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नवरात्रि पर निबंध (Essay On Navratri in Hindi)

नवरात्रि पर निबंध (Essay On Navratri in Hindi)

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नवरात्रि पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On Navratri In Hindi)

नवरात्रि पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on navratri in hindi 200-300 words), नवरात्रि पर निबंध 400-600 शब्दों में (essay on navratri in hindi 400-600 words).

नवरात्रि हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। नवरात्रि दो शब्दों से मिलकर बना है, नव यानी नया और रात्रि यानी रात। हिन्दू धर्म के सभी त्योहारों में जीवन जीने के आदर्शों का सार मिलता है। नवरात्रि का त्योहार भी ऐसे ही एक आदर्श का अर्थ बताता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। नवरात्रि का पर्व 9 दिनों का होता है और इन सभी 9 दिनों में माँ दुर्गा के अलग-अलग 9 रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का त्योहार भारत के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न तरीकों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। यदि आपके बच्चे को स्कूल में नवरात्रि पर निबंध लिखने को कहा गया है तो यह आर्टिकल पढ़कर आप उसकी मदद कर सकते हैं। यहाँ हमने नवरात्रि पर निबंध लिखने के 3 तरीके बताए हैं। कम शब्दों में या 10 लाइन का निबंध, संक्षिप्त यानी लगभग 300 शब्दों का निबंध और विस्तृत यानी 500 शब्दों के आसपास नवरात्रि का वर्णन।

  • नवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
  • नवरात्रि का त्योहार 9 दिनों तक मनाया जाता है और इसे नवरात, नवरात्र, दुर्गा पूजा भी कहते हैं।
  • नवरात्रि का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  • नवरात्रि मनाने के पीछे देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर दानव का वध करने की कथा है।
  • नवरात्रि का त्योहार साल में चार बार आता है, जिसमें से 2 बार आम जनमानस नवरात्रि मनाते हैं।
  • हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र और अश्विन के महीने में मनाई जाने वाली नवरात्रि सबसे आम होती है।
  • नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
  • देवी के 9 रूपों के नाम क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्धिदात्री हैं।
  • नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने की परंपरा है।
  • नवरात्रि के समय अलग-अलग परंपराएं प्रचलित हैं, जैसे 9 दिनों तक उपवास रखना, कुमारी पूजन, देवी की मूर्ति स्थापना और विसर्जन, गरबा और डांडिया का खेल एवं आयुध पूजा आदि।

हिंदू धर्म अनेक त्योहारों, पर्वों, शास्त्रों और मान्यताओं वाला धर्म है। इसके हर एक पर्व और शास्त्र से कोई न कोई कथा या घटना जुड़ी हुई है। नवरात्रि के त्योहार का संबंध माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर दानव का वध करने की कथा से है। जब ब्रह्मा जी ने महिषासुर नामक राक्षस को वरदान दिया कि उसे कोई भी देव या दानव नहीं मार सकता तब वह न केवल पृथ्वी के लोगों पर अत्याचार करने लगा बल्कि उसने स्वर्ग में इंद्र का सिंहासन भी छीन लिया। उसके उत्पात से त्रस्त लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए त्रिदेव यानी ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु और महादेव ने अपनी शक्तियों से माँ दुर्गा की रचना की। देवी दुर्गा के दस हाथ थे जिसमें उन्होंने अलग-अलग शस्त्र धारण किए थे। देवी ने सिंह पर सवार होकर अपनी शक्तियों के साथ महिषासुर से 9 दिनों तक प्रचंड युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। शास्त्रों के अनुसार अश्विन यानी शारदीय नवरात्रि का संबंध इसी कथा से है। वैसे तो नवरात्रि का त्योहार साल में चार बार आता है, लेकिन आम जनमानस हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र और अश्विन महीने में आने वाली नवरात्रि मनाते हैं। नवरात्रि में प्रत्येक दिन देवी के अलग रूप क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्धिदात्री पूजा होती है। नवरात्रि में लोग उपवास रखते हैं या शाकाहारी और सादा भोजन करते हैं, कन्या पूजन करते हैं, देवी का जागरण करवाते हैं। इसके साथ ही लोग गरबा व डांडिया खेलते हैं, 9 दिनों 9 अलग रंगों के कपड़े पहनते हैं और आखिरी दिन आयुध पूजा भी करते हैं। नवरात्रि को भारत के पूर्वी राज्यों, विशेषतः पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के नाम से मनाया जाता है।

भारत एक त्योहारों और उत्सव का देश है। हर त्योहार मनाने के पीछे कोई न कोई कारण होता है और उसी के पीछे होती है एक कहानी, मान्यता, तथ्य और परंपरा। नवरात्रि का पर्व भी ऐसा ही एक पर्व है जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है (Why is Navratri Celebrated)

पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर नाम का एक दानव था जिसका मुँह (सिर) भैंस का था। इस दानव को ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त था कि उसे कोई देव मार नहीं सकते। जिसके कारण उसने संसार में उत्पात मचा रखा था। उसके अत्याचारों से परेशान लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए फिर भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव ने अपनी शक्तियों से देवी दुर्गा की रचना की। देवी दुर्गा ने महिषासुर के बीच यह युद्ध 9 रातों तक चला था। इसलिए नवरात्रि का पर्व भी 9 दिनों तक मनाया जाता है।

नवरात्रि कब होती है? (When is Navratri Celebrated?)

वैसे तो साल में 4 बार नवरात्रि का उत्सव आता है लेकिन आम तौर पर लोगों को 2 ही नवरात्रि के बारे में ज्यादा जानकारी होती है। हिंदू कैलेंडर के महीनों के अनुसार आने वाले नवरात्रि के नाम इस प्रकार हैं:

  • चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल के महीनों में)
  • आषाढ़ गुप्त नवरात्रि (जून-जुलाई के महीनों में)
  • अश्विन (शरद) नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर के महीनों में)
  • पौष नवरात्रि (जनवरी-फरवरी के महीनों में)

ज्यादातर आम लोग चैत्र और अश्विन माह में पड़ने वाली शरद (शारदीय) नवरात्रि में ही उपासना करते हैं। वहीं गुप्त नवरात्रि देवी की साधना और तंत्र ज्ञान की वृद्धि के लिए होती हैं। पौष नवरात्रि को शाकंभरी नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।

नवरात्रि कैसे मनाई जाती है (How is Navratri Celebrated)

यूँ तो भारत के सभी राज्यों में नवरात्रि का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन हर राज्य की अलग संस्कृति की तरह इसे मनाने के तरीके, रीती-रिवाज और परम्पराएं भी अलग-अलग हैं। हालांकि इनमें एक प्रमुख बात जो सभी जगह दिखती है वह है पहले दिन सुख, समृद्धि और मंगल के प्रतीक के रूप में कलश की स्थापना और इसलिए इस दिन को घटस्थापना कहा जाता है। अनेक घरों में 9 दिनों तक सिर्फ सात्विक खाना (बिना लहसुन-प्याज) खाया जाता है। वहीं कई लोग पूरे 9 दिन तक उपवास रखते हैं और अन्न ग्रहण न करके केवल फल खाकर व पानी पीकर देवी की आराधना करते हैं। इसी तरह कन्या पूजन यानी छोटी लड़कियों को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा करना और उन्हें खाना खिलाना भी एक प्रमुख परंपरा मानी जाती है। साथ ही, नवरात्रि में गरबा व डांडिया का खेल भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग बन चुका है। इसके आलावा पिछले कुछ वर्षों में नवरात्रि के 9 दिनों में 9 अलग रंगों के कपड़े पहनने का भी प्रचलन बहुत आम हो गया है।

नवरात्रि के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Navratri in Hindi)

  • नवरात्रि को दुर्गा पूजा, महागौरी पूजा, विजयादशमी, नवरात्र आदि नामों से भी जाना जाता है।
  • महिषासुर का वध करने के कारण देवी दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है।
  • आम मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दिनों में काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।

नवरात्रि के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है? (What Will Your Child Learn from Navratri Essay?)

नवरात्रि का निबंध बच्चों को पौराणिक कथाओं के बारे में जानने और त्योहारों को मनाने के पीछे का कारण बताता है। इसे पढ़कर वह सीख सकता है कि भारतीय पर्वों और मान्यताओं का महत्व क्या है और हमारी ऐतिहासिक, पौराणिक व सांस्कृतिक कहानियां कितनी आशावादी हैं। इतना ही नहीं वह इस निबंध की मदद से अपनी क्षमता के अनुसार एक अच्छा निबंध भी लिख सकेगा।

इस आर्टिकल में हमने नवरात्रि से संबंधित सभी जानकारी देने की पूरी कोशिश की है। फिर भी यदि आपको कुछ और बातों और तथ्यों की तलाश है तो हमारी साईट पर नवरात्रि से जुड़े कई अन्य आर्टिकल भी उपलब्ध हैं। जैसे बच्चों के लिए नवरात्रि और दशहरा से जुड़ी जानकारियां, कहानियां, दिलचस्प सवाल-जवाब, देवियों का विस्तृत स्वरूप, नवरात्रि के 9 रंग आदि। आप इन पर क्लिक करके और अधिक बातें जान सकते हैं और अपने निबंध को और भी बेहतर तरीके से लिख सकते हैं।

नवरात्रि के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. देवी दुर्गा का वाहन कौन है.

देवी दुर्गा का वाहन शेर है और इसलिए उन्हें शेरावाली भी कहा जाता है।

2. आयुध पूजा क्यों की जाती है?

महिषासुर का वध करने के बाद माँ दुर्गा के अस्त्र-शस्त्रों को पूजा के लिए रखा गया था इसलिए दशमी के दिन आयुध पूजा करने का महत्व है।

3. नवरात्रि के समय रामलीला का आयोजन क्यों होता है?

नवरात्रि के बाद दसवें दिन पड़ने वाली दशमी तिथि को ही भगवान राम ने लंकाधीश रावण का वध किया था। इसलिए इसे दशहरा का पर्व कहा जाता है और प्रभु राम की याद में भारत में जगह-जगह लोग रामलीला का आयोजन करते हैं।

यह भी पढ़ें:

नवरात्रि के व्रत के लिए 11 बेहतरीन भोजन और रेसिपीज नवरात्रि 2023 की शुभकामनाएं, कोट्स, विशेज, मैसेज, शायरी और स्टेटस

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Essay on Navratri in Hindi : स्टूडेंट्स के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में नवरात्रि पर निबंध

essay on hindi on navratri

  • Updated on  
  • अप्रैल 4, 2024

Essay on Navratri in Hindi

शारदीय नवरात्रि , हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो शारद ऋतु में मनाया जाता है। इस त्यौहार को “ नवरात्रि ” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें नौ दिन तक भगवान दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में कई बार विद्यार्थियों को नवरात्री पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। नवरात्री पर निबंध कैसे लिखें, आईये इस लेख में जानते हैं। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 500 शब्दों में Essay on Navratri in Hindi के सैम्पल्स दिए गए हैं। आईये पढ़ते हैं विस्तार से।

This Blog Includes:

नवरात्रि पर निबंध 100 शब्दों में, नवरात्रि पर निबंध 200 शब्दों में, प्रस्तावना , नवरात्रि का इतिहास और महत्व, नवरात्रि के दौरान मनाए जाने वाले कार्यक्रम, नवरात्रि का प्रभाव, नवरात्रि के कुछ लाभ, निष्कर्ष , नवरात्रि पर 10 लाइन्स .

100 शब्दों में Essay on Navratri in Hindi कुछ इस प्रकार है –  

नवरात्रि भारतीय हिन्दू संस्कृति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार नौ दिनों तक मनाया जाता है और मां दुर्गा की पूजा का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में देवी दुर्गा की आराधना और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस अवसर पर लोग व्रत रखते हैं और धार्मिक गीत और भजन गाते हैं। यह त्योहार हिन्दू संस्कृति में शक्ति की पूजा के रूप में माना जाता है और समाज में एकता और सद्भावना का प्रतीक होता है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में सजावट, खाने-पीने का आयोजन, और सामाजिक आयोजन होते हैं।

नवरात्रि पर निबंध

200 शब्दों में Essay on Navratri in Hindi कुछ इस प्रकार है –  

नवरात्रि भारतीय हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण और उत्सवपूर्ण त्योहार है, जो नौ दिनों तक मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान मां दुर्गा की पूजा और उनके नौ रूपों की आराधना की जाती है। नवरात्रि के पहले तीन दिनों में मां दुर्गा की मां काली, मां ब्रह्माचारिणी, और मां चंद्रघंटा के रूपों की पूजा की जाती है, जबकि बाकी के छह दिन मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

नवरात्रि के इन दिनों में धार्मिक गीत और भजन गाए जाते हैं, और दर्शनीय मंदिरों में भक्तों की भरमार होती है। लोग व्रत रखते हैं और आचार्य और पंडितों से मां दुर्गा की कथा का पाठ करते हैं।

यह भी पढ़ें : दिवाली पर निबंध

नवरात्रि के अंत में, दशहरा के दिन, मां दुर्गा के मूर्ति को विदाई देते हैं और रावण के पुतले को जलाकर उसकी पराजय का संकेत देते हैं। यह त्योहार भक्तों के लिए नए आरंभ की ओर एक कदम होता है और शक्ति की पूजा के माध्यम से जीवन में सफलता और खुशियों की प्राप्ति का अवसर प्रदान करता है।

Essay on Navratri in Hindi

नवरात्रि पर निबंध 500 शब्दों में 

500 शब्दों में Essay on Navratri in Hindi कुछ इस प्रकार है –

नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है, जो नौ रातों और दस दिनों तक चलता है। यह त्यौहार देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें शक्ति या देवी के रूप में भी जाना जाता है। नवरात्रि के दौरान, भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं।

नवरात्रि का इतिहास प्राचीन काल से ही है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर राक्षस से युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसलिए, नवरात्रि को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

नवरात्रि का महत्व निम्नलिखित है:

  • यह देवी दुर्गा की पूजा का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
  • यह एक समय है जब लोग एक साथ आते हैं और अच्छाई की शक्ति पर विश्वास करने के लिए प्रेरित होते हैं।
  • यह एक समय है जब लोग अपनी आध्यात्मिकता को विकसित करते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।

यह भी पढ़ें :  विश्व हिंदी दिवस पर निबंध

नवरात्रि के दौरान, लोग निम्नलिखित कार्यक्रम मनाते हैं:

  • देवी दुर्गा की पूजा: नवरात्रि के दौरान, भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। पूजा में मंत्रों का जाप, आरती, और भजन गाना शामिल होता है।
  • गरबा और डांडिया: गरबा और डांडिया नवरात्रि के दौरान मनाए जाने वाले लोकप्रिय नृत्य हैं। ये नृत्य देवी दुर्गा की स्तुति में किए जाते हैं।
  • उपवास: कुछ लोग नवरात्रि के दौरान उपवास रखते हैं। उपवास का उद्देश्य आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक विकास करना है।
  • धार्मिक अनुष्ठान: नवरात्रि के दौरान, लोग कई धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, जैसे कि कन्या पूजन, हवन, और भंडारा।

नवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें अच्छाई की शक्ति पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है। यह एक समय है जब लोग अपनी आध्यात्मिकता को विकसित करते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।

नवरात्रि मनाने से निम्नलिखित लाभ हैं:

  • आध्यात्मिक विकास: नवरात्रि के दौरान, लोग देवी दुर्गा की पूजा करते हैं, जो शक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं। इससे लोगों को आध्यात्मिक विकास करने और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद मिल सकती है।
  • सामाजिक एकता: नवरात्रि एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है। यह एक समय है जब लोग एक साथ मिलकर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और अच्छाई की शक्ति पर विश्वास करते हैं।
  • आत्म-शुद्धि: नवरात्रि के दौरान, कुछ लोग उपवास रखते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इससे उन्हें आत्म-शुद्धि करने और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद मिल सकती है।

नवरात्रि एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद कर सकता है। यह एक समय है जब लोग आध्यात्मिक रूप से विकसित होते हैं, सामाजिक रूप से एकजुट होते हैं, और आत्म-शुद्धि करते हैं।

यह भी पढ़ें : लोकतंत्र पर निबंध

नवरात्रि पर 10 लाइन्स इस प्रकार से है :

  • नवरात्रि भारतीय हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्यौहार है।
  • यह त्यौहार नौ दिनों तक मनाया जाता है और उन दिनों मां दुर्गा की पूजा की जाती है।
  • नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
  • नवरात्रि के पहले तीन दिन मां काली, मां ब्रह्माचारिणी, और मां चंद्रघंटा के रूपों की पूजा की जाती है।
  • इस अवसर पर लोग व्रत रखते हैं और धार्मिक गीत और भजन गाते हैं।
  • नवरात्रि के बादले छह दिनों में अलग-अलग देवी की पूजा की जाती है.
  • नवरात्रि का महत्व हिन्दू संस्कृति में शक्ति की पूजा के रूप में माना जाता है।
  • यह त्योहार समाज में एकता और सद्भावना का प्रतीक होता है।
  • नवरात्रि के दौरान सजावट, खाने-पीने का आयोजन, और सामाजिक आयोजन भी होते हैं।
  • नवरात्रि के दौरान दर्शनीय मंदिरों में भक्तों की भरमार होती है। 

सम्बंधित आर्टिकल्स 

नवरात्रि एक हिन्दू पर्व है जो आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इसे नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिनमें हर दिन किसी देवी की पूजा की जाती है।

नवरात्रि चैत्र और आश्वयुज मास में मनाई जाती है, लेकिन चैत्र नवरात्रि और शरदीय नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण हैं। चैत्र नवरात्रि मार्च-अप्रैल में मनाई जाती है, जबकि शरदीय नवरात्रि सितंबर-अक्टूबर में होती है।

नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूप पूजे जाते हैं, जिन्हें नवदुर्गा के रूप में जाना जाता है: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री।

नवरात्रि के दौरान पूजा, भजन, कीर्तन, आरती, और व्रत आदि किए जाते हैं। लोग रात्रि को जागरण करते हैं और मां दुर्गा का भव्य मंदिर दर्शन करते हैं।

नवरात्रि के दौरान व्रत रखने वाले लोग नौ दिनों तक शाकाहारी खाना खाते हैं और ग्रेन फूड्स, फल, सबुदाना, कट्टू के आटे से बने पकवान, और दूध के अनाज उपयोग करते हैं।

आशा है कि इस ब्लाॅग Essay on Navratri in Hindi में आपको इस विषय में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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नवरात्रि हिन्दू धर्म के लोगो द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाता है। हिंदी महीनो के मुताबिक पहला नवरात्रि चैत्र महीने में मनाया जाता है और दूसरी बार अश्विन महीने में मनाया जाता है। अंग्रेजी महीनो के मुताबिक नवरात्रि कई बार मनाया जाता है। पहला नवरात्रि मार्च और अप्रैल महीने में, दूसरा अक्टूबर में मनाया जाता है। नवरात्रि यानी नौ दिनों के पूजा के पश्चात, फिर दसवे दिन को धूम धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि नौ दिनों के लिए निरंतर चलता है जिसमे देवी माँ के अलग अलग स्वरूपों की लोग भक्ति और निष्ठा के साथ पूजा करते है। भारत में नवरात्रि अलग अलग राज्यों में विभिन्न तरीको और विधियों के संग मनाई जाती है।

देवी माँ ने महिषासुर राक्षस का वध किया था। इस राक्षस को ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त था जिसकी वजह से उसने उत्पात मचाया हुआ था। महिषासुर को वरदान प्राप्त था कि उसे कोई मार नहीं सकता। लोग उसके अत्याचारों से परेशान थे तब ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी ने अपनी शक्ति को मिलान कर देवी दुर्गा की सृष्टि की थी। देवी दुर्गा के दस हाथ थे और सारी शक्तियां भी उन्हें दी गयी थी। देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक इस राक्षस का मुकाबला किया और अंत में दसवे दिन में जाकर उसका वध किया। देवी दुर्गा की इस शक्ति को नवरात्रि के इस त्यौहार में धूम धाम से मनाया जाता है।

नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री माँ की पूजा की जाती है। इनकी आराधना करने से लोगो को एक किस्म की ऊर्जा मिलती है। इस ऊर्जा का उपयोग भक्त अपने मन की अशांति को दूर करने के लिए करते है। नवरात्रि के दूसरे दिन देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की आराधना की जाती है। इसका उद्देश्य है कि हम इस दुनिया में अपना एक मुकाम हासिल कर सके और अपनी पहचान बना सके।

नवरात्रि के तीसरे दिन भक्त देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरुप की पूजा करते है। चंद्रघंटा इसलिए नाम दिया गया है, क्यूंकि माँ का स्वरुप चाँद के जैसे चमकता है। इनकी पूजा करने से मन में उतपन्न सारे नकारात्मक और गलत विचार दूर हो जाते है। ईर्ष्या, घृणा जैसे विचारो से हमे मुकाबला करने की शक्ति मिलती है। नवरात्रि के चौथे दिन लोग दुर्गा माँ के कूष्माण्डा स्वरुप की पूजा करते है। इनकी पूजा करने से हम उन्नति की राह पर चलते है और इनका आशीर्वाद हमारे सोचने समझने की शक्ति को बेहतर तरीके से विकसित करता है। नवरात्रि के पांचवे दिन संकदमाता माता की पूजा की जाती है। उनको कार्तिकेय माता भी कहा गया है। इनके पूजा करने से भक्तो के अंदरूनी व्यवहारिक ज्ञान को विकसित करने के लिए उनका आशीर्वाद मिलता है।

नवरात्रि के छटवे दिन देवी दुर्गा के कात्यायनी स्वरुप की पूजा की जाती है। माँ कात्यायनी की आराधना करने से मनुष्य के अंदर के नकारात्मक विचार दूर हो जाते है। माँ के दिए हुए आर्शीवाद से हम सही मार्ग पर चल सकते है। नवरात्रि के सातवे दिन पर देवी दुर्गा के कालरात्रि के स्वरुप की पूजा करते है। देवी कालरात्रि की पूजा करने से लोगो को अपने जीवन में यश, सम्मान और कीर्ति प्राप्त होता है।

नवरात्रि के आठवे दिन देवी दुर्गा के महागौरी के स्वरुप की आराधना की जाती है। माँ महागौरी को सफ़ेद रंग की देवी के रूप में पूजा जाता है। इनकी आराधना करने से मनुष्य की सारी मन की इच्छा पूरी हो जाती है। नवरात्रि के नौवे दिन देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरुप की आराधना लोगो द्वारा की जाती है। इनकी पूजा करने से हमें ताकत मिलती है कि हम मुश्किल कार्यो को सरलतापूर्वक कर सके। उन अधूरे कार्यो को सफलतापूर्वक पूरा करे।

नवरात्रि जो चैत्र शुक्ल पक्ष में होता है उसमे हिन्दू लोग अपने घरो में कलश की स्थापना करते है। इसके साथ लोग दुर्गापाठ भी करते है। लोग आठ दिनों तक फलो का सेवन करते है। आठवे दिन दुर्गाष्टमी मनाया जाता है और नौवे दिन रामनवमी मनाई जाती है। रामनवमी यानी जब श्रीराम का जन्म हुआ था। नवरात्रि का दूसरा पर्व आश्विन महीने में धूम धाम से मनाया जाता है। यह शरद ऋतू में मनाया जाता है। नवरात्रि गुजरात, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में मनाया जाता है। नवरात्रि के उत्सव में गुजरात राज्य में गरबा नृत्य का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि के उत्सव पर कई राज्य मुख्यत गुजरात में डांडिया उत्सव मनाया जाता है। जैसे ही रात होती है, मिटटी के मटको में दिए जला दिए जाते है। देखने में बड़ा सुन्दर और भव्य लगता है। महिलाएं और पुरुष दोनों एक साथ इस प्रकार के नृत्य में शामिल होते है। इन नौ दिनों तक लोग उपवास रखते है और भोजन में फल का सेवन करते है। बंगाल में नवरात्रि के इस पावन उत्सव पर देवी दुर्गा माँ की पूजा आराधना करते है। यह दुर्गा उत्सव पश्चिम बंगाल में जितना बड़े पैमाने पर और भव्य तरीके से मनाया जाता है, शायद ही अन्य राज्य में इसे ऐसे मनाया जाता है।

