essay on environment hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

  • Slogans on pollution
  • Slogan on environment
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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

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Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

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Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

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bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

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Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

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Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

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पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000) लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पर्यावरण का अर्थ, पर्यावरण का महत्व, विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण से लाभ और हानि, पर्यावरण और जीवन, पर्यावरण प्रौद्योगिकी प्रगति और प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण के उपाय के बारे में लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi)

प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और विकास के नाम पर उसे खतरे में डाल दिया है। विज्ञान की बढ़ती प्रकृति ने एक और तो हमारे लिए सुख- सुविधा में वृद्धि की है तो दूसरी ओर पर्यावरण को दूषित करके मानव के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

पर्यावरण का अर्थ Meaning of Environment 

“अमृत बांटें कर विष पान, वृक्ष स्वयं शंकर भगवान।”पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पर +आवरण जिसका अर्थ है हमारे चारों ओर घिरे हुए वातावरण।

पर्यावरण और मानव का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है। पर्यावरण से मनुष्य की  भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण का महत्व Importance of Environment in Hindi

पर्यावरण से ही हम हैं, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव- जंतु, प्राकृतिक, वनस्पतियों, पेड़- पौधे, जलवायु, मौसम सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित है।

पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है, और जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ  उपलब्ध कराता है।

विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day 

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

5 जून 1973 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

पर्यावरण से लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Environment in Hindi

पर्यावरण से लाभ advantages of environment in hindi.

पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है। पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण में जैविक,  अजैविक, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वस्तु का समावेश होता है।

प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।जो हवा हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जिस के सिवा हम जी नहीं सकते और जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं, पेड़ पौधे उनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है।

यह सब प्राकृतिक चीजें हैं जो पृथ्वी पर जीवन संभव बनाती हैं। वह पर्यावरण के अंतर्गत ही आती हैं। पेड़-पौधों की हरियाली से मन का तनाव दूर होता है, और दिमाग को शांति मिलती है। पर्यावरण से ही हमारे अनेक प्रकार की बीमारी भी दूर होती है।

पर्यावरण मनुष्य, पशुओं और अन्य जीव चीजों को बढ़ाने और विकास होने में मदद करती है। मनुष्य भी पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण का एक घटक होने के कारण हमें भी पर्यावरण का एक संवर्धन करना चाहिए।

पर्यावरण पर हमारा यह जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण की वास्तविकता को बनाए रखना होगा।

और पढ़ें: जल संरक्षण पर निबंध

पर्यावरण से हानि Disadvantages of Environment in Hindi

आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पर्यावरण की प्रकृति नष्ट हो रही है। हर जगह जहां घने वृक्ष हैं उन्हें काट कर वहां बड़ी इमारत बनाए जा रहे हैं।

गाड़ी की धुआ, फैक्ट्री मे मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक जल इन सब की वजह से, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण हो रहा है। यह एक चिंता का विषय बन चुका है यह अत्यंत घातक है। जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और हमारा शरीर हमेशा बिगड़ रहा है।

वही आज जहां विज्ञान में तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार है। आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी करण और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।

मनुष्य  अपने स्वार्थ के चलते पेड़ पौधों की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वाल्मिग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।

  • पेड़ों का महत्व समझ कर हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमें  छाया प्रदान करते हैं। घने वृक्ष पशु पक्षी का भी निवास स्थान है। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

पर्यावरण और जीवन Environment and life in Hindi

पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भर है। पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुंत तरक्की कर ली हो।

लेकिन प्रकृति में जो हमें उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है। इसीलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।

वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व है, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है, और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं। पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण Environment, Technology, Progress and Pollution in Hindi

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीकी ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे ना सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है। लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की है जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय Environmental protection measures in Hindi

  • उद्योग से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धोएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए। 
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों को निपटाने के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझने के लिए जागरूकता फैलाने चाहिए।

हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। यह पर्यावरण संतुलन के लिए ही बनाया गया एक उपक्रम है।

इस तरह हमें अपने पर्यावरण को बचाना चाहिए। लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाना चाहिए। स्वच्छ पर्यावरण एक शांतिपूर्ण और स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है। 

पर्यावरण पर 10 लाइन 10 Line on Environment in Hindi

  • पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परिधान +आवरण इसका अर्थ होता है हमारे चारों ओर् घिरे हुये वातावरण।
  • पर्यावरण और मानव का संबंध घनिष्ठ है।
  • पर्यावरण से ही हम हैं हर किसी के जीवन  के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है।
  • पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।
  • पर्यावरण आसिफ जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि, जीवन के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराता है।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
  • पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है।
  • प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।
  • पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।
  • घने वृक्ष पशु-पक्षी का निवास स्थान है। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमेशा या प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

पर्यावरण के प्रति हम सब को जागरूक होने की आवश्यकता है। पेड़ों की हो रही है अंधाधुन कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना और हमारा कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में ही रहकर स्वास्थ्य मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।आशा करते हैं आपको हमारा पर्यावरण पर निबंध अच्छा लगा होगा।

1 thought on “पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)”

आपने पर्यावरण पर जो निबंध लिखा है सचमुच ही हृदय को छू लेने वाला है। अगर जन-जन में यह क्रांति फैलाई जाए की मनुष्य जहां- जहां घर बनाते हैं वहां 6 फुट का जगह छोड़ना चाहिए और एक आम और नीम का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।

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पर्यावरण शब्द पढ़ने, लिखने, बोलने या सुनने में जितना छोटा है, इसका अर्थ उतना ही ज़्यादा बड़ा और गहरा है। प्रकृति से मिली पर्यावरण की शक्तियों का अंदाज़ा लगाने अगर हम बैठेंगे, तो शायद हमारा पूरा एक जीवन भी इसके लिए कम रहेगा। पर्यावरण एक ऐसा विषय है जिसके बारे में जितना पढ़ा जाए या लिखा जाए उतना ही कम है। मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि सभी चीज़ें पर्यावरण से ही जीवित हैं। पर्यावरण के बिना मानव जीवन की कल्पना करना असंभव है। हम सभी पर्यावरण के साथ और पर्यावरण हमारे साथ हर तरह से जुड़ा हुआ है।

सुबह के उजाले से लेकर रात के अंधेरे तक पृथ्वी पर सभी कार्य पर्यावरण की मदद से ही सम्पन्न होते हैं, इसीलिए प्रकृति या पर्यावरण को कमजोर समझना मनुष्य की सबसे बड़ी भूल है। अगर आप जानना चाहते हैं कि पर्यावरण क्या है या पर्यावरण का क्या अर्थ है या पर्यावरण किसे कहते हैं, पर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं, पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है, तो आप ये आर्टिकल पढ़ सकते हैं।

जिन पेड़ों की ठंडी हवा से हमें तपती गर्मी में चैन मिलता है, जिस धूप के सेक से हमारे बदन की सर्दी कम होती है, जिस स्वच्छ जल को पीकर हम अपनी प्यास बुझाते हैं या जिस खेत में उपजे अन्न से हमारी भूख शांत होती है ये सब पर्यावरण का ही खेल है। जिस तरह से सुबह, दोपहर, शाम और रात प्रकृति के नियम के अनुसार होते हैं ठीक उसी तरह से पर्यावरण के भी कुछ अपने नियम हैं। पर्यावरण का हर काम उसके नियम के अनुरूप ही होता है। जब इस सृष्टि का निर्माण हुआ होगा तभी से पृथ्वी पर पर्यावरण की भी उत्पत्ति हो गई होगी क्योंकि बिना पर्यावरण के दुनिया का बनना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था।

पर्यावरण का अर्थ

पर्यावरण दो शब्दों ‘परि’ (जो हमारे चारों ओर है) और ‘आवरण’ (जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है) के मेल से बना है, जिसका शाब्दिक का अर्थ है हमारे चारों ओर का आवरण यानी कि वातावरण। पर्यावरण (Environment) शब्द एक फ्रेंच भाषा के शब्द एनविरोनिया (Environia) से लिया गया है जिसका मतलब होता है हमारे आस-पास या चारों ओर।

जिस परिवेश या वातावरण में हम सब निवास करते हैं यह उस परिवेश के जैविक पर्यावरण (जो जीवित होते हैं) और अजैविक पर्यावरण (जो जीवित नहीं होते हैं) दोनों को दर्शाता है। पर्यावरण और जीव प्रकृति के दो संगठित और जटिल घटक होते हैं। पर्यावरण हम सभी के जीवन को नियंत्रित करने का काम करता है क्योंकि सबसे ज़्यादा हम पर्यावरण के साथ ही संपर्क में आते हैं और पर्यावरण में रह कर ही अपना जीवन व्यतित करते हैं।

पर्यावरण क्या है?

पर्यावरण किसी एक तत्व का नाम नहीं है ब्लकि यह विभिन्न तत्वों के योग के मिलकर बना है। जो तत्व या चीजें हमें अपने आसपास नज़र आती हैं वही हमारा पर्यावरण है। पर्यावरण भौतिक और बल को दर्शाता है। पर्यावरण को वातावरण या स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें व्यक्ति, जीव या पौधे निवास करते हुए अपना हर कार्य करते हैं।

मनुष्य के जीवन चक्र में पर्यावरण की मुख्य भूमिका होती है क्योंकि हम सभी सबसे अधिक पर्यावरण के ऊपर ही निर्भर हैं। पर्यावरण के पास प्राकृतिक चीजों का उत्पादन करने और सौंदर्य दर्शाने की शक्तियाँ मौजूद हैं। पर्यावरण वह स्थिति है जिसमें एक जीव जन्म लेता है, फिर उसकी जीवन प्रक्रिया चलती है और फिर एक समय ऐसा आता है जब उसका अंत होता है।यह जीवित जीव की वृद्धि और विकास को प्रभावित करता है।

अन्य शब्दों में कहा जाए तो पर्यावरण उस परिवेश को दर्शाने का काम करता है जो सभी सजीवों को चारों तरफ से घेरे रहता है और उनके जीवन को प्रभावित करता है। पर्यावरण वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल से बना हुआ है।

मिट्टी, पानी, हवा, आग और आकाश पर्यावरण के मुख्य घटक हैं, जिन्हें हम पंचतत्व भी बोलते हैं। पर्यावरण ने हम सभी को एक आरामदायक जीवन जीने के लिए और ज़रूरत के अनुसार उनका उपभोग करने के लिए हमें प्राकृतिक संसाधन प्रदान किए हैं। पर्यावरण का संबंध उन चीज़ों से है जो किसी वस्तु के बहुत पास है और उस पर उसका सीधा प्रभाव पड़ता हो। हमारा पर्यावरण उन चीजों या साधनों को दिखाता है जो हमसे हर रूप में अलग हैं और हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।

पर्यावरण किसे कहते हैं?

जो कोई भी वस्तुएं हमारे आसपास या चारों ओर होती हैं, जैसे- पेड़-पौधे, जीव-जंतु, नदी, तालाब, हवा, मिट्टी तथा मनुष्य और उनके द्वारा जो कोई भी क्रियाएं की जाती हैं, उसी को हम पर्यावरण (Environment) कहते हैं। अलग-अलग दर्शनशास्त्रियों ने पर्यावरण को अपने-अपने शब्दों में परिभाषित किया है, जैसे-

  • टाॅसले के अनुसार- ’’प्रभावकारी दशाओं का वह सम्पूर्ण योग जिसमें जीव रहते हैं, पर्यावरण कहलाता है।’’
  • फिटिंग के अनुसार- ’’जीवों के पारिस्थितिकी का योग पर्यावरण है अर्थात् जीवन की पारिस्थितिकी के समस्त तथ्य मिलकर पर्यावरण कहलाते हैं।’’
  • बोरिंग के अनुसार- ’’एक व्यक्ति के पर्यावरण में वह सब कुछ सम्मिलित किया जाता है जो उसके जन्म से मृत्यु पर्यंन्त प्रभावित करता है।’’
  • मैकाइवर के अनुसार- ’’पृथ्वी का धरातल और उसकी सारी प्राकृतिक दशाएँ- प्राकृतिक संसाधन, भूमि, जल, पर्वत, मैदान, खनिज पदार्थ, पौधे, पशु तथा सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियाँ जो कि पृथ्वी पर विद्यमान होकर मानव जीवन को प्रभावित करती हैं, भौगोलिक पर्यावरण के अन्तर्गत आती हैं।’’
  • गिलबर्ट के अनुसार- ’’वातावरण उन समाग्रता का नाम है, जो किसी वस्तु को घेरे रहते है तथा उसे प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।’’

पर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं?

पर्यावरण के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-

1. प्राकृतिक पर्यावरण- यह पर्यावरण का वो भाग है जो प्रकृति से हमें वरदान के रूप में मिला है। जो प्राकृतिक शक्तियाँ, प्रक्रियाएँ और तत्व मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं, उन्हें प्राकृतिक पर्यावरण के साथ में जोड़कर देखा जाता है। ये वो शक्तियाँ हैं जिनसे पृथ्वी पर विभिन्न वातावरणीय चीजें जन्म लेती हैं, जिसमें जैविक चीजें और अजैविक चीजें दोनों ही मौजूद होती हैं। जैविक चीजों में मनुष्य, पेड़-पौधे, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पति आदि चीजें आती हैं, तो वहीं अजैविक चीजों में जल, तापमान, हवा, तालाब, नदी, महासागर, पहाड़, झील, वन, रेगिस्तान, ऊर्जा, मिट्टी, आग आदि चीजें शामिल हैं।

2. मानव निर्मित पर्यावरण- इस तरह के पर्यावरण में मानव द्वारा निर्मित चीजें शामिल होती हैं, जैसे- उद्योग, शैक्षणिक संस्थाएँ, अधिवास, कारखाने, यातायात के साधन, वन, उद्यान, श्मशान, कब्रिस्तान, मनोरंजन स्थल, शहर, कस्बा, खेत, कृत्रिम झील, बांध, इमारतें, सड़क, पुल, पार्क, अन्तरिक्ष स्टेशन आदि। मानव अपनी शिक्षा और ज्ञान के बल पर विज्ञान तथा तकनीक की मदद से भौतिक पर्यावरण के साथ क्रिया कर जिस परिवेश का निर्माण करता है, उसे ही हम मानव निर्मित पर्यावरण कहते हैं।

3. भौतिक पर्यावरण- इस पर्यावरण में प्रकृति से बनी चीजों पर प्रकृति का ही सीधा नियन्त्रण होता है। इसमें मानव का किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप शामिल नहीं होता है। भौतिक पर्यावरण में जलमण्डल, स्थलमण्डल और वायुमण्डल का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा स्थलरूप, जलीय भाग, जलवायु, मृदा, शैल तथा खनिज पदार्थ आदि विषयों का भी इसमें अध्ययन करने को मिलता है।

4. जैविक पर्यावरण- मानव और जीव-जन्तुओं के मिलकर एक-दूसरे की मदद से जैविक पर्यावरण का निर्माण किया है। मानव एक सामाजिक प्राणी है जिस वजह से वह सामाजिक, भौतिक तथा आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा रहता है। इसमें सभी तरह के जीव प्रणाली शामिल होते हैं। इन सभी के बीच जो संबंध होता है उसको परिस्थितिकी कह जाता है। यह एक प्रकार से संतुलन बनाए रखने की प्रक्रिया भी होती है। इसके अंतर्गत पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, सूक्ष्म जीव, मानव आदि का अध्ययन शामिल है।

पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है और क्यों?

पर्यावरण दिवस (Environment Day) या विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून का मनाया जाता है। पेड़-पौधे पर्यावरण में प्रदूषण के स्तर को कम करने का काम करते हैं और अशुद्ध पर्यावरण को शुद्ध करने में भी अपना पूरा योगदान देते हैं, लेकिन औद्योगीकरण के विकास का असर पर्यावरण पर बुरा पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है उसकी वजह से कभी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सबसे ज़्यादा जरूरी है कि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाए। इसी उद्देश्य के साथ हम हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते हैं।  

पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई थी। इसी देश में दुनिया का सबसे पहला पर्यावरण सम्मेलन भी आयोजित किया गया था, जिसमें कुल 119 देशों ने हिस्सा लिया था। इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की नींव रखी गई थी और हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाने का संकल्प भी लिया गया था।

सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और चिंता की वजह से विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की पहल की गई। हमारे देश में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रकृति और पर्यावरण के प्रति चिंताओं को जाहिर किया था। विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का उद्देश्य केवल इतना है कि दुनियाभर के सभी लोग पर्यावरण प्रदूषण की चिंताओं से अवगत हों और प्रकृति तथा पर्यावरण का महत्त्व बताते हुए दूसरों को जागरूक करें।

भविष्य में अगर हम अपने आसपास के वातावरण को साफ, सुंदर और उपयोगी देखना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें अपने पर्यावरण के साथ जंगली जानवरों जैसा बर्ताव करना बंद करना होगा। पर्यावरण में मौजूद सभी चीज़ों का इस्तेमाल हमें भूखे भेड़ियों की तरह नहीं बल्कि इंसान बनकर ही करना होगा। जब हम पर्यावरण का साथ देंगे तो उससे कही गुना ज़्यादा बढ़कर पर्यावरण हमारा साथ देगा। जितनी सहायता की ज़रूरत हमें प्राकृतिक पर्यावरण की है, तो उससे अधिक सहायता प्रकृति को बचाने के लिए हमें करनी होगी।

पर्यावरण पर निबंध 150 शब्द

हमारे पर्यावरण में लगभग सभी प्रकार के प्राकृतिक संसाधन पाए जाते हैं, जो अलग-अलग तरीकों से हमारी सहायता करते हैं। ये प्राकृतिक पर्यावरण हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं। यह हमें आगे बढ़ने और विकसित होने का बेहतर माध्यम प्रदान करते हैं। यह हमें वो सब कुछ उपलब्ध करवाते हैं, जिसकी हमें जीवन यापन करने हेतु सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ मदद की अपेक्षा रखता है जिससे कि हमारा जीवन भी बना रहे और पर्यावरण भी कभी नष्ट न हो।

इस धरती पर अगर हम जीवन को बनाए रखना चाहते हैं, तो उसके लिए हमें सबसे पहले पर्यावरण को बचाकर रखना होगा और उसका संरक्षण करना होगा। पिछले कई वर्षों से हम पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस तो मनाते हुए आ रहे हैं लेकिन पर्यावरण स्वच्छता और सुरक्षा के मामले में हमारा देश आज भी दूसरे देशों के मुकाबले बहुत पीछे है।

पर्यावरण जैसे गंभीर विषय को जानने के लिए कि हमें हमारे पर्यावरण को किस प्रकार सुरक्षित रखना है और उन बातों के बारे में जानने के लिए जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है, हम सभी को पर्यावरण के लिए चलाई जा रही अलग-अलग मुहिम और पर्यावरण बचाओ अभियान का हिस्सा बनना चाहिए।

पर्यावरण पर निबंध 300 शब्द

हमारा पर्यावरण पृथ्वी पर जीवों के स्वस्थ जीवन के लिए सबसे अहम भूमिका निभाता है। इसके बावजूद भी हमारा पर्यावरण दिन-प्रतिदिन मानव निर्मित तकनीक तथा आधुनिक युग के आधुनिकरण की वजह से नष्ट होता जा रहा है। यही कारण है कि आज हमें पर्यावरण प्रदूषण जैसी सबसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण के बिना मानव जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती। हमें अपने भविष्य को जीवित रखने के लिए सबसे पहले पर्यावरण का भविष्य सुरक्षित रखना होगा। इसकी जिम्मेदारी किसी एक इंसान की नहीं बल्कि पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की है। हर व्यक्ति को अपने-अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण जैसे मुहिम का हिस्सा ज़रूर बनना चाहिए।

पर्यावरण सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक तथा बौद्धिक रूप से हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है लेकिन पर्यावरण प्रदूषण की समस्या ने वातावरण में विभिन्न प्रकार की बीमारीयों को जन्म दिया, जिसे आज हर व्यक्ति अपने जीवन में झेल रहा है। अब यह किसी समुदाय या शहर की समस्या नहीं रही बल्कि अब तो यह दुनियाभर की समस्या बन चुकी है।

इस समस्या का समाधान किसी एक व्यक्ति के प्रयास करने से नहीं होगा। अगर इसका निवारण पूर्ण तरीके से नहीं किया गया, तो एक दिन ऐसा आएगा जब पृथ्वी पर जीवन का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा। इसीलिए प्रत्येक आम नागरिक को सरकार द्वारा चलाए जा रहे पर्यावरण आन्दोलन में शामिल होना होगा।

हम सभी को अपनी गलती में सुधार करते हुए पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त कराना होगा। यह मानना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन सही यही है कि हर व्यक्ति द्वारा उठाया गया छोटे-से-छोटा भी सकारात्मक कदम एक दिन बड़ा बदलाव ज़रूर लाता है।

हमें अब समझना होगा कि वो समय आ चुका है कि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बंद करते हुए उनका सही तरीके से इस्तेमाल करें। हमें इस बात का भी पूरा ख़्याल रखना होगा कि जीवन को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान तथा तकनीक को विकसित करने के साथ-साथ पर्यावरण को भी किसी प्रकार का नुकसान न पहुँचे।

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पर्यावरण से सम्बंधित FAQs

प्रश्न- पर्यावरण का क्या अर्थ है?

