मेरे बचपन की यादों पर निबंध – 10 lines (Childhood Memories Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

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Childhood Memories Essay in Hindi –  यादें सबसे महत्वपूर्ण चीज़ों में से एक हैं जिन्हें हम जीवन भर संजोकर रख सकते हैं। वे हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं क्योंकि हमारा सारा ज्ञान और पिछले अनुभव वहीं संग्रहीत होते हैं। यादें अच्छी और बुरी दोनों हो सकती हैं. या तो बहुत पहले की या हाल के अतीत की यादें हैं। Childhood Memories Essay हमारे कठिन समय में, हम अपनी यादों को याद करके कुछ ताज़गी पा सकते हैं। इन यादों की मदद से हम अपना जीवन सुचारु रूप से चला सकते हैं। यादें हमारी कई तरह से मदद करती हैं। हम पिछली गलतियों से खुद को सुधार सकते हैं। बचपन की यादें हम सभी के लिए अनमोल होती हैं। वे बुढ़ापे में भी हमें मुस्कुराते हैं। 

बचपन की यादें निबंध 10 पंक्तियाँ (Childhood Memories Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) बचपन हमारे जीवन का सबसे छोटा समय है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण भी है।
  • 2) हम सभी के पास बचपन की बहुत सारी अच्छी यादें होती हैं।
  • 3) बचपन की यादें हमें उन सभी गलतियों को ठीक करने में मदद करती हैं जो हमने अतीत में की हैं।
  • 4) बचपन हमारे जीवन का सबसे मासूम हिस्सा है।
  • 5) जीवन के सभी पड़ावों में से सबसे खूबसूरत पड़ाव बचपन है।
  • 6) वे हमें हमारी गलतियों से सीखते हैं और बेहतर बनने में मदद करते हैं।
  • 7) बचपन की यादें हमारे भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • 8) हमारे बचपन की यादों से हमारा व्यक्तित्व और स्वभाव बहुत प्रभावित होता है।
  • 9) जिन लोगों के पास अपने बचपन की अच्छी यादें होती हैं वे खुश रहते हैं।
  • 10) बचपन के वो दिन कभी वापस नहीं आएंगे, लेकिन हम उन्हें याद कर सकते हैं

मेरे बचपन की यादों पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on My Childhood Memories in Hindi)

बचपन की यादें हमेशा हमारे चेहरे पर मुस्कान लाती हैं क्योंकि उनमें छिपी मासूमियत होती है। जब लोग इन यादों के बारे में सोचते हैं और चर्चा करते हैं तो उन्हें ख़ुशी होती है।

मेरी बचपन की सबसे मजबूत यादों में से एक है अपने सबसे अच्छे दोस्त के साथ पार्क में खेलना। हम वहां घंटों दौड़ते, झूलों और स्लाइडों पर खेलते हुए बिताते थे। जब हम हँसते और एक-दूसरे का पीछा करते तो सूरज हम पर गिरता और हमारी हँसी अब भी मेरे दिमाग में गूँजती। हम टैग और लुका-छिपी के खेल भी खेलते थे और हमेशा मजा करते थे। मुझे याद है कि मैं उन पलों में बिना किसी चिंता के कितना लापरवाह और खुश महसूस करता था। मेरे सबसे अच्छे दोस्त के साथ पार्क में खेलने की ये यादें शुद्ध आनंद और मासूमियत की भावनाओं को वापस लाती हैं, और मैं इन्हें हमेशा अपने बचपन की सबसे प्यारी यादों में से कुछ के रूप में संजोकर रखूंगा।

मेरे बचपन की यादों पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on My Childhood Memories in Hindi)

याददाश्त हमारे जीवन का एक दिलचस्प और महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब मैं अपने बचपन पर नजर डालता हूं तो मुझे कई कहानियां याद आती हैं। कुछ मुझे खुश करते हैं, और अन्य मुझे सीखने और बढ़ने में मदद करते हैं।

मेरे दादा-दादी के यहाँ ग्रीष्म ऋतु

मेरी बचपन की सबसे प्यारी यादों में से एक है ग्रामीण इलाके में अपने दादा-दादी के घर पर गर्मियाँ बिताना। घर के चारों ओर हरे-भरे खेत और ऊँचे-ऊँचे पेड़ थे, और मुझे अपने चचेरे भाइयों के साथ खेतों और जंगलों में रोमांच पर जाना बहुत पसंद था। हम छुपन-छुपाई खेलने, किले बनाने और रात में जुगनुओं को पकड़ने में घंटों बिताते थे।

मेरे दादाजी हमेशा आसपास रहते थे, बगीचे की देखभाल करते थे या किसी नए प्रोजेक्ट पर काम करते थे। उन्होंने मुझे सिखाया कि पास की जलधारा में मछली कैसे पकड़नी है, और हम घंटों एक साथ किनारे पर बिताते, बातें करते और शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद लेते।

मेरे दादा-दादी के घर में हंसी और खुशी से भरे दिन हमेशा के लिए लंबे हो गए। घर हमेशा ताज़ी पके हुए माल की खुशबू से भरा रहता था, और मेरी दादी रसोई में स्वादिष्ट भोजन बनाने में घंटों बिताती थीं। मैं शांतिपूर्ण ग्रामीण इलाकों में अपने दादा-दादी और चचेरे भाइयों के साथ समय बिताने की इन यादों को हमेशा संजोकर रखूंगा। वे जीवन की सरल खुशियों की याद दिलाते हैं और मुझे उन लोगों और अनुभवों के लिए आभारी बनाते हैं जिन्होंने मुझे उस व्यक्ति के रूप में आकार दिया है जो मैं आज हूं।

मेरे बचपन की यादों पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on My Childhood Memories in Hindi)

याददाश्त हमारे जीवन का एक दिलचस्प और महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम अपने जीवन के बारे में जो बातें सबसे ज्यादा याद रखते हैं, वे हमारे बचपन की बातें हैं। हम उन कामों को कभी नहीं भूल सकते जो हमने बचपन में किए थे।

मेरे बचपन की यादें

जब मैं अपने बचपन के बारे में सोचता हूं तो मुझे बहुत सारी कहानियां याद आती हैं। उनमें से कुछ मुझे खुश करते हैं, जबकि अन्य मुझे सीखने और बढ़ने में मदद करते हैं। मुझे लगता है कि मेरी किंडरगार्टन स्मृति वह है जो मेरे साथ सबसे अधिक चिपकी हुई है। मुझे आज भी अपने स्कूल का पहला दिन याद है। मैं स्कूल न जाने पर बहुत रोया। मेरी मां मुझे स्कूल ले गईं और ढेर सारी चॉकलेट दीं ताकि मैं रोऊं नहीं. मैं बहुत परेशान था लेकिन मेरे शिक्षक ने मुझे थोड़ा प्यार दिखाया और मैंने उस दिन का आनंद लिया। मैंने कई नए दोस्त बनाए और उस दिन से मुझे हर दिन स्कूल जाना अच्छा लगने लगा।

बचपन की यादों की जरुरत

जो चीज़ें हम बचपन से याद करते हैं वे वयस्क होने पर हमारे लिए महत्वपूर्ण होती हैं। हमारा बचपन हमारे बड़े होने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। लोग कहते हैं कि बचपन जीवन का सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि हमें किसी बात की चिंता नहीं होती। बचपन की यादें हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमारे चरित्र और व्यक्तित्व के निर्माण में मदद करती हैं। बचपन की यादें अनुशासित रहना और जीवन में सही दृष्टिकोण रखने जैसी अच्छी आदतों से भी बहुत कुछ जुड़ी हुई हैं।

प्रत्येक बच्चे के पास अपने बचपन की एक विशेष स्मृति होती है जिसके बारे में वे हमेशा सोचते या याद रखते हैं। जब हम अच्छे समय के बारे में सोचते हैं, तो हमें खुशी और खुशी महसूस होती है। दूसरी ओर, जब हम अपने साथ हुई बुरी चीजों के बारे में सोचते हैं तो हमें डर और दुख महसूस होता है। यादें बहुत मूल्यवान हैं और हमारे लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहेंगी।

मेरे बचपन की यादों पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on My Childhood Memories in Hindi) 

यादें हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण घटक हैं। वे हमारे व्यक्तित्व को आकार देते हैं क्योंकि हमारा सारा ज्ञान और पिछले अनुभव वहीं संग्रहीत होते हैं। हम सभी की यादें अच्छी और बुरी दोनों तरह की होती हैं। आपके पास बहुत पहले की और हाल के दिनों की भी यादें हैं। इसके अलावा, कुछ यादें हमें कठिन दिनों से उबरने में मदद करती हैं और अच्छे दिनों में हमें खुश रखती हैं।

यादें वह छोटी-छोटी चीजें हैं जो हमारे जीवन को सुचारू रूप से चलाने में मदद करती हैं। दूसरे शब्दों में, यादें अपूरणीय हैं और वे हमें बहुत प्रिय हैं। वे हमें अपनी गलतियों से सीखने और बेहतर बनाने में मदद करते हैं। मेरी राय में, किसी भी व्यक्ति के लिए उसकी बचपन की यादें सबसे प्रिय होती हैं। वे आपके अंदर के बच्चे को जीवित रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह वयस्क जीवन के बीच हमारी मुस्कुराहट का एक कारण भी है।

बचपन की यादों का महत्व

बचपन की यादें हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। यह हमें अपने जीवन के सबसे अच्छे समय को याद कराता है। वे हमारी सोच और भविष्य को आकार देते हैं। जब किसी के पास बचपन की अच्छी यादें होती हैं, तो वह बड़ा होकर खुश व्यक्ति बनता है। हालाँकि, यदि किसी के पास बचपन की दर्दनाक यादें हैं, तो यह उनके वयस्क जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।

इस प्रकार, हम देखते हैं कि कैसे बचपन की यादें हमारे भविष्य को आकार देती हैं। वे आवश्यक रूप से हमें परिभाषित नहीं करते हैं लेकिन वे निश्चित रूप से एक महान भूमिका निभाते हैं। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि बचपन की दर्दनाक यादों वाला कोई व्यक्ति ठीक नहीं हो सकता है। लोग अपने दर्दनाक अनुभवों से उबर जाते हैं और इंसान के रूप में विकसित होते हैं। लेकिन, ये यादें भी इस प्रक्रिया में बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बचपन की यादें अंदर के बच्चे को जीवित रखती हैं। हम चाहे कितने भी बड़े हो जाएं, हममें से हर एक के भीतर हमेशा एक बच्चा रहता है। वह अलग-अलग समय पर बाहर आता/जाती है।

उदाहरण के लिए, कुछ लोग झूले को देखकर बच्चे जैसा व्यवहार कर सकते हैं; जब वे आइसक्रीम देखते हैं तो दूसरे बच्चे की तरह उत्साहित हो सकते हैं। यह सब इसलिए होता है क्योंकि हमारे पास बचपन की यादें हैं जो हमें उन चीजों से जुड़ी याद दिलाती हैं जिनके बारे में हम उत्साहित होते हैं। इसलिए, बचपन की यादें हमारे जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं।

बड़े होने पर मेरा बहुत प्यारा परिवार था। मेरे तीन भाई-बहन थे जिनके साथ मैं खूब खेलता था। मुझे वे खेल बहुत शौक से याद हैं जिन्हें हम खेला करते थे। खासकर, शाम को हम अपने खेल उपकरण के साथ पार्क में जाते थे। प्रत्येक दिन हम अलग-अलग खेल खेलते थे, उदाहरण के लिए, एक दिन फुटबॉल और दूसरे दिन क्रिकेट। पार्क में खेलने की ये यादें मुझे बहुत प्रिय हैं।

इसके अलावा, मुझे अपनी दादी के अचार की सुगंध भी अच्छी तरह याद है। जब भी वह अचार बनाती थी तो मैं उसकी मदद करता था। हम उसे तेल और मसालों को मिलाकर स्वादिष्ट अचार बनाने का जादू करते देखा करते थे। आज भी, जब भी मैं इस स्मृति को पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे कभी-कभी उसके अचार की गंध आती है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मुझे यह घटना अच्छी तरह से याद है जब हम अपने परिवार के साथ पिकनिक के लिए बाहर गए थे। हमने चिड़ियाघर का दौरा किया और एक अविश्वसनीय दिन बिताया। मेरी माँ ने स्वादिष्ट व्यंजन पैक किये जो हमने चिड़ियाघर में खाये। मेरे पिता ने उस दिन बहुत सारी तस्वीरें खींची। जब मैं इन तस्वीरों को देखता हूं तो यादें इतनी स्पष्ट होती हैं, ऐसा लगता है जैसे यह कल ही की बात हो। इस प्रकार, मेरी बचपन की यादें मुझे बहुत प्रिय हैं और जब भी मैं उदास महसूस करता हूं तो मुस्कुरा देता हूं।

मेरे बचपन की यादों पर कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 बचपन की यादें क्यों महत्वपूर्ण हैं.

A.1 बचपन की यादें हमारे व्यक्तित्व और भविष्य को आकार देती हैं। वे हमें अच्छे समय की याद दिलाते हैं और कठिन दिनों से निपटने में हमारी मदद करते हैं। इसके अलावा, वे हमें पिछले अनुभवों और गलतियों की याद दिलाते हैं जो हमें खुद को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

Q.2 सभी के लिए बचपन की एक सामान्य स्मृति क्या हो सकती है?

A.2 मेरी राय में, हममें से अधिकांश की बचपन की एक याद स्कूल का पहला दिन है। हममें से अधिकांश को याद है कि पहले दिन हमें कैसा महसूस हुआ था। इसके अलावा, हमारे जन्मदिन भी बचपन की बहुत आम यादें हैं जो हमें उस दिन उपहारों और उत्सवों की याद दिलाते हैं।

मेरे बचपन की यादें पर निबन्ध | Essay on Reminiscences of My Childhood in Hindi

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मेरे बचपन की यादें पर निबन्ध | Essay on Reminiscences of My Childhood in Hindi!

बचपन के दिन किसी भी व्यक्ति के जीवन के बड़े महत्वपूर्ण दिन होते हैं । बचपन में सभी व्यक्ति चिंतामुक्त जीवन जीते हैं । खेलने उछलने-कूदने, खाने-पीने में बड़ा आनंद आता है ।

माता-पिता, दादा-दादी तथा अन्य बड़े लोगों का प्यार और दुलार बड़ा अच्छा लगता हैं । हमउम्र बच्चों के साथ खेलना-कूदना परिवार के लोगों के साथ घूमना-फिरना बस ये ही प्रमुख काम होते हैं । सचमुच बचपन के दिन बड़े प्यारे और मनोरंजक होते हैं ।

मुझे अपने बाल्यकाल की बहुत-सी बातें याद हैं । इनमें से कुछ यादें प्रिय तो कुछ अप्रिय हैं । मेरे बचपन का अधिकतर समय गाँव में बीता है । गाँव की पाठशाला में बस एक ही शिक्षक थे । वे पाठ याद न होने पर बच्चों को कई तरह से दंड देते थे ।

मुझे भी उन्होंने एक दिन कक्षा में आधे घंटे तक एक पाँव पर खड़ा रहने का दंड दिया था । इस समय मुझे रोना आ रहा था जबकि मेरे कई साथी मुझे देखकर बार-बार हँस रहे थे । मैं बचपन में कई तरह की शरारतें किया करता था ।

छुट्टी के दिनों में दिन भर गुल्ली-डंडा खेलना, दोस्तों के साथ धमा-चौकड़ी मचाना, फिाई का ढेला, ईंट आदि फेंककर कच्चे आम तोड़ना, काँटेदार बेर के पेड़ पर चढ़ना आदि मेरे प्रिय कार्य थे । इन कार्यो में कभी-कभी चोट या खरोंच लग जाती थी । घर में पिताजी की डाँट पड़ती थी मगर कोई फिक्र नहीं 9 अगले दिन ये कार्य फिर शुरू ।

ADVERTISEMENTS:

किसी दिन खेत में जाकर चने के कच्चे झाडू उखाड़ लेता था तो किसान की त्योरी चढ़ जाती थी वह फटकार कर दौड़ाने लगता था । भाग कर हम बच्चे अपने-अपने घर में छिप जाते थे । कभी किसी के गन्ने तोड़ लेना तो कभी खेतों से मटर के पौधे उखाड़ लेना न जाने इन कार्यों में क्यों बड़ा मजा आता था । एक बार मैं अपने मित्र के साथ गाँव के तालाब में नहाने गया ।

उस समय वहाँ और कोई नहीं था । मुझे तैरना नहीं आता था । परंतु नहाते-नहाते अचानक मैं तालाब में थोड़ा नीचे चला गया । पानी मेरे सिर के ऊपर तक आ गया । मैं घबरा गया । साँस लेने की चेष्टा में कई घूँट पानी पी गया ।

शीघ्र ही मेरे मित्र ने मुझे सहारा देकर जल से बाहर खींचा । इस तरह मैं बाल-बाल बचा । इस घटना का प्रभाव यह पड़ा कि इसके बाद मैं कभी भी तालाब में नहाने नहीं गया । यही कारण है कि अब तक मुझे तैरना नहीं आता है ।

बचपन की एक अन्य घटना मुझे अभी तक याद है । उन दिनों मेरी चौथी कक्षा की वार्षिक परीक्षा चल रही थी । हिंदी की परीक्षा में हाथी पर निबंध लिखने का प्रश्न आया था । निबंध लिखने के क्रम में मैंने ‘चल-चल मेरे हाथी’ वाली फिल्मी गीत की चार पंक्तियाँ लिख दीं ।

इसकी चर्चा पूरे विद्यालय में हुई । शिक्षकगण तथा माता-पिता सभी ने हँसते हुए मेरी प्रशंसा की । परंतु उस समय मेरी समझ में नहीं आया कि मैंने क्या अच्छा या बुरा किया । इस तरह बचपन की कई यादें ऐसी हैं जो भुलाए नहीं भूल सकतीं । इन मधुर स्मृतियों के कारण ही फिर से पाँच-सात वर्ष का बालक बनने की इच्छा होती है । परंतु बचपन में किसी को पता ही कहाँ चलता है कि ये उसके जीवन के सबसे सुनहरे दिन हैं ।

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मेरा बचपन पर निबंध

बचपन हमारे पूरे जीवन का वह खूबसूरत पल होता है, जिसको हम कभी जिंदगी भर नहीं भूल सकते। हम यहां पर मेरा बचपन निबंध हिंदी मे (My Childhood Essay in Hindi) शेयर कर रहे है।

इस निबंध में मेरा बचपन के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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बचपन का माहौल बहुत ही सुनहरा होता है। बचपन के माहौल में जीना हर कोई व्यक्ति पसंद करता है। हर इंसान ने अपने जीवन में बचपन के पल को कैसे व्यतीत किया है, वह उसे पूरी जिंदगी याद रहता है।

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मेरा बचपन पर निबंध (My Childhood Essay in Hindi)

मेरा बचपन पर निबंध 250 शब्द (mera bachpan essay in hindi).

