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जलवायु परिवर्तन पर निबंध (Essay on Climate Change in Hindi)

जलवायु परिवर्तन पर निबंध: धरती पर जीवन के अनुकूल जलवायु के कारण ही यहां जीवन संभव है, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें लगातार हो रहे परिवर्तन ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ाई है। जीवाश्म ईंधन जैसे, कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस आदि को जलाने के कारण पृथ्वी के वातावरण में तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। औसत मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन को जलवायु परिवर्तन या क्लाइमेट चेंज (Climate change) कहा जाता है। दशकों, सदियों या उससे अधिक समय में जलवायु में बड़े स्तर पर हो रहे परिवर्तन से जीवन पर प्रभाव पड़ता है। इन दिनों उद्योग और शहरीकरण से इस परिवर्तन में तेजी देखी गई है।

जलवायु परिवर्तन पर लेख (Essay on climate change in hindi) - जलवायु क्या है?

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जलवायु परिवर्तन पर निबंध (Essay on Climate Change in Hindi)

सामान्यतः जलवायु का मतलब किसी क्षेत्र में लंबे समय तक औसत मौसम से होता है। अतः जब किसी क्षेत्र विशेष के औसत मौसम में परिवर्तन आता है तो उसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) कहते हैं। जलवायु एक ऐसा पहलू है जो दुनिया के हर इंसान के जीवन से जुड़ा हुआ है। जलवायु की दशा हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करती है। मानवीय तथा कुछ प्राकृतिक गतिविधियों के कारण जलवायु की दशा बदल रही है। हाल के वर्षों और दशकों में गर्मी के कई रिकॉर्ड टूट गए हैं: यूएन जलवायु रिपोर्ट 2019 इस बात की पुष्टि करती है कि 2010-2019 सबसे गर्म दशक था। वर्ष 2019 में वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) तथा अन्य ग्रीनहाउस गैसें नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई थी।

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इन सब वजहों से जलवायु में परिवर्तन आ रहा है, जिसे जलवायु परिवर्तन की संज्ञा दी जा रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जलवायु में हो रहे नकारात्मक परिवर्तन (Negative changes in climate) पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के लिए बहुत ही खतरनाक सिद्ध होंगे। हालांकि जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों के प्रति सरकारें जागरूक हो रही हैं और लोगों को भी जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों के प्रति आगाह करने की जरूरत है। हमारे देश भारत के लिए राहत की बात है कि वर्ष 2024 में जलवायु प्रदर्शन सूचकांक में सातवें स्थान पर रहा जो बीते वर्ष 2023 में 8वें नंबर पर था। हालांकि इसमें अभी काफी सुधार की जरूरत है।

जलवायु परिवर्तन पर निबंध (jalvayu parivartan par nibandh) से इस विषय के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी मिलेगी। जलवायु परिवर्तन वैश्विक स्तर पर एक बेहद गंभीर मुद्दा है जिससे अवगत करवाने के लिए विद्यालयों में छात्रों को भी जलवायु परिवर्तन पर निबंध (Essay on Climate Change in hindi) लिखने का कार्य दे दिया जाता है या फिर कभी-कभी परीक्षा में अच्छे अंकों के लिए जलवायु परिवर्तन पर निबंध (climate change par nibandh) लिखने से संबंधित प्रश्न पूछ लिए जाते हैं।

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जलवायु परिवर्तन पर लेख (jalvayu parivartan par lekh) के प्रारंभ में जलवायु क्या है, पहले इस बात को समझने की जरूरत है। एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। यूरोपीय देशों में जहां गर्मी की ऋतु छोटी होती है और कड़ाके की ठंड पड़ती है, जबकि भारत में अधिक गर्मी वाले मौसम की प्रधानता रहती है। सर्दियों के 2-3 महीनों को छोड़ दिया जाए, तो शेष समय जलवायु गर्म ही रहता है। भारत के समुद्र तटीय क्षेत्रों में, तो सर्दियों की ऋतु का तापमान औसत स्तर का रहता है। इस तरह किसी क्षेत्र की जलवायु उसकी स्थिति पर निर्भर करती है।