उत्तरः “परि” जो हमारे चारों ओर है”आवरण” जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है, अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए।

प्रश्न- विश्व पर्यावरण दिवस (world environment day) कब मनाया जाता है?

उत्तर- विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है।

प्रश्न- पर्यावरण का मानव जीवन में क्या महत्व है?

उत्तरः पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। मनुष्य एक पल भी इसके बगैर नहीं रह सकता। जल, थल, वायु, अग्नि, आकाश इन्हीं पांच तत्वो से ही मनुष्य का जीवन है और जीवन समाप्त होने पर वह इन्हीं में विलीन हो जाता है।

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पर्यावरण पर निबंध – 10 lines(Environment Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

essay on environment hindi

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण का अर्थ है एक ऐसा परिवेश जहां हम मिलते हैं, हम रहते हैं और हम सांस लेते हैं। यह जीवित प्राणियों के लिए बुनियादी आवश्यक चीजों में से एक है। पर्यावरण शब्द में सभी जैविक और अजैविक चीजें शामिल हैं जो हमारे आसपास मौजूद हैं। Essay on Environment यह हवा, पानी, भोजन और भूमि जैसी मूलभूत चीजें प्रदान करता है जो हमारी भलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह ईश्वर द्वारा मनुष्य को दिया गया एक उपहार है जो मानव जीवन को पोषित करने में मदद करता है।

पर्यावरण का महत्व  (Importance of Environment)

  • यह जीवित चीजों को स्वस्थ और हार्दिक बनाए रखने में एक जोरदार भूमिका निभाता है।
  • यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह भोजन, आश्रय, वायु प्रदान करता है और मानव की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • इस वातावरण के अतिरिक्त प्राकृतिक सौंदर्य का स्रोत है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

पर्यावरण पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Environment 10 Lines in Hindi)

  • हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।
  • पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखना सभी का दायित्व है।
  • सभी जीवित और निर्जीव जीव पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।
  • वृक्षारोपण, पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग, प्रदूषण कम करने और जागरूकता पैदा करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
  • एक स्वस्थ वातावरण सभी जीवित प्रजातियों के विकास और पोषण में मदद करता है।
  • हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी को ‘नीला ग्रह’ के नाम से जाना जाता है। फिर फिर, यह एकमात्र ऐसा है जो जीवन को बनाए रखता है।
  • पर्यावरण प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग, अम्लीय वर्षा और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास होता है।
  • पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली किसी भी गतिविधि में कभी भी प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
  • सभी को यह मानना ​​चाहिए कि पौधों और पेड़ों को बचाना उनका कर्तव्य है। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक के प्रयोग से बचें।
  • प्रकृतिक वातावरण
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पर्यावरण पर निबंध 100 शब्द (Essay On Environment 100 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण वह परिस्थिति है जिसमें पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधन रहने के अनुकूल होते हैं। मनुष्य, जानवर, पेड़, महासागर, चट्टानें पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन हैं और मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। वे एक जीव के लिए रहने की स्थिति प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। पर्यावरण को भौतिक और जैविक में वर्गीकृत किया गया है। पहली श्रेणी में वायुमंडल (वायु), जलमंडल (जल), और स्थलमंडल (ठोस) शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में मनुष्य जैसे सभी जीवित प्राणी शामिल हैं। पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए इन दोनों श्रेणियों की एक साथ आवश्यकता है। इनमें से किसी भी श्रेणी के अभाव में पृथ्वी पर जीवित रहने का कोई अवसर नहीं होगा।

पर्यावरण पर निबंध 150 शब्द (Essay On Environment 150 Words in Hindi)

वह परिवेश जिसमें पृथ्वी पर जीवन मौजूद है, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण में हवा, पानी, सूरज की रोशनी, पेड़, जानवर और इंसान शामिल हैं। वे पृथ्वी के जीवित और निर्जीव प्राणी हैं। पेड़, मनुष्य और जानवर जीवित जीव हैं। सूर्य, जल और वायु निर्जीव जीव हैं जो मनुष्य के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक प्राणी एक दूसरे के लिए एक प्राकृतिक संसाधन है। उदाहरण के लिए, हिरण एक प्राकृतिक संसाधन है जिसे शेर खा सकता है। इन प्राकृतिक संसाधनों में से किसी एक के अभाव में पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व नहीं हो पाएगा।

हालांकि, पर्यावरण में वायुमंडल और जलमंडल के घटक होते हैं जो जीवित प्राणियों के जीवन को प्रभावित करते हैं। वायुमंडल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसी गैसें मौजूद हैं। जलमंडल सभी जल निकायों को कवर करता है, प्रत्येक जीवित प्राणी इन घटकों की विशेषताओं के अनुसार बनाया गया है। उदाहरण के लिए, जलीय जंतु पानी के भीतर सांस लेने के लिए बनाए जाते हैं। हवाई जानवर हवा में सांस लेने के लिए बने होते हैं

पर्यावरण पर निबंध 200 शब्द (Essay On Environment 200 Words in Hindi)

पर्यावरण पृथ्वी का प्राकृतिक परिवेश है जो किसी जीव को जीवित रहने में सक्षम बनाता है। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है। इसमें मनुष्य, पौधे और जानवर जैसे जीवित प्राणी शामिल हैं। वायु, जल और भूमि निर्जीव हैं। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा इस तरह से डिजाइन की गई है कि सब कुछ एक दूसरे पर निर्भर है। मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे प्रभावशाली प्राणी है जो पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हो सकता है। उसे सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। न केवल मनुष्य बल्कि पौधों और जानवरों को भी सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। वायु के बिना पृथ्वी पर जीवन नहीं होगा। पर्यावरण की बर्बादी के लिए सिर्फ इंसान ही जिम्मेदार है।

पर्यावरण को विभिन्न परतों जैसे वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल में विभाजित किया गया है। वायुमंडल कई गैसों जैसे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से बना है। सभी जल निकाय जलमंडल बनाते हैं। लिथोस्फीयर पृथ्वी का आवरण है जो चट्टान और मिट्टी से बना है। जीवमंडल में जीवन मौजूद है।

पर्यावरण पर निबंध 250 शब्द (Essay On Environment 250 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पृथ्वी परिवेश से बनी है जिसमें सभी सजीव और निर्जीव अपना जीवन व्यतीत करते हैं। प्रकृति की भौतिक, जैविक और प्राकृतिक शक्तियाँ एक साथ मिलकर ऐसी परिस्थितियाँ बनाती हैं जो एक जीव को जीने में सक्षम बनाती हैं। ऐसी परिस्थितियों को पर्यावरण कहते हैं। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है।

सभी जैविक (जीवित) और अजैविक (निर्जीव) संस्थाएं पर्यावरण का निर्माण करती हैं। जैविक चीजों में शामिल हैं- मनुष्य, पौधे, जानवर और कीड़े। उन्हें पर्यावरण के जैविक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक जैविक प्राणी का अपना एक निश्चित जीवन चक्र होता है। उदाहरण के लिए, मनुष्य पृथ्वी पर सबसे मजबूत जीवित जीव है। उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पौधों और जानवरों की जरूरत है। उनके बिना उसका जीवन-चक्र अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

जबकि, अजैविक घटकों में वायुमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और जीवमंडल शामिल हैं। वे पर्यावरण की परतें हैं। इन परतों को पर्यावरण के भौतिक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वायुमंडल हवा की वह परत है जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों से बनी होती है। सभी जल निकाय जैसे नदियाँ और महासागर मिलकर जलमंडल बनाते हैं। स्थलमंडल पृथ्वी का सबसे ठोस, सबसे बाहरी भाग है। यह क्रस्ट से बना है जो पृथ्वी की सतह पर मेंटल, चट्टानों और मिट्टी को ढकता है। सबसे महत्वपूर्ण परत जीवमंडल है जहां जीवन मौजूद है। इसमें जलीय, स्थलीय और हवाई पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। पेड़ों की जड़ प्रणाली से लेकर गहरे पानी के नीचे के जीवन तक जीवमंडल की विशेषता है।

इन सभी जीवों का अस्तित्व एक दूसरे के साथ उनके निरंतर संपर्क पर निर्भर है। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा व्यवस्थित है और एक बार बर्बाद होने पर नष्ट हो सकती है। आज पर्यावरण का क्षरण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिससे मानव को निपटना है।

पर्यावरण पर निबंध 300 शब्द (Essay On Environment 300 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – कई तरह से हमारी मदद करने के लिए हमारे आस-पास के सभी प्राकृतिक संसाधनों को पर्यावरण में शामिल किया जाता है, यह हमें आगे बढ़ने और बढ़ने का एक बेहतर माध्यम देता है। यह हमें इस ग्रह पर रहने के लिए सभी चीजें देता है। हालांकि, अपने पर्यावरण को बनाए रखने के लिए, हमें सभी मदद की ज़रूरत है, ताकि यह हमारे जीवन का पोषण करे और हमारे जीवन को बर्बाद न करे। मानव निर्मित तकनीकी आपदा के कारण हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं।

केवल पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है जहाँ पूरे विश्व में जीवन संभव है और पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए हमें अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है। विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है जो हर साल 5 जून को कई वर्षों तक मनाया जाता है ताकि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के लिए दुनिया भर में जनता के बीच जागरूकता फैलाई जा सके। हमें इस वातावरण में भाग लेना चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण संरक्षण के तरीके और सभी बुरी आदतें हमारे पर्यावरण दिवस को नुकसान पहुंचा सकें।

हम अपने पर्यावरण को पृथ्वी पर हर व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदमों से बहुत ही आसान तरीके से बचा सकते हैं; कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, कचरे को ठीक से बदलने के लिए, पॉली बैग के उपयोग को रोकने के लिए, पुरानी वस्तुओं को नए तरीके से पुनर्चक्रण करने के लिए, टूटी हुई वस्तुओं की मरम्मत और पुनर्चक्रण, रिचार्जेबल बैटरी या फ्लोरोसेंट रोशनी का उपयोग करना। बारिश के पानी को बचाने, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा बचाने और बिजली के उपयोग को कम करने के लिए अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें।

  • My Best Friend Essay
  • My School Essay
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  • Essay on Diwali
  • Global Warming Essay
  • Women Empowerment Essay
  • Independence Day Essay
  • My Hobby Essay
  • Wonder Of Science Essay
  • Air Pollution Essay

पर्यावरण पर निबंध 500 शब्द (Essay On Environment 500 Words in Hindi)

पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमारे चारों ओर प्राकृतिक है। आज यह प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय गतिविधियों से खतरे में है। पेड़, जंगल, झीलें, नदियाँ, प्राकृतिक पर्यावरण के कुछ प्रमुख घटक हैं, जबकि सड़कों, कारखानों और कंक्रीट के ढांचे आदि का निर्माण पर्यावरण के अतिक्रमण के उदाहरण हैं। मानवीय हस्तक्षेप के कारण हमारे चारों ओर का प्राकृतिक वातावरण समाप्त होता जा रहा है।

पर्यावरण अनमोल है

‘पर्यावरण अनमोल है’; इस दावे को प्रमाणित करने के लिए कम से कम दो मुख्य स्पष्टीकरण हैं। पहला यह है कि आज हम जिस प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं, जैसे नदियों, झीलों, जंगलों, पहाड़ियों, भूजल संसाधनों आदि को वर्तमान अवस्था में आने में हजारों या लाखों साल लग गए हैं। पर्यावरण की बहुमूल्यता को प्रमाणित करने का दूसरा तर्क यह है कि यह स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए अति आवश्यक है। मुझे थोड़ा विस्तार से बताएं।

कोई भी वनाच्छादित क्षेत्र जिसे आप जानते हैं वह आपके बचपन से रहा है, शायद हजारों वर्षों में विकसित हुआ है। एक प्राकृतिक जंगल को अपनी पूर्ण महिमा में आने और उस सभी जैव विविधता का समर्थन करने में इतने सालों लगते हैं। लेकिन जब किसी जंगल को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए काटा जाता है, तो चीजें कभी भी वैसी नहीं रहतीं, भले ही जंगल को फिर से बढ़ने का उचित मौका दिया जाए। अफसोस की बात है कि जैव विविधता के नुकसान की भरपाई कभी नहीं की जा सकती, चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें।

यही स्थिति पर्यावरण के अन्य तत्वों के साथ भी है। जिस भूजल का हम प्रतिदिन उपयोग करते हैं, वह हजारों वर्षों की अवधि में निर्मित हुआ है। इसका मतलब है कि भूजल के किसी भी अपशिष्ट को फिर से भरने में सदियों लगेंगे।

जीवन और पर्यावरण

हम रोज़मर्रा के कामों में इतने मशगूल हैं कि हमें उस हंगामे के पीछे की असली ताकत का एहसास नहीं होता, जो हमें चुनौतियों का सामना करने की ताकत देता है। हम सोचते हैं कि हमारी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं हमें प्रेरित करती हैं, लेकिन यह केवल आधा सच है। महत्वाकांक्षाएं और कुछ नहीं बल्कि मन के लक्ष्य हैं जो हम अपने लिए निर्धारित करते हैं, लेकिन हम उन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं, केवल इसलिए कि हमारा पर्यावरण स्वास्थ्य में हमारा समर्थन करता है।

यह हमें जीवन के लिए सभी आवश्यक आवश्यकताएं प्रदान करता है – ऑक्सीजन, पानी, भोजन, वायु और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन। हम एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। क्योंकि, अगर हम ऐसा करते हैं, तो पृथ्वी पर कोई जीवन नहीं होगा, एक कठिन जीवन के बारे में भूल जाओ।

सौभाग्य से, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसमें अभी भी 20% ऑक्सीजन सांद्रता द्वारा होती है, जबकि मनुष्यों को सांस लेने या अधिक विशिष्ट होने के लिए – ‘जीने के लिए’ लगभग 19.5% ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हालाँकि, जिस दर से हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, टेबल जल्दी से पर्याप्त रूप से बदल सकते हैं, मरम्मत के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे।

महासागरों से समुद्री ऑक्सीजन की हानि पहले से ही मछलियों और अन्य समुद्री प्रजातियों के अस्तित्व के लिए खतरा है। समुद्र में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारक जलवायु परिवर्तन और पोषक तत्व प्रदूषण हैं। जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों का परिणाम है और यह समग्र रूप से पर्यावरण के लिए भी खतरा है।

ये परिवर्तन संभवत: अलार्म कॉल हैं जो पर्यावरण को होने वाले नुकसान के खिलाफ मानवता को चेतावनी देते हैं। स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण के बिना, ग्रह पर किसी भी तरह के जीवन के बारे में सोचना भी बेकार होगा। अगर पर्यावरण को नुकसान होता रहा तो पृथ्वी की सारी सुंदरता गायब हो जाएगी।

यह संदेह से परे है कि ग ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक है और जब तक अपने मूल रूप और आकार में रहता है, जीवन फलता-फूलता रहेगा। लेकिन, अगर यह एक निश्चित स्तर से अधिक क्षतिग्रस्त हो जाता है तो धीरे-धीरे भूमि और समुद्री जीवन समाप्त हो जाएगा, जिससे ग्रह बेजान हो जाएगा। इसलिए पर्यावरण को होने वाले नुकसान की जांच करना और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पर्यावरण क्यों महत्वपूर्ण है.

पर्यावरण हर किसी के जीवन में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। यह सभी जीवों का एकमात्र घर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्यावरण हवा, भोजन, पानी और आश्रय प्रदान करता है।

मानव द्वारा किन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है?

मनुष्य पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों का प्रमुख उपभोक्ता है। वे जानवरों और पौधों से खाद्य उत्पाद प्राप्त करते हैं। वस्त्र मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। वह फिर से उन्हीं उल्लिखित संसाधनों से कपड़े प्राप्त करता है।

मनुष्य पर्यावरण को कैसे खराब करेंगे?

मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण का प्रमुख कारण है। आदमी की जरूरत ने दुनिया भर के आधे से ज्यादा जंगलों का सफाया कर दिया है। फलस्वरूप आज बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आम हो गई हैं।

एक पारिस्थितिकी तंत्र क्या है?

एक पारिस्थितिकी तंत्र एक बड़ा समुदाय है जिसमें जीवन के कुछ या सभी रूप एक साथ मिलकर जीवन यापन करते हैं। पृथ्वी पर एक स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र है। पेड़, पौधे, झाड़ियाँ बड़े और छोटे जानवर, कीड़े एक साथ रहते हैं और एक दूसरे पर निर्भर हैं। वन जानवरों का प्राकृतिक आवास है। जानवरों को उनके प्राकृतिक घर से बाहर निकालना उनके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी आपदा होगी।

वनों की कटाई क्या है?