हमारे बचपन में जब हम छोटे थे, तब यह सपने देखते थे कि हम जल्दी बड़े कब होंगे क्योंकि तब हमें बड़ों की लाइफ बहुत अच्छी लगती थी। उसके बाद जब बड़े हो गए, तब यह सोचने लगे कि हमारा बचपन ही कितना खूबसूरत हुआ करता था।

असल में सही मायनों में अगर देखा जाए तो बचपन वह खूबसूरत पल होता है, जो हम जिंदगी में कभी नहीं भुला सकते है। बचपन में खेल कूद, पढ़ाई और मस्ती भरे दिन हुआ करते थे। बचपन में बच्चे बिना किसी तनाव के अपने बचपन को जी सकते हैं। उनके पास कोई समस्या नहीं होती है।

बचपन में सभी के साथ ऐसी घटनाएं घटित होती है, जिनको कभी भूलाया नहीं जाता। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जिसके कारण हमारे माता-पिता हमारे बचपन को हमेशा याद दिलाते है कि किस तरह से हमने धीरे-धीरे चलना सीखा, फिर वापस गिरकर उठना सीखा और इसके साथ ही बड़े होकर दौड़ लगाना सीखा।

बचपन में जब हम पिताजी के कंधों पर बैठकर मेले देखने जाए करते थे तब बहुत मजा आता था। बस उन पलों को याद करके अपने आप से हंसी आती है क्योंकि बचपन के दिन बहुत ही सुनहरी यादों की तरह हम सबके जीवन में आते हैं।

मेरे बचपन में पिता के द्वारा डांटने पर हम अपनी मां के आंचल में जाकर छुप जाया करते थे। मां की लोरियां को सुनकर मुझे अच्छी नींद आती थी। वह समय बहुत ही खुशी देने वाला होता था।

आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में अच्छी नींद भी नसीब नहीं होती, जो बचपन में मां की लोरियां सुनकर आती थी। बचपन की वो खूबसूरत यादें हुआ करती है, उनमें पता ही नहीं चलता था कि कब दिन हो जाता और कब रात हो जाती।

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मेरा बचपन पर निबंध (1200 शब्द)

बच्चों का जीवन बहुत अच्छा होता है क्योंकि हमारे बचपन में बहुत चंचलता, थोड़ी शरारत और बहुत सी मिठास भरी होती है। हर कोई आदमी अपने बचपन को वापस से जीने की सोचता है।

बचपन में तोतली भाषा मे बोलना, धीरे-धीरे लड़खड़ा के चलना, गिरना, पढ़ना और भी हमारी कुछ मीठी मीठी शरारत सब की बहुत याद आती है।

अपनी दादी से कहानियां सुनना और अपने मां-बाप से छूपके दादा जी के साथ बाजार में जाकर चुपके से चीजें खरीद के खाना, सब बातें बहुत याद आती है। बचपन खूबसूरत सपने की तरह है। कब हम बड़े हो जाते है हमें पता ही नहीं चलता।

एक कवि की शायरी पर बचपन की दास्तान

एक बहुत बड़े कवि सुदर्शन फाकिर ने बचपन की यादों पर एक शायरी को लिखा। उसने कुछ लाइनों में हमारे बचपन की यादे झलकती हैं कि किस तरह हम देश दुनिया के झगड़ों से दूर बच्चे अपने बचपन में किस प्रकार से मगन हो जाते हैं।

इस शायरी में जो लेखक है, वह यही कामना करता है कि बच्चों के बचपन के वह दिन वापस से लौट आए। इसके लिए उनको सारी दौलत और शोहरत को ही क्यों ना वापस देना पड़े। वह सब कुछ दे देंगे पर उनका बचपन उनको उन्हें लौटा दे। शायर कि वह पंक्तियां –

”चाहे दौलत भी ले लो, चाहे शोहरत भी ले लो, चाहे छीन लो मुझसे मेरी जवानी, मगर मुझको लौटा दो मेरा वह बचपन, वह कागज की कश्ती और वो बारिश का पानी।”

कहने को यह दो पंक्तियां हैं लेकिन इनमें हमारे बचपन का बहुत बड़ा रहस्य सा छुपा है।

मेरे बचपन की कुछ खास यादें

मेरा बचपन मुझे बहुत अधिक प्रिय है क्योंकि मैं अपने घर में सबसे छोटा होने के कारण मुझे सभी लोगों का अधिक प्यार मिलता था। मैं घर में नटखट और शरारती हुआ करता था और सभी को मैं बहुत परेशान करता था।

लेकिन सभी मुझसे बहुत प्यार करते थे। इस कारण मेरी सभी गलतियों को नजरअंदाज करते रहते थे। मेरे बचपन में मैं कभी अपनी दादी का चश्मा छुपा दिया करता, कभी दादा जी की धार्मिक किताबों को छुपा देता था। घर के सभी सदस्यों को किसी न किसी रूप से में बहुत परेशान किया करता था।

लेकिन छोटा था इसीलिए सभी लोग मुझे कुछ नहीं कहते थे। अब जब बड़ा हो गया हूं, तो वो सब बातें मुझे बहुत याद आती है। मैं किसी चीज से भी नहीं डरता था, बस स्कूल जाने के नाम पर मुझे बहुत डर लगता था।

जब मैं कोई भी शरारत करता तो घरवाले मुझे स्कूल में टीचर के पास भेजने की बात कहकर डांट दे देते, इसीलिए मैं टीचर्स की वजह से बहुत डर जाता था और इस प्रकार मैंने धीरे-धीरे घर के सभी लोगों को परेशान करना छोड़ दिया।

मेरे स्कूल के कुछ मीठी यादें

गांव में हमारा स्कूल मेरे घर से बहुत दूरी पर हुआ करता था। स्कूल जाने के लिए हम सभी दोस्त आपस में एक साथ मिलकर जाया करते थे।

स्कूल बहुत दूरी पर था तो रास्ते में हम और मस्ती करते हुए जाते थे, सड़क पर बहुत शोर मचाते हुए और बहुत मस्ती करते हुए जाते थे। उसके बाद हम स्कूल जाते हैं। स्कूल में कबड्डी, खो-खो, गिल्ली -डंडा, छुपन-छुपाई, दौड़ लगाना और भी बहुत प्रकार के खेल हुआ करते थे।

इन सभी में पूरा टाइम कब निकल जाता था, हमें पता ही नहीं चलता था। स्कूल जाने पर भी हम ज्यादा मस्ती करते थे। क्योंकि स्कूल में सभी दोस्त मिल जाए करते थे।

मेरी क्लास में जो मेरे कक्षा टीचर है, वो मुझे बहुत अच्छे लगते थे। क्योंकि वह मुझे बहुत अच्छे से पढ़ाई करवा देते और किसी भी चीज में कोई परेशानी होने पर वह मुझे वापस से समझा देते थे।

मेरे बचपन का प्रिय खेल

मुझे बचपन में छोटे-छोटे जानवरों से बहुत लगाव होता था। उनमें सबसे प्रिय कुत्तों के बच्चे हुआ करते थे। उन छोटे पिल्लों के साथ मैं बहुत खेला करता था, साथ ही मुझे मिट्टी के खिलौने बनाकर उनसे खेलना भी बहुत पसंद था।

इन खेलों की वजह से मुझे घर में भी बहुत डांट पड़ती थी, लेकिन मैं क्या करूँ मुझे ये खेल बहुत ज्यादा अच्छे लगते थे। इनको मैं अकेले ही बिना किसी के साथ ही खेल लिया करता था।

वो बचपन के शरारत भरे दिन

बचपन में हम गांव में खेतों में चले जाया करते थे। वहां पर हम भैंस के ऊपर बैठकर बहुत मस्ती करते हैं, कभी बकरी के बच्चों के पीछे दौड़ लगाते तो कभी कुत्तों की पूछ को खींचते और घर में जो गाय थी, उसके बछड़े को खोल देते हैं, जिससे वह बछड़ा गाय का दूध पी जाता था।

इस तरह से बचपन में बहुत मस्ती भरे दिन हुआ करते थे। अपने दोस्तों के साथ बाहर मिट्टी में खूब खेलते, जिसके कारण हमारे कपड़े बहुत गंदे हो जाते इससे हमको अपनी मम्मी की बहुत डांट सुननी पड़ती थी।

क्योंकि कपड़ों के साथ-साथ हमारी चकले भी पहचान में नहीं आती थी, बहुत गंदी हो जाती थी। इस वजह से हमको घर वालों की सबसे ज्यादा मम्मी की डांट सुननी पड़ती थी।

मेरे बचपन के कुछ फेवरेट दोस्त

दोस्ती का रिश्ता एक वह खूबसूरत रिश्ता होता है, जो खून के रिश्ते से भी बढ़कर होता है। यदि किसी को सच्चा दोस्त मिल जाए तो उससे बड़ा कोई भाग्यशाली व्यक्ति नहीं होता।

मैं भी बहुत भाग्यशाली हूं क्योंकि बचपन में जिस लड़के के साथ मेरी गहरी दोस्ती हो गई थी, उसका नाम पवन है। पवन के साथ मेरी दोस्ती कक्षा दो से हुई थी।

वह बहुत ही प्यारा और सीधा सा बच्चा हुआ करता था। हम दोनों मित्र एक साथ एक ही बेंच पर बैठते, अपना लंच शेयर करते तथा दोनों को पढ़ाई में किसी भी प्रकार के परेशानी होती तो हम आपस में एक दूसरे की समस्या को सुलझा लेते थे पढ़ाई से संबंधित।

एक बार मेरा एक्सीडेंट हो गया था। उस समय मेरे दोस्त ने मेरी बहुत मदद की। वो कहते हैं ना कि दोस्ती की सही पहचान मुसीबत में ही की जाती है तो मेरे दोस्त ने भी मेरा जब एक्सीडेंट हुआ था तो मेरी बहुत मदद की थी। मैं उसकी दोस्ती को कभी नहीं भूल सकता।

मेरा बचपन बहुत ही खूबसूरत यादों के साथ में गुजरा मैं उसको कभी भी नहीं भूल सकता। बचपन का जो समय होता है, सभी लोगों के लिए बहुत ही यादगार और सुनहरा होता है। खूब कभी मिली बुलाए भुला जा सकता है।

सबका मन करता है कि काश मैं फिर से बचाव बन जाऊं और वापस अपने बचपन को जी लूँ। पर बचपन तो चला जाता है, रह जाती है तो सिर्फ यादें।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख मेरा बचपन निबंध (My Childhood Essay in Hindi) पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरुर करें। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

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Rahul Singh Tanwar

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बच्चों पर निबंध Essay on Children’s in Hindi

हर शादीशुदा जोड़े की यही इच्छा होती है कि उनके बच्चे हों। उनको संतान का सुख मिले । विश्व के अनेक देश जैसे जापान में जन्म दर बेहद कम होने के कारण बच्चों का अनुपात सिर्फ 13 फीसद रह गया है।

परंतु यह खुशहाली का विषय है कि भारत में जन्म दर अधिक है। इसलिए यहां हर शादीशुदा जोड़े को संतान सुख मिल जाता है। यहां की जलवायु भी इसमें मदद करती है। बच्चों को ईश्वर का रूप भी कहा जाता है। जिन शादी शुदा जोड़ो को बच्चे नही होते है वो प्रायः उदास और दुखी रहते है।

हमारे बच्चे हमारा भविष्य

बच्चे ही किसी देश की असली संपत्ति होते हैं। लोग जब वृद्ध अवस्था को प्राप्त होते हैं तो बच्चे ही सभी कामों में हाथ बंटाते हैं। आज के बच्चे कल के युवा बनेंगे। वह कल को वैज्ञानिक, नेता, दार्शनिक, प्रशासनिक अधिकारी, इंजीनियर, डॉक्टर और दूसरे महत्वपूर्ण पर पदों की शोभा बढ़ाएंगे।

उनकी कुशलता और बौद्धिकता पर ही कल को देश निर्भर करेगा। इसलिए बच्चों की परवरिश अच्छी होनी चाहिए। उन्हें हर तरह की योग्य शिक्षा मिलनी चाहिए जिससे वह अपना बहुमुखी विकास कर सके। यदि ऐसा करने में हम सफल होते हैं तो कल को वही बच्चे देश का बहुमुखी विकास करेंगे। हम सभी की जिम्मेदारी है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जाए। साथ ही उनको अच्छे संस्कार भी दिए जाएं।

बच्चों से उनका बचपन न छिने

बच्चों की शिक्षा के लिए भारत सरकार ने 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए प्राइमरी शिक्षा मुफ्त कर दी है। इसके अलावा उन्हें किताबें, ड्रेस, जूते मोजे, मिड डे मील मुफ्त दिया जाता है। बच्चों को स्कूल में ही भोजन, दूध, फल दिलाए जाते हैं जिससे उनका पोषण हो सके और वे अधिक से अधिक मात्रा में स्कूल में पढ़ने आए। यह शिक्षा पूरी तरह से निशुल्क है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत ऐसा किया गया है।

बच्चे कुपोषण का शिकार ना हो

भारत एक विकासशील देश है इसलिए गरीबों की संख्या भी यहां पर अधिक है। देश के 39% बच्चे कुपोषण का शिकार है। उन्हें भरपूर मात्रा में हरी सब्जियां, दालें, प्रोटीन, दूध, बींस, फल, अंडे, मांस, कैल्शियम और आयरन से युक्त पोषक पदार्थ खाने को नहीं मिलता है। इसका कारण उनके मां बाप की गरीबी ही है।

बच्चों को अच्छे संस्कार देना जरूरी है

पने मां बाप से बहस ना करें। उनका अपमान ना करें। उनके साथ गाली-गलौच ना करें। आज की युवा पीढ़ी बड़ों का सम्मान करना भूल गई है। बात बात पर मां बाप से झगड़ना, गाली गलौज करना, मारपीट करना आम बात हो गई है। बहुत से बच्चे छोटे में ही नशे का शिकार हो जाते हैं। वे घर से पैसा चुराते हैं और उसे नशे में खर्च करते हैं।

माता पिता बच्चों पर अपनी इच्छाएं न थोपे

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

Hindi Essay | हिंदी में निबंध for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12

Hindi essay for classes 3 to 12 students, benefits of essay writing:, essay writing in hindi:, conclusion:, faqs:      .

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बाल मजदूरी पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi)

बाल मजदूरी

किसी भी क्षेत्र में बच्चों द्वारा अपने बचपन में दी गई सेवा को बाल मजदूरी कहते है। इसे गैर-जिम्मेदार माता-पिता की वजह से, या कम लागत में निवेश पर अपने फायदे को बढ़ाने के लिये मालिकों द्वारा जबरजस्ती बनाए गए दबाव की वजह से जीवन जीने के लिये जरुरी संसाधनों की कमी के चलते ये बच्चों द्वारा स्वत: किया जाता है, इसका कारण मायने नहीं रखता क्योंकि सभी कारकों की वजह से बच्चे बिना बचपन के अपना जीवन जीने को मजबूर होते है। हमारे देश के साथ ही विदेशों में भी बाल मजदूरी एक बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में हर एक को जागरुक होना चाहिए।

बाल मजदूरी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Child Labour in Hindi, Bal Majduri par Nibandh Hindi mein)

बाल मजदूरी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

बाल मजदूरी बच्चों से लिया जाने वाला काम है जो किसी भी क्षेत्र में उनके मालिकों द्वारा करवाया जाता है। बचपन सभी बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है जो माता-पिता के प्यार और देख-रेख में सभी को मिलना चाहिए, ये गैरकानूनी कृत्य बच्चों को बड़ों की तरह जीने पर मजबूर करते है।

बाल मजदूरी का कारण

बाल मजदूरी के कई कारण है जिनमे अनाथ होना, माँ बाप या परिवार का गरीब होना, शिक्षा का अभाव आदि प्रमुख कारण है। बाल मजदूरी के लिए सरकार और अन्य सामाजिक तंत्र भी जिम्मेदार है। कानून व्यवस्था की गैरजिम्मेदारी भी इसका एक प्रमुख कारण है।

बाल मजदूरी का प्रभाव

बाल मजदूरी के कारण बच्चों के जीवन में कई सारी जरुरी चीजों की कमी हो जाती है जैसे- उचित शारीरिक वृद्धि और विकास, दिमाग का अल्प विकास, सामाजिक और बौद्धिक रुप से कमजोरी आदि। इसकी वजह से बच्चे बचपन के प्यारे लम्हों से दूर हो जाते है, जो हर एक के जीवन का सबसे यादगार और खुशनुमा पल होता है।

बाल मजदूरी का निवारण

सरकार को इसे जड़ से खत्म करने करने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए। जो अभिभावक और संस्था इसे बढ़ावा देती है, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। बच्चो की शिक्षा के लिए सरकार को पहल करना चाहिए।

हर माता-पिता को ये समझना चाहिए कि देश के प्रति भी उनकी कुछ जिम्मेदारी है। देश के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिये उन्हें अपने बच्चों को हर तरह से स्वस्थ बनाना चाहिए।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Child Labour in Hindi

Bal Majduri par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

5 से 14 साल तक के बच्चों का अपने बचपन से ही नियमित काम करना बाल मजदूरी कहलाता है। विकासशील देशों मे बच्चे जीवन जीने के लिये बेहद कम पैसों पर अपनी इच्छा के विरुद्ध जाकर पूरे दिन कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर है। वो स्कूल जाना चाहते है, अपने दोस्तों के साथ खेलना चाहते है और दूसरे अमीर बच्चों की तरह अपने माता-पिता का प्यार और परवरिश पाना चाहते है लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें अपनी हर इच्छाओं का गला घोंटना पड़ता है।

बाल मजदूरी भारत में बड़ा सामाजिक मुद्दा बनता जा रहा है जिसे नियमित आधार पर हल करना चाहिए। ये केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसे सभी सामाजिक संगठनों, मालिकों, और अभिभावकों द्वारा भी समाधित करना चाहिए। ये मुद्दा सभी के लिये है जोकि व्यक्तिगत तौर पर सुलझाना चाहिए, क्योंकि ये किसी के भी बच्चे के साथ हो सकता है।

विकासशील देशों में, खराब स्कूलिंग मौके, शिक्षा के लिये कम जागरुकता और गरीबी की वजह से बाल मजदूरी की दर बहुत अधिक है। ग्रामीण क्षेंत्रों में अपने माता-पिता द्वारा कृषि में शामिल 5 से 14 साल तक के ज्यादातर बच्चे पाए जाते है। पूरे विश्व में सभी विकासशील देशों में बाल मजदूरी का सबसे मुख्य कारण गरीबी और स्कूलों की कमी है।

बचपन हर एक के जीवन का सबसे खुशनुमा और जरुरी अनुभव माना जाता है क्योंकि बचपन बहुत जरुरी और दोस्ताना समय होता है सीखने का। अपने माता-पिता से बच्चों को पूरा अधिकार होता है खास देख-रेख पाने का, प्यार और परवरिश का, स्कूल जाने का, दोस्तों के साथ खेलने का और दूसरे खुशनुमा पलों का लुफ्त उठाने का। बाल मजदूरी हर दिन न जाने कितने अनमोल बच्चों का जीवन बिगाड़ रहा है। ये बड़े स्तर का गैर-कानूनी कृत्य है जिसके लिये सजा होनी चाहिये लेकिन अप्रभावी नियम-कानूनों से ये हमारे आस-पास चलता रहता है।

समाज से इस बुराई को जड़ से मिटाने के लिये कुछ भी बेहतर नहीं हो रहा है। कम आयु में उनके साथ क्या हो रहा है इस बात का एहसास करने के लिये बच्चे बेहद छोटे, प्यारे और मासूम है। वो इस बात को समझने में अक्षम है कि उनके लिये क्या गलत और गैर-कानूनी है, बजाए इसके बच्चे अपने कामों के लिये छोटी कमाई को पाकर खुश रहते है। अनजाने में वो रोजाना की अपनी छोटी कमाई में रुचि रखने लगते है और अपना पूरा जीवन और भविष्य इसी से चलाते है।

Child Labour Essay in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

अपने देश के लिये सबसे जरुरी संपत्ति के रुप में बच्चों को संरक्षित किया जाता है जबकि इनके माता-पिता की गलत समझ और गरीबी की वजह से बच्चे देश की शक्ति बनने के बजाए देश की कमजोरी का कारण बन रहे है। बच्चों के कल्याण के लिये कल्याकारी समाज और सरकार की ओर से बहुत सारे जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद गरीबी रेखा से नीचे के ज्यादातर बच्चे रोज बाल मजदूरी करने के लिये मजबूर होते है।

किसी भी राष्ट्र के लिये बच्चे नए फूल की शक्तिशाली खुशबू की तरह होते है जबकि कुछ लोग थोड़े से पैसों के लिये गैर-कानूनी तरीके से इन बच्चों को बाल मजदूरी के कुँएं में धकेल देते है साथ ही देश का भी भविष्य बिगाड़ देते है। ये लोग बच्चों और निर्दोष लोगों की नैतिकता से खिलवाड़ करते है। बाल मजदूरी से बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी देश के हर नागरिक की है। ये एक सामाजिक समस्या है जो लंबे समय से चल रहा है और इसे जड़ से उखाड़ने की जरुरत है।

देश की आजादी के बाद, इसको जड़ से उखाड़ने के लिये कई सारे नियम-कानून बनाए गये लेकिन कोई भी प्रभावी साबित नहीं हुआ। इससे सीधे तौर पर बच्चों के मासूमियत का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक तरीके से विनाश हो रहा है। बच्चे प्रकृति की बनायी एक प्यारी कलाकृति है लेकिन ये बिल्कुल भी सही नहीं है कि कुछ बुरी परिस्थितियों की वजह से बिना सही उम्र में पहुँचे उन्हें इतना कठिन श्रम करना पड़े।

भयंकर गरीबी और खराब स्कूली मौके की वजह से बहुत सारे विकासशील देशों में बाल मजदूरी बेहद आम बात है। बाल मजदूरी की उच्च दर अभी भी 50 प्रतिशत से अधिक है जिसमें 5 से 14 साल तक के बच्चे विकासशील देशों में काम कर रहे है। कृषि क्षेत्र में बाल मजदूरी की दर सबसे उच्च है जो ज्यादातर ग्रामीण और अनियमित शहरी अर्थव्यवस्था में दिखाई देती है जहाँ कि अधिकतर बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेलने और स्कूल भेजने के बजाए प्रमुखता से अपने माता-पिता के द्वारा कृषि कार्यों में लगाये गये है।