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किसी क्षेत्र विशेष की परंपरागत जलवायु में समय के साथ होने वाले बदलाव को जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। जलवायु में आने वाले परिवर्तन के प्रभाव को एक सीमित क्षेत्र में अनुभव किया जा सकता है तथा पूरी दुनिया में भी इसके प्रभाव दिखने लगे हैं। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की स्थिति गंभीर दशा में पहुँच रही है और पूरे विश्व पर इसका असर देखने को मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की जलवायु रिपोर्ट (climate report) में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन का पर्यावरण के सभी पहलुओं के साथ-साथ वैश्विक आबादी के स्वास्थ्य और कल्याण पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन की अगुवाई में तैयार रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के भौतिक संकेतों - जैसे भूमि और समुद्र के तापमान में वृद्धि, समुद्र के जल स्तर में वृद्धि और बर्फ के पिघलने के अलावा सामाजिक-आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य, प्रवास और विस्थापन, खाद्य सुरक्षा और भूमि तथा समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव का दस्तावेजीकरण किया गया है। जलवायु परिवर्तन को विस्तार से समझने के लिए क्लाइमेटचेंज नॉलेज पोर्टल https://climateknowledgeportal.worldbank.org/overview पर विजिट कर इसे विस्तार से समझ सकते हैं। यह पोर्टल दुनिया भर में सदियों से हो रहे जलवायु परिवर्न को विस्तार से बताता है। जलवायु परिवर्तन में सकारात्मक सुधार के लिए विश्व पर्यावरण दिवस पर संस्थानों, सरकारों को जागरूक करते हुए इस दिशा में व्यापक पैमाने पर काम करने को प्रोत्साहिक किया जाता है।

बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण भी पृथ्वी के तापमान में लगातर बढ़ोतरी हो रही है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण बढ़ते तापमान ने जलवायु परिवर्तन की स्थिति को और गंभीर बनाने का कार्य किया है। जलवायु रिपोर्ट के अनुसार 1980 के दशक के बाद आगामी प्रत्येक दशक, 1850 से किसी भी दशक की तुलना में अधिक गर्म रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव पेटेरी टालस के इस कथन से भी यह बात समझी जा सकती है - अब तक का सबसे गर्म साल 2016 था, लेकिन जल्द ही इससे अधिक गर्म वर्ष देखने को मिल सकते हैं। यह देखते हुए कि ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि जारी है, तापमान में वृद्धि (global warming) जारी रहेगी। आगामी दशकों के लिए लगाए जाने एक हालिया पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि आने वाले पांच वर्षों में एक नया वार्षिक वैश्विक तापमान रिकॉर्ड मिलने की आशंका है।

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जिसके कारण के कारणों को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है- प्राकृतिक और मानवीय। जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक कारणों में ज्वालामुखी, महासागरीय धाराओं, महाद्वीपों के अलगाव आदि प्रमुख हैं।

ज्वालामुखी- ज्वालामुखी की सक्रियता बड़ी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड, जलवाष्प, धूल कण तथा राख को वायुमण्डल में फैलाने के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, ज्वालामुखी की सक्रियता कुछ दिनों की ही हो सकती हैं, लेकिन भारी मात्रा में निकलने वाली गैसें तथा राख लंबे समय तक जलवायु के पैटर्न को प्रभावित करती है।

महासागरीय धाराएं- महासागरों की जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका है। वायुमंडल या भू-सतह की तुलना में दुगुना तापमान इनके द्वारा अवशोषित किया जाता है। महासागरीय प्रवाह चारों ओर तापमान के स्थानांतरण के लिए जिम्मेदार है। इनकी वजह से हवाओं की दिशा परिवर्तित कर तापमान को प्रभावित किया जाता है। तापमान को अवशोषित करने वाली ग्रीनहाउस गैस का एक अहम हिस्सा समुद्रों जलवाष्प होती है जो कि वायुमंडल में तापमान को अवशोषित करने का काम करती है।

मिथेन गैस का भंडार- आर्कटिक महासागर की बर्फ के नीचे अतल गहराइयों में मेथेन हाइड्रेट के रूप में ग्रीनहाउस गैस मेथेन का विशाल भंडार है जो विशिष्ट ताप और दाब में हाइड्राइट रूप में रहता है। ताप और दाब में परिवर्तन होने पर यह मिथेन मुक्त होती है और वायुमंडल में घुल जाती है। अपने गैसीय रूप में, मिथेन सबसे शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसों में से एक है, जो कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में पृथ्वी को बहुत अधिक गर्म करती है।

ग्रीनहाउस प्रभाव गैसें- वायुमंडल में विद्यमान कार्बन डाईऑक्साइड, मेथेन, जलवाष्प आदि के द्वारा सूर्य के प्रकाश की ऊष्मा के एक भाग को अवशोषित कर लिया जाता है, इस घटना को ग्रीनहाउस प्रभाव कहा जाता है।