निर्माण, कृषि भूमि और शहरीकरण जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए दुनिया भर में पेड़ों को काटना। यह प्राकृतिक पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।

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पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi हमारा जीवन पूरी तरह पर्यावरण पर निर्भर हैं, हमारे आस पास के परिवेश में उपलब्ध समस्त प्राकृतिक संसाधन इनवायरमेंट के अंतर्गत आते हैं.

बढ़ती आबादी के चलते इसका दोहन और दुरूपयोग बढ़ा है और पर्यावरण को तीव्र गति से नुक्सान पहुचाया जा रहा हैं. इसके संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस भी मनाया जाता हैं

आज के आर्टिकल में हम इनवायरमेंट पर कुछ सरल निबंध पढ़ेगे.

जिस पृथ्वी में हम रहते हैं वहांँ आस पास की सभी वस्तुएँ और प्राकृतिक सम्पदा महत्वपूर्ण होते हैं जो हमारे पर्यावरण की नींव बनाए रखते हैं। पर्यावरण के अंतर्गत समस्त चीजें आ जाती हैं जो जीवन यापन में ज़रूरी होती हैं। पर्यावरण के बिना जीवन असंभव है।

दोस्तों प्रस्तुत निबंध में हम पर्यावरण के बारे में बतायेगें जो मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। पर्यावरण का रखरखाव ज़रूरी होता है क्योंकि पर्यावरण स्वच्छ होगा तो मनुष्य जीवित रह पाएगा अन्यथा उसका कोई वजूद नहीं रहेगा। पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं पर्यावरण है तो मनुष्य है।

“पर्यावरण” से तात्पर्य है हमारे आसपास का समस्त वातावरण जिसमें सभी जैविक (जिनमें जीवन होता है) व अजैविक तत्व (जिनमें जीवन नहीं होता है) शामिल होते हैं। एक ऐसा आवरण जिससे हम चारों ओर से घेरे हुए हैं जो जीवन जीने के लिए आवश्यक है।

पर्यावरण का महत्व

पर्यावरण जो हमें जीवन जीने में मदद करता है। पर्यावरण वो सारे संसाधन उपलब्ध कराता है जो सजीव प्राणी के लिए ज़रूरी होते हैं जिनके बिना जीवन जिया नहीं जा सकता  है।

पर्यावरण की महत्वपूर्णता को बरकरार रखने के लिए प्रत्येक वर्ष पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 5 जून को “पर्यावरण दिवस” मनाया जाता है।

पर्यावरण वह सभी वस्तुएँ जो मानव जीवन के लिए ज़रूरी होते हैं उपलब्ध कराता है एवं जलवायु में असंतुलन की स्थिति को नियंत्रित करता है।

पर्यावरण पर प्रभाव

पर्यावरण इस धरती के लिए बहुत उपयोगी है लेकिन आजकल के आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी और औद्योगीकरण के अधिक प्रयोग से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं।

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है क्योंकि मनुष्य द्वारा पेड़ पौधों को काटा जा रहा है और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास हो रहा है। 

मनुष्य द्वारा पर्यावरण के प्रति लापरवाही की वजह से व अनेक कारणों से जलमंडल, वायुमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल पर प्रभाव पड़ रहा है।

पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग और तापमान में बढ़ोत्तरी की समस्या उत्पन्न हो रही है। पर्यावरण की ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए सबको जागरुक होने की ज़रूरत है और पर्यावरण के बचाव में एकजुटता एवं सहयोग की ज़रूरत है।

पर्यावरण का संरक्षण

मनुष्य के लिए पर्यावरण महत्वपूर्ण है अतः इसके संरक्षण के लिए हमें अनेक बातों का ध्यान रखकर पालन करना चाहिए। पर्यावरण दूषित ना हो जिसके लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए।

पर्यावरण को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखना चाहिए। पेड़ पौधों को काटने से रोकना चाहिए। ऐसे नियम बनाने चाहिए जिनसे ज़हरीले और दूषित करने वाले पदार्थ नियंत्रित किए जा सकें।

पर्यावरण है तो मनुष्य जीवन है। पर्यावरण को बचाए रखने के लिए पर्यावरण के प्रति हमें जागरूक होना चाहिए। अपनी ज़िम्मेदारी को समझ कर पर्यावरण की रक्षा में सहभागी बनना चाहिए ताकि हम मनुष्य स्वस्थ स्वच्छ साफ पर्यावरण में रह सकें।

दोस्तों पर्यावरण हमारी पृथ्वी को एक सुंदर वातावरण देता है। स्वच्छ पर्यावरण में साँस लेना हर इंसान की ज़रूरत है। इस निबंध में पर्यावरण के बारे में उचित जानकारी पढ़ने को मिलेगी जो पर्यावरण के महत्व को दर्शाती है।

पर्यावरण पर निबंध -2

पर्यावरण हमारी पृथ्वी का बहुमूल्य स्वरूप है। जीवन की उत्पत्ति पर्यावरण के कारण ही संभव हो पाई है। पर्यावरण मनुष्य के लिए जितना महत्वपूर्ण है उतनी ही ज़रूरी है पर्यावरण की सुरक्षा।

पर्यावरण अर्थात हमारे आस पास का सम्पूर्ण वातावरण व सम्बन्धित प्राकृतिक संसाधन एवं वस्तुएँं। जीवन यापन में शामिल सभी तत्व पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं जिनमें वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल, जीव मंडल हैं।

दोस्तों पर्यावरण मनुष्य के लिए उपहार स्वरूप है। पर्यावरण के कारण ही मनुष्य जीवन सम्भव है। प्रस्तुत लेख में पर्यावरण से संबंधित जानकारी को सहज रूप से लिखा गया है जिसे  पढ़कर पर्यावरण की महत्वपूर्णता पता चलेगी। 

पर्यावरण महत्व एवम् विश्व पर्यावरण दिवस

पर्यावरण मनुष्य को ज़रूरी वस्तुएंँ उपलब्ध कराता है जिसके कारण मनुष्य जीवित व स्वस्थ रह सकता है। स्वच्छ वायु, पानी, स्थान, भोजन आदि मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ स्वच्छ पर्यावरण से ही संभव है।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने एवं पर्यावरण के बचाव स्वरूप हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा एवम् स्वच्छता के मध्य भी जागरूकता फैलाता है। 

पर्यावरण सुरक्षा

पर्यावरण किसी एक मनुष्य की धरोहर नहीं है बल्कि सभी मनुष्य जाति के लिए पर्यावरण का सुरक्षित होना ज़रूरी है। पेड़ पौधे लगाने चाहिए। पेड़ पौधे की कटाई पर रोक लगानी चाहिए।

दूषित करने वाले पदार्थ एवम् ज़हरीले धुएँ से बचाव के नियम चलाने चाहिए। पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाकर उनका पालन करना चाहिए।

पर्यावरण मानव जीवन के लिए ज़रूरी है साथ ही ज़रूरी है पर्यावरण की सुरक्षा। अनेक कार्यों को प्रयोग में लाकर पर्यावरण की सुरक्षा की जा सकती है। 

दोस्तों पर्यावरण की उपयोगिता जितनी ज़रूरी है उतनी ही ज़रूरी है पर्यावरण की देखभाल व सुरक्षा और पर्यावरण के प्रति जागरूकता। इस निबंध में पर्यावरण के बारे में सहज रूप से बताया गया जो पर्यावरण संबंधी जागरूक पक्ष बताता है।

पर्यावरण पर भाषण Environment Speech in Hindi

पर्यावरण पर भाषण Our Environment Speech in Hindi : मानव के जीवन का अस्तित्व पर्यावरण से जुड़ा हैं. हमारी पृथ्वी पर जीवन की सम्भावनाएं भी पर्यावरण की मौजूदगी से संभव हुई हैं.

बच्चों को पर्यावरण के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए आज हम निबंध एवं भाषण के माध्यम से एनवायरमेंट के बारे में विस्तार से जानेगे.

Environment Day Speech in Hindi यह शोर्ट भाषण ५ जून के पर्यावरण दिवस के विषय पर दिया गया हैं. स्कूल और कॉलेज के छोटे बड़े स्टूडेंट्स इस लेख की रूपरेखा का उपयोग अपने पसंद के भाषण के लिए कर सकते हैं. परीक्षा अथवा स्कूल के कार्यक्रम में इसकी प्रस्तुती कर सकेगे.

मंचआसीन आदरणीय प्रिंसिपल महाशय, विद्वान् गुरुजनों मुख्य अतिथि महोदय एवं मेरे समस्त स्टूडेंट साथियों. सुप्रभात, इस प्रांगण में विराजमान सभी महानुभावों का मैं ह्रदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूँ.

मुझे इस भव्य सम्मेलन को देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई आज हम पर्यावरण के विषय पर जागरूक हो रहे है ये सभा इसका प्रत्यक्ष उदहारण हैं. आप सभी के समक्ष पर्यावरण पर भाषण देने का मौका देने के लिए आयोजन समिति को साधुवाद कहना चाहूँगा.

यहाँ विराजमान कुछ बुजुर्ग जन चार पांच दशक पूर्व के जीवन की सच्चाई से परिचित हैं. मैंने भी अपने दादाजी से उस दौर के बारे में काफी सुना हैं. जब मानव की तरक्की के कथित साधन कम थे.

जीवन के निर्वहन में कई बाधाएं हुआ करती थी. जैसे कृषि, जल, आवागमन, सूचना प्रोद्योगिकी आदि के कोई साधन नहीं के बराबर थे. मगर एक बात बड़ी अच्छी थी. हमारा पर्यावरण संरक्षित था.

मानव सदा से महत्वकांक्षी, स्वार्थी तथा औरों पर विजय पाकर विजेता बनने का स्वभाव का रहा हैं. दुर्भाग्य से अब इसने प्रकृति पर विजय पाने की जिद्द ठानी हैं. कथित विकास और एशो आराम के नाम पर पर्यावरण को खत्म किया जा रहा हैं.

प्रकृति अपने नियमों के बंधन का पालन करते हुए आगे बढ़ती हैं, मगर मनुष्य ने पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ने की हर हद को पार करने कवायद शुरू कर दी है. जो मानव अस्तित्व के खात्मे का कारण बन सकती हैं.

मानव अपने काल को अपने ही हाथों से पाल पोसकर बड़ा कर रहा है जो एक दिन सभी को निगल जाएगा. आज वक्त आ चूका है कि हम पर्यावरण संरक्षण के नाम पर दिखावे की बजाय इसे बचाने के लिए प्रयास शुरू कर दे.

हमारे आस पास जो कुछ है उसका सम्मिलित नाम ही पर्यावरण हैं. जल, वायु, पेड़,पहाड़ भूमि सभी इसके अंग हैं. हमें पर्यावरण ने वह सब कुछ दिया जो जीवन के लिए आवश्यक था.

हमारी लालच की प्रवृत्ति इतनी बढ़ी की. हम प्रकृति की पूजा के बदले उन्हें प्रदूषण और वनों की कटाई उपहार स्वरूप दे रहे हैं. मनुष्य के इन्ही कर्मों का फल ग्लोबल वार्मिंग, बीमारियों, जल संकट के रूप में मिला हैं.

यदि आप प्रकृति का संतुलन बिगड़ा है और संसाधन सिमित रह गये है तो मानव समुदाय ही इसका जिम्मेदार हैं. अपने जीवन को अधिक सुखमय बनाने की लालसा के कारण आज हालात इतने बुरे हुए हैं.

खासकर पश्चिम के विकसित देशों ने औद्योगिक विकास के नाम पर वनों की अंधाधुंध कटाई के बाद वायु, जल, भूमि को इतनी प्रदूषित किया है कि ओजोन परत में भी छिद्र कर दिया.

हमें भौतिकता के इस दौर को छोडकर पुनः प्रकृति की ओर लौटना होगा. तभी पर्यावरण बचेगा तथा मानव समुदाय भी बचा रह पाएगे. यह जरुरी है कि हम प्रकृति को संतुलित करने के लिए संसाधनों का सिमित मात्रा में ही उपयोग करे.

यदि हम पर्यावरण के बढ़ते खतरे के कारणों का अध्ययन करे तो असीमित रूप से बढ़ी जनसंख्या इसका मूल कारण है. आवास, ईधन तथा अन्य मानव आवश्यकताओं के लिए वनों की कटाई अनवरत होती रही. इससे वन उजड़ते चले गये और वायुमंडल की गैसों का संतुलन बिगड़ गया.

पर्यावरण को बचानें एवं इसके संतुलन को स्थापित करने में वृक्षारोपण अहम भूमिका निभा सकता हैं. हमें चाहिए कि जितने पेड़ों की कटाई आवश्यक हो उनके स्थान पर नयें पौधे लगाए तथा घनी मानव बस्ती में छोटा वन एवं उपवन बनाकर ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित कर सकते हैं.

प्रकृति के पारिस्थितिकी तंत्र में सभी छोटे बड़े जीवों, पेड़ पौधों का बना रहना जरुरी हैं. किसी जाति की संख्या कम होने अथवा किसी की बढ़ जाने से यह संतुलन बिगड़ जाएगा और ऐसा होने पर भयानक दुष्परिणाम भुगतने पड़ेगे.

आज प्रत्येक शहर की सड़क पर वाहनों की लम्बी कतार उससे होने वाले वायु एवं ध्वनि प्रदूषण ने कई बीमारियों को जन्म दिया हैं. यूरेनियम विस्फोट से अर्जित परमाणु ऊर्जा मानव की प्रकृति को प्रदूषित करने की चाल हैं. वह अपनी जीवन शैली के विविध रूपों से जल, वायु, मृदा तथा ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने में योगदान दे रहा हैं.

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहला कदम हमें व्यक्तिगत स्तर पर उठाना चाहिए. हम स्वयं ऐसे उपायों को अपनाएं जिससे पर्यावरण के प्रदूषण को कम करने मदद मिल सके. इस अभियान की सफलता के लिए व्यापक स्तर पर जनजागरूकता की भी आवश्यकता हैं.

विशेषकर स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को पर्यावरण के विषय में अलग से जानकारी देनी होगी. वनों की कटाई से कारण बाढ़, अकाल, जल संकट, तापमान वृद्धि, सुनामी जैसी आपदाओं का प्रभाव मनुष्य को भुगतना पड़ रहा हैं.

संतुलित पर्यावरण से स्वास्थ्य के अनगिनत लाभ हैं. स्वच्छ वायु, जल के होने से बीमारियों से बचाव संभव हैं. शरीर के समग्र स्वास्थ्य के अच्छा बनाने के लिए मृदा, भूमि, तापीय तथा ध्वनि व विकिरण प्रदूषण भी हानिकारक हैं.

यदि हम निरंतर प्रकृति के अंगो को यूँ ही दूषित करते गये तो एक दिन ये हमारे लिए उपयोगी नहीं रह पाएगे. तथा इनके अभाव में जीवन निर्वाह संभव नहीं हैं. मानव शरीर जिन पांच तत्वों से मिलकर बना हैं किसी एक की गुणवत्ता में कमी आने से भयंकर विकार उत्पन्न हो जाएगे.

अभी तक पर्यावरण के असंतुलन की वह स्थिति नहीं है जहाँ से इसमें सुधार नहीं किया जा सकता हैं. हम अभी सजगता से काम ले तो निश्चय ही मानव जाति के हित में यह सबसे बड़ा कदम हो सकता हैं. हम अपने पर्यावरण को बचाने के तरीके खोजकर इन्हें लोगों तक पहुचाने होंगे.

नवीकरण संसाधनों के संतुलित उपयोग यथा जल, विद्युत्, गैस, पेट्रोल आदि के बचाव तथा वृक्षारोपण की आदत डालकर हम इसमें अपना सक्रिय योगदान दे सकते हैं. सरकार भी अपने स्तर पर वनों की कटाई को रोकने तथा प्रदूषण कम करने के लिए कानून बनाए.

आखिर में सभी से यही निवेदन करना चाहूगा कि हम सभी जिस स्तर पर पर्यावरण को बचाने में योगदान कर सकते हैं अवश्य करे. लोगों तक पर्यावरण को बचाने के सरल तरीके प्रचारित कर उन्हें भी भागीदारी के लिए प्रेरित करे. तभी हम भावी पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य एवं स्वर्ग सी धरा दे सकेगे.