बाल मजदूरी का मुद्दा अब अंतर्राष्ट्रीय हो चुका है क्योंकि देश के विकास और वृद्धि में ये बड़े तौर पर बाधक बन चुका है। स्वस्थ बच्चे किसी भी देश के लिये उज्जवल भविष्य और शक्ति होते है अत: बाल मजदूरी बच्चे के साथ ही देश के भविष्य को भी नुकसान, खराब तथा बरबाद कर रहा है।

बाल मजदूरी एक वैशविक समस्या है जो विकासशील देशों में बेहद आम है। माता-पिता या गरीबी रेखा से नीचे के लोग अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर पाते है और जीवन-यापन के लिये भी जरुरी पैसा भी नहीं कमा पाते है। इसी वजह से वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए कठिन श्रम में शामिल कर लेते है। वो मानते है कि बच्चों को स्कूल भेजना समय की बरबादी है और कम उम्र में पैसा कमाना परिवार के लिये अच्छा होता है। बाल मजदूरी के बुरे प्रभावों से गरीब के साथ-साथ अमीर लोगों को भी तुरंत अवगत कराने की जरुरत है। उन्हें हर तरह की संसाधनों की उपलब्ता करानी चाहिये जिसकी उन्हें कमी है। अमीरों को गरीबों की मदद करनी चाहिए जिससे उनके बच्चे सभी जरुरी चीजें अपने बचपन में पा सके। इसको जड़ से मिटाने के लिये सरकार को कड़े नियम-कानून बनाने चाहिए।

Child Labour Essay

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बेटी बचाओ पर निबंध

hindi essay for child

By विकास सिंह

save girl child essay in hindi

विषय-सूचि

बेटी बचाओ पर निबंध, save girl child essay in hindi (100 शब्द)

सामाजिक संतुलन को बनाए रखने के लिए समाज में लड़कियां भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी कि लड़के। कुछ साल पहले, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या में भारी कमी थी। ऐसा कन्या भ्रूण हत्या, दहेज हत्या, बलात्कार, गरीबी, अशिक्षा, लिंग भेदभाव और कई और अधिक महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के कारण हुआ।

समाज में महिलाओं की संख्या की बराबरी करने के लिए, लोगों को बताना बहुत जरूरी है कि बालिकाओं को बचाया जाए। भारत सरकार ने बालिकाओं को बचाने के बारे में कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं जैसे घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 से महिलाओं की सुरक्षा, कन्या भ्रूण हत्या, अनैतिक यातायात (रोकथाम) अधिनियम, उचित शिक्षा, लिंग समानता, आदि।

बेटी बचाओ पर निबंध, save girl child essay in hindi (150 शब्द)

बेटी बचाओ विषय पूरे भारत में सभी का ध्यान केंद्रित करने के लिए रहा है ताकि महिलाओं की समग्र सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। केंद्र या राज्य सरकार द्वारा बालिकाओं को बचाने के संबंध में कुछ पहलें शुरू की गई हैं:

  • बालिकाओं की सुरक्षा के लिए, दिल्ली और हरियाणा सरकार द्वारा 2008 में एक लाडली योजना शुरू की गई थी और इसे लागू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या पर नियंत्रण के साथ-साथ शिक्षा और समान लिंग अधिकारों के माध्यम से बालिकाओं की स्थिति में सुधार करना था।
  • 2011 में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू की गई सबला योजना, जिसका उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से किशोर लड़कियों को सशक्त बनाना है।
  • धनलक्ष्मी योजना 2008 में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य जन्म, पंजीकरण और टीकाकरण के बाद बालिकाओं के परिवार को नकद हस्तांतरण प्रदान करना था।
  • किशोरी शक्ति योजना का शुभारंभ महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा किशोरियों की पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से किया गया था।
  • सुकन्या समृद्धि योजना को परिवार द्वारा एक बालिका के लिए समान हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया था।
  • बेटी बचाओ, बेटी पढाओ (बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का मतलब है) योजना महिलाओं के कल्याण के लिए 2015 में शुरू की गई थी।

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बेटी बचाओ पर निबंध, essay on save girl child in hindi (200 शब्द)

देशभर में बालिकाओं को बचाने के संबंध में सेव गर्ल चाइल्ड अब एक महत्वपूर्ण सामाजिक जागरूकता का विषय है। निम्नलिखित कई प्रभावी उपाय हैं, जिनसे बालिकाओं को काफी हद तक बचाया जा सकता है। समाज में गरीबी का बहुत बड़ा स्तर है जो भारतीय समाज में अशिक्षा और लैंगिक असमानता का बड़ा कारण है।

शिक्षा गरीबी और लिंग भेदभाव को कम करने के साथ-साथ भारतीय समाज में बालिका और महिला की स्थिति में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण तत्व है। आंकड़ों के अनुसार, यह पाया गया है कि ओडिशा में महिला साक्षरता लगातार कम हो रही है, जहां बालिका शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रही है।

शिक्षा का रोजगार से गहरा संबंध है। कम शिक्षा का मतलब है कम रोजगार जो समाज में गरीबी और लैंगिक असमानता को जन्म देता है। महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए शिक्षा सबसे प्रभावी कदम है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाता है।

समाज में महिलाओं के लिए समान अधिकारों और अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा बालिका बचाओ कदम उठाया जाता है। बॉलीवुड अदाकारा (परिणीति चोपड़ा) बालिका बचाओ (बेटी बचाओ, बेटी पढाओ) के लिए पीएम की हालिया योजना की आधिकारिक ब्रांड एंबेसडर रही हैं।

बेटी बचाओ पर निबंध, save girl child essay in hindi (250 शब्द)

भारतीय समाज में लड़कियों की स्थिति पर कई वर्षों से बहुत बहस हुई है। लड़कियों को आमतौर पर खाना पकाने और गुड़िया के साथ खेलने में शामिल माना जाता है, जबकि लड़कों को शिक्षा और अन्य शारीरिक गतिविधियों में शामिल किया जाता है।

पुरुषों की ऐसी पुरानी धारणाओं ने उन्हें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के लिए प्रेरित किया है जिसके परिणामस्वरूप समाज में बालिकाओं की संख्या में लगातार कमी आई है। इसलिए, देश के विकास को सुनिश्चित करने के लिए दोनों के अनुपात को बराबर करने के लिए बालिकाओं को बचाने की एक बड़ी आवश्यकता है।

सेव गर्ल चाइल्ड के बारे में प्रभावी कदम

बालिकाओं को बचाने के लिए विभिन्न प्रभावी कदम निम्नलिखित हैं:

भारतीय समाज में लड़की की स्थिति लड़के-बच्चे के लिए माता-पिता की अत्यधिक इच्छा के कारण पिछड़ी है। इसने समाज में लैंगिक असमानता पैदा की है और लैंगिक समानता लाकर इसे दूर करना बहुत आवश्यक है। समाज में अत्यधिक गरीबी ने महिलाओं के खिलाफ दहेज प्रथा के रूप में सामाजिक बुराई पैदा की है जो महिलाओं की स्थिति को खराब करती है।

आमतौर पर माता-पिता सोचते हैं कि लड़कियां केवल पैसे खर्च करने के लिए होती हैं, इसलिए वे जन्म से पहले या बाद में कई तरीकों से कन्या भ्रूण हत्या करते हैं (कन्या भ्रूण हत्या, दहेज हत्या आदि)। बालिकाओं को बचाने के लिए ऐसे मुद्दों को तत्काल हटाने की आवश्यकता है।

निरक्षरता एक और मुद्दा है जिसे दोनों लिंगों के लिए उचित शिक्षा प्रणाली के माध्यम से हटाया जा सकता है। बालिकाओं को बचाने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावी उपकरण है। बालिकाओं को बचाने के बारे में कुछ प्रभावी अभियानों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।

एक बालिका अंदर और साथ ही माता के गर्भ के बाहर असुरक्षित है। वह उन सभी पुरुषों के साथ जीवन के दौरान कई तरह से डरती है जिन्हें वह जन्म देती है। वह उन पुरुषों द्वारा शासित है जिन्हें वह जन्म देती है और यह पूरी तरह से हमारे लिए हंसी और शर्म की बात है।

बालिकाओं को बचाने और सम्मान देने की क्रांति लाने के लिए शिक्षा सबसे अच्छा साधन है। एक बालिका को हर क्षेत्र में समान पहुंच और अवसर दिए जाने चाहिए। सभी सार्वजनिक स्थानों पर लड़कियों के लिए सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। बालिका अभियान को सफल बनाने के लिए बालिका के परिवार के सदस्यों को बेहतर लक्ष्य बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष:

बेटी बचाओ को लोगों द्वारा केवल विषय के रूप में नहीं लिया जाता है, यह एक सामाजिक जागरूकता है जिसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए। लोगों को बालिकाओं को बचाना चाहिए और बालिकाओं का सम्मान करना चाहिए क्योंकि उनके पास पूरी दुनिया बनाने की शक्ति है। उन्हें किसी भी देश के विकास और उन्नति के  लिए समान रूप से आवश्यक है।

बेटी बचाओ पर निबंध, save girl child essay in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना:.

भारत में लड़कियां कई अपराधों की शिकार रही हैं। सबसे भयावह अपराध कन्या भ्रूण हत्या थी जिसमें अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लिंग निर्धारण के बाद लड़कियों को माँ के गर्भ में मार दिया जाता था। सरकार द्वारा कन्या भ्रूण के लिंग-चुनिंदा गर्भपात के साथ-साथ बालिकाओं के खिलाफ अन्य अपराधों को समाप्त करने के लिए बालिका बचाओ अभियान शुरू किया गया है।

कन्या भ्रूण हत्या का प्रभाव:

कन्या भ्रूण हत्या अस्पताल में सेक्स-चयनात्मक गर्भपात के माध्यम से सबसे भयावह कृत्यों में से एक थी। यह भारत में महिला बच्चे की तुलना में लड़के बच्चे में अधिक रुचि द्वारा विकसित किया गया था। इसने भारत में बालिका लिंगानुपात को काफी हद तक कम कर दिया है।

यह अल्ट्रासाउंड तकनीक की वजह से देश में संभव हुआ। लिंग भेदभाव और समाज में लड़कियों के लिए असमानता के कारण इसने विशालकाय दानव का रूप ले लिया। 1991 की राष्ट्रीय जनगणना के बाद महिला लिंगानुपात में भारी कमी देखी गई। फिर 2001 की राष्ट्रीय जनगणना के बाद इसे समाज की एक विकट समस्या के रूप में घोषित किया गया।

हालांकि, 2011 तक महिला आबादी में कमी जारी रही। बाद में, यह प्रथा महिला बच्चे के अनुपात को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा कड़ाई से प्रतिबंधित किया गया था।

बेटी बचाओ बेटी पढाओ जागरूकता अभियान की भूमिका

बेटी बचाओ, बेटी पढाओ एक ऐसी योजना है जिसका अर्थ है बालिकाओं को बचाना और बालिकाओं को शिक्षित करना। यह योजना भारत सरकार द्वारा 2015 में 22 जनवरी को शुरू की गई थी ताकि बालिकाओं के लिए जागरूकता पैदा की जा सके और साथ ही महिलाओं के कल्याण में सुधार किया जा सके।

यह अभियान समाज के अधिक लोगों को जागरूक करने के लिए कुछ गतिविधियों जैसे कि बड़ी रैलियों, दीवार पेंटिंग, टेलीविजन विज्ञापनों, होर्डिंग, लघु एनिमेशन, वीडियो फिल्मों, निबंध लेखन, वाद-विवाद आदि का आयोजन करके शुरू किया गया था। इसमें अधिक जागरूकता के लिए कुछ प्रसिद्ध हस्तियां भी शामिल थीं।

इस अभियान को भारत के विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों का समर्थन प्राप्त है। इस योजना ने पूरे काउंटी में बालिकाओं को बचाने के साथ-साथ भारतीय समाज में बालिका की स्थिति में सुधार के बारे में जागरूकता फैलाने में एक महान भूमिका निभाई है।

भारत के प्रत्येक नागरिक को समाज में स्थिति सुधारने के साथ-साथ बालिकाओं को बचाने के लिए बनाए गए सभी नियमों और कानूनों का पालन करना चाहिए। लड़कियों को अपने माता-पिता द्वारा लड़कों के समान माना जाना चाहिए और सभी कार्य क्षेत्रों में समान अवसर दिए जाने चाहिए।

बेटी बचाओ पर निबंध, save girl child essay in hindi (400 शब्द)

मनुष्य और स्त्री दोनों की समान भागीदारी के बिना पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व असंभव है। दोनों ही पृथ्वी पर मानव जाति के अस्तित्व के साथ-साथ किसी भी देश के विकास और उन्नति के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं। हालांकि, यह कहने में कोई संदेह नहीं है कि एक महिला पुरुष की तुलना में अधिक आवश्यक है क्योंकि उसके बिना हम मानव जाति की निरंतरता के बारे में नहीं सोच सकते क्योंकि वह मानव को जन्म देती है।

इसलिए, बालिकाओं की हत्या नहीं की जाती है, उन्हें बचाया जाना चाहिए, उनका सम्मान किया जाना चाहिए और उन्हें आगे बढ़ने के समान अवसर दिए जाने चाहिए। वे जड़ निर्माण के स्रोत हैं और सभ्यता की नियति को आकार देने में मदद करते हैं। हालाँकि, महिलाएं अपने ही आकार की सभ्यता में कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या आदि का शिकार रही हैं। कितनी शर्म की बात है!

बालिका को क्यों बचाना है ?

समाज में लोगों द्वारा विभिन्न कारणों से एक बालिका को बचाया जाना चाहिए:

  • वे किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम सक्षम नहीं हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ देती हैं।
  • 1961 से कन्या भ्रूण हत्या गैरकानूनी अपराध है और सेक्स-सेलेक्टिव गर्भपात को रोकने के लिए इस पर प्रतिबंध लगाया गया है। लोगों को बालिकाओं को बचाने के लिए सभी नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए।
  • लड़कियां लड़कों की तुलना में अधिक आज्ञाकारी हो जाती हैं और कम हिंसक और अभिमानी साबित हुई हैं।
  • वे अपने परिवार, नौकरी, समाज या देश के लिए बहुत जिम्मेदार साबित हुए हैं।
  • वे अपने माता-पिता की बहुत देखभाल करते हैं और अपनी नौकरी के लिए समर्पित हो जाते हैं।
  • एक महिला एक माँ, पत्नी, बेटी, बहन आदि हो सकती है। प्रत्येक पुरुष को यह सोचना चाहिए कि उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष की बेटी है और उसकी बेटी भविष्य में किसी अन्य पुरुष की पत्नी होगी। तो, हर किसी को किसी भी रूप में एक महिला का सम्मान करना चाहिए।
  • एक लड़की अपने दोनों कर्तव्यों के साथ-साथ पेशेवर रूप से बहुत ही पेशेवर रूप से प्रदर्शन करती है जो उसे लड़कों की तुलना में विशेष बनाती है।
  • लड़कियां मानव जाति के अस्तित्व का अंतिम कारण हैं।

सरकार द्वारा बालिकाओं को बचाने के लिए उठाए गए कदम:

भारत सरकार द्वारा बालिकाओं को बचाने और बालिकाओं को शिक्षित करने के संबंध में विभिन्न कदम उठाए गए हैं। इस बारे में सबसे हालिया पहल बेटी बचाओ बेटी पढाओ है जो सरकार, गैर सरकारी संगठनों, कॉर्पोरेट समूहों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों द्वारा बहुत सक्रिय रूप से समर्थित है।

विभिन्न सामाजिक संगठनों ने कन्या विद्यालयों में शौचालय का निर्माण कर अभियान में मदद की है। भारत के विकास और विकास के रास्ते में बालिकाओं और महिलाओं के खिलाफ अपराध बड़ी बाधा हैं। कन्या भ्रूण हत्या एक बड़ा मुद्दा था, लेकिन सरकार ने अस्पतालों में लिंग निर्धारण, स्कैन परीक्षण, एमनियोसेंटेसिस आदि के लिए अल्ट्रासाउंड पर रोक लगा दी है। सरकार ने लोगों को यह बताने के लिए यह कदम उठाया है कि समाज में एक बालिका एक पाप नहीं है; वह भगवान का एक अच्छा उपहार है।

एक बालिका की हत्या, घृणा या अनादर नहीं किया जाना चाहिए। उसे समाज और देश की भलाई के लिए बचाया, प्यार और सम्मान दिया जाना चाहिए। वह लड़कों की तरह देश के विकास में बराबर की भागीदार है।

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Short hindi stories with moral values

151 Hindi short stories with moral for kids बच्चों के लिए प्रेरणादायक लघु कहानियां

Today we are writing Hindi short stories with moral values for kids . These stories are only for kids and also written in that lucid language. These Hindi stories with morals may also be useful for teachers.

We are writing 101 Hindi short stories with moral values for kids here.

Table of Contents

151 Short Hindi stories with moral values – शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ

नीचे लिखी गयी सभी कहानियां शिक्षाप्रद होने के साथ पढ़ने में भी मजेदार है। हर एक कहानी आपको जीवन को सही तरीके से बीतने की शिक्षा देते हैं।

1. दयालु चींटी और नासमझ टिड्डा

एक समय की बात है, एक हरे-भरे घास के मैदान में, अंजलि नाम की एक चींटी और वैभव नाम का एक टिड्डा रहता था । अंजलि एक मेहनती चींटी थी जो सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा करने में अपना दिन बिताती थी। और वही दूसरी ओर, वैभव ने अपना समय खेलने और गाने में बिताया, और इतनी मेहनत करने के लिए अंजलि का मज़ाक उड़ाया। “तुम इतनी मेहनत क्यों करती हो, अंजलि? आओ और आनंद लो!” वैभव ने कहा.

अंजलि ने उत्तर दिया, “सर्दी आ रही है, गैरी। तैयार रहना महत्वपूर्ण है।”

महीने बीत गए और सर्दी आ गई। घास का मैदान बर्फ से ढक गया, और भोजन दुर्लभ हो गया। टिड्डा वैभव , जिसने सर्दियों के लिए तैयारी नहीं की थी, ठंडा और भूखा था। वह अंजलि के घर गया और खाना मांगा. दयालु होने के कारण अंजलि ने अपना भोजन वैभव के साथ साझा किया। वैभव ने एक मूल्यवान सबक सीखा और तब से कड़ी मेहनत करने और भविष्य के लिए तैयारी करने का फैसला किया।

इस कहानी से हमे क्या नैतिक शिक्षा मिलती है?

उत्तर: तैयार रहना और कड़ी मेहनत करना महत्वपूर्ण है, लेकिन दयालु होना और जरूरतमंदों की मदद करना भी महत्वपूर्ण है।

2. शेर का आसन

( hindi short stories with moral for kids ).

शेर जंगल का राजा होता है। वह अपने जंगल में सब को डरा कर रहता है। शेर भयंकर और बलशाली होता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने गया। शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है। शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा। शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए। बस क्या था झट से आसन लग गया। शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा। हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है, आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है। शेर की टांग टूट गई शेर खड़ा होकर कहने लगा – ‘ पैदल चलना ही ठीक रहता है। ‘

नैतिक शिक्षा –

जिसका काम उसी को साजे , शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।

Moral of this short hindi story –

Never leave your own personality. And also not try to copy anyone’s identity.

jangal ka raja sher ki kahani

3. रेलगाड़ी

पिंकी बहुत प्यारी लड़की है। पिंकी कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखी।  उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई, जो कुछ दिन पहले पापा-मम्मी के साथ की थी। पिंकी ने चौक उठाई और फिर क्या था, दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया , दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। जब चौक खत्म हो गया पिंकी उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ  – रेलगाड़ी दिल्ली गई  ,  मुंबई गई , अमेरिका गई , नानी के घर गई , और दादाजी के घर भी गई।

नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।

Moral of this short Hindi story – Boost the confidence of children because they are the future.

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4. शरारती चूहा

गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी। चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था, उसने शरबत पीना था।

चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है।  अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है। बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता। फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ  शरबत से गीली हो जाती है  उसे चाट-चाट कर  चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।

नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।

Moral of this short hindi story – Hard work with smartness is the key to success. Always focus on smart work.

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5. बिल्ली बच गई

ढोलू-मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते, पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए  खूब रो रहे थे। ढोलू-मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर  ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी।

नैतिक शिक्षा –  दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

Moral of this short hindi story – Always try to help others. It will give real pleasure.

