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Nice post meri bhi blog hai http://www.hindihint.com is par bhi aap hindi me biography ke saath bhut kuch pad skte hai
Aapne sawami ji ke baare me bahut achhi jankari di hai.
bhai ek baat bolna tha.... pura to wikipedia ko he chhaap diya uska bhin link dene bolte na.....
You have written a very good article. You have given very interesting information about Swami Vivekananda. Here you have explained all the facts very beautifully.
bahut achha lekh
Very good information about sawami vivekananda
सारगर्भित और ज्ञान से ओत-प्रोत जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !
Very nice information
It is very good biography on my idel Swami Vivekananda
अद्भुत ज्ञान के भंडार हैं स्वामी विवेकानंद जी
Very nice biography
Bahut achha likha hai aapne Swami ji ke bare main
swami ji 1 din me 700 page yaad kar lete the
Bhut hi shandar likha sir aapne bhut si bate nahi janta jo ab jan gya
Great 🙏🙏🙏🙏🙏 ❤❤❤❤❤❤❤❤
kashto se bhara jiban apne laskh or Hindu dharm ko bataye
Swami ji ka lekh pada bahut acchha laga
◦•●◉✿Great man✿◉●•◦
Swami vivekanand ji ko mera namaskar kitne vidvaan hai swami vivekanand ji
Thanku so much this information
संक्षिप्त में बहुमूल्य जानकारी।
आपको हमारे तरफ से बहुत धनबाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत-बहुत धन्यवाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े व्यक्ति के जीवन के बारे में बताने के लिए।
if a real good we can talk to anyone that is vivakanand, my hero good is thru but vivakanand is master of everyone. his word to protact other befor himself , i real like
very nice sir
very informational and high quality article about Swami Vivekananda
आपने स्वामी विवेकानंद जी के जीवन के बारे में अच्छी जानकारी दी है
I am able to write my project with it
Bahut hi sundar raha hai ye anubhav mere liye
/fa-fire/ सदाबहार$type=list.
“ज्ञानयोग” स्वामी विवेकानंद की मुख्य पुस्तकों में से एक है। इस विषय पर उन्होंने लंदन और न्यू यॉर्क में जो व्याख्यान दिए थे, उनको संकलित करके ही यह पुस्तक बनायी गयी है। ये भाषण श्री गुडविन नामक स्टेनोग्राफ़र ने लिपिबद्ध किए थे, जो बाद में स्वामी विवेकानन्द के शिष्य बन गए थे।
“ज्ञानयोग” वस्तुतः दो शब्दों से मिलकर बना है – “ज्ञान” और “योग”। यह ज्ञान द्वारा ईश्वर से ऐक्य उपलब्ध करने का साधन है। यह मार्ग उन लोगों के लिए है जो बुद्धि-प्रधान हैं और तर्क तथा युक्ति से आत्मज्ञान की प्राप्ति करना चाहते हैं। पढ़ें स्वामी विवेकानंद की विख्यात किताब “ज्ञानयोग” हिंदी में–
ज्ञान योग पुस्तक में सत्रह अध्याय हैं, जो स्वामी जी के व्याख्यानों का लिपिबद्ध रूप हैं। इसमें वेदान्त के सूक्ष्म तत्त्वों की बड़ी सुन्दर और तार्किक व्याख्या की गयी है। कई अध्याय मूल वेदांत ग्रंथों अर्थात उपनिषदों पर आधारित हैं जिनकी सुललित विवेचना स्वामी विवेकानंद ने की है। जो भी इस पुस्तक को पढ़ता है, वह स्वामी जी की गंभीर प्रतिभा के ज्ञानयोग के उदात्त तत्त्वों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता है।
यह एक व्यावहारिक मार्ग है। स्वामी जी के अनुसार जीवन का हर पहलू ज्ञान योग से उत्पन्न हुई चेतना द्वारा आच्छादित होना चाहिए। केवल बौद्धिक चिंतन नहीं, अपितु इन तत्त्वों का जीवन में व्यवहार बहुत आवश्यक है। यह पुस्तक हर हिंदीभाषी को नई दृष्टि प्रदान करेगी और सोचने की नई दिशा देगी।
सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।