One comment

Hallo Please mother’s Day par nibhand chaiya kal tak

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दा इंडियन वायर

पर्यावरण पर निबंध

essay on environment hindi

By विकास सिंह

essay on environment in hindi

एक पर्यावरण प्राकृतिक दुनिया है जो पृथ्वी को घेरती है और एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र बनाती है जिसमें मानव, पशु, पौधे और अन्य जीवित और गैर-जीवित चीजें मौजूद हैं।

पर्यावरण पर निबंध, short essay on environment in hindi (100 शब्द)

एक पर्यावरण प्राकृतिक परिवेश है जो जीवन को पृथ्वी नामक इस ग्रह पर विकसित, पोषण और नष्ट करने में मदद करता है। प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक महान भूमिका निभाता है और यह मनुष्य, जानवरों और अन्य जीवित चीजों को स्वाभाविक रूप से विकसित और विकसित करने में मदद करता है।

लेकिन मानव की कुछ बुरी और स्वार्थी गतिविधियों के कारण, हमारा पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। यह सबसे महत्वपूर्ण विषय है कि हर किसी को यह जानना चाहिए कि हमारे पर्यावरण की रक्षा कैसे करें ताकि इसे हमेशा के लिए सुरक्षित रखा जा सके और साथ ही इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए प्रकृति के संतुलन को सुनिश्चित किया जा सके।

पर्यावरण पर निबंध, essay on environment in hindi (150 शब्द)

जैसा कि हम सभी पर्यावरण से अच्छी तरह से परिचित हैं, यह सब कुछ है जो हमें प्राकृतिक रूप से घेरता है और पृथ्वी पर हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। सब कुछ एक पर्यावरण के अंतर्गत आता है, हवा जो हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जो हम अपने दैनिक दिनचर्या, पौधों, जानवरों और अन्य जीवित चीजों के लिए उपयोग करते हैं, आदि। एक पर्यावरण को स्वस्थ वातावरण कहा जाता है जब प्राकृतिक चक्र बिना किसी गड़बड़ी के कंधे से कंधा मिलाकर चलता है। प्रकृति के संतुलन में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पर्यावरण को पूरी तरह से प्रभावित करती है जो मानव जीवन को बर्बाद कर देती है।

अब, मानव के अग्रिम जीवन स्तर के युग में, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वनों की कटाई, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, अम्ल वर्षा और अन्य खतरनाक आपदाओं के माध्यम से हमारा पर्यावरण काफी हद तक प्रभावित हो रहा है। तकनीकी प्रगति के माध्यम से मनुष्य। हम सभी को अपने प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए इसे हमेशा की तरह सुरक्षित रखने की शपथ लेनी चाहिए।

पर्यावरण पर निबंध, 200 शब्द:

पर्यावरण का अर्थ है सभी प्राकृतिक परिवेश जैसे भूमि, वायु, जल, पौधे, पशु, ठोस पदार्थ, अपशिष्ट, धूप, वन और अन्य चीजें। स्वस्थ वातावरण प्रकृति के संतुलन को बनाए रखता है और साथ ही पृथ्वी पर सभी जीवित चीजों को विकसित, पोषण और विकसित करने में मदद करता है। हालांकि, आजकल  कुछ मानव निर्मित तकनीकी प्रगति पर्यावरण को कई तरीकों से खराब कर रही है जो अंततः प्रकृति के संतुलन या संतुलन को परेशान करती है। हम इस ग्रह पर भविष्य में जीवन के अस्तित्व के साथ-साथ अपने जीवन को भी खतरे में डाल रहे हैं।

यदि हम प्रकृति के अनुशासन से बाहर कुछ भी गलत तरीके से करते हैं, तो यह पूरे वातावरण को परेशान करता है जिसका अर्थ है वायुमंडल, जलमंडल और लेपोस्फियर। प्राकृतिक पर्यावरण के अलावा, एक मानव निर्मित पर्यावरण भी मौजूद है जो प्रौद्योगिकी, कार्य पर्यावरण, सौंदर्यशास्त्र, परिवहन, आवास, उपयोगिताओं, शहरीकरण आदि से संबंधित है। मानव निर्मित पर्यावरण प्राकृतिक पर्यावरण को काफी हद तक प्रभावित करता है जो हम सभी को एक साथ बचाना चाहिए।

प्राकृतिक पर्यावरण के घटकों का उपयोग एक संसाधन के रूप में किया जाता है, लेकिन यह कुछ बुनियादी भौतिक आवश्यकताओं और जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए मानव द्वारा भी शोषण किया जाता है। हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को चुनौती नहीं देनी चाहिए और पर्यावरण को इतना प्रदूषण या कचरा डालना बंद करना चाहिए। हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को महत्व देना चाहिए और प्राकृतिक अनुशासन में रहकर उनका उपयोग करना चाहिए।

पर्यावरण पर निबंध, 250 शब्द:

एक पर्यावरण में सभी प्राकृतिक संसाधन शामिल हैं जो कई तरीकों से मदद करने के लिए हमें घेर लेते हैं। यह हमें विकसित होने और विकसित करने के लिए बेहतर माध्यम प्रदान करता है। यह हमें सभी चीजें देता है जो हमें इस ग्रह पर अपना जीवन जीने के लिए चाहिए। हालांकि, हमारे पर्यावरण को भी हमेशा की तरह बनाए रखने के लिए, अपने जीवन को हमेशा के लिए पोषण देने और अपने जीवन को कभी भी बर्बाद नहीं करने के लिए हम सभी से कुछ मदद की आवश्यकता होती है। हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं क्योंकि आदमी ने तकनीकी आपदा को बनाया है।

हमें पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है, एकमात्र जगह जहां पूरे ब्रह्मांड में अब तक जीवन संभव है। विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के प्रति दुनिया भर में जन जागरूकता फैलाने के लिए 5 जून को हर साल सालों से मनाया जाने वाला एक अभियान है। हमें उत्सव के विषय को जानने, अपने पर्यावरण को बचाने के तरीकों को जानने और उन सभी बुरी आदतों के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान उत्सव में भाग लेना चाहिए जो पर्यावरण को दिन-प्रतिदिन गिरती जा रही हैं।

हम पृथ्वी पर हर व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे से कदम से अपने पर्यावरण को बहुत आसान तरीके से बचा सकते हैं। हमें कचरे की मात्रा को कम करना चाहिए, कचरे को ठीक से उसके स्थान पर फेंकना चाहिए, पॉली बैग का उपयोग बंद कर देना चाहिए, कुछ पुरानी चीजों को नए तरीकों से फिर से उपयोग करना चाहिए, उन्हें फेंकने के बजाय टूटी चीजों की मरम्मत और उपयोग करना चाहिए, देखें कि उन्हें सुधारने में कितना समय लगेगा; रिचार्जेबल बैटरी या अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें, फ्लोरोसेंट लाइट, वर्षा जल संरक्षण, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा संरक्षण, बिजली का न्यूनतम उपयोग आदि का उपयोग करें।

पर्यावरण पर निबंध, essay on environment in hindi (300 शब्द)

पृथ्वी पर जीवन का पोषण करने के लिए प्रकृति द्वारा एक उपहार दिया जाता है। जो कुछ हम अपने जीवन को जारी रखने के लिए उपयोग करते हैं वह पानी, हवा, धूप, भूमि, पौधों, जानवरों, जंगलों और अन्य प्राकृतिक चीजों जैसे पर्यावरण के अंतर्गत आता है। हमारा पर्यावरण पृथ्वी पर स्वस्थ जीवन के अस्तित्व को संभव बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, आधुनिक युग में मानव निर्मित तकनीकी प्रगति के कारण हमारा पर्यावरण दिन-प्रतिदिन खराब होता जा रहा है। इस प्रकार, पर्यावरण प्रदूषण आज हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या बन गया है।

पर्यावरण प्रदूषण हमारे दैनिक जीवन को सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक और बौद्धिक रूप से जीवन के विभिन्न पहलुओं में नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। पर्यावरण के दूषित होने से बहुत सारी बीमारियाँ होती हैं जिनसे इंसान पूरी जिंदगी पीड़ित हो सकता है। यह समुदाय या शहर की समस्या नहीं है, यह एक विश्वव्यापी समस्या है जिसे किसी के प्रयास से हल नहीं किया जा सकता है। यदि इसे ठीक से संबोधित नहीं किया जाता है, तो यह एक दिन जीवन के अस्तित्व को समाप्त कर सकता है। प्रत्येक और हर आम नागरिक को सरकार द्वारा शुरू किए गए पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए।

हमें प्रदूषण से स्वस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए अपने पर्यावरण के प्रति अपनी गलतियों और स्वार्थ को ठीक करना चाहिए। यह विश्वास करना कठिन है, लेकिन यह सच है कि हर किसी के द्वारा केवल थोड़ी सकारात्मक हरकत से ही पर्यावरण में भारी बदलाव आ सकता है। वायु और जल प्रदूषण विभिन्न बीमारियों और विकारों के कारण हमारे स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है।

एक दिन में कुछ भी स्वस्थ नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि हम जो खाते हैं वह पहले से ही कृत्रिम उर्वरकों के बुरे प्रभावों से प्रभावित होता है जो सूक्ष्मजीवों के कारण होने वाली बीमारी से लड़ने के लिए हमारे शरीर की प्रतिरक्षा को कम और कमजोर करता है। इसीलिए, हम में से कोई भी स्वस्थ और खुश होने के बाद भी कभी भी रोगग्रस्त हो सकता है।

इसलिए, यह दुनिया भर में एक प्रमुख मुद्दा है जिसे सभी के निरंतर प्रयासों से हल किया जाना चाहिए। हमें विश्व पर्यावरण दिवस अभियान में पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए भाग लेना चाहिए।

पर्यावरण पर निबंध, long essay on environment in hindi (400 शब्द)

पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने वाली सभी प्राकृतिक चीजों में जल, वायु, सूर्य का प्रकाश, भूमि, अग्नि, वन, पशु, पौधे आदि शामिल हैं। यह माना जाता है कि ब्रह्मांड में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसके लिए आवश्यक वातावरण है जीवन अस्तित्व। पर्यावरण के बिना हम यहां जीवन का अनुमान नहीं लगा सकते हैं इसलिए हमें भविष्य में जीवन की संभावना सुनिश्चित करने के लिए अपने पर्यावरण को सुरक्षित और स्वच्छ रखना चाहिए।

यह दुनिया भर में पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। सभी को आगे आना चाहिए और पर्यावरण सुरक्षा के अभियान में शामिल होना चाहिए। प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए पर्यावरण और जीवित चीजों के बीच नियमित रूप से होने वाले विभिन्न चक्र हैं। हालांकि, किसी भी तरह से अगर इस तरह के चक्र परेशान हो जाते हैं, तो प्रकृति का संतुलन भी गड़बड़ा जाता है जो अंततः मानव जीवन को प्रभावित करता है।

हमारा पर्यावरण हमें और हजारों वर्षों से धरती पर विकसित होने, विकसित होने और पनपने के लिए अस्तित्व के अन्य रूपों में मदद करता है। जैसा कि मनुष्य को पृथ्वी पर प्रकृति द्वारा बनाया गया सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, उनके पास ब्रह्मांड में चीजों को जानने की बहुत उत्सुकता है जो उन्हें तकनीकी प्रगति की ओर ले जाती है।

हर किसी के जीवन में इस तरह की तकनीकी प्रगति पृथ्वी पर जीवन की संभावनाओं को खतरे में डालती है क्योंकि हमारा पर्यावरण धीरे-धीरे नष्ट हो रहा है। ऐसा लगता है कि एक दिन यह जीवन के लिए इतना हानिकारक हो गया है क्योंकि प्राकृतिक हवा, मिट्टी और पानी प्रदूषित हो रहे हैं। यहां तक ​​कि इसने मानव, पशु, पौधों और अन्य जीवित चीजों के स्वास्थ्य पर अपना बुरा प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है।

हानिकारक रसायनों का उपयोग करके कृत्रिम रूप से तैयार किए गए उर्वरक मिट्टी को खराब कर रहे हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से हमारे शरीर में एकत्र किए गए भोजन के माध्यम से रोजाना खाते हैं। दैनिक आधार पर औद्योगिक कंपनियों से उत्पन्न हानिकारक धूम्रपान, प्राकृतिक हवा को प्रदूषित कर रहे हैं जो हमारे स्वास्थ्य को काफी हद तक प्रभावित करते हैं क्योंकि हम हर पल सांस लेते हैं।

इस तरह की व्यस्त, भीड़ और उन्नत जीवन में हमें दैनिक आधार पर इस प्रकार की छोटी बुरी आदतों का ध्यान रखना चाहिए। यह सच है कि सभी के अंत तक केवल एक छोटा सा प्रयास हमारे गिरते पर्यावरण के प्रति एक बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकता है। हमें केवल अपने स्वार्थ के लिए गलत तरीकों से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग नहीं करना चाहिए और अपनी विनाशकारी इच्छाओं को पूरा करना चाहिए।

हमें अपने जीवन की बेहतरी के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकियों को विकसित और विकसित करना चाहिए लेकिन हमेशा सुनिश्चित रहें कि यह भविष्य में किसी भी तरह से हमारे पर्यावरण को बर्बाद नहीं करेगा। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नई प्रौद्योगिकियां पारिस्थितिक संतुलन को कभी नहीं बिगाड़ेंगी।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)

  • by Rohit Soni
  • Essay , Education
  • 11 min read

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) Essay Environment in Hindi, पर्यावरण का जीवन में महत्व अथवा पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्य अथवा पर्यावरण प्रदूणण समस्या और निदान पर निबंध।

Table of Contents

पर्यावरण किसे कहते हैं? उदाहरण सहित

पर्यावरण शब्द ‘ परि ‘ + ‘ आवरण ‘ से मिलकर बना है। परि का अर्थ है चारों ओर तथा आवरण का अर्थ घेरा होता है। अर्थात् हमारे चारों ओर जो कुछ भी दृश्यमान एवं अदृश्य वस्तुएँ हैं, वही पर्यावरण है। दूसरे शब्दों में हमारे आस-पास जो भी पेड़-पौधें, जीव-जन्तु, जल, वायु, प्रकाश, मिट्टी आदि तत्व हैं वही हमारा पर्यावरण है।

Essay Environment in Hindi पर्यावरण पर निबंध (पर्यावरण संरक्षण / प्रदूषण)

इसके कुछ अन्य शीर्षक इस प्रकार से हैं जिस पर इस निबंध को लिखा जा सकता है-

  • प्रदूषण की समस्या
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • पर्यावरण प्रदूषण समस्या और निदान
  • प्रदूषण कारण और निदान
  • पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्व
  • पर्यावरण का जीवन में महत्व

Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)

पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में (पर्यावरण पर निबंध 10 लाइन)

पर्यावरण – हमारा जीवन

  • पृथ्वी के चारों ओर फैले आवरण को ही पर्यावरण कहते हैं।
  • धरती पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण प्रकृति का उपहार है।
  • पर्यावरण के अंतर्गत हवा, पानी, पेड़-पौधे इत्यादि आते हैं।
  • किसी सजीव प्राणी के जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्व पर्यावरण से ही उपलब्ध होते हैं।
  • प्राकृतिक व कृत्रिम आपदा के वजह से दिन प्रति दिन पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  • भविष्य में जीवन को बचाये रखने के लिए हमें पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा।
  • वृक्षारोपण करना पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के कारगर उपाय है।
  • यह पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
  • 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

यह भी जानें चंद्रयान-3 कब पहुचेगा चाँद पर

पर्यावरण पर निबंध 600 शब्द (Paryavaran par Nibandh)

“पर्यावरण है जीवन का आधार। इसके बिना है जीवन बेकार।।”

[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) प्रदूषण के विभिन्न प्रकार, (3) प्रदूषण की समस्या का समाधान, (4) उपसंहार ।]

प्रस्तावना-

प्रदूषण पर्यावरण में फैलकर उसे प्रदूषित बनाता है और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर उल्टा पड़ता है। इसलिए हमारे आस-पास की बाहरी परिस्थितियाँ जिनमें वायु, जल, भोजन और सामाजिक परिस्थितियाँ आती हैं; वे हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालती हैं। प्रदूषण एक अवांछनीय परिवर्तन है; जो वायु, जल, भोजन, स्थल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों पर विरोधी प्रभाव डालकर उनको मनुष्य व अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक एवं अनुपयोगी बना देता है। जो जीवधारियों के लिए किसी-न-किसी रूप में हानिकारक होता है। इसे ही प्रदूषण कहते हैं।

प्रदूषण के विभिन्न प्रकार-

प्रदूषण निम्नलिखित रूप में अपना प्रभाव दिखाते हैं

(1) वायु प्रदूषण – वायु मण्डल में गैसों का एक निश्चित अनुपात होता है, और जीव-जंतु अपनी क्रियाओं तथा साँस के द्वारा ऑक्सीजन और कार्बन डाइ ऑक्साइड का सन्तुलन बनाए रखते हैं। किन्तु मनुष्य अज्ञानवश आवश्यकता के नाम पर इन सभी गैसों के सन्तुलन को बिगाड़ रहा है। वह वनों को काटता है जिससे वातावरण में ऑक्सीजन कम होती है। कारखानों से निकलने वाली कार्बन डाइ-ऑक्साइड, क्लोराइड, सल्फर-डाई-ऑक्साइड आदि विभिन्न गैसें वातावरण में बढ़ जाती हैं। जो विभिन्न प्रकार के दुष्प्रभाव मानव शरीर पर डालती हैं। यह प्रदूषण फेफड़ों में कैंसर, अस्थमा, हृदय सम्बन्धी रोग, आँखों के रोग, तथा मुहासे जैसे रोग फैलाता है।

(2) जल प्रदूषण- जल के बिना कोई भी जीव-जन्तु, पेड़-पौधे जीवित नहीं रह सकते। इस जल में भिन्न-भिन्न खनिज तत्व, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं, जो एक विशेष अनुपात में होती हैं। वे सभी के लिए लाभकारी होती हैं, लेकिन जब इनकी मात्रा अनुपात में बदलाव हो जाता है; तो जल प्रदूषित हो जाता है और हानिकारक बन जाता है। अनेक रोग पैदा करने वाले जीवाणु, वायरस, औद्योगिक संस्थानों से निकले पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, रासायनिक पदार्थ, खाद आदि जल प्रदूषण के कारण हैं। प्रदूषित जल से टायफाइड, पेचिस, पीलिया, मलेरिया इत्यादि अनेक रोग के कारण बनते हैं।

(3) रेडियो धर्मी प्रदूषण – परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षणों से जल, वायु तथा पृथ्वी का सम्पूर्ण पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है और वह वर्तमान पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए भी हानिकारक सिद्ध हुआ है। इससे धातुएँ पिघल जाती हैं और वह वायु में फैलकर उसके झोंकों के साथ सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त हो जातीं हैं तथा भिन्न-भिन्न रोगों से लोगों को ग्रसित बना देती हैं।

(4) ध्वनि प्रदूषण- आज ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो रही है। उसकी नींद बाधित हो रही है, जिससे नींद न आने के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर, सायरन और मशीनें अपनी ध्वनि से सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित बना रहे हैं। इससे छोटे-छोटे कीटाणु नष्ट हो रहे हैं और बहुत-से पदार्थों का प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है।

(5) रासायनिक प्रदूषण – आज कृषक अपनी कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों, कीटनाशक और रोगनाशक दवाइयों का प्रयोग कर रहा है। अतः जिससे उत्पन्न खाद्यान्न, फल, सब्जी, पशुओं के लिए चारा आदि मनुष्यों तथा भिन्न-भिन्न जीवों के पर घातक प्रभाव डालते हैं और उनके शारीरिक विकास पर भी इसके दुष्परिणाम होते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

आज औद्योगीकरण ने इस प्रदूषण की समस्या को अति गम्भीर बना दिया है। इस औद्योगीकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न प्रदूषण को व्यक्तिगत और शासकीय दोनों ही स्तर पर रोकने के प्रयास आवश्यक हैं। भारत सरकार ने सन् 1974 ई. में जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम लागू कर दिया है जिसके अन्तर गत प्रदूषण को रोकथाम के लिए अनेक योजनाएँ बनायी गई हैं। प्रदूषण को रोकने का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय है वनों का संरक्षण। साथ ही, नए वनों का लगाया जाना तथा उनका विकास करना भी वन संरक्षण ही है। जन-सामान्य में वृक्षारोपण की प्रेरणा दिया जाना, इत्यादि प्रदूषण की रोकथाम के उपाय हैं।

पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। प्रकृति ने हमें जो उपहार दिया है उसे हिफाजत करना हमारा कर्तव्य है। इसके लिए हमें सभी तरह उपाय करने चाहिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना होगा। जिससे प्रदूषण को नियंत्रित रखा जा सके। इस विषय में किसी कवि ने अच्छी पंक्तियाँ लिखी हैं।

“प्रकृति का अनमोल खजाना, सब कुछ है उपलब्ध यहाँ। लेकिन यदि यह नष्ट हुआ तो, जायेगा फिर कौन कहाँ ॥”

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) – Essay on Environment in Hindi

“जब सुरक्षित होगा पर्यावरण हमारा, तभी सुरक्षित होगा जीवन हमारा। “

[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) पर्यावरण प्रदूषण, (3) प्रदूषण का घातक प्रभाव, (4) पर्यावरण संरक्षण (5) उपसंहार ।]