6. रितेश के तीन खरगोश राजा

रितेश का कक्षा तीसरी में पढ़ता था।  उसके पास तीन छोटे प्यारे प्यारे खरगोश थे। रितेश अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था। वह स्कूल जाने से पहले पाक से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था। और फिर स्कूल जाता था। स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।

एक  दिन की बात है रितेश को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका, और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था। रितेश ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।

रितेश उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई। रितेश अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे , और खेल रहे थे। रितेश को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मैं भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।

नैतिक शिक्षा –   जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।

Moral of this short hindi story – Understand the agony of others. You will never feel any sorrow.

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7. दोस्त का महत्व

वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं, पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।

एक  दिन की बात है, वेद को खेलते खेलते चोट लग गई। वेद के दोस्तों ने वेद  को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई, इस पर वेद को मालिश किया गया।

मम्मी ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। वेद जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था।

नैतिक शिक्षा –  दोस्त सुख-दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपाना नहीं चाहिए।

Moral of this story

Always love your best friend. And take the time to choose your friends or company of friends. Because this company with friends will decide your behavior towards the situation in life.

8. मां की ममता – Short Hindi stories with moral

आम के पेड़ पर एक सुरीली नाम की चिड़िया रहती थी। उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे, इसीलिए सुरीली उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी।

एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी। तभी सुरीली के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी। बच्चे खूब जोर से रोने लगे, इतना जोर की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे। सुरीली से अपने बच्चों के रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।

सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।

पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया। और झटपट वहां से उड़ गई।

घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।

मोरल – संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।

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9. रानी की शक्ति

रानी एक चींटी का नाम है जो अपने दल से भटक चुकी है। घर का रास्ता नहीं मिलने के कारण , वह काफी देर से परेशान हो रही थी। रानी के घर वाले एक सीध में जा रहे थे। तभी जोर की हवा चली, सभी बिखर गए। रानी भी अपने परिवार से दूर हो गई। वह अपने घर का रास्ता ढूंढने में परेशान थी।

काफी देर भटकने के बाद उसे जोर से भूख और प्यास लगी।

रानी जोर से रोती हुई जा रही थी।

रास्ते में उसे गोलू के जेब से गिरी हुई टॉफी मिल गई। रानी के भाग्य खुल गए।  उसे भूख लग रही थी और खाने को टॉफी मिल गया था। रानी ने जी भर के टोपी खाया अब उसका पेट भर गया।

रानी ने सोचा क्यों ना इसे घर ले चलूँ , घर वाले भी खाएंगे।

टॉफी बड़ा थी, रानी उठाने की कोशिश करती और गिर जाती। रानी ने हिम्मत नहीं हारी। वह दोनों हाथ और मुंह से टॉफी को मजबूती से पकड़ लेती है ।

घसीटते -घसीटते वह अपने घर पहुंच गई। उसके मम्मी – पापा और भाई-बहनों ने देखा तो वह भी दौड़कर आ गए। टॉफी उठाकर अपने घर के अंदर ले गए।

फिर क्या था ?

सभी की पार्टी शुरू हो गई।

मोरल – लक्ष्य कितना भी बड़ा हो निरंतर संघर्ष करने से अवश्य प्राप्त होता है।

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10. मोती का मित्र

मोती तीसरी कक्षा में पढ़ता है। वह स्कूल जाते समय अपने साथ दो रोटी लेकर जाता था। रास्ते में मंदिर के बाहर एक छोटी सी गाय रहती थी। वह दोनों रोटी उस गाय को खिलाया करता था।

मोती कभी भी गाय को रोटी खिलाना नहीं भूलता। कभी-कभी स्कूल के लिए देर होती तब भी वह बिना रोटी खिलाए नहीं जाता ।

स्कूल में लेट होने के कारण मैडम डांट भी लगाती थी।

वह गाय इतनी प्यारी थी, मोती को देखकर बहुत खुश हो जाती ।

मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।

दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे।

एक दिन की बात है मोती बाजार से सामान लेकर लौट रहा था।

मंदिर के बाहर कुछ लड़कों ने उसे पकड़ लिया।

मोती से सामान छीनने लगे। गाय ने मोती को संकट में देख उसको बचाने के लिए दौड़ी।

गाय को अपनी ओर आता देख सभी लड़के नौ-दो-ग्यारह हो गए।

मोती ने गाय को गले लगा लिया, बचाने के लिए धन्यवाद कहा।

मोरल –

  • गहरी मित्रता सदैव सुखदाई होती है।
  • निस्वार्थ भाव से व्यक्ति को मित्रता करनी चाहिए। संकट में मित्र ही काम आता है।

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11. बलवान कछुए की मूर्खता

एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी।

एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान कवच से बची थी। उसे काफी खुशी हुई क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।

यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।

विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।

अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।

उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी, वह रोने लगा।

आज उसने अपना कवच नहीं पहना था। जिसके कारण काफी चोट जोर से लग रही थी।

विशाल रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया।  कम से कम कवच से जान तो बचती है।

प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।

12. राजू की समझदारी – Laghu kahani

जतनपुर में लोग बीमार हो रहे थे। डॉक्टर ने बीमारी का कारण मक्खी को बताया। जतनपुर के पास एक कूड़ेदान है। उस पर ढेर सारी मक्खियां रहती है। वह उड़कर सभी घरों में जाती, वहां रखा खाना गंदा कर देती। उस खाने को खाकर लोग बीमार हो रहे थे।

राजू दूसरी क्लास में पढ़ता है। उसकी मैडम ने मक्खियों के कारण फैलने वाले बीमारी को बताया।

राजू ने मक्खियों को भगाने की ठान ली।

घर आकर मां को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती है। घर में आकर गंदगी फैल आती है। इसे घर से बाहर भगाना चाहिए।

राजू बाजार से एक फिनाइल लेकर आया।

उसके पानी से घर में साफ सफाई हुई। रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया।

दो दिन में मक्खियां घर से बाहर भाग गई।

फिर घर के अंदर कभी नहीं आई।

मोरल – स्वयं की सतर्कता से बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।

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13. चुनमुन के बच्चे

बच्चों की प्यारी गोरैया चिड़िया । यह सबके घर में प्यार से रहती है। जो दाना-पानी देता है, उसके घर तो मस्ती से रहती है। कूलर के पीछे चुनमुन का घोंसला है। उसके तीन बच्चे है , यह अभी उड़ना नहीं जानते।

चुनमुन के बच्चों ने उड़ना सिखाने के लिए तंग कर दिया।

चुनमुन कहती अभी थोड़ी और बड़ी हो जाओ तब सिखाएंगे। बच्चे दिनभर ची ची ची ची  करके चुनमुन को परेशान करते।

एक दिन चुनमुन ने बच्चों को उड़ना सिखाने के लिए कहा।

अपने दोनों हाथों में उठाकर आसमान में ले गई। उन्हें छोड़ दिया, वह धीरे-धीरे उड़ रही थी।

जब बच्चे गिरने लगते चुनमुन उन्हें अपने पीठ पर बैठा लेती।  फिर उड़ने के लिए कहती।

ऐसा करते करते चुनमुन के बच्चे आसमान में उड़ने लगे थे।

चुनमुन ने सभी को घर चलने के लिए कहा।

सब मां के पीछे-पीछे घर लौट आए।

मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

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14. कालिया को मिली सजा

कालिया से पूरा गली परेशान था। गली से निकलने वाले लोगों को कभी भों भों करके डराता। कभी काटने दौड़ता था। डर से बच्चों ने उस गली में अकेले जाना छोड़ दिया था।

कोई बच्चा गलती से उस गली में निकल जाता तो , उसके हाथों से खाने की चीज छीन कर भाग जाता ।

कालिया ने अपने दोस्तों को भी परेशान किया हुआ था।

सब को डरा कर वाह अपने को गली का सेट समझने लगा था। उसके झुंड में एक छोटा सा शेरू नाम का डॉगी भी था।

वह किसी को परेशान नहीं करता, छोटे बच्चे भी उसे खूब प्यार करते थे।

एक दिन शेरू को राहुल ने एक रोटी ला कर दिया।

शेरू बहुत खुश हुआ उस रोटी को लेकर गाड़ी के नीचे भाग गया। वहीं बैठ कर खाने लगा।

कालिया ने शेरू को रोटी खाता हुआ देख जोर से झटका और रोटी लेकर भाग गया।

शेरू जोर-जोर से रोने लगा।

राहुल ने अपने पापा से बताया। उसके पापा कालिया की हरकत को जानते थे। वह पहले भी देख चुके थे।

उन्हें काफी गुस्सा आया।

एक लाठी निकाली और कालिया की मरम्मत कर दी।

कालिया को अब अपनी नानी याद आ गई थी।

वह इतना सुधर गया था , गली में निकलने वालों को परेशान भी नहीं करता।

छोटे बच्चे को देखते ही छुप जाता था।

बुरे काम का बुरा ही नतीजा होता है बुरे कामों से बचना चाहिए।

15. सच्ची मित्रता

अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर सूरसिंह और सिंहराज रहते थे। सुरसिंह अब बूढ़ा हो चला था। अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था।

सिंहराज उसके लिए शिकार करता और भोजन ला कर देता।

सिंहराज जब शिकार पर निकलता , सूरसिंह अकेला हो जाता।

डर के मारे कोई पशु उसके पास नहीं जाते थे ।

आज सुरसिंह को अकेला देख सियार का झुंड टूट पड़ा। आज सियार को बड़ा शिकार मिला था।

चारों तरफ से सियारों ने सुरसिंह को नोच-नोच कर जख्मी कर दिया था।

वह बेहोश की हालत में हो गया।

अचानक सिंहराज वहां दहाड़ता हुआ आ गया।

सिंहराज को वहां आता देख, सियारों के प्राण सूख गए।

सिंह राज ने देखते ही देखते सभी सियारों को खदेड़ दिया। जिसके कारण उसके मित्र सुरसिंह की जान बच सकी

मोरल – सच्ची मित्रता सदैव काम आती है ,जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।

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16. बिच्छू और संत

बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।

बरसात का दिन था। एक बिच्छू नाले में तेजी से बेहता जा रहा था।संत ने बिच्छू को नाली में बहता देख।

अपने हाथ से पकड़कर बाहर निकाला।

बिच्छू ने अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मारकर नाले में गिर गया।

संत ने बिच्छू को फिर अपने हाथ से निकाला। बिच्छू ने संत को फिर डंक मारा।

ऐसा दो-तीन बार और हुआ।

पास ही वैद्यराज का घर था। वह संत को देख रहे थे। वैद्यराज दौड़ते हुए आए। उन्होंने बिच्छू को एक डंडे के सहारे दूर फेंक दिया।

संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।

फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे ?

संत ने कहा वह अपना स्वभाव नहीं बदल सकता तो, मैं अपना स्वभाव कैसे बदल लूं !

मोरल – विषम परिस्थितियों में भी अपने स्वभाव को नहीं बदलना चाहिए।

17. महात्मा बना विषधर

गांव के बाहर पीपल बड़ा वृक्ष था। यह वृक्ष 200 साल से अधिक पुराना था। गांव के लोग उस वृक्ष के नीचे नहीं जाते थे। वहां एक भयंकर विषधर सांप रहा करता था। कई बार उसने चारा खा रही बकरियों को काट लिया था।

गांव के लोगों में उसका डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।

लोगों ने उस विषधर का इलाज करने को कहा।

रामकृष्ण परमहंस उस वृक्ष के नीचे गए और विषधर को बुलाया। विषधर क्रोध में परमहंस जी के सामने आंख खड़ा हुआ। विषधर को जीवन का ज्ञान देकर परमहंस वहां से चले गए।

विषधर अब शांत स्वभाव का हो गया। वह किसी को काटना नहीं था।

गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।

एक दिन जब रामकृष्ण परमहंस गांव लौट कर आए।

उन्होंने देखा बच्चे पीपल के पेड़ के नीचे खेल रहे हैं। वह विषधर को परेशान कर रहे थे। विषधर कुछ नहीं कर रहा है।

ऐसा करता देख उन्होंने बच्चों को डांट कर भगाया , और विषधर को अपने साथ ले गए।

मोरल – संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।

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18. चिंटू पिंटू की शरारत

चिंटू-पिंटू दोनों भाई थे, दोनों की उम्र लगभग 2 साल की होगी। दोनों खूब शरारत करते थे। चिंटू ज्यादा शरारती था। वह पिंटू के सूंढ़ को अपने सूंढ़ में लपेटकर खींचता और कभी धक्का देकर गिरा देता।

एक दिन की बात है, दोनों खेल में लड़ते-झगड़ते दौड़ रहे थे।

चिंटू का पैर फिसल जाता है, वह एक गड्ढे में गिर जाता है।

चिंटू काफी मशक्कत करता है फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाता।

पिंटू उसे अपने सूंढ़ से ऊपर खींचने की कोशिश करता। मगर उसकी कोशिश नाकाम रहती।

पिंटू दौड़कर अपनी मां को बुला लाता है।

उसकी मां अपने लंबे से सूंढ़ में लपेट कर चिंटू को जमीन पर ले आती है।

चिंटू की शरारत उस पर आज भारी पड़ गई थी।

उसने रोते हुए कहा-आगे से शरारत नहीं करूंगा।

दोनों भाई खेलने लगे, इसको देकर उसकी मां बहुत खुश हुई।

मोरल – अधिक शरारत और दूसरों को तंग करने की आदत सदैव आफत बन जाती है।

19. साहस का परिचय

जंगल में सुंदर-सुंदर हिरण रहा करते थे। उसमें एक सुरीली नाम की हिरनी थी। उसकी बेटी मृगनैनी अभी पांच महीने की थी। मृगनैनी अपनी मां के साथ जंगल में घूमा करती थी।

एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी, तभी दो गीदड़ आ गए।

वह मृगनैनी को मार कर खाना चाहते थे।

सुरीली दोनों गीदड़ को अपने सिंघ से मार-मार कर रोक रही थी।

मगर गीदड़ मानने को तैयार नहीं थे।

वहां अचानक ढेर सारे हिरनी का झुंड आ गया।

हिरनी गीदड़ के पीछे दौड़ने लगी। गीदड़ अपने प्राण लेकर वहां से रफूचक्कर हो गया।

सुरीली और मृगनैनी की जान आज उसके परिवार ने बचा लिया था।

मोरल – एक साथ मिलकर रहने से बड़ी से बड़ी चुनौती दूर हो जाती है।

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20. मुकेश की पेंटिंग स्वच्छता के लिए

मुकेश कोई छः – सात साल का होगा। उसे पेंटिंग करना और क्रिकेट खेलना बेहद पसंद है। खाली समय में वह क्रिकेट खेलता और पेंटिंग बनाया करता था।

पेंटिंग की कोई भी प्रतियोगिता स्कूल में होती, तो उसमें वह प्रथम स्थान प्राप्त करता। मुकेश की पेंटिंग की सराहना स्कूल में भी की जाती थी।

मुकेश जब भी स्कूल जाता उसे रास्ते में कूड़ेदान से होकर गुजरना पड़ता था।

लोग पटरियों पर कूड़ा फेंक देते और दीवार के सामने पेशाब भी करते थे, जिसके कारण वहां काफी बदबू आती थी। मुकेश को यह सब अच्छा नहीं लगता था।

एक दिन की बात है प्रधानमंत्री स्वच्छता कार्यक्रम के लिए सभी विद्यार्थियों को सहयोग करने के लिए कह रहे थे। मुकेश को आइडिया आया उसने कूड़ेदान के पास जाकर खूब सारी पेंटिंग दीवार पर बना दी। वह पेंटिंग इतनी खूबसूरत थी कि कोई भी व्यक्ति वहां से गुजरते हुए। उस पेंटिंग की सराहना करते जाता था।

धीरे-धीरे वहां से लोगों ने कूड़ा फेंकना बंद कर दिया, और इतनी खूबसूरत पेंटिंग दीवार पर थी कि कोई अब वहां खड़े होकर पेशाब भी नहीं करता था। देखते ही देखते वह रास्ता साफ हो गया था।

मुकेश को अब स्कूल और घर के बीच किसी प्रकार की गंदगी दिखाई नहीं देती थी। इसे देखकर वह काफी खुश होता था।

कुछ बड़ा कर गुजरने की कोई आयु नहीं होती। अपनी प्रतिभा से समाज को भी बदला जा सकता है।

21. करुणा का प्रहार

अब्दुल के पास एक बकरी थी , उस बकरी का एक छोटा सा बच्चा था। अब्दुल दोनों को प्यार करता उनके लिए खेत से नरम और मुलायम घास लाता।

दोनों बकरियां घास को खाकर खुश रहती थी।

अब्दुल को दूर से देखकर झटपट दौड़ उसके पास पहुंच जाया करती थी।

अब्दुल चौथी कक्षा में पढ़ता था।

एक दिन जब वह स्कूल गया हुआ था।

उसके अम्मी – अब्बू ने बकरी के बच्चे का सौदा सलीम से कर दिया।

सलीम जब उस बच्चे को लेकर जाने लगा बकरी समझ गई। उसके बच्चे को यह लोग ले जा रहे हैं।

बकरी जोर – जोर से चिल्लाने लगी

उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी, किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।

सलीम बच्चे को लेकर काफी दूर निकल गया।

बच्चा भी जोर जोर से चिल्ला रहा था। वह अपनी मां को पुकार रहा था।  मां की करुणा आंसुओं में बह रही थी, किंतु बेबस थी।

बकरी ने अंतिम समय सोचा , अगर अभी प्रयत्न नहीं किया तो वह अपने बच्चे से कभी नहीं मिल पाएगी। ऐसा सोचते हुए एक बार जोरदार प्रयास किया। रस्सी का फंदा बकरी के गले से टूट गया।  वह बकरी जान – प्राण लेकर सलीम की ओर भागी।

अपने बच्चे को देखकर बकरी ने सलीम पर जोरदार प्रहार किया। काफी समय सलीम को मशक्कत करते हो गई , किंतु बकरी के प्रहार को रोक नहीं पाया। एकाएक अनेकों प्रहार बकरी करती रही।

अंत में सलीम हार मान गया और बकरी के बच्चे को वहीं छोड़कर। अब्दुल के अम्मी – अब्बू से अपने पैसे लेकर वापस लौट आया।

अब्दुल जब वापस लौट कर आया उसे पड़ोसियों ने पूरी घटना बता दी। जिसके बाद वह अपने मां-बाप से गुस्सा हो गया। मां बाप ने काफी समझाया किंतु उसने किसी की एक न सुनी।  क्योंकि वह बकरी उसके लिए अमूल्य थे जिसे वह बेचना चाह रहे थे।

  • मां की करुणा के प्रहार से बड़ी से बड़ी शक्तियां पराजित हो जाती है। मां अपने बच्चे के लिए अपना जीवन भी दांव पर लगा देती है।
  • बकरी ने अपना जीवन दाव पर लगाकर सलीम पर प्रहार किया था।

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22. और बन गई क्रिकेट टीम

राजू पार्क में उदास बैठा था , आज उसके दोस्त खेलने नहीं आए थे। राजू के पास एक गेंद थी , किंतु बैट और मित्र नहीं थे। वह अकेले ही गेंद के साथ मायूसी से खेल रहा था। पार्क में अन्य बालक भी क्रिकेट खेल रहे थे , किंतु राजू उन्हें जानता नहीं था। इसलिए वह अकेला ही कभी गेंद से खेलता और कभी बैठ कर उन बालकों को खेलता हुआ देखता रहता।

कुछ देर बाद सामने खेल रहे बालकों की गेंद पड़ोस के एक बंद घर में जा गिरी।

वहां से गेंद के लौट का आना असंभव था , और कोई बालक उसे लेने के लिए भीतर भी नहीं जा सकता था। अब उन बालकों का भी खेलना बंद हो गया। वह सभी उदास हो गए , क्योंकि अब वह भी क्रिकेट नहीं खेल सकते थे।

उन बालकों की नजर राजू के ऊपर गई , जिसके पास गेंद थी।

फिर क्या था , उन लोगों ने राजू को खेलने के लिए अपने पास बुला लिया। राजू खेलने में अच्छा था। इसलिए काफी बेहतरीन शॉर्ट लगा सकता था। गेंद को पकड़ने के लिए और बालकों की आवश्यकता हुई। जिस पर पार्क में खेल रहे और बालक भी उनसे जुड़ गए। और फिर देखते देखते दो दल बन गया।

इस प्रकार राजू की एक नई क्रिकेट टीम तैयार हो गई।

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23. स्वयं का नुकसान

शहर में एक छोटी सी दुकान , जिसमें कुछ चिप्स , पापड़ , टॉफी , बिस्किट आदि की बिक्री होती थी। यह दुकान अब्दुल मियां की थी। इनकी हालात सभी लोगों को मालूम थी , इसलिए ना चाहते हुए भी आस पड़ोस के लोग कुछ ऐसा सामान ले लिया करते थे। जिससे अब्दुल मियां की कुछ कमाई हो जाए।