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स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। स्वामी विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। विवेकानन्द के पिता जी एक विचारक अति उदार गरीबों के प्रति सहानुभूति रखने वाले तथा सामाजिक विषयों में व्यवहारिक और रचनात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति थे। स्वामी विवेकानंद जी की माता जी भुवनेश्वरी देवी जो सरल व अत्यंत धार्मिक महिला थी इनका जीवन बचपन से ही काफी संघर्ष भरा रहा है इन्होंने बहोत कम आयु में लगातार प्रयास और संघर्ष से 39 वर्ष की आयु में पूरे विश्व में छा गए थे । स्वमी विवेकानंद जी हिन्दू सभ्यता के शिरोमणि संत थे।
स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस ने सपने में आकर धर्म संसद में जाने का संदेश दिया था लेकिन नरेंद्र नाथ के पास पश्चिम देशों मैं जाने के लिए पैसे नहीं थे इसीलिए नरेंद्र नाथ ने खेत्री के महाराज से संपर्क किया उन्हीं के सुझाव पर अपना नाम स्वामी विवेकानंद रख लिया। इस प्रकार नरेंद्र का नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा।
स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम श्री रामकृष्ण परमहंस था। रामकृष्ण परमहंस कोलकाता के दक्षिणेश्वर में स्थित काली मन्दिर के प्रसिद्ध पुजारी थे। स्वामी विवेकानंद की श्री रामकृष्ण परमहंस से पहली भेंट 1881 में हुई थी।
दक्षिणेश्वर के इसी काली मंदिर में स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस के चरणों में बैठकर ईश्वर संबंधी ज्ञान पाया था। स्वामी विवेकानंद अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के साथ पाच वर्षों 1882 से लेकर 1886 तक रह सके। स्वामी विवेकानंद समाज में व्याप्त समस्याओं को जड़ से नष्ट करना चाहते थे स्वामी विवेकानंद समाज के विभिन्न समस्या पर उन्होंने अपना महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।
स्वामी विवेकानंद भारतीय समाज में व्याप्त राष्ट्रीयता छुआछूत पर कटि प्रहार किया वह उच्चव निम्न जातियों के भेद को मिटाना चाहते थे वे कहते थे तुम्हारे मन में जो ईश्वर स्थित है वही मेरे मन में भी है फिर यह भेदभाव क्यों यह समानता क्यों। जातियों द्वारा निम्न जातियों के किए जाने वाले शोषण के विरुद्ध थे। स्वामी विवेकानन्द प्रत्येक राष्ट्र को अपनी स्त्री जाति का पूरा सम्मान करना चाहिए जो राष्ट्र स्त्रियो का आदर नहीं करते वो कभी उन्नति नहीं कर पाए और न भविष्य में ही कर पाएंगे ऐसा कथन स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था।
स्वामी विवेकानन्द जी ने स्त्रियों और धार्मिक तथा चरित्र संबंधित शिक्षा देने पर बल दिया स्वामी विवेकानंद जी ने बाल विवाह का विरोध किया बाल विवाह की आलोचना की विवेकानन्द ने समाज में रहकर हिंदू और मुस्लिम की एकता पर बल दिया स्वामी विवेकानंद ने आज समाज में फैली व्यर्थ कुरुतिया को हटाकर समाज को एक नई दिशा प्रदान करने पर बल दिया समाज में जितनी भी कुरुतिया थी उनकी कटु आलोचना की।
स्वामी विवेकानन्द संगीत साहित्य और दर्शन उनका शौक था स्वामी विवेकानन्द ने 25 वर्ष की आयु में ही वेद पुराण बाईबल कुरान पूंजीवाद अर्थशास्त्र राजनीति शास्त्र संगीत साहित्य आदि की तमाम तरह के विचारधाराओं को ग्रहण कर लिया था जैसे बड़े होते गए विवेकानंद सभी धर्म और दर्शन के प्रति अविश्वास हो गया।
विवेकानन्द ने कहा है उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए इस कथन के माध्यम से उन्होंने भारत के युवाओं को आगे बढ़ने के लिए संदेश दिया वर्तमान समय में भी विवेकानंद जी का यह संदेश युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है जो कि अब युवाओं का मूल मंत्र भी बन चुका है।
आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय PDF में डाउनलोड कर सकते हैं।
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Swami vivekananda teachings by thoughts and quotes in hindi.