प्रस्तावना –

ईश्वर ने प्रकृति की गोद में उज्ज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान दिया है। परन्तु मानव प्रकृति पर अपना आधिपत्य जमाने की धुन में वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर प्रकृति को भारी क्षति पहुँचा रहा है। प्रकृति की गोद में विकसित होने वाले फल-फूल, सुन्दर लताएँ, हरे-भरे वृक्ष तथा चहचहाते पक्षी, अब उसके आकर्षण के केन्द्र बिन्दु नहीं रहे। प्रकृति का उन्मुक्त वातावरण अतीत के गर्भ में विलीन हो गया। मानव मन की जिज्ञासा और नयी-नयी खोजों की अभिलाषा ने प्रकृति के सहज कार्यों में हस्तक्षेप करना प्रारम्भ किया है। अतः पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। यह प्रदूषण मुख्यत: चार रूपों में दिखायी पड़ता है –

  • ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

वैज्ञानिक प्रगति और प्रदूषण समस्या-वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर मनुष्य ने प्रकृति के सहज-स्वाभाविक रूप को विकृत करने का प्रयास किया है। इससे पर्यावरण में अनेक प्रकार से प्रदूषण हुआ है और यह जीवो के लिए यह किसी भी प्रकार से हितकर नहीं है। पर्यावरण एक व्यापक शब्द है, जिसका सामान्य अर्थ है – प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण। इसके अन्तर्गत जल, वायु, भूमि, पेड़-पौधे, पर्वत तथा प्राकृतिक सम्पदा और परिस्थितियाँ आदि का समावेश होता है।

पर्यावरण प्रदूषण –

“साँस लेना भी अब मुश्किल हो गया है, पर्यावरण इतना प्रदूषित हो गया है।”

मानव ने खनिज और कच्चे माल के लिए खानों की खुदाई की, धातुओं को गलाने के लिए कोयले की भट्टियाँ जलायीं तथा कारखानों की स्थापना करके चिमनियों से ढेर सारा धुआँ आकाश में पहुँचाकर वायुमण्डल को प्रदूषित किया। फर्नीचर और भवन-निर्माण के लिए, उद्योगों और ईंधन आदि के लिए जंगलों की कटाई करके स्वच्छ वायु का अभाव उत्पन्न कर दिया। इससे भूमि क्षरण और भूस्खलन होने लगा तथा नदियों के जल से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई।

“वृक्ष धरा के भूषण हैं, करते दूर प्रदूषण हैं।। “

कल-कारखानों और शोधक कारखानों के अवशिष्ट गन्दे नालों में बहकर पवित्र नदियों के जल को दूषित करने लगे । विज्ञान निर्मित तेज गति के वाहनों दूषित धुआँ तथा तीव्र ध्वनि से बजने वाले हॉर्न और सायरनों की कर्ण भेदी ध्वनि से वातावरण प्रदूषित होने लगा । कृषि में रासायनिक खादों के प्रयोग से अनेक प्रकार के रोगों और विषैले प्रभावों को जन्म मिला। इस प्रकार वैज्ञानिक प्रगति पर्यावरण प्रदूषण में सहायक बनी।

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण व्यक्तिगत लापरवाही और लोगों की अज्ञानता है। हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रकृति को नष्ट कर रहे हैं, अनावश्यक वस्तुओं का अधिक उपयोग कर रहे हैं और इससे पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं। हम अपनी बदलती जीवनशैली के चलते इसे नजरंदाज कर रहे हैं, जिसका परिणाम हमारे पर्यावरण का बिगड़ता हुआ स्वरूप है।

हमारी तरही की भ्रांतियों ने हमें अपनी प्राकृतिक संपदाओं की महत्वपूर्णता से अनजान रखा है। हम वनों को कटते हैं, नदियों को प्रदूषित करते हैं, वायुमंडल में विषाणुओं को छोड़ते हैं और पृथ्वी की खाद्य संसाधनों को उचित तरीके से उपयोग नहीं करते हैं। हमने पर्यावरण को अपने आनंदों और आवश्यकताओं की भूमिका से बाहर निकाल दिया है।

हमारी लापरवाही और संघर्ष के बिना, पर्यावरण प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। हमें जागरूकता फैलानी चाहिए, संघर्ष करना चाहिए, और समुदाय के साथ मिलकर संघर्ष करना चाहिए। हमें अपनी आदतों को परिवर्तित करना चाहिए, प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षा के लिए संघर्ष करना चाहिए और समृद्ध और स्वच्छ पृथ्वी के लिए समर्पित होना चाहिए। हमारी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य के लिए, चलो हम सब मिलकर पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारणों को दूर करने का संकल्प लें और हमारी प्रकृति को संरक्षित करने के लिए संघर्ष करें।

प्रदूषण का घातक प्रभाव –

आधुनिक युग में सम्पूर्ण संसार पर्यावरण प्रदूषण से पीड़ित है। हर साँस के साथ प्रदूषण का जहर शरीर में प्रवेश होता है और तरह-तरह की बीमारियाँ पनपती जा रही हैं। इस सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि प्रदूषण की इस बढ़ती हुई गति से एक दिन यह पृथ्वी, प्राणी तथा वनस्पतियों से विहीन हो सकती है और जीवों का ग्रह पृथ्वी एक बीती हुई कहानी बनकर रह जायेगी।

पर्यावरण संरक्षण –

दिनों-दिन बढ़ते प्रदूषण की आपदा से बचाव का मार्ग खोजना आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण के लिए संपूर्ण मानव जाति को एक साथ मिलकर प्रयास करना होगा। वृक्षों की रक्षा करके इस महान् संकट से छुटकारा पाया जा सकता है। पेड़-पौधे हानिकारक गैसों के प्रभाव को नष्ट करके प्राण-वायु प्रदान करते हैं, भूमि के क्षरण को रोकते हैं और पर्यावरण को शुद्ध करते हैं।

उपसंहार –

पर्यावरण की सुरक्षा और उचित सन्तुलन के लिए हमें जागरूक और सचेत होना अत्यंत आवश्यक है। जल, वायु, ध्वनि तथा पृथ्वी के प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को नियन्त्रित कर धीरे-धीरे उसे समाप्त करना आज के युग की परम आवश्यका बन गई है। यदि हम शुद्ध वातावरण में जीने की आकांक्षा रखते हैं तो पृथ्वी तथा पर्यावरण को शुद्ध तथा स्वच्छ बनाना होगा, तभी स्वस्थ नागरिक बन सकेंगे और सुखी, शान्त तथा आनन्दमय जीवन बिता सकने में समर्थ होंगे। इस प्रकार शुद्ध पर्यावरण का जीवन में विशेष महत्व है।

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF

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चंद्रयान 3 पर निबंध 100, 300, 500 शब्दों में | Chandrayaan 3 Essay in Hindi

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4 thoughts on “Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)”

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Sakshi kushwaha Thank You for comment.

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Thanks sir nice essay

Welcome to my blog and keep reading.

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पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi

by StoriesRevealers | May 9, 2020 | Essay in Hindi | 2 comments

Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi : धरती के प्राकृतिक वातावरण को पर्यावरण का नाम दिया गया है जो मनुष्यों, जानवरों, पक्षियों और वनस्पतियों को पृथ्वी पर रहने फलने फुलने में मदद करता है।

स्वस्थ व्यक्ति का विकास स्वच्छ वातावरण में ही संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर द्वारा की गई प्रत्येक प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित होती है, पर्यावरण के कारण हम सांस ले पाते हैं शुद्ध पानी प्राप्त होता हैं, इसलिए सभी को पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का महत्व

मनुष्य, जानवर, वनस्पति, पेड़, पेड़, मौसम, जलवायु सभी पर्यावरण के भीतर समाहित हैं।

पर्यावरण न केवल जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि जीवन के लिए आवश्यक सभी चीजें प्रदान करने का कार्य भी पर्यावरण हि करता है।

आज जहां विज्ञान ने तकनीक को बढ़ावा दिया है जिससे दुनिया में बहुत विकास हुआ है, वहीं दूसरी ओर वे पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाने के लिए भी जिम्मेदार हैं।

Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi

आधुनिकीकरण, औद्योगिकीकरण और बढ़ती प्रौद्योगिकी के उपयोग ने पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो की कटाई कर रहा है और प्राकृतिक संसाधनों से खेल रहा है, जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है।

कुछ मानव निर्मित चिजों के कारण, वायुमंडल, जल मंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं, पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

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इसलिए पर्यावरण की महत्वता को समझते हुए हम आप सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और जीवन

पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात् मनुष्य पर्यावरण पर पूरी तरह से निर्भय है, पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है।

इसलिए भौतिक सुख की सिद्धि के लिए मनुष्य को प्रकृति के दोहन से बचना चाहिए।

वायु, जल, अग्नि, आकाश, भूमि ये पांच तत्व हैं, जिन पर मानव जीवन टिका है और हमें यह सब पर्यावरण से प्राप्त होता है।

पर्यावरण न केवल एक माँ के रूप में हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है, बल्कि हमें मानसिक शांति और खुशी भी प्रदान करता है।

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पर्यावरण मानव जीवन का अभिन्न अंग है, इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

पर्यावरण को बचाने के लिए हम सड़कों या सार्वजनिक क्षेत्रो में कचरा न फेंक कर पहल करनी चाहिएँ, और हमे निजी वाहनों का वजाए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना शुरू कर देना चाहिए।

साथ ही, हमें कंपनियों के बारे में पता होना चाहिए जो पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डाल रही है। और कई इको-फ्रेंडली और उन दिन-प्रतिदिन की चीजों का उपयोग करना होगा जिनका पुनरावृत्ति की जा सके। हमें ऐसी तकनीक का आविष्कार करना चाहिए जो हमारे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए और ऐसी तकनीक भी हो जो हमारे पर्यावरण की रक्षा करने में मदद कर सके।

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पर्यावरण को बचाना कोई छोटी बात नहीं है, इसमें बहुत समय, शक्ति और प्रयास लगेगा। लोगों का एक छोटा झुंड बड़ा बदलाव नहीं कर सकता।

हर व्यक्ति को एक साथ आना चाहिए और हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए काम करना शुरू करना चाहिए। इसे स्वच्छ और स्वस्थ रखना हमारी जिम्मेदारी है, सभी को यह याद रखना चाहिए। मनुष्य के लिए एक पर्यावरण सबसे महत्वपूर्ण चीज है जिसका हमें ध्यान रखना है।

हमें पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता है पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।

साथ ही, हमें पर्यावरण को स्वच्छ रखने को अपना कर्तव्य मानना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ वातावरण में रहने से ही एक स्वस्थ मनुष्य का निर्माण और विकास होगा।

Thanks for Reading: Essay on Environment in Hindi

Reema

I your writing style genuinely enjoying this web site.

Brinda

excellent put up, very informative. You must continue your writing. I’m confident, you have a great readers’ base already!

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Environment essay in hindi

Environment पर निबंध, कहानी, जानकारी | Environment essay in hindi

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यहां, हमने पर्यावरण (Environment) निबंध प्रदान किया है। और परीक्षा के दौरान पर्यावरण (Environment) पर निबंध कैसे लिखना है, इस बारे में एक विचार प्राप्त करने के लिए छात्र इस पर्यावरण (Environment) निबंध के माध्यम से जा सकते हैं। और फिर, वे अपने शब्दों में भी एक निबंध लिखने का प्रयास कर सकते हैं।

Table of Contents

पर्यावरण पर एस्से (Essay on Environment)

हर साल 5 जून को हम सभी विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाते हैं। पृथ्वी पर उपस्थित सभी सजीव और निर्जीव पर्यावरण का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारे Environment में पौधे, जीव, जल, वायु और अन्य जीवित चीजें मौजूद हैं। हमारा पर्यावरण जलवायु परिवर्तन, भूआकृतिक उपायों और जलीय उपायों से प्रभावित होता है। मनुष्य और जानवरों का जीवन पूरी तरह से जलवायु पर निर्भर है। 

हमारा पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन का समर्थन करता है। हम जो कुछ भी सांस लेते हैं, महसूस करते हैं और ऊर्जा पर्यावरण से आती है। Environment को एक आवरण माना जाता है जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में मदद करता है। सभी ग्रहों में, यह हमारा ग्रह पृथ्वी ही है जो जीवन का समर्थन करता है।

पर्यावरण का महत्व (Importance of Environment)

आए दिन हमें पर्यावरण को होने वाले खतरों के बारे में सुनने को मिलता है। हमारे पर्यावरण में जंगलों से लेकर समुद्र तक सब कुछ शामिल है, जो हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। यह वनों की कटाई, प्रदूषण, मिट्टी का कटाव आदि हो सकता है, जिसे गंभीरता से संबोधित करने की आवश्यकता है।

1. लोगों की आजीविका पर्यावरण पर निर्भर करती है

अरबों लोग अपनी आजीविका के लिए Environment पर निर्भर हैं। उदाहरण के लिए, 1.5 अरब से अधिक लोग भोजन, दवा, आश्रय आदि के लिए वनों पर निर्भर हैं। फसल खराब होने पर किसान जंगल की ओर रुख करते हैं। लगभग दो अरब लोग कृषि से जीविकोपार्जन करते हैं, और अन्य तीन अरब लोग समुद्र पर निर्भर हैं।

2. पर्यावरण की ताकत खाद्य सुरक्षा

जैव विविधता के नुकसान के कारण कई नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं, लेकिन कमजोर खाद्य सुरक्षा व्यापक है। यदि हम अपने कीमती जानवरों और पौधों की प्रजातियों को खो देते हैं, तो हम कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इसके कारण, हमारे स्वास्थ्य को मधुमेह और हृदय रोग जैसी संबंधित बीमारियों का अधिक खतरा होता है। इसलिए, हमें हर इंसान के लिए भोजन सुनिश्चित करने के लिए अपने महासागरों और जंगलों की रक्षा करनी चाहिए।

3. पेड़ हवा को साफ करते हैं

प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और हर साल 7 मिलियन लोग प्रदूषण के कारण मर जाते हैं। प्रदूषित हवा हमारे स्वास्थ्य और जीवन काल को प्रभावित करती है, जिसमें व्यवहार संबंधी समस्याएं, विकास संबंधी देरी और अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियां शामिल हैं। पेड़ ऑक्सीजन छोड़ते समय कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे वायु प्रदूषकों को हटाने के लिए एक फिल्टर के रूप में काम करते हैं।

4. पर्यावरण कई बीमारियाँ लाता है

हमें यह भी पता चला कि कोविड-19 सबसे अधिक संभावना एक जूनोटिक (zoonotic) बीमारी है। रोग तब फैलते हैं जब मनुष्य अन्य जानवरों की प्रजातियों के क्षेत्र को परेशान करते हैं। शोध के अनुसार, लगभग 60% मानव संक्रमण जानवरों से उत्पन्न होते हैं। बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू भी पशुओं से जुड़ी बीमारियां हैं।

पर्यावरण के लाभ (Benefits of the Environment)

हमारा Environment हमें अत्यधिक लाभ प्रदान करता है, जिसे हम अपने पूरे जीवन काल में चुका नहीं सकते हैं। पर्यावरण में जानवर, पानी, पेड़, जंगल और हवा शामिल हैं। पेड़ और जंगल हवा को फ़िल्टर करते हैं और हानिकारक गैसों को अंदर लेते हैं, और पौधे पानी को शुद्ध करते हैं, प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हैं और कई अन्य।

Environment अपने कामकाज पर नियमित रूप से नजर रखता है क्योंकि यह पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण प्रणालियों को विनियमित करने में मदद करता है। यह पृथ्वी पर संस्कृति और जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने में भी मदद करता है। पर्यावरण प्रतिदिन होने वाले प्राकृतिक चक्रों को नियंत्रित करता है। ये प्राकृतिक चक्र जीवित चीजों और पर्यावरण को संतुलित करते हैं। यदि हम इन प्राकृतिक चक्रों को बिगाड़ते हैं, तो यह अंततः मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों को प्रभावित करेगा।

हज़ारों सालों से, Environment ने इंसानों, जानवरों और पौधों को फलने-फूलने और बढ़ने में मदद की है। यह हमें उपजाऊ भूमि, हवा, पशुधन, पानी और जीवित रहने के लिए आवश्यक चीजें भी प्रदान करता है।

पर्यावरणीय गिरावट का कारण

मानव गतिविधियाँ पर्यावरणीय क्षरण का प्राथमिक कारण हैं क्योंकि अधिकांश मनुष्य किसी न किसी तरह से Environment को नुकसान पहुँचाते हैं। मनुष्यों की गतिविधियाँ जो पारिस्थितिक क्षरण का कारण बनती हैं, वे हैं प्रदूषण, दोषपूर्ण पर्यावरण नीतियां, रसायन, ग्रीनहाउस गैसें, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन क्षरण आदि।

औद्योगिक क्रांति और जनसंख्या विस्फोट के कारण पर्यावरण संसाधनों की मांग में वृद्धि हुई है, लेकिन अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग के कारण उनकी आपूर्ति सीमित हो गई है। अक्षय और गैर-नवीकरणीय संसाधनों के व्यापक और गहन उपयोग के कारण कुछ महत्वपूर्ण संसाधन समाप्त हो गए हैं। संसाधनों के विलुप्त होने और तेजी से बढ़ती जनसंख्या से हमारा पर्यावरण भी अस्त-व्यस्त है।

विकसित दुनिया द्वारा उत्पन्न कचरा Environment की अवशोषण क्षमता से परे है। इसलिए, विकास प्रक्रिया के परिणामस्वरूप पर्यावरण प्रदूषण, पानी और वातावरण हुआ, अंततः पानी और वायु की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा। इसके परिणामस्वरूप श्वसन और जल जनित रोगों की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है।

निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि Environment ही है जो हमें जीवित रखता है। पर्यावरण के कंबल के बिना, हम जीवित नहीं रहेंगे।

इसके अलावा, जीवन में पर्यावरण के योगदान को चुकाया नहीं जा सकता है। इसके अलावा पर्यावरण ने हमारे लिए जो कुछ किया है, उसे हमने ही नुकसान पहुंचाया है।

FAQ (Frequently Asked Questions)

Environment का उचित रखरखाव मनुष्य को कैसे मदद करता है.

मनुष्य अपनी अधिकांश दैनिक आवश्यकताओं को पर्यावरण से प्राप्त करता है। इसके अलावा, पर्यावरण प्रदूषण से बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।

हम अपने आसपास के Environment की रक्षा कैसे कर सकते हैं?

पहला कदम हमारी मानसिकता को बदलना है, और सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा डालना बंद करना है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए कदम उठाएं क्योंकि यह हमारे पर्यावरण के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। साथ ही ‘ Reduce, Reuse और Recycle ‘ के नारे को याद रखें और पर्यावरण की रक्षा की दिशा में एक साहसिक कदम उठाएं। और हर कीमत पर, जल, मिट्टी और वायु के प्रदूषण से बचें।

Environment प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं?

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग, पर्यावरण संरक्षण में कमी, प्राकृतिक संसाधनों का विनाश पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।

निबंध लिखते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए?