नवरात्रि के इस उत्सव पर कई प्रकार की पौराणिक कहानियां प्रचलित है। एक कहानी यह भी है जिसमे श्रीराम ने सीता माता को रावण की कैद से छुड़वाने के लिए देवी दुर्गा की आराधना की थी। उन्होंने 108 कमलो की पूजा नौ दिनों तक की थी। जिसके पश्चात देवी दुर्गा उनके इस पूजा से खुश होकर उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दिया था। उसके पश्चात राम ने अंहकारी रावण का वध किया था। इन नौ दिनों तक नवरात्रि के रूप में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की गयी थी। दसवे दिन रावण के वध के बाद, इस उत्सव को दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

नवरात्रि के इस पावन त्यौहार पर देश के उत्तर भारत के कई स्थानों पर कन्या पूजन किया जाता है। इस पूजा में नौ छोटी लड़कियों की पूजा की जाती है। लोग इसलिए उनकी पूजा करते है क्यूंकि उन्हें वे देवी माँ का रूप समझते है। नौ छोटी लड़कियों को हलवा, पूरी, मिटाई इत्यादि खिलाया जाता है।

कोलकाता में छोटे से लेकर बड़े हर प्रकार की दुर्गा मूर्ति की पूजा की जाती है। घरो पर ही नहीं बल्कि प्रत्येक सार्वजनिक जगहों पर अलग अलग थीम के अनुसार पंडाल को सजाया जाता है। बंगाल में उत्साह और उमंग की अलग ही प्रवाह दुर्गा पूजा के वक़्त देखी जा सकती है। छह दिनों तक लगातार यह उत्साव मनाया जाता है। अनगिनत मनोरंजन से भरे कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। बंगाल अपने संगीत के लिए जाना जाता है। चारो और संगीत और वाद्य यंत्रो की गूंज और लोगो की पंडाल में देर रात तक चहल पहल लगी रहती है।

कहीं कहीं जगह नवरात्रि के नौं रातों में 3 देवियों महालक्ष्मी, महासरस्वती और दुर्गा के नौं रूपों की पूजा की जाती हैं। जिसे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता हैं। दुर्गा का तात्पर्य है जीवन के दुखों को हमेशा के लिए अंत करना।

सभी लोग अपने दोस्तों और प्रियजनों से मिलकर दुर्गा पूजा की शुभकामनायें देते है। अष्टमी और नवमी के दिन, हवन किया जाता है। दशमी के दिन दुर्गाजी की बड़ी मूर्तियों को पूरे नियम और कायदे के अनुसार जल में विसर्जित किया जाता है। नवरात्रि का पर्व हमे कोशिश करना सिखाता है। हमे जीवन में परिश्रम करना सिखाता है, ताकि हम अपनी अंदरूनी शक्ति को पहचान कर, जीवन में अपनी राह चुन कर उसे हासिल कर सके। नवरात्रि के इस पावन त्यौहार को लोग पूरी निष्ठा से निभाते है। नवरात्रि त्यौहार का यही मकसद होता है कि समस्त लोगो के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करे।

#2. [500-600 Words] नवरात्रि पर निबंध

प्रस्तावना : नवरात्रि का त्यौहार भारत में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि 9 दिनों का एक बड़ा त्यौहार है जिसमें देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना बहुत ही उत्सव के साथ की जाती है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसमें ‘नव’ का अर्थ है नौ दिन तथा ‘रात्रि’ अर्थ है रात। नवरात्रि का पवॅ मा अंबा यानी मा दुर्गा के उपासना का त्योहार कहा जाता है । नवरात्रि के दौरान लोग नौ दिन तक अपने घरो में मा अंबा की मूर्ती एवम तांबे, पीतल, या मिट्टी के कलश की स्थापना करते हैं। और उसकी पूजा अर्चना पुरे भक्ति भाव से करते हैं। कुछ लोग इस नौ दिन तक उपवास भी रखते हैं । माता दुर्गा के मुख्य तीन स्वरूप है महालश्रमी, मासरसवती, मा दुर्गा ओर इन सभी को नवदुर्गा के रुप माने जाते है ।

मा दुर्गा के नो रुपों को शैलपुत्री, ब्रह्माचारीणी, चन्द्घघंटा, कुषमांडा, सकंदमाता, कात्यायनी, कालरात्री, महागोरी, सिद्धदात्री। ये सभी नो स्वरूप जीवन के दुख को दुर करके जीवन मे खुशियाँ वाले है। मा दुर्गा हमारे जीवन की बुराइयों को खत्म कर के हमे अछाई के रास्ते पर चलने की प्रेरणा ओर आर्शीवाद प्रदान करे।

पौराणिक कथा : शास्त्रो के अनुसार एक कहानी हे की महिषासुर नाम का एक राक्षस था। जो ब्रह्माजी का बहुत बड़ा भक्त था। उसने अपने तपसे ब्रह्माजी को प्रसन्न करके ऊनसे एक वरदान प्राप्त किया। उसने वरदान मे ब्रह्माजी से मांगा की इस पुरी श्रृष्टि मे कोई भी उसे मार ना सके, ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त करते ही वो बहुत निर्दयी हो गया। और तीनो लोक में आतंक मचाने लगा। उसके आतंक से परेशान होकर सभी देवी, देवता भगवान ब्रह्मा विष्णु ओर महेश सहीत सबने मा शक्ती का आहवाहन किया ओर उन सभी देवी देवताओं ओ कि ऊजा की रोशनी से मा अंबा (दुर्गा) प्रकट हुई। और इस पुरी सृष्टि को उस राक्षस के आतंक से मुक्त किया ।

मा अंबा ने नौ रातो तक महिषासुर के साथ भयंकर युद्ध किया और दसवें दिन मा दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दीन को अच्छाई पर बुराइ की जीत के रुप मे मनाया जाता है।

दुसरी एक कहानी के अनुसार भगवान श्री राम ओर उनके छोटे भाई श्री लक्षमण जी रावण के वध से पहले समुद्र तट पर नो दिन तक मा दुर्गा की पूजा अर्चना की ओर मा दुर्गा से अपने विजय की कामना की। ओर दसवें दिन रावण की सेना पर चढ़ाई कर रावण का वध कर दिया । ओर इस तरह ईस दिन को दशहरे के तोर पर मनाया जाता है। ओर आज भी भारत के कई हिस्सों में रावण के पुतले का जलाकर अच्छाई की बुराइ पर जीत के रुप में उत्सव के तोर पर मनाया जाता है। पुरे भारत में नवरात्रि का पर्व अलग-अलग रूप से पुरे भक्ति भाव से मनाया जाता है। ख़ासकर गुजरात में लोग पारंपरिक वस्त्र पहन के नौ दीन तक माता की स्तुति, आरती और गरबा का गान करते हैं।

छोटे-छोटे गली महोललो मे भी लोग माता की मूर्ती को स्थापित कर उनकी उपासना करते हैं। वही बंगाल में भी मा दुर्गा की अलग-अलग रूपो में प्रतिमा का निर्माण किया जातां है ओर उन्हे बड़े पंडाल बनाकर स्थापित कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं ओर नोवे दिन के बाद ऊन प्रतिमा को पानी मे बहा कर उनका विषॅजन करते हैं, अतर भारत में कई जगहों पर नवरात्रि के दौरान राम लीला का भी आयोजन किया जाता हे। ओर अंत मे रावण के पुतले का दहन करते हैं और पटाखे जलाते हे।

भारत के कई राज्यों में लोग नो दिन के उपवास रखते हे ओर आखिरी दिन छोटी छोटी कन्या को देवी का सवरुप मानकर उनको भोजन ओर भेट इत्यादी देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर ते है। नवरात्रि मे नो दिन तक मा के अलग-अलग सवरुप की पूजा आराधना करने से मा के आशीर्वाद सवरुप हमे एक नई ऊजा प्राप्त होती हैं जिससे हम अछाई के मागॅ पर आगे बढ़ सके।

उपसंहार :- हरसाल नो रातो के बाद दसवे दिन दशहरे के तोर पर मिठाई खाकर मनाते हे। नवरात्रि के इस पवॅ को हर साल बड़े उत्साह से मनाया जाता है

नवरात्रि त्यौहार के प्रमुख 10 बिंदु:

  • नवरात्रि के त्यौहार को हम नवरात्रि के अलावा नवराते, नवरात्र आदि नामों से भी पुकार सकते हैं। यह त्यौहार हिंदी महीने के अनुसार प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है।
  • नवरात्रि के नौवें दिन को महा नवमी के नाम से भी जाना जाता है।
  • हमारे देश में नवरात्रि त्यौहार को मनाने के लिए सभी राज्यों में जहग-जगह रामलीला का मंचन होता और दसवें दिन राम एवं रावण के युद्ध का मंचन करके रावण का वध किया जाता है और रावण के वध की ख़ुशी में अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में बहुत धूमधाम से पटाखे इत्यादि फोड़कर उत्सव मनाया जाता है।
  • नवरात्रि के त्यौहार में कुछ लोग व्रत रहते हैं और वे केवल पानी पीकर माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कड़ी पूजा अर्चना करते हैं, जैसे हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पुरे नौ दिनों तक केवल पानी पीकर माँ दुर्गा के लिए नवरात्रि के लिए व्रत रखते हैं।
  • नवरात्रि के त्यौहार को बंगाल में एक अलग तरीके से मनाया जाता है। बंगाल के लोग नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा आराधना करने के बाद उनकी प्रतिमा या मूर्ति को जल में प्रवाहित करके उत्सव मनाते हैं।
  • गुजरात के लोग माँ दुर्गा का पंडाल सजाकर उसमें माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते हैं और पुरे नौ दिनों तक भजन कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इसके साथ वे गरबा नृत्य एवं डांडिया का आयोजन करके पुरे नवरात्र उत्सव मनाते हैं।
  • उत्तर भारत में लोग नवरात्रि के अंतिम दिन 9 कन्याओं को देवी के रूप में बुलाकर उनको भोजन कराते हैं एवं उनसे आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  • नवरात्रि में पूजी जाने वाली सभी देवियों में माँ काली के स्वरूप को सबसे उच्च स्थान प्रदान किया जाता है।
  • नवरात्रि त्यौहार के नौ दिनों तक आपको चमड़े की चीजों जैसे पर्स, बेल्ट, जुते इत्यादि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा आराधना करने से माँ के आशीर्वाद स्वरूप हमें एक नई ऊर्जा प्राप्त होती है जिससे हम अच्छाई के मार्ग पर आगे बढ़ सकें।

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Navratri Essay In Hindi: जानिए नवरात्रि पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें

Navratri Essay In Hindi 2024: नवरात्रि हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि साल में नवरात्रि चार बार आती है- चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ के महीनों में। लेकिन मुख्य रूप से चैत्र और अश्विन महीने की नवरात्रि लोकप्रिय है।

Navratri Essay In Hindi जानिए नवरात्रि पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन अष्टमी और नौवें दिन नवमी मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि के दौरान नौवें दिन रामनवमी मनाई जाती है। अश्विन महीने में दसमी के दिन दशहरा मनाया जाता हैं। नवरात्रि पवित्रता, शक्ति और दिव्यता का प्रतीक हैं। 'नवरात्रि' शब्द का अर्थ है 'नौ रातें'। यह वर्ष का सबसे लंबा हिंदू त्योहार है, जो नौ रातों और दस दिनों तक चलता है। आइये जानते हैं नवरात्रि पर निबंध कैसे लिखें।

नवरात्रि पर निबंध | Essay On Navratri

नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ अवतारों या स्वरूपों की पूजा करने का सबसे प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है, जिसे शक्ति या देवी के रूप में भी जाना जाता है। यह त्योहार एक बार वसंत ऋतु के दौरान चैत्र नवरात्रि और शरद ऋतु के दौरान शरद नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। शरद नवरात्रि अश्विन के महीने के दौरान मनाई जाती है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में आती है। वहीं चैत्र नवरात्रि हिन्दू कैलेंडर के चैत्र महीने के दौरान मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि आमतोर पर मार्च या अप्रैल महीने में मनाी जाती है।

नवरात्रि का त्योहार अत्यंत भक्ति भार एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन को हिंदू नव वर्ष की शुरुआत के रूप में भी माना जाता है। यह देवी दुर्गा को समर्पित है, जिन्हें नव दुर्गा के रूप में नौ दिव्य रूपों में पूजा जाता है। दुनिया भर में लोग इन पवित्र नौ दिनों के दौरान देवी की पूजा करते हैं और उपवास रख कर माँ की अराधना करते हैं। नवरात्रि के त्योहार के दौरान लोग छोटी कन्याओं को देवी मां दुर्गा का स्वरूप मान कर उनकी पूजा करते हैं और उनके पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नवरात्रि के पर्व के दौरान छोटी कन्याओं को देवी की तरह मानते हैं और उन्हें पूजते हैं। नवरात्रि हिंदू धर्म का एक बहुत ही पवित्र त्योहार है।

नवरात्रों के दौरान मां के नौ रूपों की होती है पूजा

शरद नवरात्रि अक्टूबर में मनाई जाती है, जिन्हें सभी नवरात्रियों में से भी अधिक लोकप्रिय और महत्वपूर्ण नवरात्रि माना जाता है। शरद नवरात्रि के दसवें दिन, दशहरा या विजय दशमी को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रों के दौरान, नौ अलग-अलग दिनों में देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन तक मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्री, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों को अलग अलग रंगों से चिह्नित किया जाता है। त्योहार के दौरान इन रंगों का भी महत्व होता है। प्रत्येक रंग मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों को दर्शाता है। पूजा अर्चना के दौरान लोग इन्हीं रंगों के कपड़े पहनते हैं।

कैसे की जाती है नवरात्रि की पूजा?

नवरात्रि के पहले दिन "घटस्थापना" की जाती है, जिसमें एक कलश में पानी भरकर पूजा के स्थान पर रखा जाता है। व्रत रखने वाले लोग एक 'अखंड' दीया जलाते हैं। इस दीये को अंधकार से ऊजाले की ओर ले जाने का प्रतीक माना जाता है, इसलिए नवरात्रि के दौरान जलाये जाने वाले दीये को पूरे नौ दिनों तक लगातार जलाया रखा जाता है। लगातार नौ दिनों तक देवी को भोग लगाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। दसवें दिन 9 कन्याओं को घर बुलाया जाता है और कन्या पूजन किया जाता है।

क्या है चैत्र नवरात्रि ?

चैत्र नवरात्रि का उल्लेख उत्तर भारत में देखने को मिलता है, इसके साथ ही नौवें दिन को राम नवमी के रूप में जाना जाता है। राम नवमी को भगवान राम का जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा से होती है और आंध्र प्रदेश में उगादी से होती है।

माघ और आषाढ़ के महीनों में पड़ने वाले नवरात्रों को गुप्त नवरात्रि के रूप में जाने जाते हैं। इसलिए इनके बारे बहुत काम लोगों को पता होता है। इन नवरात्रि में विशेष रूप से काली की पूजा की जाती है और तंत्र साधना की जाती है। नवरात्रि में उपवास के दौरान, साबूदाना, खिचड़ी सिंघारे का हलवा और कुट्टू के आटे की रोटी खाई जाती है।

यहां पढ़े:

क्या आप जानते हैं देवी दुर्गा के नौ रूप, रंग और महत्व क्या है?

नवरात्रि नौ रातों तक चलने वाला एक हिंदू त्योहार है, जो देवी दुर्गा और उनके विभिन्न रूपों की पूजा के लिए समर्पित है, जिसे नृत्य, संगीत और उपवास के साथ मनाया जाता है।

माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान उपवास करने से शरीर और मन शुद्ध होता है, आध्यात्मिक कल्याण और देवी दुर्गा के प्रति भक्ति बढ़ती है।

देवी दुर्गा दिव्य स्त्री ऊर्जा का प्रतीक हैं और उनकी शक्ति, साहस और बुरी ताकतों पर जीत के लिए पूजा की जाती है।

नवरात्रि के दसवें दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है।

लड्डू, खीर और विभिन्न प्रकार के हलवे जैसी मिठाइयाँ देवी को प्रसाद के रूप में तैयार की जाती हैं और नवरात्रि के दौरान भक्तों के बीच साझा की जाती हैं।

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  • हिंदी निबंध संग्रह - Hindi Essay Collection
  • नवरात्रि पर निबंध (Essay on Navratri in Hindi)

Short and long essay on Navratri in Hindi – नवरात्रि जिसे हम नवरात्रि, नवराते आदि नामों से भी जानते हैं। यह त्यौहार देवी दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति दिखाने और उनके नौ रूपों की पूजा करने के लिए भारत के लोगों द्वारा सदियों से मनाया जाता रहा है। 

नवरात्रि में नौ दिनों तक पूजा-अर्चना कर व्रत रखा जाता है। साथ ही लोग इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के दिन के रूप में याद करके धूमधाम, नाच-गाने के साथ एक त्योहार के रूप में मनाते हैं। यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। जिसमें पहली नवरात्रि (चैत्र माह) अप्रैल या मार्च के महीने में मनाई जाती है और दूसरी (शारदीय नवरात्रि) यानी अक्टूबर-नवंबर के महीने में इसे नौ दिनों तक मनाने के बाद दसवें दिन दशहरा के रूप में मनाया जाता है। 

लोग नवरात्रि की नौ रातें मां दुर्गा को समर्पित करके इस त्योहार को पूरे समर्पण और भक्ति के साथ मनाते हैं। इस दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हुए विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।

आज हम आपको बताएंगे कि आप नवरात्रि पर निबंध (Essay on Navratri in Hindi) कैसे लिख सकते हैं, आमतौर पर यह आपके स्कूलों में कई प्रतियोगिताओं में पूछा जाता है। अगर आप भी नवरात्रि के विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं तो हमने इस लेख में सभी विषयों पर चर्चा की है, इसलिए हमारे लेख को पूरा पढ़ें। 

Table of Contents

नवरात्रि पर लघु निबंध – Short essay on Navratri in Hindi (250 – 300 शब्दों में)

नवरात्रि महोत्सव की जानकारी (Information about Navratri festival)

नवरात्रि महोत्सव भारत में हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और धार्मिक त्यौहार है, जिसे माँ दुर्गा की पूजा और आध्यात्मिक प्रगति के रूप में मनाया जाता है।

नवरात्रि का त्यौहार वसंत और शरद ऋतु में मनाया जाता है, लेकिन “शरद नवरात्रि” सबसे प्रमुख और लोकप्रिय है। शरद नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती है और नौ दिनों तक चलती है, जिसमें प्रत्येक दिन एक विशेष रूप को समर्पित होता है।

नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा की जाती है। माँ दुर्गा को शक्ति, प्रेम और सुरक्षा की देवी माना जाता है और उनकी पूजा के लिए मंदिरों में मूर्तियों का आयोजन किया जाता है।

नवरात्रि के दौरान, भक्त धार्मिक रूप से साधना, ध्यान और तपस्या का पालन करते हैं, जिससे उनकी आध्यात्मिक प्रगति होती है।

नवरात्रि के दौरान, लोग गरबा, रास गरबा और डांडिया रास जैसे लोकप्रिय नृत्य प्रदर्शन करने के लिए एक साथ आते हैं, जिससे सामाजिक एकता और समृद्धि की भावना को बढ़ावा मिलता है।

नवरात्रि के दौरान, उपवास करने वाले लोगों के लिए खाने में कुछ विशेष नियम होते हैं, और वे उपवास आहार खाते हैं जिसमें अनाज, फल और सात्विक सब्जियां शामिल होती हैं।

नवरात्रि के अंत में, दशमी तिथि को दुर्गा विसर्जन के रूप में मनाया जाता है, जिसमें माँ दुर्गा की मूर्ति को नदी या समुद्र में विसर्जित किया जाता है। इस विसर्जन को समापन माना जाता है और लोग इसे उत्सव के रूप में मनाते हैं।

हिंदू धर्म में नवरात्रि उत्सव देवी दुर्गा की पूजा, आध्यात्मिक प्रगति, सामाजिक एकता और प्रेम का प्रतीक है और भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

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नवरात्रि पर निबंध – Essay on Navratri in Hindi (850 शब्दों में)

प्रस्तावना:

हिंदू धर्म में नवरात्रि देवी दुर्गा की पूजा का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। मां दुर्गा के नौ दिवसीय अवतार के दौरान, हिंदू भक्त उनके प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक हैं। यह त्यौहार मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और अराधना के रूप में मनाया जाता है और व्रत के दौरान भक्त व्रत रखते हैं और मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

नवरात्रि के दिनों में, देवी दुर्गा की स्तुति में गीत गाए जाते हैं और उनकी कहानियाँ पढ़ी जाती हैं। यह त्योहार भक्तों के लिए मां दुर्गा की कृपा, आशीर्वाद और समर्पण का प्रतीक है और वे इसे अपने जीवन में अपनाते हैं। नवरात्रि का पालन देवी दुर्गा के प्रति आपकी श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है, और आपके मानसिक और आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।

नवरात्रि कब मनाई जाती है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, एक साल में 4 बार नवरात्रि आती है:

  • चैत्र नवरात्रि: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है, जो मार्च-अप्रैल के महीने में आती है। इस नवरात्रि को देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के रूप में मनाया जाता है।
  • शारदीय नवरात्रि: यह नवरात्रि अश्वयुज मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है, जो सितंबर-अक्टूबर महीने में आती है। इस नवरात्रि में मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है और इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि: गुप्त नवरात्रि अश्वयुज मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है, लेकिन यह अधिकतर व्यक्तिगत आधार पर मनाई जाती है न कि सामाजिक धूमधाम से।
  • पौष नवरात्रि: पौष नवरात्रि पौष माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है, जो दिसंबर-जनवरी माह में आती है। इस नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है, लेकिन माना जाता है कि इसे गुप्त रूप से और आमतौर पर ज्यादा धूमधाम से नहीं मनाया जाता है।

ये चार नवरात्रि अवसर हैं जो हिंदू समुदाय में मां दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए महत्वपूर्ण हैं।

नवरात्रि के दौरान नौ देवियों की पूजा की जाती है

नवरात्रि के दौरान, नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ दिव्य रूपों, जिन्हें “नौ देवियों” के रूप में भी जाना जाता है, की पूजा की जाती है। इन नौ देवियों की पूजा भक्ति और श्रद्धा से की जाती है। नौ देवियों के नाम हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

प्रत्येक दिन, एक देवी की पूजा और आराधना की जाती है, साथ ही उनकी कहानी और महत्व का पाठ भी किया जाता है। नौ दिनों के बाद दशहरे के दिन देवी दुर्गा की विजय का जश्न मनाया जाता है।

नवरात्रि व्रत नियम

नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत रखे जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये 9 दिन बहुत पवित्र होते हैं और देवी मां की पूजा करने में कोई गलती नहीं करनी चाहिए।

पहले दिन कलश स्थापना कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। सुबह-शाम मां अम्बे की पूजा की जाती है।

मां अम्बे का प्रसाद सभी में बांटा जाता है।

अधिकतर घरों में लोग भजन-कीर्तन करने के साथ-साथ माता का जागरण भी करते हैं। नवरात्रि व्रत के दौरान केवल फल ही खाया जाता है। इसके बाद अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है।

कुछ लोग अंतिम दिन हवन भी करते हैं क्योंकि वे 9 दिनों तक अखंड ज्योति जलाते हैं। मन्नत मांगने के बाद अखंड ज्योत जलाई जाती है। इस ज्योति में घी या सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है और 9 दिनों तक इस लौ की देखभाल की जाती है।

नवरात्रि मनाने का तर्क क्या है?