भारतीय युवाओं को प्राचीन भारत से लेकर अभी वर्तमान भारत तक सबसे ज्यादा किसी महापुरुष ने प्रभावित ओर प्रेरित किया होंगा, तो वो है स्वामी विवेकानंद, स्वामी विवेकानंद जी का व्यक्तिमत्त्व ही कुछ ऐसा है की आज वे हर भारतीय युवा के लिये आदर्श है, स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल विचार और नियम कोई जो भी युवा अपनाता है, तो वो सफलतापूर्वक हार काम कर सकता है, और जीवन में उसे जो चाहे वो पा सकता है.
हम आज स्वामी विवेकानंद जी के जयंती पर उनके 11 प्रेरणादायक संदेशों ( Swami Vivekananda Teachings ) को जानते है जो प्रेरणा बन कर आपका जीवन बदल सकते हैं।
हम सभी जानते है की स्वामी विवेकानंद एक शक्तिशाली वक्ता थे, उनके भाषणों में श्रोताओ को मंत्रमुग्ध करने की ताकत थी. क्या उनकी सफलता का कोई राज़ था ? हाँ, उनके जीवन के इन सुन्दर 11 प्रेरणादायक संदेशों को अपनाकर आप भी सफल हो सकते है.
1. प्रेम ही जीवन का एकमात्र नियम है.
वह जो प्रेम करता है, जीवित रहता है और वह जो स्वार्थी है, मर रहा है. इसलिए प्रेम के लिए ही प्यार कीजिये, क्योंकि यह जीवन का नियम है. ठीक उसी तरह, जैसे आप जिन्दा रहने के लिए सांस लेते हैं.
2. जीवन सुंदर है: पहले, इस दुनिया में विश्वास करें.
विश्वास करें कि यहाँ जो कुछ भी है उसके पीछे कोई अर्थ छुपा हुआ है. दुनिया में सब कुछ अच्छा है, पवित्र है और सुंदर भी है. यदि आप, कुछ बुरा देखते हो तब इसका मतलब है आप इसे पूर्ण रूप से समझ नहीं पाएं हैं. आप अपने ऊपर का सारा बोझ उतार फेंके.
3. आप कैसा महसूस करतें हैं.
आप मसीह की तरह महसूस करें तो आप मसीह जैसा बनेंगें, आप बुद्ध की तरह महसूस करें तो आप बुद्ध जैसा बनेंगें. विचार ही जीवन है, यह शक्ति है और इसके बिना कोई बौद्धिक गतिविधि भगवान तक नहीं पहुँच सकती है.
4. अपने आप को मुक्त करें.
जिस क्षण मैं यह अहसास करता हूँ कि भगवान् हर मानव शरीर के अन्दर है, उस पल में जिस किसी भी मनुष्य के सामने खड़ा होता हूँ तो मैं उसमें भगवान् पाता हूँ, उस पल में मैं बंधन से मुक्त हो जाता हूँ और सारे बंधन अद्रश्य हो जातें हैं और मैं मुक्त हो जाता हूँ.
5. निंदा दोष का खेल मत खेलिए.
किसी पर भी आरोप प्रति आरोप न करें. आप किसी की मदद के लिए हाथ बड़ा सकतें हैं तो ऐसा अवश्य करें. और उन्हें अपने-अपने रास्ते पर चलने दें.
6. दूसरे की मदद करें.