1. यह व्याकरणिक के रूप से सही हो।  2. इसमें पूर्ण वाक्य का इस्तेमाल करे। 3. इसमें किसी भी तरह का abbreviations का उपयोग नहीं करे।

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।

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essay on environment hindi

पर्यावरण पर निबंध | Essay on Environment in Hindi

by Meenu Saini | Jul 13, 2022 | Hindi | 0 comments

Hindi Essay Writing – पर्यावरण (Environment)

पर्यावरण पर निबंध

पर्यावरण पर निबंध – इस लेख हम पर्यावरण से तात्पर्य, पर्यावरण के प्रकार, पर्यावरण और मानव का संबंध, पर्यावरण असंतुलन, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण आदि के बारे में जानेगे |

अनादिकाल से मानव का अस्तित्व वनस्पति और जीव-जंतुओं के ऊपर निर्भर रहा है। जीवन और पर्यावरण एक दूसरे से संबद्ध है । समस्त जीवधारियों का जीवन पर्यावरण की उपज होता है। अतः हमारे तन मन की रचना, शक्ति, सामर्थ्य एवं विशेषता और संपूर्ण पर्यावरण से नियंत्रित होती है। उसी में पनपती हैं और विकास पाती हैं। वस्तुतः जीवन और पर्यावरण एक दूसरे से इतने जुड़े हुए हैं कि दोनों का सहअस्तित्व बहुत आवश्यक है।

पर्यावरण मूलतः प्रकृति की देन है। यह भूमि, वन, पर्वतों, झरने, मरुस्थल, मैदानों, घास, रंग-बिरंगे पशु पक्षी, स्वच्छ जल से भरी लहलहाती झीलों और सरोवरों से भरा है। सौरमंडल के ग्रहों में पृथ्वी एकलौता ऐसा ग्रह है जहां जीवन संभव है। इसका कारण यहां का पर्यावरण है।

  • पर्यावरण से तात्पर्य
  • पर्यावरण के प्रकार

पर्यावरण और मानव का संबंध

  • पर्यावरण असंतुलन

पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण प्रदूषण, पर्यावरण प्रबंधन, विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण से तात्पर्य .

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है –  परि‌+ आवरण। परि का अर्थ है चारों ओर, आवरण का अर्थ है घेरे हुए । इस प्रकार ऐसा आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण को अंग्रेजी में एनवायरनमेंट कहते हैं। एनवायरनमेंट शब्द फ्रेंच भाषा के “environner”  शब्द से लिया गया है। जिसका अर्थ है घिरा हुआ या घेरा होना।

यह एक तरह से हमारा सुरक्षा कवच है, जो हमें प्रकृति से विरासत में मिला है।

दूसरे शब्दों में पर्यावरण का अर्थ जैविक और अजैविक घटकों एवं उनके आसपास के वातावरण के सम्मिलित रूप से है, जो जीवन के आधार को संभव बनाते है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार पर्यावरण,‌किसी किसी जीव के चारों ओर घिरी भौतिक एवं जैविक दशा व उनके साथ अंतक्रिया को सम्मिलित करता है । 

  Top  

पर्यावरण के प्रकार 

पर्यावरण में पाए जाने वाले कारकों के आधार पर हम इसे दो भागों में बांट सकते हैं ।

प्राकृतिक पर्यावरण

मानव निर्मित पर्यावरण.

प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत वे सभी संसाधन आते हैं, जो हमें प्रकृति से प्राप्त है या जिन के निर्माण में मनुष्य की कोई सहभागिता नहीं है। जो अनादि काल से इस धरती पर अस्तित्व में है। प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत नदी, पर्वत, जंगल, गुफा, मरुस्थल, समुद्र आदि आते हैं। 

हमें प्रकृति से भरपूर मात्रा में खनिज, पेट्रोलियम, लकड़ियां, फल, फूल, औषधियां प्राप्त होती है, जिनका उपयोग अपने दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है – प्राणदायी ऑक्सीजन,‌ जो हमें पेड़ों से प्राप्त होती है। इन सब के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

मानव निर्मित पर्यावरण में तालाब, कुंए, खेत ,‌ बगीचे, घर-आवास, इमारतें, उद्योग आदि आते हैं। यह सब मिलकर मनुष्य जीवन का आधार विकसित करते हैं और एक तरह से मानव जीवन की प्रगति का सूचक है कि – किस तरह झोपड़ियों में रहने वाला मानव, आज गगनचुंबी इमारतों का निर्माण कर रहा है। 

जैसे सभ्यताओं का विकास हुआ, मनुष्य ने नए-नए आविष्कार किए और अपने जीवन को सुविधाजनक बनाने हेतु, वह प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग करने लगा, और आज मानव निर्मित पर्यावरण, धरती के कोने-कोने पर विस्तृत होता जा रहा है।

पानी के अंदर हो या आसमान में, मनुष्य सब जगह अपना साम्राज्य स्थापित करने में लगा है । अब तो हमने दूसरे ग्रहों पर भी जीवन की तलाश करना शुरू कर दिया है।

प्राचीन काल से ही वृक्षों के प्रति भारतीय समाज का अनुराग सांस्कृतिक परंपरा के रूप में विकसित हुआ हैं। चाहे कोई ‌भी धार्मिक त्यौहार हो या शुभ अवसर। हिंदू धर्म में पेड़ों को शुभ मानकर पूजा जाता है। पौराणिक कथाओं में तुलसी, पीपल, वट जैसे वृक्षों का विशेष महत्व बताया गया है। हमारे ऋषि मुनि आदिमानव प्रकृति के साथ तालमेल मिलाकर जीवन यापन करते थे। गुफाओं में रहते थे। कंदमूल फल खाते थे और प्रकृति का सम्मान करते थे। एक तरह से उन्होंने पर्यावरण के साथ सामंजस्य बिठाना सीख लिया था और आज भी मानव का अस्तित्व वनस्पति और जीव-जंतुओं के ऊपर निर्भर है। पर्यावरण हम सबका पालनहार और जीवनाधार है। किंतु आश्चर्य होता है कि मनुष्य धरती के स्त्रोतों का कितना अंधाधुंध दोहन करता जा रहा है। जिससे सारा प्रकृति तंत्र गड़बड़ा गया है। अब वह दिन दूर नहीं लगता, जब धरती पर हजारों शताब्दियों पुराना हिम युग लौट आएगा अथवा ध्रुवों पर जमी बर्फ की मोटी परत पिघल जाने से समुद्र की प्रलयकारी लहरें  नगरो, वन ,पर्वतो, और जंतुओं को निगल जाएंगी।

पर्यावरण असंतुलन 

हम सभी जानते हैं कि धरती पर जीवन, प्रकृति संतुलन से संभव हो सका है। धरती वनस्पतियों से ढक ना जाए, इसलिए घास खाने वाले जानवर पर्याप्त संख्या में थे। इन घास खाने वाले जानवरों की संख्या को संतुलित,‌ सीमित रखने के लिए हिंसक जंतु भी थे। इन तीनों का अनुपात, संतुलित‌ और नियंत्रित था।

किंतु समय के साथ पर्यावरण का संतुलन तेजी से बिगड़ता जा रहा है। मनुष्य, प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का अविवेकपूर्ण ढंग से दुरुपयोग कर रहा है, जिससे सारा प्रकृति तंत्र गड़बड़ा गया है। इसी असंतुलन से भूमि, वायु, जल और ध्वनि के प्रदूषण उत्पन्न हो रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण से फेफड़ों के रोग, हृदय, पेट की बीमारियां, दृष्टि और श्रवण क्षतियां, मानसिक तनाव और तनाव संबंधी रोग पैदा हो रहे हैं।

आधुनिक युग में वैज्ञानिक आविष्कारों और उद्योग धंधों के विकास, फैलाव के साथ-साथ जनसंख्या का भयावाह विस्फोट हुआ है। इन सभी कारकों ने पर्यावरण असंतुलन उत्पन्न किया है।

पर्यावरण को विकृत और दूषित करने वाली समस्त विपदाएं हमारी ही लाई हुई है। हम स्वयं  प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहे हैं, इसी असंतुलन से पर्यावरण की रक्षा हेतु, इसका संरक्षण आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण, कोई आज का मुद्दा नहीं है , वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के लिए अनेक आंदोलन चलाए जा रहे हैं- 

  • विश्नोई आंदोलन 

यह प्रकृति पूजकों का अहिंसात्मक आंदोलन था। आज से 286 साल पहले सन 1730 में राजस्थान के खेजड़ली गांव में 263 बिश्नोई समुदाय की स्त्री-पुरुषों ने पेड़ों की रक्षा हेतु अपना बलिदान दिया था। 

  • चिपको आंदोलन

उत्तराखंड के चमोली जिले में सुंदरलाल बहुगुणा चंडी प्रसाद भट्ट के नेतृत्व में यह आंदोलन चलाया गया था। उत्तराखंड सरकार के वन विभाग के ठेकेदारों द्वारा वनों का कटाई की जा रही थी । उनके खिलाफ लोगों ने पेड़ों से चिपककर विरोध जताया था।

  • साइलेंट वैली

केरल की साइलेंट वैली या शांति घाटी जो अपनी सघन जैव विविधता हेतु प्रसिद्ध है। सन 1980 में कुंतीपूंझ नदी पर 200 मेगावाट बिजली निर्माण हेतु बांध बनाने का प्रस्ताव रखा गया था । लेकिन इस परियोजना से वहां स्थित कई विशिष्ट पेड़-पौधों की प्रजातियां नष्ट हो जाती है। अतः कई समाजसेवी व वैज्ञानिकों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया और अंततः सन‌ 1985 में केरल सरकार ने साइलेंट वैली को राष्ट्रीय आरक्षित वन घोषित कर दिया गया।

  • जंगल बचाओ आंदोलन 

जंगल बचाओ आंदोलन इसकी शुरुआत सन 1980 में बिहार में हुई थी, बाद में उड़ीसा झारखंड तक फैल गया । सन् 1980 में सरकार ने बिहार के जंगलों को, सागोन के पेड़ों में बदलने की योजना पेश की थी । इसी के विरोध में बिहार के आदिवासी कबीले एकजुट हुए और उन्होंने अपने जंगलों को बचाने के लिए आंदोलन चलाया।

मनुष्य जिस तेजी के साथ विकास कर रहा है उतनी ही तेजी से पर्यावरण को प्रदूषित भी कर रहा है । हमने पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी जैविक और अजैविक घटकों का अंधाधुंध उपयोग किया है जिसकी वजह से पर्यावरण प्रदूषण उत्पन्न हुआ है।

प्राकृतिक पर्यावरण के भौतिक , रासायनिक ,जैविक विशेषताओं में अवांछनीय परिवर्तन लाने वाले पदार्थ को प्रदूषक कहते हैं। सामान्यतया प्रदूषण, मानव क्रियाकलापों के कारण होता है।

पर्यावरण प्रदूषण को चार भागों में बांट सकते ‌है-

जल प्रदूषण 

जल मानव के जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है । स्वच्छ जल , स्वास्थ्य और मानव विकास के लिए अनिवार्य है । जल की भौतिक ,रासायनिक तथा जैविक विशेषताओं में परिवर्तन,जिससे मानव तथा जलीय जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो, जल प्रदूषण कहलाता है।

जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव

प्रदूषित जल का विपरीत प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है । प्रदूषित जल के कारण अनेक बीमारियां फैलती हैं। जैसे हैजा, पेचिस, अतिसार, पीलिया तथा क्षय रोग। भारत में पेट से जुड़ी हुई 80% बीमारियां जल संक्रमण के कारण होती हैं । बीमारियों में सबसे अधिक प्रभावित नगरीय गंदी बस्तियों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे होते हैं।

जल प्रदूषण के मुख्य कारण है – 

  • औद्योगिकीकरण 
  • नदियों के जल का उपयोग
  • फसलों की सुरक्षा के लिए रसायनों का उपयोग 
  • धार्मिक सांस्कृतिक रीति-रिवाजों के कारण नदियों में बढ़ता प्रदूषण

जल प्रदूषण रोकने के उपाय- 

  • प्रदूषित जल को उपचारित किया जाए ।
  • नदी और समुद्र तटों की समय-समय पर सफाई हो।
  •  पीने के पानी की बचत हो।
  •  वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा ।
  •  वर्षा जल संरक्षण।

वायु प्रदूषण

पृथ्वी के वायुमंडल में मानव निर्मित प्रदूषक को का मौजूद होना वायु प्रदूषण कहलाता है । जिससे पेड़ पौधों एवं मनुष्य के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । सामान्यता वायु प्रदूषण में कार्बन डाई आक्साइड , कार्बन मोनोऑक्साइड,  नाइट्रोजन ऑक्साइडस,  सल्फर डाइऑक्साइड,  ओजोन आदि गैसें शामिल हैं ।

वायु प्रदूषण के कारण  

कई स्वास्थ्य संबंधी रोग जैसे खांसी ,दमा ,जुकाम ,निमोनिया, फेफड़े का संक्रमण, रक्त क्षीणता, उच्च रक्तचाप ,ह्रदय रोग विभिन्न प्रकार के कैंसर आदि से पीड़ित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है ।

  प्रदूषण रोकने के उपाय

  • इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।
  • चूल्हे की जगह एलपीजी का उपयोग को बढ़ावा। 
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट  का अधिक उपयोग करें ।
  • वाहनों को विकसित करने की तकनीक में सुधार लाएं ।

मृदा प्रदूषण

मृदा, मानव जाति के लिए अत्यंत उपयोगी तथा जीवनदायिनी है । मृदा, मनुष्यों के क्रियाकलापों अथवा कभी-कभी पर्यावरणीय संकट के कारण प्रदूषित हो जाती है ।

मृदा तथा भूमि प्रदूषण के मुख्य कारक हैं – 

  • मृदा अपरदन।
  • रसायनिक खादों तथा फसलों की सुरक्षा हेतु रसायनों का अत्यधिक उपयोग।
  • उद्योगों कारखानों से निकले ठोस अपशिष्ट ।
  • जंगल की आग।
  • खनन अपशिष्टों द्वारा।

मृदा प्रदूषण के दुष्प्रभाव  

  • मृदा की उर्वरता शक्ति में कमी आ जाती है ।
  • मिट्टी में कटाव उत्पन्न हो जाता है।
  • भूमि कृषि योग्य नहीं रहती।

 मृदा प्रदूषण रोकने के उपाय

रासायनिक खादों , कीटनाशक का नियंत्रित उपयोग कर मृदा प्रदूषण को कम किया जा सकता है । नगरी तथा औद्योगिक अपशिष्टों का उचित निपटान कर, मृदा को प्रदूषण से बचाया जा सकता है।

ध्वनि प्रदूषण 

ध्वनि प्रदूषण, वायुमंडलीय प्रदूषण का एक मुख्य भाग है। किसी अवांछनीय अत्यधिक तीव्र ध्वनि द्वारा लोगों को पहुंचे असुविधा एवं शांति को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।

ध्वनि प्रदूषण के कारण  

  • नगरीकरण तथा औद्योगिकरण के कारण ध्वनि प्रदूषण बढ़ गया है ।
  •  ऑटोमोबाइल, फैक्ट्री मशीनें धार्मिक स्थानों पर लाउडस्पीकर ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है ।

ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव 

  • ध्वनि प्रदूषण के कारण सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।
  • मानसिक तनाव , हृदय रोग,‌ रक्तचाप चिड़चिड़ापन आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं ।

  प्रदूषण रोकने के उपाय   

  • उद्योगों को आवासीय क्षेत्रों से दूर ले जाकर बसाना चाहिए।
  • पुराने मशीनों का प्रतिस्थापन करना चाहिए
  • हार्न का उपयोग न्यूनतम करना चाहिए। 
  • रेल पटरी में सुधार।
  • नई पीढ़ी को ध्वनि प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में जागरूक करना ।

हमारे आवश्यकता असीमित है तथा प्राकृतिक संसाधन सीमित । प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग इसे धारणीय बनाने के लिए आवश्यक है इसलिए संसाधनों का संरक्षण जरूरी है । पर्यावरण के संरक्षण का अर्थ है संसाधनों का इस तरह से उपयोग किया जाए कि वर्तमान पीढ़ी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति आने वाली पीढ़ी की आवश्यकताओं से बगैर समझौता किए कर सके । 

इस संरक्षण के मुख्य उद्देश्य होने चाहिए- 

पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित रखा जाए

जैव विविधता को बनाए रखा जाए।

वनों का संरक्षण किया जाए ।

वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाए।

मानव क्रियाकलापों के कारण पर्यावरण में तेजी से बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के अनेक रूप है । जैसे ओजोन क्षरण, वनों की कटाई, अम्ल वर्षा, वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों की अधिकता, फलस्वरुप भूमंडलीय तापमान में वृद्धि।

घटते प्राकृतिक संसाधनों की समस्या से निपटने के लिए समाज के सभी स्तर पर पर्यावरण संबंधी जागरूकता अनिवार्य है । वैज्ञानिकों ,राजनीतिज्ञों, नियोजकों  तथा लोगों को सम्मिलित रूप से पर्यावरण की स्थिति सुधारने के लिए काम करना होगा । जिसके लिए संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग आवश्यक है । इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं- 

  • विकासशील देशों की जनसंख्या नीति में परिवर्तन ताकि और नियंत्रित जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सके ।
  • विकसित देशों में नियंत्रित उपभोक्तावाद।
  • ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाना ।
  • विकास की नीतियों का मुख्य ध्यान देसी वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित हो।
  • विश्व के सभी विकास कार्यक्रमों का सख्त पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन होना चाहिए ।
  • सभी स्तर के शिक्षा में पर्यावरण की शिक्षा एक अनिवार्य विषय होना चाहिए ।
  • व्यापक शिक्षा तथा पर्यावरण जागरूकता के कार्यक्रमों में निवेश के द्वारा निजी क्षेत्र की सहभागिता जरूरी ।
  • सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों की मदद से लोगों को पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में शिक्षित करना ।
  • देश के विभिन्न भागों में पर्यावरण जागरूकता विकसित करने के लिए नियमित सम्मेलनों, संगोष्ठी, टेलीविजन एवं रेडियो पर वार्ताओं का आयोजन करना ।
  • पर्यावरण अनुसंधान के लिए अतिरिक्त फंड की आवश्यकता।
  • पर्यावरण संरक्षण में मीडिया की भूमिका।
  • जनमानस में पर्यावरण की पूर्णता और मानव की महत्ता संबंधी शिक्षा की आवश्यकता पर बल।

हर साल 5 जून को वैश्विक स्तर पर पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। दरअसल 1972 में स्टॉकहोम में संयुक्त राष्ट्र महासभा का सम्मेलन हुआ था । जिसमें पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए , हर वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत की गई ।

हर वर्ष अलग देश द्वारा इसका आयोजन किया जाता है । 

इस वर्ष 2022 में हमने 50 वां पर्यावरण दिवस मनाया।  भारत ने इस अवसर पर पर्यावरण के लिए जीवन शैली (LiFE लाइफ स्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट ) आंदोलन की शुरुआत की है।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

Table of Content

पर्यावरण प्रदुषण पर निबंध ENVIRONMENTAL POLLUTION ESSAY IN HINDI

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

जनसंख्या वृद्धि increased population.