जिस तरह हर त्योहार को मनाने के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा होती है, उसी तरह नवरात्रि मनाने के पीछे भी कई कहानियां हैं, जिनमें से एक महिषासुर नाम के राक्षस से जुड़ी है।

महिषासुर नाम का एक राक्षस था जिसने सूर्य, अग्नि, वायु और विभिन्न देवताओं पर आक्रमण किया और उनके सिंहासन छीन लिए। महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवताओं ने माँ दुर्गा से प्रार्थना की कि वे उन्हें महिषासुर नामक राक्षस के प्रकोप से बचायें।

तो देवताओं की पुकार सुनकर मां दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध करना शुरू कर दिया। यह युद्ध 9 दिनों तक चला। अंत में महिषासुर नाम की बुराई की हार हुई और मां दुर्गा नाम की अच्छाई की जीत हुई।

हिंदू धर्म में नवरात्रि देवी दुर्गा की पूजा का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें भक्ति, उपासना और आराधना के माध्यम से परमात्मा को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।

नवरात्रि के दौरान व्रत, पूजा और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ाता है। नवरात्रि के दौरान व्रत और पूजा के साथ व्यक्ति खुद को मां दुर्गा की पूजा में समर्पित कर देता है और खुद को पवित्र मानता है।

नवरात्रि हिंदू समुदाय में पारंपरिक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है, जो सामुदायिक एकता और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। नवरात्रि का संदेश है कि अच्छाई की शक्ति बुराई पर विजय पा सकती है। इसलिए लोग इस अवसर को बुराई पर विजय पाने का प्रतीक मानते हैं।

इन तर्कों के साथ, हिंदू समुदाय में नवरात्रि को एक महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक त्योहार माना जाता है और इसे भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस पूजा को करने का बहुत महत्व है। हर रूप हमें कुछ न कुछ सीख देता है। अगर हम हमेशा सकारात्मक सोचें, सबका भला करें और अच्छे विचार अपनाएं तो माता रानी हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखती हैं।

नवरात्रि पर दीर्घ निबंध – Long essay on Navratri in Hindi (1000 शब्दों में)

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है, जिसे हर साल बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर माँ दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है, जिसके कारण हम उनकी शक्तियों का सम्मान करते हैं और उनकी मानसिकता और गुणों को अपने जीवन में अपनाते हैं। 

नवरात्रि का अर्थ क्या होता है?

नवरात्रि का अर्थ है “नौ रातें” और इस अवसर पर हम माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और आराधना करते हैं, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार चार बार आते हैं: चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि, माघ नवरात्रि और अश्वयुज नवरात्रि। इन चारों अवसरों को देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं और यह हिंदू समाज का सबसे लंबे समय तक चलने वाला त्योहार है, जो धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।

क्यों मनाया जाता है नवरात्रि का त्यौहार?

हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्योहार एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक त्योहार और देवी दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस त्योहार के पीछे की घटना यह है कि मां दुर्गा ने 9 दिनों के भीषण युद्ध के बाद महिषासुर का वध किया था। इसी उपलक्ष्य में यह त्यौहार पूरे 9 दिनों तक मनाया जाता है।

नवरात्रि का मुख्य कारण माँ दुर्गा की पूजा करना और उनके महत्व को याद रखना है। माँ दुर्गा को शक्ति, प्रेम और सुरक्षा की देवी माना जाता है और उनकी पूजा और आराधना हमें उनकी शक्तियों को समझने और उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करने के लिए प्रेरित करती है।

नवरात्रि के दौरान, लोग ध्यान, पूजा और आध्यात्मिक प्रथाओं के माध्यम से अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए समर्पित होते हैं। यह उन्हें मानव जीवन में आध्यात्मिक आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा प्रदान करता है।

नवरात्रि के दौरान, लोग गरबा, रास गरबा और डांडिया रास जैसी नृत्य गतिविधियाँ करने के लिए समूहों में एक साथ आते हैं, जिससे सामाजिक एकता और समृद्धि की भावना को बढ़ावा मिलता है।

नवरात्रि वसंत और शरद ऋतु के परिवर्तन से जुड़ी है, जो हमें प्रकृति संरक्षण की ओर बढ़ने का दायित्व देती है।

नवरात्रि पर्व हिंदू संस्कृति एवं परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे पूजा-अर्चना, गीत-नृत्य एवं आराधना के रूप में सदियों से मनाया जाता रहा है।

नवरात्रि का त्यौहार देवी दुर्गा की पूजा, आध्यात्मिक प्रगति, सामाजिक एकता और प्राकृतिक संरक्षण के महत्व को समझाने और जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है।

नवरात्रि कैसे मनाई जाती है?

नवरात्रि मनाने का तरीका विभिन्न रूप ले सकता है और व्यक्ति की आध्यात्मिक आवश्यकताओं और परंपराओं के आधार पर इसे अनुकूलित किया जा सकता है। यहां कुछ सामान्य तरीके दिए गए हैं जिनसे नवरात्रि मनाई जा सकती है:

नवरात्रि के दौरान भक्त ध्यानपूर्वक मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनका व्रत रखते हैं यह पूजा नौ दिनों तक चलती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नौ दिनों के अलग-अलग देवी रूपों का प्रतीक माना जाता है।

नवरात्रि के दौरान, कुछ लोग उपवास (व्रत) रखते हैं, जिसमें सात्विक आहार का पालन किया जाता है, जिसमें अनाज, फल और दूध उत्पाद शामिल होते हैं। नवरात्रि के दौरान लोग 9 दिनों तक व्रत रखते हैं और आखिरी दिन मां की पूजा करते हैं और नौ कन्याओं को भोजन कराते हैं।

नवरात्रि के दौरान जगह-जगह मां दुर्गा के मंदिर या पंडाल बनाए जाते हैं, जहां भक्त जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। सामाजिक एकता को बढ़ावा देने के लिए नवरात्रि के दौरान कई सामाजिक कार्यक्रम और मेले भी आयोजित किए जाते हैं।

घरों और मंदिरों को उत्सव का माहौल देने के लिए धूप, दीप और फूलों से सजाया जाता है। त्योहार में गरबा, रास गरबा और डांडिया रास जैसे लोकप्रिय नृत्य कृत्यों का आनंद लिया जाता है।

नवरात्रि के दौरान पूजा में विशेष प्रसाद और सात्विक भोजन का भोग लगाया जाता है और इष्ट देव को समर्पित किया जाता है।

नवरात्रि के दौरान लोग घर पर माताजी की चौकी या जागरण का भी आयोजन करते हैं। नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और कन्याओं को हलवा पूड़ी का प्रसाद भी दिया जाता है।

नवरात्रि का पौराणिक महत्व

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। 

नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा की जाती है, जिन्हें शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान भक्त नौ दिनों तक देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करने वाले नौ रूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि का उद्देश्य शक्ति और सामर्थ्य की आराधना करना है। इस अवसर पर भक्त मां दुर्गा का सम्मान कर उनका आशीर्वाद और कृपा मांगते हैं।

नवरात्रि के दौरान, भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करने के लिए उपवास करते हैं, ध्यान करते हैं और भक्ति का अध्ययन करते हैं। नवरात्रि के त्योहार के दौरान लोग समृद्धि, खुशी और सौभाग्य की कामना करते हैं और समाज में एकता और उत्साह को बढ़ावा देते हैं।

नवरात्रि के दौरान, संगीत, नृत्य और कला प्रदर्शन होते हैं, जो संस्कृति और तात्कालिक कलाओं को प्रोत्साहित करते हैं। इस प्रकार, नवरात्रि हिंदू धर्म में आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो शक्ति, पूजा और सामर्थ्य का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।

नवरात्रि का सन्देश

नवरात्रि का संदेश मां दुर्गा की आराधना, आध्यात्मिक उन्नति, सामाजिक एकता और प्रेम की महत्वपूर्ण बातों को दर्शाता है। यह त्यौहार हमें कई महत्वपूर्ण सन्देश प्रदान करता है।

  • शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका: नवरात्रि हमें मां दुर्गा की आराधना के माध्यम से शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका का बोध कराती है। यह त्यौहार हमें याद दिलाता है कि आपत्तियों और कठिनाइयों का सामना करते हुए महिषासुर की तरह अपने जीवन के संकटों से लड़ना केवल हमारी ताकत और दृढ़ संकल्प से ही संभव है।
  • आध्यात्मिक आध्यात्म: नवरात्रि हमें आध्यात्मिक आध्यात्म का महत्व समझाती है। यह त्यौहार हमें योग, ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मा को समर्पण करने के महत्व की याद दिलाता है।
  • सामाजिक एकता: नवरात्रि के दौरान, लोग गरबा, रास गरबा और डांडिया रास जैसे लोकप्रिय नृत्य प्रदर्शन करने के लिए एक साथ आते हैं, जो सामाजिक एकता और समृद्धि की भावना को बढ़ावा देते हैं।
  • प्रेम और त्याग: नवरात्रि हमें प्रेम और त्याग के बारे में महत्वपूर्ण बातें सिखाती है। माँ दुर्गा की पूजा के दौरान, भक्त स्वयं को ध्यान और सेवा के लिए समर्पित करते हैं, जिससे त्याग और प्रेम की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ मिलती हैं।
  • प्रकृति संरक्षण: नवरात्रि का उत्सव वसंत और शरद ऋतु के परिवर्तन से जुड़ा है, जो हमें प्रकृति संरक्षण की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

नवरात्रि का संदेश है कि हम शक्ति, आध्यात्मिक प्रगति, सामाजिक एकता, प्रेम और प्राकृतिक संरक्षण के महत्व को समझें और उन्हें अपने जीवन में लागू करें।

नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक देवी दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है और 10वें दिन को हम दशहरा के रूप में मनाते हैं। नवरात्रि हिंदू समाज में एकता, आध्यात्मिक प्रगति और सामाजिक समृद्धि की भावना को बढ़ावा देती है और हमें हमारी परंपराओं और संस्कृति के महत्व की याद दिलाती है। 

नवरात्रि पर 10 वाक्य हिंदी में (10  Lines on Navratri in Hindi)

1) नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें। नवरात्रि शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है।

2) नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा की जाती है और मां दुर्गा का अर्थ है दुखों का नाश करने वाली।

3) इन 9 दिनों में लोग मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करके मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं।

4) बंगाल में इस त्यौहार को दुर्गा पूजा के नाम से जाना जाता है।

5) दुर्गा पूजा में नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है।

6) 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा करने के बाद अंत में मां की मूर्ति को खूब नाच-गाने के साथ विसर्जित किया जाता है।

7) मान्यताओं के अनुसार, सीता जी को रावण से मुक्त कराने के लिए श्री राम ने 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की, फिर मां दुर्गा के आशीर्वाद से श्री राम ने युद्ध के दसवें दिन रावण का वध कर दिया।

8) यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देने के लिए मनाया जाता है।

9) नवरात्रि का त्योहार हमें तपस्या के माध्यम से अपने भीतर निवास करने वाली शक्तियों तक पहुंचने का रास्ता दिखाता है।

10) नवरात्रि हमें संदेश देती है कि हमें अपने अंदर शक्तियों को खोजना चाहिए लेकिन उन शक्तियों पर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि घमंड हमारे विनाश का कारण बनता है।

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नवरात्रि पर निबंध 2023 Essay On Navratri In Hindi

नवरात्रि पर निबंध 2023 Essay On Navratri In Hindi: नमस्कार दोस्तों, आपकों मातृ शक्ति पूजन पर्व एवं सनातन परम्परा के शक्ति एवं पवित्र पर्व नवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं.

आज के निबंध भाषण (स्पीच) में हम हिन्दुओं के इस पर्व के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेगे.

नवरात्रि पर निबंध 2023 Essay On Navratri In Hindi

हमारे इस निबंध में जानेगे कि नवरात्र/ नवरात्रि का पर्व क्या हैं, इसका अर्थ महत्व, धार्मिक कथाएँ, पौराणिक मान्यताएं, नवरात्रि कब मनाया जाता हैं इसमें शक्ति की देवी दुर्गा के किन 9 रूपों की पूजा अर्चना की जाती हैं.

नवरात्रि मनाने के तरीके आदि पर्व से जुड़ी समस्त प्रकार की जानकारी को हम इस निबंध में कवर करने का प्रयास करेगे.

स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को नवरात्रि त्यौहार के बारे में विस्तृत जानकारी चाहते है इस निबंध को पढ़ने के बाद सब कुछ जान पाएगे, चलिए आरम्भ करते हैं.

नवरात्रि पर निबंध 2021

भारत में वर्ष के बारह महीने निरंतर पर्व त्यौहार मनाए जाते रहे हैं इस कारण भारत को त्यौहारों का देश भी कहा जाता हैं. नव रात्रि नौ दिनों तक निरंतर चलने वाला उत्सव हैं. यह वर्ष में दो बार मनाया जाता हैं.

पहला चैत्र नवरात्र जिन्हें बासन्तीय नवरात्र भी कहते हैं. जो अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार मार्च अथवा अप्रैल माह में पड़ते हैं. ये केवल साधू संतों के लिए ही होते हैं. जबकि आश्विन माह में पड़ने वाले शारदीय नवरात्र अत्यधिक धार्मिक महत्व के हैं.

ये अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार सितम्बर या अक्टूबर माह में आते हैं. आश्विन प्रतिपदा को घट स्थापना के साथ ही नवरात्रि पर्व की शुरुआत हो जाती हैं. अगले 9 दिनों तक देवी दुर्गा के 9 रूपों की पूजा अराधना की जाती हैं.

नवरात्रि का अर्थ होता हैं 9 राते. इसी कारण इस उत्सव का नाम भी नवरात्रि रखा गया हैं. हरेक दिन माँ दुर्गा के एक स्वरूप को समर्पित हैं. दशहरा या विजयादशमी के दिन नवरात्र की समाप्ति हो जाती हैं.

अधिकतर सनातनी इन नवरात्र पर्व के दौरान व्रत रखते हैं. माँ दुर्गा की उपासना करते हैं. देवी के मन्दिरों में भजन कीर्तन चलते रहते हैं. यह त्यौहार शक्ति की पूजा का पर्व हैं, वो शक्ति जो हम सभी की पालनकर्ता है हम सभी में उनका अंश हैं.

हिन्दू धर्म में नवरात्रि बेहद धूमधाम से मनाते हैं. गुजरात में इस अवसर पर गरबा नृत्य व रामायण का पाठ किया जाता हैं.

नवरात्रि के 9 दिन (Name Of Nine Days Of Navratri In Hindi)

9 दिनों में माँ दुर्गा के किन रूपों की पूजा की जाती है तथा उन्हें किस नाम से जाना जाता हैं. इसे हम यहाँ दिन के हिसाब से समझने का प्रयास करेगे.

पहले से नवमें दिन तक क्रमश: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री आदि देवियों की पूजा अर्चना की जाती हैं. यहाँ हम दिन प्रथम से नवम तक दिनों तथा देवी के नाम को जानेगे.

नवरात्रि का पहला दिन

पर्व का पहला दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित हैं. इस दिन उन्ही की पूजा की जाती हैं. माँ दुर्गा की रूप शैल पुत्री को पर्वतों की पुत्री भी कहते हैं.

नवरात्रि के प्रथम दिन विधिवत् इनकी पूजा अर्चना एवं व्रत रखने से विशिष्ट प्रकार की ऊर्जा का संचार होता हैं. जो हमारे मन मस्तिष्क के नकारात्मक विचारों एवं विकारों को दूर किया जा सकता हैं.

नवरात्र का दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी को समर्पित हैं.यह नवदुर्गा का ही एक रूप हैं. इस दिन इनकी पूजा अर्चना की जाती हैं. भक्त उपवास रखकर माँ के अनंत स्वरूप को जानने का यत्न करते हैं.

संसार में कामयाबी तथा अपनी पहचान बनाने के लिए माँ ब्रह्मचारिणी का वरदान अहम माना जाता हैं.

माँ दुर्गा के नवरात्रि पर्व का तीसरा दिन माँ चन्द्रघटा को समर्पित हैं. देवी को चन्द्रमा का स्वरूप माना जाता हैं. ये चन्द्र की चमकने के कारण इन्हें चन्द्रघंटा का नाम दिया गया हैं.

मन में व्याप्त नकारात्मक विचारों जैसे घ्रणा, द्वेष, इर्ष्या आदि पर विजय पाने के लिए माँ चन्द्रघंटा से साहस मिलता हैं. इन बुरी प्रवृत्तियों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन उपवास भी रखा जाता हैं.

नवरात्रि के चौथे दिन कुष्माण्डा देवी माँ को समर्पित हैं. इस दिन व्रत रखने से भक्त का मन अनाहत चक्र में रहता हैं. मन की पवित्रता तथा चंचलता से मुक्ति के लिए देवी की पूजा की जाती हैं.

ऐसा कहा जाता हैं कि कुष्माण्डा देवी द्वारा ही सृष्टि का निर्माण किया गया था. इस कारण इन्हें आदि शक्ति भी कहा जाता हैं. आठ भुजाओं के कारण इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जानते हैं.

देवी के अष्ट हस्त में सभी सिद्धियों और निधियों की जपमाला हैं. इनका वाहन शेर हैं.

पांचवां दिन

भगवान स्कंद अर्थात कार्तिकेय की माता को माँ दुर्गा का पंचम रूप माना जाता हैं. नवरात्रि पर्व का पांचवा दिन इन्ही को समर्पित हैं. इनकी गोद में भगवान स्कंद विराजित हैं.

देवी की पूजा अर्चना और व्रत रखने से भगवान कार्तिकेय भी प्रसन्न हो जाते है. कमल के आसन पर विराजमान होने के कारण इन्हें पद्मासन देवी भी कहते हैं, इनका वाहन भी सिंह हैं,

इन्हें कल्याण की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता हैं. इनकी पूजा में छः मूर्तियों को सजाना जरुरी माना गया हैं.

नवरात्रि का छठा दिन

यह कात्यायनी देवी को समर्पित हैं. यह देवी पार्वती का भी नाम हैं. शक्ति के छठे स्वरूप के रूप में इनकी पूजा अर्चना की जाती हैं. इनका उल्लेख पाणिनि के महाभाष्य में भी मिलता हैं. इनका लाल रंग के साथ गहरा जुड़ाव हैं.

ऐसा कहा जाता हैं देवी की पूजा से भक्त का मन आज्ञा चक्र में अवस्थित होता हैं. योग में आज्ञा चक्र का अहम स्थान हैं. इस चक्र में अवस्थित मन वाला भक्त देवी के चरणों में सब कुछ अर्पित कर देता हैं. पूर्ण आत्मदान करने वाले भक्तों को देवी साक्षात दर्शन देती हैं.

नवरात्र का सातवाँ दिन कालरात्रि के रूप में जाना जाता हैं. इस दिन माँ शक्ति के सातवें अवतार कालरात्रि की पूजा आराधना की जाती हैं. काल अर्थात मृत्यु का नाश करने वाली देवी के रूप में इनका ध्यान किया जाता हैं.

साधक यश, वैभव और वैराग्य की प्राप्ति के लिए नवरात्र में कालरात्रि का व्रत रखकर विधि विधान से पूजा करते हैं.

नवरात्र का आठवां दिन

यह दिन देवी दुर्गा के आठवें अवतार माँ महागौरी को समर्पित हैं. इस दिन महागौरी की पूजा अर्चना की जाती हैं. शास्त्रों में इन्हें श्वेत रंग की देवी के रूप में जाना जाता हैं.

साधकों को इस दिन व्रत रखकर पूजा करने से माँ महागौरी का आशीर्वाद मिलता हैं इससे मन की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

नवरात्र के अंतिम दिन माँ दुर्गा के नौवे रूप की पूजा की जाती हैं. सिद्धिदात्री देवी को यह दिन समर्पित हैं. इस दिन इन्ही के नाम का व्रत रखकर पूजा की जाती हैं. माँ के आशीर्वाद से साधक किसी भी इच्छित कर्म को कर सकते हैं.

भक्तों में ऐसी शक्ति का संचार होता हैं जो कार्य करने की अभूतपूर्व क्षमता को जन्म देती हैं, इससे असम्भव लगने वाले कार्यों को भी पूर्ण किया जा सकता हैं.

नवरात्रि त्यौहार की प्रमुख कथाएं इतिहास (Major stories of Navratri festival In Hindi)

भारत के साथ साथ उन देशों में भी नवरात्रि का पर्व सदियों से मनाया जाता हैं, जहाँ भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं. हमारे भारत में हजारो वर्ष से बड़े हर्ष एवं उल्लास के साथ नवरात्रि को मनाते हैं.

इस पर्व को मनाने के पीछे कई धार्मिक कथाएँ और मान्यताएं जुडी हुई हैं. हिन्दू धर्म को मानने वालों की आस्था व विश्वास के मुताबिक़ दो पौराणिक कथाओं को नवरात्रि के संदर्भ के साथ जोड़कर देखा जाता हैं, ये स्टोरी शोर्ट में इस प्रकार हैं.

भगवान राम की कहानी

नवरात्रि उत्सव को मनाने को लेकर पहली कहानी प्रभु श्रीराम से जुड़ी हुई हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि जब भगवान श्री रामचन्द्र जी भाई लक्षमण, हनुमान जी सहित वानर सेना के साथ लंका गये थे.

तब आश्विन नवरात्र का समय था, रावण पर विजय पाने के उपलक्ष्य में राम में शक्ति की देवी दुर्गा की नौ दिनों तक कठोर तपस्या कर विजय होने का आशीर्वाद लिया था.

तब जाकर उन्होंने दसवें दिन रावण के साथ युद्ध करते हुए उसे मार गिराया था. इस तरह आज भी उसी मान्यता के अनुसार आश्विन नवरात्र में देवी दुर्गा की पूजा आराधना की जाती हैं. तत्पश्चात रावण वध के दिन को दशहरा के रूप में मनाते हैं.

महिषासुर वध कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार किसी समय में महिषासुर नामक एक राक्षस हुआ करता था. उसने कठोर तपस्या से अजेय रहने का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया.

तपस्या पूर्ण होने के बाद उन्होंने तीनो लोको पर अधिकार कर लिया और देवलोक पर आक्रमण कर बारी बारी से सभी देवताओं को पराजित करने लगा. दैत्य के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए सभी देव माँ दुर्गा के चरणों में जाकर उनकी स्तुति करने लगे.

देवताओं की विनती पर माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और उसे मार गिराया. इसी कारण आज भी नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना कर माँ से अच्छाई की जीत की कामना की जाती हैं.

वडोदरा में नवरात्रि Navratri festival in Vadodara

भारत में अलग अलग क्षेत्रीय मान्यताओं एवं रीती रिवाजों के चलते नवरात्रि पर्व के अलग अलग रूप देखने को मिलते हैं. जिस तरह दुर्गा पूजा का उत्सव सबसे अधिक धूमधाम से पश्चिम बंगाल में मनाया जाता हैं.