यदि धन दूसरों के लिए अच्छा करने के लिए एक आदमी को मदद करता है, यह कुछ मूल्य का है, लेकिन अगर नहीं, तो यह केवल बुराई की जड़ है, और जितनी जल्दी इससे छुटकारा मिल जाए, उतना अच्छा है.
7. अपनी आत्मा को सुनो.
तुम अंदर से बाहर की ओर बढो. यह कोई तुम्हें सिखा नहीं सकता है, न ही कोई तुम्हें आध्यात्मिक बना सकता है. वहाँ कोई अन्य शिक्षक नहीं है, जो कुछ भी है आपकी खुद की आत्मा है.
8. कुछ भी असंभव नहीं है.
ये कभी भी मत सोचो कि आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा पाखण्ड है. यदि कोई पाप है, तो केवल यही पाप है- कि तुम कहते हो, तुम कमजोर हो या दूसरें कमजोर हैं.
9. तुम में शक्ति है.
ब्रह्मांड में सभी शक्तियां पहले से ही हमारी हैं. यह हम हैं जो अपनी आंखों को हाथों से ढँक लेतें हैं और बोलतें हैं कि यहाँ अँधेरा है.
10. सच्चे रहो.
सब कुछ सच के लिए बलिदान किया जा सकता है, लेकिन सत्य, सब कुछ के लिए बलिदान नहीं किया जा सकता है.
11. अलग सोचो.
दुनिया में सारे मतभेद उनको विभिन्न नज़रिए से देखने की वज़ह से हैं, कहने का अर्थ हमें अपनी अनुभूतियों के कारण सब कुछ अलग-अलग दिखता है परन्तु सच में सारा कुछ एक में ही समाया हुआ है.
स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक संदेशों (Swami Vivekananda Teachings) को अपने जीवन में अपनाकर हम निश्चित ही सफलता हासिल कर सकते है. अगर हम उनके इस 11 प्रेरणादायक संदेशों में से किसी 1 को भी पूरी इमानदारी के साथ जीवन में उतरते हे, तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. You Will Be Unstoppable.
Motivational Quotes:
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sir savami vikanad ka anmol vichar bahut aacha lagha aaur esi tarah bhenjate rahiye
sir savami vikanad ka anmol vichar bahut aacha lagha
Sir ye btao ki yhan प्रेम se Kay mtlb h kis trh ka prem
Swami ji apne ko control krne ki power adbhut thi..unka apne body k hr hisse pr jberdst control tha
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Gyan ki anmol dhara
स्वामी विवेकानंद कौन थे इन हिंदी.
स्वामी विवेकानंद की जीवनी pdf स्वामी विवेकानन्द समाज के हीरो थे समाज मे फैले अंधविश्वास को दूर करना इनका प्रमुख कार्य था। स्वामी विवेकानंद जी विश्व विख्यात और प्रतिभाशाली छवि के व्यक्ति थे उन्होंने अमरीका स्थित शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया जो आज विश्व में विश्व ख्याति प्राप्त है उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की वे एक महान समाज सुधारक और महान व्यक्ति थे।
स्वामी विवेकानंद सदियों से हर भारतीय युवा के लिए आदर्श रहे हैं। विवेकानंद बचपन से जिज्ञासु और एक विशेष प्रतिभा के धनी थे। उनका आदर्श विचार और शक्तिशाली व्यक्तित्व आज भी दुनिया को प्रेरित करती है।
स्वामी विवेकानंद की जीवनी PDF in Hindi download – स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। स्वामी विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था स्वामी विवेकानंद जी को नरेंद्र के नाम से भी जाना जाता था स्वामी विवेकानंद जी के पिताजी वकालत करते थे।
स्वामी विवेकानन्द के पिता जी एक विचारक अति उदार गरीबों के प्रति सहानुभूति रखने वाले तथा सामाजिक विषयों में व्यवहारिक और रचनात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति थे।
स्वामी विवेकानंद जी की माता जी भुवनेश्वरी देवी जो सरल व अत्यंत धार्मिक महिला थी इनका जीवन बचपन से ही काफी संघर्ष भरा रहा है इन्होंने बहोत कम आयु में लगातार प्रयास और संघर्ष से 39 वर्ष की आयु में पूरे विश्व में छा गए थे । स्वमी विवेकानंद जी हिन्दू सभ्यता के शिरोमणि संत थे।