दुकान में चूहों ने भी अपना डेरा जमा लिया था। दुकान में एक से बढ़कर एक शरारती चूहे आ गए थे।

इन चूहों ने टॉफी और बिस्किट को नुकसान पहुंचाना चालू कर दिया था।

अब्दुल काफी परेशान हो गया था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस शरारत से कैसे बचे।

एक दिन की बात है, अब्दुल बैठा हुआ था तीन – चार चूहे आपस में लड़ रहे थे।

अब्दुल को गुस्सा आया उसने एक डंडा उन चूहों की ओर जोर से चलाया।

चूहे उछल कर भाग गए, किंतु वह डंडा इतना तेज चलाया गया था कि टॉफी रखने वाली शीशे की जार टूट गई।

ऐसा करने से और भी बड़ा नुकसान हो गया।

निष्कर्ष – क्रोध में किसी प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए , यह स्वयं के लिए नुकसानदेह होता है।

24. अपने गलती का पछतावा

गोपाल के घर पांच भैंस और एक गाय थी। वह सभी भैंसों की दिनभर देखभाल किया करता था। उनके लिए दूर-दूर से हरी – हरी घास काटकर लाया करता और उनको खिलाता। गाय , भैंस गोपाल की सेवा से खुश थी।

सुबह – शाम इतना दूध हो जाता , गोपाल का परिवार उस दूध को बेचने पर विवश हो जाता।

पूरे गांव में गोपाल के घर से दूध बिकने लगा।

अब गोपाल को काम करने में और भी मजा आ रहा था , क्योंकि इससे उसकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही थी।

कुछ दिनों से गोपाल परेशान होने लगा , क्योंकि उसके रसोईघर में एक बड़ी सी बिल्ली ने आंखें जमा ली थी। गोपाल जब भी दूध को रसोई घर में रखकर निश्चिंत होता। बिल्ली दूध पी जाती और उन्हें जूठा भी कर जाती। गोपाल ने कई बार उस बिल्ली को भगाया और मारने के लिए दौड़ाया , किंतु बिल्ली झटपट दीवार चढ़ जाती और भाग जाती।

एक  दिन गोपाल ने परेशान होकर बिल्ली को सबक सिखाने की सोंची ।

जूट की बोरी का जाल बिछाया गया , जिसमें बिल्ली आसानी से फंस गई।

अब क्या था गोपाल ने पहले डंडे से उसकी पिटाई करने की सोची।

बिल्ली इतना जोर – जोर से झपट रही थी गोपाल उसके नजदीक नहीं जा सका।

किंतु आज सबक सिखाना था , गोपाल ने एक माचिस की तीली जलाई और उस बोरे पर फेंक दिया।

देखते ही देखते बोरा धू-धू कर जलने लगा , बिल्ली अब पूरी शक्ति लगाकर भागने लगी।

बिल्ली जिधर जिधर भागती , वह आग लगा बोरा उसके पीछे पीछे होता।

देखते ही देखते बिल्ली पूरा गांव दौड़ गई।

पूरे गांव से आग लगी……………….. आग लगी  , बुझाओ …….बुझाओ

इस प्रकार की आवाज उठने लगी। बिल्ली ने पूरा गांव जला दिया।

गोपाल का घर भी नहीं बच पाया था।

आवेग और स्वयं की गलती का फल खुद को तो भोगना पड़ता ही है , साथ में दूसरे लोग भी उसकी सजा भुगतते हैं।

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25. दद्दू की चोट पर हुई किसकी पिटाई

दद्दू और मोहित दोनों भाई थे। दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते थे , मोहित दद्दू से 2 साल बड़ा था। दोनों एक साथ स्कूल जाते , लौटते समय भी दोनों साथ ही आते थे।

एक दिन की बात है दद्दू अपने दोस्तों के साथ साथ , तेज कदमों से घर की ओर लौट रहा था। अचानक उसका पैर एक पत्थर पर पड़ा , कंधे पर किताब – कॉपी का बोझ लदा था , वह संभल नहीं पाया और गिर गया।

दद्दू को चोट लग गई , उसका घुटना छिल गया………….

जिससे दद्दू जोर जोर से रोने लगा।

पीछे मोहित आ रहा था दौड़ कर झट से अपने भाई को उठा लिया।

मोहित समझदार था दद्दू को काफी समझाया किंतु वह चुप नहीं हो रहा था।

मोहित ने झटपट एक उपाय सोचा और सड़क पर 4-5 लात जोर से मारी और दद्दू को कहा लो इसने तुम्हें चोट लगाया था मैंने इसे चोट लगा दिया।

दद्दू अब सोच में पड़ गया , उसने भी 8 -10 लात मारी।

उसके और दोस्त थे ,

वह भी सड़क पर उछलने लगे जिससे सड़क को और चोट लगे।

बस क्या था , अब यह मनोरंजन का साधन बन गया। कुछ देर बाद सभी वहां से जा चुके थे।

घर पहुंच कर मोहित ने दद्दू के चोट को दिखाया और डिटॉल तथा साफ पानी से घाव को साफ किया गया।

संदेश – समय पर लिया गया निर्णय सर्वदा ठीक होता है।

26 कुम्हार का वात्सल्य रूप

आज लकड़ी काटने के लिए मदन घूमता रहा, किंतु उसे कोई सूखा पेड़ नहीं मिला। वह प्रकृति से इतना जुड़ा हुआ था कि वह हरे-भरे वृक्षों को अपने कुल्हाड़ी के चोट से नहीं काटता। पेड़-पौधों को वह बेटे के समान मानता था और बेटे की हत्या मानव कभी कर ही नहीं सकता।

मदन बेहद गरीब था, घर में बुजुर्ग मां-बाप, पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे थे। उनका भरण-पोषण मदन के कार्य से ही चलता था। मदन दिनभर जंगलों में घूमता लकड़ियां जमा करता और शाम तक बाजार में बेचकर खाने-पीने का सामान घर ले आता। इसी से पूरा घर दो वक्त की रोटी खा पाता था।

न जाने आज कैसा दिन था कि आज उसे कोई सुखी लकड़ी या सुखा पेड़ मिल ही नहीं रहा था। वह थक हार कर एक जगह बैठ गया वह आज बेहद दुखी था कि आज उसे घर ले जाने के लिए अन्य पानी का प्रबंध नहीं हो सका। वह सोचते सोचते बेसुध हो गया और वहीं लेट गया।

प्रकृति सदैव मानव की रक्षा करती है, मानव के जीवन का एक अभिन्न अंग होती है और मनुष्य को प्रकृति पुत्र के समान पालन करती है।

मदन की ऐसी हालत देख प्रकृति में भी उदासी का भाव था। तभी अचानक एक अनोखी घटना घटती है, पेड़ों से शीतल हवा बहने लगती है।

मदन कि अचानक नींद खुलती है तो वह अपने नजदीक एक कपड़े की पोटली पाता है। यह पोटली पेड़ों से चलने वाली हवाओं के साथ मदन के पास आया था।

इस पोटली का रहस्य यह था – कुछ दिन पूर्व एक भले आदमी को लूट कर जंगली डाकू भाग रहे थे, तभी अचानक उनका पैर फिसला और वह पहाड़ों की दुर्गम खाई में जा गिरे जिससे उनकी मृत्यु हो गई। यह पोटली गिरते समय डाकुओं के हाथ से छिटक कर पेड़ पर टंग गई थी। आज आवश्यकता की घड़ी में मदन को उन पैसों से सहायता हो सकी।

मोरल – जब आप किसी की सहायता करते हैं निर्दोष लोगों को परेशान नहीं करते तो प्रकृति भी आपकी सहायता करती है। जब आप प्रकृति का नुकसान पहुंचाते हैं तो प्रकृति भी आप को नुकसान पहुंचाती है, यह नुकसान दीर्घकालिक होता है।

27. बड़े भैया का रुमाल

राजू तीसरी कक्षा में पढ़ता है , उसका बड़ा भाई कार्तिक भी उसी विद्यालय में पांचवी कक्षा में पढ़ता है। दोनों भाई एक साथ विद्यालय जाते-आते थे।  रास्ते में दोनों खूब मस्तियां किया करते थे। कार्तिक के पास एक रुमाल था , जिसे वह हमेशा डिटॉल से धोकर साफ-सुथरा रखता था। राजू अपने भैया को हमेशा देखता वह अपने पास सोचता भैया रूमाल को रखते है?

थोड़ी सी भी गंदगी होने पर उसे साफ करते और फिर उसे मोड़ कर अपनी जेब में रख लेते। रुमाल की गंदगी उन्हें पसंद नहीं थी। राजू को इन सब बातों की समझ नहीं थी , वह सोचता रहता था कि बड़े भैया ऐसा क्यों करते हैं , लेकिन कभी उसके समझ में नहीं आया।

एक दिन की बात है राजू झूला झूल रहा था तभी उसके हाथ से झूला छूट गया और वह जमीन पर गिर गया। जमीन पर गिरते ही राजू के घुटने में चोट आ गई जिसके कारण उसके घुटने से खून बहने लगा। कार्तिक ने अपने भाई को देखा तो वह जल्दी से दौड़ता हुआ आया और अपने जेब से रुमाल निकाल कर घाव पर बांध दिया। जिसके कारण खून बहना बंद हो गया। कार्तिक तुरंत अपने भाई को हॉस्पिटल ले गया जहां डॉक्टर ने मरहम-पट्टी कर राजू को बढ़िया कर दिया।

राजू ने देखा भैया जिस रुमाल को बड़े प्यार से साफ-सुथरा करके अपने पास हमेशा रखते थे। जिससे खूब प्यार करते थे , वह अब गंदी हो चुकी थी। बड़े भाई के प्यार के सामने वह रुमाल अधिक प्यारा नहीं था।

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28. मुर्गा की अकल ठिकाने

एक समय की बात है, एक गांव में ढेर सारे मुर्गे  रहते थे। गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया, उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी, और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला।  सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।

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Murga short story

नैतिक शिक्षा – घमंड नहीं करना चाहिए आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलता है।

Moral of this story – Never be too arrogant. Your work should tell your importance to the world.

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सर आपकी कहानियां बहुत ही अच्छी होती हे मेने भी अपना एक ब्लॉग बनाया हे Motivation पर lekin रैंक नहीं हो रही कोई मदद करे

Thank you so much itni interesting stories share karne ke liye. Sher ka Aasan aur Billi bach gayi – ye 2 sabse best lagi mujhe. Kaafi informative stories hain bachon ke liye bhi aur humare liye bhi. Thanks a lot for sharing

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Bahut achchi kahaniyan hai. Alag hai . Nai hai.

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यह सभी कहानियां मुझे बहुत अच्छी लगी और इन सभी कहानियों ने मेरी बहुत मदद करी है मेरा प्रोजेक्ट पूरा करने में। आपकी वेबसाइट बहुत अच्छी है और मेरा आपको दिल से धन्यवाद।

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बहुत अच्छी कहानियां लिखी है सर आपने. मुझे पढ़कर बहुत अच्छा लगा और मैंने शेयर भी किया है.

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बहुत ही अच्छी कहानियाँ हैं। शेर जो हाथी पर बैठा था वो सबसे ज्यादा मस्त था। ऐसी ही अच्छी अच्छी कहानियाँ और लिखें।

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बहुत ही अच्छी कहानियां लिखी है आपने.. शानदार कहानियां.. बहुत बहुत धन्यवाद

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अच्छा लगा कहानी पढ़कर. आपकी सभी कहानी सच में बहुत अच्छी है. दिल को छू गई.

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सभी की सभी कहानियां बहुत अच्छे तरीके से लिखी गई हैं. इसे पढ़कर ना सिर्फ मजा आता है बल्कि प्रेरणा भी मिलती है. आपको खुद का स्टोरी बुक भी बना सकते हैं.

नमस्ते सर, आपने बहुत ही अच्छी-अच्छी शॉर्ट स्टोरीज लिखीं हैं। आगे भी ऐसे ही लिखते रहिएगा सर

आप बहुत अच्छी कहानियां लिखते हैं मैंने आपकी बहुत सारी कहानियों की पोस्ट पड़ी है आपकी वेबसाइट पर. यहां पर और कहानियां लिखकर बहुत अच्छा काम किया है मैं आपको इसके लिए धन्यवाद करना चाहूंगा. हिंदी कहानियां इतने अच्छे तरीके से बहुत कम लोग लिखते हैं इंटरनेट पर. आप उनमें से एक है और काफी सक्षम है.

Thank you Hindivibhag for the best Hindi short stories that are so beautiful. Please keep adding and writing more.

सभी की सभी कहानियां बहुत अच्छी है. दिखने में और पढ़ने में छोटी हैं परंतु उनके नैतिक शिक्षा बहुत ही अच्छे हैं और लाभदायक है हमारे समाज के लिए. इस लेख के पीछे जो भी लेखक हैं उनको हम धन्यवाद करना चाहते हैं.

मुझे सभी कहानियां बहुत अच्छी लगी है और मैं इन कहानियों को प्रिंट करके अपने पास रख लूंगा.

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Amazing stories. I am a hindi learner and it helps me a lot. But I have some doubts like in this sentence मुर्गा की अकल ठिकाने. Why it is “ki” and not “ka”? Another one is कालिया को मिली सजा. Why it is “mili” and not “mila”?

आपके ब्लॉग पर हमेशा ही बहुत अच्छी जानकारी दी जाती है ऐसे ही लिखते रहिये, भगवान का आशीर्वाद आप पर हमेशा बना रहे

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बहुत ही अच्छी कहानियाँ है. ऐसे ही और कहानियाँ लिखते रहे, धन्यवाद

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बहुत अच्छे हिंदी कहानियां है और नैतिक शिक्षा भी आपने बहुत अच्छे से लिखी है परंतु मेरे को एक बात बतानी है। आप सभी कहानियों में नैतिक शिक्षा क्यों नहीं लिखे, कृपा करके सभी कहानियों में नैतिक शिक्षा लिखिए

सभी कहानियां बहुत छोटी है परंतु नैतिक शिक्षा बहुत अच्छे से दी गई है और अच्छे से लिखी भी गई है परंतु हम चाहते हैं कि आप को बड़ी कहानियां भी डालें जिसे पढ़कर और मजा आए एवं ज्यादा ज्ञान प्राप्त कर सकें

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Dhanyavaad in kahaniyon ke liye. Saari kahaniya bohut hi sundar hai. Badi hi saral bhasha ka prayog hua hai in kahaniyon me. Bacchon aur badon ke liye seekhne wali kahaniyaan hain. Ati sundar.

aapki sabhi story prernadayak he apka dhnywad kyuki mere bache ye kahaniya adhte he thank you

Badi achhi stories likhin hain aapne , aise hi likhte rahiye aur aage badte rahiye

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Nibandh

बालिका शिक्षा पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - लड़कियों की वर्तमान स्थिति - लड़कियों की शिक्षा का महत्व - सरकार द्वारा उठाए गए कदम - निष्कर्ष।

हमारा समाज पुरुष-शासित है। यहाँ माना जाता है कि पुरुष बाहर जाएँ तथा अपने परिवारों के लिए कमाएँ। महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे घर में रहें और परिवार की देखभाल करें। पहले इस व्यवस्था का समाज में सख्ती से पालन किया जाता था। आज भी थोड़ी-बहुत ऐसी मानसिकता देखी जा सकती है। जनसँख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्र है और भारत में लड़कियों की शिक्षा की दर बहुत कम है। इस कारण बालिकाओं की शिक्षा को बहुत क्षति हुई । उन्हें अध्ययन के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। बालिका की शिक्षा को अनुपयोगी समझा जाता था।

परंतु, अब समय बदल गया है। सामाजिक परिस्थितियाँ और आवश्यकताएँ बदल गई हैं। हमारा देश विकसित देश बनने की दौर में है। अब बालिका-शिक्षा की अनदेखी नहीं की जा सकती। हमारी लगभग आधी आबादी महिलाओं की है। इसलिए लड़कों के साथसाथ उनकी शिक्षा समान रूप से महत्त्वपूर्ण हो जाती है। किसी बालिका को शिक्षित करने के बहुत-से लाभ हैं। वह परिवार की देखभाल करती है। यदि वह शिक्षित है, तो वह घर पर वित्त की व्यवस्था कर सकती है, अपने परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकती है। वह अपने बच्चों को पढ़ा सकती है। मुद्रा-स्फीति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आजकल सिर्फ एक व्यक्ति की आय से ही घर को चलाना अत्यंत कठिन है। अतएव, वह इस ओर भी योगदान कर सकती है।

देश के भविष्य के लिए भारत में लड़कियों की शिक्षा आवश्यक है क्योंकि महिलायें अपने बच्चों की पहली शिक्षक हैं जो देश का भविष्य हैं। अशिक्षित महिलाएं परिवार के प्रबंधन में योगदान नहीं दे सकती और बच्चों की उचित देखभाल करने में नाकाम रहती हैं। इस प्रकार भविष्य की पीढ़ी कमजोर हो सकती है। लड़कियों की शिक्षा में कई फायदे हैं। एक सुशिक्षित और सुशोभित लड़की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक शिक्षित लड़की विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों के काम और बोझ को साझा कर सकती है। एक शिक्षित लड़की की अगर कम उम्र में शादी नहीं की गई तो वह लेखक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक के रूप में देश की सेवा कर सकती हैं। इसके अलावा वह अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बहुत अच्छी तरह से प्रदर्शन कर सकती है।

शिक्षित लड़कियाँ बच्चों में अच्छे गुण प्रदान करके परिवार के प्रत्येक मेंबर को उत्तरदायी बना सकती हैं। शिक्षित महिला सामाजिक कार्यकलापों में भाग ले सकती हैं और यह सामाजिक-आर्थिक रूप से स्वस्थ राष्ट्र के लिए एक बड़ा योगदान हो सकता है। एक आदमी को शिक्षित करके केवल राष्ट्र का कुछ हिस्सा शिक्षित किया जा सकता है जबकि एक महिला को शिक्षित करके पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है। लड़कियों की शिक्षा की कमी ने समाज के शक्तिशाली भाग को कमजोर कर दिया है। इसलिए महिलाओं को शिक्षा का पूर्ण अधिकार होना चाहिए और उन्हें पुरुषों से कमजोर नहीं मानना चाहिए।

आर्थिक संकट के इस युग में लड़कियों के लिए शिक्षा एक वरदान है। आज के समय में एक मध्यवर्गीय परिवार की जरूरतों को पूरा करना वास्तव में कठिन है। शादी के बाद अगर एक शिक्षित लड़की काम करती है तो वह अपने पति के साथ परिवार के खर्चों को पूरा करने में मदद कर सकती है। अगर किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है तो वह काम करके पैसा कमा सकती है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, चाहे वह लड़का हो या लड़की सभी के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। लेकिन हमारे समाज में अभी भी शिक्षा को लेकर लैंगिक भेदभाव किया जाता है जहां लड़कों की शिक्षा को तवज्जो दी जाती है वहीं लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर दिया जाता है।

शिक्षा महिलाओं के सोच के दायरे को भी बढ़ाती है जिससे वह अपने बच्चों की परवरिश अच्छे से कर सकती है। इससे वह यह भी तय कर सकती है कि उसके और उसके परिवार के लिए क्या सबसे अच्छा है। शिक्षा एक लड़की को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करती है ताकि वह अपने अधिकारों और महिलाओं के सशक्तिकरण को पहचान सके जिससे उसे लिंग असमानता की समस्या से लड़ने में मदद मिले।

सरकार ने बालिका-शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु बहुत-से उपाय किए हैं। बच्चों को निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए । 'सर्वशिक्षा अभियान' आरंभ किया गया है। बहुत-से बालिका विद्यालय खोले गए हैं। छात्राओं को विद्यालय-पोशाक और साइकिलें मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं। मेधावी छात्राओं को उच्च शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता दी जाती है। बहुत-से संगठन भी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।

लड़कों की तरह लड़कियों को भी विभिन्न प्रकार की शिक्षा देना जरूरी है। उनकी शिक्षा इस तरह से होनी चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों को उचित तरीके से पूरा करने में सक्षम हो सके। शिक्षा के द्वारा वे जीवन के सभी क्षेत्रों में पूरी तरह परिपक्व हो जाती हैं। एक शिक्षित महिला अपने कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में अच्छी तरह जानती हैं। वह देश के विकास के लिए पुरुषों के समान अपना योगदान दे सकती हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि बालिका की शिक्षा को अब अनुपयोगी नहीं समझा जा सकता। यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनकी कन्याएँ भी अनिवार्य रूप से विद्यालय जाएँ। वे न सिर्फ उन्हें उनकी गृहस्थी चलाने में, बल्कि राष्ट्र को भी मजबूत बनाने में मदद करेंगी।

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  • पर्यावरण प्रदूषण
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  • स्वतंत्रता दिवस
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  • विज्ञान के चमत्कार
  • टेलीविजन (दूरदर्शन )
  • सिनेमा या चलचित्र
  • मेरा देश : भारत
  • मेरा अपना नगर : दिल्ली
  • मेरी आत्मकथा ( मैं एक लड़का)
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  • मेरे पिताजी
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  • मेरा प्रिय शौक
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  • मेरी महत्वाकांक्षा
  • मेरा प्रिय मित्र
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  • मेरा प्रिय फल : आम
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  • विद्यालय में मेरा पहला दिन
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  • भारतीय किसान
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  • स्वामी विवेकानन्द
  • राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा पाटिल

माता-पिता की जिम्मेदारियाँ

माता-पिता की ज़िम्मेदारीयाँ: Responsibilities of Good Parents Essay in Hindi

माता-पिता सभी के लिए सबसे प्रिय होते हैं और सभी बच्चे भी अपने माँ-बाप की आँखों के तारे होते हैं। इस दुनिया में हमारा अस्तित्व ही उनकी वजह से है, और माता-पिता अपने बच्चों से निःस्वार्थ प्रेम करते हैं। सभी माँ-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे खुश रहें, वे तरक्की करें और बेहतर जीवन बिताएँ। और इसके लिए बच्चों को सही परवरिश देना बहुत ज़रूरी है। तो आइए जानते हैं कि माता-पिता की नैतिक जिम्मेदारियाँ क्या हैं?