जीवाश्म ईंधन का प्रयोग- जीवाश्म ईँधन के प्रयोग के कारण ग्रीनहाउस गैसों खासकर कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर वायुमंडल में बढ़ता जा रहा है। लगभग 33% कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन के लिए जीवाश्म ईँधनों के प्रयोग को माना जाता है।

जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया पर आपदाओं के बादल मंडरा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कुछ परिणाम निम्नलिखित हैं-

जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बहुत ही जल्दी-जल्दी और घातक बदलाव होने लगे हैं।

साल 2019 दूसरा सबसे गर्म साल रिकॉर्ड किया गया।

अब तक का सबसे गर्म दशक 2010- 2019 रिकॉर्ड किया गया।

वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का स्तर 2019 में नए रिकॉर्ड तक पहुंच गया।

बाढ़, सूखा, झुलसा देने वाली लू, जंगल की आग और क्षेत्रीय चक्रवातों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में जमी बर्फ के पिघलने की दर बढ़ती जा रही है जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है।

मालदीव की समुद्र तल से ऊंचाई कम होने के कारण यह द्वीपीय राष्ट्र विशेष खतरे में है। इस देश का उच्चतम स्थान समुद्र तल से लगभग 7.5 फीट ऊँचा है जिससे मालदीव के समुद्र में डूबने का खतरे बढ़ता जा रहा है।

दक्षिण अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ओशिनिया सहित अधिकांश भू-क्षेत्र हालिया औसत से अधिक गर्म रहे। अमेरिकी राज्य अलास्का भी तुलानात्मक रूप से गर्म था वहीं इसके विपरीत उत्तरी अमेरिका का एक बड़ा क्षेत्र हाल के औसत से अधिक ठंडा रहा।

वर्ष 2019 जुलाई के अंत में आए लू के थपेड़ों से मध्य और पश्चिमी यूरोप का अधिकांश भाग प्रभावित हुआ। इस दौरान नीदरलैंड में 2964 मौतें लू से जुड़ी पाई गईं जो कि गर्मी के सप्ताह में औसतन होने वाली मौतों की तुलना में लगभग 400 अधिक थीं।

लंबे समय तक तापमान अधिक रहने के कारण मौसम के स्वभाव में बदलाव आ रहा है जिसके चलते प्रकृति में मौजूद सामान्य संतुलन की स्थिति बिगड़ती जा रही है। इससे मनुष्यों के साथ ही पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग के चलते उपजे खतरों को देखते हुए ग्लोबल वार्मिंग कारण और निवारण पर साल 2015 में ऐतिहासिक पेरिस समझौते को अपनाया गया जिसका लक्ष्य इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक काल के तापमान से 2 डिग्री सेल्सियस अधिक होने के स्तर से नीचे रखना है। समझौते का उद्देश्य उपयुक्त वित्तीय प्रवाह, नए प्रौद्योगिकी ढांचे और उन्नत क्षमता निर्माण ढांचे के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए देशों की क्षमता में वृद्धि करना भी है। जलवायु परिवर्तन के खतरे के लिए दुनिया भर में उठाए जा रहे कदमों को मजबूत करने और तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से घटाकर 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों की रूपरेखा के साथ 4 नवंबर, 2016 को जलवाय परिवर्तन पर पेरिस समझौते को क्रियान्वित किया गया।

जीवन और आजीविका बचाने के लिए महामारी और जलवायु आपातकाल दोनों को संबोधित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। हमारे ग्रह पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त व मजबूत कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, पृथ्वी को स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए विश्व के सभी देशों को एकजुट होकर व पूरी ईमानदारी के साथ काम करना होगा। यह बात ज्ञात हो कि कोई देश अकेले ही ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से निपटने में सक्षम नहीं है। इस खतरे को सभी मिलकर ही दूर कर सकते हैं।

Frequently Asked Questions (FAQs)

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। 

किसी क्षेत्र विशेष की परंपरागत जलवायु में समय के साथ होने वाले बदलाव को जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। जलवायु में आने वाले परिवर्तन के प्रभाव को एक सीमित क्षेत्र में अनुभव किया जा सकता है और पूरी दुनिया में भी। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की स्थिति गंभीर दिशा में पहुँच रही है और पूरे विश्व में इसका असर देखने को मिल रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। लंबे समय तक तापमान अधिक रहने के कारण मौसम के स्वभाव में बदलाव आ रहा है जिसके चलते प्रकृति में मौजूद सामान्य संतुलन की स्थिति बिगड़ रही है। इससे मनुष्यों के साथ ही पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के अन्य परिणामों के बारे में जानकारी लेख में दी गई है।