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय how to control pollution in hindi, निष्कर्ष conclusion.

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बाढ़ पर निबंध (Essay On Flood In Hindi)

Essay On Flood In Hindi

In this Article

बाढ़ पर 10 लाइन (10 Lines On Flood In Hindi)

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प्रकृति द्वारा पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों के जीवन यापन के लिए कई संसाधन मौजूद हैं। जब प्रकृति से छेड़छाड़ करते हैं तो उसके कई दुष्परिणाम हम ही को झेलने पढ़ते हैं। ऐसी ही एक आपदा बाढ़ के रूप में हम जानते हैं। यह स्थिति मानवीय और प्राकृतिक दोनों कारणों से पैदा हो सकती है। लगातार कई दिनों तक वर्षा होने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है जिसमें भारी नुकसान होने की संभावना होती है। यहां तक की भूखमरी के हालात पैदा हो जाते हैं और लोगों को आर्थिक तंगी और नुकसान से गुजरना पड़ता है। बाढ़ एक भयंकर आपदा है, जब मॉनसून में अधिक बारिश होने के कारण पानी जगह-जगह जमा होने लगता है, साथ ही उसकी निकासी का कोई सही इंतजाम नहीं किया जाता, तब यह पानी बाढ़ का रूप ले लेता है। जो क्षेत्र नदी के किनारे बसते हैं उनपर इनका अधिक प्रभाव देखा जाता है। जब नदी का बांध अधिक पानी के दवाब से टूट जाता है तो देश को बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ता है। नदी के आसपास मौजूद क्षेत्रों को बहुत नुकसान पहुंचता है और साथ ही कई लोगों की जान भी जाती है। अक्सर स्कूल, कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता होती है और उसमें आपको बाढ़ के बारे में निबंध या भाषण लिखने के लिए कहा जाता है, तो उसके लिए आप इस लेख का सहारा ले सकते हैं।

बच्चों को बाढ़ के बारे में सामान्य जानकारी होगी लेकिन यदि उनको बाढ़ पर एक छोटा निबंध लिखना है तो वह इन 10 वाक्यों का उपयोग कर सकते हैं।

  • बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, जिससे जनजीवन प्रभावित होता है।
  • अधिक बारिश की वजह से क्षेत्रों में पानी जमा होने लगता है तो वह बाढ़ की स्थिति उत्पन्न करता है।
  • कई बार ये आपदा प्राकृतिक तथा मानव द्वारा निर्मित होती है।
  • पेड़ों का कटना, प्रदूषण बढ़ना, ग्लोबल वार्मिंग आदि भी इसके अन्य कारण हैं।
  • बाढ़ आने के कई कारण हैं जैसे अधिक बारिश, बादल फटना, नदी में जल का स्तर बढ़ना आदि।
  • कई बार बाढ़ सुनामी और तूफान जैसा भयंकर रूप ले लेती है।
  • नदी के किनारे बसे शहर, गांव आदि पर बाढ़ का खतरा अधिक होता है।
  • बाढ़ के प्रकोप से जानवर, पक्षी, और लोगों की जानें भी जाती हैं।
  • इससे न सिर्फ जानमाल का नुकसान होता है, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ता है।
  • बाढ़ की चेतावनी देने वाली व्यवस्था हमेशा अच्छे से काम करने चाहिए ताकि लोगों को पहले से जागरूक किया जा सके।

बाढ़ के बारे में लिखने के लिए उसको बेहतर तरीके से जानने की जरूरत है और ऐसे में आप नीचे दिए गए निबंध की मदद ले सकते हैं।

बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिससे जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित होता है। इससे लोगों की जानें जाती है और देश के आर्थिक विकास पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। बाढ़ ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों को अधिक प्रभावित करती है क्योंकि वहां पानी की निकासी के लिए सही जगह नहीं होती है। बाढ़ के प्रकोप के कई कारण हैं, जैसे अधिक बारिश, किसी बांध का टूटना, बादल फटना आदि। वैसे बाढ़ के कई अप्रत्यक्ष कारण भी हैं जैसे ग्लोबल वार्मिंग, अनगिनत पेड़ों की कटाई, प्रदूषण का बढ़ना आदि। बाढ़ के आने के बाद कई क्षेत्रों में पानी भरा रहता है, जिसकी वजह से घरों की नींव कमजोर हो जाती है और सभी पक्के और कच्चे घर टूट जाते हैं। ऐसे में लोग अपने घरों से बेघर हो जाते हैं और जन-धन दोनों का नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में देश को भी इसका प्रभाव झेलना पड़ता है क्योंकि इसका सीधा असर उसके आर्थिक विकास पर पड़ता है। इसकी भयानक स्थिति से हर कोई सहम जाता है और पशु, पक्षी और इन्सान सब इसकी चपेट में आ जाते हैं। कई बार बाढ़ आने के बाद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है, जैसे डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड आदि। जो की बाद में और अधिक हानि पहुंचाती हैं। बाढ़ अक्सर नदी किनारे या पहाड़ी क्षेत्रों में आती है, इसलिए हमेशा वहां बसे लोगों को बारिश के मौसम में चेतावनी दी जाती है ताकि वह सचेत रहें और खुद को इसके प्रभाव से बचा सकें। इसलिए सरकार को बाढ़ अलर्ट सिस्टम को हमेशा सही से काम करना चाहिए ताकि आपदा से पहले लोग सचेत हो जाएं।

Badh par nibandh

दुनिया भर में बाढ़ एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है, जिसके बारे में आपको सही जानकारी होना चाहिए। यदि आपको इस पर अच्छा निबंध लिखना है तो हमारे द्वारा लिखे गए निबंध को पढ़ें और अपने शब्दों में उसे लिखने का प्रयास करें।

बाढ़ क्या है? (What Is a Flood?)

जब किसी स्थान पर लगातार कम समय में अधिक मात्रा में बारिश होती है, तो वहां पर पानी जमा होने लगता है और पानी के अधिक दवाब के कारण वह बांध को तोड़ देता है जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बाढ़ वैसे कई कारणों से उत्पन्न होता है जैसे एक जगह पर अधिक बरसात होना, बांध का टूटना, बारिश से नदी का जल स्तर बढ़ना आदि। इस दौरान समुद्र और नदियों के पानी का प्रवाह इतना अधिक होता है कि यह आसपास के शहरों, गांवों, जंगलों आदि सभी को प्रभावित करता है। बाढ़ के कारण लोगों में अफरा-तफरी मच जाती और तबाही का माहौल नजर आता है। इस आपदा में लोग अपना घर, संपत्ति, यहां तक की परिवार को भी खो देते हैं। ऐसी परिस्थिति किसी भी इंसान के लिए कल्पना से परे है। इन हालातों में सरकार पीड़ितों को राहत सामग्री पहुंचाती है। लेकिन देश के आर्थिक विकास में इसका बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि प्रभावित क्षेत्र का पुनःनिर्माण में अधिक समय और पैसा लगता है।

बाढ़ के कारण (Causes Of Flood)

बाढ़ उत्पन्न होने के कई कारण हैं, उनके बारे में नीचे दिया गया है-

  • बहुत अधिक बारिश- लगातर बारिश के कारण अगर पानी की निकासी सही से नहीं हुई तो वह बाढ़ की स्थिति उत्पन्न करता है।
  • हिमनद का पिघलना – गर्मियों के मौसम में तापमान अधिक हो जाता है, जिसकी वजह से ठंडी जगहों पर जमी हुई बर्फ पिघलने लगती औ हिमनद (ग्लेशियर) पिघलने लगता है तो उसका पानी महासागर के प्रवाह को और बढ़ा देता है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ता है।
  • बांध का टूटना – बांध का उपयोग ऊपर से गिरने वाले पानी को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है लेकिन अगर उसमें क्षमता से अधिक पानी की मात्रा बढ़ती है तो वह टूट जाता है जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ आ जाती है।
  • तटीय क्षेत्र में हवाएं – जो हवाएं तेज और मजबूत होती हैं उनके अंदर समुद्र के जल को सूखे तट पर ले जाने की क्षमता बढ़ जाती है, ऐसे हालात में बाढ़ उत्पन्न होती है।
  • ग्लोबल वार्मिंग – ग्लोबल वार्मिंग भी बाढ़ उत्पन्न करने का एक मुख्य कारण है। इसकी वजह से वातावरण का तापमान अधिक हो जाता है जिससे ग्लेशियर पिघलने लगते हैं। इसके कारण पिघला हुआ पानी महासागर में जाकर पानी के स्तर को बढ़ा देता है और बाढ़ की स्थिति बढ़ जाती है।

बाढ़ के प्रभाव (Effects of Flood)

बाढ़ हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित करता है, आइए जानते हैं कैसे –

  • बाढ़ के कारण जन-जीवन और संपत्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • लोग अपने घरों से बेघर और परिवार वालों से बिछड़ जाते हैं।
  • बाढ़ का जमा हुआ पानी कई इलाकों की इमारतें, घर, स्कूल, कॉलेज आदि सब नष्ट कर देता है।
  • इंसान ही नहीं बल्कि पशु, पक्षी भी इसका शिकार हो जाते हैं।
  • बाढ़ का पानी अपने साथ कई तरह की बीमारियां जैसे मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड आदि लेकर आता है।
  • कई इलाकों में पीने वाला पानी पीने लायक नहीं बचता है।
  • यह जंगलों, खेतों को भी पूरी तरह से तबाह कर देता है।
  • इसकी वजह से पर्यावरण में भी परिवर्तन होता है।
  • बाढ़ को पृथ्वी पर होने वाली खतरनाक आपदा में पहला स्थान मिला है।
  • हर साल बाढ़ के कारण अरबों डॉलर का नुकसान होता है।
  • अचानक से आई बाढ़ करीब 10 से 20 फीट ऊंची पानी की दीवारें बना सकती हैं।
  • बाढ़ का सिर्फ 1 इंच पानी पूरा घर नष्ट कर सकता है।
  • अमेरिका की लगभग 99% प्रदेशों में बाढ़ का अनुभव हुआ है।

इस निबंध से आपके बच्चे को प्राकृतिक आपदा के बारे जानने को मिलता है और ऐसे आपदा के समय में क्या करना चाहिए वो इस निबंध के जरिए जान सकेंगे। वह इस निबंध की मदद से बाढ़ पर एक बेहतरीन निबंध लिख सकेंगे और लोगों को इसके बारे में जागरूक कर सकेंगे।

1. बाढ़ कितने प्रकार की होती हैं?

बाढ़ तीन प्रकार ही होती हैं तटीय बाढ़, नदी बाढ़ और आकस्मिक बाढ़।

2. भारत में आयी सबसे बड़ी बाढ़ कौन सी है?

6 सितंबर 1970 को नर्मदा नदी पर आयी और 11 अगस्त 1979 को मच्छू नदी पर आयी बाढ़ को दुनिया में रिकॉर्ड तोड़ने वाली सबसे बड़ी बाढ़ माना गया है।

3. भारत के किस राज्य में अक्सर बाढ़ आती है?

भारत के असम राज्य में अक्सर बाढ़ का अनुभव होता है।

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The best natural disaster response is to be prepared

The washed out remains of a road in front of...

The washed out remains of a road in front of a home on July 12 after remnants of Hurricane Beryl caused flooding and destruction in Plainfield, Vermont. Credit: AP/Charles Krupa

This guest essay reflects the views of Thomas Tighe, president and chief executive of Direct Relief, a nonprofit humanitarian medical organization.

The new federal hurricane forecast projects an "extremely active" season with as many as 24 named storms and 13 hurricanes. We've already seen five storms — with three months to go.

The toll of hurricanes is immense. They typically have an outsized impact on the most vulnerable communities. Recovery may take years, as Long Island saw with Superstorm Sandy in 2012.

Given that reality, we must make preparing for hurricane season a bigger priority.

The most vulnerable people are those who were most vulnerable the day before disaster struck. They may be low-income, live in substandard housing, face language or transportation barriers, or have health problems. An individual with a chronic condition can sink into crisis fast without ready access to treatment. That's why it's so important to plan ahead.

It's already difficult for many to access and afford the insulin, blood pressure medications, or inhalers they need. When extreme weather blocks roads, forces evacuations, or closes community clinics, securing lifesaving care can become nearly impossible.

From our Editorial Board, get inside the local, city and state political scenes.

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The loss of essential medical services can be just as devastating in the aftermath as the storm itself. People living in the poorest areas of Puerto Rico faced up to a 60% greater risk of death six months after Hurricane Maria made landfall in 2017. Researchers concluded that the primary cause of the increased mortality was "interruption of medical care."

Americans have long been generous about helping others in the aftermath of a natural disaster. But what if that aid consistently came before disaster struck — and focused on boosting the resilience of health systems in threatened communities?

The experience of Hurricane Maria, which wiped out much of Puerto Rico's electrical grid, demonstrated the importance of keeping the power flowing. An outage can prevent providers from operating medical equipment, accessing electronic health records, and keeping medicines at an appropriate temperature. Another area of need is pre-positioning health care and other supplies in safe but accessible areas, like weatherproof warehouses near clinics, for immediate distribution after a disaster hits.

Government programs and nonprofit organizations already collect much of the demographic and geographic data necessary to scope the areas with the greatest need and vulnerability. Then, humanitarian organizations can partner with the private sector to help prepare community health centers and clinics in these areas. Of the 30 million Americans nonprofit clinics serve, roughly 70% have incomes below the poverty line.

My organization, Direct Relief, has teamed up with health care company Abbott to provide backup generators, staff training, and emergency packs of medical supplies to health clinics in hurricane-prone areas across the U.S., Puerto Rico and U.S. Virgin Islands.

Anticipatory relief has become a top priority of the Federal Emergency Management Agency, which has convened more than 1,600 organizations to help communities increase their ability to withstand and recover from hurricanes and other disasters.

But the reality is that many local organizations and health centers do not have the staffing and funding to prepare for disasters. There are tremendous opportunities for government, businesses, and individuals to help nonprofits and clinics in their communities. Efforts could include a rapid-response team of volunteers who can quickly distribute food and ensure at-risk people are safe. Local governments could earmark more funds for preventive disaster relief. Businesses could share expertise and resources.

Our society has the tools and data to enable the cooperation needed to mitigate the effects of coming natural disasters. With this year's hurricane season here, there's no time to lose.

This guest essay reflects the views of Thomas Tighe, president and chief executive of Direct Relief, a nonprofit humanitarian medical organization.

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अयोध्या राम मंदिर पर हिंदी में निबंध, Essay on Ram Mandir in Hindi

Ram mandir nibandh in hindi: राम मंदिर अयोध्या पर निबंध यहां प्राप्त करें। स्कूल में अपने राम मंदिर पर निबंध तैयार करने के लिए इन निबंधों का उपयोग करें। जानिए राम मंदिर की विशिष्टताएं i.

Atul Rawal

Shri Ram Mandir Ayodhya Essay in Hindi: राम मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह माना जाता है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। मंदिर का निर्माण भारत देश के लिए एक लंबे समय से प्रतीक्षित सपना था और इसका उद्घाटन इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो जायेगा।

राम मंदिर पर निबंध लिखकर छात्रों को इसके इतिहास और वर्तमान महत्व के बारे में शिक्षित करना एक प्रभावी तरीका है। नीचे दिए गए निबंध के उदहारण को आप अपने निबंध में शामिल कर सकते हैं, लेकिन साथ ही यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने स्वयं के शोध और समझ को निबंध में समाहित करें I स्कूल के लिए लिखने वाले निबंध में आपकी अपनी आवाज और विचार महत्वपूर्ण होते हैं।

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राम मंदिर अयोध्या पर हिंदी में निबंध

अयोध्या के राम मंदिर पर 150 शब्दों में निबंध

अयोध्या राम मंदिर भारत में एक प्रसिद्ध और चर्चित मंदिर है। अयोध्या विवाद लगभग 1858 में शुरू हुआ था। पहला मामला 1885 में दर्ज किया गया था। 1989 में विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा उसी स्थान पर 'शिलान्यास' किए जाने के बाद मुख्य आग भड़की थी।

राम मंदिर अयोध्या से जुड़ी घटनाएं और मामले को सुलझाने का संघर्ष एक राजनीतिक एजेंडा बन गया। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थान को राम मंदिर को आवंटित करके इस मामले पर पूर्ण विराम लगा दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में राम लला मंदिर का शिलान्यास किया। पूर्व निर्धारित तिथि के अनुसार राम मंदिर 'प्रण प्रतिष्ठा' समारोह 22 जनवरी, 2024 को आयोजित किया जाएगा। इससे राम मंदिर के द्वार लोगों के लिए खुल जाएंगे।

राम मंदिर अयोध्या पर 250 शब्दों में निबंध

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और परिवर्तनकारी घटना है। राम जन्मभूमि के पवित्र स्थल पर निर्मित, इस मंदिर का अत्यधिक सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। इस मंदिर के निर्माण की यात्रा राष्ट्र के जटिल सामाजिक राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाती है।

अयोध्या विवाद की जड़ें इतिहास की गहराइयों में समा गई हैं, विवादित स्थल को भगवान राम का जन्म स्थान माना जाता है I भूमि को लेकर हुए कानूनी और राजनीतिक संघर्ष का समापन 2019 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के साथ हुआ, जिसने राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया. सर्वसम्मत फैसले ने सौहार्दपूर्ण समाधान और सांप्रदायिक सद्भाव की आवश्यकता पर बल दिया.

