॉलिएस्टर का झंडा बहुत सस्ता होता है।

क्या है हर घर तिरंगा अभियान? हर घर तिरंगा अभियान भारत सरकार द्वारा शुरू की गई आजादी का अमृत महोत्सव पहल का एक हिस्सा है, जो लोगों को तिरंगा घर लाने और भारत की आजादी के 75 वें वर्ष का जश्न मनाने के लिए इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करता है। राष्ट्रीय ध्वज के साथ नागरिकों का संबंध हमेशा औपचारिक और विशुद्ध रूप से संस्थागत रहा है। यह अभियान इसे नागरिक के लिए और अधिक व्यक्तिगत बनाने का प्रयास करता है और राष्ट्र निर्माण के प्रति नागरिकों की प्रतिबद्धता के महत्व पर भी जोर देता है। पीएम मोदी ने सभी नागरिकों से 13-15 अगस्त के बीच अपने घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का आग्रह करते हुए इस पहल को गति दी है।

इस पहल के पीछे सामान्य विचार भारत के राष्ट्रीय ध्वज के बारे में नागरिकों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय ध्वज के साथ व्यक्तिगत संबंध बनाकर लोगों के दिलों में देशभक्ति का आह्वान करना है। साथ ही इस अभियान का समर्थन करने के लिए झंडे की अधिकतम उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने झंडे के निर्माण के लिए पॉलिएस्टर और मशीनरी के उपयोग की अनुमति दी है। पिछले कानूनों ने झंडों को हाथ से घुमाने की अनुमति दी थी, जो खादी, सूती, ऊन, रेशमी और बुने हुए कपड़े से हाथ से बुना हुआ हो।

हर घर तिरंगा अभियान 22 जुलाई 2022 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था ताकि नागरिकों को आजादी का अमृत महोत्सव पहल के तहत 75 वें स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए 13-15 अगस्त की अवधि के दौरान अपने घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इस आयोजन में जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने भारतीय ध्वज संहिता 2002 में संशोधन किया है।

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Har Ghar Tiranga

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About Har Ghar Tiranga Campaign

The " Har Ghar Tiranga " invites every Indian to bring the Tiranga into their homes and proudly hoist it in celebration of our nation's independence. The Indian National Flag is not just a symbol but a profound representation of our collective pride and unity.

Historically, our relationship with the flag has often been formal and distant, but this campaign seeks to transform it into a deeply personal and heartfelt connection.

The " Har Ghar Tiranga " initiative strives to ignite a deep sense of patriotism within every citizen and foster a greater understanding of the significance of our national flag.

In this spirit, Ministry of Culture in collaboration with MyGov is taking initiative to spread awareness about the revered National Flag of India, our beloved Tiranga.

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Essay on National Flag Of India For Students And Children

Shaili Contractor

  • Key Points To Remember When Writing Essay On National Flag Of India
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Long Essay On National Flag Of India

  • What Will Your Child Learn From An Essay On National Flag of India?

Early childhood learning involves using words, language, and speech that can help them communicate. However, in a world with smartphones and laptops, children need to understand the importance of writing a good essay early to enjoy reading and develop critical thinking through creativity and imagination. India’s n ational f lag is not just a symbol of national pride but represents the hopes and aspirations of all Indians. Whether kids prepare for school exams or competitions, a national flag essay must demonstrate their views on the topic and English language skills. An essay on the n ational f lag for classes 1, 2 and 3 must highlight the design, colour , and usage and its importance as a symbol of honour , patriotism, and freedom for the country.  

Key Points To Remember When Writing Essay On  National Flag O f India  

Every country has its National Flag, a mark of identity, pride, and integrity for its citizens. Writing an essay is an important skill for your child’s education. Here are some key points to remember :

  • Read and do extensive research on the topic.
  • Your essay must contain an introductory, body, and concluding paragraph.
  • Ponder upon a logical and thought-provoking ending.

10 Lines On National Flag O f India  

An essay for classes 1 and 2 need not be perfect, but it should contain short sentences that convey one idea at a time. Here are a few lines on national flag of India:  

  • The National Flag of India upholds its people’s honour and independence from British rule.
  • The National Flag of India is in the shape of a rectangular flap.
  • It is referred to as the ‘Tiranga’ or tricolour parallel bands- saffron, white and green.
  • These colours represent India’s freedom’s unity, strength, and symbol.
  • The blue-coloured Chakra at the Flag’s centre has 24 spiked wheels and symbolises ‘dharma’ resembling Mahatma Gandhi’s spinning wheel.
  • Pingali Venkayya made the final design of the National Flag as the “Swaraj Flag”.
  • The Flag is made up of Khadi cotton or Khadi silk.
  • Every citizen must respect the National Flag.
  • Any insult to the National Flag is a punishable offence.
  • On 22nd July 1947, the Constituent Assembly adopted it in its current state.

10 Lines On National Flag of India - Infographic

Paragraph On National Flag O f India  

Every country has its national flag, and sometimes it represents a nation. If your child has to write a paragraph on our national flag, here is an essay to enlighten them in many ways:  

The Indian national flag is also known as “Tiranga”. Pingali Venkayya proposed the final design of our national flag. The horizontally placed tri-colour of this flag is saffron, white and green. The saffron denotes the sacrifices of the leaders and revolutionaries of India’s freedom struggle. The white section means peace and harmony among India’s religious and ethnic groups. The green colour represents the soil and vegetation of our country and how they sustain its people. The Ashoka wheel is navy blue at the centre of the white stripe. We must always respect our national flag.  