जलवायु परिवर्तन का संबंध तापमान और मौसम के पैटर्न में दीर्घकालिक बदलावों से है। ऐसे बदलाव प्राकृतिक हो सकते हैं, जो सूर्य की गतिविधि में बदलाव या बड़े ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण हो सकते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के लिए मनुष्य जिम्मेदार हैं। जलवायु वैज्ञानिकों ने दिखाया है कि पिछले 200 वर्षों में लगभग सभी वैश्विक ताप बढ़ने के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार हैं। कई तरह की मानवीय गतिविधियों के कारण ग्रीनहाउस गैसें उत्पन्न हो रही हैं, जो कम से कम पिछले दो हज़ार वर्षों में किसी भी समय की तुलना में दुनिया को तेज़ी से गर्म कर रही हैं।

पृथ्वी की सतह का औसत तापमान अब 1800 के दशक के अंत (औद्योगिक क्रांति से पहले) की तुलना में लगभग 1.2°C अधिक है और पिछले 1 लाख वर्षों में किसी भी समय की तुलना में अधिक गर्म है। पिछला दशक (2011-2020) रिकॉर्ड पर सबसे गर्म था और पिछले चार दशकों में से प्रत्येक 1850 के बाद से किसी भी पिछले दशक की तुलना में अधिक गर्म रहा है।

कई लोग सोचते हैं कि जलवायु परिवर्तन का मुख्य अर्थ गर्म तापमान है। लेकिन तापमान में वृद्धि केवल कहानी की शुरुआत है। क्योंकि पृथ्वी एक प्रणाली है, जहाँ सब कुछ जुड़ा हुआ है, एक क्षेत्र में परिवर्तन सभी अन्य क्षेत्रों में परिवर्तन को प्रभावित कर सकता है।

जलवायु परिवर्तन के परिणामों में अब अन्य बातों के अलावा तीव्र सूखा, जल की कमी, भीषण आग, समुद्र का बढ़ता स्तर, बाढ़, ध्रुवीय बर्फ का पिघलना, विनाशकारी तूफान और जैव विविधता में गिरावट शामिल हैं।

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Climate Change Essay in English- जलवायु परिवर्तन पर निबंध 1000 शब्दों में_0.1

Climate Change Essay in English- जलवायु परिवर्तन पर निबंध 1000 शब्दों में

Climate change is the term used to describe a bad change in the climate and its effects on Earth's living things. Get Climate change essay in English and Hindi in short and long form for students

Cimate change essay

Table of Contents

The abrupt change in the climate of the earth has given goosebumps to every sane person. One of the most important problems affecting our planet right now is climate change. This phenomenon is mainly attributed towards the Global Warming. The world gets warmer as a result of greenhouse gases being released into the atmosphere. Methane, nitrous oxide, and carbon dioxide are the main greenhouse gases. So, students are encouraged to know more about it and develop a scientific outlook towards climate change. That is why school ask their students to write an essay on climate change. In this article, we will learn how to write a climate change essay in English and Hindi along with sample examples.

Climate Change Essay

Climate Change Essay: We are currently dealing with a serious problem called climate change, which is caused by urbanization. Changes in climate are mostly caused by human activity. The combustion of fossil fuels for transportation, energy production, and other uses results in the atmospheric emission of copious amounts of greenhouse gases. Because trees collect carbon dioxide from the atmosphere, deforestation also plays a role in climate change. We are all concerned about the issue of climate change, and we are all affected by it. Scientists are still unsure about whether or not climate change is the only factor contributing to global warming. Due to the interconnected nature of the two issues, it can be challenging to distinguish between climate change and global warming. Controlling climate change needs to happen as soon as possible.

Here we, at adda247 are providing 10 lines of essays, short essays, and long essays on climate change.

Climate Change Essay UPSC

Introduction: Climate change is an unprecedented global crisis driven by human activities, primarily greenhouse gas emissions. Its far-reaching impacts threaten ecosystems, economies, and livelihoods worldwide. Urgent action is needed to mitigate its effects and build resilience for a sustainable future.