स्वामी विवेकानन्द जी बचपन से हैं चिंतनशील प्रवृत्ति के व्यक्ति थे उनके माता-पिता ने इसका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त रखा गया।
स्वामी विवेकानंद का नाम विवेकानंद कैसे पड़ा स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस ने सपने में आकर धर्म संसद में जाने का संदेश दिया था लेकिन नरेंद्र नाथ के पास पश्चिम देशों मैं जाने के लिए पैसे नहीं थे इसीलिए नरेंद्र नाथ ने खेत्री के महाराज से संपर्क किया उन्हीं के सुझाव पर अपना नाम स्वामी विवेकानंद रख लिया। इस प्रकार नरेंद्र का नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा।
स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम श्री रामकृष्ण परमहंस था। रामकृष्ण परमहंस कोलकाता के दक्षिणेश्वर में स्थित काली मन्दिर के प्रसिद्ध पुजारी थे। स्वामी विवेकानंद की श्री रामकृष्ण परमहंस से पहली भेंट 1881 में हुई थी।
दक्षिणेश्वर के इसी काली मंदिर में स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस के चरणों में बैठकर ईश्वर संबंधी ज्ञान पाया था। स्वामी विवेकानंद अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के साथ पाच वर्षों 1882 से लेकर 1886 तक रह सके।
स्वामी विवेकानंद समाज में व्याप्त समस्याओं को जड़ से नष्ट करना चाहते थे स्वामी विवेकानंद समाज के विभिन्न समस्या पर उन्होंने अपना महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।
स्वामी विवेकानंद भारतीय समाज में व्याप्त राष्ट्रीयता छुआछूत पर कटि प्रहार किया वह उच्चव निम्न जातियों के भेद को मिटाना चाहते थे वे कहते थे तुम्हारे मन में जो ईश्वर स्थित है वही मेरे मन में भी है फिर यह भेदभाव क्यों यह समानता क्यों।
जातियों द्वारा निम्न जातियों के किए जाने वाले शोषण के विरुद्ध थे। स्वामी विवेकानन्द प्रत्येक राष्ट्र को अपनी स्त्री जाति का पूरा सम्मान करना चाहिए जो राष्ट्र स्त्रियो का आदर नहीं करते वो कभी उन्नति नहीं कर पाए और न भविष्य में ही कर पाएंगे ऐसा कथन स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था।
स्वामी विवेकानन्द जी ने स्त्रियों और धार्मिक तथा चरित्र संबंधित शिक्षा देने पर बल दिया स्वामी विवेकानंद जी ने बाल विवाह का विरोध किया बाल विवाह की आलोचना की विवेकानन्द ने समाज में रहकर हिंदू और मुस्लिम की एकता पर बल दिया स्वामी विवेकानंद ने आज समाज में फैली व्यर्थ कुरुतिया को हटाकर समाज को एक नई दिशा प्रदान करने पर बल दिया समाज में जितनी भी कुरुतिया थी उनकी कटु आलोचना की।
स्वामी विवेकानन्द संगीत साहित्य और दर्शन उनका शौक था स्वामी विवेकानन्द ने 25 वर्ष की आयु में ही वेद पुराण बाईबल कुरान पूंजीवाद अर्थशास्त्र राजनीति शास्त्र संगीत साहित्य आदि की तमाम तरह के विचारधाराओं को ग्रहण कर लिया था जैसे बड़े होते गए विवेकानंद सभी धर्म और दर्शन के प्रति अविश्वास हो गया।
विवेकानन्द ने कहा है उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए इस कथन के माध्यम से उन्होंने भारत के युवाओं को आगे बढ़ने के लिए संदेश दिया वर्तमान समय में भी विवेकानंद जी का यह संदेश युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है जो कि अब युवाओं का मूल मंत्र भी बन चुका है।
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता
सत्य को हजार तारीख को से बताया जा सकता है फिर भी हर एक सत्य ही होगा
शिखागो के व्याख्यान में स्वामी विवेकानंद ने प्रेम एवं मानवता का संदेश दिया था। स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका के शिकागों शहर में 11 सितंबर 1893 को हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक अविस्मरणीय व्याख्यान दिया था।
स्वामी विवेकानन्द जी की मृत्यु 4 जुलाई, 1902 को हुई। मृत्यु के पहले शाम के समय बेलूर मठ में उन्होंने 3 घंटे तक योग किया। शाम के करीब 7 बजे अपने कक्ष में जाते हुए उन्होंने किसी से भी उन्हें व्यवधान ना पहुंचाने की बात कही और रात के 9 बजकर 10 मिनट पर उनकी मृत्यु की खबर मठ में फैल गई।