Responsibilities of Parents in Hindi

सभी माता-पिता को यह जानना ज़रूरी है कि बचपन में हम अपने बच्चों को जो सिखाते हैं, वो जीवन-भर उसके साथ रहता है। कम उम्र में ही अगर बच्चों को अच्छी आदतें और संस्कार सिखा दिए जाएँ, तो बड़े होकर वो एक ज़िम्मेदार व्यक्ति बन सकते हैं। इसलिए हर माता-पिता को कोशिश करनी चाहिए कि बचपन से ही बच्चों को अच्छी सिख दें।

माता-पिता की ज़िम्मेदारीयाँ

  • हर उम्र का बच्चा माता-पिता के बर्ताव की नकल करता है, इसलिए उसके सामने सही बर्ताव करें।
  • अगर अभिभावक कहते हैं कि झूठ बोलना ग़लत है तो खुद भी झूठ न बोलें।
  • घर के माहौल का बच्चे पर बहुत असर होता है।
  • घर में लड़ाई-झगड़ा हो, तो बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। माता-पिता के बीच विवाद हो तो बच्चे के सामने न उलझें, अकेले में सुलझाएँ।
  • बच्चे पर बार-बार हाथ उठाया जाए, तो उसे बेइज़्ज़ती महसूस होती है। इससे बच्चा या तो दब्बू या ढीठ बन जाता है।
  • बच्चे को सख़्त सजा देना भी अच्छा नहीं है।
  • बच्चा कुछ अच्छा करे, तो उसकी तारीफ़ करना और इनाम देना चाहिए। इनाम के तौर पर उसे कहानी सुनाएँ, घुमाने ले जाएँ, आदि।
  • बच्चे के जन्म से ही उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरुरी है।
  • बीमारियों से बचाने के लिए नियमित रूप से टीके लगवाने चाहिए। बच्चा बीमार पड़े, तो उसका उचित इलाज जरुरी है।
  • बच्चे को उम्र के अनुसार सही भोजन देना चाहिए। यह भी देखना चाहिए कि उसका सही विकास हो रहा है या नहीं।
  • बच्चों को उनकी पसंद के कपड़े और खिलौने दें।
  • लड़का हो या लड़की- दोनों को शिक्षा के समान अवसर मिलने चाहिए।
  • खेलने-खाने की उम्र में उनसे मज़दूरी नहीं करानी चाहिए।
  • उन्हें बोलने और उनके विचार रखने की आजादी देनी चाहिए। घर के फ़ैसलों में उनकी भी राय लेनी चाहिए।
  • उन्हें अच्छे संस्कार देने चाहिए और अच्छी बातें सीखनी चाहिए। जैसे- सच बोलना, चोरी न करना, बड़ों और महिलाओं का आदर करना, अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियों को समझना आदि।
  • बच्चा शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर हो तो माँ-बाप की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है।
  • ऐसे बच्चे के माता-पिता को मान लेना चाहिए कि बच्चे में कोई कमी है। ऐसा करने से समस्याएँ कम हो जाती हैं।
  • डॉक्टर की सलाह से बच्चे की परेशानियों को कम करने के उपाय किए जा सकते हैं। उन्हें काबिल बनाया जा सकता है।

परिवार की ख़ुशहाली के लिए अच्छे संबंध आवश्यक हैं। पारिवारिक संबंध मज़बूत हों, तो परिवार सुखी और सुरक्षित रहता है। माता-पिता की ज़िम्मेदारी है कि उनका बच्चा स्वस्थ, शिक्षित, होनहार, संस्कारी और ज़िम्मेदार व्यक्ति बने।

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Hindi Yatra

बाल मजदूरी पर निबंध – Essay on Child Labour in Hindi

Essay on Child Labour in Hindi : दोस्तों आज हमने बाल मजदूरी पर निबंध लिखा है क्योंकि हमारे देश में आज भी बाल मजदूरी बढ़ती ही जा रही है जिसके कारण बच्चे पढ़ लिख नहीं पा रही है और उन्हें अपना पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत करना पड़ रहा है.

यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि आज पढ़े लिखे हुए भारत में भी बच्चे बाल मजदूरी करने के लिए विवश है हमे इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी.

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जब भी 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से आमदनी कमाने के लिए होटलों, उद्योग धंधों, ढाबे, चाय की दुकान इत्यादि पर कार्य करवाया जाता है तो वह बाल मजदूरी की श्रेणी में आता है.

हमारे देश की आजादी के इतने सालों बाद भी बाल मजदूरी हमारे देश के लिए कलंक बना हुआ है हम आज भी यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि आज की सदी के भारत में भी हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे है.

बाल मजदूरी को बड़े लोगों और माफियाओं ने व्यापार बना लिया है जिसके कारण दिन प्रतिदिन हमारे देश में बाल श्रम बढ़ता जा रहा है और बच्चों का बचपन खराब हो रहा है. से बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है साथ में देश में गरीबी फैलती है और देश के विकास में बाधाएं आती है.

हमें बाल श्रम को जड़ से मिटाने के लिए कड़े कानून बनाने होंगे साथ ही स्वयं को भी जागरूक होना होगा तभी इस बाल मजदूरी के अभिशाप से छुटकारा पाया जा सकेगा.

Essay on Child Labour in Hindi 300 Words

किसी भी व्यक्ति के लिए बचपन ही सबसे अच्छा और सुनहरा वक्त होता है लेकिन जब बचपन में ही जिम्मेदारियों का बोझ नन्हे हाथों पर डाल दिया जाता है तो बचपन के साथ साथ उसकी पूरी जिंदगी खराब हो जाती है

क्योंकि बच्चों से उनके माता-पिता या अभिभावक कुछ चंद रुपयों के लिए कठिन कार्य करवाते है जिससे वह बच्चा पढ़ लिख नहीं पाता है और वह किसी नौकरी करने के योग्य भी नहीं रह पाता है इसलिए उसे मजबूरी वश जिंदगी भर मजदूरी करनी पड़ती है जिससे उसका पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत होता है.

बाल मजदूरी हमारे समाज और हमारे देश के ऊपर सबसे बड़ा कलंक है आज भले ही भारत के लोग पढ़े लिखे हैं लेकिन जब किसी बच्चे को मजदूरी करते हुए देखते है तो उसकी सहायता नहीं करते हैं सहायता करना तो दूर वे पुलिस या अन्य सरकारी संस्थाओं को इसकी जानकारी तक नहीं देते है.

किसी भी बच्चे के लिए बचपन में काम करना एक बहुत ही भयावह स्थिति होती है क्योंकि कभी कभी बच्चों के साथ कुछ ऐसे कृत्य हो जाते है जिससे उनकी पूरी जिंदगी तबाह हो जाती है.

जैसे जैसे देश की आबादी बढ़ती जा रही है वैसे वैसे ही बाल मजदूर भी बढ़ते ही जा रहे हैं इसे अगर जल्द ही रोका नहीं गया तो हमारे देश के लिए यह आने वाली सबसे बड़ी महामारी होगी.

हमारी भारत सरकार ने बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए कई कानून बनाए हैं लेकिन उनकी पालना नहीं होने के कारण सड़क के किनारे बने ढाबों, होटलों इत्यादि में आज भी बच्चे बाल मजदूरी कर रहे होते है लेकिन कोई भी उनकी तरफ ध्यान नहीं देता है.

हमें एक भारत के सच्चे नागरिक होने का कर्तव्य निभाना चाहिए जब भी आपको कोई बच्चा बाल मजदूरी करता हुआ दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने मैं उसके खिलाफ शिकायत करनी चाहिए जब तक हम स्वयं जागरुक नहीं होंगे तब तक सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों कि ऐसे ही अवहेलना होती रहेगी.

Bal Majduri Essay in Hindi 500 Words

रूपरेखा –

बाल श्रम हमारे देश और समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है आज समय आ गया है कि हमें इस विषय पर बात करने के साथ-साथ अपनी नैतिक जिम्मेदारियां भी समझनी होगी.

बाल मजदूरी को जड़ से उखाड़ फेंकना हमारे देश के लिए आज एक चुनौती बन चुका है क्योंकि बच्चों के माता-पिता ही आज बच्चों से बचपन में कार्य करवाने लगे है. आज हमारे देश में किसी बच्चे का कठिन कार्य करते हुए देखना आम बात हो गई है.

हम रोज हर चौराहे हर मोड़ पर बच्चों को कार्य करते हुए देखते हैं लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं जिसके कारण बाल मजदूरी को बढ़ावा मिलता है. यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि सिर्फ कुछ चंद रुपयों के लिए बच्चों के बचपन से खेला जा रहा है.

अगर इसे जल्द ही रोका नहीं गया तो बच्चों के भविष्य के साथ साथ देश का भविष्य भी डूब जाएगा.

बाल मजदूरी के कारण –

(1) बाल मजदूरी का सबसे बड़ा कारण हमारे देश में गरीबी का होना है गरीब परिवार के लोग अपनी आजीविका चलाने में असमर्थ होते हैं इसलिए वे अपने बच्चों को बाल मजदूरी के लिए भेजते है.

(2) शिक्षा के अभाव के कारण अभिभावक यही समझते हैं कि जितना जल्दी बच्चे कमाना सीख जाए उतना ही जल्दी उनके लिए अच्छा होगा.

(3) बाल श्रम का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि कुछ अभिभावक के माता पिता लालची होते हैं जोकि स्वयं कार्य करना नहीं चाहते और अपने बच्चों को चंद रुपयों के लिए कठिन कार्य करने के लिए भेज देते है.

(4) बाल श्रम को बढ़ावा इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि बच्चों को कार्य करने के प्रतिफल के रूप में कम रुपए दिए जाते हैं जिसके कारण लोग बच्चों को काम पर रखना अधिक पसंद करते है.

(5) बाल श्रम बढ़ने का एक कारण और भी है क्योंकि हमारे देश में लाखों की संख्या में बच्चे अनाथ होते हैं तो कुछ माफिया लोग उन बच्चों को डरा धमका कर भीख मांगने और मजदूरी करने भेज देते है.

(6) बाल श्रम को बड़ा मिलने का एक कारण यह भी है कि बाल श्रम पर बने कानून की पालना नहीं की जाती है.

बाल मजदूरी के समाधान –

(1) बाल मजदूरी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए में कड़े कानूनों का निर्माण करना होगा साथ ही उनकी सख्ती से पालना भी करवानी होगी.

(2) बाल मजदूरी को अगर खत्म करना है तो हमें लोगों को शिक्षित करना होगा साथ ही बच्चों की शिक्षा के लिए फ्री शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी.

(3) हम सबको जागरूक होना होगा क्योंकि जब तक हम बाल मजदूरी को देखते हुए भी अनदेखा करते रहेंगे तब तक बाल श्रम का यह कार्य यूं ही फलता फूलता रहेगा.

(4) हम सबको मिलकर लोगों की सोच बदलनी होगी क्योंकि ज्यादातर लोग सिर्फ पैसों के बारे में सोचते है उन्हें बच्चों के बचपन और देश के विकास से कोई मतलब नहीं होता है.

(5) बाल श्रम करवाने वाले लोगों के खिलाफ हमें शिकायत करनी होगी तभी जाकर बाल श्रम करवाने वाले माफियाओं पर शिकंजा कसा जा सकेगा.

(6) बच्चों को भी उनके अधिकार बताने होंगे क्योंकि पढ़ना लिखना उनका जन्मसिद्ध अधिकार होता है.

(7) हमारे देश से हमें गरीबी को हटाना होगा क्योंकि गरीबी बाल मजदूरी की मूल जड़ है.

निष्कर्ष –

बाल मजदूरी हमारे देश के लिए एक गंभीर समस्या है अगर जल्द ही इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया तो यह पूरे देश को दीमक की तरह खोखला कर देगी. बच्चे ही हमारे देश का भविष्य है अगर उन्हीं का बचपन अंधेरे और बाल श्रम में बीतेगा तो हम एक सुदृढ़ भारत की कल्पना कैसे कर सकते है.

अगर हमें नए भारत का निर्माण करना है तो बाल मजदूरी को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा यह सिर्फ हमारे और सरकार के सहयोग से ही संभव है.

Essay on Child Labour in Hindi 1800 Words

प्रस्तावना –

बाल मजदूरी एक बच्चे के बचपन के सबसे भयावह दिन होते है. हमारे देश का दुर्भाग्य है कि आज भी मकड़ी के जाल की तरह बाल श्रम छोटे-छोटे बच्चों को अपने जाल में जकड़ता जा रहा है और हम सब हाथ पर हाथ धरे हुए बैठे है.

बाल श्रम एक ऐसा दिन में जहर है जोकि चंद रुपयों के लिए बेच दिया जाता है यह जहर धीरे-धीरे बच्चे के बचपन को तबाह कर देता है इसके साथ ही देश का नव निर्माण करने वाला भविष्य भी खत्म हो जाता है.

हमारे भारत में बच्चों को भगवान स्वरूप माना जाता है लेकिन उन्हीं से उनका बचपन छीन लिया जाता है और हाथों में परिवार की जिम्मेदारियां थमा दी जाती है. सभी बच्चों का मन बचपन में खिलौने से खेलने और शिक्षा प्राप्त करने का होता है लेकिन क्या करें साहब कहीं लालच तो कहीं परिवार की जिम्मेदारियां सामने आ जाती है.

बाल श्रम क्या है –

भारत के सविधान 1950 के 24 वे अनुच्छेद के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी, कारखानों, होटलों, ढाबों, घरेलू नौकर इत्यादि के रूप में कार्य करवाना बाल श्रम के अंतर्गत आता है अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया जाता है तो उसके लिए उचित दंड का प्रावधान है.

लेकिन किताबी दुनिया से बाहर आकर देखे तो हमें हर दुकान हर मोड़ पर बाल मजदूरी करते हुए बच्चे देखने को मिलते है. हकीकत तो यह है कि लोग कानून की परवाह ही नहीं करते है इसी कारण दिन प्रतिदिन बाल श्रम बढ़ता ही जा रहा है.

2017 की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में 35 मिलियन से भी ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी करते है सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान में बाल मजदूरी होती है

बाल श्रम के कारण –

(1) शिक्षा की कमी – बाल मजदूरी का सबसे मुख्य कारण शिक्षा की कमी होना ही है क्योंकि जब तक लोग पढ़े लिखे हुए नहीं होंगे तब तक भी यही मानते रहेंगे की पैसों से बढ़कर कुछ नहीं होता है इसीलिए वे लोग अपने बच्चों को बचपन से ही मजदूरी के काम में लगा देते है.

(2) गरीबी – हमारे देश के लिए गरीबी एक बहुत बड़ी समस्या है जिसके कारण बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न होती है बाल श्रम भी गरीबी के कारण ही उत्पन्न हुई एक समस्या है क्योंकि गरीब परिवार के लोग अपने परिवार का सही-सही भरण पोषण नहीं कर पाते है इसलिए वे अपने बच्चों को भी मजदूरी के काम में झोक देते हैं

(3) अनाथ बच्चे – हमारे देश में आज भी कई लोग अपने बच्चों को या तो छोड़ देते हैं या फिर उनके माता पिता की मृत्यु हो जाती है जिसके कारण भी अनाथ हो जाते हैं और वह ऐसे लोगों के संपर्क में आ जाते हैं जो कि उन्हें खाने का लालच देकर पूरे दिन भर उनसे कारखानों, होटलों, ढाबों पर कार्य करवाते है और उनकी कमाई भी खुद रख लेते है.

(4) लालची लोग – आज 21 सदी के भारत में कुछ माता-पिता और अभिभावक पैसों के लिए इतने लालची होते हैं कि वे पैसों के लिए अपने बच्चों को भी मजदूरी के कार्य में लगा देते है.

(5) पारिवारिक मजबूरियां – कई बार बच्चों की पारिवारिक मजबूरियां भी होती है क्योंकि कुछ ऐसी दुर्घटनाएं हो जाती है जिसके कारण उनके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं रहता है इसलिए उन्हें मजबूरी वश बचपन में ही होटलों, ढाबों, चाय की दुकान, कल कारखानों में मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है.

(6) जनसंख्या वृद्धि – भारत में जनसंख्या वृद्धि दर बहुत तेजी से बढ़ रही है जिसके कारण जरूरत की वस्तुओं का मूल्य दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है जिसके कारण गरीब लोग अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाते है इसलिए वे अपने परिवार के सभी सदस्यों को मजदूरी करने दे देते है जिसमें बच्चे भी शामिल होते है इसलिए ना चाहते हुए भी बच्चों को परिश्रम करना पड़ता है.

(7) भ्रष्टाचार – बाल मजदूरी का एक कारण भ्रष्टाचार भी है तभी तो बड़े बड़े होटलों ढाबों और कारखानों पर उनके मालिक बिना किसी भय के बच्चों को मजदूरी पर रख देते है उन्हें पता होता है कि अगर पकड़े भी गए तो हम घूस देकर छूट जाएंगे इसीलिए भ्रष्टाचार बाल मजदूरी में एक अहम भूमिका निभाता है.

(8) बेरोजगारी – भारत में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है जिसके कारण कई गरीब लोग अपने परिवार की जीवन जीने योग्य जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाते है मजबूरन वे अपने बच्चों को मजदूरी के काम में लगा देते है वे सोचते हैं कि अगर थोड़ा बहुत भी पैसा घर में आता है तो वह तो वक्त का भोजन कर पाएंगे.

(9) उचित नियम कानून का ना होना – भारत सरकार ने बाल मजदूरी को रोकने के लिए कानून तो बनाए हैं लेकिन उन कानूनों में काफी खामियां है इसका फायदा उठाकर लोग बाल श्रम को अंजाम देते है और कई बार तो कानून का नियम पूर्वक पालन भी नहीं किया जाता है.

बाल श्रम के दुष्परिणाम –

(1) बचपन बर्बाद होना – जीवन का सबसे अच्छा पल बचपन ही होता है जब हम बच्चे होते हैं तो मैं किसी भी बात की चिंता नहीं रहती है हम खिलौने से खेलते हैं और सभी लोग हमें प्यार करते हैं साथ ही हम जो चाहे पढ़ सकते हैं

लेकिन जिन बच्चों को बाल मजदूरी के काम में लगा दिया जाता है वह कभी भी खेल नहीं पाते हैं और अपना मनचाहा काम नहीं कर पाते है. जिसके कारण उनका पूरा बचपन मसूरी काम करने में बीत जाता है.

(2) कुपोषण – बाल मजदूरी करने वाले बच्चे अक्सर कुपोषण का शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनके मालिक उनसे काम तो ज्यादा करवाते है लेकिन उन्हें खाने को कुछ भी नहीं देते है जिसके कारण उनके शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है और भी धीरे-धीरे कुपोषण के शिकार हो जाते है.