  • Causes of Climate Change: Climate change is primarily caused by the burning of fossil fuels, deforestation, industrial processes, and agriculture. These activities release greenhouse gases, such as carbon dioxide and methane, into the atmosphere, trapping heat and leading to global warming.
  • Impacts of Climate Change: Climate change has dire consequences, including rising sea levels, extreme weather events, loss of biodiversity, disruptions in agricultural patterns, and water scarcity. Vulnerable communities, especially in developing nations, face the brunt of these impacts, exacerbating poverty and migration.
  • Mitigation Strategies: Mitigating climate change requires collective efforts from governments, businesses, and individuals. Transitioning to renewable energy sources, promoting energy efficiency, afforestation, and adopting sustainable practices are crucial steps to reduce greenhouse gas emissions.

Conclusion: Addressing climate change demands immediate and comprehensive action at the global level. It necessitates international cooperation, innovative policies, and sustainable practices to preserve our planet for future generations. Taking up this challenge is not a choice but an ethical imperative for humanity’s survival.

Climate Change Essay in 10 Lines

  • Climate change is a terrible threat to all living things on Earth.
  • Since the environment has changed, the traditional meaning of the word “climate” has become meaningless. The timing of weather changes is unpredictable.
  • Overuse of fossil fuels, deforestation, and the exploitation of all other natural resources are the main contributors to climate change.
  • The effects of climate change are not pleasant; they include rising temperatures, glaciers melting, heavy rainfall, and frequent forest fires.
  • Alarmingly, the Earth’s temperature is rising at a rate that, if it keeps going, will cause it to warm by 1 to 5 degrees Celsius within the next ten years.
  • Affected negatively by climate change and global warming is agriculture.
  • Climate change is significantly influenced by greenhouse gases.
  • The ozone layer is decreasing day by day.
  • Due to the near extinction of natural resources, we will soon need to switch to sustainable energy sources.
  • The end is near if global warming and climate change are not stopped.

Climate Change Essay in 250 Words

Climate change, which is endangering life on Earth, is currently one of the most heavily debated issues worldwide. Climate change is the term used to describe a bad change in the climate and its effects on Earth’s living things. Over the last two million years, Earth’s climate has warmed, and climate change and global warming are to blame. Seasonal shifts are just one of the extreme effects of the unreasonable increase in air temperature. The main causes of global warming, which changes the climate, include deforestation, the use of fossil fuels, and other human activities.

The terrible climate changes brought on by global warming include forest fires, heavy rain, and glacier melting. In order to lead a peaceful and contented existence, we must stop global warming. The exploitation of the already-existing natural resources must stop immediately, and reforestation should be practised. In order for the planet to heal, serious problems like climate change and global warming must be addressed.

Climate Change Essay in 500 words for UPSC

According to the definition of climate, long-term periodic changes in the weather patterns that have been recorded for centuries are referred to as climate. Climate change results from the simultaneous occurrence of various changes on Earth since its creation. Climate change occurs in cycles; it began during a cooler ice age and is now much warmer than it was two million years ago. The Sun, which is the ultimate source of energy and continuously powers the weather system, is responsible for the millions of living things we see on Earth today.

To name a few major changes, the world is currently facing unjustified droughts, unpredictable weather patterns, sudden rains, and snowfall, there is a steady fluctuation in temperatures leading to tragedies like forest fires, and the weather is no longer predictable enough. The changes are unpredictable, and it is becoming more and more difficult to keep track of them. Both positive and negative effects of these changes on human lives are significant.

Since the beginning of evolution, mankind have continuously benefited from nature. This has produced Some of these include the high levels of carbon dioxide in the environment, other dangerous substances in the air and water, and the complete depletion of fossil fuels as a result of frequent use. Constant exploitation of natural resources and a lack of major action to improve the situation finally led to the buildup of hazardous gases in the atmosphere. Climate change also contributes to the ozone layer’s destruction from greenhouse gases.

These changes to the biosphere that humans have brought about are irreversible. All we can do is work to improve the biosphere as a place to live. Because it is expected that, due to an increase in greenhouse gas emissions into the atmosphere, Earth’s temperature would rise steadily over the next days, causing the extinction of life as we know it. The heat that should be emitted is trapped by greenhouse gases.

Essay on Climate Change and Its Impact

Climate change is an alarming global phenomenon that refers to long-term shifts in temperature and weather patterns on Earth. It is primarily driven by human activities, such as the burning of fossil fuels, deforestation, industrial processes, and agriculture, leading to an increase in greenhouse gas emissions. This essay delves into the devastating impact of climate change on the environment, ecosystems, and human societies.

  • Environmental Impact: (a) Global Warming: The Earth’s average temperature has been steadily rising, resulting in the melting of polar ice caps and glaciers. This contributes to rising sea levels, leading to coastal erosion and the inundation of low-lying areas, threatening millions of people living in coastal regions.