ऐसा कहा जाता है की स्वामी विवेकानन्द जी ने समाधि ले थी स्वामी विवेकानंद की मृत्यु दिमाग की नसे फटने के कारण हुई थी।
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अब सभी जानकारी हिंदी में
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स्वामी विवेकानंद भारतीय वैदिक सनातन संस्कृति के जीवंत अवतार थे। जिन्होंने पूरे विश्व को भारत की संस्कृति, धर्म और नैतिक मूल्यों के मूल से परिचित कराया। स्वामी जी वेद, साहित्य और इतिहास की विधा में पारंगत थे।
पिछले लेख में, हमने महत्वपूर्ण विषय Dr. APJ अब्दुल कलाम का इतिहास व जीवन परिचय और Meesho App क्या है और इस से पैसे कैसे कमाए? सम्पूर्ण जानकारी ! के बारे में अच्छे से और सम्पूर्ण जानकारी प्रदान कर चुके हैं।
जीवन परिचय बिंदु | जीवन परिचय |
नाम (Name) | स्वामी विवेकानंद |
वास्तविक नाम (Real Name) | नरेन्द्र दास दत्त |
पिता का नाम (Father Name) | विश्वनाथ दत्त |
माता का नाम (Mother Name) | भुवनेश्वरी देवी |
जन्म दिनांक (Birth Date) | 12 जनवरी 1863 |
जन्म स्थान (Birth Place) | कलकत्ता |
गुरु का नाम (Guru/Teacher) | रामकृष्ण परमहंस |
प्रसिद्दी कारण (Known For) | संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार |
पेशा (Profession) | आध्यात्मिक गुरु |
मृत्यु दिनांक (Death) | 4 जुलाई 1902 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | बेलूर मठ, बंगाल |
स्वामी विवेकानंद ने संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में हिंदू आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार किया। उनका जन्म कलकत्ता के एक हाई-प्रोफाइल परिवार में हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।
छोटी उम्र में ही वे गुरु रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आ गए और सनातन धर्म के प्रति उनका झुकाव बढ़ने लगा।
गुरु रामकृष्ण परमहंस से मिलने से पहले वे एक सामान्य इंसान की तरह अपना सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे थे। गुरुजी ने उनके भीतर ज्ञान का प्रकाश जलाने का काम किया।
उन्हें 1893 में शिकागो में आयोजित धर्मों की विश्व महासभा में अपने भाषण के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत “मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों” कहकर की थी, स्वामी विवेकानंद की अमेरिका यात्रा से पहले, भारत को दासो का स्थान माना जाता था और अज्ञानी लोग। स्वामी जी ने दुनिया को भारत के आध्यात्मिक रूप से समृद्ध वेदांत का दर्शन कराया।
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स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट में हुआ था। स्वामी जी के बचपन का नाम नरेंद्र दास दत्त था। वह कलकत्ता के एक हाई-प्रोफाइल कुलीन परिवार से थे। उनके पिता विश्वनाथ दत्त एक प्रसिद्ध और सफल वकील थे।
उन्होंने कलकत्ता में उच्च न्यायालय में अटॉर्नी-एट-लॉ का पद संभाला। माता भुवनेश्वरी देवी बुद्धिमान और धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। जिससे उन्हें अपनी मां से हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति को करीब से समझने का मौका मिला।
स्वामीजी एक आर्थिक रूप से संपन्न परिवार में पले-बढ़े। उनके पिता पश्चिमी संस्कृति में विश्वास करते थे, इसलिए वे उन्हें अंग्रेजी भाषा और शिक्षा का ज्ञान देना चाहते थे।
उनका कभी भी अंग्रेजी पढ़ाने का मन नहीं हुआ। बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के बावजूद उनका शैक्षिक प्रदर्शन औसत रहा। उन्होंने यूनिवर्सिटी एंट्रेंस लेवल पर 47 फीसदी, एफए में 46 फीसदी और बीए में 56 फीसदी अंक हासिल किए.