(3) शारीरिक शोषण – बाल मजदूरी करते समय कई बच्चे और बच्चियों का शारीरिक शोषण भी किया जाता है जोकि उनके ऊपर दोहरी मार है एक रिपोर्ट के अनुसार बाल मजदूरी करने वाले बच्चों में से लगभग 40% बच्चों का शारीरिक शोषण किया जाता है यह बहुत ही गंभीर बात है लेकिन इस पर कभी भी ध्यान नहीं दिया जाता है शारीरिक शोषण के समय कुछ बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है.

(4) मानसिक प्रताड़ना – मजदूरी करते समय बच्चों से अक्सर गलतियां होती रहती हैं गलतियां तो बड़े लोगों से भी होती है लेकिन बच्चों को डाट लगाना आसान होता है इसलिए उन से काम कराने वाले उनके मालिक उन्हें मानसिक प्रताड़ना देते है

उन्हें तरह-तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग करके बुलाया जाता है जो कि एक छोटे से बच्चे के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालती है. इसी के कारण काफी बड़े हो जाते है और बड़े होने पर गलत कार्यों में लिप्त हो जाते है.

(5) गरीबी बढ़ना – बच्चों के माता-पिता बचपन में तो कुछ रुपयों के लिए अपने बच्चों को मजदूरी पर लगा देते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि अगर वे पढ़ेंगे लिखेंगे नहीं तो उन्हें नौकरी नहीं मिल पाएगी और वे पूरी जिंदगी भर मजदूरी करनी पड़ेगी जिसके कारण उनका पूरा जीवन गरीबी में बीतेगा इसीलिए भारत में दिन प्रतिदिन करीब ही बढ़ती जा रही है.

(6) देश के आर्थिक विकास कमी – ज्यादातर गरीब परिवार के बच्चे पढ़ लिख नहीं पाते हैं इसी कारण वे अच्छी नौकरी नहीं कर पाते हैं और देश के विकास में सहयोग नहीं कर पाते हैं इसलिए देश का आर्थिक विकास भी धीमा पड़ जाता है.

(7) सामाजिक विकास में कमी – जहां पर बच्चों से मजदूरी कराई जाती है वहां के लोग अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं साथ ही उनका रहन-सहन भी अच्छा नहीं होता है जिसके कारण बच्चे भी उन्हीं के साथ रहने के कारण उनकी भाषा और उन्हीं के जैसा रहन सहन करने लग जाते हैं और उनकी मानसिक स्थिति भी कमजोर हो जाती है जिसके कारण एक अच्छे समाज का विकास नहीं हो पाता है.

बाल श्रम रोकथाम के उपाय –

(1) जागरूकता – बाल श्रम को अगर रोकना है तो हमें लोगों को जागरूक करना होगा क्योंकि जब तक लोगों में यह जागरूकता नहीं आएगी बच्चों से मजदूरी नहीं करवानी चाहिए और जो भी बच्चे मजदूरी कर रहे है. उनके मालिकों के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए लोगों को पता ही नहीं होता है कि वे जिस छोटू, मोटू को प्यार से बुला रहे है.

वह असल में बाल मजदूरी का शिकार है. इसलिए जब तक लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक ऐसे ही बच्चे मजदूरी करते रहेंगे.

(2) उचित शिक्षा व्यवस्था – हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था आज भी सुधर नहीं है जिसके कारण ग्रामीण इलाकों और बिछड़े हुए इलाकों के बच्चे आज भी पढ़ लिख नहीं पाते है जिसके कारण वह बचपन में ही बाल मजदूरी का शिकार हो जाते है इसलिए हमें उचित शिक्षा व्यवस्था सभी स्थानों पर उपलब्ध करवानी होगी और छोटे बच्चों के लिए फ्री शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी

(3) उचित कानून व्यवस्था – हमारे देश की कानून व्यवस्था अच्छी नहीं होने के कारण लोग इसका फायदा उठाते हैं और बाल श्रम जैसे कृत्यों को अंजाम देते है. हमें हमारी कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना होगा तभी जाकर हम बाल श्रम जैसी भयंकर परेशानियों से निपट पाएंगे.

(4) भ्रष्टाचार पर लगाम – भ्रष्टाचार के कारण बाल श्रम करवाने वाले अपराधी आसानी से छूट जाते हैं या फिर उन्हें गिरफ्तार ही नहीं किया जाता है जिसके कारण छोटे बच्चों को मजदूरी करनी पड़ती है इसलिए हमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगानी चाहिए.

(5) अच्छे और उदार व्यक्तियों की आवश्यकता – हमारे समाज में बहुत से अच्छे व्यक्ति हैं लेकिन हमें और अच्छे व्यक्तियों की आवश्यकता है जो कि कम से कम एक गरीब बच्चे की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठा सके क्योंकि जब तक हम हमारे समाज की जिम्मेदारी नहीं लेंगे तब तक कुछ नहीं हो सकता क्योंकि अकेली सरकार सब कुछ नहीं कर सकती है इसलिए हमें आगे बढ़कर गरीब बच्चों की पढ़ाई लिखाई में मदद करनी चाहिए.

बाल श्रम को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्य –

(1) The Child Labour (Prohibition and regulation) Act 1986 :बाल श्रम को जड़ से खत्म करने के लिए हमारी सरकार द्वारा 1986 में चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया गया है जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से कार्य करवाना दंडनीय अपराध माना जाएगा.

(2) The Juvenile Justice (Care and Protection) of Children Act of 2000 : इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति बच्चों से मजदूरी करवाता है या फिर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करता है तो उस पर दंड नहीं है कार्रवाई की जाएगी.

(3) The Right of Children to Free and Compulsory education Act, 2009 : यह कानून वर्ष 2009 में बनाया गया था जिसके अंतर्गत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी साथ ही प्राइवेट स्कूलों में भी गरीब और विकलांग बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित होंगी.

उपसंहार –

बाल मजदूरी हमारे भारत देश और हमारे समाज के लिए एक अभिशाप बन चुका है अगर जल्द ही इसे खत्म नहीं किया गया तो यह हमारे देश की तरक्की में बाधक होगा साथ ही जिन बच्चों को बचपन में हंसना खेलना और पढ़ाई करना चाहिए वह बच्चे हमें अधिक मात्रा में कठिन परिश्रम करते हुए मिलेंगे जिसे हमारा देश का भविष्य खराब हो जाएगा.

इसलिए हमें आज ही बाल श्रम के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और जहां पर भी कोई बच्चा हमें बाल मजदूरी करते हुए मिले उसकी शिकायत हमें नजदीकी पुलिस स्टेशन में करनी चाहिए.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Child Labour in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

16 thoughts on “बाल मजदूरी पर निबंध – Essay on Child Labour in Hindi”

Thank you hindi yatra aapne mujhe bohot help kiya mera project khatam karne kii….😄😄

Welcome Riya Johar

Haa mera bhi project khatam ho gaye

Bahut Acche Rishika

Aapne bahot acha likha hai sir ..I like it ki aapne kaise 150 words se 1800 words tak likha hai nyc thank you so much sir

welcome Akshita Dhariwal

Sir really apne bohot aacha likha hai. Thank you sir ye essay likhne ke liye mujhe bohot help mila hai ye essay se..😊

Diya ji parsnsha ke liye aap ka bahut bahut dhanyawad, aise hi hindi yatra par aate rahe.

Shrijana, aap ka bhut bhut dhanyawad. esi trah ke nibandh padhne ke liye hindiyatra par aate rahe.

Ye article mere Dil Ko Chu Gaya . Sir really aap ne bahut achha likha hai . ☺️

Really aap ne bahut achha likha hai sir . Mujhe ye article bahut achha laga .

Thank you Rohi for appreciation keep visiting hindiyatra.

Nice seeriya nibad

Thank you Devendra pratap Singh for appreciation.

Sir bahut mast article likha hai aapne apna skill aise hi badhate rahiye aur mehnat karte rahiye aap ek din jaroor top blogger me se ek kaho jaoge waise maine bhi ek blog banaya hai aap chahe to mera blog dekhkar comment me feedback de sakte hain Dhanyawad.

hum ne bhi aap ka blog dekha bhut accha laga, aap bhi bahut accha likh rahe hai, dhanyawad.

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बैडमिंटन पर निबंध (Essay On Badminton In Hindi)

Essay On Badminton In Hindi

In this Article

बैडमिंटन पर 10 लाइन (10 Lines On Badminton In Hindi)

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भारत में कई प्रकार के अलग-अलग खेल खेले जाते हैं, जिनमें से बैडमिंटन भी एक लोकप्रिय खेल है। इस खेल को दो प्रकार से खेला जाता है – एकल और युगल। एकल में यह 2 लोगों के बीच खेला जाता है और युगल में 2-2 खिलाडियों की टीम के बीच खेला जाता है। इस गेम को खेलने के लिए रैकेट और शटलकॉक जिसे चिड़िया भी कहते हैं उसकी जरूरत होती है, जिसके बिना ये खेल संभव नहीं है। बैडमिंटन उन खेलों में आता है जो शायद ही किसी घर में न खेला जाता हो। यह कहना गलत नहीं होगा कि हमने और आपने भी अपने बचपन में सबसे ज्यादा खेले जाने वाले खेल में बैडमिंटन को जरूर शामिल किया होगा। फिर चाहे गर्मी की छुट्टी में टाइम पास करना हो यह गर्मियों की लंबी रातों को काटने के लिए होम बैडमिंटन टूर्नामेंट का आयोजन करना हो, इसमें बच्चे हों, बड़े हों या बुर्जुग सब भाग लिया करते थे। बैंडमिंटन सिर्फ एक खेल नहीं है इससे हमारी भावनाएं और ढ़ेर सारी यादें भी जुड़ी हुई हैं। इसलिए अक्सर जब मेरा प्रिय खेल पर बच्चों को एस्से लिखने के लिए कहा जाता है, तो वो बैडमिंटन का खेल चुनते हैं। इस लेख में आपको बैडमिंटन पर हिंदी में निबंध कैसे लिखना है, उसे सैंपल के रूप में बताया गया है। बैडमिंटन खुले मैदान और बैडमिंटन कोर्ट में खेले जाने वाला खेल है। ये काफी प्रसिद्ध खेल है जिसे पूरी दुनिया में खेला जाता है। इस खेल को खेलने के लिए हर एक खिलाड़ी के लिए एक रैकेट और एक शटलकॉक की जरूरत होती है। इस खेल में एक खिलाड़ी से दूसरे खिलाड़ी के बीच जाली या नेट होता है दोनों को तय माप के कोर्ट में खेलना होता है। अगर किसी के भी पाले में शटलकॉक गिरती है तो दूसरे खिलाड़ी को पॉइंट मिलता है। यदि आपके बच्चे को बैडमिंटन पर एक अच्छा निबंध लिखना है तो इस लेख से उसे बहुत मदद मिलेगी।

यहां बैडमिंटन पर 10 लाइन का निबंध दिया गया है और यह बहुत आसान भाषा में लिखा गया है। तो आइए बैडमिंटन पर 10 वाक्यों पर एक नजर डालें।

  • बैडमिंटन का इतिहास लगभग 2000 साल पुराना है।
  • भारत में ब्रिटिश राज के दौरान 1860 के आसपास आधुनिक बैडमिंटन खेल की शुरुआत हुई।
  • प्राचीन समय में बैडमिंटन को ‘बैटलडोर’ नाम से जाना जाता था।
  • इस खेल को दो खिलाडियों या दो-दो खिलाड़ियों की दो टीमों के बीच खेला जाता है।
  • बैडमिंटन इनडोर और आउटडोर दोनों तरह से खेला जा सकता है।
  • इस खेल को खेलने के लिए रैकेट और शटलकॉक की जरूरत होती है।
  • बैडमिंटन कोर्ट की चौड़ाई लगभग 20 फुट और लंबाई 44 फुट होती है।
  • बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन चैंपियनशिप और थॉमस कप इस खेल की प्रतिष्ठित प्रतियोगिताएं हैं।
  • बैडमिंटन दक्षिण एशियाई देश इंडोनेशिया का राष्ट्रीय खेल है।
  • दुनिया में 30 करोड़ से ज्यादा लोग बैडमिंटन खेलते हैं।

यदि आपके बच्चे को बैडमिंटन पर छोटा निबंध लिखना है, तो यहां 1, 2 और 3 में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बेहतरीन नमूना दिया गया है। बच्चे इस पैराग्राफ की मदद से खुद एक अच्छा शार्ट एस्से लिख सकते हैं।

भारत में कई खेल खेले जाते हैं जिनमें बैडमिंटन काफी लोकप्रिय है। इसका इतिहास लगभग 2000 साल पुराना है और इसे ‘बैटलडोर’ नाम से जाना जाता था। बैडमिंटन के आधुनिक खेल की शुरुआत 19वीं सदी में अंग्रेजों द्वारा भारत में पुणे शहर में की गई थी। यह खेल एक सीमा रेखा के अंदर 2 खिलाड़ियों या 2-2 खिलाडियों की दो टीमों के बीच एक सीमा रेखा के अंदर खेला जाता है जिसे बैडमिंटन कोर्ट कहते हैं। बैडमिंटन को खुले मैदान में खेल सकते हैं और साथ ही इसे इंडोर भी खेला जा सकता है। इस खेल को खेलने के लिए रैकेट और शटलकॉक की जरूरत होती है। इसमें शामिल दोनों खिलाड़ियों के बीच जाली राखी जाती है और शटलकॉक उसके आर-पार फेंकनी होती है। यदि एक खिलाड़ी के पाले में सीमा के अंदर शटलकॉक गिर जाती है, तो दूसरे खिलाड़ी को पॉइंट मिल जाता है। इसमें खिलाड़ी का उद्देश्य शटलकॉक को दूसरे खिलाड़ी के पाले में ज्यादा से ज्यादा बार गिराने का होता है। इस खेल को खेलने के लिए बैडमिंटन कोर्ट तैयार किया जाता है, जिसकी चौड़ाई लगभग 20 फुट और लंबाई 44 फुट होती है। इसके बीच में नेट लगाया जाता है और इसके दोनों तरफ खिलाड़ी खड़े होकर खेलते हैं। इस खेल को जीतने के लिए प्रत्येक खिलाड़ी को 21 अंक बनाने जरूरी होते हैं। बच्चों के साथ-साथ बड़े भी इस खेल को खेलना पसंद करते हैं। खेल में लगतार सक्रिय बने रहने से यह खेल शरीर के लिए काफी लाभकारी होता है। बैडमिंटन दुनिया का एक लोकप्रिय खेल है और दक्षिण एशियाई देश इंडोनेशिया का राष्ट्रीय खेल भी है। इसकी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता 1899 में इंग्लैंड में खेली गई थी वहीं ओलंपिक में इसे 1972 में प्रदर्शन खेल और 1992 में प्रतियोगी खेल के रूप में शामिल किया गया।

Badminton par nibandh

बैडमिंटन पर दिए गए इस हिंदी अनुच्छेद को पढ़ें। यदि आप 400 से 600 शब्दों की सीमा में बैडमिंटन पर निबंध चाहते हैं, तो यहां आपको भारत के पसंदीदा खेलों में से एक बैडमिंटन पर हिंदी में निबंध दिया गया है। इस लॉन्ग एस्से की मदद से आप बच्चे को एक अच्छा लेख तैयार करवा सकते हैं:

बैडमिंटन क्या है? (What Is Badminton?)

दुनिया भर में बहुत तरह के खेल खेले जाते हैं लेकिन भारत में क्रिकेट के बाद बैडमिंटन का खेल अधिक प्रचलित है। यह खेल शारीरिक रूप से लगातार सक्रिय रहने और पूरा ध्यान देने वाला होता है। जिसके कारण यह शारीरिक और मानसिक रूप से फायदेमंद होता है। इस खेल को बच्चे बड़े सभी खेल सकते हैं। इस खेल को 2 खिलाड़ियों या 2-2 खिलाडियों की दो टीमों के बीच खेला जाता है। इसे खेलने के लिए आप चाहे तो प्रोफेशनल रूप से इसे बैडमिंटन कोर्ट में खेल सकते हैं या फिर खुले मैदान में भी इसे खेला जा सकता है। बच्चे इसका आनंद स्कूल के मैदान, पार्क, छत या फिर अपनी गली में भी ले सकते हैं। मनोरंजन से हट कर लोग इस खेल को प्रोफेशनल स्तर पर भी खेलते हैं और इस खेल में अपना कैरियर बनाते हैं। बैडमिंटन खेलने के लिए रैकेट और शटलकॉक आवश्यक होता है। बैडमिंटन कोर्ट में बीच में एक नेट लगाई जाती है जिसके दोनों पाले में एक एक खिलाड़ी या टीम खड़ी रहती है। खिलाड़ी को विजयी होने के लिए कम से कम 21 अंक के 2 गेम जीतने की जरूरत होती है।

बैडमिंटन का इतिहास (History of Badminton)

बैडमिंटन के इतिहास की बात करें तो यह 2000 वर्ष पुराना खेल है लेकिन इसके आधुनिक रूप की शुरुआत 19वीं शताब्दी के मध्य में भारत के पुणे शहर में अंग्रेजों ने की थी। उसके बाद कई अन्य देशों में इसे खेला जाने लगा। पहले इसे पूना के नाम से जाना जाता था। इसकी खास बात ये है कि इस खेल को पहले बल्ले और ऊन की गेंद से खेला जाता था, उसके बाद फिर शटलकॉक का इस्तेमाल किया जाने लगा।। भारत में ब्रिटिश सेना से रिटायर होकर इंग्लैंड वापस जाने वाले अंग्रेज इस खेल को वहां ले गए और वहीं पर इसके नियम तैयार किए गए। इंग्लैंड के ड्यूक ऑफ ब्यूफोर्ट के घर पर 1873 बैडमिंटन का पहला गेम खेला गया था, उसके बाद से इसे अन्य देशों में खेला जाने लगा। बैडमिंटन को पहले बैटलडोर और शटलकॉक के रूप जाना जाता था। इसके बाद बैडमिंटन का सही तरीके से प्रबंध करने के लिए 1934 में विश्व बैडमिंटन संघ बनाया गया। हर खेल की तरह समय के साथ इसमें भी बदलाव आए। रैकेट और शटलकॉक के बाद इसमें नेट जोड़ा गया। धीरे-धीरे खेल में नए बदलाव आते गए और इसकी तकनीक और बेहतर होती गई।

बैडमिंटन के नियम (Rules of Badminton)

हर खेल के अपने अलग-अलग नियम होते हैं, उसी तरह आज बैडमिंटन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेला जाता है तो उसके लिए खिलाडियों को कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। ये रहे इस खेल के नियम:

  • इस खेल को 1-1 खिलाड़ी या 2-2 खिलाडियों के बीच खेला जाता है।
  • इसे खेलने के लिए खिलाड़ियों का अपने पाले में होना जरूरी है।
  • खेलते वक्त दोनों तरफ के खिलाड़ियों के बीच एक नेट लगाया जाता है।
  • खेल में 21 अंकों के सेट होते हैं ।
  • खिलाडी को रैकेट से शटलकॉक खेलते हुए अपने पाले में नीचे गिरने से बचानी होती है।
  • यदि खिलाड़ी से चिड़िया नीचे गिर जाती है, तो सामने वाले खिलाड़ी को अंक मिल जाते हैं।

बैडमिंटन के प्रसिद्ध खिलाड़ी (Famous Badminton Players)

दुनिया भर में बैडमिंटन खेलने वाले कई मशहूर खिलाड़ी मौजूद हैं, यहां उन कुछ भारतीय बैंडमिंटन खिलाडियों के नामों का नीचे जिक्र किया गया है, जिन्होंने इस खेल में अपना शानदार प्रदर्शन करके देश को गर्व महसूस कराया है।

  • साइना नेहवाल
  • प्रकाश पादुकोण
  • पुलेला गोपीचंद
  • पारुपल्ली कश्यप
  • श्रीकांत किदांबी

बैडमिंटन खेलने का महत्व (Importance Of Playing Badminton)

यह खेल हमारे शरीर को चुस्त और मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। भले ही खेल पहले के समय में मनोरंजन के तौर पर खेले जाते थे, लेकिन आज इनका महत्व बहुत बढ़ गया है। आज का युवा इसमें अपना भविष्य देखता है और खेल में करियर बनाने के लिए सोचता है। बैडमिंटन भी उन्हीं खेलों में से एक है, जिसे लोग खेलना काफी पसंद करते हैं। यह भारत का काफी लोकप्रिय खेल है। बैडमिंटन खेलने से फिटनेस बनी रहती है। खासकर ब्लड सर्कुलेशन के लिए, यह आपके दिल के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करता है जिससे ब्लॉकेज की समस्या कम होती है। इसके अलावा देखा जाए तो अन्य खेलों के मुकाबले बैडमिंटन के खेल में खिलड़ियों को चोट लगने का खतरा भी कम होता है इसलिए इसे एक सुरक्षित खेल भी माना जाता है। अगर यह खेल रोजाना आधे से एक घंटे के लिए खेला जाए तो आप खुद को काफी स्वस्थ रख सकते हैं और मोटापा व अन्य बीमारियों से बच सकते हैं। आजकल के बच्चे और युवा अपना ज्यादातर समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं, उनके लिए यह खेल काफी जरूरी है ताकि वे आलस को कम करें और एक अच्छा स्वस्थ जीवन व्यतीत करें।

  • बैडमिंटन के पहले ओलंपिक मैच को टीवी पर लगभग 1.1 अरब लोगों ने देखा था।
  • एक चिड़िया (शटलकॉक) का वजन लगभग 4.74 से 5.5 ग्राम के बीच होता है।
  • चिड़िया को हंस के सबसे अच्छे पंखों से बनाया जाता है, एक कॉक में कुल 16 पंख होते हैं।
  • सबसे लंबा बैडमिंटन खेल पूरे 124 मिनट खेला गया था।
  • बैडमिंटन रैकेट से नेट छूना मना होता है।
  • बैडमिंटन का सबसे छोटा मैच सिर्फ 6 मिनट तक चला था।
  • पुणे में बैडमिंटन की शुरुआत करने पर अंग्रेजों ने इसे तब ‘पूना’ नाम दिया था।

उम्मीद है कि आपके बच्चे को बैडमिंटन पर निबंध लिखने के लिए यहां सभी महत्वपूर्ण जानकरियां मिली होंगी और अलग-अलग शब्द सीमा में दिए गए निबंध के सैंपल उसकी मदद करेंगे। इसके अलावा यदि आपके बच्चे को बैडमिंटन खेलने का शौक है और वो आगे भविष्य में इस खेल को अपने करियर के रूप में चुनना चाहता है तो भी इस लेख से उसे अच्छा दिशा निर्देश मिलेगा और वह इस खेल का महत्व बेहतर रूप समझ पाएगा।

क्या आपके मन में भी बैडमिंटन के खेल से जुड़े कुछ सवाल हैं, जिन्हें आप जानना चाहते हैं। नीचे दिए गए सवाल आपकी मदद कर सकते हैं।

1. बैडमिंटन को किस साल ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया था ?