उसी तरह गुजरात में नवरात्रि के दिनों में गरबा नृत्य का अनूठा स्वरूप देखने को मिलता हैं. गुजरात के बड़ोदरा में नवरात्रि गरबा का सुंदर रूप हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करने वाला होता हैं. यहाँ हर दिन लाखों की संख्या में भक्त गरबा नृत्य देखने के लिए आते हैं.

लिम्का बुक्स ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी यहाँ आयोजित होने वाला गरबा कार्यक्रम उल्लेखित हैं. यहाँ एक कम्पीटीशन के रूप में गरबा नृत्य किया जाता हैं. जहाँ बेहतरीन परफोर्म करने वाले कलाकारों को पुरुस्कृत भी किया जाता हैं.

गुजरात और इसके आस पास के क्षेत्रों में नवरात्रि के दिनों में गरबा और रामलीला के कार्यक्रमों की रौनक देखते ही बनती हैं. हमारे माननीय प्रधानमंत्री भी इसी शहर से आते हैं.

वे भी बेहद धार्मिक स्वभाव के इंसान हैं. प्रत्येक वर्ष वे माँ दुर्गा के नवरात्र को उपवास रखते है तथा विधि विधान के अनुसार पूजा पाठ भी करवाते हैं.

निष्कर्ष/ उपसंहार (Essay On Navratri Celebration In Hindi)

भक्ति और शक्ति का अनूठा संगम वर्ष में एक बार नवरात्रि के अवसर पर देखने को मिलता हैं. धर्म और आध्यात्म में विशवास करने वाले प्रत्येक भारतीय नर नारी माँ दुर्गा के उपवास रखते हैं.

कुछ एक वक्त के भोजन के साथ व्रत तोड़ते हैं तो कुछ सभी 9 दिनों तक केवल जल के सहारे ही माँ का व्रत रखते हैं. भारत में नवरात्रि के दिनों में चारो और पवित्रता एवं भक्ति का मनोरम नजारा देखने को मिलता हैं.

इन नौ दिनों महानवमी भी एक बड़ा पर्व हैं. उत्तर भारत में इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता हैं. नौ कन्याओं को माँ दुर्गा के 9 रूपों का स्वरूप मानकर उनका पूजन किया जाता हैं. उन्हें भोजन कराया जाता हैं.

पूर्वी भारत में नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा के लिए पंडाल सजाएं जाते हैं. जहाँ भक्त नित्य दर्शन करने आते हैं, माँ की पूजा अर्चना करते हैं तथा सुख सम्राद्धि की कामना करते हैं.

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2020 नवरात्रि त्यौहार पर निबंध Navratri Festival Essay in Hindi

नवरात्रि त्यौहार पर निबंध Navratri Festival Essay in Hindi

Table of Content

2020 नवरात्रि कब है?

नवरात्रि 2020 निबंध navratri festival essay.

भारत में नवरात्रि का त्यौहार 9 दिनों तक बहुत ही बड़े तौर पर मनाया जाता है। नवरात्रि त्यौहार के आख़िरी दिन विजयदशमी या दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। रामायण के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। इस कारण सभी मोहल्लों और बड़े मैदानों में लोग रावण के बड़े पुतलों को जला कर (रावण दहन)  करके खुशियों के साथ इस त्योहार को मनाते हैं ।

नवरात्रि त्यौहार के दौरान पूरे पारंपरिक तथा रीति रिवाज के साथ देवी दुर्गा मां के 9 अवतारों की पूजा की जाती है। माता दुर्गा के 9 रूपों के नाम हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री ।

उसी प्रकार जून जुलाई के महीने में ‘गुप्त नवरात्रि’ मनाया जाता है। इस दिन को ‘गायत्री नवरात्रि’ के रूप में भी जाना जाता है। अक्टूबर और नवंबर के महीने में ‘शरद नवरात्रि’ मनाया जाता है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन महीने के रूप में जाना जाता है।  

बड़ोदरा में नवरात्री Navratri festival in Vadodara

गुजरात के बड़ोदरा में नवरात्री के उत्सव सबसे भव्य और सुन्दर रूप देखने को मिलता है । इसमें त्यौहार के दौरान प्रतिदिन 4-5लाख लोग गरबा नाचने के लिए एक ही स्थान पर इक्कठा होते हैं।

2020 नवरात्रि का उत्सव Navratri Celebration

नवरात्रि त्यौहार के दौरान भक्त दिन में एक बार भोजन करके या कुछ लोग फल या मात्र पानी पीकर उपवास करते हैं या व्रत रखते हैं। भारत में अलग अलग नवरात्रि के कई रंग और रूप देखने को मिलते हैं। नवरात्रि पर कुछ जगह में है दशहरा पर्व का शुरुआत भी माना जाता है।

उसी प्रकार भारत के पूर्वी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल में जगह-जगह दुर्गा मां के पंडाल बनाए जाते हैं जहां भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। वहां पर माता दुर्गा की पूजा करते हैं और उनसे सुख शांति की कामना करते हैं।

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Navratri Essay in Hindi | चैत्र नवरात्रि पर निबंध PDF | नवरात्रि पर निबंध हिंदी में लिखा हुआ

Navratri Essay in Hindi

चैत्र नवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से मार्च या अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि के लेकर कई बार निबंध लिखने के लिए पूछा जाता है। चैत्र नवरात्रि पर निबंध इस लेख के जरिए हम आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे है। जिससे कई बिंदूओं के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें आपको हम नवरात्रि पर निबंध हिंदी में (Navratri Essay in Hindi) पेश करेंगे। इसके साथ ही हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि पर निबंध कैसे लिखें ? नवरात्रि पर निबंध PDF में भी आपको इस लेख मिल जाएगा।

गौरतलब है कि हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि यह ‘चैत्र’ मास में मनाया जाता है। नवरात्रि वर्ष में मुख्य रूप से पाँच बार मनाई जाती है, चैत्र, शारदीय, माघ, आषाढ़, पौष नवरात्रि। मुख्य रूप से दो नवरात्रि यानी चैत्र और शारदीय नवरात्रि भारत में मुख्य रूप से मनाई जाती हैं। चैत्र नवरात्रि देवी दुर्गा या आदि शक्ति की पूजा के लिए समर्पित है। नवरात्रि को ‘नव’ के रूप में विस्तारित किया जा सकता है जिसका अर्थ है ‘नौ’ और ‘रात्रि’ का अर्थ है ‘रात’। नवरात्रि के नौ दिनों में, नौ दिनों के दौरान, देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि के दौरान लोग अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को जगाने के लिए विभिन्न अनुष्ठान भी करते हैं क्योंकि यह बहुत ही शुभ दिन माना जाता है।

चैत्र नवरात्रि कब से शुरू है

Essay on Navratri in Hindi

टॉपिकचैत्र नवरात्रि पर निबंध |
लेख प्रकारनिबंध
साल2023
चैत्र नवरात्रि 202322 मार्च से लेकर 30 मार्च तक
कितने दिनों का पर्व है9
चैत्र नवरात्रि के नौ वें दिन कौन सा पर्व हैरामनवमी ( जन्म)
चैत्र नवरात्रि में किसकी पूजा होती हैमां दुर्गा और उनके अवतारों की
मां दुर्गा के कितने अवतारों की पूजा होती है9
नवरात्रि साल में कितने बार आती है4 बार
चैत्र नवरात्रि हर साल कौन से माह में आती हैमार्च-अप्रैल में

नवरात्रि पर निबंध हिंदी में | Navratri Essay Class 3 to 10th

हमने नवरात्रि पर्व पर निबंध आपके लिए तैयार किया है, जो आमतौर पर कक्षा 3 से लेकर 10 वीं के छात्रों के लिए दिया जाता है,जो कि इस प्रकार –

Navratri Essay in Hindi :- नवरात्रि हिंदुओं का त्योहार है जो नौ दिनों तक चलता है और हर साल सर्दियों के मौसम में मनाया जाता है। त्योहार सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है और देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है। नौ दिन देवी के विभिन्न रूपों को समर्पित हैं।नवरात्रि शब्द दो शब्दों में विभाजित है- ‘नव’ का अर्थ है नौ और ‘रात्रि’ का अर्थ है रात। यह त्योहार बुराई पर जीत का भी प्रतीक है। भारत में, त्योहार एक वर्ष में चार बार मनाया जाता है और शारदा, माघ, वसंत और आषाढ़ नवरात्रि जैसे कई नामों से जाना जाता है। प्रत्येक इसके पीछे एक विशेष महत्व और पवित्र अर्थ रखता है। उल्लिखित नवरात्रि में, शारदा पूरे भारत में सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख त्योहार है।

किंवदंती है कि महिषासुर नाम के एक राक्षस राजा ने भगवान शिव को प्रसन्न करके शक्तिशाली शक्तियां और जादू हासिल किया। शक्तिशाली होने के बाद, उसने उन लोगों पर क्रूर कार्य करना शुरू कर दिया जो उसके अलावा अन्य देवताओं की पूजा करते थे।वह अपने अभिमान में इतना भस्म हो गया था कि उसने अन्य देवताओं को नीचा दिखाना शुरू कर दिया और खुद को एक अजेय प्राणी के रूप में मानने लगा। अन्य देवता डर गए और उन्होंने भगवान-ब्रह्मा, विष्णु और शिव की त्रिमूर्ति की याचना की। उन्होंने एकजुट होकर अपनी सेना को जोड़ा और देवी दुर्गा की रचना की। जब राक्षस ने देवी का सामना किया, तो वह उनकी सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया और आकर्षित हो गया।

Chaitra Navratri Essay in Hindi

राक्षस देवी दुर्गा से विवाह करना चाहता था। वह एक शर्त पर सहमत हुई कि उसे उसे युद्ध में हराना होगा। शैतान को अपनी शक्तियों पर बहुत भरोसा था और उसने चुनौती को जल्दी स्वीकार कर लिया। उसके बाद, नौ रातों तक युद्ध चला और नौवीं रात को देवी ने राक्षस का वध कर दिया। इसलिए, नौ दिनों को नवरात्रि कहा जाता है।लोग नौ दिनों के दौरान उपवास रखते हैं और देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और परिवार की खुशी पाने के लिए प्रार्थना की जाती है। अंतिम दिन लोग छोटी कन्याओं का कन्या पूजन करके अपना व्रत तोड़ते हैं क्योंकि वे पवित्रता का प्रतीक होती हैं। उन्हें हलवा पुरी, चना और पैसे, क्लिप, चूड़ियाँ आदि जैसी विभिन्न व्यंजनों की पेशकश की जाती है

नवरात्रि पर निबंध कैसे लिखें 

कई विषय ऐसे है जिनपर निबंध लिखा जाता है। स्कूल में आमतौर पर शिक्षकों द्वारा हिंदी विषय में निबंध लिखवाया जाता है।इस पॉइन्ट के जरिए जहां हम आपको निबंध कैसे लिखें इसके बारे में बताएगें, साथ ही आपको निबंध लिखने के लिए जानकारी भी इस लेख में मुहैया कराई गई है जिसे आप इस्तमाल कर के बहतरीन निबंध तैयार कर सकते है। किसी भी तरह निबंध कि शुरुआत प्रस्तावना के साथ होती है। प्रस्तावना में आप टॉपिक से जुड़ी वेसिक जानकारी देते है। हम आपको इस लेख में बताएंगे नवरात्रि पर निबंध कैसे लिखे, तो आपको प्रस्तावना के साथ निबंध कि शुरुआत करनी है, जिसमे आप निवरात्रि से जुड़ी जानकारी देंगे। हम आपको कुछ पॉइन्ट दे रहे है जिसके जारिए आप नवरात्रि पर निबंध लिख सकते है।

नवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो देवी दुर्गा और उनके कई अवतारों का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। यह त्योहार बुराई पर विजय और अंधकार पर प्रकाश की जीत का भी प्रतीक है। यह उत्सव नौ रातों और दस दिनों तक चलता है। त्योहार के अंतिम दिन को दशहरा के नाम से जाना जाता है। यह महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और गुजरात में एक प्रमुख त्योहार है।

बड़े पंडालों में देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है और घरों में देवी की पूजा के लिए छोटी मूर्तियों को रखा जाता है। लोग उपवास रखते हैं और अपनी कृतज्ञता और भक्ति अर्पित करने के लिए देवी मंदिर जाते हैं। चूंकि त्योहार नकारात्मकता को खत्म करता है, इसलिए यह माना जाता है कि समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य बहने लगता है। छोटी कन्याओं को उपहार और मिठाई देकर पूजा की जाती है।

नवरात्रि के प्रकार

नवरात्रि का त्योहार सभी प्रकार की परंपराओं को देखता है जो पूरे नौ दिनों में मनाया जाता है। हालाँकि, आइए हम कुछ प्रकार के नवरात्रि पर एक नज़र डालें जो पूरे भारत में मनाया जाता है। शारदा नवरात्रि नवरात्रि के सबसे महत्वपूर्ण प्रकारों में से एक शारदा नवरात्रि है। यह भारत के पूर्वी भाग में व्यापक रूप से मनाया जाता है जहां दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध देखा जाता है। भारत में कुछ जगहों पर शारदा नवरात्रि को महा नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।

  • शारदा नवरात्रि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता की खोज के लिए लंका जाने से पहले यह पूजा की थी।
  • वसंत नवरात्रि यह नवरात्रि का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण प्रकार है। वसंत नवरात्रि भारत के उत्तरी भाग में व्यापक रूप से मनाई जाती है जहां जम्मू में प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर भव्यता में नवरात्रि मनाता है। इस पर्व को चैत्र नवरात्रि भी कहा जाता है।
  • आषाढ़ नवरात्रि भारत के कुछ हिस्सों में, इस प्रकार की नवरात्रि को गुह्य नवरात्रि भी कहा जाता है। आषाढ़ नवरात्रि देवी शक्ति के नौ रूपों के समर्पण में मनाई जाती है।
  • पौष नवरात्रि यह अभी तक नवरात्रि का एक और रूप है जो पौष शुक्ल पक्ष के दौरान मनाया जाता है जो चंद्रमा के वैक्सिंग चरण के अलावा और कोई नहीं है। ये कुछ प्रकार के नवरात्रि हैं जो पूरे भारत में मनाए जाते हैं। इन सभी प्रकार के नवरात्रि में शारदा और वसंत सबसे महत्वपूर्ण हैं। सबसे पहले टिप्पणी करने वाले बनें

नवरात्रि का उत्सव

पूरे देश में नवरात्रि बहुत ही धूमधाम और खुशी के साथ मनाई जाती है। हमारे देश को दुनिया भर में अतुल्य भारत कहा जाता है और हम एक ऐसे राष्ट्र के नागिरक है जहां परंपराओं, संस्कृतियों और रीति-रिवाजों का संगम देखने को मिलता है। नवरात्रि पर ये निबंध हमें विभिन्न राज्यों द्वारा उत्सव को समझने में मदद करता है। नवरात्रि का उत्सव हर राज्य में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है, जहां नवरात्रि में गुजरात में गरबा खेला जाता है वहीं राजस्थान में डांडिया। बंगाल में जहां दुर्गा पूजा के पंडाल तैयार होते है। गौरतलब है कि पूरे भारत में नवरात्रि में मांसाहारी भोजन नहीं खाया जाता है सिर्फ बंगाल को छोड़कर। नवरात्रि के नौ दिन बड़ी ही उत्साह से भरे हुए होते है यही कारण है जब नवरात्रों का समापन होता है तो अलग ही उदासी माहौल में छा जाती है।

नवरात्रि का इतिहास

नवरात्रि पर यह लघु निबंध देश भर में भव्य समारोहों के पीछे के इतिहास की व्याख्या करता है। नवरात्रि भारत में मनाए जाने वाले शुभ त्योहारों में से एक है। होली के त्योहार की तरह, नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।नवरात्रि का इतिहास युगों युगों पुराना है। यह शुभ त्योहार देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच एक भयंकर युद्ध से जुड़ा है। राक्षस को भगवान ब्रह्मा ने अमरता का वरदान दिया था। हालांकि, इस वरदान में एक दिलचस्प बात ये थी कि महिला के अलावा कोई भी उसे हरा नहीं सकता था और न ही उसे मार सकता था। अति आत्मविश्वासी राक्षस ने कभी नहीं सोचा था कि एक महिला इतनी मजबूत होगी कि मार सकेगी।जैसे-जैसे साल बीतते गए, महिषासुर निर्दोष लोगों पर हमला करके शक्तिशाली होने लगा और कोई भी देवता उसे हरा नहीं सका।

आखिरकार, भगवान विष्णु, ब्रह्मा और शिव की पवित्र त्रिमूर्ति ने देवी पार्वती से उनके अवतार दुर्गा को प्रकट करने के लिए आवाह्न किया।देवी दुर्गा महिषासुर को मारने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव द्वारा आशीर्वादित सभी शक्तियों और हथियारों के साथ पृथ्वी पर आईं। देवी दुर्गा ने दस दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और वह मां दुर्गा को भ्रमित करने के लिए अपने रूपों को मानव से पशु और विभिन्न आकृतियों और आकारों में बदलता रहा। एक बार वह भैंस में बदल गया और देवी ने उसे मार डाला।

नवरात्रि का महत्व

यह नौ दिनों का त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा की पूजा करने से आंतरिक शक्ति (शक्ति) प्राप्त होती है। यह मोक्ष पाने में भी मदद करता है और लोग भविष्य के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं। लोगों की मनोकामना पूरी होती है।ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, चैत्र नवरात्रि मार्च या अप्रैल के आसपास आती है। यह हिंदू चंद्र कैलेंडर का पहला महीना है, इसलिए नवरात्रि का त्योहार मार्च या अप्रैल महीने में पड़ता है और चैत्र नवरात्रि के रूप में जाना जाता है।

यह नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है जब नए फूल और फल खिलने लगते हैं। चैत्र नवरात्रि का ज्योतिष में विशेष महत्व है क्योंकि चैत्र नवरात्रि से सूर्य राशि परिवर्तन होता है। भगवान सूर्य 12 राशियों में अपनी यात्रा पूरी करने के बाद अगले चक्र को पूरा करने के लिए फिर से पहली राशि यानी मेष राशि में प्रवेश करते हैं।

नवरात्रि के नौ दिन

नवरात्रि के नौ दिन आमतौर पर देवी दुर्गा के नौ अवतारों (अवतारों) को समर्पित होते है, जो कि इस प्रकार है।

पहला दिन – शैलपुत्री

शैलपुत्री देवी पार्वती का अवतार हैं। लाल रंग में पहने हुए, उन्हें महाकाली के प्रत्यक्ष अवतार के रूप में दर्शाया गया है। वह अपने हाथों में त्रिशूल और कमल के साथ बैल नंदी की सवारी करती हैं।

दूसरा दिन – ब्रह्मचारिणी

ब्रह्मचारिणी देवी पार्वती या उनके अविवाहित स्व, सती का एक और अवतार है। वह शांति और शांति का प्रतीक है और उसे जपमाला और कमंडल पकड़े हुए दिखाया गया है। दिन का रंग कोड नीला है, क्योंकि यह शांति और शक्ति का प्रतीक है।

तीसरा दिन – चंद्रघंटा

शिव से विवाह के समय पार्वती ने अपने माथे पर अर्धचंद्र धारण किया था, और चंद्रघंटा देवी के इस रूप का चित्रण है। तीसरा दिन पीले रंग से जुड़ा है, जो उनकी जीवंतता का प्रतीक है।

चौथा दिन – कुष्मांडा

कुष्मांडा को ब्रह्मांड में रचनात्मक शक्ति के रूप में जाना जाता है। इसलिए देवी के इस रूप का रंग हरा है। वह एक बाघ की सवारी करती है और उसे आठ भुजाओं के साथ चित्रित किया गया है।

पांचवां दिन- स्कंदमाता

भगवान स्कंद या कार्तिकेय की माँ, स्कंदमाता एक माँ की ताकत को दर्शाती हैं जब उनके बच्चे खतरे में होते हैं। ऐसा माना जाता है कि उसने अपने बच्चे को गोद में लेकर शेर की सवारी की थी। दिन का रंग ग्रे है।

छठा दिन- कात्यायनी

कात्यायनी एक योद्धा देवी हैं और उन्हें चार भुजाओं के साथ चित्रित किया गया है। वह शेर की सवारी करती है और साहस का प्रतीक है; यह नवरात्रि के 6 दिन के लिए नारंगी रंग में बदल जाता है।

दिन 7 – कालरात्रि

यह देवी दुर्गा का सबसे हिंसक रूप है। इसमें निशुंभ और शुंभ राक्षसों को नष्ट करने के लिए अपनी गोरी त्वचा को हटाने पर प्राप्त देवी पार्वती के रूप को दर्शाया गया है। माना जाता है कि देवी सफेद पोशाक में प्रकट हुई थीं और उनकी त्वचा क्रोध में काली हो गई थी। अतः इस दिन का रंग सफेद है।

आठवां दिन- महागौरी

महागौरी देवी इस दिन शांति और आशावाद को दर्शाती हैं; इसलिए नवरात्रि के आठवें दिन से जुड़ा रंग गुलाबी है।

नौवां दिन- सिद्धिदात्री

देवी सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और सिद्धियों की शक्ति रखती हैं। वह ज्ञान और प्रकृति की सुंदरता को विकीर्ण करती हैं और उन्हें सरस्वती देवी भी कहा जाता है। इस दिन का रंग हल्का नीला है।

नवरात्रि से जुड़े तथ्य

चैत्र नवरात्रि हिंदू कैलेंडर के पहले महीने चैत्र में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती है। ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र प्रतिपदा से ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की। चैत्र नवरात्रि से ही हिंदू नववर्ष के कैलेंडर की गणना शुरू हो जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का अवतरण हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना का कार्य शुरू किया था। यही कारण है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। यह भी माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में पहला अवतार लिया और पृथ्वी की स्थापना की। इसके अलावा भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को हुआ था, जिसे रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।

चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना कर नौ दिनों तक अखंड ज्योत जलाई जाती है और नियमित रूप से दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।चैत्र नवरात्रि ज्यादातर उत्तरी भारत में मनाई जाती है। महाराष्ट्र और गोवा में, यह गुड़ी पर्व से शुरू होता है और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में, यह उगादी के साथ शुरू होता है। इंडोनेशिया में इसे न्येपी के नाम से मनाया जाता है।

नतीजतन, देवी के सभी रूपों को खुशी से मनाया और सम्मानित किया जाता है। लोगों द्वारा पंडालों में बड़ी मूर्तियां स्थापित की जाती है और मां के सम्मान में जुलूस निकाले जाते हैं। विभिन्न स्थानों पर मेले  आयोजित किए जाते हैं। इन सबसे ऊपर, नवरात्रि पूरे देश के लोगों को एक साथ लाता है और विविधता और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। हमें भारतीयों के रूप में खुशी होनी चाहिए कि हमें नौ दिनों तक इस तरह की भव्यता का त्योहार मनाने का मौका मिलता है। लोग एक साथ आते हैं, जश्न मनाते हैं और मस्ती करते हैं। यही नवरात्रि की खूबसूरती है और हमें इसके पीछे के इतिहास को हमेशा संजो कर रखना चाहिए।