माता भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक महिला थीं जो नरेंद्रनाथ ( स्वामीजी के बचपन का नाम ) के बचपन में रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाती थीं। जिसके बाद उनकी आध्यात्मिकता क्षेत्र में बढ़ती चली गई।
कथा सुनते-सुनते उनका मन आनंद से भर गया। रामायण सुनते-सुनते नरेंद्र की सीधी-साधी संतान भक्ति से भर उठी। वे प्राय: अपने ही घर में तपस्वी हो जाते थे। एक बार वे अपने ही घर में ध्यान में इतने मग्न हो गए कि घरवालों ने उन्हें जोर से हिलाया, फिर कहीं जाकर उनका ध्यान भंग किया।
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25 साल की उम्र में उन्होंने अपना घर और परिवार छोड़कर संन्यासी बनने का फैसला किया। अपने छात्र जीवन में, वह ब्रह्म समाज के नेता महर्षि देवेंद्र नाथ ठाकुर के संपर्क में आए। स्वामीजी की जिज्ञासा शांत करने के लिए उन्होंने नरेंद्र को रामकृष्ण परमहंस के पास जाने की सलाह दी।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी दक्षिणेश्वर के काली मंदिर के पुजारी थे। परमहंस जी की कृपा से स्वामी जी को ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे परमहंस जी के प्रमुख शिष्य बन गए।
1885 में, रामकृष्ण परमहंस की कैंसर से मृत्यु हो गई। उसके बाद स्वामीजी ने रामकृष्ण संघ की स्थापना की, जिसे बाद में रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के नाम से जाना जाने लगा।
11 सितंबर, 1893 को शिकागो में धर्मों का विश्व सम्मेलन होना था। उस सम्मेलन में स्वामी जी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
जैसे ही स्वामी जी ने धर्म सम्मेलन में अपनी शक्तिशाली आवाज के साथ अपना भाषण शुरू किया और कहा “मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों”, 5 मिनट के लिए सभागार तालियों की गड़गड़ाहट के साथ गूंज उठा।
इसके बाद स्वामी जी ने अपने भाषण में भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इससे न केवल अमेरिका बल्कि विश्व में स्वामीजी का सम्मान बढ़ा।
स्वामी जी द्वारा दिए गए मौखिक इतिहास के पन्नों में वे आज भी अमर हैं। धर्म संसद के बाद स्वामी जी ने तीन साल तक अमेरिका और ब्रिटेन में वेदांत की शिक्षाओं का प्रचार किया। 15 अगस्त 1897 को स्वामीजी श्रीलंका पहुंचे, जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ।
जब स्वामीजी की ख्याति पूरी दुनिया में फैल गई थी। तभी एक विदेशी महिला उनसे प्रभावित होकर उनसे मिलने आई। महिला ने स्वामी जी से कहा- “मैं तुमसे शादी करना चाहती हूं।”
स्वामी जी ने कहा- हे देवी, मैं एक ब्रह्मचारी हूं, मैं आपसे कैसे विवाह कर सकता हूं?