मंदिर का स्थापत्य नागर शैली का अनुसरण करता है, जो जटिल शिल्प कौशल और डिजाइन का दर्पण प्रस्तुत करता है। ऊंचे शिखर मंदिर की भव्यता में चार चांद लगाते हैं। निर्माण प्रक्रिया में पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों का मिश्रण विरासत और प्रगति के सम्मिश्रण का प्रतीक है।

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण केवल एक धार्मिक उपक्रम नहीं है, बल्कि सदियों से चले आ रहे विवाद के समापन का प्रतीक है। यह मंदिर एक आशा की किरण बनकर उभर रहा है, जो राष्ट्रीय गौरव और एकजुटता की भावना को बढ़ावा दे रहा है। मंदिर के निर्माण के पूरा होने से दुनिया भर के भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करने की उम्मीद है, जिससे अयोध्या एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल और सांस्कृतिक केंद्र बन जाएगा।

श्री राम मंदिर की मुख्य विशेषताएँ:

  • अयोध्या राम मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या शहर में स्थित है।
  • मंदिर का कुल क्षेत्रफल 2.7 एकड़ है और इसका निर्मित क्षेत्रफल 57,400 वर्ग फुट है।
  • मंदिर 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा है।
  • मंदिर में तीन मंजिलें हैं, प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है।
  • मंदिर के भूतल पर 160 स्तंभ हैं, पहली मंजिल पर 132 स्तंभ हैं और दूसरी मंजिल पर 74 स्तंभ हैं।
  • मंदिर में पांच शिखर और पांच मंडप हैं।
  • मंदिर में 12 द्वार हैं।

राम कथा के 10 बिंदु (Ram Katha in 10 Pointers)

  • राम, अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। उन्हें उनके धर्म, कर्तव्य और न्याय के प्रति समर्पण के लिए जाना जाता था।
  • राजनीतिक चालों के चलते, राम को वनवास जाना पड़ा। उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण उनके साथ वनवास गए।
  • वनवास के दौरान, रावण नामक राक्षस ने सीता का अपहरण कर लिया।
  • हनुमान, वानर देव, राम की खोज में लंका गए और सीता को ढूंढ निकाला।
  • राम ने वानर सेना की मदद से लंका पर चढ़ाई की और रावण को युद्ध में मार डाला।
  • सीता की वापसी पर, उनकी पवित्रता साबित करने के लिए, सीता ने अग्निपरीक्षा दी।
  • राम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे और उन्हें राजा बनाया गया।
  • राम का शासन आदर्श माना जाता है। उनके राज्य में न्याय, शांति, और समृद्धि का राज था।
  • राम को उनके धर्मनिष्ठता, साहस, कर्तव्यनिष्ठा, और करुणा के लिए जाना जाता है।
  • राम कथा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह हमें सत्य, धर्म, और कर्तव्य का पालन करने की सीख देती है।

इस जानकारी का उपयोग करके राम मंदिर अयोध्या पर हिंदी में अपनी 10 पंक्तियाँ बनाएँ

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पर्यावरण और विकास पर निबंध (Environment and Development Essay in Hindi)

विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, हालांकि हर विकास के अपने सकरात्मक और नकरात्मक नतीजे होते है। लेकिन जब निवासियो के लाभ के लिए विकास किया जा रहा हो, तो पर्यावरण का ख्याल रखना भी उतना ही जरुरी है। अगर बिना पर्यावरण की परवाह किये विकास किया गया तो पर्यावरण पर इसके नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होंगे, जिससे यह उस स्थान पर रहने वाले निवासियो पर भी हानिकारक प्रभाव डालेगा।

पर्यावरण और विकास पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environment and Development in Hindi, Paryavaran aur Vikas par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द).

पर्यावरण और आर्थिक विकास एक-दूसरे से परस्पर जुड़े हुए है, वही दूसरी तरफ एक देश की आर्थिक तरक्की भी पर्यावरण को प्रभावित करती है। उसी तरह पर्यावरण संसाधनो में गिरावट भी आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। ऐसे कई सारी पर्यावरण नीतियां है। जिन्हे अपनाकर हम अपने पर्यावरण को भी बचा सकते है और अपनी आर्थिक उन्नति भी सुनिश्चित कर सकते है।

पर्यावरण और आर्थिक विकास

आर्थिक विकास एक देश के उन्नति के लिए बहुत आवश्यक है। एक देश तभी विकसित माना जाता है जब वह अपने नागरिको को पार्याप्त मात्रा में रोजगार मुहैया करवा पाये। जिससे वहा के निवासी गरीबी से छुटकारा पाकर एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सके। इस तरह का विकास आय में असमानता को कम करता है। जितना ज्यादे मात्रा में एक देश आर्थिक तरक्की करता है, उसके राजस्व कर में भी उतनी ही वृद्धि होती है और सरकार के बेराजगारी और गरीबी से जुड़ी कल्याण सेवाओं के खर्च में उतनी ही कमी आती है।

पर्यावरण एक देश के आर्थिक उन्नति में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक राष्ट्र के विकास का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ा होता है। प्राकृतिक संसाधन जैसे कि पानी, जीवाश्म ईंधन, मिट्टी जैसे प्राकृतिक संसाधनो की उत्पादन क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रो में आवश्यकता होती है। हालांकि, उत्पादन के परिणामस्वरूप पर्यावरण द्वारा प्रदूषण का भी अवशोषण होता है। इसके अलावा उत्पादन के लिए संसाधनों के ज्यादे इस्तेमाल के वजह से पर्यावरण में संसाधनों की कमी की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।

प्राकृतिक संसाधनो के लगातार हो रहे उपभोग तथा बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण पर्यावरण संसाधनो की गुणवत्ता खराब हो जायेगी, जिससे ना सिर्फ उत्पादन की गुणवत्ता प्रभावित होगी। बल्कि की इसके उत्पादन में लगे मजदूरो में भी तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होंगी  और इसके साथ यह उनके लिए भी काफी हानिकारक सिद्ध होगा, जिनके लिए यह बनाया जा रहा है।

आर्थिक विकास का आंनद लेने के लिए यह काफी जरूरी है कि हम पर्यावरण संसाधनो के संरक्षण को विशेष महत्व दे। पर्यावरण और आर्थिक विकास के संतुलन के मध्य संतुलन स्थापित करना काफी आवश्यक है, इस प्रकार से प्राप्त हुई तरक्की का आनंद ना सिर्फ हम ले पायेंगे बल्कि की हमारी आने वाली पीढ़ीया भी इससे लाभान्वित होंगी।

निबंध – 2 (400 शब्द)

सतत विकास स्थिरता के तीन स्तंभो पर टिका हुआ है – आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक यह तीन चीजे इसकी आधारशिला है। पर्यावरणीय स्थिरता का तात्पर्य वायु, जल और जलवायु से है, सतत विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू उन गतिविधियों या उपायों को भी अपनाना है जो स्थायी पर्यावरणीय संसाधनों में मदद कर सके। जिससे ना केवल हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगे बल्कि आने वाली पीढ़ीयों की भी आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित कर सकेंगे।

पर्यावरण और सतत विकास

सतत विकास की अवधारणा 1987 में बनी ब्रुटलैंड कमीशन से ली गयी है। इस वाक्यांश के अनुसार सतत विकास वह विकास है जिसके अंतर्गत वर्तमान की पीढ़ी अपनी जरूरतो को पूरा करे, लेकिन इसके साथ ही संसाधनो की पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा सुनिश्चित करे। जिससे आने वाले समय में भविष्य की पीढ़ी के मांगो को भी पूरा किया जा सके। 2015 के यूनाइटेड नेशन सतत विकास शिखर सम्मेलन ( यू.एन. सस्टेनबल डेवलपमेंट समिट) में विश्व प्रमुखो ने सतत विकास के लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किए है, वे कुछ इस प्रकार से है-

1.पूरे विश्व से गरीबी का खात्मा किया जाये।

2.सभी को पूरे तरीके से रोजगार और अच्छा कार्य प्रदान करके सतत आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दिया जाये।

3.महिलाओं के लैगिंग समानता और सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना।

4.पानी की स्थिरता को बनाए रखना और सभी के लिए स्वच्छता के उपायो को सुनिश्चित करना।

5.बिना उम्र का भेदभाव किये सभी के लिए स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना।

6.सभी के लिए आजीवन पढ़ने और सीखने के अवसर को बढ़ावा देना।

7.स्थायी कृषि व्यवस्था को बढ़ावा देना और सभी के लिए पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

8.देशो के बीच असमानता कम करना।

9.सभी के लिए सुरक्षित और सतत मानव आवास प्रदान करना।

10.जल स्त्रोतों का संरक्षण करना और उनका सतत विकास करना।

11.सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्स्थापित करना।

12.वस्तुओं का सही उत्पादन और उपभोग करना।

13.सभी को सतत ऊर्जा मुहैया करवाना।

14.नविचार को बढ़ावा देना और सतत औद्योगिकरण का निर्माण करना।

15.जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों को अपनाना।

16.स्थलीय तथा वन पर्यावरण तंत्र को पुनरस्थापित किया जाये, जिससे मिट्टी में हो रही गिरावट को रोका जो सके।

17.प्रभावी और जिम्मेदार संस्थानो का निर्माण करना, जिससे सभी को हर स्तर पर न्याय मिल सके।

ऊपर दिए गये लक्ष्यो का निर्धारण गरीबी के उन्मूलन के लिए किया गया है, इसके साथ ही 2030 तक जलवायु परिवर्तन तथा अन्याय से लड़ने के लिए भी इन कदमो को निर्धारित किया गया है। यह फैसले इसलिए लिये गये है ताकी हम अपने भविष्य के पीढ़ी के जरुरतो के लिए अपने इन प्राकृतिक संसाधनो को संजोकर रख सके।

सतत विकास की अवधारणा हमारे संसाधनो के उपभोग से जुड़ी है। अगर प्राकृतिक संसाधनो का उनके पुनरभंडारण से पहले इसी तरीके से तेजी से उपयोग होता रहा। तो यह हमारे पर्यावरण का स्तर पूरी तरह से बिगाड़ देगा और अगर इसपर अभी से ध्यान नही दिया गया तो इस प्रदूषण के कारण हमारे प्राकृतिक संसाधन पर्याप्त मत्रा में नही बच पायेंगे, जिससे आनेवाले समय में यह हमारे विनाश का कारण बन जायेगा। इसलिए यह काफी आवश्यक है, जब हम अपने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सतत विकास के लक्ष्य को पाने का प्रयास करे।

Essay on Environment And Development in Hindi

निबंध – 3 (500 शब्द)

सतत विकास के अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनो के संरक्षण का प्रयास किया जाता है, जिससे उन्हे आने वाली पीढ़ीयों के जरुरतो को पूरा करने के लिए बचाया जा सके। सबसे जरुरी यह है कि हमे अपने आने वाले पीढ़ीयो के सुरक्षा के लिए हमे सतत विकास को इस प्रकार से बरकरार रखने की आवश्यकता है जिससे पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।

पर्यावरण सुरक्षा और सतत विकास

वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण से जुड़ी कुछ मुख्य समस्याएं है। ग्लोबल वार्मिंग का तात्पर्य पृथ्वी में हो रहे स्थायी जलवायु परिवर्तन, औद्योगिक प्रदूषण पृथ्वी पर बढ़े रहे पर्यावरण प्रदूषण, ग्रीन हाउस गैसो के उत्सर्जन और ओजोन परत में हो रहे क्षरण आदि कारणो से पृथ्वी के तापमान में होने वाली वृद्धि के समस्या से है। वैज्ञानिको ने भी इस तथ्य को प्रमाणित किया है की पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है और इसे रोकने के लिए यदि आवश्यक कदम नही उठायें गये तो यह समस्या और भी ज्यादे गंभीर हो जायेगी, जिसके नकरात्मक प्रभाव हमारे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर होंगे।

प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से हो रहा दोहन भी एक प्रमुख चिंता बन गया है। जनसंख्या ज्यादे होने के कारण पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों पुनर भंडारण होने के पहले ही उनका खपत हो जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या कृषि उत्पादों के उत्पादन की कम दर तथा प्राकृतिक संसाधनों में होती कमी के कारण उत्पन्न हो रही है। अगर ऐसा ही रहा तो  आने वाले समय में जल्द ही धरती की जनसंख्या न केवल भोजन की कमी का सामना करेगी, बल्कि किसी भी विकास प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संसाधनों की कमी से भी जूझना होगा।

खाद्य और कृषि उत्पादन की कमी को दूर करने के लिए, इनके उत्पादन में रसायनों का उपयोग किया जाता है। यह न केवल मिट्टी के गुणवत्ता को कम करता है, बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। अगर यह प्रक्रिया इसी तरह जारी रहती है तो पृथ्वी के लोगो को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इन बीते वर्षो में पृथ्वी के पर्यावरण और इसके संसाधनों को इन्ही कारणो से कई नुकसान हुए हैं। यदि पर्यावरण संकट के समाधान के लिए महत्वपूर्ण कदम नही उठाये गये तो इस समस्या के और ज्यादे भयावह होने की संभावना है।

ग्लोबल वार्मिंग के समस्या को रोकने के लिए वनो और झीलो की सुरक्षा भी आवश्यक है। पेड़ो को तब तक नही कटा जाना चाहिये जब तक बहुत ही आवश्यक ना हो। इस समय हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की पआवश्यकता है, हमारे इतने बड़े आबादी द्वारा उठाया गया एक छोटा सा कदम भी पर्यावरण की सुरक्षा में अपना अहम योगदान दे सकता है। यह पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता, और वन्य जावो के सुरक्षा के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा पृथ्वी के प्रत्येक निवासी को ओजोन परत के क्षरण को रोकने के लिए अपने ओर से महत्वपूर्ण योगदान देने की आवश्यकता है।

ओजोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार पदार्थो का उपयोग ज्यादेतर रेफ्रीजरेटरो और एयर कंडीशनरो में होता है जिसमें हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC) और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC)  रेफ्रीजरेंट के तौर पर इस्तेमाल किये जाते है। यह वह मुख्य तत्व है जिनके कारण ओजोन परत का क्षरण हो रहा है।

इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण है कि हम HCFC  और CFC का उपयोग रेफ्रीजरेंट के तौर ना करे, इसके अलावा हमें ऐरोसोल पदार्थो का भी उपयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि इनके द्वारा भी HCFC  और CFC का उपयोग किया जाता है। ऊपर दिए गये उपायो को अपनाकर और सावधानी बरतकर हम पर्यावरण में कार्बन के उत्सर्जन को कम कर सकते है।

सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, यह काफी जरुरी है कि हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठायें। इस तरीके से यह सिर्फ ना वर्तमान के जनसंख्या के लिए लाभकारी होगा बल्कि की आने वाले पीढीया भी इसका लाभ ले सकेंगी और यही सतत विकास का मुख्य लक्ष्य है। इसलिए सतत विकास पर्यावरण की रक्षा के लिए यह काफी अहम है।

निबंध – 4 (600 शब्द)

पर्यावरण संरक्षण से अर्थ है पर्यावरण और इसके निवासियों की सुरक्षा, बचाव, प्रबंधन और इसके हालात को सुधारना। सतत विकास का मुख्य लक्ष्य भविष्य के पीढ़ी के लिए पर्यावरण और संसाधनो का संरक्षण और इसका इस तरह से उपयोग करना कि हमारे उपयोग के बाद भी यह भविष्य के पीढ़ी के बचा रह सके। इसलिए यह सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह काफी आवश्यक है कि हम पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करे।

पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास

पर्यावरण संरक्षण के दो तरीके है- प्राकृतिक संसाधनो की सुरक्षा करना या इस तरीके से रहना जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। पर्यावरण का तात्पर्य वायु, जल और भूमि तथा मनुष्यो के साथ इसके परस्पर संबध है। अगर एक व्यापक पहलू में कहे तो इसमें पेड़, मिट्टी, जीवाश्म ईंधन, खनिज आदि शामिल है। पेड़ बाढ़ और बारिश से मिट्टी के कटाव की होने वाली घटना को कम करते है, इसके साथ ही अनके द्वारा हवा को भी स्वच्छ किया जाता है।

जल का उपयोग ना सिर्फ मनुष्यों द्वारा, बल्कि कृषि, पौधों और जानवरों जैसे जीवित प्राणियों के अस्तित्व और विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। सभी जीवित प्राणियों के साथ-साथ कृषि उत्पादन के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसलिए पेड़, मिट्टी और पानी के हर स्रोत के संरक्षण की आवश्यकता है। ये तीनो तत्व जीवित प्राणियों के अस्तित्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि यह संसाधन इसी प्रकार प्रदूषित होते रहे तो यह ना सिर्फ हमें नुकसान पहुंचायेंगे, बल्कि की हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक बड़ा संकट बन जायेगें।

पर्यावरण संरक्षण का अर्थ सिर्फ प्राकृतिक संसाधनो का संरक्षण नही है। इसका तात्पर्य ऊर्जा के संसाधनो का संरक्षण करना भी है जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा यह दो प्रकार की नवकरणीय उर्जायें जीवाश्म ईंधन और गैस जैसे गैर-नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतो की रक्षा करने में हमारी सहायता करेगा। अगर सभी तरह के गैर नवकरणीय ऊर्जा को नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से बदल दिया जाये, तो यह पृथ्वी के पर्यावरण के लिए काफी सकरात्मक सिद्ध होंगे। क्योंकि गैर नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों को पुनर स्थापित होने में काफी समय लगता है, यही कारण है कि हमे नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों को इस्तेमाल करना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण के अलावा इस्तेमाल हो रहे संसाधनो के पुनःपूर्ति के लिए भी प्रयास किये जाने चाहिए। इसके लिए वनीकरण तथा जैविक रुप से बनी हुई गोबर की खाद का उपयोग करना आदि कुछ ऐसे अच्छे उपाय है। जिनके द्वारा हम प्राकृतिक स्रोतों के पुनःपूर्ति का प्रयास कर सकते है। ये उपाय निश्चित रूप से पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने में हमारी मदद करेंगे।

इसके अलावा पर्यावरण के प्रदूषण को कम करने के लिए और कई महत्वपूर्ण कदम उठाये जाने चाहिए। जिसके अंतर्गत तेल और गैस से चलने वाले वाहनो के जगह इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनो का उपयोग किया जाना चाहिए। इसी तरह कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए साईकल चलाने, वाहनो के शेयरिंग या पैदल चलने जैसे उपायों को अपनाया जा सकता है। इसके अलावा जैविक खेती इस सकरात्मक पहल का एक और विकल्प है, इसके द्वारा मिट्टी तथा खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहे और रासायनिक खेती के कारण पर्यावरण तथा हमारे सेहत पर होने वाली हानि को कम किया जा सके।

धूम्रपान छोड़ना और रसायनिक उत्पादो का उपयोग बंद करना ना सिर्फ हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा बल्कि की पर्यावरण पर भी इसके सकरात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। एक व्यक्ति द्वारा नल के पानी को बंद करके या वर्षा के पानी को इकठ्ठा करके, कपड़े या बर्तन धोने जैसे अलग-अलग कामों में इस्तेमाल करके भी हम जल संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है। जल इलेक्ट्रानिक उत्पाद उपयोग में ना हो तो इनका उपयोग बंद करके और उर्जा बचाने वाले इलेक्ट्रानिक उत्पादो का उपयोग करके भी हम ऊर्जा बचा सके है। इसके अलावा एक व्यक्ति के रुप में हम वस्तुओं की पुनरावृत्ति तथा पुनरुपयोग करके और पुरानी वस्तुओं का उपयोग करके तथा प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग ना करके भी हम पर्यावरण संरक्षण में अपना सकरात्मक योगदान दे सकते है।

सतत विकास को सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण करके प्राप्त किया जा सकता है। इससे ना सिर्फ हमारे पर्यावरण को होने वाले नुकसान में कमी आयेगी बल्कि की यह हमारे आने वाली भविष्य की पीढ़ीयों के लिए प्राकृतिक संसाधनो की उपलब्धता को सुनिश्चित करेगा।

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