बैडमिंटन को पहली बार साल 1972 में प्रदर्शन खेल और 1992 में प्रतियोगी खेल के रूप में शामिल किया गया था।

2. दुनिया का पहला बैडमिंटन क्लब कौन सा था और कब बना था ?

दुनिया का पहला बैडमिंटन क्लब ‘बाथ बैडमिंटन क्लब था’ जो कि साल 1877 में इंग्लैंड में स्थापित हुआ था।

3. किसे आज तक का सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन खिलाड़ी कहा जाता है?

चीन के लिन डैन को इतिहास का सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन खिलाड़ी कहा जाता है जो 5 विश्व खिताब और 2 ओलंपिक गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।

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Essay on India in Hindi : छात्र ऐसे लिख सकते हैं हमारे देश भारत पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 30, 2024

Essay on India in Hindi

Essay on India in Hindi : भारत एक विविधतापूर्ण देश है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसकी आबादी एक अरब से ज़्यादा है। भारत हिमालय पर्वतों से लेकर उष्णकटिबंधीय समुद्र तटों तक फैला हुआ है, जो इसकी भौगोलिक विविधता को दर्शाते हैं। यह देश विभिन्न धर्मों, भाषाओं और परंपराओं का घर है, जो विविधता में एकता का एक अनूठा मिश्रण है। आर्थिक रूप से, भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष खोज और उद्योग में विश्व में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है। गरीबी और सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारत अपने सांस्कृतिक सार और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए हुए प्रगति और विकास की दिशा में प्रयास कर रहा है।

भारत देश के बारे में जानकारी इसके प्रत्येक छात्र को होनी चाहिए। छात्रों को कई बार निबंध प्रतियोगिता और कक्षाओं में Essay on India in Hindi दिया जाता है और आपकी मदद के लिए कुछ सैंपल इस ब्लॉग में दिए गए हैं। 

This Blog Includes:

भारत पर 100 शब्दों में निबंध, भारत पर 200 शब्दों में निबंध, प्रस्तावना , भारत का इतिहास, भारत का भूगोल और संस्कृति, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और अन्य प्रतीक, भारत की नदियां  , भारत का भोजन, भारत की भाषाएं, भारत के त्यौहार, भारत की अनेकता में एकता, उपसंहार , भारत पर 10 लाइन – 10 lines essay on india in hindi.

भारत के लोग अपनी ईमानदारी और विश्वसनीयता के लिए जाने जाते हैं। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोग एक साथ शांतिपूर्वक रहते हैं। हिंदी भारत की एक प्रमुख भाषा है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों के लोग कई अन्य भाषाएँ भी बोलते हैं। भारत एक खूबसूरत देश है जहाँ कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया और उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की। भारतीयों के द्वारा अतिथियों को ‘अतिथि देवों भव:’ की उपाधि दी जाती है। दूसरे देशों से आने वाले आगंतुकों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है। भारत में सनातन धर्म (जीवन का एक प्राचीन दर्शन) का पालन किया जाता है, जो विविधता में एकता बनाए रखने में मदद करता है।

 भारत कई प्राचीन स्थलों, स्मारकों और ऐतिहासिक धरोहरों का घर है जो दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। यह अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं, योग और मार्शल आर्ट के लिए प्रसिद्ध है। विभिन्न देशों के कई तीर्थयात्री और भक्त भारत के प्रमुख मंदिरों, स्थलों और ऐतिहासिक विरासतों की सुंदरता का अनुभव करने के लिए आते हैं।

भारत का एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है और इसे प्राचीन सभ्यता का जन्मस्थान माना जाता है। यह तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के कारण शिक्षा का एक केंद्र रह चुका है, इसने इतिहास में दुनिया भर के छात्रों को अपने विश्वविद्यालयों में आकर्षित किया है। अपनी अनूठी और विविध संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाने वाला भारत विभिन्न धर्मों के लोगों से प्रभावित है। भारत के धन वैभव को चुराने के लिए इस पर कई आक्रमण हुए। कई साम्राज्यों ने इसे गुलाम बनाने के लिए भी प्रयोग किया। कई स्वतंत्रता सैनानियों के प्रयासों और बलिदानों की बदौलत भारत को 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। 

हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, जिस दिन हमारी मातृभूमि आजाद हुई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। अपने समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद, भारत में कई लोग गरीब हैं। रवींद्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चंद्र बोस, सर सी.वी. रमन और डॉ. होमी जे. भाभा जैसी असाधारण हस्तियों की बदौलत देश लगातार प्रौद्योगिकी, विज्ञान और साहित्य में आगे बढ़ है। भारत एक शांतिपूर्ण देश है जहाँ लोग अपने त्यौहारों को खुलकर मनाते हैं और अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का पालन करते हैं। कश्मीर को अक्सर धरती पर स्वर्ग के रूप में वर्णित किया जाता है। भारत प्रसिद्ध मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, नदियों, घाटियों, उपजाऊ कृषि भूमि और सबसे ऊँचे पहाड़ों का घर है।

भारत पर 500 शब्दों में निबंध

भारत पर 500 शब्दों में निबंध (500 Words Essay on India in Hindi) नीचे दिया गया है –

भारत एक अद्भुत देश है जहाँ लोग कई अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। यहाँ विभिन्न जातियाँ, पंथ, धर्म और संस्कृतियाँ निवास करती हैं, फिर भी सभी लोग एक साथ सद्भाव से रहते हैं। यही कारण है कि भारत “विविधता में एकता” कहावत के लिए प्रसिद्ध है। भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश भी है।

भारत का इतिहास और संस्कृति समृद्ध है और मानव सभ्यता के उदय के बाद से ही विकसित हुई है। विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता भारत में थी। इसकी शुरुआत प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता और दक्षिण भारत में शुरुआती कृषि समुदायों से हुई। समय के साथ, भारत ने विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का निरंतर एकीकरण देखा। साक्ष्य बताते हैं कि शुरुआती दौर में, लोहे और तांबे जैसी धातुओं का उपयोग व्यापक था, जो महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत तक, भारत एक अत्यधिक उन्नत सभ्यता के रूप में विकसित हो चुका था।

भारत दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। इसे हिंदुस्तान और आर्यावर्त के नाम से भी जाना जाता है। यह तीन तरफ से महासागरों से घिरा हुआ है: पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिंद महासागर। भारत का राष्ट्रीय पशु ‘ बाघ’ है, राष्ट्रीय पक्षी ‘ मोर’ है और राष्ट्रीय फल ‘ आम’ है। भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है, और राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म और यहूदी धर्म सहित विभिन्न धर्मों के लोग सदियों से भारत में एक साथ रहते आए हैं। भारत अपनी समृद्ध विरासत के लिए भी जाना जाता है, जिसमें स्मारक, मकबरे, चर्च, ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर, संग्रहालय, प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीव अभयारण्य और प्रभावशाली वास्तुकला शामिल हैं।

भारतीय ध्वज तिरंगे में तीन रंग हैं: केसरिया, सफ़ेद और हरा। सबसे ऊपर का रंग केसरिया पवित्रता का प्रतीक है। बीच का रंग सफ़ेद शांति का प्रतीक है। सबसे नीचे का रंग हरा उर्वरता का प्रतीक है। सफ़ेद पट्टी के बीच में एक नीला अशोक चक्र है, जो 24 तीलियों वाला पहिया है जो कानून और न्याय के चक्र का प्रतीक है। बंगाल टाइगर राष्ट्रीय पशु है, जो शक्ति और शालीनता का प्रतिनिधित्व करता है। मोर यहां का राष्ट्रीय पक्षी है, जो शालीनता, सुंदरता और शान का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से फील्ड हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है, जो खेल में देश की उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत में कई प्रमुख नदियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक का सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक महत्व है। गंगा हिमालय से निकलती है और उत्तरी भारत से होकर बांग्लादेश में बहती है। यह हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी मानी जाती है और लाखों लोगों के लिए पीने, कृषि और धार्मिक प्रथाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यमुना हिमालय में यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह दिल्ली और आगरा से होकर बहती है और अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण है। 

ब्रह्मपुत्र तिब्बत में निकलती है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले असम और भारत के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से होकर बहती है। यह नदी अपने विशाल बेसिन और कृषि क्षेत्र के लिए जानी जाती है। सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत में है और भारत से होते हुए यह पाकिस्तान में भी बहती है। कृष्णा नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। दक्षिणी भारत में सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है। कावेरी नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी में बहती है। कर्नाटक और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्यों में कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। महानदी छत्तीसगढ़ राज्य में उत्पन्न होकर पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। क्षेत्र में सिंचाई और प्रमुख बांधों के लिए महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और नर्मदा घाटी परियोजना के लिए जानी जाती है। ताप्ती नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह क्षेत्र की कृषि और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।

भारतीय भोजन अपनी समृद्ध विविधता और जीवंत स्वादों के लिए प्रसिद्ध है। यह देश की विशाल सांस्कृतिक और क्षेत्रीय विविधताओं को दर्शाता है। भारत के भोजन में मसालों, जड़ी-बूटियों और सामग्रियों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो जटिल और सुगंधित व्यंजन बनाती है। उत्तर की मसालेदार करी से लेकर दक्षिण के तीखे और नारियल आधारित व्यंजनों तक, भारतीय व्यंजन सभी के लिए कुछ न कुछ प्रदान करते हैं। लोकप्रिय व्यंजनों में बिरयानी, डोसा, समोसे और विभिन्न प्रकार की ब्रेड जैसे नान और रोटी शामिल हैं। भारतीय भोजन में गुलाब जामुन और जलेबी सहित कई तरह की मिठाइयाँ भी शामिल हैं। भोजन का आनंद अक्सर अचार, रायता और चटनी जैसी कई तरह की चीजों के साथ लिया जाता है। यह पाक विविधता भारतीय भोजन को देश की सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत और अभिन्न अंग बनाती है।

भारत एक भाषाई रूप से विविधतापूर्ण देश है, जिसके विशाल विस्तार में बोली जाने वाली भाषाओं की समृद्ध विविधता है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ हैं। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अलग भाषा या बोली होती है, जो उसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जबकि सरकारी और कानूनी उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी एक सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में कार्य करती है। कन्नड़, पंजाबी और गुजराती जैसी क्षेत्रीय भाषाएँ भी अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बहुभाषावाद भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भाषा और क्षेत्रीय पहचान के बीच के संबंधों को भी।उजागर करता है। भाषा भारत के सामाजिक ताने-बाने का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बन जाती है।

भारत अपने जीवंत और विविध त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रमुख त्योहारों में दिवाली है यह रोशनी का त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली वसंत के अपने रंगीन और हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव के लिए जानी जाती है। ईद दावतों और प्रार्थनाओं के साथ रमजान माह के अंत को चिह्नित करती है। नवरात्रि देवी दुर्गा का सम्मान करने वाला नौ रातों का त्योहार है। अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों में क्रिसमस, पोंगल और दुर्गा पूजा शामिल हैं। ये त्यौहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाते हैं, जो लोगों को हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव, दावत और विभिन्न पारंपरिक अनुष्ठानों में एक साथ लाते हैं।

विविधता में एकता भारत की एक परिभाषित विशेषता है, जहाँ अनेक संस्कृतियाँ, भाषाएँ, धर्म और परंपराएँ सौहार्दपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं। अपने लोगों के बीच भारी मतभेदों के बावजूद, भारत विभिन्न जातीयताओं और मान्यताओं के जीवंत ताने-बाने के रूप में खड़ा है। यह देश एक साझा राष्ट्रीय पहचान से एकजुट है। यह सिद्धांत देश के विविध त्योहारों के उत्सव, विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं के प्रति सम्मान और विभिन्न क्षेत्रीय परंपराओं में दिखाई भी देता है। भारत की ताकत अपनेपन और साझा उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती है। विविधता में यह एकता भारत के सामाजिक सामंजस्य को बढ़ाती है और इसकी समृद्ध विरासत में योगदान देती है।

भारत एक ऐसा अद्भुत देश है जिसमें संस्कृतियों, जातियों, पंथों और धर्मों का एक समृद्ध मिश्रण है,ह अपनी विरासत, मसालों और इसे अपना घर कहने वाले लोगों के लिए प्रसिद्ध है। विविधता और एकता का यह मिश्रण ही है जिसकी वजह से भारत को अक्सर एक ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया जाता है जहाँ विविधता में एकता पनपती है। भारत आध्यात्मिकता, दर्शन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध है।

भारत पर 10 लाइन (10 Lines Essay on India in Hindi) यहां दी गई हैं –

  • भारत या एशिया में एक प्रायद्वीपीय देश है। भारत देश तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है।
  • अन्य देशों की तुपना में कुल क्षेत्रफल के मामले में भारत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा देश है।
  • भारत की जनसंख्या लगघग 1.4286 बिलियन है। यह चीन की 1.4257 बिलियन की तुलना में दुनिया में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है।
  • झारत कर पश्चिमी भाग में अरब सागर, दक्षिणी भाग में हिंद महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है।
  • भारत देश का उत्तरी भाग पहाड़ों से ढका हुआ है। हिमालय दुनिया की की प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है।
  • भारत में कई छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं। नदियों में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि प्रमुख हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है। तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग है। इसके बीच में अशोक चक्र बना हुआ है जिसमें 24 तीलियां हैं।
  • भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ में अशोक का सिंह स्तंभ है। इसके नीचे लिखा सत्यमेव जयते है जिसका अर्थ है सत्य की ही जीत होती है।
  • भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है। राष्ट्रगान की रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड लगते हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है जिसकी रचना बंकिम चंद्र चटर्जी के द्वारा की गई थी।

संसदीय प्रणाली वाली प्रभुता संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य जिसमें 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश।

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन (लगभग 1757-1947) के दौरान, ब्रिटिश भारतीय उपमहाद्वीप को “इंडिया” कहते थे। यह शब्द सिंधु नदी से लिया गया था, जो ब्रिटिश भारत की पश्चिमी सीमा को चिह्नित करती थी। ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने आधिकारिक नाम के रूप में “इंडिया” का इस्तेमाल किया।

दुनिया भर में भारत विविधता में एकता का प्रतिनिधि है। भारत विभिन्न संस्कृतियों, जातियों, पंथों, धर्मों की भूमि है; अनेक मतभेदों के बावजूद हम सौहार्दपूर्वक रहते हैं। भारतीय शांतिप्रिय हैं और संकट के समय लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं। हम “अतिथि देवो भव” के आदर्श वाक्य में विश्वास करते हैं, जिसका अर्थ है कि हमारे मेहमान हमारे भगवान हैं और हमारे देश में आने वाले पर्यटकों के प्रति विशेष रूप से सहायक और दयालु हैं। हमारा देश एक जीवंत देश है जो मेहनती लोगों, समृद्ध वनस्पतियों और जीवों और एक अद्भुत विरासत का घर है। मेहनती नागरिकों का प्रमाण, भारत धीरे-धीरे और लगातार दुनिया की महाशक्तियों में से एक बन रहा है।

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How do you say child; children in Hindi?

बच्चा; बच्चे, ( bacchā; bacche ).

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Justice Dept. watchdog blasts FBI over handling of child sexual abuse cases

WASHINGTON — Three years after the Justice Department's internal watchdog slammed the FBI for its failures in the case of convicted sexual abuser and former U.S. gymnastic team doctor Larry Nassar , an audit released Thursday finds that the bureau is still failing to protect children who have been sexually abused. 

The new report by Justice Department Inspector General Michael Horowitz reviewed a sample of 327 cases and found 42 that were so deficient that auditors felt compelled to contact the FBI and urge immediate attention. 

In one case, the audit found that a child continued to be sexually abused for 15 months — and another child victim was abused by the same person — while the FBI failed to investigate the case. The IG reported on a separate FBI review that found another such example in which a 2-year-old was being abused for 21 months while the FBI sat on the case and failed to take investigative steps. These cases mirror what happened in the Nassar case, even though FBI Director Christopher Wray assured Congress and the public this would never happen again.

In 47% of the cases examined, the Justice Department watchdog found no evidence that the FBI complied with the mandatory reporting requirements to alert state or local authorities about an allegation of child sexual abuse. In 43% of the cases, the audit found, it wasn’t just a lack of documentation in the file — the FBI needed to take additional investigative steps that should have initially taken place.

US-POLITICS-INVESTIGATION-MUELLER-JUSTICE-REPORT

In the Nassar case, the report found that an additional 70 gymnasts said they were abused by him during a year of inaction while the FBI failed to investigate allegations brought to agents.  

In response, the FBI suggested this was mainly a case of failing to properly document files, something the report rebuts by saying that 43% of the problem cases required more FBI action, not just paperwork.

A senior FBI official mentioned budget cuts as one reason this mission is particularly difficult and said they take any compliance issues very seriously. The official said there are a small minority of cases in which a lack of action from the FBI resulted in harm to children, and that in no case was that acceptable to the FBI.

Senate Judiciary Committee Chairman Dick Durbin, D-Ill., blasted the FBI in a statement, saying the FBI’s "failures enabling Larry Nassar’s abuse of young victims continue to remain a stain on the Bureau."

"Today’s report shows that new policies implemented by the FBI to address these egregious failures are effectively being ignored, leading to similar abuses as seen in the Nassar investigation. It’s shameful that the FBI is continuing to fail victims," Durbin said.

In a statement, the bureau said that ensuring the safety and security of children “is not just a priority for the FBI; it is a solemn duty that we are committed to fulfilling with the highest standards.” The bureau’s statement said the FBI is “committed to maintaining the public’s trust by implementing the necessary improvements to ensure the important changes we made to our Violent Crimes Against Children program in 2018 and 2019 have the intended effect of promoting the highest level of compliance and effectiveness.”

John Manly, an attorney who represented hundreds of Nassar's accusers including Simone Biles and Aly Raisman, said the new report shows that Congress needs to take action to make changes within the FBI.

"This report makes clear that the FBI is simply not doing its job when it comes to protecting our children from the monsters among us who stalk them," Manly said. "Despite years of promises and numerous congressional hearings it’s now clear that Larry Nassar could happen again today. It’s time for Congress to take action to reform the FBI. Our children deserve nothing less."

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Ken Dilanian is the justice and intelligence correspondent for NBC News, based in Washington.

Sarah Fitzpatrick is a senior investigative producer and story editor for NBC News. She previously worked for CBS News and "60 Minutes." 

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Ryan J. Reilly is a justice reporter for NBC News.

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