वह एक विदेशी महिला स्वामी जी से शादी करना चाहती थी ताकि उसे स्वामी जी जैसा बेटा मिल सके और वह बड़ा होकर दुनिया में अपना ज्ञान फैला सके और अपना नाम बना सके।
उसने स्त्री को नमस्कार किया और कहा, “माँ, आज से तुम मेरी माँ हो।” तुम्हें भी मेरे जैसा पुत्र मिला है और मेरा ब्रह्मचर्य चलेगा। यह सुनकर वह स्त्री स्वामीजी के चरणों में गिर पड़ी।
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु (death of swami vivekananda ).
4 जुलाई 1902 को स्वामी जी ने बेलूर मठ में पूजा-अर्चना की और योग भी किया।
उसके बाद वहां के छात्रों को योग, वेद और संस्कृत विषय पढ़ाया गया। शाम को स्वामी जी अपने कमरे में योग करने गए और अपने शिष्यों को शांति भंग करने से मना किया और योग करते हुए उनकी मृत्यु हो गई।
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39 वर्ष की आयु में स्वामी जी जैसे प्रेरणा के देवता का मेल हो गया। स्वामी के जन्मदिन को पूरे भारत में “ युवा दिवस “ (National Youth Day) के रूप में मनाया जाता है।
1- “अपने जीवन में जोखिम उठाएं, यदि आप जीतते हैं, तो आप नेतृत्व कर सकते हैं! यदि आप हार जाते हैं, तो आप मार्गदर्शन कर सकते हैं!”
2- “शक्ति ही जीवन है; कमजोरी मौत है।”
3- “अनुभव ही हमारे पास एकमात्र शिक्षक है। हम जीवन भर बात और तर्क कर सकते हैं, लेकिन हम सत्य के एक शब्द को नहीं समझेंगे।”
4- “अगर आप खुद को मजबूत समझते हैं, तो आप मजबूत होंगे।”
5- “एक विचार लें, उस एक विचार को अपना जीवन बनाएं। इसके बारे में सोचें, इसके सपने देखें, उस विचार पर जिएं, मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, आपके शरीर के हर हिस्से को उस विचार से भरा होने दें, और हर दूसरे विचार को अकेला छोड़ दें। यही सफलता का मार्ग है।”
6- “खड़े हो जाओ, निर्भीक बनो, और दोष अपने कंधों पर लो। दूसरों पर कीचड़ उछालना मत; आप जिन सभी दोषों से पीड़ित हैं, उनके लिए आप एकमात्र और एकमात्र कारण हैं।”
7- “ध्यान मूर्खों को साधु बना सकता है लेकिन दुर्भाग्य से मूर्ख कभी ध्यान नहीं करते।”
8- “वह मनुष्य अमरत्व को प्राप्त हो गया है जो किसी भी भौतिक वस्तु से व्याकुल नहीं है।”
9- “आप जो कुछ भी विश्वास करते हैं, कि आप होंगे, यदि आप अपने आप को युगों का मानते हैं, तो आप कल होंगे।
आपको बाधित करने के लिए कुछ भी नहीं है।”
10- “आप भगवान पर तब तक विश्वास नहीं कर सकते जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते।”
यह भी पढ़ें- Dr. APJ अब्दुल कलाम का इतिहास व जीवन परिचय
इस ट्यूटोरियल में, हमने आपको “ स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय हिंदी में (Biography of Swami Vivekananda in Hindi) ” के बारे में पूरी जानकारी दी है। यह ट्यूटोरियल आपके लिए उपयोगी होगा। आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट कर के जरूर बताइये और अपने सुझाव को हमारे साथ शेयर करें ।
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Swami Vivekananda's teachings on self-control, diligent effort, routine, self-respect, and determination provided invaluable guidance on discipline for children. He believed self-discipline was ...