Short Essay On Indian National Flag  

Children should read a short essay on the Indian national flag from an early age. Moreover, an article about the Indian flag can make children curious about the flag’s history and the nation. Here is a short essay on Indian National flag for children:  

The National Flag of India, known as the Tiranga, is a powerful symbol of the nation’s identity, sovereignty, and unity. Officially adopted on July 22, 1947, just weeks before India gained independence, the flag features three horizontal stripes of saffron, white, and green. Each colour holds significant meaning: saffron represents courage and sacrifice, white symbolises peace and truth, and green signifies fertility and growth.  

At the centre of the white stripe lies the Ashoka Chakra, a navy blue wheel with 24 spokes, representing the eternal wheel of law and dharma. This emblem is derived from the Lion Capital of Ashoka, a historical symbol of India’s rich heritage. The flag is crafted from Khadi, a hand-spun fabric that embodies the spirit of self-reliance promoted by Mahatma Gandhi.  

The Tiranga is not merely a piece of cloth; it embodies the struggles and sacrifices made by countless individuals during India’s fight for freedom. It is hoisted on national holidays such as Independence Day and Republic Day, instilling a sense of pride and patriotism among citizens. The flag serves as a reminder of the values of unity, integrity, and respect for diversity that define the Indian nation.  

An essay for class 3 is an exercise of the student’s creative imagination. Here is a long essay on the National Flag of India that can inspire them to cultivate more patriotic feelings for their motherland:

The significance of the National Flag is taught to kids in their school. The Indian Flag is the pride of our country and describes the nation. Considered one of the most attractive flags globally, with vibrant colours and symbols, this ‘Tiranga’ has a deep significance to the country and its people. The National Flag is hoisted on important historical places and government buildings at national festivals yearly. The national anthem is sung, and our leaders offer a formal salute during the flag hoisting ceremony.

The Indian National flag was adopted by the Constitutional Assembly on 22 July 1947, and it has three colours describing our nation’s renunciation and rich tradition. It is rectangular and contains three horizontal bands of colours of equal length and breadth. There are three different colours on the Flag that stand for peace, purity, and power. Earlier, private citizens’ usage of the Indian Flag was prohibited, except on Republic Day and Independence Day. 

The Flag has saffron on the top, white in the middle, and green at the bottom. The saffron colour shows the soldiers’ courage and spirit of sacrifice in the struggle for independence. The white colour represents purity, truth, and honesty. On the other hand, the green shows the nation’s rich agricultural heritage, and white symbolises the path of peace and truth. There is an Ashok Chakra in the white strip known as dharma chakra, taken from the Lion Pillar or Ashoka Stambh in Sarnath. It symbolises justice, peace, and spirituality. There are 24 spokes in the wheel, representing the 24 hours a day. The measurement ratio of the National Flag is 3:2, and it uses Khadi material.

The National Flag should be respected and honoured under all circumstances as it signifies the status of India as an independent republic and democratic country. When the Flag is hoisted or lowered, people should stand in an attention position. Usually, the salutation is given by the uniform-clad armed forces after the National Flag is hoisted.

The late Prime Minister Jawaharlal Nehru once called the Indian National Flag” a flag of freedom for ourselves and a symbol of freedom to all the people.” Thus, it helps develop a patriotic feeling and a sense of respect for the nation. It is hosted every year on Republic Day and Independence Day. The National Flag is a symbol of our glory that teaches us to live in peace and love while taking pride in the nation’s history.

Meaning & History Of India’s National Flag

In 1931, Venkayya first designed the National Flag for the Indian National Congress. It had a yarn spinning wheel in the middle with white, green, and red as their colours. Later, the Ashoka Chakra replaced the spinning wheel and the red colour with saffron. Pingali Venkayya made the final design of the Flag. On 22 July 1947, the Flag came into being in its present form at the meeting of the Constitutional Assembly.

The National Flag, known as Tiranga, means “three colours” or “tricoloured”. Its colours represent distinct values of the country like faith, chivalry, truth, sacrifice, and courage.

Display Of The Indian National Flag

When the National Flag is raised, the saffron colour band must be on the top of the Flag, or the emblem can be placed either above the National Flag or on its right. All other flags will be set to the left of the National Flag when hung in a row. Generally, the National Flag is visible flying over notable government buildings. However, it’s taken down at sunset. On occasions of national mourning, the National Flag flies at half-mast.

Importance Of The National Flag

The vibrant colours of the National Flag represent our country’s sovereignty and integrity, which are to be respected.

What Will Your Child Learn From An Essay On National Flag of India?  

An essay on the National Flag teaches kids about the sacrifices several freedom fighters and armed forces made to keep the tricolour flying in full glory. So the next time you have to write an essay on the national flag of India, you will be well equipped to write a remarkable one!  

1. When Was The Indian National Flag Adopted?

The Indian National flag as we see it today was adopted by the Constituent Assembly on 22 July 1947.

2. Who Designed Our National Flag?

Pingali Venkayya from Andhra Pradesh made the final design of the National Flag in 1947.

3. How Should One Show Respect To Our National Flag?

We must stand in an attention position while hoisting or lowering the National Flag.

4. What Does The Ashok Chakra Represent In Our National Flag?

The wheel at the centre of the white band is known as the Ashok Chakra, which indicates the Dharma Chakra or Wheel of Law.

Crafting an essay on the national flag of India in English allows students and children to explore the rich symbolism and historical significance of this emblem of national pride. Following a structured approach, they can effectively convey their understanding and appreciation of India’s flag in their writing

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