नवरात्रि पर निबंध PDF | Navratri Essay in Hindi PDF

हमारे इस लेख के माध्य से हम आपको चैत्र नवरात्रों को लेकर निबंध दे रहे है। ये निबंध आपको पीडीएफ के तौर पर भी मिल जाएगा, जिससे आप डाउनलोड कर के सेव कर सकते है। इस पीडीएफ पाइल का आप प्रिंट भी निकलवा सकते है,जो कि आपके पास लंबे समय तक रहेगी और आप जब मन चाहे तब नवरात्रि पर निबंध पढ़ सकते है।

चैत्र नवरात्रि पर निबंध हिंदी PDF Download करें

चैत्र नवरात्रि पर निबंध 10 लाइन | Navratri Essay in Hindi 10 Line

  • चैत्र नवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो आमतौर पर मार्च या अप्रैल महीने में पड़ता है।
  • चैत्र नवरात्रि पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा आदि में व्यापक रूप से मनाई जाती है।
  • संस्कृत में, ‘नव’ का अर्थ है ‘नौ’ और ‘रात्रि’ का अर्थ है ‘रातें’, इसलिए यह उत्सव की नौ रातें हैं।
  • हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि का पर्व ‘चैत्र’ के महीने में आता है।
  • नवरात्रि के प्रत्येक दिन का अपना महत्व है और दुर्गा के एक अलग रूप से जुड़ा हुआ है।
  • शारदीय नवरात्रि के बाद चैत्र नवरात्रि दूसरा सबसे महत्वपूर्ण दुर्गा उत्सव है।
  • नवरात्रि के पहले दिन को ‘प्रतिपदा’ और अंतिम दिन को ‘नवमी’ कहा जाता है।
  • चैत्र नवरात्रि समृद्धि के लिए देवी दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है।
  • चैत्र नवरात्रि के दौरान, दुर्गा मंदिर आशीर्वाद के लिए भक्तों से भरे रहते हैं।
  • मंत्र जाप, आरती गाना, फूल, फल, प्रसाद आदि चढ़ाना भक्तों द्वारा किया जाता है।

चैत्र नवरात्रि पर निबंध 20 लाइन 

  • नवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो पूरे देश में और दुनिया भर के सभी हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है।
  • यह उत्सव का अवसर राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का उत्सव है।
  • यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और दस दिन और नौ रातों के लिए मनाया जाता है।
  • इस अवसर पर, माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, प्रत्येक नवरात्रि के एक दिन नौ दिनों की अवधि के लिए।
  • इस दौरान लोग पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं।
  • चैत्र नवरात्रि का त्योहार हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में आती है
  • चैत्र नवरात्रि का पहला दिन हिंदू केलेंडर के अनुसार साल का पहला दिन होता है इसलिए इस दिन हिंदू नववर्ष भी मनाया जाता है

Chaitra Navratri Essay 20 Lines

  • चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रुपों कि पूजा होती है
  • चैत्र नवरात्रि पूरा भारत देश में हिंदू लोगों द्वारा बड़े धूमधाम के साथ मनाई जाती है
  • चैत्र नवरात्रि के पहला दिन मराठी समुदाय का  गुड़ी पड़वा त्यौहार मनाया जाता है
  • चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ है, जिसे पूरी भारत द्वारा मनाया जाता
  • चैत्र नवरात्रि के आखरी दिन राम नवमी के नाम से भी जाना जाता है
  • चैत्र नवरात्रि के नौ दिन उपवास रख कर मां दुर्गा की उपासना की जाती है
  • चैत्र नवरात्रि के नौ दिन कुछ उपासकों द्वारा चप्पल भी नहीं पहनी जाती है
  • चैत्र नवरात्रि के नौ दिन हिंदू मांसाहारी भोजन नहीं करते है, वहीं कुछ लोग तो प्याज लहसून भी खाना बंद कर देते है।
  • नवरात्रि का अवसर मां दुर्गा को धन्यवाद देने और उनसे प्यार और आशीर्वाद मांगने का है।
  • मां दुर्गा के नौं रुप है शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चंद्रघण्टा,कुष्मांडा,स्कंदमाता,कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी,सिद्धिदात्री हैं।
  • चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के इन्ही रुपों की पूजा की जाती है
  • चैत्र नवरात्रि के समय मां दुर्गा की उपासना करने से मां सबकी इच्छा पूरी करती है

नवरात्रि महत्व पर निबंध | Navratri Essay in Hindi

इस पॉइन्ट के जरिए हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि का महत्व क्या है। ये लेख नवरात्रि महत्व पर निबंध के बारे में भी है। दरअसल,नवरात्रि एक खुशी का त्योहार है, और इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। और इस दौरान विभिन्न परंपराएं मनाई जाती हैं। आभार वक्त करने के रूप इस त्योहार को मनाया जाता है, साथ ही अच्छी मौसमी फसल भी इस समय के दौरान मनाई जाती है। दैनिक उपकरणों की पूजा की जाती है और किसी भर तरह के शुभ कार्य को शुरु करने के लिए इन दिनों से अच्छे कोई दिन नहीं।

चैत्र नवरात्रि का महत्त्व

नवरात्रि के इन 9 दिनों के दौरान, भक्ति की शक्ति अद्भुत और आश्चर्यजनक रूप से दिव्य शक्ति की पूजा करने के लिए अपनी पूरी ताकत से खींची जाती है।पहले 3 दिनों के भीतर दोषों को आत्मसात करना और अशुद्धियों को हराना और देवी दुर्गा की पूजा करना है। नवरात्रि एक त्योहार है जो अक्टूबर-नवंबर में पड़ता है, और यह चरण शरद ऋतु से शीतऋतु  कि ओर ले जाता है।जलवायु परिवर्तन जैसे-जैसे मौसम बदलता है, हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती जाती है और जैसे ही वातावरण का तापमान घटता है, यह हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाओं को दबा देता है, रक्त और वसा की संरचना मौसम से प्रभावित होती है और नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक महत्व यह भी है कि नवरात्रि के दौरान, सभी 9 दिनों तक लोगों द्वारा उपवास किया जाता है और जो भोजन करते हैं वह भी सात्विक होता है।

सात्विक भोजन का सेवन इसलिए किया जाता है क्योंकि इसे शुद्ध और काफी संतुलित माना जाता है और इसे ग्रहण कर के अलग ही शांति की अनुभूति होती है। नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण शरीर को विषमुक्त करना है। चूंकि सात्विक भोजन हल्का होता है और एक सप्ताह तक हल्का भोजन करने से आपके पाचन तंत्र को थोड़ा आराम मिलता है।जब आप उपवास करते हैं तो यह आंत को साफ करने में मदद करता है और आंत की परत भी मजबूत होती है। गौरतलब है कि  नवरात्रि मनाने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है।

FAQ’s Navratri Essay in Hindi

Q. नवरात्रि 2023 कब शुरु होंगी.

Ans.नवरात्रि 2023 मार्च में 22 तारीख से शुरु होंगी जो कि 30 मार्च तक चलेंगी।

Q. नवरात्रि कितने दिनों तक मनाएं जाने वाला त्योहार है?

Ans. नवरात्रि नौ दिन तक मनाएं जाने वाला त्योहार है।

Q. नवरात्रि का क्या अर्थ है?

Ans.’नव’ का अर्थ नौ है और ‘रात्रि’ का अर्थ रात है। इस प्रकार, त्योहार को इसका नाम मिला क्योंकि हम इसे नौ रातों की अवधि में मनाते हैं।

Q. नवरात्रि लोग  क्यों मनाते हैं?

Ans.हम इस त्योहार के नौ दिनों को देवी दुर्गा के नौ अवतारों या अवतारों के प्रति समर्पण के रूप में मनाते हैं।

Q.हम नवरात्रि कब मनाते हैं?

Ans.हम नौ रातों और दस दिनों तक त्योहार मनाते हैं। इस प्रकार, त्योहार अक्टूबर या नवंबर के महीने में होता है। भारत में लोग इसे हर साल चार बार मनाते हैं। इसके अलावा, हम इन समयों को शारदा नवरात्रि, वसंत नवरात्रि, माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि के रूप में संदर्भित करते हैं।

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नवरात्रि की तृतीया की देवी मां चंद्रघंटा की पौराणिक कथा

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Essay on Navratri: नवरात्रि के लिए विशेष निबंध

July 31, 2024 by Antesh Singh Leave a Comment

कंटेंट की टॉपिक

नवरात्रि पर निबंध

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल आश्वयुजा मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है और नवमी तिथि तक चलता है। यह पर्व विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है और पूरे भारत में इसे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ‘नवरात्रि’ का अर्थ है ‘नौ रातें’, और इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।

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नवरात्रि का महत्व और इतिहास

नवरात्रि की पूजा का इतिहास प्राचीन है और इसे देवी महात्म्य के महाकाव्य से जोड़ा जाता है, जिसमें देवी दुर्गा के विजय की कथा वर्णित है। यह पर्व विशेष रूप से धर्म, शक्ति और विजय का प्रतीक है। नवरात्रि का महत्व इस बात में है कि यह हमें अच्छाई की विजय और बुराई की हार की याद दिलाता है। इस पर्व के माध्यम से भक्तगण देवी माँ से आशीर्वाद प्राप्त करने और अपने पापों से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं।

नवरात्रि की पूजा के दिन

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन एक विशेष रूप से पूजा की जाती है:

  • प्रथम दिन – माँ शैलपुत्री पहले दिन की पूजा माँ शैलपुत्री की जाती है, जो हिमालय के पर्वतों की पुत्री हैं। माँ शैलपुत्री की पूजा से भक्तगण सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
  • द्वितीय दिन – माँ ब्रह्मचारिणी दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो ब्रह्मचर्य का पालन करती हैं। उनकी पूजा से भक्तों को संयम, शांति और तपस्या की प्रेरणा मिलती है।
  • तृतीय दिन – माँ चंद्रघंटा तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो अपनी मस्तक पर चंद्रमा की घंटा धारण करती हैं। माँ चंद्रघंटा के भक्तों को शौर्य और विजय की प्राप्ति होती है।
  • चतुर्थ दिन – माँ कूष्मांडा चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है, जो सृष्टि की रचनाकार हैं। उनकी पूजा से भक्तों को समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
  • पंचम दिन – माँ स्कंदमाता पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा होती है, जो भगवान स्कंद की माँ हैं। उनकी पूजा से भक्तों को मातृत्व की शक्ति और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  • षष्ठी दिन – माँ कात्यायनी छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। माँ कात्यायनी की पूजा से भक्तों को शक्ति और शौर्य प्राप्त होता है।
  • सप्तमी दिन – माँ कालरात्रि सातवे दिन माँ कालरात्रि की पूजा होती है, जो भय और बुराई को नष्ट करने वाली हैं। उनकी पूजा से भक्तों को बुराई से मुक्ति मिलती है।
  • अष्टमी दिन – माँ महागौरी आठवे दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है, जो सफ़ेद वस्त्र पहनती हैं और अत्यंत पवित्र हैं। उनकी पूजा से भक्तों को पवित्रता और सुख की प्राप्ति होती है।
  • नवमी दिन – माँ सिद्धिदात्री नौवे दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो सभी सिद्धियों की दात्री हैं। उनकी पूजा से भक्तों को सभी इच्छाओं की पूर्ति और पूर्णता की प्राप्ति होती है।
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नवरात्रि की पूजा विधियाँ

नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा-अर्चना, व्रत और उपवासी रहना भक्तों का एक प्रमुख अंग है। इस दौरान देवी माँ की पूजा के लिए विशेष रूप से फूल, फल, और शुद्ध पदार्थों का उपयोग किया जाता है। भक्तगण प्रात:काल सूरज उगने से पहले उठकर स्नान कर व्रत की शुरुआत करते हैं और संपूर्ण दिन पूजा और भक्ति में लीन रहते हैं। इस दौरान विशेष रूप से ‘हवन’ और ‘आरती’ का आयोजन भी किया जाता है।

नवरात्रि का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

नवरात्रि केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। इस पर्व के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे गरबा, डांडिया रास, और लोक नृत्य आयोजित किए जाते हैं, जो समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाते हैं। यह पर्व लोगों के बीच सामंजस्य और एकता की भावना को प्रोत्साहित करता है।

नवरात्रि के उपदेश

नवरात्रि का पर्व हमें कई महत्वपूर्ण उपदेश भी देता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में शक्ति, संयम और सकारात्मकता की आवश्यकता होती है। देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से हम आत्म-निर्माण और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। यह पर्व हमें अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाने और अपने जीवन में संतुलन और शांति स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है।

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नवरात्रि का पर्व धर्म, शक्ति, और विजय का प्रतीक है। यह पर्व हमें न केवल देवी दुर्गा की भक्ति का अवसर प्रदान करता है, बल्कि हमें आत्म-निर्माण और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा भी देता है। नवरात्रि की पूजा से हम अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान सकते हैं और जीवन की विभिन्न चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। यह पर्व हर व्यक्ति के जीवन में खुशी, समृद्धि और शांति की प्राप्ति का माध्यम बनता है।

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नवरात्रि पर निबंध essay on navratri in hindi.

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Essay on Navratri in Hindi

Essay on Navratri in Hindi

Essay on Navratri in Hindi 400 Words

नवरात्रि का अर्थ “नौ रातें” है। नवरात्रि हिन्दू पर्व है जो देवी दुर्गा माता की पूजा करने लिए रखा जाता है। नवरात्रि के नौं रातों में 3 देवियों महालक्ष्मी, महासरस्वती और दुर्गा के नौं रूपों की पूजा की जाती हैं। जिसे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता हैं। दुर्गा का मतलब है जीवन के दुःख को दूर करने वाला। नवरात्रि पूरे भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। नवरात्रि त्यौहार प्रति वर्ष मुख्य रूप से दो बार बनाया जाता है, हिंदी महीनों के अनुसार पहला नवरात्रि चौत्र मास में मनाया जाता है तो दूसरा नवरात्रि अश्विन मास में मनाया जाता है।

नवरात्रि के 9 दिनों तक चलने वाली पूजा अर्चना के बाद दसवें दिन को दशहरा के रूप में बड़े ही जोर शोर से मनाया जाता है। नवरात्रि त्यौहार 9 दिनों तक चलता है। और इसमें 9 दिनों तक माँ दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। इसलिए इस त्यौहार का नाम नवरात्रि पड़ा। कई लोग इस पर्व के दौरान व्रत रखते है और नवमी में नौ कन्याओ को देवी के नौ रूप मान के इनकी पूजा करते है।

यह भारत के विभिन्न राज्यों में अलग अलग प्रकार से मनाया जाता है। गुजरात में इस त्यौहार के समय नौ रातों को डांडिया या गरबा के रूप में मनाया जाता है। गरबा देवी के सम्मान के लिए आरती से पहले किया जाता है और डांडिया बाद में किया जाता है। बंगाल में भी दुर्गा पूजा को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।

इस त्यौहार का अपना इतिहास और कथाएं है। एक कथा में राम जी का वर्णन है जिसमे यह कहा जाता है की लंका पे विजय प्राप्त करने से पहले राम जी ने समन्दर तट पे नौ दिन इसकी पूजा की और दसवें दिन वो युद्ध के लिए प्रस्थान कर गए थे और विजय प्राप्त कर ली थी। दूसरी कथा में माता रानी का एक महिषासुर का वध करने का वर्णन है।

नवरात्र का पर्व हमें सिखाता है – प्रयत्न करो, परुषार्थ करो। परिश्रम करो, तप करो और तुम्हारे भीतर शक्ति का जो भंडार है, उसे खोल दो। तुम्हारे अंदर एक ऐसी शक्ति मौजूद है कि तुम उसकी सहायता से अपनी इच्छानुसार सबकुछ कर सकते हो।

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नवरात्रि की संपूर्ण जानकारी ( Navratri festival in Hindi )

भारत में किसी भी त्योहार को मनाने के पीछे बहुत बड़ा कारण होता है। नवरात्रि नौ दिन का पावन समूह होता है। इन दिनों जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ मां दुर्गा के नौ रूप की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करता है, उसे देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

वह भक्त धरती पर सभी सुख, वैभव, समृद्धि आदि को प्राप्त कर लेता है, इतना ही नहीं वह अपना परलोक भी सुधार लेता है।

Table of Contents

नवरात्रि क्यों मनाया जाता है और उसका महत्व क्या है?

मां दुर्गा को आद्याशक्ति भी कहा गया है इन के नौ स्वरूप का वर्णन मार्कंडेय पुराण में विस्तार पूर्वक किया गया है। समय-समय पर असुरों का नाश करने तथा भक्तों को अभय दान देने के लिए अवतार लेती हैं।

नवरात्रि का पावन दिन माता के उन्हें नौ स्वरूप की पूजा करने का दिन होता है।

मान्यता के अनुसार वर्ष में नवरात्रि चार बार मनाया जाता है

  • चैत्र नवरात्रा,
  • आषाढ़ नवरात्रा,
  • आश्विन नवरात्र,
  • तथा माघ नवरात्रा ।

मुख्य रूप से भारत में चैत्र नवरात्रा तथा शारदीय नवरात्रा मनाया जाता है जिसे हम चैत्र नवरात्रि को रामनवमी तथा शारदीय नवरात्रा को महानवमी के नाम से जानते हैं।

शरत-काले महापूजा क्रियते या च वार्षिकी 

तस्यां ममैतन्माहात्म्यं श्रुत्वा भक्ति समन्वितः 

सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः 

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः। ।

दुर्गा सप्तशती में मां दुर्गा ने स्वयं कहा है जो शरद ऋतु में आने वाले नवरात्री को विधि-विधान के साथ देवी के नौ स्वरूप की पूजा करता है, उसकी सब बाधाएं स्वत नष्ट हो जाती है। वह इस पृथ्वी पर धन वैभव पुत्र आदि को प्राप्त करता है, उसे मेरा आशीर्वाद प्राप्त होता है। वह मनुष्य इस पृथ्वी पर भय मुक्त श्रेष्ठ मानव का जीवन यापन करता है तथा मृत्यु के पश्चात वह देवलोक का भागी होता है।

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बंगाल में दुर्गा पूजा का महत्व

पूरे भारतवर्ष में शारदीय नवरात्र की पूजा का विशेष प्रबंध किया जाता है।

जगह-जगह मां दुर्गा का पंडाल लगाया जाता है और पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। विजयदशमी के दिन पूरे धूमधाम और उत्साह के साथ मां दुर्गा के मूर्ति को उठाया जाता है। बंगाल की संस्कृति में दुर्गा पूजा का और भी महत्व बढ़ जाता है क्योंकि इस संस्कृति से जुड़े लोग मां दुर्गा की पूजा बेहद उत्साह पूर्वक ढंग से करते हैं। विजयदशमी के दिन गुलाल और रंग के साथ होली खेलते हैं तथा अपने सगे संबंधी मित्र जनों को शुभकामनाएं भेंट करते हैं।

यह एक अनूठा दृश्य होता है जो केवल बंगाल की संस्कृति में देखने को मिलती है।

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श्रीराम द्वारा शक्ति की उपासना

त्रेता युग में जब रावण से निर्णायक युद्ध आरंभ हो चुका था। तब प्रभु श्री राम ने शक्ति की उपासना की थी। इस उपासना से उन्हें देवी की शक्ति प्राप्त हुई थी। इसी शक्ति के प्रभाव से ही उन्होंने रावण का संहार किया था।

शारदीय नवरात्री का पूजन प्रभु श्री राम ने मनुष्य रूप में किया था।

जो भी मनुष्य पूरे विधि विधान और सच्ची निष्ठा के साथ देवी शक्ति का आह्वान करता है उसे वह शक्ति अवश्य प्राप्त होती है। रामनवमी कोट्स

नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, स्वयं भगवान शिव शंकर ने माता पार्वती को बताया था –

नवशक्ति भिः संयुक्तं नवरात्रंतदुच्यते

एकैवदेव देवेशि नवधा परितिष्ठा। ।

जो कोई सच्ची श्रद्धा के साथ नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की आराधना करता है प्रत्येक दिन उनके स्वरूपों की पूजा करता है उसे देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है वह शक्ति जो सृष्टि को संचालित करती है जिन्हें आदिशक्ति के नाम से भी जाना जाता है वह अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हैं।

मां दुर्गा के नौ रूप का नाम

मार्कंडेय पुराण में दुर्गा के नौ रूप का वर्णन मिलता है।

प्रथम शैलपुत्री
द्वितीय ब्रह्मचारिणी
तृतीय चंद्रघंटा
चतुर्थी कुष्मांडा
पंचमी स्कंदमाता
षष्ठी कात्यायनी
सप्तमी कालरात्रि
अष्टमी महागौरी
नवमी सिद्धिदात्री

यह सभी नाम महात्मा भगवान वेद के नाम से प्रतिपादित हुए हैं माता का यह स्वरूप भिन्न भिन्न प्रकार की योग शक्तियों से संपन्न है। भक्त माता के नौ स्वरूप की पूजा शारदीय नवरात्रा के समय करते हैं तथा अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन कर उन्हें भोग लगाते हैं देवी भागवत  मे कुमारी कन्या को देवी का जीवंत रूप माना गया है इसमें विभिन्न प्रकार की आयु की कन्याओं को देवी के विशेष रूप से जोड़ा गया है।

नवरात्रि में पूजे जाने वाली कन्याओं के रूप

  • कुमारिका – जो कन्या 2 वर्ष की होती है, उन्हें ‘कुमारिका’ कहते हैं। इनका विधि-विधान से पूजन करने से धन, आयु, बल की वृद्धि होती है भक्त का घर धन-वैभव, संपदा से परिपूर्ण रहता है।
  •  त्रिमूर्ति – 3 वर्ष की कन्या को ‘त्रिमूर्ति’ कहा जाता है। इनके पूजन से घर में सुख समृद्धि वैभव का आगमन होता है।
  • कन्या कल्याणी – 4 वर्ष की कन्या का पूजन करने से विवाह जैसे मंगल कार्य संपन्न होते हैं। जो कार्य काफी वर्षों से पूर्ण नहीं हो पा रहे थे वह सभी पूर्ण हो जाते हैं।
  • रोहिणी – 5 वर्ष की कन्या को ‘रोहिणी’ माना गया है इनकी विधि-विधान के साथ पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। घर में सभी निरोगी रहते हैं, कभी कोई असाध्य रोग उनके पास नहीं आता।
  • कालिका – 6 वर्ष की कन्या को ‘कालिका’ कहते हैं इनकी विधि-विधान के साथ पूजा करने से शत्रु का नाश होता है। कितना ही घोर शत्रु क्यों ना हो उससे मुक्ति प्राप्त होती है। शास्त्रों में कालिका पूजन का विस्तार से वर्णन है।
  • शांभवी – 8 वर्ष की कन्या को शांभवी माना गया है, इनकी पूजा करने से दुख दरिद्रता का नाश होता है। घर में धन-वैभव का भंडार लगता है। साधक को दीर्घ आयु तथा निरोगी काया प्राप्त होती है।
  • दुर्गा – 9 वर्ष की कन्या को ‘दुर्गा’ का स्वरूप माना गया है। इनका विधि विधान के साथ पूजन करने से असाध्य रोग का नाश होता है तथा कठिन से कठिन कार्य की सिद्धि होती है। इतना ही नहीं वह इस पृथ्वी पर दीर्घायु होता है, मृत्यु के उपरांत उसे देवलोक प्राप्त होता है।
  • सुभद्रा – 10 वर्ष की कन्या को ‘सुभद्रा’ का स्वरूप माना जाता है। इनकी पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है, वह सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है।

शास्त्रों में कन्या पूजन का महत्व

भारतीय संस्कृति प्राचीनतम संस्कृति में से एक है, यहां सभी का सम्मान होता है। भारतीय संस्कृति ही एक ऐसी संस्कृति है जिसमें निर्जीव की पूजा का भी विधान है। तभी यहां पाषाण की भी पूजा की जाती है। आदि काल में मनुष्य इंद्र, सूर्य, चंद्रमा जैसे देवताओं की भी पूजा उत्साह पूर्वक किया करते थे।

आज देवी देवताओं के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है।

शास्त्रों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कन्या को देवी शक्ति का जीवंत रूप माना गया है।

देवी भागवत में इसका विस्तृत रूप से वर्णन भी मिलता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की आयु की कन्याओं को देवी का स्वरूप माना गया है। आधुनिक समय में कन्या पूजन का महत्व और बढ़ जाता है।  क्योंकि मानव आज के परिवेश में कन्या तथा देवी शक्ति को भूलता जा रहा है।

इस पूजन से समाज को कन्या तथा स्त्री का सम्मान करने की सद्भावना आती है।

इसके माध्यम से जन सामान्य तक स्त्री के सम्मान की शिक्षा को पहुंचाया जाता है जिसमें धार्मिकता का बंधन होता है। इस प्रयत्न से निश्चित रूप से ही देवी शक्ति को समझने और उसे अपने जीवन में अपनाने का ज्ञान प्राप्त होता है। कोई भी अधर्म करने से पूर्व इस शिक्षा से अवश्य ही डरता है तथा अधर्म करने से स्वयं को रोक पाने में सक्षम होता है।

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मां दुर्गा को आदि शक्ति के रूप में पूजा जाता है इनका पूजन मनुष्य ही नहीं देवताओं के लिए भी गुणकारी है। पृथ्वी पर जब-जब संकट उत्पन्न होता है आसुरी शक्ति देवलोक पर भारी पड़ती है। तब तब देवता देवी शक्ति को जागृत करते हैं।

देवी की पूजा करने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य दीर्घायु आदि का लाभ होता है।

उसके घर में धन वैभव की कमी नहीं रहती। वह दूसरों को आश्रय देने वाला हो जाता है।

इस पृथ्वी पर वह अपमृत्यु रहित सौ से अधिक वर्षों तक जीवित रहता है, फिर देव लोक में आनंद का भागी बनता है। इस नवरात्रि हाथी देवी शक्ति का विधि विधान के साथ अनुष्ठान करें और अपने जीवन में गुणकारी बदलाव को महसूस करें। आपका जीवन सफल सुखद और आनंदमय हो जाएगा।

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नवरात्रि पर निबंध

Essay on Navratri in Hindi: नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है, जिसे वह पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। हम यहां पर नवरात्रि पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में नवरात्रि के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

नवरात्रि पर निबंध | Essay on Navratri in Hindi

नवरात्रि पर निबंध (250 शब्द).