(b) Extreme Weather Events: Climate change intensifies extreme weather events such as hurricanes, cyclones, floods, and droughts. These events cause widespread destruction, loss of life, and exacerbate food and water scarcity.

(c) Disruption of Ecosystems: Climate change disrupts ecosystems and affects biodiversity. Many plant and animal species are facing extinction as they struggle to adapt to rapidly changing conditions.

  • Impact on Agriculture: Climate change has far-reaching consequences for agriculture and food security. Changing weather patterns and more frequent extreme events disrupt crop production, leading to reduced yields and higher food prices. This affects livelihoods and puts vulnerable communities at risk of hunger and poverty.
  • Water Scarcity: Global warming leads to altered precipitation patterns, causing uneven distribution of rainfall. Some regions experience severe droughts, while others face intense floods. The resulting water scarcity affects communities, agriculture, and industries, further exacerbating conflicts over water resources.
  • Health Impacts: Climate change influences the spread of diseases like malaria, dengue, and Zika, as changing temperatures and rainfall patterns create more favorable conditions for disease vectors. Additionally, extreme heat events can lead to heat-related illnesses and deaths, particularly among vulnerable populations.

The impact of climate change is undeniable and poses a significant threat to our planet’s ecosystems, human societies, and future generations. Urgent and collective action is essential to combat this global crisis. Governments must commit to ambitious emission reduction targets, promote renewable energy, and implement sustainable policies. Individuals can play their part by adopting eco-friendly practices and supporting climate-friendly initiatives. Only by working together can we mitigate the impact of climate change and create a sustainable future for all living beings on Earth.

Climate Change in India Essay

Climate change is a pressing global issue affecting countries worldwide, and India is no exception. As one of the most populous and climate-vulnerable countries, India faces numerous challenges due to changing weather patterns, rising temperatures, and extreme weather events. This essay explores the impact of climate change on India and emphasizes the importance of collective efforts to address this critical issue.

Impact of Climate Change in India:

  • Rising Temperatures: India is experiencing a steady increase in average temperatures, leading to more frequent and intense heatwaves. These heatwaves have severe consequences for human health, agriculture, and water resources, particularly in densely populated urban areas.
  • Erratic Monsoons: Climate change disrupts the monsoon patterns, which are crucial for India’s agricultural productivity. Irregular monsoons lead to droughts or floods, affecting crop yields, food security, and livelihoods of millions of farmers.
  • Glacier Melting: Himalayan glaciers, vital sources of water for major Indian rivers, are receding due to global warming. The loss of glacial meltwater impacts downstream communities, reducing water availability and increasing the risk of water scarcity in the future.
  • Sea Level Rise: With a long coastline, India is highly vulnerable to rising sea levels caused by the melting of polar ice caps. Coastal erosion, salinization of freshwater sources, and the risk of submergence of low-lying coastal areas pose significant challenges to coastal communities.
  • Biodiversity Loss: Climate change threatens India’s rich biodiversity. Rising temperatures and changing habitats lead to the loss of plant and animal species, impacting ecosystems and ecological balance.

Solutions to Address Climate Change in India:

  • Renewable Energy: Transitioning to renewable energy sources, such as solar, wind, and hydro power, can significantly reduce India’s carbon footprint and dependency on fossil fuels.
  • Afforestation and Reforestation: Promoting afforestation and reforestation initiatives can aid in carbon sequestration, enhance forest cover, and protect biodiversity.
  • Climate-Resilient Agriculture: Implementing climate-resilient agricultural practices, such as drought-resistant crops, efficient irrigation, and soil conservation techniques, can help farmers adapt to changing weather patterns.
  • Water Management: Adopting sustainable water management practices and rainwater harvesting can mitigate the impact of water scarcity and enhance water security.
  • Public Awareness and Education: Raising awareness about climate change and its impact is crucial for fostering public support and encouraging individual actions toward sustainability.

Climate change poses a formidable challenge to India’s economic growth, social stability, and environmental integrity. As a responsible global citizen, India must take proactive measures to mitigate greenhouse gas emissions and promote sustainable practices. Collaborative efforts among governments, communities, and individuals are essential to combat climate change, protect vulnerable populations, and secure a sustainable future for the nation and the planet.

Human Impact on Climate Change Essay

Human Impact on Climate Change Introduction

Climate change is one of the most pressing global issues of our time, with far-reaching consequences for the environment, economies, and societies. It is primarily driven by the increase in greenhouse gas emissions, and the majority of these emissions are the result of human activities. This essay examines the significant human impact on climate change, explores the causes, consequences, and potential solutions to address this critical issue.

Causes of Human Impact on Climate Change

  • Burning Fossil Fuels : The combustion of fossil fuels, such as coal, oil, and natural gas, for energy production, transportation, and industrial processes, is the largest source of anthropogenic carbon dioxide (CO2) emissions. This contributes significantly to the greenhouse effect, trapping heat in the Earth’s atmosphere.
  • Deforestation : The cutting down of forests for agriculture, urbanization, and logging reduces the Earth’s capacity to absorb CO2. Trees act as carbon sinks, and their removal releases stored carbon into the atmosphere, further exacerbating global warming.
  • Agricultural Practices : Modern agriculture, including livestock farming and the use of synthetic fertilizers, releases methane (CH4) and nitrous oxide (N2O) into the atmosphere. These gases are potent greenhouse gases and contribute to global warming.
  • Industrial Processes : The manufacturing industry emits greenhouse gases through various processes, such as the production of cement, chemicals, and other goods. These emissions are a substantial driver of climate change.

Consequences of Human-Induced Climate Change

  • Global Temperature Rise : The Earth’s average temperature has been steadily increasing due to the enhanced greenhouse effect. Rising temperatures lead to various adverse effects, including more frequent and severe heatwaves.
  • Melting Ice and Rising Sea Levels : Higher temperatures cause glaciers and polar ice caps to melt, resulting in rising sea levels. This can lead to coastal flooding, displacement of communities, and loss of valuable land.
  • Extreme Weather Events : Climate change is linked to an increase in the frequency and intensity of extreme weather events, such as hurricanes, droughts, floods, and wildfires. These events have devastating impacts on ecosystems and human settlements.
  • Ocean Acidification : Increased CO2 levels in the atmosphere also lead to higher levels of CO2 being absorbed by the world’s oceans, causing ocean acidification. This harms marine life, especially coral reefs and shellfish.
  • Biodiversity Loss : Climate change disrupts ecosystems and habitats, threatening numerous species with extinction due to altered temperature and precipitation patterns.

Solutions to Mitigate Human-Induced Climate Change

  • Transition to Renewable Energy : Moving away from fossil fuels and investing in renewable energy sources like solar, wind, and hydroelectric power is crucial to reducing CO2 emissions.
  • Reforestation and Sustainable Land Use : Protecting and restoring forests and adopting sustainable land use practices can help sequester carbon and combat deforestation.
  • Efficient Transportation : Promoting public transportation, electric vehicles, and cycling can significantly reduce greenhouse gas emissions from the transportation sector.
  • Green Building Practices : Encouraging energy-efficient construction and retrofitting of existing buildings can reduce emissions from the built environment.
  • International Cooperation : Global efforts, like the Paris Agreement, are essential for countries to work together to reduce emissions and limit global temperature rise.
  • Individual Action : Encouraging individuals to reduce their carbon footprint through energy conservation, waste reduction, and lifestyle changes can make a significant impact.

Human activities are undeniably responsible for the rapid and detrimental changes in the Earth’s climate. Climate change poses a grave threat to the planet and its inhabitants, requiring immediate action at the individual, community, national, and international levels. Addressing human impact on climate change is an imperative that demands cooperation, innovation, and a commitment to sustainable practices in all aspects of life. Failure to act now could have catastrophic consequences for the future of our planet.

Paragraph on Climate Change

Climate change is one of the most pressing challenges facing our planet today. It refers to long-term shifts in global weather patterns and temperatures, primarily driven by human activities such as the burning of fossil fuels, deforestation, and industrial processes. The consequences of climate change are far-reaching and include rising global temperatures, more frequent and severe weather events, melting ice caps and glaciers, and sea level rise. These changes have significant implications for ecosystems, economies, and human societies. Climate change also exacerbates existing environmental issues, threatens biodiversity, and poses a serious risk to future generations. Addressing this crisis requires collective global efforts to reduce greenhouse gas emissions, transition to sustainable energy sources, and adapt to the changes that are already underway. It’s a complex and urgent issue that demands immediate action and a commitment to a more sustainable and environmentally responsible future.