यह हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि में लोग 9 दिन व्रत रखते हैं और आखिरी दिन मां की पूजा करके नौ कन्याओं को भोजन कराते हैं। यह त्यौहार अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। काफी जगह इस दिन लोग गरबा और डांडिया भी खेलते हैं। सब जगह मेले लगते हैं।

कहा जाता है कि इस पर्व के पीछे यह घटना है कि मां दुर्गा ने महिषासुर का 9 दिन के युद्ध के पश्चात वध किया था। इसी उपलक्ष में इस त्यौहार को पूरे 9 दिन तक मनाया जाता है।

नवरात्रि के दौरान हर तरफ मंगलमय आरती की गूंज होती है और पूरा वातावरण भक्ति के आनंद में डूबा रहता है। नवरात्रि के समय मंदिरों में बहुत ज्यादा भीड़ होती है। दूर-दूर से लोग अपनी कुल देवी के दर्शन करने आते है। नवरात्रि के समय लोग घर पर माताजी की चौकी या जागरण भी करवाते हैं। नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और कन्याओं को हलवा पूरी का प्रसाद भी दिया जाता है।

गुजरात में लोग इस त्यौहार को सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाते हैं। महिलाएं और पुरुष पारंपरिक कपड़े पहन कर एक जगह इकट्ठा होकर डांडिया नृत्य और गरबा नृत्य का आयोजन करते हैं।

पश्चिम बंगाल में इस दिन का विशेष उत्सव मनाया जाता है। यहां पर विदेशी लोग भी आते हैं। अनोखे और तरह-तरह के पंडाल लगाए जाते हैं और देवी दुर्गा की मूर्ति की पूजा होती है। आखिरी दिन को रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कुछ लोग हवन इत्यादि भी करवाते हैं।

नवरात्रि पर निबंध (850 शब्द)

नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। कहां जाता है अगर सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा और उपासना की जाए तो वह उसका फल जरूर देती हैं क्योंकि मां अंबे के दिन काफी कठिन होते हैं और इसकी पूजा नियमों का पालन करते हुए करनी होती है।

नवरात्रि कब मनाई जाती है

हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रि 1 वर्ष में 4 बार आती है। चैत्र की नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि, गुप्ता नवरात्रि और पौष नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि, का महीना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस नवरात्रि को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। यह नवरात्रि ज्यादातर अप्रैल के महीने में आती है।

वर्ष में होने वाले 4 नवरात्रों का अर्थ

चैत्र नवरात्रि

हिंदू कैलेंडर के हिसाब से यह नवरात्रि चैत्र के महीने में आती हैं। यह महीना अधिकतर मार्च या अप्रैल का होता है और आखिरी दिन रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।

शारदीय नवरात्रि

यह नवरात्रि अक्टूबर एवं नवंबर के महीने में मनाई जाती है। इसमें भी मां दुर्गा के स्वरूपों की पूजा की जाती है। आठवें दिन बंगाली में दुर्गा अष्टमी के रूप में काफी महत्वपूर्ण तरीके से मनाई जाती है।

गुप्ता नवरात्रि

यह नवरात्रि जून एवं जुलाई के महीने में आती है। हिंदू महीने को आशा के रूप से नामित किया गया है। इन्हें गायत्री नवरात्रि भी कहा जाता है।

पौष नवरात्रि

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक यह नवरात्रि पौष के महीने में ही मनाई जाती है। आमतौर पर यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिसंबर व जनवरी में पड़ता है।

नवरात्रि में नौ देवी की पूजा

नव अर्थात नौ , रात्रि अर्थात रात, इसका मतलब होता है, नो रात को नौ देवियों की पूजा करना। हर दिन अलग-अलग मां दुर्गा के स्वरूप की पूजा की जाती है। जिसे नवदुर्गा भी कहा जाता है। आइए आपको इसके विशेष दिनों के बारे में बताते हैं और मां दुर्गा के नौ रूपों का वर्णन करते हैं।

यह स्वरूप मां दुर्गा का पहला स्वरूप है। जिसे शैलपुत्री कहा जाता है, जो पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री बनकर उत्पन्न हुई थी। शैलपुत्री ने अपने दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प धारण किया हुआ है।

ब्रह्मचारिणी

यह मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है, तप का आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी की पूजा दूसरे दिन की जाती है। इन्होंने बाए हाथ में कमंडल और दाएं हाथ में जप की माला धारण की हुई है।

तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। चंद्रघंटा शांति प्रदान करने वाली व कल्याण करने वाली मां मानी जाती है। चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चांद बना हुआ है, इसीलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।

यह मां दुर्गा का चौथा स्वरूप है। मां कुष्मांडा की आराधना करने से हमें सुख समृद्धि व उन्नति मिलती है।

यह मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। जिनकी नवरात्रि में पांचवे दिन पूजा की जाती है। स्कंदमाता कमल के फूल पर विराजित रहती हैं और सिंह स्कंदमाता का वाहन है।

यह मां दुर्गा का छठा स्वरूप है। छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। यह महर्षि कात्यायन की कड़ी तपस्या के पश्चात उनकी पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थी।

सातवां स्वरूप कालरात्रि का माना गया है। कालरात्रि मां देखने में भयभीत कर देने वाली होती है, परंतु मां कालरात्रि अपने भक्तों पर सदैव शुभ फल देती हैं और यह ग्रहों का सुधार करती हैं।

यह मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। इनकी आराधना आठवें दिन होती है। इस दिन को अष्टमी नाम से भी जाना जाता है।

सिद्धीदात्री

यह मां दुर्गा का नवा स्वरूप कहा गया है। यह अपनी आराधना करने वाले को सिद्धियां प्रदान करती हैं और यह नवरात्रि का अंतिम दिन होता है।

नवरात्रि कैसे मनाते हैं

इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर जगह शुद्धता और पवित्रता का एहसास होता है। नवरात्रि में माता के मंदिर में ज्योति जला कर भक्ति, भजन, कीर्तन करते हैं। जिससे मन प्रफुल्लित रहता है। 9 दिन माता के नौ स्वरूप की उपासना होती है। कुछ भक्त पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं।

पहले दिन ही कलश की स्थापना की जाती है और अखंड ज्योति जलाई जाती है। इस अखंड ज्योति का पूरे 9 दिन तक ध्यान रखा जाता है। इसके पश्चात अष्टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह 9 कन्याएं माता रानी के स्वरूप ही कहलाती हैं।

नवरात्रि व्रत के नियम

  • नवरात्रि के नो दिन व्रत किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है, कि यह 9 दिन बहुत ही पवित्र होते हैं और मां की पूजा करने में कोई भी भूल चूक नहीं होनी चाहिए।
  • पहले ही दिन कलश की स्थापना करके व्रत करने का संकल्प किया जाता है। मां अंबे की पूजा अर्चना सुबह -शाम की जाती है।
  • मां अंबे के प्रसाद को सभी में वितरित किया जाता है।
  • अधिकतर घरों में लोग भजन कीर्तन के साथ ही माता का जागरण भी रखते हैं।
  • नवरात्रि के व्रत में फलाहार ही किया जाता है। इसके पश्चात अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है।
  • कुछ लोग आखिरी दिन पर हवन भी करवाते हैं क्योंकि वह 9 दिन की अखंड ज्योत जलाते हैं।
  • अखंड ज्योत मन्नत मांग कर जलाई जाती है। इस ज्योत में घी या सरसों का तेल प्रयोग किया जाता है और पूरे 9 दिन इस ज्योत का ध्यान रखा जाता है।

मां दुर्गा की नौ स्वरूप की पूजा की जाती है। इस पूजा को करने का बहुत ही अधिक महत्व है। हर स्वरूप हमें कुछ ना कुछ सीख सिखाते हैं। अगर हम हमेशा सकारात्मक सोच रखें सभी का भला करें और अच्छे विचारों का पालन करें, तो माता रानी अपने भक्तों पर सदैव आशीर्वाद बनाए रखती हैं।

आज का आर्टिकल जिसमे हमने आपको  नवरात्रि पर निबंध ( Essay on Navratri In Hindi) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई भी सवाल है। तो वह हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकता है।

  • दशहरा पर निबंध
  • बैसाखी पर निबंध
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नवरात्रि पर निबंध हिंदी में । Navratri Par Nibandh In Hindi

नवरात्रि पर निबंध (Navratri essay in hindi), नवरात्रि एक अनोखा त्यौहार है, जो नौ रातो की होती है। यह त्यौहार एक ऐसा अनोखा त्यौहार है जो साल में दो बार आता है और बहुत धूम धाम से मनाया जाता है । पहली नवरात्रि हिंदी महीने के अनुसार चैत्र में यानि मार्च या अप्रैल में मनाया जाता है और दूसरी नवरात्री अक्टूबर या नवम्बर में मनाया जाता है ।

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो नौ दिनों तक मनाया जाता है। यह पर्व मां दुर्गा की पूजा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत ऊँचा है और यह विभिन्न रूपों में पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है।

नवरात्रि के नौ दिनों का प्रत्येक दिन एक विशेष रूप से मां दुर्गा और उसकी अलग-अलग स्वरूपिणियों को समर्पित किया जाता है। इन दिनों में लोग पूजा, आरती, भजन, व्रत, और भक्ति भाव से गुजरते हैं। नवरात्रि का उद्देश्य न केवल मां दुर्गा की पूजा करना होता है, बल्कि यह एक अवसर है अच्छे कार्यों को करने और बुराइयों से लड़ने का भी।

भारतीय संस्कृति में नवरात्रि का अलग ही महत्त्व है, विशेष रूप से गुजरात और बंगाल में, जहां इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। गुजरात में गरबा और दंडिया रास के नृत्यों की धूम मचती है, जबकि बंगाल में दुर्गा पूजा के पंडाल बनाए जाते हैं और महिलाएं सिंदूर खेलती हैं।

नवरात्रि के नव दिन माँ दुर्गा जी के नव अलग – अलग रूपों में मनाया जाता है, और दसवे दिन दहन करते है जो दशहरा के रूप में मनाया जाता है । नवरात्रि अलग अलग राज्यों के विभिन्न तरीको और विधियों से मनाई जाती है। कोलकाता में माँ दुर्गा जी की पूजा को सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है।

दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है 

माँ दुर्गा जी ने महिषासुर राक्षस का वध किया था । महिषासुर राक्षस को ब्रह्मा जी द्वारा वरदान प्राप्त हुआ था, कि उसे कभी कोई नही मार सकता है । लोग इस राक्षस के अत्याचारों से परेशान थे, जिसमे ब्रम्हा जी भी कुछ नही कर सकते थे, तब जाके के भगवान ब्रम्हा, विष्णु और शिव जी ने अपनी शक्ति से माँ दुर्गा जी की सृष्टि की थी ।

माँ दुर्गा जी के दस हाथ थे और उन्हें सारी शक्ति भी दी गई थी । माँ दुर्गा जी ने नौ दिनों तक महिषासुर राक्षस का मुकाबला किया और दसवे दिन जाकर उस राक्षस का वध किया । माँ दुर्गा जी के इस शक्ति को नवरात्री त्यौहार के रूप में मनाया जाता है ।

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नवरात्री के नौ दिन 

नवरात्री के नौ दिन के प्रकार और कार्य दिए गये है इस प्रकार –

नवरात्री का पहला दिन 

नवरात्रि के पहले दिन को माँ शैलपुत्री के रूप में मनाया जाता है । इनकी पूजा करने से, एक उर्जा प्राप्त होती है, इस उर्जा से लोगो के मन में शांति मिलती है । माँ शैलपुत्री को पहाड़ो की पुत्री भी कहा जाता है ।

नवरात्रि पर निबंध

नवरात्रि का दूसरा दिन 

नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रहमचारिणी के रूप में मनाया जाता है । इस दिन माँ ब्रहमचारिणी की पूजा करते है, इनकी पूजा करने से हमें दुनिया के हर एक मुकाम हासिल करने कि और अपनी एक अलग पहचान बनने की शक्ति मिलती है ।

नवरात्रि पर निबंध

नवरात्रि का तीसरा दिन 

नवरात्रि के तीसरे दिन को माँ चंद्रघंटा के रूप में मानते है । ये देवी माँ चाँद की तरह चमकती है, इसलिए इन्हें माँ चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है । इनकी पूजा करने से मन के सारे नकरात्मक और गलत विचार दूर हो जाते है और गलत विचार आते ही नही है ।

नवरात्रि पर निबंध

नवरात्रि का चौथा दिन 

नवरात्रि के चौथे दिन को माँ कुष्मांडा के रूप में पूजा करते है । ये देवी माँ कृष्मान्डा की पूजा करने से हम उन्नती के राह पर चलते है और हमारे सोचने समझने की शक्ति में वृद्धि होती है ।

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नवरात्रि का पांचवा दिन 

नवरात्री के पांचवे दिन को माँ स्कंदमाता के रूप में पूजा करते है । इन देवी माँ की पूजा करने से हमें अंदरूनी व्यावहारिक ज्ञान विकसित और प्राप्त होता है । इन्हें माँ कार्तिकेय देवी भी कहा जाता है ।

नवरात्रि पर निबंध

नवरात्रि का छठवां दिन

नवरात्रि के छटवे दिन को माँ कात्यायनी के रूप में पूजा करते है । इन देवी की पूजा करने से हमारे अंदर के नकारात्मक सोच दूर होती है, और हम सही मार्ग पर चलना सीखते है ।

नवरात्रि पर निबंध

नवरात्रि का सातवां दिन

नवरात्रि के सातवे दिन को हम माँ कालरात्रि के रूप में मानते है । इन देवी की पूजा करने से हमें अपने जीवन में यश वैभव और वैराग्य प्राप्त होता है । इन्हें और काल का नाश करने वाली देवी के स्वरूप से जाना जाता है ।

नवरात्रि पर निबंध

नवरात्रि का आठवां दिन

नवरात्रि के आठवे दिन को हम माँ महागौरी के रूप में मानते है । इन देवी की पूजा करने से हमें अपनी मनोकामना को पूर्ण करने का वरदान मिलता है । इन्हें सफ़ेद रंग वाली देवी के स्वरूप में भी मन जाता है ।

नवरात्रि पर निबंध

नवरात्रि का नौवां दिन 

नवरात्रि के नौवे दिन को हम माँ सिद्धिदात्री के रूप में मानते है । इन देवी की पूजा करने से हमें ऐसा आशीर्वाद मिलता है जिससे हम अपने सभी कामो को आसानी से कर सके और उनको पूर्ण कर सके ।

नवरात्रि पर निबंध

दशहरा के दिन 

दशहरा इसलिए मानते है, कहते है भगवान राम जी ने अपने भाई लक्ष्मण और हनुमानजी और अपनी पूरी सेना के साथ मिलकर माँ सीताजी को बचाने के लिए रावण से युद्ध किये थे । युद्ध करने से पहले युद्ध में विजय होने के लिए भगवान रामजी ने माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी दिनों तक पूजा की थी ।

नवरात्रि पर निबंध

पुरे नव दिन पूजा करने के बाद दसवे दिन रावण से युद्ध किये थे और उस युद्ध में रावण की मुत्यु हो गई थी । इसलिए दशहरा का त्यौहार भगवान रामजी की विजय और रावण के वध के रूप में मनाया जाता है, और उस दिन रावण का पुतला जला कर ये सिद्ध किया जाता है, की बुराई पे अच्छाई की हमेशा जीत होती है ।

नवरात्रि की पूजा करने की विधि 

अपने घरो में कलश की स्थापना करते है और नव दिन तक दुर्गा पाठ करते है । नवरात्री की नव राते धूमधाम से मानते है । आठवे या नौवे दिन हवन करते है और दसवे दिन कलश का दहन करते है । हर राज्यों में अलग अलग तरीको से ये त्यौहार बनाया जाता है । गुजरात में लोग गरबा करते है ।

नवरात्रि पर निबंध 10 लाइन

  • नवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जिसे नौ रातें और दस दिनों तक मनाया जाता है।
  • यह हिन्दू पंचांग के आश्विन महीने (सितंबर-अक्टूबर) में मनाया जाता है।
  • यह त्योहार देवी दुर्गा की उपासना को समर्पित है, जो नारीशक्ति और शक्ति की प्रतीक हैं।
  • नवरात्रि उन नौ रातों का उत्सव है जब देवी दुर्गा ने राक्षस राजा महिषासुर को परास्त किया था।
  • नवरात्रि के प्रत्येक दिन को नवदुर्गा के रूप में जाना जाता है, जिसे नवदुर्गा कहते हैं।
  • श्रद्धालु नवरात्रि के दौरान उपवास, प्रार्थना और मंत्रों का पाठ करते हैं।
  • कई क्षेत्रों में गरबा और दंडिया रास, परंपरागत लोक नृत्य, उत्सव के हिस्से के रूप में आयोजित किये जाते हैं।
  • नवरात्रि दसमी या विजयदशमी के रूप में समाप्त होती है, जो भगवान राम के रावण पर विजय का उत्सव है।
  • यह अच्छे का बुरे पर विजय और धर्म की वापसी का प्रतीक है।
  • यह न केवल एक धार्मिक त्योहार है बल्कि परिवार सभाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामाजिक एकता के लिए एक आवस्यक समय है।

नवरात्री के रंग 

यह त्योहार नौ दिनों तक मनाया जाता है, और प्रत्येक दिन किसी विशेष रंग से जुड़ा होता है। यहाँ नवरात्रि के प्रत्येक दिन के लिए रंगों की सूची है:

  • प्रथम दिन (पहला): धूसरा
  • द्वितीय दिन (दूसरा): भगवान शक्ति का रंग – भगवान ब्रह्मा और भगवती सरस्वती के लिए आकारण और साक्षात्कार की भावना।
  • तृतीय दिन (तीसरा): श्वेत
  • चतुर्थी दिन (चौथा): लाल
  • पंचमी दिन (पांचवा): रॉयल ब्ल्यू
  • षष्ठी दिन (छठवा): पीला
  • सप्तमी दिन (सातवाँ): हरा
  • अष्टमी दिन (आठवां): मोर पंख का हरा
  • नवमी दिन (नौवां): बैंगनी

ये रंग नवरात्रि के दौरान सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखते हैं, और बहुत से लोग त्योहार के प्रत्येक उपयुक्त दिन पर उसी रंग के कपड़े पहनते हैं।

नवरात्रि का महत्व

यह त्यौहार भारतीय समाज और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जिसे नौ दिनों तक मनाया जाता है। यह त्योहार वर्षा ऋतु के अंत में आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आता है, जो लगभग सितंबर और अक्टूबर के बीच होता है। नवरात्रि का महत्व निम्नलिखित है:

  • देवी दुर्गा की पूजा: नवरात्रि उपासना और पूजा का एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण अंश है। इस अवसर पर भगवती दुर्गा की महिमा और उनके शक्ति स्वरूप की पूजा होती है।
  • भगवती रूपों की प्रतिष्ठा: नवरात्रि के नौ दिनों में, नौ विभिन्न रूपों की देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है।
  • आत्म-शुद्धि और साधना: नवरात्रि व्रत, उपासना और भक्ति का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।
  • धर्मिक उन्नति: नवरात्रि धार्मिक शक्ति की ऊर्जा को स्त्री रूप में मान्य करता है और समाज में धार्मिक उन्नति को प्रोत्साहित करता है।
  • कर्म, भक्ति और ज्ञान का मार्ग: नवरात्रि उपासना का एक मुख्य उद्देश्य अपने शिष्यों को कर्म, भक्ति और ज्ञान का मार्ग दिखाना है।
  • सामाजिक एकता और समरस्ता: इस त्योहार के दौरान समाज में एकता, समरस्ता और भाईचारे की भावना को बढ़ाता है।
  • आध्यात्मिक उत्थान: नवरात्रि का उत्सव आध्यात्मिक विकास और उत्थान के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।
  • विभिन्न सांस्कृतिक प्रक्रियाएं: नवरात्रि भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार की परंपरागत सांस्कृतिक प्रक्रियाएं और नृत्यों का आयोजन करता है।
  • धर्मिक ज्ञान और शिक्षा: नवरात्रि के दौरान धार्मिक ग्रंथों की पठन पाठ की जाती है और विभिन्न धार्मिक विषयों पर शिक्षा दी जाती है।
  • कर्मियता  का विकास: नवरात्रि व्रत और उपासना के माध्यम से व्यक्ति आत्म-समर्पण और निष्कलंकता की दिशा में आगे बढ़ता है और अध्यात्मिक विकास की दिशा में प्रेरित होता है।