जलवायु परिवर्तन पर निबंध 1000 शब्दों में

जलवायु परिवर्तन, जो पृथ्वी पर जीवन को खतरे में डाल रहा है, वर्तमान में दुनिया भर में सबसे अधिक बहस वाले मुद्दों में से एक है। जलवायु परिवर्तन वह शब्द है जिसका उपयोग जलवायु में खराब परिवर्तन और पृथ्वी पर रहने वाले जीवों पर इसके प्रभावों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। पिछले दो मिलियन वर्षों में, पृथ्वी की जलवायु गर्म हो गई है, और जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग इसके लिए जिम्मेदार हैं। मौसमी बदलाव हवा के तापमान में अनुचित वृद्धि के चरम प्रभावों में से एक हैं। ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारणों में, जो जलवायु को बदलते हैं, वनों की कटाई, जीवाश्म ईंधन के उपयोग और अन्य मानवीय गतिविधियों में शामिल हैं।

ग्लोबल वार्मिंग द्वारा लाए गए भयानक जलवायु परिवर्तनों में जंगल की आग, भारी बारिश और ग्लेशियर का पिघलना शामिल है। शांतिपूर्ण और संतुष्ट अस्तित्व का नेतृत्व करने के लिए, हमें ग्लोबल वार्मिंग को रोकना होगा। पहले से मौजूद प्राकृतिक संसाधनों का दोहन तत्काल बंद होना चाहिए और वनों की कटाई का अभ्यास किया जाना चाहिए। ग्रह को ठीक करने के लिए, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए।

यूपीएससी के लिए 500 शब्दों में जलवायु परिवर्तन निबंध

जलवायु की परिभाषा के अनुसार, सदियों से दर्ज किए गए मौसम के पैटर्न में दीर्घकालिक आवधिक परिवर्तन को जलवायु कहा जाता है। इसके निर्माण के बाद से पृथ्वी पर विभिन्न परिवर्तनों की एक साथ घटना के परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन होता है। चक्रों में जलवायु परिवर्तन होता है; यह एक ठंडे हिमयुग के दौरान शुरू हुआ और अब दो मिलियन वर्ष पहले की तुलना में बहुत गर्म है। सूर्य, जो ऊर्जा का अंतिम स्रोत है और लगातार मौसम प्रणाली को शक्ति देता है, आज हम पृथ्वी पर देखे जाने वाले लाखों जीवित चीजों के लिए जिम्मेदार हैं।

कुछ बड़े बदलावों का नाम लेने के लिए, दुनिया वर्तमान में अनुचित सूखे, अप्रत्याशित मौसम के पैटर्न, अचानक बारिश और बर्फबारी का सामना कर रही है, तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव हो रहा है जिससे जंगल की आग जैसी त्रासदियों का सामना करना पड़ रहा है, और मौसम अब पर्याप्त अनुमानित नहीं है। परिवर्तन अप्रत्याशित हैं, और उन पर नज़र रखना अधिक कठिन होता जा रहा है। इन परिवर्तनों के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव मानव जीवन पर महत्वपूर्ण हैं।

विकास की शुरुआत के बाद से, मानव जाति ने प्रकृति से लगातार लाभ उठाया है। इसने उत्पादन किया है इनमें से कुछ में पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का उच्च स्तर, हवा और पानी में अन्य खतरनाक पदार्थ और बार-बार उपयोग के परिणामस्वरूप जीवाश्म ईंधन की पूर्ण कमी शामिल है। प्राकृतिक संसाधनों के निरंतर दोहन और स्थिति में सुधार के लिए प्रमुख कार्रवाई की कमी के कारण अंततः वातावरण में खतरनाक गैसों का निर्माण हुआ। जलवायु परिवर्तन भी ग्रीनहाउस गैसों से ओजोन परत के विनाश में योगदान देता है।

मानव द्वारा लाए गए जीवमंडल में ये परिवर्तन अपरिवर्तनीय हैं। हम बस इतना कर सकते हैं कि जीवमंडल को रहने की जगह के रूप में बेहतर बनाने के लिए काम करें। क्योंकि यह उम्मीद की जाती है कि, वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि के कारण, अगले दिनों में पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ेगा, जिससे जीवन विलुप्त हो जाएगा जैसा कि हम जानते हैं। उत्सर्जित होने वाली गर्मी ग्रीनहाउस गैसों द्वारा फंस जाती है।

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Q. What are the 3 main effects of climate change?

Ans. Hotter temperatures, More severe storms,  Increased drought.

Q. What is the most cause of climate change?

Ans. Human activity is the main cause of climate change.

Q. What makes the climate change?

Ans. Burning fossil fuels, cutting down forests and farming livestock are increasingly influencing the climate and the earth's temperature. 

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