नवरात्रि का उद्देश्य

नवरात्रि का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • देवी दुर्गा की पूजा और उपासना: नवरात्रि का प्रमुख उद्देश्य माता दुर्गा की उपासना और पूजा करना है। यह उपासना उनकी शक्तियों और गुणों को प्राप्त करने के लिए होती है।
  • आत्म-साक्षात्कार और आत्म-शुद्धि: नवरात्रि के दौरान व्रत और उपासना से व्यक्ति आत्म-शुद्धि करता है और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर चलता है।
  • धार्मिक उन्नति: नवरात्रि धर्मिक उन्नति के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है और व्यक्ति को धार्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
  • सामाजिक एकता और समरस्ता: नवरात्रि उपासना और पूजा के दौरान समाज में एकता, समरस्ता और भाईचारे की भावना को बढ़ाता है।
  • स्त्री शक्ति की प्रतिष्ठा: नवरात्रि माता दुर्गा की भगवती रूपों की पूजा करने से स्त्रियों की शक्ति और महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी जाती है।
  • आत्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति: नवरात्रि उपासना और भक्ति के माध्यम से व्यक्ति आत्म-समर्पण और निष्कलंकता की दिशा में आगे बढ़ता है और अध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित होता है।

निष्कर्ष 

नवरात्रि का महत्व विश्वास और उत्साह के साथ हिन्दू समाज में माता दुर्गा की उपासना और उनके शक्ति स्वरूप की पूजा करने का है। यह त्योहार धर्मिक उन्नति, आत्म-शुद्धि और सामाजिक एकता को प्रोत्साहित करता है और लोगों को सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। यह एक आध्यात्मिक उत्सव है जो व्यक्ति को अपने आंतरिक शक्तियों को पहचानने और उन्नति करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा, नवरात्रि समाज में समरस्ता, एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ाता है और लोगों को एक सकारात्मक और उत्साही जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।

नवरात्रि एक नौ रातें और दस दिनों का हिन्दू त्योहार है जो मां दुर्गा और उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

नवरात्रि नौ रातें और दस दिनों तक चलता है। यह आमतौर पर हिन्दू पंचांग के माह आश्विन में होता है, जो सितंबर या अक्टूबर महीने में आता है।

नवरात्रि मां दुर्गा की पूजा करने और उनकी कृपा की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है, जो शक्ति, साहस, और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है।

नवरात्रि के उत्सव में उपवास, पूजा, भजन-कीर्तन, नृत्य (जैसे कि गरबा और डांडिया रास), और मां दुर्गा की मूर्ति के लिए भव्य पंडाल बनाना शामिल है।

नवरात्रि भारत भर में मनाई जाती है, लेकिन विशेष रूप से गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, और कर्नाटक जैसे राज्यों में यह बहुत धूमधाम से मनायी जाती है।

नवरात्रि के दौरान उपवास करने से शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है, देवी को समर्पित किया जाता है और संयम और नियंत्रण का अभ्यास किया जाता है।

गरबा और डांडिया रास गुजरात में नवरात्रि के दौरान लोकप्रिय नृत्य रूप हैं। गरबा में महिलाएं वृत्ताकार नृत्य करती हैं, जबकि डांडिया रास में जोड़ों में डंडे लेकर नृत्य किया जाता है।

घरों और पंडालों में रंग-बिरंगी सजावट, फूल, दीपक, और रंगोली जैसे जटिल नक्काशी किए जाते हैं, जो समृद्धि का प्रतीक होते हैं और मां दुर्गा का स्वागत करते हैं।

हां, लोग विशेष पूजा, मंत्रों का पाठ, भोग (भोजन), और मां दुर्गा के नाम में आरती (दीपकों की पूजा) करते हैं।

हां, नवरात्रि धार्मिक मूलों पर होती है, लेकिन यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है जो एकता, आनंद, और संगीत, नृत्य, और समुदाय के रंगीन परंपराओं को प्रोत्साहित करता है।

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नवरात्रि पर निबंध | Essay on Navratri In Hindi

नवरात्रि पर निबंध | Essay on Navratri In Hindi

Table of Contents

Essay on Navratri In Hindi:- नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो मां दुर्गा की पूजा और महान धार्मिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों के रूप में भी मनाया जाता है। इस निबंध में हम नवरात्रि के महत्व, परंपरा, पूजा विधि, और इसके साथ-साथ इसका सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव को विस्तार से जानेंगे।

नवरात्रि का महत्व | Navratri Ka Mahatav

नवरात्रि (Navratri), भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में आयोजित होने वाला एक अहम हिन्दू त्योहार है। यह उत्सव दुर्गा माता की पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो मां शक्ति का प्रतीक हैं। नवरात्रि के दौरान, हिन्दू समुदाय देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके आगमन का स्वागत करते हैं। यह उत्सव चैत्र और आश्विन मास में आयोजित होता है, और इसके दौरान नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।

नवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि इसमें दुर्गा माता के आगमन का चित्रण किया जाता है, जिनके प्रति भक्ति और श्रद्धा का संकेत होता है। दुर्गा माता को शक्ति की देवी माना जाता है और उनकी पूजा से हर बुराई और दुखों का नाश होता है।

नवरात्रि की परंपरा | Navratri Ki Parampra

नवरात्रि (Navratri) का उत्सव भारतीय संस्कृति में एक प्राचीन परंपरा के रूप में माना जाता है। इसका पालन और मनाना हमारे पूर्वजों से आता है और इसे पीढ़ियां-पीढ़ियों तक प्रतिष्ठित रूप से जारी रखा गया है।

नवरात्रि के उत्सव के दौरान, लोग मां दुर्गा की मूर्तियों को तैयार करते हैं और उन्हें अपने घरों और मंदिरों में स्थापित करते हैं। मां दुर्गा की मूर्तियां विशेष ध्यान से सजाई जाती हैं और उन्हें अलंकृत किया जाता है।

नवरात्रि (Navratri) के पांच प्रमुख प्राकृतिक रूप होते हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, और स्कंदमाता, जिन्हें प्रतिदिन कुछ विशेष प्रकार की पूजा की जाती है।

नवरात्रि की पूजा विधि | Navratri Ki Pooja Vidhi

नवरात्रि के दौरान, लोग अपने घरों में पूजा करते हैं और मां दुर्गा का आगमन मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से मनाते हैं। पूजा के दौरान विशेष पूजा सामग्री और धूप, दीपक, फूल, और नवरात्रि के विशेष भोग का आयोजन किया जाता है।

नवरात्रि के दौरान रात्रि के समय, लोग आराधना करते हैं और मां दुर्गा की कहानियाँ सुनते हैं। भजन और कीर्तन भी आम तौर पर आयोजित किए जाते हैं, जिनमें लोग मां दुर्गा की महिमा गाते हैं और उनकी महत्ता को याद करते हैं।

नवरात्रि के आखिरी दिन को ‘विजयादशमी’ या ‘दशहरा’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोग दशहरा का त्योहार मनाते हैं और दुर्गा माता की मूर्तियों को विसर्जन करते हैं।

नवरात्रि का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

नवरात्रि (Navratri) का त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह उत्सव लोगों को एक साथ आने का अवसर प्रदान करता है और सामाजिक एकता की भावना को मजबूत करता है।

नवरात्रि के दौरान, लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं और सामाजिक मिलनसर कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। यह एक ऐसा अवसर होता है जब लोग अपने पुराने और नए दोस्तों के साथ आनंद और खुशियों का साझा करते हैं।

नवरात्रि का उत्सव सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस दौरान लोग गीत, नृत्य, और कला का प्रदर्शन करते हैं और भारतीय संस्कृति की धरोहर को साझा करते हैं।

नवरात्रि के दौरान राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में रास लीला और दंडिया रास का आयोजन किया जाता है, जिनमें लोग गुजराती और राजस्थानी धरोहर को अपनाते हैं।

नवरात्रि के उत्सव के दौरान वस्त्र, गहनों, और उपहारों की खरीदी की भी विशेष प्रवृत्ति होती है। यह विशेष रूप से बाजारों में खुशियों की खरीदारी का समय होता है, और व्यापारी वर्ग के लिए भी यह अच्छा बिक्री का मौका प्रदान करता है।

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नवरात्रि का संदेश | Navratri Ka Sandesh

नवरात्रि का महत्व ही नहीं, यह एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है। यह दिखाता है कि शक्ति और आत्मविश्वास के साथ कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता हमें आपातकाल में मदद कर सकती है।

नवरात्रि के उत्सव के दौरान, लोग मां दुर्गा की पूजा करके उनके साथ जुड़ने का संदेश देते हैं और यह दिखाते हैं कि शक्ति और सहायता कभी भी हमारे पास हैं। यह हमें अच्छे कर्मों की ओर प्रेरित करता है और बुराइयों का नाश करने की प्रेरणा प्रदान करता है।

नवरात्रि हिन्दू समुदाय का महत्वपूर्ण त्योहार है जो हमारी धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। इस उत्सव के दौरान हम मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति का प्रकट करते हैं। यह उत्सव हमें समर्पण और आत्मविश्वास की भावना से भर देता है और हमें सामाजिक और सांस्कृतिक सांघगति का अहम भाग बनाता है। इसके अलावा, यह हमारे समृद्धि और सफलता की दिशा में हमें प्रेरित करता है और बुराइयों के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा प्रदान करता है।

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नवरात्रि पर निबंध (Essay on Navratri in Hindi)

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आज हम बात कर रहे हैं हमारे देश के सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) द्वारा मनाये जाने वाले त्यौहार नवरात्रि की जिसको हमारे देश के साथ विदेशों में रह रहे हिंदू भी हर बार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। आप हमारे इस आर्टिकल से नवरात्रि के त्यौहार का क्या महत्व है, नवरात्रि त्यौहार क्यों मनाया जाता है, नवरात्रि त्यौहार में माँ दुर्गा के किन-किन स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है, नवरात्रि कब-कब मनाया जाता है, इसको मनाने के क्या तरीके हैं नवरात्रि त्यौहार को मनाए जाने की पौराणिक कथाएं क्या है एवं नवरात्रि त्यौहार से जुड़ी बहुत सी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप हमारे इस आर्टिकल को पढ़कर अपने स्कूल/कॉलेज की नवरात्रि पर निबंध प्रतियोगिता में अच्छे से भाग ले सकते हैं और निबंध प्रतियोगिता में उपहार (गिफ्ट) जीत सकते हैं।

नवरात्रि पर निबंध

नवरात्रि त्यौहार प्रति वर्ष मुख्य रूप से दो बार बनाया जाता है, हिंदी महीनों के अनुसार पहला नवरात्रि चैत्र मास में मनाया जाता है तो दूसरा नवरात्रि अश्विन मास में मनाया जाता है। अंग्रेजी महीनों के अनुसार पहले नवरात्रि मार्च/अप्रैल एवं दूसरे नवरात्रि सितम्बर/अक्टूबर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के 9 दिनों तक चलने वाली पूजा अर्चना के बाद दसवें दिन को दशहरा के रूप में बड़े ही जोर शोर से मनाया जाता है। नवरात्रि त्यौहार 9 दिनों तक चलता है और इसमें 9 दिनों तक माँ दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है इसलिए इस त्यौहार का नाम नवरात्रि पड़ा। माँ दुर्गा के इन 9 स्वरूपों में किस दिन किसकी पूजा और उनके दिन के रूप में मनाया जाता है इसका वर्णन निम्नलिखित है –

शैलपुत्री : नवरात्रि के पहला दिन को माँ शैलपुत्री के दिन के रूप में मनाया जाता है और उनकी पूजा अर्चना की जाती है। माँ शैलपुत्री को पहाड़ो की पुत्री भी कहा जाता है। माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना से हमें एक प्रकार की ऊर्जा प्राप्त होती है, इस ऊर्जा का इस्तेमाल हम अपने मन के विकारों को दूर करने में कर सकते हैं।

ब्रह्मचारिणी : नवरात्रि के दूसरा दिन को माँ ब्रह्मचारिणी के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा अर्चना करते हैं। इस स्वरूप की पूजा अर्चना करके हम माँ के अनंत स्वरूप को जानने की कोशिश करते हैं जिससे कि उनकी तरह हम भी इस अनंत संसार में अपनी कुछ पहचान कुछ पहचान बनाने में कामयाब हो सकें।

चंद्रघंटा : नवरात्रि के तीसरे दिन को माँ चंद्रघंटा के दिन के रूप में मनाया जाता है। माँ चंद्रघंटा का स्वरूप चन्द्रमा की तरह चमकता है इसलिए इनको चंद्रघंटा नाम दिया गया। इस दिन हम माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा अर्चना करते हैं। कहते है माँ चंद्रघंटा की पूजा आराधना से हमारे मन में उत्पन्न द्वेष, ईर्ष्या, घृणा और नकारात्मक शक्तियों से लड़ने का साहस मिलता है और इन सभी चीजों से छुटकारा मिलता है।

कूष्माण्डा : नवरात्रि के चौथे दिन को माँ कूष्माण्डा के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम माँ दुर्गा के कूष्माण्डा स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। माँ कूष्माण्डा की पूजा आराधना करने से हमें अपने आप को उन्नत करने अपने मस्तिष्क की सोचने की शक्ति को शिखर पर ले जाने में में मदद मिलती है।

स्कंदमाता : नवरात्रि के पांचवे दिन को माँ स्कंदमाता के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में भी जाना जाता है। स्कंदमाता की पूजा अर्चना करने से हमारे अंदर के व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ाने का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हम व्यावहारिक चीजों से निपटने में सक्षम होते हैं।

कात्यायनी : नवरात्रि के छठवें दिन को माँ कात्यायनी के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम माँ दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। माँ कात्यायनी की पूजा आराधना करने से हमारे अंदर की नकारत्मक शक्तियों का खात्मा होता है और माँ के आशीर्वाद से हमें सकारात्मक मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त होती है।

कालरात्रि : नवरात्रि के सातवें दिन को माँ कालरात्रि के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। माँ कालरात्रि को काल का नाश करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। माँ कालरात्रि की आराधना करने से हमें यश वैभव और वैराग्य की प्राप्ति होती है।

महागौरी : नवरात्रि के आठवें दिन को माँ महागौरी के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। माँ महागौरी को सफ़ेद रंग वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है। माँ गौरी के स्वरूप की पूजा आराधना करने पर हमें अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण होने के वरदान प्राप्त होता है।

सिद्धिदात्री : नवरात्रि के नौवें दिन को माँ सिद्धिदात्री के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। माँ सिद्धिदात्री की पूजा आराधना करने से हमारे अंदर एक ऐसी क्षमता उत्पन्न होती है जिससे हम अपने सभी कार्यों को आसानी से कर सकें और उनको पूर्ण कर सकें।

Also Read: दुर्गा पूजा का महत्व

नवरात्रि त्यौहार मनाये जाने की प्रमुख कथाएं

नवरात्रि का त्यौहार वैदिक युग से पहले से ही बड़े ही हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को शुरू होने के पीछे कुछ प्रचलित कथाएं है जिसकी जिसकी वजह से हम तब से लेकर आज तक इस त्यौहार को मनाते चले आ रहे हैं। कहते हैं कि भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण एवं अपने प्रिय भक्त हनुमान एवं पूरी सेना के साथ मिलकर रावण से युद्ध करने से पहले युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी 9 दिनों तक पूजा अर्चना की थी। 9 दिन पूजा करने के बाद भगवान श्री राम ने दसवें दिन रावण की सेना पर चढाई कर दी और उस युद्ध में रावण को मार दिया। तभी से प्रचलित है कि पहले 9 दिनों को नवरात्रि के रूप में माँ दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है और दसवें दिन रावण का वध होता है इसलिए इसे दशहरा के नाम से जानते हैं। दशहरा के दिन रावण का वध होता है इसलिए इस दिन को अब भी देश में रावण के पुतलों को जलाकर एवं अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में उत्सव मनाया जाता है।

एक अन्य कहानी के अनुसार एक महिषासुर नामक राक्षस ने सूर्य देव, अग्नि देव, वायु देव, स्वर्ग के देवता इंद्र देव सहित सभी देवताओं पर आक्रमण कर उनके अधिकार छीन लिए। चूँकि देवताओं ने पहले महिषासुर को अजेय होने का वरदान दिया था तो कोई भी देवता उसका सामना नहीं कर सका इसलिए सभी देवताओं ने माँ दुर्गा से स्तुति की कि वे महिषासुर राक्षस से युद्ध करें और उसका संहार करके हमें उसके प्रकोप से मुक्त करें। देवताओं की विनती मानते हुए माँ दुर्गा ने महिषासुर से लगातार नौ दिनों तक युद्ध किया और महिषासुर का वध किया। तभी से माँ दुर्गा की नौ दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है और उसको हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ताकि जैसे माँ ने महिषासुर का वध किया वैसे ही माँ दुर्गा हमारे जीवन की बुराइयों को भी खत्म करके हमें अच्छाई के रास्ते पर चलने की प्रेरणा और आशीर्वाद प्रदान करें।

Also Read: दशहरा पर निबंध

नवरात्रि त्यौहार के प्रमुख बिंदु

  • नवरात्रि के त्यौहार को हम नवरात्रि के अलावा नवराते, नवरात्र आदि नामों से भी पुकार सकते हैं। यह त्यौहार हिंदी महीने के अनुसार प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है।
  • नवरात्रि के नौवें दिन को महा नवमी के नाम से भी जाना जाता है।
  • हमारे देश में नवरात्रि त्यौहार को मनाने के लिए सभी राज्यों में जहग-जगह रामलीला का मंचन होता और दसवें दिन राम एवं रावण के युद्ध का मंचन करके रावण का वध किया जाता है और रावण के वध की ख़ुशी में अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में बहुत धूमधाम से पटाखे इत्यादि फोड़कर उत्सव मनाया जाता है।
  • नवरात्रि के त्यौहार में कुछ लोग व्रत रहते हैं और वे केवल पानी पीकर माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कड़ी पूजा अर्चना करते हैं, जैसे हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पुरे नौ दिनों तक केवल पानी पीकर माँ दुर्गा के लिए नवरात्रि के लिए व्रत रखते हैं।
  • नवरात्रि के त्यौहार को बंगाल में एक अलग तरीके से मनाया जाता है। बंगाल के लोग नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा आराधना करने के बाद उनकी प्रतिमा या मूर्ति को जल में प्रवाहित करके उत्सव मनाते हैं।
  • गुजरात के लोग माँ दुर्गा का पंडाल सजाकर उसमें माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते हैं और पुरे नौ दिनों तक भजन कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इसके साथ वे गरबा नृत्य एवं डांडिया का आयोजन करके पुरे नवरात्र उत्सव मनाते हैं।
  • उत्तर भारत में लोग नवरात्रि के अंतिम दिन 9 कन्याओं को देवी के रूप में बुलाकर उनको भोजन कराते हैं एवं उनसे आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  • नवरात्रि में पूजी जाने वाली सभी देवियों में माँ काली के स्वरूप को सबसे उच्च स्थान प्रदान किया जाता है।
  • नवरात्रि त्यौहार के नौ दिनों तक आपको चमड़े की चीजों जैसे पर्स, बेल्ट, जुते इत्यादि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा आराधना करने से माँ के आशीर्वाद स्वरूप हमें एक नई ऊर्जा प्राप्त होती है जिससे हम अच्छाई के मार्ग पर आगे बढ़ सकें।

नवरात्री लेखन हिंदी में

  • नवरात्री पर निबंध

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Essay on Navratri in Hindi | नवरात्रि पर निबंध | Shardiya Navratri 2023

शारदीय नवरात्रि शक्ति की आराधना का पर्व है यह हिंदू धर्म के लोगों का अत्यंत महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि का पर्व अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होकर नवमी तक होता है।

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का पर्व 15 अक्टूबर दिन रविवार से प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार तक रहेगा।

ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि पर्व पर मां भगवती की विधि-विधान और सच्चे मन से पूजा अर्चना करने पर मां प्रसन्न होती हैं, और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

दुर्गा मां को धन व सुख समृद्धि की देवी के रूप में माना जाता है। इस अवसर पर आदिशक्ति मां भगवती की 9 दिनों तक व्रत का पालन करते हुए उपासना की जाती है।

हमारे देश में एक ही वर्ष में दो बार मनाया जाने वाला नवरात्रि का त्यौहार इकलौता पर्व है। यह पर्व ऋतु-संधि के दौरान अर्थात एक बार ग्रीष्म ऋतु शुरू होने के समय पर तथा दूसरी बार शरद ऋतु शुरू होने पर मनाया जाता है।

प्रिय पाठकों ! हमारे इस लेख Essay on Navratri in Hindi | नवरात्रि पर निबंध | Shardiya Navratri 2023 में हम आपके लिए लेकर आए हैं हमारे देश के महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार नवरात्रि पर निबंध।

दोस्तों आगामी परीक्षाओं या विद्यालय में आयोजित होने वाले निबंध और भाषण प्रतियोगिता में यह निबंध आपके लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा ।

आप हमारे इस लेख से नवरात्रि पर निबंध कैसे लिखा जाता है, इस कला को सीख कर अपने विद्यालय में विभिन्न प्रतियोगिताओं तथा परीक्षाओं में इसका प्रयोग करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

तो आइए शुरू करते हैं Essay on Navratri in Hindi | नवरात्रि पर निबंध | Shardiya Navratri 2023, नवरात्रि कब है

Table of Contents

बिन्दु जानकारी
त्यौहार का नामनवरात्रि (शारदीय नवरात्रि)
अन्य नामनौराते, नवरात्र, नवराते
त्यौहार मनाने का समय अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक
2023 में शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर 2023 तक
पर्व मनाने वाले अनुयायी हिन्दू

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Essay on Navratri in Hindi

एक वर्ष में 4 नवरात्रि- 4 Navratri in a Year

चारों नवरात्रि का समयचैत्र, आषाढ़ , अश्विन , माघ
तिथिप्रतिपदा से प्रारंभ होकर नवमी तक

कम लोग ही जानते हैं कि 1 वर्ष में 4 नवरात्रि होती हैं । देवी पुराण के अनुसार प्रति वर्ष क्रमशः चैत्र, आषाढ़ , अश्विन व माघ माह में चार बार नवरात्रि आती हैं, परन्तु इनमें से केवल दो नवरात्रि ( चैत्र एवं अश्विन माह ) का ही विशेष महत्व है । 

इनके अतिरिक्त आषाढ़ तथा माघ माह की शेष दो नवरात्रि गुप्त रहती हैं, इसी कारण अधिकांश लोगों को इनके बारे में जानकारी नहीं है, इसीलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है।

यह दोनों गुप्त नवरात्रि गृहस्थों के लिए नहीं होती । इन दो गुप्त नवरात्रि में ऋषि मुनि व तांत्रिक पूजा अर्चना तथा साधना करते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह दोनों गुप्त नवरात्रि जून-जुलाई और जनवरी-फरवरी में आती हैं।

यहाँ हम आपको केवल चैत्र व शारदीय नवरात्रि के बारे में बता रहे हैं। शेष नवरात्रि की विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें –

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चैत्र नवरात्रि – Chaitra Navratri

चैत्र नवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष के प्रथम मास अर्थात् चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि ( पहली तिथि ) से आरंभ होती है, और 9 दिन अर्थात् नवमी तक चलती है।

चैत्र मास में मनाए जाने के कारण इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है । इन्हें वासंतीय नवरात्र भी कहा जाता है। अंग्रेज़ी कैलेंडर के हिसाब से यह पर्व प्रत्येक वर्ष मार्च अथवा अप्रैल के महीने में मनाया जाता है । 

शारदीय नवरात्रि – Shardiya Navratri

हिन्दू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि अश्विन मास में आती है । अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि आरंभ होती है, और नवमी तिथि तक चलती हैं।

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सितंबर अक्टूबर में आने वाली यह नवरात्रि मुख्य नवरात्रि के रूप में मनाई जाती है।

इस नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता हैं। नवरात्रि की नवमी तिथि के पश्चात दशमी तिथि को दशहरा अथवा विजयदशमी पर्व के रूप में सम्पूर्ण देश में बड़ी धूम और हर्सोल्लास से मनाते हैं।

नवरात्रि का इतिहास – History of Navratri / नवरात्रि पर्व क्यों मनाते हैं ? Why Navratri is Celebrated ?

प्रथम मान्यता –.

नवरात्रि में आदिशक्ति मां भगवती के नौ रूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि का आरंभ कैसे हुआ इस प्रश्न को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं हैं-

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प्रथम मान्यता के अनुसार भगवान राम के द्वारा लंका के राजा रावण का वध कराने हेतु देव ऋषि नारद जी ने भगवान श्रीराम से इस व्रत को करने का अनुरोध किया था।

यह व्रत पूर्ण होने के पश्चात श्रीराम ने लंकापति रावण के साथ युद्ध किया और अंततः उसका वध किया। ऐसा माना जाता है कि तभी से कार्य सिद्धि के लिए लोग इस व्रत का पालन करते हैं।

द्वितीय मान्यता –

एक दूसरी मान्यता के अनुसार मां भगवती ने महिषासुर नाम के असुर का संहार करने के लिए प्रतिपदा के दिन से नवमी तक अर्थात 9 दिनों तक उसके साथ युद्ध किया और अंत में नवमी की रात्रि को उस राक्षस का संहार किया।

इसलिए मां दुर्गा को ‘महिषासुरमर्दिनी’ भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तभी से आदि शक्ति मां दुर्गा की शक्ति को समर्पित यह नवरात्र के व्रत किए जाते हैं।

शारदीय नवरात्रि 2023 की तिथि व मुहूर्त/ नवरात्रि कब है – Shardiya Navratri 2023 Date and Muhurt

वर्ष 2023 में शारदीय नवरात्रि की तिथि व मुहूर्त निम्न प्रकार हैं –

बिन्दु जानकारी
शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर 2023 तक
अश्विन शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा प्रारंभ 14 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार रात्रि 11:24 से  
अश्विन शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा समापन   16 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार प्रातः 12:32 बजे
घटस्थापना तिथि15 अक्टूबर 2023, रविवार
घटस्थापना का मुहूर्तप्रातः 06:30 से प्रातः 08: 47 तक
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त15 अक्टूबर प्रातः 11:48 से दोपहर 12:36 तक
अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:48 से दोपहर 12:36 तक   
महा अष्टमी 3 अक्टूबर 2022, सोमवार
महा नवमी 4 अक्टूबर 2022, मंगलवार

8 या 9 कितने दिन के होंगे शारदीय नवरात्रि 2023-

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर दिन रविवार से प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार तक होंगे अर्थात् इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिन मनाई जाएगी । इस वर्ष किसी भी तिथि का क्षय नहीं है ।

2023 में शारदीय नवरात्रि की तिथियाँ व माँ दुर्गा के रूप –

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की तिथियाँ निम्न प्रकार हैं –

तारीख तिथि दिन माँ का स्वरूप
15 अक्टूबर 2023प्रतिपदा/पहला दिनरविवार घटस्थापना, माँ शैलपुत्री का दिन व पूजा
16 अक्टूबर 2023द्वितीया/दूसरा दिनसोमवार माँ ब्रह्मचारिणी का दिन व पूजा
17 अक्टूबर 2023तृतीया/तीसरा दिनमंगलवार माँ चंद्रघंटा का दिन व पूजा
18 अक्टूबर 2023चतुर्थी/चौथा दिनबुद्धवार माँ कूष्माण्डा का दिन व पूजा
19 अक्टूबर 2023पंचमी/पाँचवाँ दिनगुरुवार माँ स्कन्दमाता का दिन व पूजा
20 अक्टूबर 2023षष्ठी/छठा दिनशुक्रवार माँ कात्यायनी का दिन व पूजा
21 अक्टूबर 2023सप्तमी/सातवाँ दिनशनिवार माँ कालरात्रि का दिन व पूजा
22 अक्टूबर 2023 /आठवाँ दिनरविवार माँ महागौरी का दिन व पूजा
23 अक्टूबर 2023 /नौवां दिनसोमवार माँ सिद्धिदात्री का दिन व पूजा/नवरात्र व्रत पारण
24 अक्टूबर 2023दशमीं/दसवां दिनमंगलवार माँ दुर्गा विसर्जन/

नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण – Scientific Reason Behind Navratri

Essay on Navratri in Hindi | नवरात्रि पर निबंध | Shardiya Navratri 2023 के इस लेख में आज हम आपको ये बताएंगे कि नवरात्रि त्यौहार को मनाने के पीछे केवल धार्मिक आस्था ही नहीं अपितु सबल वैज्ञानिक आधार भी है। जिसको हम इस प्रकार समझ सकते हैं।

पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा पूरा करने में 1 वर्ष का समय लेती है और इस 1 वर्ष में 4 ऋतु-संधियाँ ( दो ऋतुओं के मिलन का समय ) पड़ती हैं। इनमें से दो बार मार्च व सितंबर में साल की दो महत्वपूर्ण नवरात्रि आती हैं।

चूँकि ऋतु परिवर्तन के समय रोगाणुओं के आक्रमण की संभावना प्रबल होती है अतः ऋतु-संधि के समय अक्सर बीमारियां बढ़ती हैं ।

नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक लगभग सभी लोग बड़ी संख्या में घर पर हवन आदि करते हैं, वातावरण में व्याप्त समस्त रोगाणु को हवन से निकलने वाला धुआँ नष्ट करता है, तथा वातावरण को रोगाणु मुक्त व शुद्ध करता है।

इस प्रकार यह बात सिद्ध होती है कि साल में दो बार नवरात्रि का आयोजन, ठीक ऋतु परिवर्तन के समय करने का वैज्ञानिक आधार है।

नवरात्रि में माँ के नौ स्वरूप –

नवरात्रि के हर दिन मां भगवती के एक अलग स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है । आइए जानते हैं साधक किस दिन मां के किस स्वरूप की उपासना करते हैं –

माँ शैलपुत्री – ( पहला दिन )

मां दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनको शैलपुत्री कहा जाता है।

मां शैलपुत्री वृषभ पर आरूढ़ हैं तथा दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प धारण किए हुए हैं। शैलपुत्री माता नवदुर्गाओं में सर्वप्रथम दुर्गा हैं ।

नवरात्रि में पहले दिन शैलपुत्री माँ की ही पूजा की जाती है। पहले दिन साधक स्वयं के मन को “मूलाधार” चक्र में स्थित रखते हैं, और पहले दिन से ही उनकी योग साधना शुरू होती है।

माँ ब्रह्मचारिणी – ( दूसरा दिन )

मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरा स्वरूप है ब्रह्मचारिणी का। “ब्रह्म” शब्द का अर्थ तपस्या से है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है तप की चारिणी अर्थात् तप का आचरण करने वाली। इनके बाएं हाथ में कमंडल और दाएं हाथ में जप की माला रहती है।

मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल प्रदान करने वाला है । दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ” स्वाधिष्ठान” चक्र में स्थित होता है।

माँ चंद्रघण्टा – ( तीसरा दिन )

मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघण्टा है। नवरात्र के तीसरे दिन इन्हीं का पूजन व आराधना की जाती है।

इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इसी कारण इस देवी का नाम चंद्रघण्टा पड़ा। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है तथा इनका वाहन सिंह है।

माँ कूष्माण्डा – ( चौथा दिन )

माता दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है। अपनी मंद और हल्की हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कूष्माण्डा पड़ा।

माता कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। साधक का मन इस दिन “अनाहज” चक्र में स्थित होता है ।

माँ स्कन्दमाता – ( पाँचवाँ दिन )

मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता कहा जाता है। यह भगवान स्कन्द (कुमार कार्तिकेय ) की माता होने के कारण स्कन्दमाता के नाम से जानी जाती हैं। इनकी उपासना नवरात्रि के पांचवे दिन की जाती है।

इस दिन साधक का मन “विशुद्ध” चक्र में स्थित रहता है। इनका वर्ण शुभ्र है, यह कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसीलिए ये पद्मासना भी कहलाती हैं, स्कंदमाता का भी वाहन सिंह है।

माँ कात्यायनी- ( छठा दिन )

मां दुर्गा के छठे स्वरूप को कात्यायनी कहते हैं। कात्यायनी महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छा के अनुसार उनके घर में पुत्री के रूप में पैदा हुई थी।

महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी उपासना की थी इसी कारण यह कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हैं। दुर्गा पूजा के छठे दिन इनके स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन “आज्ञा चक्र” में  स्थित रहता है।

माँ कालरात्रि- ( सातवाँ दिन )

दुर्गा माँ के सातवें दिन के स्वरूप को माँ कालरात्रि कहते है। इनका स्वरूप देखने में अत्यधिक भयानक है परन्तु माँ कालरात्रि हमेशा शुभ फल देती हैं, इसीलिए माँ के इस स्वरूप को शुभंग्करी भी कहते हैं।

नवरात्रि व्रत के सातवें दिन इनकी पूजा की जाती है। नवरात्रि के सातवें दिन व्यक्ति का मन “सहस्रार” चक्र में उपस्थित रहता है। कालरात्रि माता ग्रह बाधाओं को दूर कर दुष्टों का संहार करती हैं।  

माँ महागौरी- ( आठवाँ दिन )

दुर्गा माँ के आठवें स्वरूप को महागौरी माँ के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि में अष्टमी के दिन महागौरी माता की पूजा-अर्चना की जाती है ।

महागौरी माता अमोघ शक्ति से पूर्ण और सद्यः फल देने वाली है। इनकी पूजा-अर्चना करने से साधकों के सभी पापों का विनाश होता हैं।

माँ सिद्धिदात्री- ( नौवां दिन )

मां दुर्गा के नौवें स्वरूप को माता सिद्धिदात्री कहते हैं। जैसा कि नाम से ही प्रकट है यह सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं।

सिद्धिदात्री माता नवदुर्गाओं में अंतिम दुर्गा हैं। साधकों की समस्त मनोकामनाएं माता सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना के बाद पूर्ण हो जाती हैं।

नवरात्रि की पूजा विधि तथा सामग्री- Navratri Puja Vidhi and Samagri

माता दुर्गा के साधक भक्तों को स्नान करके शुद्ध होकर, वस्त्र धारण करके पूजा स्थल को सजाना चाहिए। पूजा मंडप में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।

मूर्ति के दाएं और कलश स्थापना करनी चाहिए। पूजन में सबसे पहले श्री गणेश भगवान की पूजा करके बाद में मां जगदंबा का पूजन करना चाहिए।

पूजा सामग्री के लिए पान, सुपारी, लौंग , इलायची, आसन, जल, गंगाजल, रेशमी वस्त्र, उप वस्त्र, नारियल, चंदन, रोली, कलावा, अक्षत, पंचामृत, दूध, दही, घी , शहद, शक्कर, ऋतु फल, चौकी, पूजन पात्र आरती, कलश,  पुष्प, पुष्पमाला, धूप, दीप, नेवैद्य आदि सामान एकत्र करना चाहिए।

नवदुर्गा की प्रार्थना करने से पहले मस्तक पर भस्म, चंदन , रोली का टीका लगाना चाहिए। नवदुर्गा की प्रार्थना के पश्चात कवच का पाठ करना चाहिए।

इसके बाद अर्गला और कीलक का पाठ करना चाहिए। तत्पश्चात रात्रि सूक्त का पाठ करना चाहिए। और इसके बाद सप्तशती का पाठ प्रारंभ करना चाहिए।

नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना विधि –

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना हेतु निम्नलिखित कार्य करने चाहिए –

  • नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा-स्थल को स्वच्छ कर लेना चाहिए।
  • कलश को गंगाजल से शुद्ध करके ही कलश स्थापना करनी चाहिए और उसके बाद ही माँ का आह्वान करना चाहिए ।
  • नवरात्रि के प्रथम दिन कलश की स्थापना करके सबसे पहले गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए ।
  •  कलश में गंगाजल भरकर पूजा-वेदी पर स्थापित करते हैं और उसे आम के पत्तों से सजाते हैं और हल्दी की गांठ , दूर्वा घास व सुपारी रखनी चाहिए ।
  •  सर्वप्रथम मिट्टी की एक वेदी बनानी चाहिए फिर उसमें जौं बोने चाहिए, फिर  उसके ऊपर कलश को स्थापित करना चाहिए ।
  • कलश स्थापित करने के बाद उस पर कलावा बांधना चाहिए ।
  • नारियल में लाल चुनरी लपेटकर कलश के मुख पर रखनी चाहिए ।
  • रोली का प्रयोग करके कलश पर एक स्वास्तिक बनाना चाहिए ।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त – Shardiya Navratri 2023-

घट स्थापना मुहूर्त 15 अक्टूबर 2023, रविवार को प्रातः 06:30 से प्रातः 08: 47 तक

शारदीय नवरात्रि का महत्व – Significance of Shardiya Navratri

Essay on Navratri in Hindi | नवरात्रि पर निबंध | Shardiya Navratri 2023 लेख में हम जानेंगे कि शारदीय नवरात्रि का मनुष्य की आत्माशुद्धि और मोक्ष के लिए विशेष महत्व है । 

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो प्रत्येक नवरात्रि का अपना आध्यात्मिक महत्व है, क्योंकि यह पुरुष और प्रकृति के संयोग का समय है। प्रकृति को मातृशक्ति माना जाता है इसीलिए नवरात्र में माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है।

मनुष्य अपनी हर प्रकार की इच्छाओं को पूरा करने के उद्देश्य से नौ दिनों तक व्रत करता है इन दिनों दैविक शक्तियां उसकी इन कामनाओं को पूरा करने में सहायता करती हैं,  इसी कारण से नवरात्रि का आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी नवरात्रि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि सूर्य 12 राशियों में भ्रमण पूरा करने के पश्चात पुनः अगला चक्र पूर्ण करने हेतु फिर से पहली राशि ( मेष ) में प्रवेश करते हैं। और इस दौरान सूर्य का नयी राशि में परिवर्तन होता है।

सूर्य और मेष दोनों का ही तत्व अग्नि है अतः दोनों के संयोग से गर्मी का आरंभ हो जाता है। नवरात्रि अर्थात चैत्र मास से ही नये पंचांग की शुरुआत होती है।

अतः आगामी जीवन को खुशहाल बनाने के लिए माँ दुर्गा की पूजा  से नए वर्ष की शुरुआत की जाती है।

धार्मिक दृष्टिकोण से नवरात्रि का बिल्कुल अलग ही महत्व माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस समयावधि में आदिशक्ति मां भगवती स्वयं पृथ्वी पर विचरण कर रही होती हैं नवरात्रि  की पूजा अर्चना से मनुष्य को अन्य दिनों की अपेक्षा शीघ्र फल की प्राप्ति हो जाती है।

नवरात्रि के धार्मिक महत्व के लिए एक और महत्वपूर्ण मान्यता यह है कि श्री ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण का कार्य इसी दिन प्रारंभ किया था, क्योंकि नवरात्रि के प्रथम दिन आदिशक्ति मां भगवती प्रकट हुई थी ।

नवरात्रि त्योहार के बारे में 9 लाइन -9 Lines about Navratri Festival

  • नवरात्रि को लोग नवराते, नवरात्र, नौराते,  आदि दूसरे नामों से भी पुकारते हैं।
  • नवरात्रि का आठवां  दिन महा अष्टमी तथा नौवां दिन महा नवमी कहलाता है।
  • नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों रूपों की पूजा-अर्चना का विधान है, इनमें माँ काली के स्वरूप को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • नवरात्रि में 8 दिन तक लगातार उपवास करते हैं फिर 9 वें दिन व्रत का पारण करते हैं, और 9 छोटी कन्याओं को मां दुर्गा की मान्यता देते हुए भोजन कराकर उन्हें उपहार देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
  • गुजरात में नवरात्रि पर दुर्गा माँ के सुंदर पंडाल लगाकर उनमें माता की प्रतिमा स्थापित की जाती हैं तथा 9 दिनों तक माँ दुर्गा का गुणगान कीर्तन, भजन,  इत्यादि कार्यक्रम होते हैं और गरबा, डांडिया नृत्य का होता है।
  • बंगाल में दुर्गा पूजा बड़ी धूम-धाम से की जाती है, फिर माता की मूर्ति का जल में विसर्जन किया जाता है।
  • नवरात्र में कुछ लोग दिन में एक लौंग खाकर या पूरे नौ दिन तक केवल पानी पीकर कठोर व्रत धारण करते हुए दुर्गा माँ की साधना करते हुए उन्हें प्रसन्न करते हैं।
  • हमारे प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी केवल जल ग्रहण करते हुए संपूर्ण नवरात्रि ( 9 दिनों तक ) व्रत धारण करते हैं।
  • नवरात्रि के 9 दिनों तक पूजा अर्चना व भजन-कीर्तन करते हुए बहुत ही सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहिए तथा चमड़े के जूते, बेल्ट, पर्स, आदि नहीं पहनने चाहिए।

नवरात्रि व्रत के महत्वपूर्ण नियम –

नवरात्रि में व्रत धारण करने वाले साधकों के लिए कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है, ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण नियम यहां दिए गए हैं –

  • नवरात्रि के 9 पवित्र दिनों में व्रत धारण करने वाले साधकों से माँ दुर्गा की साधना में कोई भूल नहीं होनी चाहिए और सभी विधि-विधान का सख्ती से पालन होना चाहिए।
  • नवरात्रि के प्रथम दिन अपना करके व्रत प्रारंभ किया जाता है और मां शेरावाली की सुबह-शाम पूजा अर्चना की जाती है।
  • ज्यादातर परिवारों में रोज शाम को लोग घर में मां दुर्गा के भजन गाते हैं, जबकि कुछ लोग नवरात्रि में माँ शेरावाली के जागरण भी कराते हैं।
  • नवरात्रि में व्रत रखने वाले साधक व्रत में कूटू के आटे से बनी व्रत सामग्री व भोजन को ग्रहण करते हैं, जबकि कुछ लोग नवरात्र के दिनों में फलाहार करते हैं।
  • कुछ परिवारों में नवरात्रि के दिनों में अखंड ज्योत जलाई जाती है इस ज्योत में देशी घी अथवा तिल के तेल का प्रयोग किया जाता है।
  • कुछ परिवारों में माता की अखंड ज्योत जलाई जाती है, वहाँ  इस बात का ध्यान रखा जाता है कि अखंड ज्योत किसी भी तरह बुझनी नहीं चाहिए।
  • नवरात्रि के दौरान साधकों को ब्रह्मचर्य का पालन करना करते हुए व्रत व साधना करनी चाहिए।
  • प्रत्येक परिवार में अपनी परंपरा के अनुसार महा अष्टमी या महा नवमी के दिन छोटी कन्याओं को भोजन कराया जाता है, और इस प्रकार नवरात्रि के व्रत का समापन किया जाता है।

निष्कर्ष – Conclusion

नवरात्रि के पर्व पर लोग कठिन साधना करते हुए व्रत लेते हैं तथा दुर्गा माँ के 9 स्वरूपों की साधना  करते हैं। नवरात्र में इस पूजा को करने का बहुत अधिक महत्व है, माता के हर स्वरूप से हमें कुछ प्रेरणा मिलती है।

इन दिनों सच्चे मन से, निस्वार्थ भाव से माता की उपासना करने पर माता रानी अपने भक्तों पर अवश्य प्रसन्न होती हैं तथा उन पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं ।

प्रश्न – शारदीय नवरात्रि 2023 कब है ?

उत्तर – इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर दिन रविवार से प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार तक है।

प्रश्न – नवरात्रि एक वर्ष में कितनी बार आती है ?

उत्तर – 4 बार  

प्रश्न – शारदीय नवरात्रि 2023 घट स्थापना मुहूर्त कब है ?

उत्तर – शारदीय नवरात्रि घट स्थापना शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर 2023, रविवार को प्रातः 06:30 से प्रातः 08: 47 तक है।

प्रश्न – नवरात्रि कब से है ?

उत्तर – शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023, रविवार से प्रारंभ होगी।

हमारे शब्द –

दोस्तों ! आज के इस लेख Essay on Navratri in Hindi | नवरात्रि पर निबंध | Shardiya Navratri 2023 में हमने आपको नवरात्रि के पर्व के बारे में वृहत जानकारी उपलब्ध कराई है।

हमें पूर्ण आशा है कि Essay on Navratri in Hindi में आपको यह जानकारी और लेख अवश्य पसंद आया होगा। यदि आप में से किसी भी व्यक्ति को इस लेख से संबंधित कुछ जानकारी अथवा सवाल पूछना हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं।

मित्रों ! आपको हमारे लेख तथा उनसे संबंधित विस्तृत जानकारी कैसी लगती है इस बारे में हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखते रहें, दोस्तों जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि आपकी समालोचना ही हमारी प्रेरणा है। अतः कमेंट अवश्य करें।

अंत में – हमारे आर्टिकल पढ़ते रहिए , हमारा उत्साह बढ़ाते रहिए , खुश रहिए और मस्त रहिए।

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34 thoughts on “Essay on Navratri in Hindi | नवरात्रि पर निबंध | Shardiya Navratri 2023”

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नवरात्रि त्यौहार पर निबंध- Essay on Navratri in Hindi

In this article, we are providing information about Navratri Festival in Hindi- Short Essay on Navratri in Hindi Language. नवरात्रि पर निबंध

नवरात्रि त्यौहार पर निबंध- Essay on Navratri in Hindi

भारत पर्वों का देश है जहाँ पर सभी त्योहार बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं। नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है जो एक वर्ष में दो बार मनाया जाता है। यह चैत्र और आषाढ़ माह में मनाया जाता है जो कि लगभग हर साल मार्च और अक्टुबर के माह में ही आता है। नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें जिनमें दुर्गा देवी के नौ रूपो की पूजा की जाती है। यह दोनों माह कि प्रतिपदा से नवमी तक चलता है। इसका अंतिम दिन दशमी का होता है जिस दिन दशहरा होता है।

नवरात्रि मनाने की शुरूआत श्रीराम ने समुद्र के किनारे पर की गई थी। उन्होंने नौ दिन देवी की पूजा की और दशवे दिन रावण से युद्द किया था। नवरात्रि के दिनों में सुबह शाम आरती की जाती है और औरते व्रत भी रखती है। गुजरात में नवरात्रि का पर्व बहुत ही अच्छे से मनाया जाता है और लोगों के द्वारा गरबा और डांडिया खेला जाता है। नवरात्रि के समय पर जगह जगह मेले लगाए जाते हैं और लोग बड़ी दुर दुर से अपनी कुल देवी के दर्शन करने के लिए जाते हैं। नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है। नवरात्रि मनाने के पीछे एक प्रचलित कथा यह है कि नौं रातों को युद्द के पश्चात माँ दुर्गा मे महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। यह त्योहार असत्य पर सत्य की जीत के रूप में भी मनाया जाता है।

नवरात्रि का पर्व भारत के सभी कोनों में मनाया जाता है। इस पर्व पर पूरा वातावरण भक्ति और श्रदा से ओतप्रोत हो जाता है। दुर्गा दुखों को हरने वाली देवी है और नवरात्रि में इनकी पूजा करने से लोगों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उनके जीवन में खुशियों का आगमन होता है। नवरात्रि का पर्व सबके जीवन को खुशी और समृद्दि से भर जाता है।

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